अविनाशलिंगम विश्‍वविद्यालय का 32वां दीक्षांत समारोह

अविनाशलिंगम विश्‍वविद्यालय का 32वां दीक्षांत समारोह

 

दिनांक: 22 जनवरी, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

अविनाशलिंगम गृह विज्ञान और महिला शिक्षा संस्थान, कोयंबटूर के 32वें दीक्षांत समारोह में मैं सभी अतिथिगण काबहुत-बहुत स्वागत कर रहा हूं,अभिनंदन कर रहा हूं और इस दीक्षांतसमारोह में उपस्थित और उपाधि लेने वाले सभी छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों सहित सभी शिक्षक को बहुत सारी शुभकामनाएं देना चाहता हूं। डॉ.एस के मीनाक्षीसुंदरम जी,मैं आपका भी आभार प्रकट कर रहा हूं क्‍योंकिआपके नेतृत्‍वमें आपका संस्थान बहुत अच्‍छे सेआगे बढ़ रहा है। कुलाधिपति प्रो. विजयन जी मैं आपका भी अभिनंदन करता हूं,डॉ. कौशल्या जी(रजिस्‍ट्रार)तथा संस्थान के सभी संकाय सदस्‍य, अध्‍यापकगण, ट्रस्‍टी मीडियासे जुड़े सभी साथीगण एवं अभिभावकगण, नये वर्ष की शुरूआत में आज जोबच्चों को उनकी उपाधियां मिल रही है इस अवसर पर आप सबको बधाई दे रहा हूँ। 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में जो मनाया जाता है उससे ठीक पहले यहजो अति महत्वपूर्ण अनूठा संस्थान है वो अपना 32वां वार्षिक दीक्षांत समारोह मना रहा है, मुझे आपके साथ जुड़कर के हर्षएवंगौरव का महसूस हो रहा है। आज मैं सभी छात्रों, उनके माता पिता और सभी सदस्यों का अभिनंदन करता हूं। अध्यापकगण और अभिभावकगण के सान्निध्य में उनकी प्रेरणा से जो बच्चा आज पढ़ करके डिग्री लेने की स्थिति में आया है इसलिएआपको अभिनन्दन कर रहा हूं,स्‍वाभाविक ही है कि यहक्षणहम सब लोगों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं और मेरे प्रिय छात्र-छात्राओं आप यहां से डिग्री ले करके जाएंगे। आज जिस दिन इस संस्थानमें आए होंगे उस दिन आपके मन में कितनी उत्सुकताएं रही होंगी और आज आप इतने समय के बाद अबअपने अध्‍यापकगण का मार्गदर्शन ले करके यहां से एक योद्धा के रूप में बाहर निकल रहे हैं। मैं यहसमझता हूँ कि हमारे देश में ‘‘यत्र नार्यस्तु पूजयन्‍तेरमन्ते तत्र देवता’ की परम्‍परा रही है अर्थात् जहां महिला का सम्मान होता है ईश्वर भी उसी परिवार में वास करता है, आता है, आशीर्वाद देता है और इसीलिए इससंस्थान से जुड़े सभी लोगों को मैंधन्यवाद देना चाहता हूँ। इस देश की आजादी के साथ यह अभियान आपका शुरू हुआ और आप लगातार इस दिशा में आगे बढ़ते रहे हैं। मैंछात्राओं को कहना चाहूंगा कि अभी तक तो बहुत सेजो सवाल थे, उन सवालों का जबाब आपने अपने गुरुजन से, अपने प्रोफेसर से, संकाय से मार्गदर्शन लिया होगा लेकिन अब तो आज के बाद आपको डिग्री मिलने के बाद मैदान में जाएंगी और हर सवाल आपके सामने खड़ा होगा और हर सवाल का आपको जबाब स्‍वयं ही देना होगा। मुझे भरोसा है क्योंकि यह देश विश्व गुरू रहा है। आप सबको मालूम ही है कि इस देश के बारे में ‘‘एतद् देश प्रसूतस्य, शकासाद् अग्रजन्मन:, स्वं-स्वं चरित्रं शिक्षरेन् पृथ्वियां सर्व