एग्री-फूड हैकाथान- 2021

एग्री-फूड हैकाथान– 2021

 

दिनांक: 25 जनवरी, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

एग्री-फूड हैकॉथानआईआईटी खड़गपुर के इस बहुत महत्वपूर्ण कार्यक्रम में उपस्थित नाबार्ड के अध्यक्ष डॉ.चिंताला जी,आईआईटीखड़गपुर के निदेशक प्रो.बी.के. तिवारी जी, उपनिदेशक प्रो.एस.के भट्टाचार्जी जी,प्रो.रेणु बनर्जी जी, प्रो.सी.एसअशोक कुमार जी, प्रो.राजेन्द्र मिश्रा जी, प्रो. के.एन तिवारी जी, प्रो.मृगांक औरमेरे साथ अपरसचिव जुड़े हैं राकेश रंजन जी तथा सभी अधिकारी वर्ग और सभी शोधकर्ता, सभी संकायऔर सभी किसान भाई जो इसके साथ जुड़े हैं और नाबार्ड के भी सभी अधिकारियों को और अपने साथ सभी इस परिवार के लोगों को, इस अवसर पर मैं अभिनंदन करना चाहता हूं कि जो देश का पहला आईआईटी खड़गपुर है वो लगातार अपने नित नए आविष्कारों के लिए, नित नई योजनाओं के लिए, नित नए प्रमाणों के लिए, नित नए कदमों के लिए जाना जा रहा है, पहचाना जा रहे है और समझा जा रहा है। वर्तमान में ऐसे वक्‍तपर जब देश अंगड़ाई ले रहा हो तथादेश के प्रधानमंत्री जी ने 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की कल्पना की हो और ऐसे वक्त पर जबकि विश्व में हिंदुस्तान को विश्वगुरु के रूप में पुनः याद किया जा रहा हो, ऐसे वक्त पर जबकि देश के प्रधानमंत्री जी ने आत्मनिर्भर भारत की बात कह करके पूरे देश को फिर खड़ा करने के लिए संकल्‍प लिया है। हमारा देश जो कौटिल्य का अर्थशास्त्र है, उस कौटिल्‍यके अर्थशास्त्र के आधारशिला पर खड़े होकर पूरी दुनिया में 5ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का संकल्प लिया और ऐसे वक्‍त पर जब फिर भारत सोने की चिड़िया के रूप में उभरने के लिए कटिबद्ध हो, प्रतिबद्ध हो और संघर्षशील हो, ऐसे वक्त पर आई है नयी शिक्षा नीतिमेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की तथा आत्मनिर्भर भारत की केवल परिकल्पना ही नहींकी हैबल्कि संकल्प लिया है, उसको क्रियान्वित करने की उसकी आधारशिला पर यह नई शिक्षा नीति 2020 आई है, जिसको पूरे देश के कोने-कोने में उत्सव के रूप में महसूस किया जा रहा है और जिसके बारे में पूरी दुनिया की उत्सुकता लगातार बढ़ती जा रही है ऐसे वक्त में फिर एक बार आईआईटीखड़गपुर ने उस नयी शिक्षा नीति के विजन को लेकर के जिसमें बहु-विषयक और शोध, अनुसंधान और तकनीकी के क्षेत्र में,हरक्षेत्र में अंतिम छोर तक के व्यक्ति को ले करके ‘वोकल फॉरलोकल’ और ‘लोकल फॉर ग्लोबल’ तक जाने का जो रास्ता बनाया है, उस रास्ते पर मजबूती से उसकी आधारशिला बनाने के लिए,यहआईआईटी सर्वप्रथमउसनीति केक्रियान्वयन की दिशा में आगे आया है।मैं प्रो.तिवारी आपको और आपकी पूरी टीम को बहुत बधाई देना चाहता हूं, शुभकामना देना चाहता हूं कि आप लगातार इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और उसको मजबूत करने के लिए डॉ. चिंताला जो अध्यक्ष हैं नाबार्ड के,क्योंकि यहदेश किसानों औरगांवों का देश है और उस गांव और किसान को एक दूसरे से जोड़कर उसको नई तकनीक दे करके उसके शिखर तक पहुँचाने का जो यह अभियान है इस अभियान में नाबार्ड की जोयहमहत्वपूर्ण भूमिका है इसके लिए मैं आपको भी धन्यवाद देना चाहता हूं और मैं कहना चाहता हूं कि जो शुरुआत आज की है, वह अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है।