10वां सीआईआई एजुकेशन समिट

10वां सीआईआई एजुकेशन समिट

 

दिनांक: 11 दिसम्‍बर, 2020

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

10वें सीआईआई सम्‍मेलन में उपस्‍थित सभी भाइयो और बहनों का मैं अभिनन्‍दन कर रहा हूं और मुझे प्रसन्‍नता है कि जैसा कि डॉ. चंद्रजीत बनर्जी ने कहा है कि इस आयोजन में 900 से भी अधिक लोग विभिन्‍न क्षेत्रों के विशेषकर शैक्षणिक संस्‍थानों के लोग आज जुड़े हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि एक लंबी यात्रा सीआईआई ने की है। यह संस्‍थान 125 वर्षोंकीयात्रा के बाद भी थका नहीं है और अपनी उन सभी चीजों को नये परिवेश में नये सिरे से एक दिन एक नये अभियान के साथ आगे बढ़ा रहा है। इस अवसर पर सीआईआई शिक्षा परिषद् के अध्‍यक्ष डॉ. बी.वी.आर. मोहन रेड्डी जी, हमारे एआईसीटीई के अध्‍यक्ष डॉ. अनिल सहस्‍त्रबुद्धे जी, डॉ. राम गोपाल राव जी, निदेशक आईआईटी दिल्‍ली, राधिका भरत जी मुझे याद है कि पीछे के समय में हम लोग शिक्षा संवाद में मिले थे जिसमें राधिका जी ने भी बहुत सक्रिय तरीके से भाग लिया था। हमारी नई शिक्षा नीति को बनाने में अत्‍यन्‍त महत्‍वपूर्ण योगदान करने वाले डॉ. पंकज मित्‍तल, महासचिव, भारतीय विश्‍वविद्यालय संगठन, डॉ. चंद्रजीत बनर्जी, महानिदेशक, सीआईआई और सभी उपस्‍थित भाइयों ओर बहनों। मैं समझता हूं कि आज जिस विषय को लेकर के आपने आगे बढ़ाया है वह अत्‍यन्‍त ही महत्‍वपूर्ण है आपने इस समय कहा है कि एक नई दुनिया के लिए नये भारत के निर्माण की जरूरत है। आपने कहा कि उसका रास्‍ता शिक्षा से ही होकर गुजर सकता है। शिक्षा और उद्योग के बीच वह कौन सी कड़ी हो सकती है कि दोनों परस्‍पर मिल करके ऐसे विश्‍व के लिए जो भारत की नजर में एक परिवार हो,एक कुटुम्‍ब हो, विश्‍व का विकसित परिवार हो, जो सभी चीजों से युक्‍त हो, ऐसा परिवार बनाने के लिए नये भारत की जरूरत है। जिस बात को हम हमेशा ही बोलते हैं कियदि विश्व की प्रगति,शांति पूरे विश्व के लिए हिंदुस्तान से होकर गुजरती है तो यदि यहकहते हैं हमतो यहअतिश्योक्ति नहीं है। यह केवल भाषण के शब्द नहीं हो सकते हैं, इतिहास इस बात का गवाह है कि हिंदुस्तान ही विश्व की ओर समृद्धि,शांति और प्रगति का एक बहुत बड़ा आधार है। प्रगति केवल  आर्थिक प्रगति नहीं होती, मात्र कुछसुविधाओं को जुटाना प्रगति नहीं हो सकती, संसाधनों को जुटाना ही मात्र प्रगति नहीं हो सकती। सर्वांगीण प्रगति चाहिए और इसीलिए हमारी धारणा, हमारी भावना विश्व के परिवारके बारे में बिल्कुल अलग रही है। हम विश्व को अपना परिवार मानते हैं इसलिएयहहिन्दुस्तान विश्वगुरू कहलाया गया और इसने जिस तरीके से काम किया पूरी दुनिया के लिए, मानवता के लिए , चाहे वह मनुष्य कहीं काभी क्यों नहीं हैचाहेवो किसी भी जाति, पंथ, संप्रदाय का क्यों नहीं है। जिस भारत के बारे में मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हम को 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत चाहिए ऐसा भारत जो स्‍वस्‍थ भारत हो, जो स्‍वच्‍छ भारत हो, जो श्रेष्‍ठ भारत हो, जो आत्‍मनिर्भर भारत हो और जो एक भारत हो, इन सबके बाद में आती है श्रेष्ठता। उसके अंदर बहुत कुछ समाया हुआ है,यहपांच-सात चीजें सामने बोली वो तो हैं ही लेकिन पूरी दुनिया उस श्रेष्ठता के अंदर समाई हुई है जिसमें आपकाविजन भी, आपका मिशन भी, आपका चरित्र भी है, आपका व्यवहार भी है, आचार भी है, आपकी तमाम तरीके की बहुआयामी वो गतिविधियां भीहोती हैं जिससे एक अच्छा नागरिक बन सकता है।