मानव:’ कहा गया हैपूरी दुनिया का व्यक्ति यहां आकर के सीखकरके गया है। तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय अपने देश में थे जब कहीं दुनिया में कोई विश्वविद्यालय नहीं होता था। पूरी दुनिया के लोग शिक्षा, ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान की शिक्षा ग्रहण करने के लिए हमारे देश में आते थे। मैं यहसमझता हूं कि जिस तरीके सेइस बीच बालिकाओं की शिक्षा में देश आगे बढ़ा है और चाहे ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के अभियान से हो या कोई अन्‍य अभियान हो।अभीजब मैं तमाम आईआईटीज में, एनआईटी में, आईसीआर में दीक्षांत समारोहों में जाता हूं तो मुझे अधिकांश बालिकाएं गोल्ड मेडल लेते हुए मिलती हैं तो मुझे हर्ष का अनुभव होता है कि हां, हमारी जो बालिकाएं, हमारी जो छात्राएं हैं वो बहुत तेजी से आगे बढ़ रही हैं और निश्चित रूप से उनके माता-पिता को भी आज यहां पर गर्व महसूस होरहाहोगा। एनआईटीतिरुचिरापल्ली पिछले पांच वर्षों में एनआईटी के संस्थानों में उसने श्रेष्ठता अर्जित की है और नौवें स्थान पररैंकिंग में रहा है। उसएनआईटी को पीछे के समय में 8,500 करोड़ रुपये का फंड दिया गया भारत सरकार की ओर से,वहीं पर मद्रास आईआईटी को उच्च तकनीकी शिक्षा के बुनियादी के विकास के लिए और उत्कृष्ट आविष्कार के लिए भी मद्रास को 150 करोड़ रुपया देना सुनिश्चित किया था जबकि इसके अतिरिक्त आईआईटी मद्रास के लिए जो अनुदान सहायता के रुप में रहा,वहहीफाके माध्‍यम से प्रदान किया गया था। यह कोयंबटूर जिला जिसे चोल, राष्ट्रकूट, चालुक्य, पांड्या और विजयनगर के राजाओं ने समृद्ध ऐतिहासिक विरासत दी है और आज यह जिला अपने औद्योगिकीकरण के लिए भी जाना जाता है और दक्षिण भारत के यह एक बहुत महत्वपूर्ण सेंटर के रूप में भी जाना जा रहा है। इस संस्था के माध्यम से चाहे रामकृष्ण परमहंस जी हों, शारदा देवी जी हों,चाहेविवेकानंद जैसे महान् आदर्शों को जानने का हमलोगों को यहां पर अवसर प्राप्त होता है। मेरी डिग्रीधारी जितने भी युवा हमारी बहनें हैं उनको मैं कहना चाहता हूं कि विवेकानंद जी ने कहा था कि जब तक महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं हो जाता तब तक दुनिया के कल्याण के सभी प्रयासव्‍यर्थहै। जिस प्रकार एक पक्षी के लिए केवल एक पंख पर उड़ना संभव नहीं है उसी प्रकार राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए राष्ट्र के दोनों पंख यानीमहिला और पुरुष इन दोनों की शिक्षा बहुत जरुरी है और मैं समझता हूं जो स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था आज उसदिशा में हम आगे बढ रहे हैं। स्वामीजी का जो यह उदाहरण था जिसमेंउन्होंने कहा कि महिला साक्षरता हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है और जब तक पुरुषों और महिलाओं के बीच साक्षरता की यह खाई समाप्त नहीं होगी तब तक राष्ट्र का विकास भी दिवास्वप्न है, वो अधूरा है और मुझे यह कहते हुए खुशी है कि इस महिला विश्वविद्यालय