माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
आज के इस ऐतिहासिक उत्सव में जहां हम आईआईटी इंदौर की बहुत सारी परियोजनाओं को लोकार्पित कर रहे हैं वहीं आठवें दीक्षांत समारोह जैसे भव्य आयोजन में उपस्थित इस आईआईटी परिषद् के यशस्वी अध्यक्ष आदरणीय प्रो. दीपक भास्कर पाठक जी, मेरेसाथ मंत्रालय में जो इस क्षेत्र को देख रहे हैं अपर सचिव,श्री राकेश रंजन जी, इस संस्थान के कार्यवाहक निदेशक प्रो. निलेश कुमार जैन जी, डीन शैक्षणिक डॉ. देवेन्द्र देशमुख जी और सभी विभागध्यक्ष, संकाय सदस्य, अभिभावकगण, सदस्यगण और आईआईटी इंदौर परिवार के सभी उपस्थित भाइयो और बहनो! इस उत्सव में देश और दुनिया से हमारेपूर्व छात्र भी जुड़े हुए हैं, मैं इस अवसर पर आप सभी का अभिनन्दन कर रहा हूं, स्वागत कर रहा हूं।
मुझे लगता है कि आप सब देश के सबसे स्वच्छ शहर एवं स्मार्ट शहर से इन यादगार क्षणों के साक्षी बन रहे हैं। आज मेरे विद्यार्थी इस संस्थान से शिक्षा को प्राप्त करके और अब मैदान में जा रहे हैं ऐसे क्षणों में हम और आप उनके इस दीक्षांत समारोह में एकत्रित हो करके उनको बधाई देने के लिए आये हैं, हम उनकी पीठ थपथपाने के लिए आये हैं, हम उनका हौसला बढ़ाने के लिए आये हैं, हम उनको याद दिलाने के लिए आये हैं कि हां,जो कई वर्षों की अनवरत साधना आपने की है अब वो वक्त आ गया है जब उस साधना को, उस ज्ञान को लेकर के आपनिर्माण के क्षेत्र में मैदान में जा रहे हैं और इसलिए आप सबको मैं बधाई देना चाहता हूँ।
वैसे तो शिक्षा का अंत कभी नही होता लेकिन यह जितना ज्ञान आपने अर्जित किया है उस ज्ञान को बाँटने के लिए, उस ज्ञान का वैभव विकसित करने के लिए आप आज संस्थान से मैदान में जा रहे हैं और निश्चित रूप में आपकी असली परीक्षा तो अब आरम्भ होती है अभी तक तो केवल पुस्तक की परीक्षा थी लेकिन जीवन की जो परीक्षा है अब आज से वो शुरू होती है जब आप परयोद्धा की मुहर लग करके अपने क्षेत्र में जाने वाले हैं, अपने अनुभवों को लेकर के जाने वाले हैं। इस अवसर पर मैंआपको बहुत सारी बधाई देता हूं और स्वभाविक है कि यह क्षण आपके लिए बहुत भावुकहोंगे।
आपके अध्यापकगण, आपके अभिभावक इन क्षणों में कितने खुशी और आनंद का अनुभव कर रहे होंगे। मेरे प्रिय छात्र छात्राओं! केवल आप अपनी आशाओं का केंद्र नहीं हैं बल्कि आप अपने परिवार, समाज एवं राष्ट्र की भी आशाओं का केन्द्र हैं। आज न केवल आप अपने इस आईआईटी इंदौर की आशाओं का केन्द्र हैं तथा न केवल मध्यप्रदेश की आशाओं का केन्द्र हैंबल्कि मेरे भारत की भी आशाओं का केन्द्र है और मैं इससे आगे भी जाना चाहता हूं कि आप पूरी दुनिया की आशाओं का केन्द्र हैं। और क्यों न हों? यह देश विश्वगुरु रहा है। इस देश के बारे में हमेशा कहा गया है कि ‘‘एतद्देशप्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मनः। स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्वमानवाः।।’’
तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय इस देश के अंदर थे। यहां पूरी दुनिया के लोग शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे। दुनिया के लोग ज्ञान-विज्ञान-अनुसंधान हर क्षेत्र में यहां से शिक्षा ग्रहण करके जाते थे।ऐसा वैभव पूरी दुनिया में आपके ज्ञान और विज्ञान का फैला हुआ था।मैं समझता हूं उस देश के ही हम वासी हैं जिस देश ने पूरे विश्व को अपना परिवार माना है। हमने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की बात की। पूरी वसुधा को पूरे संसार को हमने परिवार माना है। दुनिया के दूसरे देशों ने संसार को केवल बाजार माना है लेकिन हमारा यहविचार नहीं रहा है। हमने संसार को अपना परिवार माना क्योंकि हमारी मान्यता रही है कि परिवार में प्यार होता है और बाजार में केवल व्यापार होता है, व्यवसाय होता है। उस प्यार को लेकर हम दुनिया में जाना चाहते हैं और उस पूरे परिवार की रक्षा, सुरक्षा उसकी सुख-समृद्धि और प्रगति की न केवल कामना के लिए कार्य कर रहे हैं बल्कि उसे मिशन में कर रहे हैं। जहांसुबह उठते ही हम कहते हैं-‘‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया’’ यह हमारा सूत्र रहा है।