आपनेनई तकनीकियोंको किसान तक पहुंचाने की बात की और खड़गपुर जो अपने इन अभियानों में किसानों की क्षमता और विकास करने की जो बात की है तथा भारत की अर्थव्यवस्था को और सशक्त करने का इसको माध्यम बताया है, साथ ही आपनेउद्यमिता और इंजीनियरिंग को आपस में जोड़ करके उसके दोनों पहलुओं को एक नए निर्माण की दिशा में खड़े करने की बात की है। मैं समझता हूं कि यह आर्थिक व्यवस्था के लिए बहुत जरूरी है। स्टार्टअप और जो ईको सिस्टम हमाराअर्थव्यवस्था के बारे में था इसी को विश्लेषण करने की जरूरत है और हमारे डिप्टी डायरेक्टर साहब ने और जो मेरे प्रोफेसर गण हैं उन्होंने जिस तरीके से इंजीनियरिंग का औरउद्यमिता विभागका सामंजस्य स्थापित किया है, उससे मुझे याद आता है कि आईआईटी और उद्योगों के बीच एक खाई थी। जब हमने उसे महसूस किया तो हमने इस बात की पहल की कि उद्योगों के लिए जो जरूरत है आईआईटीउस ढंग का पाठ्यक्रम तैयार करे और जो पाठ्यक्रम के माध्‍यम से हमारे नौजवान तैयार हो रहे हैं वो उद्योगों को विकसित करने में उनकी श्रेष्ठता को साबित करने के लिए अपनीपूरीताकत खपाए। इसीलिए ट्रिपलआईटी हमने पीपीपी मोड में किया था जिसमें भारत सरकार का 50 प्रतिशत, स्टेट गवर्मेंट का 35 प्रतिशत और उद्योग क्षेत्र के 15 प्रतिशत योगदान होगा। मेरे छात्र जो अब आईआईटी कर रहे हैं यह केवल कक्षा में आगे और प्रयोगशालाओं में ही सीमित नहीं रहेंगे। इसकी प्रयोगशाला खेत पर हो, इसकी प्रयोगशाला उस संस्थान में हो,उद्योग में हो जहां से उसे ऊपर उठना है। इस दिशा में लगातार विगमडेढ़-दो वर्षों से मैं समीक्षा कर रहा हूं । खड़गपुर उसमें भी पहल कर रहा है और लगातार उसमें भी आगे बढ़ने का काम कर रहा है और इसलिए आपको उत्कृष्ट संस्थान घोषित किया है।देश में तो आप पहला आईआईटी हैं लेकिन आपको आईओईका दर्जा दिया है और उस दर्जे के लिए आप लगातार काम कर रहे हैं और आज आपने खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने की और उसके क्षमता निर्माण करने के लिए जो इनके साथ 125 स्टार्ट अप तैयार करने की बात की है, मैं आशान्वित हूं कि जो यह अभियान शुरू हो रहा है, यह अभियान रुकेगा नहीं और प्रो. चिंताला मैंकहना चाहूंगा कि हमारे आईआईटी में जो आज केन्द्र आपने उद्घाटित करवाया है,उष्‍मायनका केन्द्र, यह स्टार्ट अप यहां से शुरू हो करके और देश के विभिन्न स्थानों तक जाये। पूरे देश का कोई राज्य नहीं छूटना चाहिए, आज जरूरत है इसकी हर राज्य को।जैसे कि आपने कहा चिंतालासाहबकि हर क्षेत्र का अलग-अलग सिस्टम है। हिमालयक्षेत्र का अलग है तो मैदानी क्षेत्र में भी हर जगह अलग वातावरण है। मौसम की परिस्थितियां है, अलग जलवायु है उसके साथ समन्‍वयकैसे हो सकता है। एक किसान जो छोड़ रहा है अपनी खेती को, उसका नौजवान के साथ कैसे समन्वय हो इसकी जरूरत है और मैं समझता हूं जिस दिन इन प्रतिभाशाली छात्रों का समन्वयकिसानों के साथ एक बार हो जाएगा देश में अद्भुत क्रांति आएगी क्योंकि मैं हिमालय से आता हूं और मैं जानता हूं कि देश में प्रथम हरित क्रांति का जनक उसी धरती