इन गुणों की बदौलत वह व्‍यक्‍ति विश्व के लिए एक विश्व मानव बन सकता है और इसलिए जब आपने नई शिक्षा नीति के बारे में बोला जब हम पिछली बार आपके साथ जुड़े थे और हमने यह कहा था किहम एकऐसीशिक्षा नीति ला रहे हैं जो विश्व के फलक पर होगी। यह बात बीच-बीच में कही जाती रही है कि हिंदुस्तान से इसलिए लोग बाहर जा रहे हैं पढ़ने के लिए कि हिंदुस्तान की जो शिक्षा नीति है वो इंटरनेशनल है ही नहीं, ऐसा भी नहीं था। यदि मेरे देश के यह आईआईटी डॉ.राम गोपाल बैठे हैंआपके साथ यह आईआईटी केडायरेक्टर हैं जब मैं उनसे पूछता हूं कि आप बताओ क्या आपके आईआईटी के बच्चे आज कहां-कहां है?यहबताते हैंपूरी दुनिया में छाए हुए और पूरी दुनिया कोलीडरशिप दे रहे हैं। हमारे संस्‍थानों से निकले छात्र आज दुनिया की बड़ी से बड़ी कम्‍पनियों एवं प्रतिष्‍ठित संस्‍थानों को लीड कर रहे हैं तो फिर कैसे कह सकते हैं कि हमारी शिक्षा इंटरनेशनल स्‍तर की नहीं है और फिर यदि आपके किसी के मन में शंका भी थी तो इस नई शिक्षा नीति नेबड़े व्यापक परिवर्तन के साथ, तमाम सुधारों के साथ उन शंकाओं को दूर कर दिया है। अब यह दुनिया का सबसे बड़ा रिफॉर्म होगा। नई शिक्षा नीति दुनिया केसबसे बड़े विमर्श से निकली हुईनई शिक्षा नीति है। यदि देखा जाए तो जो आप लोगों की चिंता है क्योंकि आप उद्योग जगत से जुड़े हुए हैं और यह देश 130 करोड़ लोगों का देश है। इस देश में बाहर से क्या आरहाहैएक बार उसके बारे में विचार कर लीजिए। इस देश में किस चीज की जरूरत है,उसके बारे में विचार कर लीजिए। इसदेश में जो हमारी प्रतिभा हैं और जो आपका हुनर है उसको तकनीकी के साथ जोड़कर के उद्योगों में क्या परिवर्तन करना था, उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उस गैप को खत्म करने की ज़रूरत थी और इसलिए इस नई शिक्षा नीतिको हम नए कलेवर के साथ लाएं हैं जो भारतीयता के आधार पर खड़ी होगी। जब मैंभारत कहता हूं तो यह सामान्य भारतनहीं होता है। वो भारत कौटिल्‍य का भारत होता है, वो भारत चरकका भारत होता है, वो भारत सुश्रुतका भारत होता है, वो भारत नागार्जुन का भारतहोता है, वो भारत जो पातंजलि का भारतहोता है और वो भारत के उन लोगों का होता है जिन्होंने भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित किया और ‘‘एतद्देशप्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मनः स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन्पृथिव्यां सर्वमानवाः’’जिनके पास पूरी दुनियां ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, तकनीकी इस सब को प्राप्त करने के लिए आती थी मैंउस भारत की बात करता हूं। इसलिए आज पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। यदि मेरे देश के प्रधानमंत्री ने कहा हैकि स्वर्णिम भारत कीजरूरत है उस स्वर्णिम भारत की आधारशिला को लेकर नईशिक्षा नीति आई है।