हमने लोगों को मशीन नहीं बनाया बल्कि मनुष्य बनाया है और इसीलिए हमारे देश के प्रधानमंत्रीजी जब अभी नई शिक्षा नीति को लेकर आये थे तो उनकी यह चिंता रही है कि हमारे जो जीवन मूल्य हैं वो दुनिया के लिए बहुत जरूरी हैं। हमारे जीवन मूल्य दुनिया के लिए अनुकरणीय हैं। हमारे लिए हमारे छात्र केवल विद्यार्थी नहीं हैं बल्कि हमारे लिए देवता हैं। हमारे छात्र सम्पूर्णविश्व के लिए एक ऐसा वैश्विक नागरिक अर्थात् महामानव बनकर जा रहे हैं जो हर क्षेत्र में प्रगति के शिखर को चूमेंगें और मानवता का भी पाठ पढ़ाऐंगे।ऐसे ही विद्यार्थियों को तैयार करने के लिए हमारी एनईपी-2020 आई है, मुझे खुशी है कि हमारे बीओजी के अध्यक्ष प्रो.दीपक भास्कर पाठक जी जिनका जीवन बहुत ही प्रेरणादाई एवं संघर्षमय रहा है, ऐसे व्यक्तित्व के निर्देशन में इस नीति का बहुत ही अच्छे तरीके से क्रियान्वयन भी होगा मैं क्योंकि हर संस्थान का लगातार सर्वेक्षण भी करता रहता हूं परीक्षण भी करता रहता हूं और अनुसंधान भी करता है एवंउसके बारे में जानकारी भी लेता रहता हूं। संस्थान के अधिकारी वर्ग में चाहे डीन हों, चाहे विभागाध्यक्ष हों,अथवा चाहे वहां के कौन से छात्र हैं जो विगत समय में निकलकर वर्तमान में दुनिया के किन पदों पर हैं तथा वर्तमान में संस्था के अंदर चल क्या रहा है?क्यागतिशीलता है? सोच क्या रहे हैं? कर क्या रहे हैं? यह मेरी कोशिश रही है कि हमेशामैं हर संस्थान के अंदर घुस कर के हर चीज की जानकारी प्राप्त करूं।मुझे ख़ुशी है कि इस संस्थान ने अपनी छोटी सी आयु में ही लंबी छलांग मारी है इसलिए पहले केजितने भी निदेशक हैं उनको भी मैं उसके लिए बधाई देना चाहता हूं और इस साल जो यह हमारी युवा आईआईटी है उसके मेरे उन्नायक इतनी बड़ी छलांग मार रहे है तथा पूरी कोशिश कर रहे है इसलिए एनआईआरएफ रैंकिंग में वर्ष2019में यह संस्थान 13वें स्थान पर था फिर इसने तीन वर्षों में छलांग मार कर के इस समय 2020 में दसवें स्थान पर आया है तो 2020 में और प्रगति इसने की है। टाइम्स हायर एजुकेशन रैंकिंग में और एशियाई विश्वविद्यालय रैंकिंग में भी वर्ष 2020 में इस संस्थान ने 55वां स्थान प्राप्त किया और यंगयूनिवर्सिटी रैंकिंग में इसने 64वीं रैंक प्राप्त की है।यहदेश बहुत विशाल देश है औरजब मैं हिन्दुस्तान के बारे में कहता हूं कि यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और इस सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में एक हजार से अधिक तो विश्वविद्यालय हैं,45 हजार से अधिक डिग्री कॉलेज हैं,15लाख से अधिक स्कूल हैं,एक करोड़ 9 लाख से भीअधिक अध्यापक हैं और कुल मिलाकर अमेरिका की जितनी आबादी नहीं है 33 करोड़ से ज्यादा छात्र-छात्राएं है।यह वैभव है इस देश का और इसीलिए प्रतिस्पर्धा में किसी स्थान पर आना यह अपने आप में बहुत बड़ी गरिमा की बात है।आज मैंबधाई देना चाहता हूं उसकी फैकल्टी को भी बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने कोशिश करके अपनी प्रगति का गौरवशाली अध्याय लिखा है मुझे इस बात की खुशी है कि आज जितने भवन यहां पर लोकार्पित हुए हैं वो चाहे अभिनंदन भवन हो सब एक से बढ़कर एक शानदार हैं। हमने तो हमेशा अभिनंदन किया है। ‘अतिथि देवो भव’ कहा है। हमने अतिथियों को भी भगवान के रूप में मानाहैऔर फिर अभिनंदन की हमारी परंपरा रही है, हमारे संस्कार रहे हैं। मुझे ख़ुशी है कि 95 करोड़ की लागत से निर्मित यह भव्य अभिनन्दन भवन जिसमें बहुत अच्छे मनों का सृजन होगा जो दुनिया में अपनी छाप छोड़ेंगे। मुझे यह भी अच्छा लगा कि आपने तक्षशिला को याद किया और तक्षशिला व्याख्यान कक्षों के साथ ही शैक्षणिक उष्यामान केन्द्र सहित जितने भी भवनों का आपने यहां पर आज जो उद्घाटन किया है, उसके लिएमैं आपको बहुत बधाई देना चाहता हूं और उससे जुड़े फैकल्टी सदस्यों तथा छात्रों को भी बहुत सारी शुभकामना देना चाहता हूं, यह बहुत अच्छा अवसर है।