नेउच्चतम गुणवत्ता वाले संस्‍थानों में अपना स्थान बनाया है। आज भी पूरे देश के अन्दर जब भी महिला शिक्षा पर तथा महिलाओं के उत्थान की चर्चा पर कोई चर्चा होती है तो आपका संस्थानबहुत महत्वपूर्ण स्‍थान पर आकर के खड़ा होता है। आपका संस्‍थान देश की आबादी के साथ जन्‍मा एवं विकसित हुआ है तथाइसमें ऐसे लोगों की प्रतिभा एवंऐसे लोगों का विजन रहा है जो हमेशा राष्ट्र, समाज और विश्व बंधुत्व की बात करने वाले तथा हिंदुस्तान के उस महान विचार के साथ राष्ट्र के उन्नयन और मेरी मातृ शक्ति की सशक्तता के विचार के साथ यह संस्‍थानशुरू हुआ है। आज वो विचार और पुख्ता हो रहे हैं तथा सशक्त और सबल हो रहे हैं। इस संस्था की समृद्धि की विरासत जो 1857में स्वतंत्रा संग्राम सेनानी, शिक्षाविद, समाजशास्त्री, परोपकारी और जो मद्रास राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ. टी.एस अविनाशीलिंगम,जिनको आमतौर पर अय्याके नाम से हम सब लोग जानते हैं, उन्होंने परिवार, समुदाय और समाज के सभी वर्गों और महिलाओं को विकसित करने और राष्ट्र निर्माण में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान कैसे हो सकता है,यहउनके मन में आया और वो पद्म भूषण से भी सम्मानित थे।उन्होंने एक बार कहा था कि चार कारक हैं – एक तो जीविका के लिए प्रशिक्षण, दूसरा सामाजिक भावनाकी खेती, तीसराकारक है बच्चों को ज्ञान तथा चौथा है अधिकारों और कर्तव्यों का पालन करना। हमारी महिलाओं को उनके कर्तव्यों जिम्मेदारियों के लिए प्रशिक्षित करना और इनसे भी ऊपर पवित्रता है भक्ति तथा चरित्र पर आधारित जीवन का एक सांस्कृतिक दृष्टिकोण। यह सभी कारक किसी भी आधुनिक समाज की अनिवार्यता हैं।उन्होंने उस समय कहा था कि यह जो चार चीजें हैं यह किसी भी समाज के उत्थान की दिशा में बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।यह उनकी दूरगामी सोच का ही परिणाम है कि पिछले कुछ वर्षों में इस विश्वविद्यालय ने विशाल वट वृक्ष के रूप में अपना स्थान बनाया है और उनके आदर्शों पर और बताये गये कार्यों को करने पर ही यह विश्वविद्यालय ऊंचाइयों को छू रहा है। वर्तमान में यह विश्वविद्याल  चाहे ग्रह विज्ञान हो, भौतिक विज्ञान हो,जीव विज्ञान, कला, समाज विज्ञान, वाणिज्य और प्रबंधन सहित 34 विभागों में पीएचडी, एमफिल, परास्नातक,स्‍नातक पाठ्यक्रमों में 30 हजारछात्राएं अध्ययनरत हैं। मैं समझता हूं कि इतनी लंबी यात्रा में इस संस्थान ने कितने उतार-चढ़ाव देखे होंगे और उसके बाद यह संस्थान इतने विशाल वट वृक्ष के रूप में फल और फूल रहा है और 34 विभागों में पीएचडी से लेकर स्नातक एवं स्नातकोत्तर सहित तमाम डिग्रियां दिये जा रहा है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि यह आपकी मेहनत है,मैं यहां की जितनी भी संकाय सदस्य हैं उनको भी अभिनन्दन करना चाहता हूँ कि नैक में आपको वन प्लस ग्रेड मान्यता है। यह बहुत बड़ी बात है, आपने राष्‍ट्रीय स्‍तर पर स्‍वयं को खड़ा किया हैऔर शिक्षा मंत्रालय द्वारा यूजीसी से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों की ए श्रेणी में यूजीसी ने भी आपको रखा है। मेरी शुभकामना हैकि आप इसका यह स्तर बनाकर रखिये।