पर पंतनगर यूनिवर्सिटी मेंतैयार हुआ था। आज जो कहा जा रहा है कि फिर एक ऐसी क्रांति की ज़रूरत है जो वर्तमान परिस्थितियों में हमारे नौजवान को, हमारी प्रतिभाशाली पीढ़ी, हमारी प्रौद्योगिकी, हमारे ज्ञान-विज्ञान-अनुसंधान को एकसाथ जोड़ करके देश को खड़ा करने का सामर्थ्य पैदा हो सके और मुझे भरोसा है क्योंकि हमारे पास क्षमता की कमी नहीं है। हमारे पास सामर्थ्य की भी कमी नहीं है। हमारे पास विजन की भी कमी नहीं है, उस विजन को क्रियान्वित धरती पर करने के मिशन की भी कमी नहीं है। यदिकमी है तो उस समन्वय की कमी है जिसे आपस में टारगेट तय करके उसको प्राप्त करके, उस स्थान तक पहुंचाने की है। आपके लिए नयी शिक्षा नीति के क्रियान्वन का एक महत्वपूर्ण अंग है। जब हम कक्षा छह से वोकेशनल एजुकेशन को लाते हैं और वोकेशनल एजुकेशन भी इंटर्नशिप के साथ लातेहैं।आज हम केवल डिग्रीधारी बना रहे हैं और हमने क्‍लर्क पैदा किये और बाद में तकनीकी पर बल देकर हमने मनुष्‍य को मशीन बना दिया है।हमें तो इस नई शिक्षा नीति में मनुष्य भी बना कर के रखना है और तकनीकी को भी उसके शिखर पर पहुंचाना है और भारत को आत्मनिर्भर भी बनाना है। लेकिन भारत जो विश्वगुरु था उसके जो मूल्य हैं उनको भी साकार करते हुए उसकी आधारशिला पर खड़ा करना है। इसीलिए इस नयी शिक्षा नीति की दिशा में जो आप काम कर रहे हैं निश्चित रूप में अभी जिस बात को मैं कह रहा था कि कृषि मेंजब समय-समय पर किसानों को मार्गदर्शन मिलता है और जब उपज जलवायु और उसकी ताकत तथा क्षमता इन तीनों चीजों का समन्वय होगा और जो शोध कर रहे हैं, उसमेंहमारे ये प्रखर तरीके से आगे आएंगे तो बहुत परिवर्तन होगा। मुझे याद आता है जब मैं उत्तर प्रदेश में पर्वतीय विकास मंत्री था। 1998 में गढ़वालमंडल विकास निगम और कुमाऊं मंडल विकास निगम दो हमारे निगम थे। जब मैंने पहली बैठक की और पूछा कि क्या कर सकते हैं तो वहां से कई सुझाव आए लेकिन एक सुझाव उसमें यह भी था कि फूलों की खेती भी बहुत अच्छी हो सकती है क्योंकि हमारा जो मौसम है उसमें दो-तीन महीने तक भी फूल जिंदा रह सकते हैं। इस तरीके के भी फूल हमारे पास है। पुष्प उत्पादन एक बड़ा काम हो सकता है। मैंने कहा था कि पच्चीस प्रतिशतकीहम छूटदेंगे और नौजवानों को आगे लाओ। पहले वर्ष में जब हमने लागू किया था इसयोजना को तो दो करोड़ रुपये पहले वर्ष में उत्पादन किया था तो मैं बहुत खुश था। लेकिन राज्य बनने के बाद फिर मैं पहले वित्तमंत्री बना 2000 में और नियोजन भी मेरे पास था और उसके बाद हमने अब बाकायदा प्लानिंग की और जब मैं मुख्यमंत्री 2009 में बना तो लगभग 400 करोड़ रुपये का पुष्पउत्पादन हो रहा था। कहां दो करोड़ से लेकर कम समय में 400-500 करोड़ तक ले करके जाना। आज एकउद्यानिकी आवासीय विद्यालय बना है जो मध्य हिमालय के क्षेत्रमें है और उन्होंने अभी जड़ी-बूटी के रूप में कुछ काम करना शुरू किया है। जैसे अभी भट्टाचार्य जी कह रहे थे उद्यानिकी, वानिकी और तमाम दावे अब सुदृढ कैसे करके पैदावार जो बर्बाद हो रही हो, वह कैसे करके ठीक हो सकती है इसी को तो समझने की जरूरत है। अब उन्होंने इस तरीके से मटर टमाटर लगाया। मुझे इस बात की खुशी है कि आज टिहरी क्षेत्र से मटर-टमाटर