इस अवसर पर आपने केन्द्रीय विद्यालय जो कि देश की स्कूली शिक्षा का आभूषण है औरकेन्द्रीय विद्यालय के जो मेरे छोटे-छोटे छात्र-छात्राएं हैं वे जिस तरीके से अपना प्रस्तुतीकरण करते हैं, वह अपने आप में अद्भूत हैं। आपने आज केन्द्रीय विद्यालय भवन का भी उद्घाटन कराया है यह भविष्य की महत्वपूर्ण आधारशिला है।इसलिए मेरे विद्यार्थियों में सोचता हूँ कि आज आप यहाँ से दीक्षांत समारोहों से जायेंगे तो पूरा मैदान आपके लिए खाली है,पूरी दुनिया आपको निहार रही है और पूरी ताकत के साथ आपको दौड़ने का पूरा मौका है। मैं समझता हूँ कि आपको प्रौद्योगिकी के साथ-साथबहुआयामी क्षेत्रों में जैसेमानविकी तथा सांस्कृतिक एवं सामाजिक जीवन से जुड़े विषयों को भी साथ लेकर काम करनाहै और मुझे इस बात की खुशी है कि आईआईटीइन्दौर ने खगोल विज्ञान में एमएससी प्रोग्राम प्रारम्भ किया है और मुझे लगता यह भारत का यहपहला ऐसा आईआईटी रहा है जिसने खगोल विज्ञान में एमएससी प्रोग्राम प्रारंभ किया है और उसमेंअपेक्षित सफलता मिल रही है।मेरे प्रिय विद्यार्थियों,खगोल प्राचीन भारत की ऐसीविद्या है जिसके बारे में हमें अतीत से शोध करके उसको नवाचार के रूप में बहुत तेजी से अब आगे बढ़ाना है।आप भले ही आज दीक्षांत समारोह से डिग्री ले करके जा रहे हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि आप अपनेअनुभवों को बाँटने के लिए तथानए सृजन के लिए जा रहे हैं। जो नयी शिक्षा नीति हम लेकर आये हैं यह भी आपके भविष्य कोसंवारने लिए है। अब विद्यार्थी किसी भी विषय के साथ कोई भी दूसरा विषय चुनने के लिए स्वतंत्र है तथा परिस्थितिवश यदि विद्यार्थी ने अपना पाठ्यक्रम बीच में छोड़ दिया है तो आपका क्रेडिट बैंक सुरक्षित रहेगा और जब भी दो साल बाद अथवा एक साल बाद फिर लौट कर के आना चाहेंगे वहीं से आप आगे शुरू कर सकते हैं। यदि आप किसी भी डिग्री कोर्स को दो साल में परिस्थितिवशछोड़करके जा रहे हैं तो दो साल उसके खराब नहीं होंगे बल्कि पहले साल में उसको सर्टिफिकेट मिल जाएगा और दूसरा साल है तो उसको डिप्लोमा मिलेगा और तीसरे साल में वो छोड़ के जा रहे हैं तो डिग्री मिलेगी। लेकिन यदि बीच में ही वो आना चाहता है तो जहां उसने छोड़ा है वो वहीं से शुरू कर सकता है ऐसी नयी शिक्षा नीति में हम व्यवस्था लेकर आये हैं और इसलिए आपके पास तो बहुत अच्छा अवसरहै। मैं यह भी कहना चाहता हूं कि वो चाहे इंजीनियरिंग का क्षेत्र हो, चाहे मैनेजमेंट का क्षेत्र हो, चाहे रसायन विज्ञान का हो,भौतिक विज्ञान का हो, खगोल शास्त्र का हो, सभी क्षेत्र में चाहे वैज्ञानिक भास्कराचार्य को देखेंगे वो इस धरती पर पैदा हुआ आज विश्व का फलक पर मेरे वैज्ञानिकों को इसे शोध और अनुसंधान करके आगे ले जाने की जरूरत है। हमारा शल्य चिकित्सा का जनक सुश्रुतइसी धरती पर पैदा हुआ है औरपूरी दुनिया आज उनसे सीख रही है। आयुर्वेद के महान् ज्ञाता चरक, महानगणितज्ञ आर्यभट्ट सहित चाहेबौधायन हों,चाहेनागार्जुन हों किस किस का मैं नाम लूं पूरी ऐसी श्रृंखला मौजूद है जिन्होंने हमारे लिए एक बहुतबड़ी थाती कोसौंपा है। हम उसको नए अनुसंधान के साथ हम आगे कहां तक बढ़ा सकते हैं यह हमारे सामने चुनौती है और आपने उस चुनौती को स्वीकार किया है मैं देख रहा था कि जब पूरी दुनिया कोरोनाके संकट से होकर करके गुजरी और मेरा भी देश उससे अछूता नहीं रहातब मेरे देश के प्रधानमंत्रीजी ने कहा था नौजवानों तुम क्या कर सकते हो? मुझे गौरव महसूस होता है कि ऐसे वक्त पर ऐसे वक्त पर मेरे आईआईटी के नौजवानों ने जब लोग अपने घरों में बैठे रहे होंगे तब प्रयोगशालाओंमें जा करके एक से एक नये अनुसन्धान आपने किए।