इन्‍दिरा गांधी राष्‍ट्रीय जनजाति विश्‍वविद्यालय, अमरकंटक का दीक्षांत समारोह

इन्‍दिरा गांधी राष्‍ट्रीय जनजाति विश्‍वविद्यालय, अमरकंटक का दीक्षांत समारोह

 

दिनांक: 22 फरवरी, 2021

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

इन्‍दिरा गांधी राष्‍ट्रीय जनजाति विश्‍वविद्यालय, अमरकंटक केदीक्षांत समारोह में उपस्थित विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्‍यक्ष प्रो. डी.पी. सिंह जी और इसविश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.श्री प्रकाशमणि त्रिपाठी जी और आज हमारे साथ यहां आशीर्वाद देने के लिए सांसद श्रीमती हिमाद्रीसिंह जी,सभी उपस्थित कार्यपरिषद् के सदस्यगण,सभीअध्यापकगण, सभी कर्मचारी,प्रियछात्र छात्राओं और सभी अभिभावकगण,अन्‍यउपस्थित सभी अतिथिगण और इस कार्यक्रम से जुड़े सभी भाई बहनों का अभिवादन कर रहा हूं और छात्रों को इस अवसर पर बहुत बधाई देना चाहता हूं कि आज तृतीयदीक्षांत समारोह हो रहा है और इस दीक्षांत समारोह में आपके बीच अपनेको पाकर मैं आज शुभकामना देता हूं। मैं यह समझता हूं कि यहक्षणआपके लिए अविस्मरणीय है। जब इस संस्थान में आप आए होंगे तबसोच के साथ,और उन शुभकामनाओं के साथ इतनेलंबे समय तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद आज आपडिग्री अथवाउपाधि लेकर के जाएंगे। आप में से बहुत सारे लोग स्वर्ण पदक लेकर के जा रहे हैं तो आज दीक्षांत समारोह के बाद आपके लिए पूरा मैदान खाली है। हम सभी लोग आपको बधाई देने के लिए यहां सम्‍मिलित हैं।आपमैदान में जाकर एक योद्धा की तरह कार्य करें और अभी तो तमाम मन-मस्तिष्क में बहुत सारी चीजें उथल-पुथल भी मचा रही होंगी। आपकेअध्‍यापगण भी खुश हैं कि उन्‍होंनेआपको जोशिक्षादी आप अनुभव का एवं  ज्ञान का उपयोग अपने व्यक्तिगत जीवन के उत्थान के लिए तथासमाज के उत्थान के लिए विभिन्न माध्यमों से आप करेंगे।इस अवसर पर मैं आपको बहुत बधाई देना चाहता हूं, आप सभी में बहुत ही अद्भुत प्रतिभा है और आपज्ञान,विज्ञान तथाविभिन्‍नविधाओं में नेतृत्व की क्षमता रखते हैं। आपआत्मनिर्भर भारत केकारक भी हैं और कारण भी हैं और मुझे विश्वास है कि सभी अपनी पूर्ण क्षमता के साथ देश को बेहतर बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे।दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों  के जीवन में एक महत्वपूर्ण समय होता है तथा उसेवो जीवन में भुला नहीं पाता है। यह वो दिन है जब संसार को झकझोर देने वाले विरोधाभास आपके सामने है, लेकिनआपउसका मुकाबला करते हुए अद्भुत संभावनाओं को उजागर करेंगे औरअपनेकदमों आगे बढ़ाएंगे। इन्‍दिरागांधीजनजातीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह मेंमुझे हमारे आदर्श बिरसा मुंडा जी का यह कथन स्मरण होता है, जब उन्होंने कहा था कि देशप्रेमकी ललक एक वरदान है। यह जो देशप्रेम है यह अन्‍दर से उमड़ता है, जो मनुष्य कोउत्सर्ग के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। मुझे भरोसा है कि मुंडा जी के इस कथन को हम हर कदम पर अनुसरण करेंगे। मैंदेख पा रहा हूं कि इन्‍दिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के छात्रों की आंखों में राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में अपना अनोखाऔर अनूठा योगदान देने का संकल्प हैं क्‍योंकिनजरों में नज़र डालकर ही आत्मविश्वास होता है। मुझे भी गर्व महसूस होता है कि