सीबीएसई गल्फ सहोदय के वार्षिक प्राचार्य सम्मेलन का उद्घाटन
दिनांक: 30 जनवरी, 2021
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
आज इस सम्मेलन में जुड़े सभी लोगों को मैं अभिनन्दन कर रहा हूं क्योंकि आज इन विषम परिस्थितियों में जबकि पूरी दुनिया कोरोना के महासंकट से होकर गुजर रही है और हमारा देश भी इससे अछूता नहीं है ऐसे वक्त पर आप बच्चों के प्रतिसह्रदय बनकर आप अपना 33वां वार्षिक प्रधानाचार्य सम्मेलन सीबीएसई खाड़ी परिषद् सहोदय मना रहा है। मैं दो दिन तक चलने वाली इस कार्यशाला के लिए आप सबका स्वागत कर रहा हूं। इस अवसर पर हमारे बीच जुड़े हैं सऊदी अरब में भारतीय राजदूत एवं सीबीएसई के अध्यक्ष श्री मनोज आहूजा जी, इस पूरी खाड़ी में सहोदय के यशस्वी अध्यक्ष श्री सुभाष नायक जी जिन्होंने अपना उद्बोधन दिया, सहोदय के संयोजक मो. मेराज खान, खाड़ी सहोदय के सभी पदाधिकारी, प्राचार्य, अध्यापकगण, अभिभावगण और इस 33वें वार्षिक प्रधानाचार्य सम्मेलन में उपस्थित भाइयो और बहनों। मैं इस अवसर पर जबकि आप सब लोग एकत्रित हो करकेअपनी शिक्षा के बारे में और साथ ही नई शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के लिए आप यहां एकत्रित हुए हैं। मुझे खुशी है कि आप दो दिनों तक शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए तथा उसकी उत्कृष्टता के लिए आपपरामर्श कर रहे हैं। सहोदयका अर्थ यही है कि हम सब साथ मिलकर केकैसे उठ सकते हैं तथा कैसे प्रगति कर सकते हैंएवंसबकी भावना को कैसे आपस में जोड़ सकते हैं औरएक-दूसरे के ज्ञान को अर्जितकरके अपनी योग्यता कैसे बढ़ा सकते हैं। जहां कम वहां हम वाली जो भावना है। उसी के तहत हम सब मिल करके तथा एक-दूसरे को मदद करके आगे बढ़ा सकते हैं और यहजो परिवार है जो संकुल है उससंकुल में आपस में हम ज्ञान को, विज्ञान को, आचार को, व्यवहार को तथा उस प्रतिस्पर्धा को एवं उस प्रखरता को इसपरिसर से आस-पास के जितने भीस्कूल हैं उनकी जो अवस्थापना है और उसमें विशेषज्ञता है उनको आपस में एक दूसरे को कैसे करके बांट सकते हैं। इसके पीछे यही भाव रहा है हमेशा ताकि सभी लोग बहुत अच्छे तरीके से इसको आपस में जोड़ सकें। मैं यह सोचता हूं कि यदि इस सुविचार को जिन्होंनेपहले यह विचार प्रकट किया होगा कि एक वर्ष के विषय में यदि कोई विचार करता है तो इसका अर्थ है किवोअनाज को बोता है। यदि10 वर्ष के लिए कोई विचार करता है तो वो फल बोता है और यदि पीढियों तक के लिए और सदियों तक के लिए आगे विचार करता है तो वो इंसान बोता है और आज हम इंसान को बोने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हमारी जो पीढ़ीहो वोकिस तरीके से हो, उसमें क्या संस्कार हों,उसमें क्या जीवन मूल्य हों तथा उसमें हर दृष्टि से क्या-क्या योग्यता हो सकती है। मुझे बहुत खुशी है कि बच्चों को उत्तम से उत्तम शिक्षा देने की दिशा में 1986 में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने विभिन्न विद्यालयों के मध्य विचारऔरतालमेल रखने कीदृष्टि से उत्कृष्टता के आधार पर इनसहोदय परिसरोंकी स्थापना की है और इसलंबे समय में लगातार सहोदय परिसर ने इस विचार को आगे बढ़ायाभी हैं। मैं बहुत बधाई देना चाहता हूं कि इस सहोदय परिषद की जिस भावना के साथ स्थापना हुई थीउसको आप उठा रहे हैं और उसको संकल्पित कर रहे हैं।