सैंकड़ोंट्रकों के रूप में दिल्ली में आ रहे है। आज जो वहां का स्वाद है जो हिमालय की उन जड़ी बूटियों से निर्मित है, वह भी पूरे देश में जा रहा है। चाहे वो सब्जी पट्टी है, फल पट्टी हैअब आवश्यकता इस बात की है कि उसको कौन नए तरीके से तय करेगा। उदाहरण के लिए आलू मेरे वहां से लेकर के जब मार्केट में आता है तो एक वक्त था ऐसा जो मुझे याद आता है कि वही आलू चिप्स के रूप में जोएक-दो रुपये किलो बिक रहा था वो दस रुपए किलो और 25 रुपए किलो हम लोग ले रहे थे। हमारा समन्‍वय नहीं है किउनउत्पादित चीजों पर हम कहां और कब और कैसे और कहां तक किस प्रकार उसका विश्लेषण करें और उनका उत्पादन करें। इस पर आपशोध भी करेंगे, अनुसंधान भी करेंगे और इसको आगे बढ़ाएंगे। मुझे भरोसा है कि जिस तरीके से आपने यह आयोजन किया, अभी कुछ दिन पहले हमने ‘स्‍मार्ट इंडिया हैकाथान’किया, हमने ‘सिंगापुर इंडिया हैकाथन’किया, हमने कुछ दिन पहले जब देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा तो हमने खिलौनों का हैकाथॉन किया। साढ़े दस हजार करोड़ का खिलौने का हमारा बाजार है, जबकि कितना उत्पादन हो रहा है?80 प्रतिशत खिलौने हम बाहर से ला रहे हैं। इतना बड़ा देश हमारा है और जैसा डॉ. तिवारी ने कहा कि 135 करोड़ लोगों का देश क्या नहीं कर सकता और यह देश यंग इंडिया रहनेवाला है औरआगे20 और 25 साल में प्रतिभा की कमी नहींहै पूरी दुनिया में आगे प्रतिभा कीकौन सी कमी है, वो जो गड्ढे हैं वही हमको पाटने हैं और इसीलिए हमनेटॉय हैकाथान किया। क्‍या नहीं कर सकते हम, हम तो पूरी दुनिया में छा सकते हैं। जबकि अभी साढ़े दस हजार करोड़ का जो इसका बाजार है, उसमें भी अस्सी प्रतिशत बाहर से आ रहा है। यह भी हमने हैकाथान किया और हमतेजी से आगे बढ़ रहे हैं। मुझे लगता है कि जो यह आपका एग्रीफूडहैकाथानहै जिसेतीन महीने के अंदर-अंदर इसको करेंगे तो बहुत अच्छा हो सकता है। इसमें बहुत संभावनाएं हैं, बहुत गुंजाइश है और मुझे भरोसा है कि जो यह आपने ऑनलाइनतकनीकी उत्सव मनाया है, यहआत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक आधारशिला बन करके रहेगा। मैं यह समझता हूं कि जैसे खड़गपुर ने ग्रामीण विकास, अभिनव सतत प्रौद्योगिकी केन्द्र तथा कृषि और खाद्य  एवं इंजीनियरिंग विभाग के जो स्कूल हैं, इन सभी से मिलकर केजिस तरीके से आपने यह कोशिश की है, यह अन्‍य लोगों के लिए भीएक उदाहरण बनेगा, मुझे ऐसा भरोसा है। मैं सोचता हूं कि इससे नवीन विचारों की पहचान और ऑनलाइनप्रतिस्पर्धा होगी और स्टार्ट अप सफल व्यवसाय के रूप में आप परिवर्तित करने में मददगार साबित होंगे। अभी कितना बड़ा काम आप करेंगे उसकीअभी कल्पना नहीं हो सकती है और जो मैंने कहा कि यह जो जागरुकता होगी, जो युवा किसान है, जो मेरे प्रतिभाशाली यहां केमेरे आईआईटी के जो छात्र हैं, वो किसान की उस विधा के साथ जुड़ेंगे क्‍योंकि किसान मेहनती है और यदिउसकीप्रतिभा,तकनीकी, मेहनत और जो अन्य शोध है वोयदि एक साथ मिल जाएगा तो निश्चित रूप से यहबहुत बड़ा काम होगा।