जनजाति विश्वविद्यालय ने सीमित आबादी में ही विकास की यात्रा की है और इस यात्रा में भी इस विश्‍वविद्यालय ने गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ अनुसंधान को भी बढ़ावा दिया है, परिशुद्धता को प्राप्त किया है और एक अच्छा वातावरण तथा एक अच्छी संस्कृति का परिवेश तैयार किया है। मध्यप्रदेश के अमरकंटक में विश्वविद्यालय का मुख्यालय है और इसी विश्‍वविद्यालय द्वारा मणिपुर में जो क्षेत्रीय परिसर प्रारंभ किया गया है उस क्षेत्र की उच्च शिक्षा की आवश्यकताओं को निश्चित तौर पर पूरा करने की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण योगदान देगा। मुझे भरोसा है कि मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि नॉर्थ ईस्‍ट के विकास में यहविश्‍वविद्यालयबहुत बड़ा योगदान देगा।जैसा कि आप जानते हैं कि इन्‍दिरागाँधी राष्ट्रीय जनजाति विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना एक विशिष्‍ट उद्देश्य से की गई है।इसका उद्देश्‍य भारत के जनजातीय समुदाय को उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करना, शोध की सुविधाएं उपलब्ध कराना,जनजाति क्षेत्र में निवास करने वाले युवाओं को नई दिशा देना,शिक्षा के माध्यम से और नवाचार के माध्यम से जनजातियों का विकास करना,शोधअनुसंधान नवाचार के माध्यम से जनजाति कासमग्र विकास करना है और यह विश्‍वविद्यालय उनकी शिक्षा के उत्थान के क्षेत्र में महत्‍वपूर्णकदमउठा रहा है। जनजाति समुदाय की एक समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा रही है और जनजाति क्षेत्रों की एक विशिष्टता बिल्कुल अलग प्रकार की हैं। उनमेंअनेक संभावनाएं हैं। एक विद्यालय अनुसंधान नवाचार और सशक्तिकरण के माध्यम से जनजाति क्षेत्रों को संवर्धित बना सकता है। इस विश्‍वविद्यालय की जनजातीय क्षेत्र के विकास में निश्चित ही महत्वपूर्ण भूमिका होगी और यह साबित करेगा कि जिसउद्देश्य से भारत सरकार ने इस जनजाति विश्‍वविद्यालयको बनाया है,उस दिशा में यह एक मील का पत्थर साबित होगा। मुझे खुशी है कि विश्वविद्यालय जनजातीय कला संस्कृति के विकास के साथ-साथ शिक्षा में और विशेषकरउच्च शिक्षा के क्षेत्र में जो सुविधाएंउपलब्ध कराएगा। यह विश्‍वविद्यालय कला, परंपराओं और संस्कृति के वैज्ञानिक अध्ययन को प्रोत्‍साहित करेगा और सामाजिक तथा सांस्कृतिक एकरूपता के साथ प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित प्रौद्योगिकी के विकास हेतु शोधऔर अनुसंधान की सुविधाएं भी उपलब्‍ध करवाएगा।मेरे देश के प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी जी ने जिस बात को कहा कि 21वीं सदी का स्‍वर्णिम भारत चाहिए और निश्‍चित ही जो यहक्षेत्र है, यह एकसमृद्ध क्षेत्र है।यदि आप देखेंगे तो इस क्षेत्र में जोपरिवेश है उसमें शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में समग्र तरीके से आर्थिक मजबूती देने का भी अवसर है।