यह नेशनल भी होगी, यहइन्टरनेशनल भी होगी, यहइम्पैक्टफुल भी होगी, यहइन्‍क्‍लुसिवभी होगी, यहइन्‍टरेक्‍टिव भी होगी और यह इनोवेटिव भी होगी, यह इक्विटी, क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी होगी। इसीलिए जब मैं नई शिक्षा नीति को कहता हूं तो इसमें कंटेंट भी होगा, पेटेंट भी होगा। हम कंटेंट को पेटेंट से जोड़नहीं पाये थे मैं जब मैंसंस्थाओं में जाता हूं तो मैंने एकअनुरोध किया है कि यह पैकेज की होड़ से पेटेंट की होड़ हो सकती है कि नहीं। जिस दिन इस भारत में पेटेंट की होड़ लग जाएगी मेरे युवाओं में उस दिन भारत अपने आप ही पूरी दुनिया कासर्वशक्तिमान राष्‍ट्र बन जाएगा यहअब लोगों को समझ में आ गया है। अब उस राह पर चलना लोगों ने शुरु कर दिया है। इसलिए मैं यह समझता हूं कि जहां हम कंटेंट भी करेंगे,वहांहम कैरेक्टर को भी करेंगे वहां हम उसके टैलेंट को भी खोजेंगे तो उसको विकसित भी करेंगे औरउसका विस्तार भी करेंगे। यह जो नयी शिक्षा नीति है वो शोध और अनुसंधान पर भीआधारित होगी, जहां नेशनल रिसर्चफाउंडेशन की स्थापना होगी। वहांतकनीकी को अंतिम छोर तक के व्‍यक्‍ति तक पहुँचाने के लिए भी नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम का गठन करेंगे। मैं इस बात से सहमत हूं कि जिस दिन पूरी ताकत के साथ इस खाई को पाटा जाएगा, उद्योग और हमारे विद्यार्थियों की शिक्षा के तकनीकी संस्‍थानों चाहे वोमेरे आईआईटी हों, एनआईटी हों,आईसर हों,आईआईएम हों और विश्वविद्यालय हों,  जिस दिन मेरे राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों और उद्योगों का के बीच समन्वय हो जाएगा तब दुनिया की कोई ताकत नहीं कि मेरे देश के सामने कोई खड़ा भी हो सकता है।हममें क्योंकि विजनहैहममें ऊर्जाभी है, हमारे भीतर रिजल्ट देने की ताकत भी है लेकिन यह पार्ट-पार्ट में हो रहा है, उसको समन्वित  करने की जरूरत है।  यह देश इतना विशाल देश है किकहीं भी जाया जा सकता है। अब उस दिशा में शिखर को पाया जा सकता है। जब इस मिशन के साथ हम करेंगे तो निश्चित रूप में हम स्‍वयं कंटेंट भी तैयार करेंगे और पेंटेंट भी हमारा होगा। हमारे भीतर आत्मविश्वास भी होगा,हमारा समर्पण भी होगा किहमकोकरना क्या है और यहकेवल शिक्षार्थियों एवं विद्यार्थियों पर ही लागू नहीं होता है क्‍योंकि नियम तो सबके लिए होता है। यदि किसी उद्योग में समर्पण नहीं है,यदिकोई विजन नहीं है, टारगेट नहीं है, तो मुझे लगता है वो बहुत दिनों तक खड़ा नहीं रह सकता। उसके लिए विजनहोना जरूरी है। विजन के साथ उसके समर्पण के साथ ही जीवन-मरण के प्रश्न पर उसका जो टारगेट है उसको पाने कीललकहोनी चाहिए, वह जरूरी है। आज कैपेसिटी बिल्‍डिंग के साथ ही हमको नेशन बिल्‍डिंग पर भी फोकस करना है तथा ऐसी क्षमता का निर्माण भी करना है। मैं यह समझता हूं कि इसकी जरूरत है,सुशासन की जरूरत है। यह जो जीवन है उसके साथ जोड़ने जरूरतहै यह हमारी नयी शिक्षा नीति आज उसी का एक प्रयाय है। मुझे बहुत खुशी है कि आपनेजिस बात को कहा है कि क्या उद्योगऔर शैक्षणिक संस्थान यह दोनों मिलकर के काम कर सकते