चाहेमास्क हो,वेंटिलेटर हो,ड्रोन हो, टेस्टिंग किटहो,आपने पच्चीसों परियोजनाओं पर एक साथ काम किया। मैं इसके लिए भीआपको बहुत बधाई देना चाहता हूं। जब चुनौती का मुकाबला होता है तो वह चुनौती अवसरों में तब्दील हो जाती है और आपने चुनौतियों का मुकाबला किया हैऔर मुझे भरोसा है किजब आपबाहर जा रहे हैंतोआप किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं रह सकते औरआप तो प्रगति के शिखर को चुमेंगें क्योंकि आखिर आपके आचार्यों ने, आपके गुरुजनों ने, आपकी फैकल्टी ने आपको एक योद्धा की तरह बनाया है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि अकैडमिक और इन्डस्ट्रीज के बीच भी आपने गैप को कम करते हुए पेटेंट फाइल किए हैं और 175 से भी अधिक आपने रिसर्च पेपरबड़े स्तर पर प्रकाशित किए हैं। मैं फैकल्टी से भी अनुरोध करूंगा। अभी इस दिशा में बहुत तेजी से हमें कार्य करने की जरूरत है।जब मैं क्यूएसरैंकिंग और टाईम्स रैंकिंग काअध्ययनकरता हूं तो हमारे यहां थोड़ी-सी कमी है। अभी हमें शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में ताकत के साथ तेजी से दौड़ने की जरूरत है, पेटेंट करने की जरूरत है, नई शिक्षा नीति के माध्यम से हम अब ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’की स्थापना कर रहे हैं जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री जी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार होंगे और हम शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में भीबहुत तेजी से आगे बढ़ेंगे।हमारेदेश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने बड़ी कठिन परिस्थितियोंमें ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया। बाद में आदरणीयअटलबिहारी बाजपेयी जी ने ‘जय विज्ञान’ का नारा दिया तो आज जरूरत है नये अनुसंधानकी और इसलिए हम नये अनुसंधान और नवाचार के साथ विश्व के फलक पर जाएंगे। जहां हम‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ का गठन कर रहे हैं वहीं हम तकनीक और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ का गठन कर रहे हैं ताकि अंतिम छोर तक भी उसका उपयोग किया जा सके और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और तकनीकी के उपयोग में समर्थ हो सकें। हम ‘स्पार्क’ के तहत दुनिया के 28 देशों के 127 शीर्ष विश्वविद्यालयों के साथ शोध और अनुसंधान कर रहे हैं साथ ही अभी हम लोग स्ट्राइडस और स्टार्स इन दोनों के माध्यम से भी अनुसंधान के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं लेकिन यह अभी नया मैदान खोला है। मेरा भरोसा है कि आप अनुसंधान की दिशा में आगे आएंगे। जो छात्र आज डिग्री लेकर के जा रहे हैं अथवापीएच.डी लेकर जा रहे हैं उन्हें भी नित नए अनुसंधानों के साथ और आगे बढ़ने की जरूरत है,मैं देख रहा था कि25 स्टार्टअप आपनेसूचीबद्ध किए हैं। पीछे के समय मैंने समीक्षा की थी तो उद्योग और मेरे आईआईटी के बीच में थोड़ा सा मुझे अंतर नजर आता था कि उद्योग कुछ और चाहता है तथामेरे आईआईटीकुछऔर पढा रहे हैं, अब हमने समन्वय किया है। अबआईआईटी और उद्योग दोनों मिलकर के काम करेंगे। उद्योगों को क्या जरूरत हैवो विषय-वस्तु हमारे पाठ्यक्रम में आएगी और मेरा जो छात्र है वहफिफ्टी परसेंट तक उद्योगों में जुड करके अपना काम करेगा और अपने अनुसंधान तथा अनुभव से उद्योगों को भी ऊंचा उठाएगा।मेरे छात्र-छात्राओं में यह कहना चाहता हूं कि किसी भी संस्थान की जो ताकत है उसकी क्षमता का यदि पता लगाना है तो भवनदीवारों से नहीं बल्कि संस्थान द्वारा जो चुनौतीपूर्ण समय में किए गए काम होते हैं उनकाआकलन करके उसकी क्षमता का पता चलता है। इस संस्थान से निकलने वाला छात्र देश और दुनिया में कहां पर है वेक्या रास्ता अपना रहे हें, मेरे राष्ट्र को क्या दे रहे हैं,उस संस्थान की क्षमता का उससे पता चलता है और मुझे खुशी है कि आपने इन चुनौती भरे क्षणों में एक योद्धा की तरह मेरे अध्यापकों ने और छात्रों ने भूमिका निभाई है। मुझे भरोसा होता है क्योंकि जो चीज हमारे देश में भी नहीं थी उस परहमारे आईआईटी केशोध और अनुसंधान के बल पर हमने न केवल अपने देश को बल्कि दुनिया के देशों को भी उन चीजों को सप्लाई किया है। इसलिए मुझे खुशी है कि आपने चाहे वो आपने मास्कबनाए हों, चाहे किट बनाए हों,चाहेदुनिया के देशों के का जो अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क नार्वे, स्वीडन,फ्रांस, डेनमार्क सहित छठवें रिसर्च ग्रुप के रूप में जुड़कर आप देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं इस बात की भी मुझे खुशी है।