प्रतियोगी/बोर्ड परीक्षाओं के संबंधमें देश भर के शिक्षकों, अभिभावकगणों और छात्रों के साथ संवाद

 

 प्रतियोगी/बोर्ड परीक्षाओं के संबंधमें देश भर के शिक्षकों, अभिभावकगणों और छात्रों के साथ संवाद

 

दिनांक: 10 दिसम्‍बर, 2020

 

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

मुझे भरोसा है कि आप सभी लोग आनंदित होंगे और इस चुनौती का मुकाबला कर रहे होंगे।जैसे कि आपको पता ही है कि आज मैं शिक्षा के इससंवाद में आपके साथ जुड़ा हूं और इसलिए मैं संवाद में आपका अभिनंदन कर रहा हूं। मुझे याद है कि पिछली बार 11 मई को भी मैं आपके साथ जुड़ा था और ‘आचार्य देवो भव’ हो या ‘जल सुरक्षा’ का हो,वृक्षारोपण का हो,योग का हो,‘फिट इंडिया’ का हो,‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’का हो या परीक्षाओं को लेकर के हो, मनोदर्पण का हो,एक के बाद एक के बाद एक तमाम समय में लगातार मैं आपसे संवादकरता रहा हूं और आपके माता-पिता से भी संवाद करता रहा हूं, अध्यापकगण से भी संवादकरता रहा हूं। अपने छात्र-छात्राओं जैसेकि विश्वविद्यालयों के स्‍तर जहां स्कूली स्तर पर मैंने संवाद किया वहीं विश्वविद्यालय स्तर पर भी लगातार संवाद किया और मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को लेकर भी हमने लगातार चर्चाएं की और इसी श्रृंखला में लगातार संवाद के माध्यम से समाधान की ओर हम गए हैं और इसकोदेश ने भी देखा है दुनिया ने भी देखा है जब हम संवाद की श्रृंखला को और उसके समाधान की ओर ले करके गए हैं। मुझे लगता है कि हम लोगों ने लगातार विमर्श किएहैं पीछेके दिनों में जो हुआ अब काफी समय बदल गया। उस विचार विमर्श के बाद जो बदला वो बोर्ड की परीक्षाएं हो गई हैं उसका रिजल्ट आ चुके हैं। आप अब प्रतियोगी परीक्षाओं में भी बैठ चुके हैं तो उसके भी रिजल्ट आपके पास आ गया है। कॉलेजों की कटआफ लिस्ट भी जारी हो चुकी है और एक नजर अकादमिक सत्र की ओर भी अब हमने शुरूकर दिया है। परिवर्तन प्रकृति का नियम है और इस चुनौतीपूर्ण समय में परिवर्तन को अपनाते हुए जिस सफलतापूर्वक आपने अपने जीवन के इस समय को आगे बढ़ाया है वो अपने आप में एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है और शिक्षा विभाग लगातार जिस तरीके से आपके साथ लगातार संवाद और विषयों पर जुड़ा रहा है मैं शिक्षा विभाग भारत के शिक्षा मंत्रालय को औरसभी देश के राज्यों के शिक्षा मंत्रियों और उनकी टीम को मैं बधाई देना चाहता हूं कि बहुत विषम परिस्थितियों में भी हमने शिक्षा के इस अभियान को रुकने नहीं दिया है। मेरे प्यारे बच्चों, मैं समझता हूं कि आप सभी अपने दोस्तों के साथ जो दिनचर्या बिताते थे चाहे वह टिफिन में साथ-साथ खाने का विषय हो या मस्ती का विषय हो, प्रोजेक्ट तैयार करने का विषय हो,या प्रयोगशाला में अनूठे आविष्कार को उभारने का विषय हो स्वाभाविकहीहै कि वो आपके अनुभव है और आजकल आप सब इन अनुभवों को, उन खूबसूरत यादों को आप संजो रहे होंगे क्योंकि जो खूबसूरत यादें हैं वो हमारे जीवन की धरोहर होती हैं और हमारी स्मृतियां जीवन के यह पल हमारे मस्तिष्क में सदैवजिन्दा रहते हैं वे हमें आगे बढने की नकेवल प्रेरणा देते हैं बल्‍कि मन को सकून भी देते हैं और जब सुकून प्रदान होता है तो आदमी को आगे बढने का फिर एक मौका मिलता है, आगे बढने का भरोसा मिलता है। मुझे भरोसा है कि बहुत जल्दी हम अपने स्कूली जीवन में लौट आएंगे और जो यहपरिस्‍थितियां हैं,इनका मुकाबला करते हुए क्योंकि बहुत तेजी से परिस्थितियां अभी भी बदल रही हैं। हम फिर इसको निभाएंगे और अपनी पढ़ाई को उसी ढंग से विधिवत जारी रखेंगे। मैं समझता हूं कि जैसे पिछलीबार हम लोगों ने ‘माई बुकमाई फ्रेंड’ अभियान किया था आपको याद होगा तो अब मेरा सुझाव आपके लिए रहेगा किपेन फ्रेंड कल्चर की उस संस्कृति को जो चिट्ठी-पत्री की जो संस्कृति होगी आप जारी रखेंगे। आप अपने मित्र को पत्र लिख रहे होंगे। अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहे होंगे और ऐसे मौके पर जो क्रिएटिव आपने कियाहोगा जैसे आपने पिछली बार लिखा था कि आप कुछ न कुछ विशेष करके आप करेंगे वो आप ने किया भी होगा, कर भी रहे होंगे तो अपने मित्रों के साथ जरूर आप उसको बांट रहें होंगे। पत्र लेखन का आपका यह अभ्यास आपके भविष्य के लिए बहुत बड़ी ताकत बनेगा। अभी कुछ दिन पहले हमारे प्रधानमंत्रीजी को एक छात्र ने पत्र लिखा और हमको भी बहुत सारे इस तरीके के पत्र आए।जब उस छात्र कहा की इस कोविडके संकट के दौरान मेरी मां ने मुझको सिलाई कढ़ाईके गुणसिखलायें हैं और मुझे बहुत खुशी है कि मैं कुछ ऐसी चीजें कर पा रहा हूं जो मैं कभी सोच भी नहीं सकता था। ऐसीभिन्‍न-भिन्‍नपेंटिंग चाहे वो क्रिएटिव तमाम प्रकार के लेखन से कहानियां लिखने से लेकर के कार्टून तक और विभिन्न क्षेत्रों में आपने अलग-अलग तरीके से और प्रयोगात्मक विज्ञान के क्षेत्र में आपने अपने घर की वस्तुओं को जोड़ कर के आपने कई प्रकार के प्रयोग भी किए। मुझे बहुत खुशी है जब आपसंवाद करते हैं तो मेरा भरोसा और बढ़ जाता है कि मेरे देश के पास मेरी भावी पीढी में क्षमता है, प्रतिभा है और हर समस्या में समाधान करने का रास्ता है और उसमें विजन है। आज मुझे लगता है कि यह जो पत्र आपलिखेंगे यह ऐतिहासिक विरासत और परिवर्त्तन के साक्षी भी भविष्‍य में बन सकते हैं। मुझे भरोसा है कि आप इस समय का अच्छे से उपयोग कर रहे होंगे। हमारे प्रधानमंत्री जी ने जब कहा कि पढ़ने की आदत को बनाए रखना चाहिए। आपको याद होगा जब वो हमारे साथ कभी ‘परीक्षा पर चर्चा’ में मिल जाते हैं। कभी ‘ध्रुव तारे’ में मिल जाते हैं। हमारे देश के प्रधानमंत्री श्रीनरेन्द्र मोदी जी का हम से बेहद लगाव है और वो यह महसूस करते हैं कि जो हमारा नया भारतहै जो 21वीं सदी का भारत है, आप उसके शिल्पी है। इसलिए वो कहते हैं कि पढ़ने से बड़ा कोई आनंद नहीं है और ज्ञान से बड़ी कोई ताकत नहीं है। जब आप पढ़ेंगे, रीड करेंगे तो देश को लीड करेंगे। मुझे भरोसा है कि हमारे प्रधानमंत्री जी का जो यह वाक्य है हम इसे मन में संजो करके रखते होंगे। पीछे के समय हमने कहा था कि जब आप अपने जन्मदिन को मनाते हैं तो एक पेड़ का ज़रूर रोपण करेंगे। मुझे यह खुशी है कि न केवल आपने उसको किया बल्कि अपने परिवार के लोगों को भी आपने प्रेरित किया। मेरे पास तमाम ऐसी सूचनाएं है,संदेश है कि जब छात्र-छात्राओं ने कहा कि न केवल हमने बल्कि अपने परिवार के लोगों को भी जन्मदिन पर बजाए बड़े-बड़े होटलों में जाने के हम लोगों ने वृक्षारोपण किया,कुछ रचनात्मक काम किए।जिसका भी जन्मदिन था उसे भीआगे प्रेरित किया कि नहीं वो भी अपने जन्मदिन पर जरूर एक पेड़ लगाएं। मुझे बहुत खुशी है कि आप परिवर्तन के ध्वजवाहक भी बन रहे हैं और आपने एक नयी संस्कृति को भी पैदा किया है। अपने जन्मदिन पर आप पुस्तक भी भेंट कर रहे हैं तो यह भी बहुत अच्छी बात है और यह पठन-पाठन की जो संस्कृति है यह हमारी ताकत है उसको आप और बढ़ाइए। कुछ राज्यों ने पीछे के समय जब हमने राज्यों पर इस बात को छोड़ा तब आप बार-बार पूछ रहे थे कि कब स्कूल खुलेंगे?130 करोड़ लोगों का देश आप समझ सकते हैं औरयह देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और ऐसे में हमने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियोंसे यह अनुरोध किया था कि वे अपने राज्य की परिस्‍थितियोंको देखते हुए अपने स्कूलों को खोलें। पीछेके समय में 17 राज्यों ने अपनी स्कूलों को खोला है। हालांकि अभी छात्र संख्या बहुत कम आ रही है लेकिन जैसे-जैसे परिस्‍थितियांहोंगी वैसे-वैसे वो आगे बढ़ेंगे क्योंकि हमारे सामने आपकी सुरक्षा और आपकी शिक्षा दोनों बहुत जरूरी है। आपकी सुरक्षा पहले और आपकी शिक्षा फिर उसके साथ चट्टानकी तरह खड़ी रहेगी और इसलिए जो सीखने और सिखाने की प्रक्रिया है उसमेंलॉकडाउनके दौरान थोड़ा-सा व्यवधान आया है। मुझे भरोसा है कि बहुत जल्दी ही यह व्यवधान दूर होगा लेकिन आपका जो उत्साह है और जो ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत तो पीएम ई-विद्या जैसे व्यापक पहल जो शुरू हुई है और डिजिटल के माध्यम से ऑनलाइन और रेडियो माध्यम की मदद से 33 करोड़ छात्र-छात्राओं तक को जो पाठ्यक्रम को सुनिश्चित करनेकी कोशिश की है।यह दुनिया में अपने आप में बहुत बड़ा कदम है क्योंकि इस देश को यदि आप देखेंगे तो एक हजार से अधिक यहां विश्‍वविद्यालय हैं, 45 हजार से अधिक डिग्री कॉलेज हैं, एक करोड़ नौ लाख अध्यापक हैं और 15 लाख से भी अधिक इस देश में स्कूल हैं। यदि छात्रों की संख्या को मैं कहूंगा तो जितनी कुल आबादी अमेरिका की नहीं उससे भी ज्यादा 33 करोड़ से भी अधिक इस देश में छात्र-छात्राएँ हैं आप समझ सकते हैं कि दुनिया का आज कितना बड़ा विस्तार लिए हमारा देश है और इसीलिए हमने स्वयं है, दीक्षा है, स्वयं प्रभा है, जैसे ऑनलाइन माध्यमों से शिक्षा प्राप्त करने का कार्य किया है। हमने शिक्षा वाणी,पॉडकास्ट और साइन लैंग्वेज जैसे विभिन्न कार्यक्रमों को आप तक पहुंचाने की कोशिश की है और प्रज्ञागाइडलाइन के माध्यम से समय-समय पर विभिन्न निर्देश भी लगातार स्कूलों को जाते हैं जो आप तक आते रहे हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि सीबीएसई द्वारा आयोजित दसवी कक्षा की जो परीक्षा हुई उसमें 91 प्रतिशत छात्रों ने सफलता अर्जित की है। ऐसे समय में भी इस परीक्षा में कुल 17 लाख 50 हजार छात्र बैठे थे और जिसमें 16 लाख से भी अधिक छात्र उत्तीर्ण हुए हैं। 13छात्रों ने दसवीं की परीक्षा में 500 अंकों में से 499 अंक लेकर टॉप किया। कितनी बड़ी बात है। आज केन्द्रीय विद्यालय संगठन के 95 पर्सेंट से अधिक छात्र-छात्राएं इस परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं उनको भी मैं बधाई देना चाहता हूं और सीबीएसई को भी बधार्इदेना चाहता हूं। आपने शानदार प्रदर्शन किया है और सीबीएसई की  12वीं कक्षा का भी रिजल्ट अद्भुत था। 12 लाख छात्रों में से 10 लाख 50 हजार से अधिक उत्तीर्ण हुए और छात्रों की सफलता का प्रतिशत पिछले वर्ष के मुकाबले 5.38 प्रतिशत ज्यादा रहा है, यह भी बहुत बड़ी बात है।कोविडके इस दौरान भी आप लोगों ने जिस तरीके से, जिस हौंसले के साथ अपनी परीक्षाओं को दिया है वो अद्भुत है। त्रिवेंद्रम, बैंगलोर और चेन्नई जैसे क्षेत्रमें छात्रों ने इन परीक्षाओं में जिस तरीके का अच्छा प्रदर्शन किया है, मैं उन सभी छात्रों को बहुत बधाई देना चाहता हूं मैं शुभकामना देना चाहता हूं।एक यह भी मुझे अच्छा लगा कि अब सीबीएसई ने फेल शब्‍दको ही हटा दिया है। परीक्षण प्रक्रिया से फेल शब्द को हटा दिया है। अब कोई फेल नहीं होगा लेकिन उसकी प्रतिस्पर्धा और आगे तेजी से बढ़ेगी। किस ढंग से उसकी प्रतिस्पर्द्धा आगे बढ़ेंगी, किस तरीके से उसको अब नई चुनौतियों का मुकाबला करना है, आपके लिए पूरा मैदान खाली है। परीक्षा से जुड़े मानसिक और भावनात्मक तनाव दूर करने की दृष्टि से भी बहुत अहम कदम हम लोगों ने उठाए हैं। सीबीएसई की 2021की बोर्ड परीक्षाओं के लिए 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम को भी कम किया है। मैं यहसमझता हूं कि जो नीट जेईई की जो परीक्षाओं से जुड़ा विषय है वो भी आपके सामने कई बार लगातार आ रहे हैं और मुझे लगता है अभी भी आपके मन में बहुत सारे सवाल होंगे। इसको करके जेईई और नीट की परीक्षाएं क्या हो,कैसे हो कबहो,बहुत सारे सवाल जरूर आपके मन में उथल पुथल मचा भी रहे होंगे?लेकिन मुझे इस खुशी है कि हमनेजेईई की समय पर परीक्षा आयोजित की। आपका वर्ष खराब नहीं होने दिया।जेईई एडवांस की भी समय पर परीक्षा आयोजित की और नीट की भी समय पर। नीट दुनिया की इसकोरोना काल की सबसे बड़ी परीक्षा साबित हुई है और इन परीआओं का आयोजन बहुत सावधानीपूर्वक बहुत अच्छे तरीके से हुआ और आप सबको मालूम है कि जब जेईई और नीट की परीक्षा हमने करवाई थी तो उसके बाद जिन राज्यों में चुनाव हुए है विशेष  करके जो बिहार में आम चुनाव हुआ था विधानसभाओं का और उसमें चुनाव आयोग ने बाकायदा जेईई और नीट में जिस तरीके से व्यवस्था की गई उसका उदाहरण लेते हुए चुनाव कराया था और वो भी सफलतम चुनाव हुआ था। करोड़ों लोगों ने अपने मतदान का उपयोग किया था, यह छोटी बात नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक देखने लायक बात है, एक समझने वाली बात है जो हमारे प्रधानमंत्री जी की इच्छा शक्ति को प्रदर्शित करती है। जो नीट काएग्जाम है,उसमें पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 5.34 प्रतिशत अधिक बच्चों ने रजिस्ट्रेशन करवाया। यह भी अपने में रिकॉर्ड है और कोरोना के मध्यनजर सोशल डिस्टेंस और सुरक्षा की दृष्टि से हमने परीक्षा केन्द्रों को जरूर बढ़ायाथा। 52प्रतिशत के करीब लगभग-लगभग बडा करके 3862 परीक्षा केन्द्रों को स्थापित किया था तो उसको हमने 52प्रतिशत इसलिए बनाया था कि हमारे लिए आपकी सुरक्षा सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण थी। आज जेईई के लिए भी और जो सेंटर बनाए थे, सबके वो 570 से बढ़ाकर 660 कर दिए थे और 99 प्रतिशत छात्रों को उनकी पहली प्राथमिकता के आधार पर परीक्षा केन्द्र प्रदान किये गये यह भी पहली बार हुआ और एक बार नहीं, दो-दो बार नहीं, तीन बार यदि उसको चेंज करना पड़ा तो अंतिम क्षणतक भी ऐसे अवसर आए यह भी पहली बार हुआ।99प्रतिशत छात्रों को जो जहां अपना केन्द्र चाहते थे उनको उनके अनुरूप केन्द्र मिला उनका जो निकटस्थ केन्द्र था। अब मुझे लगता है कि जैसे आप बार-बार जब मुझे मेल भेजते थे, मेरे ट्वीटर पर चर्चा करते थे कि ऐसा समय है कि जब हम बाहर नहीं निकल सकते और हमको नीट की परीक्षा को देना है तो कैसे हम अभ्यास करें तो मैं एनटीए के डीजी को भी इस अवसर पर बधाई और धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने नेशनल टेस्टिंग ऐप एक नया ऐसा एप बनाया था जिसमें आप लाखों छात्रों ने अपनी परीक्षा को स्‍वयंलिया था और उसी का परिणाम था कि आप में आत्मबल बना। आपके घर पर ही आपको पूरा ऐसा क्षेत्र दे दिया था कि मोबाइल पर जब आपको इस बात का गर्व हुआ होगा और आपको आत्म विश्वास हुआ होगा कि हां, जो परीक्षा आपने दी हैउसमें यह कितना सहायक आपके लिए साबित हुआ है। मुझे खुशी है कि सीबीएसई ने भी एक टोल फ्री शेड्यूलिंग काउंसिलिंग की सुविधा छात्रों को उपलब्ध कराई है और इसके माध्यम से 75काउंसलर भारत में और 22 काउंसर जापान, ओमान अरब, नेपाल, कुवैत जैसे देशों को भी सुविधायें उपलब्ध करवाई हैं। आपको याद होगा और आपको यह जानकर बहुत खुशी होगी कि हमारे सीबीएसई के पूरी दुनिया में स्कूल हैं और सीबीएसई स्कूलों में जाने के लिए कुछ दिन पहले मैंओमान से जुड़ा था और आज ओमान के शिक्षा मंत्री और सब लोगों ने इस बात को स्वीकार किया है कि जो सीबीएसई का पाठ्यक्रम हैउसमेंउत्कृष्टता है।वहांदर्जनों स्कूल हैं और मैं समझता हूँ कि बहुत सारे देश में लगभग 27-28 देशों में यह स्कूल हैं सीबीएसई के। आपको याद होगा कि जब यह बार-बार अभिभावकों से और आप लोगों से यह संदेश आया कि हम बाहर नहीं जा पा रहे हैं और ऐसी स्थिति में मानसिक दबाव बढ़ रहे हैं और अवसाद में जाने की स्थिति होती है तो हम लोगों ने तुरंत आपसी विचार-विमर्श एवं परामर्श करके हम लोगों ने ‘मनोदर्पण’ जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम की योजना को लाये थे और उस ‘मनोदर्पण’ में आज 300 से भी अधिक ऐसे मनोवैज्ञानिक हैं जो लगातार आपसे संवाद कर रहे हैं। उनकी वेबसाइट में जाकर के तमाम प्रकार की वो गतिविधियां हैजब भी कोई परेशानी आपको होती है आप उस वेबसाइट का अध्ययन कर सकते हैं उससे अपनी सूचनाओं को निकाल सकते हैं और ज़रूरत पड़े तो चौबीसों घंटे वो 300 डॉक्टर आपके लिए हेल्पलाइन के साथ जुड़े हुए हैं। आपको यह भीखुशी होगी की जब पूरी दुनिया कोविड के संकट से गुजर रही थी। और अभी भी उस संकट से उबरी नहीं है, ऐसे वक्त में हमारे देश में एक वरदान के रूप में नई शिक्षा नीति का उदय हुआ है। ऐसी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 जिसको पूरी दुनिया ने, पूरे देश ने बहुत उत्सव के साथ उसको स्वीकार किया है और आप सबको पता है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा नवाचार तथा परामर्श था जिसमें ग्रामप्रधान से लेकर के आदरणीयप्रधानमंत्री जी तक, छात्र से लेकर अभिभावकों तक,विभिन्‍न विश्‍वविद्यालयों के कुलपति से लेकर के और अध्यापक तक को शामिल किया गया था। मैं समझता हूं कि देश में जहां चौतरफा इस नई शिक्षा नीति की प्रशंसा हुई है चाहे वो वैज्ञानिक हो, चाहे कोई संस्थाएँ हों, ग्राम सभा से लेकर के पार्लियामेंट तक उसमें बहस हो,उसके बाद भी उसको पब्लिक डोमेन में डाल कर के 2 लाख से भी अधिक उसपर सुझाव मिले हैं और उन सुझावों का विश्लेषण करने के बाद यह शिक्षा नीति बनी है जो आज इस देश के प्रख्यात वैज्ञानिक कस्तूरीरंगन जी की अध्यक्षता में निर्मित हुई है। श्री कस्तूरीरंगन जी पद्म श्री, पद्म विभूषण, पद्म भूषण और इसरो के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं और आज पूरी दुनिया के देश यह कह रहें हैं कि हम इस नई शिक्षा नीति को भारत की एनईपी को अपने देश में लागू करना चाहते हैं। अभी कुछ दिन पहले कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने इसकी बहुत प्रशंसा की और कहा कि जो भारत अब ज्ञान का केंद्र बनेगा और उन्होंने इस बात के लिए शिक्षा मंत्रालय को और हमारे प्रधान मंत्री जी को बधाई दी है। भारत जो पूरे विश्वमें गुरु था उस भारत के गुरुत्व का पुनरुद्धार इस नई शिक्षा नीति में देखने को मिल रहा है, यह छोटी बात नहीं बल्कि बहुत बड़ी बात है। अभी कल ही जब संयुक्‍तअरब अमीरात के शिक्षा मंत्री जीजिनके साथ डेढ घंटे हमारी वर्चुअल मिटिंग हुई उसमें उन्होंने इस नई शिक्षा नीति की बहुत प्रशंशा की है बहुत सारी चीजों पर दोनों देश किस तरीके से काम कर सकते हैं और शिक्षा को और सुदृढ कर सकते हैं इस दिशा में उन्होंने अपेक्षा की कि क्या-क्या हो सकता है तो मैं समझता हूँ कि यह जो नई शिक्षा नीति है यह नई शिक्षा नीति आपके लिए तमाम अवसरों को लेकर आयी है, व्यापक परिवर्तन और व्यापक सुधारों के साथ आई है। नई शिक्षा नीति यह जो आपके भविष्य का विजन डॉक्यूमेंट होगी और यह जो अभी मैं चर्चा कर रहा था की मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने जो 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की बात की है, ऐसा भारत जो स्‍वच्‍छ भारत हो,सुंदर भारत हो, स्वस्थ भारत हो,सशक्त भारत हो,आत्मनिर्भर भारत हो, श्रेष्ठ भारत हो, उस श्रेष्ठ भारत की, उस स्वर्णिम भारत की आधारशिला यह नई शिक्षा नीति बन करके आई है। मुझे भरोसा है कि यह नईशिक्षा नीति आपको विकल्प भी देगी और अवसर भी देगी। इसकी मदद से आप रिफॉर्म करेंगे, ट्रांसफॉर्म करेंगे और परफॉर्म भी करेंगे।यह जो शिक्षा नीति है यह नेशनल भी है, यह इंटरनेशनल भी, इम्पैक्टफुल भी है,इंटरएक्टिव भी है, इनक्लूसिव भी है, इनोवेटिव भी है और यहइक्‍विटी, क्वालिटी और एक्‍सेसकी आधारशिला पर खड़ी है।यह भारत केंद्रित है,यह जीवन मूल्यों सेजुडी भी है। आज दुनिया जिस संकट से होकर गुजर रही है उसमें लगातार यह महसूस होता है कि भारत की शिक्षा जीवन-मूल्यों से जुड़ी थी जिसमें ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, नवाचार भी था लेकिन उसकी मूल रीढ़जीवन मूल्यों की शिक्षा होती थी। भारत केंद्रित यह नई शिक्षा नीति नए बदलाव के साथ आपके सामने आई है। आप इस नयी शिक्षा नीति के ब्रांड एम्‍बेडकर है औरआपके माध्यम से ही इसको और आगे बढ़ना है और आज फिर हम एक बार विमर्श के लिए आये हैं। मैंने मोटी-मोटी बातें आपसे कहीं हैं अभी भी आपके मन में क्‍योंकि अभी मैं देखरहा हूं कि बहुत सारे सवाल आपके मन में हैं और मैं लगातार देखता हूं कि एक के बाद एक बहुत सारे प्रश्न सामने आ रहे हैं, तो मैं शुरू करता हूं। मैं आपको शुभकामनाओं के साथ शुरूकरता हूं किआपके मन में इसके बाद भी यदि कोई आपके कुछ सुझाव आए थे उन सुझावों को मैंने निचोड़ करके कुछ चर्चा की और अभी भी लगातार आपके सुझाव आते रहे हैं। अभी भी आपको कुछ प्रश्न करना हो तो आप करिए।

 

प्रश्‍न  – जिग्‍यांस

 

जिग्‍यांस कह रहे हैं कि मैं 12वीं क्लास का छात्र हूँ और हम लोगों को आज स्कूल बंद होने की वजह से लैब में जाने और प्रैक्टिकल करने का ज्यादा मौका नहीं मिल पाया। क्या हम लोगों की सीबीएसई की प्रैक्टिकल परीक्षाएं रद्द या पोस्टपोंड होंगी?

 

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

जिग्‍यांसयह बात बिल्कुल सही है और आपका जो कहना है कि आपको लैब में जाने का मौका नहीं मिल पाया तो क्या यह प्रैक्टिकल स्थगित होंगे या बंद होंगे या आगे केलिए होंगे। मैं आपको कहना चाहता हूँ जिग्‍यांसजो सीबीएसई का जो बोर्ड है उसमें जो प्रैक्टिकल होते हैं वो स्कूली स्तर पर होते है और इसलिए यदि ऐसा लगेगा कि संभावनाएं नहीं दिखेंगी कि आप अपने लैब में नहींजा पा रहे हैं और प्रैक्टिकल नहीं कर पा रहे हैं वैसे तो मुझे भरोसा है कि आगे आने वाले समय में परिस्थितियां अनुकूल होंगी लेकिन यदि ऐसा लगेगा कि अभी भी परिस्‍थितियांअनुरूप नहीं हो रही है या अनुकूल नहीं हो रही हैं तो उसके बारे में विचार किया जाएगा। आपका प्रश्न बिलकुल जायज है कि यदि लैब में प्रैक्टिकल नहीं होगा, अभ्यास नहीं होगा तो परीक्षाएँ कैसे करके दी जाएंगी तो इस दिशा में निश्चित रूप में जो आपका सुझाव है बहुत महत्वपूर्ण सुझाव है जिस पर हमलोग विचार करेंगे।

 

 

प्रश्‍न – अभिशम

आप कह रहे हैं कि यदि हम प्रतियोगी परीक्षाओं से 10 से 20 प्रतिशत पाठ्यक्रम को हटा दें और शेष पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए छात्रों को कुछ अतिरिक्त समय दे तो यह सबसे बड़ा अच्छा काम होगा। परीक्षा रद्द नही करें लेकिन छात्रों को अतिरिक्त समय दे?

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

अभिशम यहबिल्कुल सही बात है और आपने जो कहा है कि 10 से 20 प्रतिशत पाठ्यक्रम कम कर दें और थोड़ा सा समय बढा दें। आपका जो विचार है बिल्कुल सही है और आपको मालूम है कि कुछ तो अभी 10 से 20 प्रतिशत पाठ्यक्रम कम किया है। सीबीएसई ने तो 30 प्रतिशत तक अपने पाठ्यक्रम को कम किया है और आपने कहा है कि आगे के समय में थोड़ा सा और मौका मिलना चाहिए।यदि ऐसी ही परिस्थिति रही तो आपको याद होगा कि पिछली बार हमको एक बार, दो बार, तीन बार परिस्थितिजन्य निर्णय लेने पडे थे। कब तो परीक्षा होती थी और परीक्षा के बाद फिर पीछे गए। आम लोग इस आशा में रहे अब क्या होता है लेकिनहमनेदो बार या तीन बार लगभग उन तिथियों को परिवर्तित किया है। यदि कभी ऐसी परिस्थिति होगी कि आपको समय चाहिए तो समय का विस्तार करनाहै तो उन परिस्थितियों पर निर्भर करेगा लेकिन आपकी बात बिल्कुल सही है और आपके बहुत सारे कंसर्न जो आपने इच्छा व्यक्त कि हैऔर मैंने देखा है बहुत सारे लोगों के सुझाव आए हैं जैसे आपने सुझाव दिए हैं।

 

प्रश्‍न–प्रियांशु

 

प्रियांशु कहरहे हैं कि हमारे सिलेबस से हटाए गए चैप्टर्स को ले कर के छात्रों और हमारे शिक्षकों के बीच अभी भी काफी संदेह बना हुआ है। क्‍याहटाए गए चैप्टर्स के विषय में पृष्ठ संख्या के साथ साथ एक डिटेल हमें वीडियो और पीडीएफ के माध्यम से जानकारी प्राप्त हो सकती है?

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

प्रियांशु आप ने जो प्रश्न किया है वो प्रश्न कई और छात्रों का भी है और मुझे लगता है और कुछ छात्रों ने यहकहा है कि जब ये प्रश्न आए तो बहुत सारे छात्रों ने लिखा कि हमारे स्कूल ने सम्पूर्ण जानकारी हमको प्राप्त प्रदान कर दी है। यह जो सीबीएसई का बोर्डहै इसकी आप यदि साईट पर जाएंगे तो उनकी वेबसाइट पर आपको सब कुछ मिल जाएगा। सीबीएसई के चेयरमैन मनोज आहूजा जी ने मुझे बताया और हमारी जो सचिव स्कूलीशिक्षा की अनिता जी ने मुझे बताया कि हमने और ग्रांट दी उस सीबीएसई बोर्ड का जो पेज है जो उसका साइटहै उस साइट पर ऑलरेडी इसको डाला है तो आप उसको निकाल सकते हैं, देख सकते हैं और उन्होंने सभी स्कूलों को भेज दिया। आपके माध्यम से मेरे साथ स्कूलों के सभी प्रधानाचार्य जुड़े हुए हैं मैं उनसे अनुरोध करूंगा कि अपने बच्चे तक, सभी छात्रों तक जो सीबीएसई की ये सूचनाएं हैं जिसमें बहुत स्पष्ट तरीके से क्या हटाया गया है उसमें साफ साफ है कितना हटाया गया किस पृष्ठसे है सब बताया गया है तो उसमें बहुत स्पष्ट जानकारी है यह भ्रम रहना नहीं चाहिए। आज छात्र अध्यापक के बीच भी नहीं रहना चाहिए ये प्राचार्यों को मैं अनुरोध करूंगा। सभी स्कूलों के प्राचार्यों से मैं अनुरोध करूंगा कि वो उसको देखें और अपने अध्यापकगणों को भी उस जानकारी को दें और अपने छात्रों तक हर हालत में इसको पहुंचाएं। लेकिन इसमें कोई भ्रम की स्थिति नहीं रहनी चाहिए।

 

 

प्रश्‍न – अभय सिंह

 

अभय सिंह कह रहे हैं कि सभी बोर्ड की परीक्षाएं अक्सर मार्च की शुरूआत में हो जाती हैं किन्तु हमें नए पेपर पैटर्न को समझने, लिखने और अभ्यास करने के लिए थोड़ा समय चाहिए। क्या परीक्षाओं का आयोजन थोड़ा आगे बढ़ सकता है?

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

आप कह रहे हैं कि परीक्षाएं अक्सर मार्च की शुरूआत में हो जाती हैं और नए पैटर्न को समझने और लिखने के लिए आपको अभ्‍यासकरना पड़ता है। मुझे लगता है कि हमलोगों ने पीछे के समय जब बोर्ड की परीक्षाओं का जो समय होता था वो पहले ही हमलोगों ने निश्‍चित किया है और आपको समय मिलता है तो इतने समय पहले ही घोषित हो जाएंगी तिथियां तो उन घोषित की गई तिथियों में आपको आगे जो पाठ्यक्रम  है,उसकी तैयारी करनेका मौका मिलता है और मुझे लगता इसमें कोई शंका नहीं होनी चाहिए।हमने पहले भी देखा और आपकी जो जिज्ञासा है, जिज्ञासा-पूर्ति के लिए हम समय-समय पर देखेंगे। आपको तैयारी का पूरा मौका मिला अथवा नहीं, हम आपके साथ हैं।

 

प्रश्‍न – सुधा

 

सुधा जी कह रही हैं कि बोर्ड के छात्रों के लिए स्कूल फिर से खुल रहे हैं तो उनकी सुरक्षा कैसे निश्‍चित होगी क्योंकि एसओपी का पालन करने के बावजूद कुछ राज्यों में स्कूल खुलने के बाद छात्रों में संक्रमण की सूचना मिली है?

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

आपके सवाल के संदर्भ में यदि आप देखें तो यदि कोई स्कूल न भी आये और केवल घर में ही रहे लेकिन नियमों का ठीक से अनुपालन नहीं कर तो वह घर में भी संक्रमित हो सकता है। हम दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा नीट भी करा लेते जब नियमों का पालन ठीक से होता है तो बिहार जैसे राज्य में आम चुनाव भी हो जाते हैं। आपके हाथ पर बहुत कुछ निर्भर करेगा क्योंकि मैं समझता हूं कि परिवार और छात्र दोनों मिलकर अपनी सुरक्षा के लिए मास्‍कका ज्यादा से ज्यादा उपयोग आप करेंगे। जैसे आप बाहर निकलते हैं तो आपस में व्यक्तिगत दूरी बना करके रखेंगे इसका पालन होगा तो मुझे लगता नहीं कि कोई अप्रिय स्थिति आयेगी।यदि आपने ठीक से पालन किया है और यदि ठीक से पालन हुआ है तो हमारे द्वारा आयोजित नीट दुनिया का सबसे बड़ा उदाहरण है।14-15 लाख छात्र परीक्षा में बैठ जाते हों और मुझे लगता है कि शायद ही कोई उदारण होगा तो एकाध उदाहरण ऐसा हो सकता है,अपवाद के लिए लेकिन हमने यह दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा भी कराई। इसलिए सुधा जब भी यह स्कूल खुलेंगे तो स्कूल के प्रबंधकों से भी मेरा अनुरोध रहेगा और अभिभावकों से भी और जो बस में या गाड़ी में जब बच्चे जो आ रहे हैं घर से जैसे ही निकलते हैं तो हर एक कदम पर उन सुरक्षा निर्देशों का जरूर पालन करेंगे और स्कूल यदि सुरक्षानियमों का पालन करेंगे तो कम से कम मैं यह कह सकता हूं कि उससे कोई भी प्रभावित नहीं होगा लेकिन चौकसी हमकोस्कूल में भी रखनी पड़ेगी, यातायात में भी रखनी पड़ेगी,अपने घर से आते समय भी रखनी पड़ेगी और एक-एक कदम पर घर से जाने तक और वापस पहुंचने तक हमको सावधानी रखनी पड़ेगी। यह सावधानियां आपको रखनी हैं, आपके चालकों को भी रखनी है,आपके प्रबंधकों को भी रखनी हैं,आपके अभिभावकगण को भी रखनी हैं,आपकेअध्यापक को भी रखनी हैं, पुलिस बल को तो रखनी ही रखनी हैं। इसलिए हम लोग सब मिलकर के उन सुरक्षा नियमों का पालन करेगें तो काफी कुछ सुरक्षा हमें मिल जाएगी।

 

प्रश्‍न – मनीष

 

मनीष जी कह रहे हैं कि  बोर्ड की परीक्षाओं का सिलेबस और कम करने की जरूरत नहीं है केवल परीक्षा की तिथि आगे बढ़ाएं?

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

बहुत अच्‍छी बात है मनीष जी,सिलेबस कम करने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन आगे हम लोग बढ़ाते ही हैं और बढ़ाया ही हमने आपको। हमने समय-समय पर जो समस्याएं सामने आई हैं उसके तहत सिलेबस को कम करना पड़ा है, जिसे हमने परिस्थितिवश किया है क्योंकि विद्यार्थियों पर ज्यादा दबाव न हो, तनाव न हो, ज्यादा बोझ न हो और ऑनलाइन पर किस तरीके से अध्यापक और अभिभावक मिल करके जिसमें आपकी सुरक्षा भी होऔर मनःस्थिति भी में कोई दबाव और तनाव न हो इसलिए उसको कम किया है लेकिन जैसे ही सामान्य स्थिति होगी मनीषआपकी तरह बहुत सारे छात्रों ने मुझे अच्छा लगा कि उन्होंने कहा कि यह पाठ्यक्रम पूरा हो तो अच्छा है। मुझे लगता है कि इन सभी बातों के माध्यम से उन सभी छात्रों को मैं कहना चाहता हूं कि यह पाठ्यक्रम को कम करने का जो विषयहै वो परिस्थितिजन्य है और यदि सामान्य स्थिति आएगी तो आपका पाठ्यक्रम आपके साथ-साथ चलेगा,बढेगा और आप उसको पूरा कर लेंगे।

 

प्रश्‍न – अभय

 

अभय जी कह रहे हैं कि जैसेकि सीबीएसई ने बोर्ड के सिलेबस को कम कर दिया है यानि हमारे ऊपर से पढाई का प्रेशर कमहो चुका है ऐसे में जेईई मेन्स में सिलेबस को कम करने की क्या आवश्यकता है?

 

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

आपने बिल्कुल सही पूछा है और आपका शायद तात्पर्य यह है कि यदि इधर का सिलेबस कम हो जाता है तो क्या जेईई का भी पाठ्यक्रम थोड़ा सा कम होगा? इस पर हमलोग लगातार विचार कर रहे हैं और वो जो पाठ्यक्रमकम हुआ है आगे यह कोशिश कर रहे हैं कि कितने प्रश्नों को किस ढंग से पूछा जाएं। यदि कहीं 10% तो कहीं 20 से 30 प्रतिशत जो कम हुआ है और कुछ स्थान ऐसे हैं जिन्होंने पूरा कम नही किया। कुछ बोर्ड ऐसे हैं सीबीएसई बोर्ड नहीं केवल जिन्होंने 30 प्रतिशत कम किया है। बहुत सारे राज्यों के बोर्ड अपना पाठ्यक्रम अपने ढंग से कम करने पर विचार कर रहे हैं। हम यह विचार कर रहे हैं कि किस सीमा तक प्रश्न पूछे जाएं ताकि वहां तक भी कवरहो जाये और जिसने वहां तक किया वो भी कवर हो जाए।इसका मतलब है कि यदि सौ प्रश्न आते हैं तो आपको 120 करने हैं।इन 120 प्रश्नों में वो भी कवरहो जायेंगे जिसने 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत कम पाठ्यक्रम पढ़ा है तो इसमें भी हम विचार कर रहे हैं। इस क्रम में जिसने पूरा पढ़ा होगा जिसे पूरे सिलेबस का यदि नॉलेज है तो वह पूरा का पूरा कर सकता है। लेकिन यदि दस बीस प्रतिशत कम वाला है और उसको पूरा का पूरा नॉलेज है तो वो भी उसको भी कवर कर सकते हैं। ऐसे कोशिश कर रहें हैं।

 

प्रश्‍न – नवीन

नवीन जी  कह रहे हैं हमस्टूडेंट्स के बीच जेईई परीक्षा के आयोजन की तारीखों को लेकर काफी कन्फ्यूजन है, भ्रम है।क्‍या इस परीक्षा के आयोजन एक फिक्स तिथि या तय तारीख नहीं दी जा सकती जिससे कि हम अपनी तैयारी पूरी कर सकते हैं।

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

मुझे लगता है कि इसकीहम कोशिश कर रहे हैं या आपने जो कहा है कि क्या इसकी तिथि को सुनिश्चित करना यह आपका अच्छा सुझाव है और हम यह कोशिश करेंगे कि हम जेईईकी परीक्षा का जो आयोजन हैजो तारीखें हैं उसको और कैसे करके पहले ही सुनिश्चित कर लें। लेकिन दूसरी बात जो आप जैसेबहुत सारे छात्र छात्राओं ने पूछी है और उसके संदर्भ में मेरे पास जो सूचनाएं आईं  हैं और अभी भी लगातार आ रही हैं किऐसा नहीं हो सकता है कि इसको थोड़ा सा दो बार, तीन बार कर दिया जाए। कुछने यह भी कहा है कि चार बार की जा सकता है यह परीक्षा ताकिछात्र को नए अवसर प्राप्त हो सकें। उसकी समय-समय पर परिस्थितियां बदलती रहती हैं और कठिनाइयों का दौर जारी है तो इस दिशा मेंआपके और आपके सभी साथियों के और सभी छात्र-छात्राओं के जो यह सुझाव हैं इस पर बहुत गंभीरता से विचार हमकर रहे हैं। गंभीरता से विचार कर रहे हैं कि क्या जेईईकी परीक्षा दो बार, तीन बार, यहां तक कि चार बारहो सकती है क्या? यदि संभावनाएं बनेंगी और हो सकने में कोई कठिनाई नहीं होगी तो मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूँ कि बहुत जल्दी ही एक बार हम इस पर डिसीजन भी लेंगे और इस पर भी कुछ सुझाव और लोगों से जो आ रहे हैं और भी हम सुझाव लेंगे। लेकिन आपका अच्छा सुझाव है, और आप स्वस्थ रहिये, जो सुझाव है आपका उसमें ताकत है।

 

प्रश्‍न – कृपा पटेल

 

कृपा जी कह रही हैं कि कृपयाहमेंजेईईके पाठ्यक्रम के बारे में बताएं हमें उस पाठ्यक्रम और परीक्षा की तिथि को जानना है जिसे हम देने जा रहे हैं ताकि हम रिवीजन कर सकें साथ ही सीबीएससी भी उसी अनुसार अपनी अभ्यास परीक्षाओं की व्यवस्था कर सकें। जेईई मेन्सऔर सीबीएसई के प्रैक्टिकल के बीच कोई संघर्ष न हो?

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

बहुत अच्छा सुझाव हैआपका। एक तो यह कहना है कि आपको पाठ्यक्रम सुनिश्‍चित रूप से मिल जाएं। दूसरे मेंआपका कहना है कि नीट की जो परीक्षाएं हैं आप जैसा प्रश्न बहुत सारे लोगों ने किया है। उन सभी को मैं कहना चाहता हूं कि जो आपने पाठ्यक्रम सुनिश्चित करने की बात की है कि क्या उसके पाठ्यक्रम सुनिश्चित मिल जाएगा तो उसका पाठ्यक्रम को किस तरीके से हम जैसे पिछले वर्ष कुछ बोर्डो के द्वारा जो पाठ्यक्रम में कमी कोदूर भी किया गया था तो 2021 के प्रश्नपत्रों में किस तरीके से भौतिकी, रसायन, गणित में प्रत्येक में कितने कितने अंको होंगे और कितने प्रश्न करने होंगे। यह पाठ्यक्रम  पहले निश्चित करने की हम कोशिश करेंगे। साथ में जो आपने कहा जो प्रेक्टिकल होते हैं और उस प्रैक्‍टिकलमें और जेईई की परीक्षाओं में दोनों में आपस में कोई टकराव न हो। बात तो सही है आपकी क्योंकि फिर आपको यदि बोर्ड की तिथि में जेईई की परीक्षा भी आ गई और आपका प्रैक्टिकल भी हुआ तो वह आपकी कठिनाई का कारण बन सकता है। इसलिए सीबीएसई  को हमने कहा है और सचिव,स्कूली शिक्षा ने मुझे अवगत कराया है कि सीबीएसई बोर्ड के जो चेयरमैन हैं मनोज जी ने आलरेडीइस बात को ध्यान में रखा है और आपके सीबीएसई बोर्ड की जो परीक्षाएं तथा प्रैक्टिकल हैं क्योंकि प्रैक्टिकल स्‍कूलको ही करना होता है तो उनको ये सुनिश्चित करना होगा कि जब जेईई की परीक्षाएं होंगी उन तिथियों में वो अपना प्रेक्टिकल न करें और किन्‍ही परिस्‍थतिवश ऐसा होता है कि वो तिथियां एक समय में आएंगी तो उनको अवसर दिया जाएगा। ऐसे यह निर्देश जारी भी हुए हैं लेकिन बिल्कुल सही हैं यह बातें दोनों जब एक साथ होते हैं तो बहुत कठिनाई होती है और हम यह भी कोशिश करेंगे कि जो यदि सौ प्रश्न हैंतो छात्र 75का उत्तर दे। हम प्रयास करेंगे कि कैसे करके आपको सुविधा दी जा सकती है ताकिआप सुगम तरीके से अपनी उन परीक्षाओं को अच्छे तरीके से कर सकें। यह हमारी कोशिश होगी।

 

प्रश्‍न – केशव राज

 

केशवराज जी कह रहे हैं कि नीट परीक्षा स्थगित कर दी जानी चाहिए और जुलाई के पहले सप्ताह में लिया जाना चाहिए?

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

नीट परीक्षा को कैंसिल करने का भी कोई विषय नहीं है और आपको तो मालूम है कि नीट की परीक्षाओं पर कितना बड़ा विवाद हो गया था, हो-हल्ला मच गया और हम लोगों ने कहाकि यह तो समझ आता है कि थोड़ा सा पीछे करले और जैसी परिस्‍थितियांबहुत खराब थी उसमें हमने एक बार दो बार और तीन बार परिवर्तन किया और जैसे मैंने अभी कहा कि हमने सेंटर बढ़ा दिए।छात्र को उसी की मनःस्थिति और उसी की परिस्‍थितिऔर उसकी इच्छा के अनुसार 99 प्रतिशत छात्रों को उनका केंद्र दिया। हमने तो ऐसी-ऐसी स्थिति में उसको कैसे करके सुविधा मिल सके और कुछ लोग मुझे कहना नहीं चाहिए लेकिन पतानहीं कौन लोग वो आन्दोलन भी कर रहे थे क्योंकि मेरे छात्र तो जब मैंने उनसेसंवाद किया तो छात्रों ने कहा हर हालत में जब अभिभावकों ने भी कहा कि हर हाल में नीट की परीक्षा होनी चाहिए, हमने बहुत तैयारी कर रखी है तब तक हम तैयारी करते रहेंगे और हम लोगों ने निश्चित किया। हां, आपकी सुरक्षा के लिए हम बहुत चौकस थे और आपके भविष्य के लिए भी उतने ही चौकस हैं। हम चाहते तो कैंसिल भी कर सकते थे। लेकिन यह देश का नुकसान होगा आपके भविष्यका, आपके जीवन का एक-एक पल हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आप स्वंय अपने लिए, आपके परिवार के लिए, मेरे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं और इसलिए जब हमारे देश के प्रधानमंत्री ने इस बात को कहा कि यदि चुनौतियां बड़ी होती हैं और उसका डटकर के मुकाबला होता है तो उतनी ही बड़ी सफलता भी अर्जित होती है इन कठिनाइयों का हमने मुकाबला किया और बहुत सारे लोग सुप्रीम कोर्टगए,मैंधन्यवाद देना चाहता हूं सर्वोच्च न्यायालय को जिसने कहा कि नहीं, छात्रों के भविष्य को अंधकार में नहीं धकेला जा सकता।इनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो लेकिन परीक्षा भी सुनिश्चित हो और हमने कराई। इसलिए जो आपका सुझाव है वो समय आगे बढाने का उसके संदर्भ में पहले अभी यही बिंदु है कि आगे तिथियांपूर्व से घोषित करने की कोशिश करेंगे ताकि उन तिथियों को लेकर आपका मानस पूर्णतः तैयार रहे कि उन तिथियों में आपको परीक्षा देनी है तो उसकी तैयारी आप समय से कर सकते हैं और इसलिए चाहे नीट है, चाहे जेइेईहै आपनिश्चिंत रहिए हम पूरी तरीके से आपके साथ हैं आपके समय-समय पर सुझाव आते रहेंगे और आपके सुझावों पर क्रियान्वयन भी होगा। आपने देखा होगा कि जो भी अब बीच के समय में हम आपके साथ संवाद करते रहें हैं जो-जो भी आपसे सुझाव आया वो हमने किया जो भी व्यावहारिक हो सकता था उस सीमा पर जा कर के किया। हम आपके साथ चट्टान की तरह हमेशा खड़े रहे। पूरामंत्रालय खड़ा रहा। पूरा शिक्षा मंत्रालय एवं पूरा शिक्षा तंत्र खड़ा रहा है और मुझे इस बात की खुशी है कि पूरी ताकत के साथ अध्यापक खड़े रहे हैं और अभिभावकों और अध्यापकों के बीच बेहतर समन्वय रहा है। अन्यथा 33करोड़ छात्रों को अचानक ऑनलाइन मोड़ पर शिक्षा देना कितनामुश्किल हैकोई सोच भी नहीं सकता, कोई कल्पना भी नहीं कर सकता सपना भी नहीं देख सकता जब अचानक कोई ऐसी परिस्‍थिति आ जाए और इसबड़े परिवर्तन के साथ में आपको सुविधा मिल जाए तो आप निश्चिंत रहिएहम आपके सुझावों का समाधान करते रहेंगे।

 

प्रश्‍न–पी.एस. कोहली

 

कोहली जी कह रहे हैं कि नीटपरीक्षा के संचालन की विधि क्या होगी? क्या यह ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड में आयोजित किया जाएगा?

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

मुझे लगता है कि अभी तक तो हम लोगों ने ऑफलाइन ही परीक्षाएं ली हैं और जेईई में हमने ऑनलाइन किया और जो नीट है, नीट में हमनेऑनलाइननहीं किया बल्कि ऑफलाइन किया है क्योंकि नीट की जो परीक्षा है वो जिस प्रेक्टिकल और तमाम चीजों से होकर गुजरती है उसमें बहुत समय भी लगता है और कठिनाई भी बहुत है लेकिन फिर भी जो आपने कहा है उसके बारे में एक बार हम और परामर्श करेंगे। क्या चाहते हैं लोग, आप क्या चाहते हैं? क्या ऑनलाइन की संभावना बन सकती है? और यदि यह विचार ज्यादा लोगों का आया और उसमें बहुत अच्छे तरीके से क्‍या विकल्‍प निकाला जा सकता है। वो आपके हित में ही होगा, हम आपको कहीं निराश नहीं होने देंगे तो मैं आप सबको बहुत शुभकामना देना चाहता हूं। जिस तरीके से आपनेइस समय को बचाया है मुझे इस बात को कहते हुए संतोष होता है कि जहां कोविड ने दुनिया के देशों ने एक-एक साल पीछे कर दिया है, और परीक्षाएं समय पर नहीं हो पायी,वहीं हिन्‍दुस्‍तान जैसे सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश ने अपने बच्‍चों को भी बचाया, वर्ष भी खराब नहीं होने दिया। यह हमारे देश की ताकतहै। मैं इसके लिए अपने प्रधानमंत्री जी को, गृह मंत्री एवं स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री का आभार प्रकट करता हूँ हम उनका लगातार मार्गदर्शन ले रहे हैं और विषम परिस्‍थितियों में कैसे रास्‍ता निकल सकता है, गृह मंत्रालय और स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालयने  एक कदम आगे आ आकर हमारा सहयोग किया है। मैं अभिभावकों से इतना अनुरोध जरूर करना चाहूंगा कि बच्‍चों को केवल पढ़ाई पर मत रखिए आप उसको योग भी करायें तथा अन्‍य गतिविधियों में भी उसे हिस्‍सा लेने दीजिए। मैं बहुत जल्‍द ही अभिभावकों के साथ भी परामर्श करूंगा, उनकी भी जो समस्‍याएं हैं। मैं जानता हूं कि उनकी कई प्रकार की समस्‍याएं हैं और मैं अध्‍यापकगण को भी धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि मैं जान सकताहूं कि इस देश के 1 करोड 10 लाख अध्‍यापकों ने किस तरीके से मिशन मोड में जूनूनी स्‍वभाव के साथ इस शिक्षा व्‍यवस्‍था की धुरी बनकर के काम किया है। मुझे अध्‍यापकों का भी अभिनन्‍दन करना है और इसलिए मैं अध्‍यापकों के साथ भी बहुत जल्‍द ही संवाद करूंगा। जब हम आपस में चर्चा करेंगे और सुझाव भी लेंगे। एक बार पुन:बहुत सारी शुभकामनाओं के साथ कि आप अपनेस्‍वास्‍थ्‍य का ध्‍यान रखेंगे और आप एक योद्धा की तरह यह जो कोरोना का महासंकट हैं इसका मुकाबला करेंगे। जीत हमारी होगी। मेरे प्रिय छात्र छात्राओं। मुझे आप पर गर्वहोता है और आप तो उस 21वीं सदी के स्‍वर्णिम भारत के शिल्‍पी हैं जिसके बारे में मेरेदेश के प्रधानमंत्री जी बार-बार कहते हैं कि ऐसा भारत जो सशक्‍त भारत हो उस सशक्‍त और श्रेष्‍ठ भारतकेलिए और जैसा कि अब सारीदुनिया कहने लगी है कि अब भारत विश्‍व गुरूबनेगा, ज्ञान की महाशक्‍ति बनेगा और उसके लिए यह जो नई शिक्षानीति आई है वो चाहे उच्‍च शिक्षा हो या स्‍कूली शिक्षाहो सभी में व्‍यापकपरिवर्तनों के साथ आई है। मैं एक बार फिर प्रियछात्र-छात्राओं आप सबको शुभकामनाएं देता हूं और आपके माता-पिता भी मेरे साथ जुड़े  हैं  मैं उनको भी अभिवादन  कर रहा हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. देश भर से जुड़े सभी अध्‍यापकगण, अभिभावकगण एवं छात्र-छात्राएं।