हैं, कर सकते हैं। यदि नेशन को आपने ताकत देनी है तो इसके लिए कोई किंतु-परंतु नहीं हो सकता। किस तरीके से करना है वह रास्ता हम को तय करना है और मैं बनर्जी जी से कहूंगा यह महासचिव हैं इस दिशा में सबसे परामर्श करने के बाद जो अभी आपने कहा, जब हम पिछलीबार जून में जुड़े थेतब भी यह आशा की थी कि हम लोगों को एक कमेटी गठित करनी है,एकटास्कफोर्स गठित करनी है। वो टास्कफोर्स हमनिश्चित रूप से गठित करेंगे। आपकुछ नामोंकोदे दीजिए। अनिल जोजो मेरे साथ जुड़े हुए हैं मैं इनको कहूंगा कि आपकी उस टास्कफोर्स में जो हमारी युक्ति-1 और युक्ति-2 है।युक्ति-1मेंआईआईटीमें जितने भी हमारे छात्रों ने आज शोध और अनुसंधान किया है, इस बीच कोविडके दौरान हमारी क्षमता देखिए हमारीताकत देखिए हमारे बच्चों ने आज शोध और अनुसंधान किया है। रामगोपाल जी जुडे हुए हैं जब ऐसी परिस्थिति आयी और देश के प्रधानमंत्री जी ने बताया कि नौजवान क्या कर सकते हैं तो हमारे आईटी के छात्रों ने अपना हुनर दिखाया।आज हमारे अपने सस्ते और टिकाऊ वेंटीलेटर हमने तैयार किये। हमने बहुत कम समय में और हंड्रेड परसेंट रिजल्ट देने की क्षमता वाली टेस्टिंग किट तैयार की। आईआईटी दिल्ली नेफिर एक कंपनी के साथ एमओयू करके आज पूरी दुनिया को भी हमने भेजा। इस बीच तमाम अनुसंधान छात्रों ने किये हैंऔर युक्ति-2 में तो अनिल सहस्‍त्रबुद्धे जी को मालूम है कि जितने भी इनके बच्चों के आइडियाज हैं, हजारों-लाखों युक्ति-2पर आ करकेसारे इकट्ठा हैं। देश के लिए इतना बड़ा प्‍लेटफॉर्मबनाया है जिसका विजिटजो चाहे उद्योगपति, कृषक सभी करके वहां से अच्‍छे आईडियाज को अपने साथ लेकर जा सकते हैं। इसीलिए मैं समझता हूँ कि यह बहुत अच्छा है औरदेश नई अंगड़ाई ले रहाहै तथा  तेजी से लोगों की मनःस्थिति बदल रही है। इस नई शिक्षा नीति के लिए तोपूरी दुनिया और देश ने उत्सव मनाया है। दुनिया भी इस नई शिक्षा नीति को लेकर के बहुत लालायित एवंउत्सुक है तथातमाम देशों ने कहा है कि हम भी भारत की शिक्षा नीति को अपने यहां लागूकरना चाहते हैं। अभी दो-दिन दिन पहले संयुक्त अरब अमीरात के शिक्षा मंत्री और उनका पूरा ग्रूप मेरे साथ जुड़ा था जब उन्होंने कहा कि हम इस नई शिक्षा नीति को अपने यहां लागूकरना चाहते हैं। अभी कुछ ही दिन पहले कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने भीकहा कि भारत तो ज्ञान का बड़ा केन्द्र था। यह कैम्ब्रिज नेकहा कि भारत बड़ा केन्द्र था जो यह अब नयी शिक्षा नीति आई है अब वह पुनर्जागरण के साथ सम्‍पूर्ण विश्व को मार्गदर्शन दे सकती है और हम दुनिया के सभी शिक्षा मंत्रालयों के साथ मिल करके आपके अभियानको आगे बढ़ाने की इच्छा प्रकट करते हैं। यह हमारी ताकत है और इस नई शिक्षा नीति की वो ताकत है इसलिए मैं समझता हूं कि यह अवसर अच्छा अवसर है इस अवसर को हमें हाथ से जाने भी नहीं देना है।