हमअपनी लगन से इस क्षेत्र काया पलट करेंगे। एक समय था जब हम इस बात की हौड़ करते थे कि हमको पैकेज की दौड़ में जाना है लेकिन अब हमको पैकेज की दौड़नहीं लगानी है क्योंकि नौकरी पाने वाला हमकोनहीं बनना है और हमें नौकरी देने वाला बनना है, पेटेंट की दौड़ हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसलिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर जनजातियों के सांस्‍कृतिक जीवन,नृत्य और शोध एवं अनुसंधान से संबंधित पक्ष शोध और अनुसंधान के रूप में आप उभार के ला रहे हैं। मुझे लगता है कि आपका यह जो कदम हैजनजन तक पहुँचने का यह बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है और इससे इस क्षेत्र की आर्थिकी को अनिवार्य रूप में बल मिलेगा मुझे विश्‍वास है कियहां के जो लोकल संसाधन हैं उनकोआपउजागरऔर आर्थिक रूप से तथा सांस्कृतिक एवंसामाजिक रूप से सशक्त करेंगे। किसी भी विश्वविद्यालय को प्रतिष्ठित करने का यही उद्देश्‍य है कि वह उस क्षेत्र में अध्‍ययन करे, रोजगार के अवसरों को सृजित करे। स्थानीय उद्योगों को और विकसित करके राष्ट्र की मुख्यधारा में लाकर उसको ओर तेजी से आगे बढ़ा सके। मुझे इस बात की खुशी है कि इस विश्‍वविद्यालय को61.8करोड़ की धनराशिसामान्य विकास सहायता के लिए प्रदान की गई। जबकि उसकेविकास के लिएसैकड़ों करोड़ रुपया भारत सरकार ने सुनिश्चित किया है और एक आदर्श विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने की दिशा में कदम आगे बढ़ाए हैं। मुझे खुशी है कि इस विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भीलाने की कोशिश हुई है। आदिवासी युवाओं संपर्क स्‍थापितकरने की भी आपकी जो संकल्पना है वो युवाओं को रोजगार की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण है तथा अभियान्त्रिकी महाविद्यालय भी आपने उनके भविष्य के लिए खोलाहै। चिकित्सा महाविद्यालय आपने खोला है,नर्सिंग प्रशिक्षण केन्द्र को भीखोलेन की आपकी योजना है।आपने देखा है कि हम नई शिक्षा नीति के तहत कक्षा छह से ही वोकेशनल एजुकेशन ला रहे हैं और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस हम स्कूली शिक्षा से पढ़ायेंगेऔर इंटर्नशिप के साथ वोकेशनल शिक्षा देंगेताकिउस क्षेत्र का छात्र अपने इर्द-गिर्दजो संपदायेंबिखरी हुई हैं, उनके साथ सामंजस्य स्थापित कर सके और उसको आगे बढाने की दिशा में विचार कर सके। मुद्रा ऋण योजना और स्टैंडअप इंडिया योजना भारत सरकार की प्रमुख योजनाएं हैं, जिनका लाभ छात्र उठा रहे हैं।इसके अन्तर्गत युवाओं को नए व्यवसाय आरंभ कर उद्योगपति के रूप में देश के आर्थिक विकास में अपनी भागीदारी निभाने का अवसर प्राप्त होगा। मुझे विश्वास है कि आपका यह प्रयास भारत निर्माण में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगा। आपसबको पता है कि देश के प्रधानमंत्री जी ने जहां आत्मनिर्भर भारत की बात है, वहीं 5 वहां 5 ट्रिलियन डॉलरअर्थव्यवस्था के लिए भी उन्‍होंने कहा है। जहां देश ज्ञान की महाशक्ति के रूप में स्थापित होने की दिशा में तेजी से आगे बढ रहा है वहीं देश आर्थिक दृष्टि से सशक्‍त बनकरपूरी दुनिया को लीडरशिप भी दे सकता है। हम जीवन मूल्यों की दिशा में भी सशक्त हों, हम तकनीकी की दिशा में सशक्त हों, हम ज्ञान और विज्ञान की दिशा में भी सशक्‍त हों और हम आत्मनिर्भर भारत जो वोकल फॉरलोकल है और लोकल फॉरग्लोबल है उसके तहत हमें यह भी करना होगा कि अंतिम छोर के व्यक्ति को किस तरीके से हम तकनीकी ज्ञान दे सकते है। उसके लिए मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया इन सभी को कैसे करके गांवतक पहुंचा सकते हैं। उसके स्किल का विकास करके उसको मेक इन इंडिया से जोड़ सकते हैं, अपने स्टार्ट अप खड़े कर सकते हैं और आपने देखा इस समय पूरे देश का वातावरण इस तरीके से बदला हुआ है जहां हमारे नौजवानों में जोश है और वैसेभी आगे 35-40 सालों तक यह देश यंग इंडिया रहने वाला है और ऐसे समय में हमारे जोनौजवान हैं इनके अंदर जितनी क्षमता है पूरी ताकत के साथ इस क्षमता का उपयोग करेंगे और हर क्षेत्रमें हम शिखर को प्राप्त करेंगे, ऐसा मेरा भरोसा है। मुझे यहभी बताया गया कि आपने कई गांवों को गोदलिया है। गांव को गोद लेने औरउनके समग्र विकास के लिए हमाराउन्नत भारत अभियान चलता है उसमें आपनेकईगांवों को लिया है औरमैंजरूर इन गांव का दर्शन करना चाहूंगा।