मैं आपको बधाई देना चाहता हूँ कि आपने संस्थान सामाजिक जिम्मेदारियों का भी बहुत श्रेष्ठतापूर्वक निर्वहन किया हैमेरेभारत की जो भाषाएँ हैं उनकी सर्वांगीण उन्नति एवं विकास के लिए आपने भारतीय ज्ञान परंपरा और जो प्राचीन भाषाओं के केन्द्र की स्थापना करके अत्यन्त सराहनीय कार्य किया है,कृषि,जल संसाधन प्रबंधन, धातु विज्ञान औषधि और अर्थव्यवस्था आदि क्षेत्रों में भी आपने महत्वपूर्ण किया है। हमारे देश के प्रधानमंत्री ने कहा है 2024 में हमको 5 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिकी पर जाना है और जो इक्कीसवीं सदी का आत्मनिर्भर भारत होगा, वह स्वर्णिम भारत होगा जो स्वच्छ भारत होगा, सशक्त भारत होगा,समृद्ध भारत होगा। उस भारत के लिए हम रात-दिन खपने के लिए जिस तरीके से मैदान में उतरे हुए हैं उसके लिए मैं आपको बहुत सारी शुभकामना देना चाहता हूं।मैं देख रहा हूँ कि आपने उन्नत भारत अभियान के तहत भी बहुत सारे काम किये हैं।यह बहुत जरूरी भी है क्योंकि यह समाज हमारा है, पूरी की पूरी धरती मेरी मां है और हम इसके पुत्र हैं तो फिर तो पूरा देश हमारा अपना होता है तो क्यों न हम आगे आकर के जो गांव हमारे इर्द गिर्द हैं उनका भी यदि आईआईटीइंदौर विकास करें तो वे भी बहुत शिखर पर पहुंचेंगे।इसलिए जरुरी है कि उस संस्थानके माध्यम से इसके इर्द-गिर्द रहने वाले लोगों को भी उसकी छाया उन गाँव में दिखनी चाहिए।मुझे खुशी है कि अपने 5 गांव गोद लिये हैं और इन पांचों गांवों में आपके द्वारा किये गये कार्य का मैंने विश्लेषण किया है और यह पाया है कि आप काम कर रहे हैं और मुझे भरोसा है कि इस काम को आप और तेजी से काम करेंगे। मैं देख रहा था आपने रक्त दान किया है, आप स्वच्छता अभियान चलाते हैं। पीछे के समय में हमने कहाथा ‘एक छात्र एक पेड़’ उस वृक्षारोपण के अभियान को भी आपने बहुततेजी से बढ़ाया है।गरीब छात्रों के लिए पाठ पढ़ाने का जो सिस्टम आपने किया वह बहुत अच्छाहै।मैं सोचता हूं कि मेरे देश के अन्दर 30 करोड़ लोग निरक्षर क्यों हैंअब हरछात्र यदि अपने इर्द-गिर्द किसी को भी तय करे कि वह दो लोगों को, चार लोगों को अथवा पांच लोगों को पढ़ाएगा तथासाक्षर भी करेगा और उन्हेंअपनी तरह बनाएगा।आईआईटी में आने वाला मेरा हर छात्र मॉडलहोता है। उसको देखकर के भी प्रेरणा मिलती है, वो क्या सोचता है, उसके आँखों में कितना बड़ा सपना है। हमारे कलाम साहब कहते थे कि सपने जो सोने न दें। ऐसा सपना आँखों में होना चाहिए जो तुमको एक मिनट चैन से न बैठने दे। जब तक ऐसेसपनोंको आप क्रियान्वित नहींकर देते हैं। जब भी आईआईटी से निकलने वाले छात्र बाहर जाता है तो उसकी अलग पहचान होती है। उसकी गंभीरता होती है, उसकी तात्कालिकता होती है,उसकी प्रखरता होती हैं। उसमें आप हर दृष्टि से अद्भुत क्षमता होती है, उसमें जिज्ञासा होती है,जिजीविषा होती है, वो किसी भी चीज़ कोकर सकने का सामर्थ्य रखने के लिए योद्धा की तरह खड़ा होता है। मुझे भरोसा हैकि आज आप बाहर निकल रहे हैं तो आप इस आईआईटी का नाम देश में नहीं पूरी दुनिया में आगे बढ़ाएंगे। मुझे भरोसा है और इसके लिएमैं इस संस्थान को बधाई देता हूं कि यह तमाम गतिविधियों में भाग ले रहा है तथा यह ये सर्वांगीण विकास बहुत जरूरी है। किसी एक क्षेत्र में एक व्यक्ति अथवा संस्था बहुत आगे है लेकिन दूसरे क्षेत्र में आगे नहीं है तो यह आज की परिस्थितियों में नहीं चलेगा। आज की परिस्थितियां बिल्कुल भिन्न हो गई हैं आज की परिस्थितियों में व्यावहारिक होना भी जरूरी है तथा सामाजिक होना भी।