इसलिए जब अच्‍छे अवसर आते हैं और फिर जब मौसम अच्छा रहता है तो उसी ताकत के साथ एवं गतिशीलता से दौड़ना भी पड़ता है। मुझे भरोसा है कि जो आज सर्वेक्षण एआईसीटीई और दोनों ने मिलकर के जो काम किया है उसके लिए मैं एआईसीटीई को भी बधाई देना चाहता हूँ कि आपने औद्योगिक क्षेत्र में विश्व रैंकिंग करने का जो नया कार्य किया है, वह बहुत अच्‍छा है उद्योगों की दृष्टि से कैसे रैंकिंग हो सकती है और संयुक्‍त रूप में हमलोग किस तरीके से रैंकिंग निर्धारित कर सकते हैं इस पर बहुत अच्छा कार्यगहन चिंतन-मननके साथ होना चाहिए। हमने आईआईआईटी को पीपीपी मोड में किया है। आपको मालूम है कि भारत सरकार 50 प्रतिशत, राज्य सरकार 35 प्रतिशत और उद्योग जगत 15 प्रतिशत उसको योगदान देता है।हमारे आईआईआईटी बहुत खूबसूरत एवं अनुकरणीय पीपीपी मॉडल  के संस्‍थानों का आदर्श हैं। मैं जब आईआईआईटी के आयोजनों में सम्‍मिलित होता हूं तो मुझे लगता है कि आने वाले भविष्‍य में मेरे यह संस्‍थान शिखर को चूमेंगे।यहजो उद्योगों के दृष्टिकोण से मानकों को रखने एवं रैंकिंग निर्धारण का जो आपने प्रावधान रखा है, वह बहुत अच्‍छा है और केंद्र सरकार के द्वारा चलाए जा रहे सभी तकनीकी संस्थानों में भी इस तरीके के लागू होना चाहिए ताकि लगे कि हमको उद्योगों के साथ किस तरीके से जुड़ाव और लगाव है। हम अलग नहीं हैं। मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा ही होगा और वो जो संयुक्त कार्य दल बनाने की आपने बात की है उससे मैं बिल्कुल सहमत हूं और जितना जल्दी हो सकता है उसको बननाही चाहिए। यहजो प्रधानमंत्री डॉक्टरल रिसर्च की आपने 2012 में शुरुआत की थी यह भी बहुतअच्‍छाकार्यक्रम थालेकिन मैं सोचता हूं किबहुत तेजी से काम भी कर रहा है लेकिन रिजल्ट जिस अनुरूप निकालना था वो क्यों नहीं निकल रहाहै इस पर विचार करने की जरूरत है। लेकिन आपकी बात तो अच्छी है। पहले बात तो यह अच्छी पहल है इसको और किस तरीके से आगे बढ़ाया जा सकता है आपकेअनुसंधानों को रिजल्ट के रूप में परिवर्तित होना चाहिए।समझता हूँ यदि उसकी भी एक ओर कमेटी के स्वरूप में लगातार समीक्षा करते रहेंगे तो बहुत अच्छा होगा बल्कि मैं तो यह कहता हूँ कि इसको विज्ञान और सामाजिक विषयों पर भी आपको आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि आपका जो सीआईआई है वहशैक्षणिक उत्थान की दृष्टि से आपका मिशन है और जहां उद्योगोंकाऔर समन्‍वयहोना चाहिए तथासार्वजानिक क्षेत्र की भी गतिविधियों में उन्नयन होना चाहिए। तोआप विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में भी यदि उसको करेंगे तो बहुत अच्छा होगा। आज जो आइपेट नामक दो परीक्षाएं हैमैं सोचता हूँ कि इनको भी आगे बढ़ना चाहिए। इससे जो बड़ी बड़ी कंपनियां हैं उनमें हमारे छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अच्छा अवसर मिल सकता है और उद्योग जगत के लिए भी यह बहुत महत्वपूर्ण होगा। मेरे जो छात्र हैं जिनको रोजगार की दिशा में जाना है उनके लिए भी अच्छा होगा। जैसे अभी अनिल जीने कहा कि यदि हम इंटर्नशिप के माध्‍यम से विद्यार्थियों की प्रतिभा को जोड़ते हैं तो वह विद्यार्थी उस संस्थान को भीबढ़ाएगा  तथा उसे  पीछे नहीं आने देगा और हो सकता है कि उसके बाद वहउसको छोड़ें ही ना। उसको कहो कि तुम साथ-साथ अध्‍ययन करो लेकिन तुम इस उद्योग में भी भागीदारी करते हुए इसकी बारिकियों कोभी सीखों क्‍योंकि तुम प्रतिभाशाली हो और वो आपको आयडियाज देगा। पूरी दुनिया की शिक्षण व्‍यवस्‍था का अध्‍ययन करके कि किस देश में क्या हो रहा है और मुझे अब उससे भी आगे कहां जाना है। यह उसमें क्षमता है, उनकी विराटता है। इन छात्रों में और हमारे देश में टैलेंट की बिल्कुल कमी नहीं है और इसको लीडरशिप देनी होगी, इसको वैश्विक परिवेशमें आगे बढ़ाना होगा।