सीबीएसई बोर्ड के चेयरमैन ने जैसे बताया कि लगभग 2400से भी अधिक स्कूल सीबीएसई बोर्ड के साथ जुड़े हैं और दुनिया के 26 देशों में हजारों छात्र आज शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और उसमें से 170 स्कूल अकेले इस खाड़ी में हैं। जिनको साथ लेकर के आप लोग चर्चा कर रहे हैं। मुझे खुशी है कि आपने सामाजिक कार्य से सामाजिक उत्कृष्टता प्रकट करने के लिए यह अद्वितीय माध्यम बन सकता है।हमेंसाथ उठना,साथ उन्नति करना, विचारों को और आगे बढ़ाना तथा उन विचारों को अपने जीवन में उतारना और उसपरिसर में शिक्षा के विकास की संपूर्ण स्वतंत्रता के रूप में हमारे अध्यापक अभिभावक और छात्र तीनों का पारस्परिक जो संबंध है उनको कैसे जोड़ करके रख सकते हैं। इस बारे में विचार करना चाहिए। यदि एक पावरफुल इंजन की गाड़ी है लेकिन उसके चारों पहियों में से एक भी पहियायदिकमजोर है और यदि उसका एक नट बोल्ट भीहट गया तो वो पावरफुल इंजन भी वहीं जाकरके बैठ जाता है इसका मतलब यह है कि सब एक साथ मिल करके आगे बढ़ते रहने की गतिशीलता ही हमें लक्ष्य तक पहुँचा सकती है और इसलिए यह जो सहोदय परिसरहै यहइस दिशा में निश्चित रूप से उत्तम परिणामों के लिए और आधार सामग्रीतथा सतर्कता विश्लेषण करने के लिए विचार-विमर्श करता है और पठन-पाठन की दृष्टि से कैसे संवेदनशीलता को कायम रखा जा सकता है यह भी बहुत ज़रूरी है। एक मनुष्य प्रखर बहुत है लेकिन संवेदनहीन है तो उसकी प्रखरता वहीं ख़त्म हो जाती है और उसकी प्रखरता कभी काम नहीं आती है। व्यक्ति में संवेदनशीलता ज़रूरी है।पूरे विश्व के मानव के लिए संवेदनशीलता केवलआभूषण ही नहीं है, उसका जीवन भी है और इसीलिए इस संवेदनशीलता को जिंदा रखना बहुत जरूरी है। मुझे यह भी अच्छा लगता है किआपसहोदयविद्यालय के सभी सदस्यगण 9वीं और 11वीं की परीक्षा को लेकर के विद्यार्थियों की शैक्षणिक योग्यता का आंकलन करते हैं और पीछे मैं शायद ओमान के साथ भी जुड़ा था और जब उन्होंने भी इस तरीके से भी कार्यक्रम किया था कि आगे हमारे जो इंटर पास करके जाने वाले बच्चे हैं, वेक्या-क्या कर सकते हैं, उनके बारे में विचार विमर्श करना और उनको आइडियाज देना और उनको मैदान दिखाना कि आप कहां दौड़ सकते हैं तथा क्या-क्या चीज लेकर दौड़ सकते हैं और आपके लिए क्या अच्छा हो सकता है। ऐसे वक्त पर जबकि विद्यार्थी कोअपने जीवन के रास्तों को चुनना होता हैकि किस रास्ते पर जाए। ऐसे वक्त पर उसके अनुरूप जिस क्षेत्र में वो दौड़ सकता है या दौड़ना चाहता है,उसकाआप आंकलन करते हैं और सह-संचालन के द्वारा क्षेत्रीय शिक्षा को भी आप बढ़ावा देते हैं। मुझे खुशी है कि आप अनुभवी और विशेषज्ञों के माध्यम से प्रासंगिक साहित्य और शिक्षण सामग्री का प्रचार-प्रसार करने के लिए बच्चों के साथ उनका पूरा विकास करने की दिशा में भी लगातार विचार करते हैं। आप सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, शैक्षणिक, कलात्मक रूपों से यह सब कर रहे हैं। हमारी नई शिक्षा नीति जो भारत की एनईपी 2020आई हैं उसमें बहुत कुछ समाहित है और गल्फसहोदय परिसर शिक्षा के क्षेत्र में जो नाम कर रहे हैं तथा खाड़ी देश में बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सहोदयतत्परहै। इसलिए मैं उनको बधाई देना चाहता हूं। खाड़ी सहोदयके जो विद्यालयहैं उनकाबोर्ड की परीक्षाओं मेंभी शत-प्रतिशत रिजल्ट मिलता है। मुझे इस बात की भी खुशी है और मैं