आपको याद है कि जब देश में एक बार खाद्यान्‍न का संकट था और जब हम सीमाओं पर भी बहुत संकट में थे। उस समय हमारे देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी थे तब उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था और पूरा देश खड़ा हो गया था। तब वेकिसानों को किस तरीके से आगे लाये थे क्‍योंकि किसान ही हमारा अन्नदाता है और हमारे देश के वर्तमान प्रधानमंत्रीनरेन्द मोदी जी ने एक कदम आगे जाकर ‘जय अनुसंधान’ का नारा दिया। उनसे पहले हमारे अटल बिहारी बाजपेई जो देश के प्रधानमंत्री रहे, भारत रत्न अटल जी ने ‘जय विज्ञान’ का नारा दिया था तो जय जवान जय किसान, जय विज्ञान से जय अनुसंधान की ओर हम बढ़ रहे हैं और मुझे लगता है इसकी जरूरत है। जय अनुसन्धान और जयजवानवर्तमान में इनको मिलाने की ज़रूरत है। आज हम नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना कर रहे हैं। नेशनल टेक्नोलॉजी एजुकेशन फोरम का गठन कर रहे हैं ताकि अंतिम छोर के व्यक्ति को उसकी तकनीकी की जानकारी मिले उसका लाभ मिले तभी तो फायदा है। हमारे आज जितने भी आईआईटी हैं हम यहां से पढाने के बाद पूरी दुनिया में हमारे युवा छाये हुए हैं, अब तो होड़ पेटेंट की होनी चाहिए। हमारे लिए गौरव का विषय है और हम इस बात को गौरव के साथ भी कह सकते हैं कि हमारी पढ़ाई में बहुत दम है और शिखर का अस्तित्व हैं। इसी खड़गपुर से ऐसी-ऐसी प्रतिभाएं दुनिया में छाई हुई हैं और माइक्रोसॉफ्ट, गूगल जैसी बड़ी दुनिया की कंपनियों के सीईओ हमारे आईआईटीसे निकलकर के लोग गए हैं। कौन कहता है कि हमारी शिक्षा में कोई कमी है। हां,समन्‍वयमें कमी हो सकती है तथा थोड़ा सा इसको और ठीक करने में कमी है। इसीलिए नई शिक्षा नीति चाहिए और जब आप सब लोग मिलकर के करेंगे तोक्‍या नहीं हो सकता। सब कुछ होसकता है। पूरी दुनिया आज यदि कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय भी इस बात को कहता है और पूरी ताकत के साथ कहता है किहां, यह ऐतिहासिक है। नयी शिक्षा नीति पूरी दुनिया में एक नया परिवर्तन लेकर आयेगी तो न केवल वोविश्वविद्यालय बोलता है बल्‍कि दुनिया के लोग इस बात को स्वीकार करते हैं और यह रास्ता खुद से हीउपयोगी हो जाता है। जितने भी लोग जो सुन रहे हैं, यह सभी इसके क्रियान्वन के योद्धा के रूप में आगे आएंगे और हमारे अध्यापकगण को भी आगे आना है और उसी की प्रक्रिया या क्रियान्वन की यह प्रक्रिया है तो मुझे भरोसा है कि जो नेशनल टेक्नोलॉजी फोरम का हम गठन करेंगे वो अंतिम छोर के व्‍यक्‍ति को भी लाभ देगा और जो वोकल फॉर लोकल काहमारा सूत्र होगा। हम अंतिम छोर तक जाएंगे और अंतिम छोर को ले कर के अंतरराष्ट्रीय स्तर तक उसकी तकनीकी मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया एवंस्टार्ट अप इंडिया मेक इन इंडिया क्यों न पूरी दुनिया में मेक इन इंडिया हो सकता हो सकता है। इसके लिए संकल्प की जरूरत है मेरे देश के प्रधानमंत्री जी की बड़ी इच्छाशक्ति है। हम सब में लीडरशिप है। हम क्यों कमजोर बताते हैं मुझे तो पूरी दुनिया के लोग कहते हैंकियह बदलाहुआहिंदुस्तान है। बस आत्‍मविश्वास की जरूरत है। कृषि के क्षेत्र में प्रो.