मैं यह समझता हूँ कि एक बार आप सब लोग बैठें और जितने भी ओद्योगिक क्षेत्र के लोग हैं आप यह तय कर दें कि सीएसआर के फंड उपयोग शैक्षणिक क्षेत्र के उन्नयन की दिशा में लगेगा तो यहक्रांतिकारी कदम होगा औरवो उद्योगों के साथ जुड़ेंगे। यहां जो आत्मनिर्भर भारत का मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने आह्वान किया है कि आईआईटी से निकलने वाला हरछात्र, एनआईटी से निकलने वाले छात्र, इंजीनियरिंग कॉलेजों से निकलने वाले छात्र निश्चितरूप से एक स्टार्टअप को लेकरजाऐंगेऔर मेरा भारत उस दिन आत्मनिर्भर हो जाएगा। ऐसा हो सकता है कोई दिक्कत नहीं है। एक बार थोड़ा सा समन्‍वय करने की आवश्‍यकता है, उसमें क्षमता तो है ही इसलिए दूसरों को भी लीडरशिप देकर दुनिया के देशों को आगे बढ़ा रहे हैं। दुनिया के देशों कीयदि आप समीक्षा करें तो जैसे मैंने अभी कहा कि आईआईटी से निकलने वालेछात्र,यह देश 130 करोड़ लोगों का देश है। यदि देश काजितना मार्केट के रूप में आप अध्‍ययन करेंगे तो देखेंगे कि50 देशों के बराबर अकेला अपना हिन्दुस्तान है जो पूरी दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और इसलिए जब आपको याद होगा कि एक बार  आदरणीय अटल बिहारी बाजपेयी जी ने जब परमाणु परीक्षण की बात की थी तब कुछ देशों ने हिंदुस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की बात की थी और कहा था कि यदि आपने यह किया तो हम आपको अनुदान नहीं देंगे, भीख नहीं देंगे और अटल जी ने पूरी ताकत के साथ कहा था कि नहीं, मेरा देश किसी को छेड़ता नहीं, किसी से हम लड़ने के लिए नहीं लेकिन हम अपनी ताकत के विकास के लिए परमाणु परीक्षण जरूर करेंगे और आपको याद होगा कि कई संपादकीय में लिखा गया था कि अटल जी ने बहुत खतरनाक खेल किया है। अब दुनिया से, अमेरिका से, पैसा नहीं मिलेगा, लोन नहीं मिलेगा, कर्ज नहीं मिलेगा और अटल जी ने एक ही सूत्र दिया था कि देश में न कोई आयात होगा और न देश में कोई निर्यात होगा। बाहर से कोई चीज देश के अंदर नहीं आएगी और देश से कोई चीज बाहर नहीं जाएगी। छह महीने मेंदुनिया की आंखे खुल गई थी। दुनिया नहीं रह सकती हिंदुस्तान के बिना, यही हमारी ताकत है। देश से कोई चीज बाहर नहीं जाएगी और केवल इसएक सूत्र ने पूरे देश को खड़ा कर दिया था।मैं समझता हूं कि आज हमारे प्रधानमंत्री जी ने जो आत्मनिर्भर भारत की बात की है, वह बहुत महत्वपूर्ण बात की है। हर एक छात्र योद्धा की तरह निकल कर के बाहर आए और वो इस होड़ में न जाए कि मुझको विदेश में जाकर कितना पैकेज मिल जाये। उसकी प्रतिभा को यहां किसी उद्योग के साथ कैसे संबंध से हम कर सकते हैं। आज इसकी जरूरत है। मुझे भरोसा है कि जो हमारे देश के प्रधानमंत्री ने 5 ट्रिलियन डॉलर आर्थिकी की बात की है और उसके लिए उन्होंने मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया जैसे रास्ते भी दिखाये हैं। हमारे पास स्किल भी है, हमारे पास कौशल भी है और मेक इन इंडिया क्यों नहीं हो सकता। पूरी दुनिया में मेक इन इंडिया होना चाहिएक्‍योंकि यह देश इतना बड़ा है और विजनरी देश है और जिस दिन उद्योग और मेरी यहप्रतिभाएंदोनों मिल जाएंगे उस दिन पूरी दुनिया में मेक इन इंडिया ही दिखाई देगा। कोई देश दिखाई भी नहीं देगा और वो दिन आ रहा है तथा वो तेजी से बढ़ रहा है। उसके समन्वय के लिएसीआईआईको जरूर उसकी लीडरशिप लेनी चाहिए। इसलिए लेनी चाहिए क्‍योंकिआपका125 वर्षों का इतिहास है। आपने हर कदम पर देखा है, झेला है, रास्ते निकाले हैं देश की खराब परस्थितियों को भी देखा है और अबजब देश उत्थान के उत्कर्ष पर है आप उसको भी देख रहे हैं और उसके सहभागी भीबन रहे हैं और इसलिए मैं समझता हूं कि यह अच्छा मौका है जब हम नई शिक्षा नीति के माध्यम से उसकी आधारशिला रखकर उसको आगे बढ़ाने की आप कोशिश कर रहे हैं। मैं आप सब लोगों को शुभकामना देना चाहता हूं और मुझे भरोसा है कि जो अद्भुतस्वीकार्यता मिली है नई शिक्षा नीति को और वह के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट हो गया है और दुनिया के लिए उत्सुकता का कारण बना है उसकाहमताकत के साथ क्रियान्वयन करेंगे। शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में चाहे नेशनल रिसर्च फाउंडेशन हो और चाहे नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरमहो इन दोनों की गतिविधियां जो भविष्य में आने वालीहैउससे उद्योगों, छात्रों एवं शोध-संस्‍थानों के बीच बेहतर समन्‍वय होगा। हम कह सकते हैं कि ऐसीनई चीजें इस देश में होनी चाहिए और जिसका मैंने अभी आपको एक उदाहरण दिया कि जब परिस्‍थितियांहोती हैं तो दूसरे भीखड़े हो जाते हैं। मुझे भरोसा है कि आपका जोविजन है और जिस तरीके का आपका मिशन है वो इस देश को आत्मनिर्भर भारत एवं5ट्रिलियनडॉलर की आर्थिकी तक जाने का जो रास्ता है उसेउद्योग, नई शिक्षा नीति और हमारे शैक्षणिक संस्थान और उद्योग यह सब मिलकर के उस रास्ते को आगे बढ़ाएंगे और वैसे भी भारत पूरी दुनिया में ज्ञान की महाशक्ति के रूप में तेजी से उभर रहा है। आज लोग महसूस करेंगे और अभी दो साल बाद देखिएगा। अभी तो यह नया है और पूरी दुनिया के अंदर हलचल है। अभी तो हमारे कुछ लोगों को स्वीकारने में भी हिचक होगी क्‍योंकि उनको लगता है कि सौ डेढ़ सौ सालों की उस गुलामी के जो थपेड़े हमारे मन मस्तिष्क पर पड़े हैं।उनके कारण सहज तरीके से अपने को भी खड़ा करने में वक्त लगेगा। लेकिन पूरी ताकत के साथ जब यहकाम होगा तो देखिएगा कि हमारे यहां विजनकी कमी नहीं है और मेहनत की कमी नहीं है तो विजन और मिशन जब मिलता तो नई चीज पैदाहोती है, वो हमारे पास है और फिर यह देश तो आने वाले 25 बरसों तक यंग इंडिया रहने वाला है। क्‍या नहीं कर सकते हम सब कुछ कर सकते हैं केवलजरूरत है लीडरशिप की।