एनआईटी आंध्रप्रदेश के फेज-1ए के तहत विविध भवनों का उद्घाटन  

एनआईटी आंध्रप्रदेश के फेज-1ए के तहत विविध भवनों का उद्घाटन

 

दिनांक 27 अक्‍टूबर, 2020

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

         

एनआईटी आन्ध्रप्रदेश केभवनों के उद्घाटन कार्यक्रम में उपस्थित आन्ध्रप्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ.सुरेश जी, हमारे अध्यक्ष शासीबोर्ड,एनआईआईटीआन्ध्रप्रदेश सुश्री मृदुला रमेशजी, संस्थान के निदेशक प्रो.सीएसपी रावजी, हमारे मंत्रालय से जुड़े एडीजी श्री मदन मोहन जी, प्रभारी कुलसचिव डॉ.पी. दिनेश शंकर रेड्डी, सभी डीन, विभागाध्यक्ष, फैकल्टी, छात्र-छात्राओं, सभी बीओजी के सदस्यगण और आन्ध्रप्रदेश सेजुड़े तमाम उपस्थित भाइयो-बहनों!मैंइस अवसर पर जब एनआईटी के भव्‍यभवनों का उद्घाटन हो रहा है मैंआपके बीच यहां से जुड़ करके आपको बधाई देने के लिए आपके बीच आया हूं, आपको मेरी शुभकामनाएं और मेरी बहुत-बहुत बधाई। मुझे बहुत खुशी है कि आज एक लंबी श्रृंखला के साथभारत सरकार आंध्र प्रदेश के लिए जैसा अभी सुरेश ने बताया कि आन्ध्र प्रदेश में एक के बाद एकहमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी नेबहुत सारे संस्थान आंध्रप्रदेश को दिए हैं चाहे आईआईटी हो, एनआईटी हो, आईआईआईटी हो और अभी तो आपको तीन और केन्द्रीय विश्वविद्यालय दिए हैं। आन्ध्र प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय हाल में ही हमने एक वर्ष के अंदर उसको स्‍वीकृत किया। आन्ध्र प्रदेश जनजाति विश्वविद्यालय भी हमने अभी हाल में एक वर्ष के अंदर-अंदर स्वीकृत किया। अभी आपका तिरुपति में संस्कृत संस्थान था उसको भी हमने केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित कियाहै मैं समझता हूं कि केन्द्र सरकार द्वारा लगातार शैक्षणिकक्षेत्र में आंध्रप्रदेश को एक महत्वपूर्ण हब के रूप में विकसित किया जा रहा है औरइसके लिए मैं अपने प्रधानमंत्री जी का धन्यवाद देते हुए आन्ध्रप्रदेशकी जनता को बहुत सारी बधाई एवं शुभकामनाएं देना चाहता हूं और मुझे खुशी है कि आज जिन 10 भवनों का आज उद्घाटन हुआ है उनका436करोड़ रूपया की लागत से यहां पर निर्माण हुआ है।चाहे वो शैक्षणिक भवन है,चाहे वो छात्रावास है, चाहेवो अतिथिगृह है, चाहे खेल का मैदान है, चाहे वो छात्रावास बालकों एवंबालिकाओं के छात्रावास हैंऔर मुझे यह भी खुशी है कि उनका नामकरण डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम जो हमारे देश के राष्‍ट्रपति रहे हैं उनके नाम पर किया गया है जिन्होने भारत का गौरव पूरी दुनिया में फैलाया है। भारतरत्न अब्दुल कलाम के नाम परप्रयोगशाला परिसर का नाम रखा गया है। आज मैं समझता हूँ कि यहबहुतऐतिहासिक काम हुआ है औरआन्ध्र प्रदेश की प्रगति में यह एनआईटी एक आधारशिला का काम करेगा।यहऐसा आधार स्तम्भ बनेगा जब आन्ध्र प्रदेश के छात्र छात्राएं अपने भविष्य को संजो सकेंगे, सवांर सकेंगे और इससे केवल वेआंध्र का ही मान और सम्‍मान नहीं बढ़ाएंगे बल्कि पूरे देश का मान और सम्मान भी बढ़ाएंगे और इसलिए मुझे खुशी है और इस अवसर पर मैं आपको बहुत बधाई देना चाहता हूँ।मैं समझता हूँ कि यहनाम है और जब किसी बड़े व्यक्तियों के नाम पर हम संस्थान का नाम रखते हैं तो उससेहमकोप्रेरणा मिलती है। ऐसे महान् व्‍यक्‍तित्‍वों ने अपने जीवन में जो संघर्ष किये हुए होते हैं और उनके संघर्ष का,दर्शन का, चिन्तन तथा उनके मनन का हमको साक्षात दर्शन होता है और इसीलिए हम अपने महापुरूषों के नाम पर जिन्होंने मानवता के लिए, राष्ट्र के लिए तथालीक से हट करके कुछ विशेष काम किया हो और यह दोनों महापुरुष उसी श्रेणी में आते हैं जिनके नाम पर आपने भवनों का नामकरण किया है। मुझे खुशी है किइसशैक्षणिक सत्र की शुरुआत के साथ अभी केवल आपके पांच वर्ष बीते हैं वर्ष2015 में आरंभ हुआ यह संस्‍थान आज 10 विभागोंइंजिनियरिंग, प्रौद्योगिकी और विज्ञान विषयों के अनुसंधानकार्यक्रमोंमें आठ बी.टेक,छ:एम.टेक और तेरह पीएचडी पाठ्यक्रम आप यहां पर संचालितकररहे हैं।मैंइसके लिए बीओजी की चेयरमैन कोऔर डायरेक्टर को तथा आपकी पूरी टीम को बहुत बधाई देना चाहता हूं। वैसे भी इस संस्थान कीभौगोलिक अवस्थिति बहुतखास है। यहपश्चिमी गोदावरी जिले के ताडेपल्लीगुडमजिले में स्‍थित  होने के कारण शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों से जुड़ा हैएक ओर यह उन्‍नत कृषि के क्षेत्र में कृषि के उत्पादन से जुड़ा है तो दूसरी ओर उद्योग संचार, स्वास्थ्य और शिक्षा की दृष्टि से आन्ध्रप्रदेश के उन्नत जिलों में से यह एक जिला माना जाता है। ऐसे में इस संस्थान की स्थापना में यह क्षेत्र और लाभान्वित होगा और उस क्षेत्र के साथ ही स्‍वयं संस्थान को भी उन्नति के तमाम अवसर प्राप्त होंगे। मुझे लगता है कि किसानों को इस संस्‍थान सेबहुत अच्छी मदद मिलेगी और जो यह लैब स्थापित हुई है उससेमिट्टी, फसल आदि का वैज्ञानिक परीक्षण हो सकेगा जिससे वह अपनी फसल के उत्पादन को और बढ़ाने और फसलों को रोगों से मुक्ति दिलाने के लिए भी उनको सफलता मिलेगी। मैं समझता हूं कि किसी भी संस्थान के लिए यहबहुत जरूरी है कि वो दूसरे विशेषज्ञ संस्थानोंके साथ समन्वय करे, सहयोग के माध्यम से विशेषज्ञता के साथ आप विभिन्न पहलुओं के साथ एक-दूसरे को मिलकरके इन बातों को साझा करें और मुझे इस बात की खुशी है कि आपने जर्मनी के साथ समझौता किया है और ‘इंडो-जर्मन साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी सेंटर’ की स्थापना की है।आप यहां पर इस द्विपक्षीय फंडिंग प्रोग्राम की मदद से विभिन्नविषयों पर वेबिनारआयोजित कर रहे हैं। ऐसे कार्यक्रम निश्चित रूप से ‘स्टडी इन इंडिया’ को ओर गति प्रदान करेंगे।आपको मालूम है कि ‘स्‍टडी इन इंडिया’ को हमने ब्रांड बनाया है जब हमपूरी दुनिया के लोगों को यह कह सकेंगे कि आप आइए, भारत में आइए और भारत में शिक्षा ग्रहण कीजिए। और ‘स्टे इन इंडिया’के तहत जो छात्र अभी दुनिया में जा रहे हैं पढ़ने के लिए उनको अनुरोध कर सकें कि आप भारत में पढ़िए। वैसे भी भारत तो पूरी दुनिया के लिए हमेशा से प्रेरणा का केन्द्र रहा है। यहां तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय रहे हैं जिनमें पूरी दुनिया के लोगों ने आकर ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के रूप में अपने को ऊंचाइयों तक ले करके गए हैं। ऐसेनयेभारत के निर्माण की दिशा में अब पहल हो रही है।हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी कहते हैं कि हमें 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की जरूरत है, जो स्वच्छ भारत हो, सुंदर भारत हो,सशक्त  भारतहो,आत्मनिर्भर भारत हो और श्रेष्ठ भारत हो, ऐसे श्रेष्ठ भारत की जरूरत है और इस श्रेष्ठ भारत और आत्मनिर्भर भारत का रास्ता इन्हीं संस्थानों से होकर गुजरता है।इसलिए  हमने  कहा कि मेक इन इंडिया,डिजिटल इंडिया, स्टार्ट अप और स्टैंडअप इंडिया कहा है। मेरे नौजवानों मैं आपको आह्वान करना चाहता हूं कि आपमें प्रखरता है, आप विजनरी हैं, आप मिशनरी हैं,पूरा मैदान आपके सामने हैं। अब हम नई शिक्षा नीति को बहुत व्‍यापक तरीके से और बहुत बड़े व्‍यापक परिवर्तनों तथा सुधारों के साथ आपके लिए लाये हैं।अब आप किसी भी विषय को चुन सकते हैं तथा किसी भी विषय के साथ किसी भी दूसरे विषय से जोड़ सकते हैं  और जब चाहे प्रवेश ले सकते हैं और आप चाहे छोड़ना चाहते हैं तो छोड़ सकते हैं लेकिन फिर यदि आपको लगता है कि आप अपने जीवन तथा भविष्‍य को सुधारना चाहते हैं तो आप उसी स्‍थान से शुरू कर सकते हैं, जहां से आपने छोड़ा है। आपका एक क्रेडिट बैंक बनेगा, जिसमें आपके जितने भी क्रेडिट हैं वो उसमें जमा रहेंगे तथा जहां आप छोड़कर के गये हैं वहीं से आप शुरू कर सकते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि यह बहुत अच्‍छा अवसर है और वैसे भी आप सबको मालूम हैं कि अंतर्राष्‍ट्रीयकरण की दिशा में हम दुनिया के शीर्ष 127 विश्‍वविद्यालयों के साथ‘स्‍पार्क’के तहत शोध और अनुसंधान कर रहे हैं और अब हमारी जो नई शिक्षा नीति आई है उसके तहतनेशनल रिसर्चफाउंडेशन के माध्‍यम से जिससे प्रधानमंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में शोध और अनुसंधान के लिएएक उन्‍नत परिवेश बनाया जाएगा वहीं टेक्नालॉजी को अंतिम छोर तक पहुंचाने के लिए और विकसित करने के लिए नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम का गठन भी किया जाएगा जहां से मेरे विद्यार्थी बहुत समृद्ध हो के बाहर निकल सकते हैं। चाहे ‘स्‍ट्राइड’ के तहत पारस्परिक अनुसंधान का विषय हो या इम्‍प्रिंट हो, इम्प्रेस हो, चाहे स्टार्स हों विभिन्न क्षेत्रों में हम लोग शोध कर रहे हैं और निश्चित रूप में नई शिक्षा नीति आने के बाद हम पेटेंट के क्षेत्र में भी और आगे बढ़ेंगे।मैंअभी देख रहा था कि आपने विभिन्न क्षेत्रों में अपना पेटेंट किया है। बहुत सारे शोध पत्र भी आपने छापें हैं जिसकी जरूरत है।मैंटाइम्स रैंकिंग तथा अन्‍य रैंकिंग की जब समीक्षा करता हूं तो मुझको महसूस होता है कि शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में गैप को तेजी से पाटने की जरूरत है और मुझे खुशी है कि आप इस दिशा में भी अच्‍छा काम कर रहे हैं। आपने सामाजिक जिम्‍मेदारी की दिशा में भी बहुत अच्छा काम किया है और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के साथ आपने जो एमओयू किया है ताकि उस क्षेत्र में भीआप बहुत अच्छा काम कर सकें। इसके लिए मैं संस्थान के छात्र और शिक्षकों को बधाई देना चाहता हूं कि क्षेत्रकी जो विशेषताएं हैं,संसाधन हैं,स्त्रोत हैं, उन पर आप शोध कार्य कर रहे हैं। मैं समझता हूं मेरे इस एनआईटी है आंध्रप्रदेश  को एक मॉडल बनाना है ताकि हम आन्ध्र प्रदेश को शिखर पर पहुंचा सकें और निश्चित रूप से आपमें वो क्षमता है। मुझे भरोसा है कि जिस तरीके से संस्थान ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और सिग्नल प्रोसेसिंगएंडकंट्रोल जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास संबंधी काम शुरू किया है, यह बहुत अच्छा है।मुझे लगता है कि दुनिया का हम पहला देश होगें जो स्कूली शिक्षा से हीआर्टिफिशल इंटेलिजेंस को पढ़ाएंगे और कक्षा 6 से ही हम वोकेशनलस्ट्रीम के साथ इंटर्नशिप के साथ वहां वोकेशनलट्रेनिंग देंगे ताकि हमारा बच्‍चा स्कूल से ही निकल कर के समृद्ध तरीके से,सशक्‍त तरीकेसेबाहर निकल सकेगा और जब वो आपके पास आएगा तो वो आपके पास आते-आते काफी आगेबढ़ गया होगा और जब आप उसके आइडियाज को, उसकी जो प्रतिभा को ओर निखार कर के राष्ट्र की प्रगति में बहुत महत्वपूर्ण योगदान उससे करवा सकते हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि नई शिक्षा नीति के आने से पूरे देश में एक उत्सव का माहौल है और पूरी दुनिया में भी उत्सुकता है।हमारी जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति है यह ग्लोबल माइंडसेट के साथ इंडियन भी है,इंटरनेशनल भी है, यह इम्पैक्टफुल भी है, यह इंटरएक्टिव भी है, यह इन्क्लूसिव भी है और साथ हीसाथ यह इक्विटी, क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़े होकर आगे बढ़रही है और इसलिए मुझे लगता है किअंतिम छोर के छात्र को भी जिसके पास अभी कोई साधन नहीं, कोई संसाधन नही है हम कैसे  करके उसकोसमर्थ बना सकते हैं। हमें इस दिशा में भी कार्य करने की आवश्‍यकता है। शिक्षा को मूल कड़ी में लाकर के उसका कैसेविकास कर सकते हैं यह हमारा लक्ष्य है और इसीलिए अभी ‘वन क्लास वन चैनल’ का भी ‘वन नेशनवन डिजिटल प्लेटफॉर्म’ की तरह हमने आरम्‍भ किया है।प्रधानमंत्री जी के आशीर्वाद से पीएम ई-विद्या के तहत हम अंतिम छात्र तक पहुँचने के लिए रास्ता बना रहे हैं और जहां तक टैलेंट की बात हैहम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में न केवल टैलेंट को पहचानेंगे बल्कि उसका विकास भी करेंगे और उसका विस्तार भी करेंगे। टैलेंट तो है लेकिन उसका यदिकहीं उपयोग नहीं हो रहा है अथवाउसका विस्तार नहीं हो रहा है और उसका विकास हो रहा है तो सब कुछ व्‍यर्थ हैहम इस नई शिक्षा नीति के माध्‍यम से जो नेशनल रिसर्च फाउंडेशन और नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम इन दोनों की स्थापना से निश्चित रूप में हम रिफॉर्मभी करेंगे, ट्रांसफॉर्म भी करेंगे और परफॉर्म भी करेंगे। हम इन तीनों चीजों को करेंगे और नई शिक्षा नीति के तहत हम आगे बढ़ेंगे तथाजो भी जन कल्याणकारी विषय हमारे पास हैं, उनको लेकर हम तेजी से आगे बढ़ते चले जाएंगे। मुझे लगता है कि जो आपके पूर्व छात्र होंगे क्‍योंकि वर्ष 2015 से आपकी स्‍थापना से लेकर वर्ष2020 हो गया है। इन पांच सालों में जो आपके छात्र निकले हैं वे आपकी ब्रैंडिंग करेंगे।यह जो छात्र-छात्राएंबाहर निकल रहे हैं वे एक योद्धा के रूप में होने चाहिए। ऐसा लगना चाहिए कि यह एनआइटी आन्ध्रप्रदेशका जो छात्र है वो बहुत प्रखर है तथावह किसी भी स्थान पर अपने को साबित करने में सक्षम है। मुझे भरोसा है कि आपकी फैकल्टी रात-दिन यह कर रही होगी। क्‍योंकियही आपकी ब्रांडिंग करेंगे और यह केवलआन्ध्र कीहीब्रांडिंग नहीं करेंगे बल्‍कि मेरे देश की ब्रांडिंग करेंगे और मुझे खुशी है कि इसके क्रियान्वयन के लिए हमारे सुरेश जी काफी उत्सुक रहते हैं और मैं देखता हूँ की नयी शिक्षा नीति को लेकर के जब-जब भी मेरी उनसे बात होती है, वे जब भी शिक्षा मंत्री के साथ मिलते हैं तब-तब मुझे भरोसा है कि आन्ध्र पहले कदम पर आकर के उस शिक्षा नीति को अंतिम छोर तक पहुँचाने का यत्न करेगा क्योंकि यहदेश की आधारशिलाहै। एक बार फिर निदेशक जी को मैं बधाई देना चाहता हूं और कहना चाहता हूं कि आपके नवाचारी कदम संस्थान को एक ब्रांड के रूप में  स्थापित करेंगे जब चुनौती होती है और ताकत के साथ यदि उसका मुकाबला होता है तो वह अवसरों में तब्दील होती है। मुझे भरोसा है कि जो वर्तमान चुनौतियां हैं आप उन चुनौतियों का मुकाबला करेंगे और उनको अवसरों में तब्दील करेंगे। यहां का छात्र समर्थ हो कर के, सशक्त हो करके, एक विजनरी तथा मिशनरी के भाव में वो काम करेगा और इस संस्थान का नाम देश औरदुनिया में आगे बढ़ाएगा।मैंएक बार पुन:निदेशक को और जो शासी बोर्ड की हमारी चेयरमैन हैंउनकोभी बधाई देना चाहता हूँ और कहना चाहूंगा कि आपकी यह जो टीम है इसको ले कर एक विजन के साथ आगे बढ़िए। एकउदाहरण के रूप में मेरा यह एनआईटी शिखर पर रहे और मदनमोहनजी को मैं कहना चाहता हूं कि अपने डीजी के रूप में जो-जो भी सम्भव हो सकता है इस एनआईटी को पूरी मदद करें।यहदेश के उभरते हुए ऐसे सितारे के रूप में चमक सके जब इसकी चमक पूरे देश ही नहीं दुनिया तक भी जा सके। मैं आप सब को बहुत बधाई देता हूं। बहुत शुभकामनाएं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. श्री औदिमुलापु सुरेश, माननीय शिक्षा मंत्री, आंध्र प्रदेश सरकार
  3. सुश्री मृदुला रमेश, अध्‍यक्ष, शासी बोर्ड, एनआईटी आंध्र प्रदेश
  4. श्री सी.एस.पी. राव, निदेशक, एनआईटी आंध्र प्रदेश
  5. श्री मदन मोहन, एडीजी, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
  6. श्री पी. दिनेश शंकर रेड्डी, प्रभारी कुलसचिव, एनआईटी आंध्र प्रदेश