यहलोकतांत्रिक देश है और वोभीऐसादेश जो विश्व बंधुत्व की बात करता है, जो पूरी वसुधा को अपना कुटुंब मानता है, उसके लिए हर प्रकार की लीडरशिप एवं प्रखरता चाहिए।अभीहमारी नई शिक्षा नीति आई है।नई शिक्षा नीति नए फलक के साथ आई है और यह अब राष्ट्रीय नहीं अंतरराष्ट्रीय फलक पर आई है। अभी निदेशकजिस बात पर चर्चा कर रहे थे कि यह नेशनल भी होगी, यह इंटरनेशल भी होगी,यह इम्पैक्टफुल भी होगी तो यहइंटरएक्टिव एवंइन्क्लुसिवभी होगी। यह इक्विटी,क्वालिटीऔर एक्सेसके आधारशिला पर खड़ी होगी तथायह हर क्षेत्र में आगे बढ़ेगी।इसमें कंटेंट भी होगा और हम इसकापेटेन्ट भीकरेंगे। इसके तहत नेशनल फर्स्ट औरकेरेक्टर मस्ट यह रास्ता होगा क्योंकि हम चाहेंगे कि यह देश की आधारशिला है।जिस परिवार का, जिस व्यक्ति का, जिस राष्ट्र का अपना चरित्र नहीं होता वो बहुत दिनों तक खड़ा नहीं रहता क्योंकि उसकीअपनी जमीन नहीं होती है।वह तो टूटी हुई पतंग की तरह रहता है जिसकी अपनी जमीन या धरती नहीं है तो उस कटी हुई पतंग की तरह होता है जो आसमान में उड़ तो रही होती है लेकिन उसको भी पता नहीं होता है कि वो किस गर्त में गिरेगी। आपने देखा होगा कि कोई ठूंठ सा खड़ा पेड़ खड़ा रहता है जिसमें ना पत्ते, न फूल, नाफल लेकिन लंबा बहुत होता है और वो एक छोटे से हवा का झोंका आता है और उसको बहा ले जाता है, उठा ले जाता है लेकिन एक छोटा सा ही सही छोटा पेड़ होता है लेकिन उसकी जड़ें गहरी होती हैं तो उसमें पत्ते भी आते हैं और छोटी-मोटी आंधी और तूफान उसको कभी भी उखाड़कर नहीं ले जा पाते हैं।इसीलिए हम नई शिक्षा नीति को भारत केन्द्रित लायेहैं।भारत की अपनी पूरी विश्व में पहचान है। हमारी जड़ें कमजोर नहीं हैं।यहअलग बात है जब लार्ड मैकाले ने हमारी जड़हमसे दूर की है और इतने सैकड़ों वर्षों की गुलामी के थपेड़ों ने हमको ऐसी स्थिति में लाकर के खड़ा किया हैकिहम जब अपनी प्राचीन बात को कहते हैं तो लोगों की हंसी उड़ाने की कोशिश होती है।हमकों साबित करना हैइसी बात को कि मेरा जो देश था वो विश्वगुरु था। हमारे पास ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान की कमी नहीं थी। हमारे उन वैज्ञानिकों ने पूरे विश्व का मार्गदर्शन किया और आज फिर यह देश स्वाधीन हुआ है। श्रीनरेन्द्र मोदी जीजैसा देश का प्रधानमंत्री जो विजनरी और मिशनरी भी है वेदेश के लिए अपना एक तिल-तिल खपा करके आगे बढ़ रहे हैं।वेइस देश को 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत बनाना चाहते हैं जो सारे विश्व के फलक पर उसको शिखर तक पहुंचाए। इसीलिए हमारे पास भी मैदान है, हमारे पास भी विजन है, हमारे पास भीसमय है और पूरी दुनिया हमारी ओर निहार रही है। हम टैलेंट की पहचान भी करेंगे, टैलेंट का विकास भी करेंगे और टैलेंट का विस्तार भी करेंगे। हम तीनों चीजों को करेंगे और इसलिए केवलटैलेंट की खोजे हीनहीं करेंगे बल्कि उसका विकास भीकरेंगे और उसका विस्तार भी करेंगे। इस दिशा में हम लोग आर्टिफिशल इंटेलिजेंस जोस्कूली शिक्षा से लायें हैं हम शायद दुनिया का पहला देश होंगे जो स्कूली शिक्षा से आर्टिफिशल इंटेलिजेंस पढ़ायेंगे और हमने अभी स्कूली शिक्षा से ही वोकेशनल स्ट्रीम के साथ शुरू किया है। अब मूल्यांकन का भी आधार हमने परिवर्तित किया है और अब हमारे स्कूल में भी 360 डिग्री हॉलिस्टिकमूल्यांकन होगा। छात्र अपना स्वयं मूल्यांकन करेगा, अध्यापक भी मूल्यांकन करेगा, उसका साथी भी उसका मूल्यांकन करेगा और उसका अभिभावक भी करेगा और उसको हम अब रिपोर्ट कार्ड नहीं देंगे बल्किहमउसको प्रोग्रेस कार्ड देंगे और इसलिए आमूल चूल परिवर्तन के साथ ही नयी शिक्षा नीति आई है जिसका पूरे देश ने बहुत स्वागत किया है।दुनिया के तमाम देशों ने भी कहा है कि हम भी चाहते हैं कि इसएनईपी को हम अपने देश में लागू करें तो इसीलिए मैं समझता हूं कि इसएजुकेशन पॉलिसी के माध्यम से निश्चित रूप से हम रिफॉर्म भी करेंगे, ट्रांसफॉर्म भी करेंगे और परफॉर्म भी करेंगे।