तिवारी कृषि विज्ञान के ये योद्धा हैं। इन्होंने काम किया तो ये आईआईटी खड़गपुर कृषि के क्षेत्र में पूरे देश का एक ऐसा  मॉडल तैयार होना चाहिए क्योंकि आप एक श्रेष्ठ आईआईटी भी हैं। आपके अंदर छटपटाहट भी है, आपमें विजन भी हैऔर अथक कोशिश बनने की ताकत भी है। यह कम होता है कि विजन भी हो और उसको क्रियान्वित करने का दम भी हो और अपनी पूरी टीम के साथ रिजल्ट देने की ताकत होऔर यदि होता है तो फिर रिजल्ट भी निकलता है। मुझे भरोसा है क्योंकि पीछे के समय से मैं लगातार इस आईआईटी के साथ जुड़ रहा हूं। यदि यहां की यह पूंजी पूरे देश के अंदर अपनी सुगंध बिखेरेंगी तो मेरा देश फिर आत्मनिर्भर होकर के विश्व गुरु के रूप में स्थापित होगा। 5 ट्रिलियन  डॉलर की अर्थव्यवस्था के रूप में खड़ा होगा जो मेरे देश के प्रधानमंत्री का विचार है। आप इसके लिए संकल्प लें और इस संकल्प को पूरे तरीके से करें। मुझे इस बात की खुशीहै। प्रधानमंत्रीजी ने पहले भी कहा है कि भारत में कृषि सुधार लाने के लिए पश्चिम बंगाल बहुत महत्वपूर्ण केन्द्र बिंदु है। पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्वी भारत के राज्यों में बड़े पैमाने पर ग्रामीण और आदिवासी आबादी के साथ कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है। लेकिन दुर्भाग्यवश हम अभी तक उसका पूरा उपयोग नहीं कर पायें हैं। मुझे भरोसा है कि जिस तरीके से यह शुरू हुआ है यह उस खाई को पाटेगा। अभी हमारी जो नयी शिक्षा नीति है वो पारंपरिक बातों को भी आगे लाकर नवाचार के साथ एवं नए अनुसंधान के साथ किस तरीके से उसको आगे लाया जा सकता है। जिस दिन पारंपरिक खेती वहां के पारंपरिक ज्ञान, अनुसंधान एवं विज्ञान आदि सभी एक साथ जुड़ करके खड़ा होगा उस दिन गांव से पलायन भी रुकेगा। गांव आत्मनिर्भर भारत के रूप में खड़ा होगा और गांव खड़ा हो गया तो देश खड़ा हो जाएगा और देश खड़ा होगा तो दुनिया खड़ी हो जाएगी क्योंकि विश्‍व इस बात को जानता है कि इस हिन्दुस्तान से होकर बहुत सारी चीजें गुजरती हैं। हिंदुस्तान ने पूरी दुनिया को अपना परिवार मानाहै। हमने विश्व बंधुत्व की केवल बातें ही नहीं की बल्‍किआपने उसके प्रमाण भी दिए हैं। अभी मुझे अच्छा लगा कि आपने शुरू किया ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया:’। फिर आपने कहा मां सरस्वती को कि यह वरदान दो। मुझे इतना बता सके कि मैं कल्याण कर सकूं तथा मैं कुछ दे सकूं। आज फिर आपने यह कहा कि वक्रतुंड महाकाय कोटी सूर्य उसकी भी विनती की कि जो हम काम शुरू करें वो रुकेगा नहीं। यह तीनों संकल्प सामान्य नहीं हैं। जिसने भी इसको शुरू किया निदेशक के दिमाग में आया होगा, निदेशक साहब के दिमाग में नहीं आया होगा तो दूसरे के दिमाग में वो संकल्‍प आया होगा। जब हम किसी चीज की शुरुआत करते हैं तो पता चल जाता है कि क्या मन है किसका। जब कोई बोलता है तभी तो पता चलता है आपके व्यक्तित्व का आपके दर्शन का,आपके मिशन का है तो जो आप बोलते हैं अंदर से वोतभी पता चलता है कि क्या सोच क्या रहे हैं और बोल क्या रहे है तथा कर क्या रहे हैं और रिजल्ट क्या निकलेगा। यदि आपबच्चे के आंखों में आंखें डालकर देखेंगे तो बच्चे के भविष्य का पता चलता है। मेरे आईआईटी खड़गपुर से निकलने वाला हर एक नौजवान मेरा आत्‍मविश्‍वाससेलबालब भरा होना चाहिए और इस विजन को आगे बढ़ाना है। हम लोग नौकरियों पाने के लिए नहीं बल्‍कि नौकरी पैदा करने के लिए तैयार करेंगे। हम दुनिया