मैंछात्र-छात्राओं को बधाई देना चाहता हूं और इस संस्थान को भी बधाई देना चाहता हूं और अध्यापकों को भी कि जो आपके यहगांवहैंइनमें विकास दिखना चाहिए और पता लगना चाहिए कि यह विश्‍वविद्यालय के गांव हैं।वहां आत्मनिर्भरता भी हो,स्वच्छता भी हो, शालीनता भी हो,वहां का छात्र प्रखर भी हो, वहां समग्र शिक्षा भी हो और हमें प्रयास करना है किहरक्षेत्र में कैसे यह 5 गांवआत्मनिर्भर बन सकते हैं। मुझे भरोसा है कि आप इसदिशा में काम कर रहे हैं।मुझे इस बात की भी खुशी है कि वैज्ञानिक शिक्षकों के लिए भी आपने यंग साइंटिस्ट अवार्ड घोषित किया है और उसके तहत युवा वैज्ञानिक शिक्षकों को एक लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र तथा आकस्मिक प्रयोगशाला खर्चके लिए पांच साल के लिए एक लाख रुपया सुनिश्चित किया है तो यह निश्चित रूप में शोध और अनुसंधान तथानवाचार के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा। आपको तो मालूम है कि शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में हम स्‍पार्क के तहत दुनिया के शीर्ष 127 विश्वविद्यालयों के साथ शोध और अनुसंधान कर रहे हैं।अभी जब हमारे देश के प्रधानमंत्री ने कहा कि अनुसंधान की जरूरत है और इसलिएअनुसंधान के लिए 50 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।  हमारी सरकार के द्वारा नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का गठन किया जा रहा है और दूसरी तरफ अंतिम छोर तक को तकनीकी ज्ञान देने के लिए ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नालॉजी फोरम’ का भीगठन किया जा रहा है। इन दोनों के गठन से शोध और अनुसंधान की दिशा में बहुत व्यापकता आएगी और हम आगे बढ़ सकते हैं। कृषि, जैव प्रौद्योगिकी और औषधीपौधों के विकास तथा ऊर्जा उत्पादन एवंदेशज ज्ञान के प्रचार और प्रसार तथाइसकेअनुप्रयोग के लिए अमरकंटक में अपारसंभावनाएं हैं। मुझे भरोसा है कि इस संभावनाओं का पूरा उपयोग शोध और अनुसंधान के साथ विद्यार्थी और शिक्षकदोनों मिलकर एक नया परिवेश बनाएंगे और इसके लिए अलग से एक उदाहरण प्रस्तुत होगा। इस विश्वविद्यालय की पर्यावरण के प्रति भी मैं देख रहा हूं की संवेदनशीलता है। विश्‍वविद्यालय में छात्रों को वृक्षारोपण के प्रति भी प्रोत्‍साहित किया जाता है। वृक्षोंकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक वरिष्‍ठ प्रोफेसर प्रो. की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है जो विद्यार्थियों,शिक्षकों एवं कर्मचारियों को वृक्षारोपण कोसुनिश्चित करनेहेतु प्रेरित करता रहता है। हम जानते हैं कि यह जो पर्यावरण है और जिस तरीके से मौसम परिवर्तन की चुनौतियों से पूरी दुनिया गुजर रही है,इसकाहमको मुकाबला करना है और फिर आप ऐसे क्षेत्र में हैं जहां पर्यावरण और वन के साथ एकात्मकता चाहिए।