इस इच्छाशक्ति के साथ हमको तेजी से काम करना है और अंतर्राष्ट्रीयकरण कीजहां तक बात है तो आप सबको मालूम है कि हमारा ‘स्टडी इन इंडिया’ अभियान एक ब्रांडबनेगा। जब पूरी दुनिया के लोग अब भारत की धरती पर पढ़ने के लिए आ रहे हैं तथाबहुत तेजी से आ रहे हैं। अभी तो 50 हजार विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन हो गया था लेकिन इस कोविडकी महामारी के कारण थोड़ा रुका। लेकिन हम‘स्टे इन इंडिया’ भी चाहते हैं क्योंकि मेरे देश का छात्र आज दुनिया में जा रहा है तथासात से आठ लाख छात्र आजविदेशों में हैं।मेरे देश का डेढ लाख करोड़ रुपया बाहर चला जाता है।मेरी प्रतिभा भी बाहर चली जाती है और मेरा पैसा भी बाहरचला जाता है और जोप्रतिभाहोतीहै फिर उसको वहां मौका मिलता वहउस देश की प्रगति में रहता है। दुनिया की बड़ी से बड़ी कंपनियों में भी मेरे आईआईटी के छात्र जा रहे हैं।चाहे गूगल हो और चाहेमाइक्रोसॉफ्ट हो,उसका सीईओ हमारे ही संस्थानों से निकले हुए विद्यार्थी हैं आपके छात्र अभी बहुत तेजी से आगे बढ रहे हैं तो हम अपने देश को पहले मजबूत करेंगे।हमारे मन में पैकेज के स्थान पर पेटेंट की बात होनी चाहिए।हमशोध तथाअनुसंधान करेंगे। हम इन चुनौतियों का मुकाबला करेंगे। हम अपने देश को पूरे विश्व में शिखर पर ले जाने की इस पवित्र मंशा से आगे बढ़ेंगे। मुझे भरोसा है और जब-जब मेरे युवाओं से बात होती है तो मुझे आशा भरी बातें सुनाई देती हैं। हमने इसीलिए इस समय ‘स्टे इन इण्डिया’कहा है छात्रों को बाहर जाने की कोई जरूरत नहीं है। जब इस देश में अच्छे संस्थान हैंतो विदेशों में जाने की जरूरत क्या है। और अब तो इस नयी शिक्षा नीति के तहत हम दुनिया के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों कोभी यहां आमंत्रित कर रहे हैंऔर जो हमारे भीशीर्ष विश्वविद्यालय अथवासंस्थान हैंवेभी दुनिया में जाएंगे। हम पारस्परिक आदान प्रदान करेंगे। अभी भी जैसे मैंने कहा कि हम ‘स्पार्क’के तहत दुनिया के अट्ठाईस देशों के श्रेष्ठ127 विश्वविद्यालयों के साथ आज भी हम लगातार अनुसंधान कर रहे हैं और हमारी प्रतिभा की कमी नहीं है।यह अलग बात है कि हमने शोध और अनुसंधान में ज्यादा ध्यान नहीं दिया है। लेकिन अब तो हम लोग उस पर पूरा ध्यान दे रहे हैं। नई शिक्षा नीति के तहत जो नेशनल रिसर्च फाउंडेशन है और जो नेशनल टेक्नोलॉजी फोरम है इन दोनों के माध्यम से बहुत अच्छावातावरण बनेगा। एक और दो वर्ष में पूरा परिवर्तनहोगा और इसमें मुझे भरोसा है कि आप लोग आगे बढ़ेंगे और तेजी से आगे जाएंगे।आप यहां से जो शिक्षा ग्रहण करके जा रहे हैं जो आपने इतने वर्षों में पाया है उसको ब्राण्ड के रूप में आप समाज के बीच खड़े हो करके कह सकेंगे, चल सकेंगे, बढ सकेंगे, ऐसा मेरा भरोसा है।वैसेभी हमारे जितने भी आईआईटी हैं और जो हमारे पूर्व छात्र हैं वे हमारे देश के ब्राण्ड एम्बेसडर होते हैं। आप चाहे देश के अंदर हों अथवा चाहे कहीं भी दुनिया के अंदर हों हमको एक टीम इंडिया की तरह काम करके अपने देश के लिए काम करना है, मिलकर के काम करना है। इसीलिए भारत को ज्ञान की महाशक्ति बनाने की दिशा में हम लोगों ने एक अभियान लिया है, संकल्प लिया है और यहं संकल्प तथाअभियान आपसे होकर गुजरता है।मुझे पूरा भरोसा है कि आप आगे बढ़ेंगे और आपके माध्यम से जो स्वर्णिम भारत है उसको भी बढाएंगे और बड़े मन के साथ तथा बड़े उद्देश्य के साथ और बड़ी मेहनत के साथ तथा बड़े धैर्य के साथ आप इसको करेंगें अटल जी बोलते थेछोटे मन वाला कभी बड़ा नहीं हो सकता तथाटूटे तनवाला कभी खड़ा नहीं हो सकता। जिसका मन ही टूटा है वह है दूर तक नहीं सोच सकता, दूर तक नहीं चल सकता तथा न ही दूर तक अपने को ले जाने इच्छाशक्ति रख सकता है।