वैसे भी यह जो नयी नीति तो बहुत अच्छी बनी है लेकिन इसको नीचे तक क्रियान्वित करना औरढांचागत रिफॉर्म का परिणाम किस तरीके से नीचे तक ला सकते हैं। इसके बीच की कड़ी आपकी लीडरशिप हो सकती है। इस नीति को नीचे तक व्यावहारिक रूप में, प्रेक्टिकल रूप में नीचे तक ले जाने के लिए आपकी लीडरशिप में जरूर होगा ऐसा मेरा भरोसा है। मैं आज आपको बहुत शुभकामना देना चाहता हूं यह शैक्षणिक गतिविधियों का जो सम्मेलन है इससे बहुत कुछ निकलेगा और इससे वो चीज निकलेगी जिसकी देश हमसेअपेक्षा कर रहा है।परिवर्तन करने वाले आप ही लोग हैं। कोई आसमान से टपक करके परिवर्तन करने के लिए नहीं आएगा। मुझे भरोसा है कि यह जो क्षण  हैं वो एक नये भारत के उदय को सुनिश्‍चित करेगा औरजिस दिन भारत नये भारत के रूप में आएगा स्वत:स्फूर्त विश्व एक नया विश्‍वबन जाएगा क्योंकि भारत का बल पूरे विश्व के बराबर है और उसमें सामर्थ्य है, पूरी दुनिया को अपने में समेटने की और जिस बात को मैं बार-बार कहता हूं कि एक परिवार के रूप में हमने पूरी दुनिया को देखा है और उस दुनिया के परिवार को हम सब और सम्पन्न भी करनाचाहते हैं उसे आगे बढ़ना भी चाहते हैं। हम संस्कारों एवं जीवन-मूल्‍यों  की भी प्रगतिचाहते हैं,इसलिए जो सीआईआईजो विश्व स्तर पर यह शिक्षा का संवाद आयोजित कर रहा है, वह उस दिशा में भी कड़ी बनेगा। वैसे भी इस समय शिक्षा संवाद मैं लगातार कर रहा हूं और तमाम देशों के शिक्षा मंत्री और तमाम देशों के राजदूत इस बात को कहते हैं कि हमेंभीशिक्षा का संवाद चाहिए। बाहर के लोग हमारे अंतरराष्ट्रीय शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों को अपने देश के अंदर आमंत्रित किया है और हम अपने शीर्ष विश्वविद्यालयों को भी दुनिया के देशों में भेजनाचाहते हैं। अभी कुछ दिन पहले आईआईटी के दीक्षांत समारोह में डॉ.राम गोपाल रावजीने कहा है कि आज विदेशों में कई देशों में लोग लगातार आग्रह कर रहे हैं इनकोहां, बोलना है। हमारे शिक्षकों को भेजना हैतो मैंने उनको कहा जितना जल्दी हो सकता है जाओ, हमको दुनिया पर जाना है। हमारे आईआईटीज के बाद दूसरेनए फिल्‍ड में भी प्रतिभाओं को लगना चाहिए। हिन्दुस्तान में ज्ञान के तहत हम विदेश की फैकल्‍टी को इधर लाते थे लेकिन मैने कहाज्ञान प्लस होना चाहिए हमारेयहां कि फैकल्टी भीदुनिया को पढ़ाने के लिए जानी चाहिए और वो हो रहा है। मुझे इस बात की खुशी है कि मैं विगत डेढ साल से इसकोदेख रहा हूं। मैं अपने आईआईटीज के अंदर जाकर घुस करके देखता हूं, अपने विश्वविद्यालयों के अंदर देखता हूं, शीर्ष संस्थाओं के अंदर देखता हूं  मुझको दर्शन मिलता है औरमुझे बहुत भरोसा है कि हम दुनिया के सबसे बड़ी शिक्षा का आधार बनेंगे और जो लोग हमसे अपेक्षा कर रहे हैं जो देख रहे हैं कि पूरी दुनिया का शिक्षा का यह सबसे बड़ा भंडार होगा और हमारा देश महाशक्ति के रूप में उभरेगा आपकी ताकत से, जुड़ाव से, लगाव से और अभियान से हमारी देश के लोगों की यहइच्छा भी पूरी होगी। मैं एक बार फिर आप सब लोगों को शुभकामनाएं देता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. डॉ. बी.वी.आर. मोहन रेड्डी, अध्‍यक्ष, सीआईआई शिक्षा परिषद्
  3. डॉ. चंद्रजीत बनर्जी, महानिदेशक, सीआईआई शिक्षा परिषद्
  4. डॉ. पंकज मित्‍तल, महासचिव, भारतीय विश्‍वविद्यालय संगठन
  5. डॉ. अनिल सहस्‍त्रबुद्धे, अध्‍यक्ष, एआईसीटीई
  6. डॉ. राम गोपाल राव जी, निदेशक आईआईटी दिल्‍ली