मुझे विश्‍वास है कि आप देश और दुनिया की दिशामें और तेजी से आगे लाकर के और सशक्‍तिकरणकरेंगे, उस दिशा में मैं यह समझता हूँ कि कोविडकी महामारी के दौरान भी जो यूजीसी ने समय-समय पर निर्देश दिए हैं उनका भी यहां बहुत अच्छे तरीके से पालन हुआ हैं। मुझे बहुत खुशी है कि आपने डिजिटल संसाधनों का चाहे स्‍वयं हैं, स्‍वयं प्रभा है,इनसभी का आपने अच्छे से उपयोग किया है और आपको यह जानते हुए खुशी होगी कि जब कोरोना काल मेंपूरी दुनिया संकट से गुजर रही थी और तमाम देशों के लोगों ने अपने को एक-एक साल पीछे कर दिया था ऐसे वक्‍तपर भी भारत के शिक्षा मंत्रालय ने और भारत के संपूर्ण शिक्षा विभागों ने बहुत अच्छे तरीके से काम किया था। हमने बच्चे का वर्ष भी खराबनहीं होने दिया था एवं उसकी सुरक्षा भी की थीऔर उसके भविष्य का एक वर्ष भी बेकार नहीं जाने दिया। हमनेपरीक्षाओं का समय पर रिजल्ट निकाला और उनकोऑनलाइन शिक्षा दी। ऑनलाइन शिक्षा के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था।इस देश मेंएक हजार से अधिक विश्वविद्यालय हैं, 50 हजार से अधिक डिग्री कॉलेज हैं, एक करोड़ 10 लाख से अधिक अध्यापक हैं और 15 से 16 लाख स्कूल हैं और कुल यदिदेखा जाए तो अमेरिका की जितनी आबादी नहीं है उससे भी ज्यादा यहां पर छात्र छात्राएं हैं। 33 करोड़ छात्र छात्राएं हैं यह छोटी बात नहीं है, उन 33 करोड़ छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन पर लाना और उनकी मनःस्थिति बनाए रखना एवंउनको अवसाद में नहीं जाने देना। सारे विश्व का पहली बार ऐसा रिकॉर्ड होगा जिसमें हमने जेईई की परीक्षाओं को कराया। मैंनेनीट की भी परीक्षाओं को करवाया। इस कोरोना काल में दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षाओं को कराने में हमसफल रहे हैं। फाइनल परीक्षाओं को भी कराया क्योंकि हम जानते थे कि यदि परीक्षाएं नहीं हुई हैं तो यह कोरोना का काल तो चला जाएगा लेकिन उस बच्चे की जो डिग्री है उन पर लिखा जाएगा कि यह बिना परीक्षा के उत्तीर्ण किया जा रहा है और यदि वह कहीं भी जाता तो उसको यह कहा जा सकता था कि कोरोना काल के लोग यहां अप्लाई न करें क्योंकि वो परीक्षा से पास होकर नहीं आई हैं तो हम इसके जीवन पर वो काला दाग किसी कीमत पर हमने लगने नहीं दिया और परीक्षाएं भी करवाई। आज मुझे खुशी है कि ऐसी ही वक्‍त में आपका संस्थान आज इतनी बड़ी संख्या में डिग्री दे रहा है, पीएचडी की उपाधि दे रहा है। मैं आप सब को बहुत सारी बधाई और शुभकामनाएं देना चाहता हूं। यह बहुत बड़ी बात है। मैंने देखा कि आपने इसी बीच बच्‍चों कीमानसिक भलाई के लिए भी बहुत सारी गतिविधियाँ की हैं और आपके संस्थान नेऑनलाइन मोड के माध्यम से 331 वेबिनार,कार्याशाला,कौशल आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये हैं और निश्चित