जिस व्यक्ति की छोटी सोच होगी वो बड़ा कहां से हो सकता है, जो छोटा संघर्ष करेगा वो बड़ी चीज कहां से पा सकता है। जिसमें धैर्य नहीं होगा वो कहां से सफल हो सकता है तो इसलिए बड़े बनने के लिए बड़ा संघर्ष चाहिए,बड़ा धैर्य चाहिए, बड़ा विजन चाहिए। मुझे भरोस हैजब मेरेछात्र-छात्राएं निकलते हैं तो जुनून के साथ निकलते हैं, उनमें मेहनत की कमी नहीं, उसको तब्दील करने के मिशन की कमी नहीं है। हमारे अध्यक्ष जी ने एक रचना सुनाई और बीच में उनका संदर्भ भी आया हमारे कलाम साहब का। जब मेरे अब्दुल कलाम साहब एक पेपर बेचने वाला एक बच्चा, एक छात्र, एक युवा यदि दुनिया का सबसे बड़ा वैज्ञानिक हो सकता है,यदि वो भारत रत्न हो सकता है,भारत का नंबर एक नागरिक हो सकताहै तो हमक्योंनहीं हो सकते?उन्होंने मुझे एक पुस्तक के संकलन के लिए प्रेरित किया था और उन्होंने कहा था कि मेरी देशभक्ति की रचनाएं जो 1983से आकाशवाणी तथा दूरदर्शन परप्रसारित होते थे उन सब गीतों को मैं एक जगह एकत्रित करूँ।उसका जब लोकार्पण किया तो मैं उस छोटी सी कविता सुनाना चाहता हूं जिसको गा करके कलाम साहब की आँखों से आँसू छलक आये थे। उस देशभक्ति का ज्वार मैंने तब महसूस किया था। कलाम जी सामान्य व्यक्ति नहीं थे वेइतने ही भावुकतथाइतने ही संवेदनशील व्यक्ति थे। इसी से पता लगता है कि देश के प्रति किस सीमा तक कि उनकी देशभक्ति रही होगी वह कविताउन्होंने अपने कमरे में लगाई थी और जब मेरा हाथ पकड़ कर के टहलने लगे तथा उस कविता को गुनगुनाते क्योंकि उन्हें हिन्दी कम बोलना आता था तथा फिर टूटी-फूटी हिन्दी में कहा- ‘‘अभी भी है जंग जारी, वेदना सोई नहीं है अभी भी है जंग जारी वेदना सोई नहीं है। मनुजता होगी धरा पर संवेदना खोई नहीं है।’’ और उसके आगे फिर रुके बोले नहींअभी और सुनो ‘‘कियाहै बलिदान जीवन, निर्बलता ढोई नहीं है। कह रहा हूँ ये वतन, तुझसे बड़ा कोई नहीं है तुझसे बड़ा कोई नहीं है।’’ और यह कह रहा हूँ किऐवतन तूझसे बड़ा कोई नही है, कहते-कहते उनकी आंखों से आंसू टपकते हुए मैंने देखे थे। मैं इस बात को मेरे नौजवानों आपसे इसलिए बाँटना चाहता हूंकिडॉ. कलाम साहब का सामान्य व्यक्तितत्व नहीं रहा है देश भक्ति ने उसको भारत-रत्न बना दिया, देशभक्ति ने उनको महानवैज्ञानिक बना दिया।देशभक्ति ने उनको राष्ट्पति बनाया। एक सामान्य लड़का उठकर के भारत का राष्टपति बन जाये यह उस देशभक्ति का ज्वार है,यह उस देशभक्ति का सागर है जो उनके मन मस्तिष्क में उमड़ता रहा था। हम भी तो उसश्रृंखला में आ सकते हैं। मुझे भरोसा है कि आज ऐसे क्षण में आपमैदान में जा रहे हैं जबदेश करवट ले रहा है। अब इस देश को विश्वगुरू भी बनाएंगे और इस देश को सोने की चिड़िया भी बनाएंगे, इस देश को ऐसा मजबूत बनाएंगे।हम जब संकल्प लेंगे तो क्यों नहीं देश मेरा मजबूत होगा और पूरी दुनिया के शिखर पर होगा।
एक बार फिर मैं आपके अध्यापकगण को भी,आईआईटीके निदेशक को भी, आदरणीय बीओजी के चेयरमैन साहब को, पाठक साहब को भी, अभिभावकों को भी तथा अपने छात्र-छात्राओं को भी मैं ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं देना चाहता हूं और सप्तऋषि बोस जिसने प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया गोल्ड मैडल लिया है, मैं आपको और आपके परिवार को भी ढेर सारी बधाई देना चाहता हूं।इंस्टीट्यूटसिल्वर मेडल आरुषि ने लिया है। मैंउनके पूरे परिवार को, इनकी फैकल्टी को इन सबकोभीबधाई देता हूं और इधर जो एम.टेक, एम.सी.ए. और एम.एस. में मनीष जी हैं, आँचल हैं और जड़ी-बूटी फाउंडेशन गोल्ड मैडल में सृजा हैं और वेस्ट प्रोजेक्ट में मेहता, चेतन तथा मुकेश हैं। इन सब को भी मैं बहुत बधाई देना चाहता हूं, मेरी शुभकामना कि आपने कुछअलग पहचान बनाने की कोशिश की है आप अपने जीवन में प्रगति के शिखर को चूमें।मैं एक बार फिर आप सबको इस अवसर पर बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- श्री संजय शामराव धोत्रे, माननीय शिक्षा राज्य मंत्री, भारत सरकार
- प्रो. निलेश कुमार जैन, कार्यवाहक निदेशक, आईआईटी इंदौर
- श्री राकेश रंजन, अपर सचिव, उच्चतर शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
- प्रो. दीपक भास्कर पाठक, अध्यक्ष, आईआईटी परिषद्, इंदौर
- डॉ. देवेन्द्र देशमुख, डीन शैक्षणिक, आईआईटी इंदौर