किस तरीके से उनका संरक्षण एवं व्यवस्थित दोहन हो तथाकैसे जड़ी बूटियों का संरक्षण हो, इन दोनों चीजों के समन्‍वय की जरूरत है और आप लोग इसकोकर रहे हैं और आगे इसकी बहुत सारी संभावनाएं हैं।जल शक्‍ति योजना के तहत आपनेजनजागरण नुक्कड़ नाटक, नृत्य चित्रों के माध्यम से भी विश्‍वविद्यालय के आस-पास के गांवों में जल संरक्षण, जल संवर्धन संबंधी जागरूकता के आप अभियान चला रहे हैं। इसके बाद ‘एक वृक्ष एक छात्र’ अभियान भी आपनेकियाथा और हमने यहकहा था कि यह अभियानकिसी भी छात्र का चाहे जन्मदिन है या उसके परिवार के किसी भी सदस्य का जन्मदिन है हमें एक वृक्ष को रोपित करना है और फिर उसके संरक्षण के साथ उसको बड़ा करनाहै। यहविश्व विद्यालय इस संस्कृति को तेजी से आगे बढ़ा रहा है,इसकीमुझे खुशी है।विश्‍वविद्यालय परिसर में मॉडल स्कूल और केन्‍द्रीय विद्यालय के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा रही हैं और निश्चित रूप में स्कूली शिक्षा में भी यहां के बच्‍चे बहुत अच्‍छे तरीके से काम कर रहे हैं। मुझेविश्‍वास है कि यह विश्‍वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति कोपूरी तरीके से लागू करके प्रभावी कदम उठाएंगा, जिसकी आज जरूरत है। मुझेभरोसा है कि जिस तरीके से इस विश्वविद्यालय ने नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए 13 समितियों का गठन किया है और उन समितियों को अलग-अलग शैक्षणिक सत्र के साथ जोड़ा जा रहा है, इससे विश्‍वविद्यालय की गम्‍भीरता का पता चलता है। मैं इस विद्यालय के कुलपति और सभी आचार्य गण को यह अनुरोध जरूर करूंगा कि आप एक मिशन मोड औरजुनून के साथ इस एनईपी 2020 को लागू करें जिसे न केवल देश ने बल्‍कि दुनिया नेसराहा है। पूरी दुनिया ने इसको सबसे बड़ा  रिफॉर्म  बताया है और तमाम विद्यालयों ने इसकी सराहना की है तो उसको लागू करने के लिए आप पूरी ताकत के साथ जुटेंगेऐसा मेरा भरोसा है। इस दीक्षांत समारोह के अवसर पर मैंछात्रों से निवेदन करूंगा कि प्रधानमंत्री जीका जो 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत का विजन है,जोसशक्त भारत हो, जो समृद्ध भारत हो, जो आत्‍मनिर्भर भारत हो,जोश्रेष्ठ भारत हो,उसश्रेष्ठ भारत कोस्थापित करने की दिशा में आप आगे आएंगे और योगदान देंगे। मुझे भरोसा है कि आपकी आगे बढ़ने हेतु जो छटपटाहट है, वो राष्ट्र को शिखर पर पहुंचाने का काम करेगी। उसमें आप चट्टान की तरह खड़े हो करके आगे बढ़ेंगे। मुझे आदरणीयअटल बिहारी वाजपेयी जी  की कुछ पंक्‍तियां याद आ रही हैं कि‘‘विश्‍व गगन पर अनगिनत गौरव के दीपक अब भी जलते हैं, कोटि-कोटि नैनों  में स्‍वर्ण युग के सपने बनते हैं’’यह जो नया युग है हमें उसका अपनी आंखों में ऐसा सपना संजोना चाहिएऔर सपने भी ऐसे जो सोने न दें। कलाम साहब ने कहा था कि सपनेज़रूरी हैं, लेकिन ऐसे सपने जो सोने न दें,जबतक कि हम उस लक्ष्य तक पहुंच नहीं जाते। मेरा भरोसाहै कि आप सभी छात्र-छात्राएं जो आज डिग्री लेकर जा रहे हैं, आप हर क्षेत्र में उन्‍नति के शिखर को प्राप्‍त करेंगे, इस शुभकामना के साथ मैं आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. श्रीमती हिमाद्री सिंह, संसद सदस्‍य (लोक सभा)
  3. प्रो. डी.पी. सिंह, अध्‍यक्ष, विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग,
  4. डॉ. मुकुल शाह, कुलाधिपति,इन्‍दिरा गांधी राष्‍ट्रीय जनजाति विश्‍वविद्यालय, अमरकंटक
  5. श्री प्रकाशमणि त्रिपाठी, कुलपति,इन्‍दिरा गांधी राष्‍ट्रीय जनजाति विश्‍वविद्यालय, अमरकंटक