को नौकरी देने के लिए पैदा हुए हैं और कम से कम यह होड़ अब खत्म हो जानी चाहिए। पैकेज की दौड़ और होड़ नहीं होनी चाहिए। मैं तो बिल्कुल नहीं मानूंगा कि किसी का इस दृष्‍टि से मूल्यांकन होगा। इसलिए मैंने टाइम्स रैंकिंग वालों को भी कहा है औरइससे देश बदल नहीं सकता उसे दुनिया बदल नहीं सकती जो आपने मानक जिस तरीके के बनाये हैं। हम देश के अंदर अपने मानक बनाएंगे और दुनिया को उन मानकों पर आना पड़ेगा और मुझे भरोसा है कि देखिए न प्राचीन भारत में किसानों को समाज में सर्वोच्च श्रेणी में रखा जाता था और कृषि पद्धतियों की तुलना योग से होती थी। खेती कावैदिक अनुष्ठानों से गहरा संबंध था,उसवैज्ञानिक सोच का विश्लेषण होना चाहिए एवं वह सोच वो बाहर निकलनी चाहिए क्योंकि हमारी जड़ों से जब हम को काटा गया तो अबयह बात करते हैं तो जिन लोगों ने उस वैभव को नहीं देखा है औरजिन्होंने शोध एवं अनुसंधान नहीं किया है वो मजाक बनाते हैं कि ऐसा भी हो सकता है क्या? अभी कुछ दिन पहले जब हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने किसी देश में अभी कोरोना का वैक्सीन भेजा था, टीवी पर दिखा रहे थे कि हनुमान जी हाथ में संजीवनी बूटी लेते हुए जा रहे थे। मेरे देश ने नहीं दिखाया और यदि यहां दिखाते हो-हल्‍ला मच जाता। इसीलिए मैंने कहा कि इसकी भी जरूरत है। अभी चिंतालाजी को मैं कह रहा था कि यह हिमालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नगालैंड, अरुणाचल, हिमाचल, जम्मू कश्मीर जो क्षेत्र है, इस क्षेत्र में पूरीदुनिया की आयुर्वेदिकजड़ी-बूटी, संजीवनी बूटी है।हमउसके उत्पादन का दुनिया का सबसे बड़ा केन्द्र हो सकते हैं। मेरे नौजवानों को आगे आना चाहिए। इस दिशा में शोध और अनुसंधान हो, इसलिए मुझे भरोसा है कि इस दिशा में भी शोध और अनुसंधान करेंगे और उन सब चीजों को निकाल कर के बाहर लाएंगे। वैसे भी आप देखिए ना कि लगभग 60 प्रतिशत ग्रामीणपरिवार हैं और आप देखिए तो राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पादन में लगभग 70 प्रतिशत इनका योगदान है। कुल किसानों में से भारत में82 प्रतिशत लघु किसान हैं तो मैं यह समझता हूं कि कम लागत वाली प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वाराऐसे पैकेज तैयार किये जाएं। कम समय में कम स्थान में कम शक्ति से कम पैसे से अधिक उत्पादन का जो सूत्रहै वो कैसे करकेनिकल सकता है, कौन से स्थान पर कौन सा सूत्र बैठेगा, उसकी जरूरत है और इसलिए मुझे अच्छा लगा है कि आपका विचार आधुनिक सिंचाई का है, यंत्रीकृत खेती का है,उन्नत फसल कटाई का है, प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी और उपयुक्त प्रबंधकीय प्रक्रियाओं में हमारे ग्रामीण समुदायों की गरीबी को कम कैसे कर सकते हैं इसका हमको अभियान करना है एवं उनकी क्षमताओं को बढाना है और किसानों के हितों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।