आशा कर रहा हूं आगे भी आपविभिन्न माध्यमों से कार्य करते हुए शत-प्रतिशत परिणाम रखेंगे। जैसे कि आपने कहा कि नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए यहां पर दो दिन का सम्मेलन कर रहे हैं। इस एनईपी में हम लोगों ने टेन प्लस टू को हटा कर 5+3+3+4किया है और शुरूआती पांच वर्षों को भी 3+2 किया है। वैज्ञानिकों का यह मानना है कि तीन वर्ष से छह वर्ष तक के बच्चे के अंदर जो मस्तिष्क का विकास होता है वो 85प्रतिशतहोता है। इसलिए तीन वर्ष के बच्चे को आंगनबाड़ी के रूप में लेकर हम लोग उसको कैसे करके अपने साथ रख करके खेल-खेल के माध्यम से उसकेअंदर की प्रतिभा को उभार सकते हैं। मातृभाषा में कैसे करके वो अपनी बात को उठा सकता है और व्यक्त कर सकता है। उसकी अभिव्यक्ति को पूरा का पूरा मौका मिले। यहाँ से यह नीति शुरू होती है और मैं समझता हूँ कि प्री-प्राइमरी में भी जीवन मूल्यों की आधार शिला पर खड़े करने की यह शिक्षा नीति है क्योंकि हम मनुष्य को मशीन नहीं बनाएंगे। हम मनुष्य को महामानव तो बना सकते हैं। भगवान की सबसे सुंदर कृति है यह मनुष्य इसलिए हमें इसको और सुंदर बनाना है और इसीलिए व्यक्तिजीवन मूल्यों की आधारशिला पर खड़े हो करके आगे बढ़ सकता है। इसलिए हम उसके जीवन मूल्यों के साथ-साथ उसकी जो प्रतिभा है कि उसको उभार सकते हैं तथा आगे बढ़ा सकते हैं। अभी जैसे कि हमारे राजदूत डॉ. सईद जी ने कई विषयों को लिया और डॉ.मनोज आहूजा जी ने भीउन विषयों का विश्लेषण किया कि आखिर हिंदुस्तान की जो शिक्षा नीति है उसमें आमूलचूल परिवर्तन हुआ है। यह शायद दुनिया का सबसे बड़ा रिफॉर्म हुआ होगा जो बचपन से लेकर केउच्चशिक्षा तक और उत्कृष्टता की दृष्टि से शिक्षा में आमूल चूल परिवर्तन करता है। हम स्कूली शिक्षा में कक्षा 6सेही वोकेशनल ट्रेनिंग देना चाहते हैं।ताकि बच्चे के जो अंदर है वो उसको साथ में जोड़करके आगेबढ़ सके। बच्चा केवल अंक ज्ञान और अक्षर ज्ञान अथवा किताबी ज्ञान को ही नहीं बल्कि व्यावहारिक ज्ञान की दिशा में इंटर्नशिप के साथ आगे बढ़ सकेगा। उसके पास में कोई फैक्ट्रीहो सकती है जिसमेंक्षेत्रीय आधार पर उत्पादों से जोड़ सकते है। सांस्कृतिक गतिविधियां और शारीरिक गतिविधियाँ एवंशैक्षणिक गतिविधियों को किस तरीके से हम कर सकते हैं इसको दृष्टि में रखा गया है।हमस्कूली शिक्षा से ही आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को ला रहे हैं, जो अभी तक आईआईटी में पढ़ाते थे। अब हमारा स्कूली बच्चा हमारे सीबीएसई बोर्ड का बच्चा स्कूली शिक्षा से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में प्रखर तरीके से आगे आएगा और हमनेमूल्यांकन प्रकिया को भी उनका पूरा का पूरा बदल दिया। विद्यार्थी का अब रिपोर्ट कार्ड नहीं बनेगा बल्कि अबहम उसको प्रोग्रेस कार्ड देना चाहते हैं। उसका360डिग्री होलिस्टिक मूल्यांकन करना चाहते हैं। अब बच्चा अपना मूल्यांकन स्वयं भी करेगा और अभिभावक भी उसका मूल्यांकन करेगा तथा अध्यापक भी मूल्यांकन करेगा एवं इतना ही नहीं अब उसका साथी भी उसका मूल्यांकन करेगाऔर जब बच्चा स्वत:स्फूर्त अपना मूल्यांकन करेगा तो उसको लगेगा कि वो क्या है औरउसके अपने अंदर कमी क्या है। जिस दिन दुनिया में मानव को यह पता चल जाए कि उसके अंदर कमियां हैं और उसको ही कमीयों को दूर करना है तथा यह उसकी आवश्यकता है। आप अपनी कमियों को दूर करें उस दिन आपबहुत अच्छे इंसान बनेंगें। आप हर दिशा में, हर संकट का मुकाबला करके आगे बढ़तेरहेंगे।इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्थितिवशछोड़के जा रहा है तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष दोनों खराब हो जाते थे लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा।यदि आप परिस्थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहे हैं तो उसको सर्टिफिकेटदेंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें और तीन साल में छोड़कर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है।हम उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगेइसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं हैं।वह कहां जाना चाहता है,यदिशोध और अनुसंधान के क्षेत्र में जाना चाहता है तो वहांहमने ‘नेशनलरिसर्च फाउंडेशन’ की स्थापना की है,जो कि प्रधानमंत्री जी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में होगी जिससे शोध की संस्कृति तेजी से आगे बढ़ेगी।वहींहमतकनीकी के क्षेत्र में‘नेशनल एजूकेशन टैक्नोलॉजीफोरम’का भी गठन कर रहे हैंजिससेतकनीकी दृष्टि से भी देश समृद्ध हो सके। हम चाहते हैं कि बच्चे के टैलेंट को खोजेंगे भी बच्चे के टैलेंट को विकसित भी करेंगे और बच्चे के टैलेंट को विस्तार भी देंगे। इस टैलेंट के साथ हमउत्कृष्ट कोटि काकंटेंट भीजोड़ेगे। क्या कंटेंट होगा उसको गहन विचार विमर्श के बाद तैयार करेंगे और टैलेंट के साथ कंटेंट को जोड़ करके पेंटेंटतैयार करेंगे। एक ऐसा पेटेंट होगा जो उस बच्चे के मूल रूप मेंहोगा। बच्चा अपने को योद्धा के रूप में खड़ा होकर दुनिया के किसी भी मैदान में जा सकने में समर्थ होगा। यह एनईपी 2020 स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षातक आमूलचूल परिवर्तन लाएगी। पीछे के दिनों मैं कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से जुड़ा था तो उन्होंने कहा कि यह दुनिया का सबसे बड़ा रिफॉर्म हैं और हम चाहते हैं कि यह जो नीति है यह बहुत ऐतिहासिक है और यह हमें भी आगे बढ़ासकती है। अभी कुछ ही दिन पहले नेहरूं केंद्र लंदन से पूर्व शिक्षा मंत्री नेजुड़ने के बाद खुशी व्यक्त की थी उन्होंने मुझसे बहुत सारे सवाल किये और उनके मन में कई शंकाएं थी, जो उन्होंने पूछी और पूछ करके जब उनको उत्तर मिला तो उनका संदेश आया कि पूरी दुनिया में यह एक ऐतिहासिक एनईपी आई है जो बच्चों को एक नया रास्ता दिखा सकती है और मैं समझता हूं कि इस नीति के तहततकनीकी की दिशा में भी हम लोगों ने बहुत तेजी से कार्य किया है। अभी कुछ दिन पहले संयुक्त अरबअमीरात के शिक्षा मंत्री जी मुझसे जुड़े थेऔर वे बहुत खुश थे। उन्होंने कहा किहम इस एनईपी को कैसे करके जितना जल्दी हो सके हम इसको अपने देश में लागू करना चाहते हैं। जो बच्चा है जो बच्चा आपके पास हैवह कोरा कागज है उसमें हम क्या लिखनाचाहते हैं और कितना सुंदर लिखना चाहते हैं मुझे खुशी होती है कि तमाम देशों में दबाबहै और वे कहते हैं किसीबीएसई की स्कूल चाहिए दुनिया के देश लगातार हम पर दबाव दे रहे हैं,मैंने सीबीएसई के चेयरमैन को कहा आप कोशिश करो। सीबीएसई ने इस तरीके का पूरी दुनिया में एक अपना बहुत अच्छा आधार बनाया है तथा सीबीएसई बोर्ड के बच्चे पूरी दुनिया में छाए हुए हैं और सहोदयने इससीबीएसई की परंपरा को और तेजी से आगे बढ़ाया है। हमारी नई शिक्षा नीति नेशनल भी है, इंटरनेशनल भी है, इम्पैक्टफुल भी है,इन्क्लूसिव भी है, इनोवेटिव भी है, बहुआयामी भी है और यह इक्विटी, क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी है। हम इस नई शिक्षा नीति से रिफॉर्म भी करेंगे,परफॉर्म भी करेंगे और ट्रांसफॉर्म भी करेंगे। यह इसका आधार है और इसलिए यह बहुत खूबसूरत शिक्षा नीति है। मुझे भरोसा है कि आपइस दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं औरआप इस अभियान को आगे बढ़ायेंगे। वैसे भी आपको मालूम है कि हिन्दुस्तान ने इस एनईपी का जो आधार बनाया है वो ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ है। पूरा संसार हमारा परिवार है और इस पूरे संसार के लिए हम सुख की कामना करते हैं। हम बच्चे को यह सीखाना चाहते हैं कि जब तक धरती पर एक भी व्यक्ति दुखी रहेगा तब तक मैं सुख का अहसास नहीं कर सकता हूं। पहले मैं उस मनुष्य के दु:ख को दूर करूंगा और इसलिए हम उसे बच्चे को पूरी दुनिया के लिए तैयार कर रहे हैं। हम केवल एक देश के लिए तैयार नहीं कर रहे हैं बल्कि हम पूरी दुनिया के लिए उसको तैयार कर रहे हैं। हमने कहा कि ‘असतो मां सद्गमया’ कि हम असत्य से सत्य की ओर चलेंगे, ताकत के साथ चलेंगे।परिवार की भीवही व्यक्तिसुरक्षा कर सकता है जो अपने में समर्थ हो, तो यह सामर्थ्यशाली बनाने का काम मेरे शिक्षकों का है। मैं शिक्षकों को और प्रधानाचार्यों को कहना चाहता हूं कि नीतिबहुत अच्छी होती है लेकिन उसको अंतिम छोर तक पहुंचाने का काम लीडरशिपका होता है, वहआपके हाथ में है कि आप क्या चाहते हैं। मैंने देखा है किइस बीच भी जब दुनिया संकट से होकर गुजर रही थी तो बहुत सारे देशों ने अपने को एक साल पीछे कर दिया। हमारे सीबीएसई के बच्चों ने खड़े होकर हमको सुझाव दिया। हिंदुस्तान दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है यहांएक हजार से अधिक विश्वविद्यालय हैं, 50 हजार से भी अधिक डिग्री कॉलेज हैं, 15-16 लाख स्कूल हैं, 1 करोड़ 10 लाख केवल अध्यापक हैं और छात्र-छात्राओं की संख्या देखें तो अमेरिका की कुल जनसंख्या जितनी है उससे भी ज्यादा 33 करोड़ छात्र छात्राएं हैं। मैं अपने तैतीस करोड़ छात्र-छात्राओं से संवाद करता हूं। वो कहते हैं हम पढ़ना चाहते हैं औरहम इस संकट का मुकाबला करेंगे। हम स्वयं भी सुरक्षित रहेंगे और अपने परिवार को भी सुरक्षित रख करके अध्ययन करेंगे। यह ऐसा संकट आया कि अचानक पूरा देश ठहर गया, दुनिया ठहर गई और शिक्षा का तंत्र ढह गया। अभिभावक घरों में कैद हो गए तथा बच्चे भीघरों में कैद हो गये। ऐसी मुश्किल घड़ी में भी हिन्दुस्तान की शिक्षा व्यवस्था ने संकल्पशीलता का परिचय दिया और हमारे देश के प्रधानमंत्री श्रीनरेन्द्र मोदी अक्सर कहते हैं कि जब चुनौती बड़ी होती है और उसका डटकर मुकाबला होता है तोवह अवसरों में तब्दील हो जाती है और यह भी अवसर में तब्दील हुई। हम बच्चों को ऑनलाइन शिक्षापर लाए। हमने उन बच्चों पर पकड़े रखा तथा हमवोदेशहैजिन्होंने समय परपरीक्षा भीकरवाईऔर समय पर रिजल्ट आगया। हमने जेईई की भी परीक्षा करवाईऔर कोरोना काल की सबसे बड़ी परीक्षा नीट को करवाने में हम सफल रहे हैं और इसके पीछे हमारे अध्यापक और हमारे छात्र हमारी ताकत है और इसीलिए जिस दिन छात्र खड़ा हो जाएगा औरजिस दिन अध्यापक भी तैयार हो जाएगा तो तस्वीर बलद जाएगी। अध्यापक को भी हमने निष्ठा के माध्यम से जैसाअभी सीबीएसई बोर्ड ने कहा है कि दस लाख अध्यापकों को निष्ठा के तहतआनलाइन प्रशिक्षित देगाक्योंकि अध्यापक ताकतवर होना चाहिए और उस योद्धा को तैयार करना है और इसलिए अध्यापक में कोई कमी न रहे। अध्यापक के सीधे लगातार संपर्क तथा परामर्श और विमर्श के माध्यम से हम ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ का भी गठन कर रहे हैंजहांअंतिम छोर के व्यक्ति को तकनीकी की भी शिक्षा मिल सके। वह भी तकनीकी का उपयोग कर सके और इससे हम‘वोकल फोर लोकल’ पर जाएंगे। लोकल से ग्लोबल तक अर्थात् अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जाएंगे और यही हमारी शिक्षा का मसौदा है मुझे भरोसा है कि इस मसौदे केआधार पर मेरे शिक्षक ने जो लीडरशिप अपने हाथ में ली है, उसे और मजबूत करेंगे। खूबसूरत और नई दुनिया बनाने की ताकत रखने वालीनईशिक्षा नीति 2020 को हम सब क्रियान्वित करें। सीबीएसई बोर्ड इसका खूबसूरत उदाहरण हैं हमारे राजदूत जी कह रहे थे कि जो केंद्रीय विद्यालय हैं अब वो बहुतखूबसूरत हैं। हमारे यहांकेंद्रीय विद्यालयों में हमारे बच्चे सीबीएसई बोर्ड के तहत आते हैं लेकिन उनकी खूबसूरती बिल्कुल अलग ही है।अभी कुछ दिन पहले राष्ट्रपति भवन में हमने एक लैंग्वेज लैब का उद्घाटन किया। महामहिम राष्ट्रपति जी कीश्रीमती जो हिन्दुस्तान की पहली महिला हैं उन्होंने उसका जब लोकार्पण किया तो वे बहुत गदगद हो गई। उनकी आंखों में खुशी के आंसू छलक आए। बच्चे बोले कीआप चिंता मत करिए राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा भी हमारे हाथों में हैं।हमआश्वस्त हो सकते हैं कि दुनिया में कोई भी कठिनाई आएगी तो हमारी सीबीएसई का यह जो बच्चा है, यह हमारे प्राचार्य हैं, यह पूरी दुनिया में योद्धा की तरह खड़े हो करके विषम परिस्थितियों में मार्ग निकाल सकते हैं। मैं आपको बधाई देना चाहता हूँ और शुभकामना देना चाहता हूँ किदोदिन तक चलने वाला यह परामर्श निश्चित रूप सेइस एनसीपी को लागू करने की दिशा में एकआधारशिला बनेगा। इसलिए मैं सऊदी अरब के जो शिक्षा मंत्री हैं उनका भी अभिनंदन कर रहा हूं और उनके प्रधानमंत्री जी से भी मैं अनुरोध कर रहा हूं कि आज उनका भी पूरा योगदान हैऔर मैं कोशिश करूँगा की जल्दी हीअगला क्षणहो जब यहांके शिक्षा मंत्री जीसे हम संवाद करें, हम बहुत खूबसूरत दुनिया बनाना चाहते हैं। सीबीएसई के माध्यम से हम इसे बनाएंगे और हमने संकल्प लिया है क्योंकि हम मानवता के लिए सब कुछ कर रहे हैं। हम ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार को साथ ले करकेनए अनुसंधान करेंगेऔर हम दुनिया को बताएंगे कि खुबसूरत दुनिया ऐसी होती है। इसलिए मैं एक बार पुन:इस सहोदयपरिवार को बधाई देना चाहता हूं। आप अनवरत काम कर रहे हैं और उसका यह प्रमाण है कि ऐसी विषम परिस्थिति में भी आपने यह अच्छा आयोजन किया है। मुझसे जुड़े पूरी दुनिया के सीबीएससी बोर्ड के सभी अध्यापकगण, सीबीएसई बोर्ड के सभी अधिकारी व सीबीएसई बोर्ड के मेरे छात्र और छात्राओं और उनके अभिभावक मैं आप सबका अभिनंदन करता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- श्री सुभाष नायक, अध्यक्ष, गल्फ सहोदय परिसर,
- श्री मनोज आहूजा, अध्यक्ष, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड
- श्री मेराज खान, संयोजक, गल्फ सहोदय परिसर