रूप से यह इस बात को प्रदर्शित करता है कि आप और आपका संस्थान तथा आपकी जो पूरी टीम है वो समर्पण भाव के साथ यहाँ पर काम कर रही है। मैं आप सबको बहुत बधाई देना चाहता हूँ औरइस अवसर पर मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि आपको तो मालूम है कि हमारी नयी शिक्षा नीति पूरी दुनिया के लिए एक बिल्कुल चमत्‍कार के रूप में आयी है। हिंदुस्तान की भारत केंद्रित नई शिक्षा नीति आयी है। हमारे देशके प्रधानमंत्री जी ने दो-तीन बातें कही और वो बार-बार कहते हैं कि मुझे 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत चाहिए। हमें ऐसा भारत चाहिए जो सुन्दर हो, सशक्त हो, समर्थ हो,स्‍वच्‍छहो,आत्मनिर्भर हो, श्रेष्ठ हो और एक भारत हो और जहां हम श्रेष्ठ भारत और आत्म निर्भर भारत की बात कह सकतेहैं। उन्होंने मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडिया जैसे हमको सूत्र भी दिए हैं। आखिर यह135करोड़ लोगों तक देश हैऔर तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान की पूरी दुनिया के शीर्ष केंद्र हमारे देश में रहे हैं तो किस बात की कमी है इसलिए जो यह नयी शिक्षा नीति आई है इसमें 10+2 को हटाकर के 5+3+3+4 आयाहै और जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं तो हमें मालूम होगा चाहिए कि इस देश को विश्वगुरु कहा गया हैऔर वहीं इसको सोने की चिड़िया भी कहा गया और इसीलिए आज जो इसकी आर्थिकी है और जिस तरीके से कौटिल्य का अर्थशास्त्र आज पूरी दुनिया में जाना पहचाना जाता है और इस देश की धरती पर जो अर्थशास्त्र है, जो आर्थिक निर्भरता है, जो आत्मनिर्भर भारत की की बात की है,निश्चित रूप सेयह जो नई शिक्षा नीति है वो प्राथमिक शिक्षाअपनीमातृभाषा में शुरू कर कर रहे हैं और मातृभाषा में तमिल है,तेलगू है, मलयालम,कन्नड़, गुजराती, मराठी, बंगाली, हिन्दी, उर्दू और असमी सहित खूबसूरत हमारे संविधान में हमको 22 भारतीय भाषाएं मिली हैं। पूरी दुनिया में इतनी विविधता केवल हमारे ही देश में देखी जाती है और अनेकता में एकता का परिचय है मेरा हिंदुस्तान और इसीलिए पूरी दुनिया हिंदुस्तान को माथा नवाती है। यहां हिंदुस्तान की अपनी परंपराएं, अपनी संस्कृति है औरहमने पूरे विश्व को अपना परिवार माना है। पूरी वसुधा को कुटुम्ब माना है और उस परिवार में ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया’ यह भी कहा है कि जब तक धरती पर कोई एक भी इंसान दुखी रहेगा तब तक में सुख का एहसास नहीं कर सकता हूं और इसीलिए भारत की गौरवशाली परंपरा है। सुश्रुत, आचार्य चरक, बौधायन, भास्‍कराचार्य, पाणिनी, आर्यभट्ट जैसे व्‍यक्‍ति इस देश में पैदा होते हैं।हमारे पास तमाम ग्रंथ हैं उनमें शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में हमको आगे बढ़ना है। अभी आपको मालूम होगा कि कुछ दिन पहले हमारी नई शिक्षा नीति के बारे मेंकैम्‍ब्रिजविश्वविद्यालय ने कहा है कि यहअद्भूत है। दुनिया में सबसे बड़े रिफॉर्म के साथ आई यह जो नई शिक्षा नीति 2020 है जिसने भारत वर्ष सहित पूरे विश्व को एक नई दिशा देने का काम किया है।कैम्‍ब्रिज ने अपने पत्र में लिखा कि भारत ज्ञान का भंडार था, यह ज्ञान का पूरी दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र था और सारी दुनिया जानती हैकिउन्होंने भी बहुत तारीफ की बल्कि अभी कुछ ही दिन पहले उनके विदेश मंत्री जी भी हमारे पास आए थे और उन्होंने भी बहुतप्रशंसा की इस नीति की।बच्‍चे को बाल्यकाल से ही उठाकर के और उसकी जो अंदर क्षमताएं हैं उनको हम कैसे बाहर निकाल सकते हैं, यह नीति इस दिशा में है। हम ‘छठवी कक्षा से ही वोकेशनल ट्रेनिंग भी दे रहे हैं जो हम इन्टर्नशिप के बाद देंगे। बच्‍चा अपने स्थानीय उत्पादों के साथ अपना जुड़ाव करेगा, वह क्या कर सकता है वहां पर खड़ा होते हुए अपना किसी को स्टार्ट अप चलाना हो, चाहेकिसीकोशोध एवं अनुसंधान करना हो, वो भी वहीं से शुरू हो जाएगा और अब एकमुखी मूल्यांकन नहीं होगा। अब 360 डिग्री होलिस्टिक मूल्यांकन होगा। बच्चा अपना भी मूल्यांकन करेगा, उसके परिवार का व्‍यक्‍ति  भी मूल्यांकन करेगा, अभिभावक और अध्यापक मूल्यांकन करेगा तथाउसका साथी भी मूल्यांकन करेगा। यह चौमुखी मूल्यांकन होगा और उसका चौमुखी विकास भीहोगा। मुझे लगता है उच्च शिक्षा में भी आपके लिए बहुत अच्छा अवसर है। मेरी बहनों, मैं आपको अनुरोध करना चाहता हूं क्योंकि हमारी शक्‍तिहै और आज बालिकाओं ने हर क्षेत्र में आकाश का स्‍पर्श किया है। मैं जहां भी जाता हूं, अधिकांश जो टॉप पर हैं वो बालिकाएं आती हैं। अभी आईआईटी में बड़ी संख्या में बालिकाएं आई हैं। मेरे केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में जाता हूं तो टॉप पर हैं मेरी बालिकाएं और वे सबसेपहले मुझे दिखती है तो मैं आपको बहुत शुभकामना देना चाहता हूं। मेरे देश का भविष्य आप हैं, मेरे देश का हीनहींबल्‍कि पूरी दुनिया का भी भविष्‍यहैं आप। आप जहां आज इस डिग्री को लेकर केजा रहे हैं तो पूरा मैदान आपके सामने खाली है और आपको दौड़ना है। यह जो नई शिक्षा नीति है, यह शोध और अनुसंधान के साथ भी आगे आई है। ‘नेशनल रिसर्चफाउंडेशन’अबशोध की संस्कृति को विकसितकरेगा। आज तक हम पैकेज की दौड़ में थे। कितना बड़ा पैकेज मिल गया ऐसा लगता था की वो हीबहुत महत्वपूर्ण है लेकिन अब आप लोग पेटेंट की दौड़ में आएंगे। पैकेज की दौड़ छोड़ करके हम पेटेंट के लिए आगे बढ़ेंगे। हमारे पास बहुत कुछ है, उसको हमें शोध अनुसंधान करके पेटेंट करना है, दुनिया को देना है और इसलिए जहांशोध और अनुसंधान के क्षेत्र में हम‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ गठन करे रहें हैं, वहीं तकनीक को अंतिम छोर तक कैसे ले जा सकती है। इसके लिए नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम का गठन किया जा रहा है ताकि अंतिम छोर के व्यक्ति को तकनीकी का ज्ञान मिल सके और उसका स्किल विकास करके तथा उसका कौशल विकास करके उसको लोकल से ग्लोबल तक पहुंचाने का जो अभियान है, उसे आगे बढ़ा सकें। इस शिक्षा नीति मेंआप कभी भी विषयले सकते हैं और कभी भी किसी भी विषय को छोड़ सकते हैं। इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्‍थितिवशछोड़के जा रहा है  तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष दोनों खराब हो जाते थे लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा।यदि वह परिस्‍थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहा है तो उसको सर्टिफिकेटदेंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़ेकर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगेइसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।वह कहां जाना चाहता है, शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में जाना चाहता है तो वेकोई भी विषय ले सकते हैं, कभी भी आ सकते हैं और कभी भी छोड़ सकते हैं आपके लिए पूरा मैदान खाली हैअभी शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में मेरा आग्रह रहेगाकि यह ज़रूरी है। हमारे लिए पेटेंट ज़रूरी है और उसके लिए मुझे इस बात की खुशी है कि आज भी हम पूरी दुनिया के 129शीर्ष विश्वविद्यालयों के साथ ‘स्‍पार्क’के तहत अनुसंधान कर रहे हैं। हम स्‍पार्कके अलावा, स्‍ट्राइड है, इम्‍प्रिंट है, इम्‍प्रैस है, स्‍टार्स है,इस सारे कार्यक्रमों के माध्‍यम सेशोधऔर अनुसंधान के क्षेत्र में भी हम लगातार काम कर रहे हैं और बालिकाओं ने भी शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में बहुत अच्छी अपनी पहल को किया है और जो अभी वर्ष 2018-19 के अनुसार देश में जो महिला का नामांकन हुआ है वो कुल नामंकन का 48.6 प्रतिशत  हैतो यह आंकड़े बताते हैं कि अबमहिला शिक्षा है वो बहुत तेजी से दौड़ रही है और उसको अब कोई रोकेगा नहीं। आपको यह भी खुशी होगी कि यू-डायस जोडेटा है, वर्ष2018-19 केअनुसारप्राथमिक स्तर पर बालिकाओं के सकल नामांकन का अनुपात 96.2 प्रतिशत है। हम लड़कियों की शिक्षा के लिए अपनी सभी अपीलों और अभियानों को और तेजी से मजबूत करने में जुटे हुए हैं। जो यह नई शिक्षा नीति है वो कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की गुणवत्ता और उन्‍हें12वीं तक आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है और आपको खुशी होगी की पूरे देश के अंदर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय बहुत अद्भुत तरीके से चल रहे हैं और विशेषकर के ग्रामीण क्षेत्र और पिछड़े क्षेत्र की बालिकाओं के लिए तोयह वरदान साबित होगा। मुझे लगता है कि यहजो आपका संस्थान है और जोडॉ.टीएस अविनाशीलिंगम जी की सोच थी वो यहां समाहितहो रही है। हमारे प्रधानमंत्री जी का भी यही मानना है कि शिक्षा जीवन को आत्मनिर्भर बनाती है और इसकी जो झलक है वो आपके संस्थान में मुझे दिखाई देती है। मुझे भरोसा है कि जो वर्तमान में पूरी दुनिया में चल रहा है वो आज यह संस्थान भी उन सभी चीजों को शोध और अनुसंधान के साथ आगे बढ़ाएगा। हमने आत्मनिर्भर भारत की बात की है, हमने मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया,स्‍किल इंडिया औरस्टार्ट अप की बात की है। हमने आज नवाचार के रूप में स्मार्ट इण्डिया हैकाथानकिया है। हम आसियान देशों के साथ अभी हैकाथानकर रहे हैं। हमारी जो बालिकाओं की शिक्षा है वो वैज्ञानिक क्षेत्र में हमको खुशी है कि जिधर मैं देखता हूं आज बालिकाएं चाहे वो इसरो में हों और चाहे प्रशासनिक क्षेत्र में हों तथाचाहे सामाजिक क्षेत्र में हों या राजनैतिक क्षेत्र में हों हर स्थान पर बहुत महत्वपूर्ण उपस्थिति हमारीबालिकाएं दर्जकर रही है और यह जोअभी नयी शिक्षा नीति है वो नई शिक्षा नीति इसी बात को प्रदर्शित करती है कि हम हर हालत में शिक्षा की गुणवत्‍ता में सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह नीति नेशनल भी है तो इंटरनेशनल भी है, इनोवेटिव भी है, इन्‍क्‍लुसिव भी है, इन्‍टरेक्‍टिव भी है और यह इक्‍विटी, क्‍वालिटी और एक्‍सेस की आधारशिला पर खड़ी है। नई शिक्षा नीति में हम अपना श्रेष्‍ठ कंटेट भी देंगे, उत्‍कृष्‍ट कंटेट के साथ इसे टेलेंट से भी जोड़ेंगे। मुझे भरोसा है कि उस दिशा में आपका संस्‍थान आगे  आयेगा। मुझे लगता है कि आज आपके संस्‍थान के लिए गौरवशाली क्षण हैं। अभी हमने ‘स्‍टडी  इन इंडिया’ एवं ‘स्‍टे इन इंडिया’ की बात की क्‍योंकि हमारे देश से 7-8 लाख छात्र प्रतिवर्ष विदेशों में पढ़ने के लिए जा रहे हैं। हमारे देश का पैसा और प्रतिभा दोनों बाहर चली जाती हैं, जो वापस हमारे देश में नहीं आती है। इसलिए हमने‘स्‍टे इन इंडिया’ किया और  हमने  छात्रों को भरोसा दिलाया कि हमारे आईआईटी, एनआईटी, आईएसर तथा केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालयों में योग्‍यता है, क्षमता है और आपको  बाहर जाने  की जरूरत नहीं है, जोअब लोगों की समझ में आ गया है। मुझे खुशी है कि पीछे के समय हमने जेईई परीक्षाएं करवाई। मुझे इसबात की भी खुशी है कि दो लाख से भी अधिक छात्र जो विदेश में जा रहे थे,वे जेईई और नीट की परीक्षाओं में सम्‍मिलित हुए।  हम ‘स्‍टे इन इंडिया’ के तहत दुनिया के शीर्ष सौविश्वविद्यालयों को अपनी धरती पर आमंत्रित कर रहे हैं, आपकोकहीं जाने की जरूरत नहीं है और यहां के जो शीर्ष विश्वविद्यालय हैं वेभीबाहर जा रहे हैं। यह आदान-प्रदान हम करेंगे। मुझे भरोसा है कि देश अब नई करवट ले रहा है और नई शिक्षा नीति जो हमारी आरहीहै तो यह संस्‍थान पूरी ताकत के साथ नई शिक्षा नीति को क्रियान्‍वित  करेगा। मुझे भरोसा है कि बालिकाओं की  शिक्षा और भी सशक्‍त होगी और जो बहनें आज यहां से उपाधि लेकर जा रही है मैं उनको एक बार फिर शुभकामनाएं देता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. प्रो. एस.पी. त्यागराजन, कुलाधिपति,अविनाशलिंगम गृह विज्ञान और महिला शिक्षा संस्थान, कोयंबटूर
  3. डॉ.प्रेमवती विजयन,कुलपति,अविनाशलिंगम गृह विज्ञान और महिला शिक्षा संस्थान, कोयंबटूर
  4. डॉ. (श्रीमती) एस. कौसल्या, कुलसचिव,अविनाशलिंगम गृह विज्ञान और महिला शिक्षा संस्थान, कोयंबटूर