आपको याद होगा कि भारत सरकार ने कृषि मंत्रालय का नाम बदल करके कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय किया है। किसान कल्याण मंत्रालय उसकी मूल धुरी में तो किसानहै। मुझे लगता है कि 2022 तक देश के प्रधानमंत्री जी किसान की आय दुगना करेंगे उनके इस विजन को, उनकी इस संकल्प शक्ति को हमको पूरा करना है। डेढ गुना किसान की आमदनी अभी हुई है और2022 तक हमकोदो गुना करना है और मुझे भरोसा है कि आप जिस तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं उस लक्ष्य को निश्चित हीहम पूरा करेंगे। जैसे मैंने कहा कि मिट्टी की उर्वरता में सुधार हो, स्थायी प्रकृति के संसाधन प्रबंधन हों स्वास्थ्य कार्ड की योजना होइन सबको एक दूसरे से जोड़ने की जरूरत है। अभी जो हमेंजल दक्षता को करना है, जो प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई का है एवं परम्परागत कृषि विकास का है। जैविक खेती के समर्थन का है जो प्रधानमंत्री फसल बीमा है,ऐतीएक नहीं बहुत सारी योजनाएं हैं। क्या डॉ. तिवारीजी और डॉ. चिंतालाजीयह हो सकता है कि एक छोटी सी आप कमेटी बनाइए,कैसेहो सकता है? मैं राकेश जी को भी कहूंगा कि कमेटी ऐसी हो जो इस पर बाकायदा इन सब योजनाओं को करके जोड़े और फिर तकनीकी के साथ उसमें पहुंचे और ऐसा प्लेटफॉर्म हो जाए इन योजनाओं के साथ तकनीकी का किआमूलचूल परिवर्तन हो।मुझे भरोसा है देश के प्रधानमंत्री ने बहुत कुछ कहा है कि हमारे कार्यबल के पसीने से एवं कड़ी मेहनत सेऔर प्रतिभा के साथ भारतीय मिट्टी की खुशबू से ऐसे उत्पादन बनाएं जिससे आयात पर भारत की निर्भरता को कम करे और यहसंकल्प हमको लेना पड़ेगा कि क्यों बाहर से कोई चीज आए, क्या दिक्कत है? अब मुझे लगता है कि कोई ऐसी बात नहीं है कि यह देश अपने आप खड़ा नहीं हो सकता।देखिए ना, जो चीजें उत्‍पादितहुईहैंदेश में,देश के प्रधानमंत्रीजी ने मेरे नौजवानों को कहा कि संकट के समय में आप क्या कर सकते हो,हमने एक से एक अनुसंधान किए। निश्चित रूप में खड़गपुर और नाबार्ड द्वारा जो वित्तपोषित यह आईसी है और जो पूर्वी और उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में कृषि और ग्रामीण क्षेत्र में नवीन विचारों को उत्पन्न करने वाला यहअभियान है, इसकी मैं आपको शुभकामना देना चाहता हूं और जो विभागाध्यक्ष हैं उनको एवंउनकी पूरी टीम कोइस अवसर पर ढेर सारी बधाई देना चाहता हूं किआप करें और इसमें पेटेन्ट निकालें। इस दिशा में आगे बढ़ें और मुझे इस बात की खुशी है कि आपकी संस्‍था अनुसंधान की संस्कृति का पोषण कर रही है।साथ ही आप शिक्षा, कुपोषण, जल स्वच्छता, ऊर्जा एवं पर्यावरण, सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं, ग्रामीण आजीविका औरबहुत सारे क्षेत्रों में सामाजिक रूप से काम कर रहे हैं। मुझे खुशी है कि आपने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भी पूरी तरीके से लागू कर दिया है। आज जो आप शुरू कररहे हैं, यह निश्चित रूप में आपको और आगे बढ़ने में मदद करेगा और देश को एक उदाहरण देने के लिए भी एक अच्छा प्रयास होगा। मैंएक बार फिर आईआईटी खड़गपुर एवं मेरे साथ जुड़े सभी लोगों को बधाई देना चाहता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. डॉ. जी. आर. चिंताला, अध्‍यक्ष, नाबार्ड,
  3. प्रो. वी.के. तिवारी, निदेशक, आईआईटी खड़गपुर
  4. प्रो. एस. के. भट्टाचार्य, उप-निदेशक, आईआईटी खड़गपुर
  5. श्री राकेश रंजन, अपर सचिव, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार