श्री अरबिंदो सोसाइटी और एचडीएफसी बैंक द्वारा आयोजित ‘शून्य से सशक्तिकरण’विषयपर राष्ट्रीय सम्मेलन
दिनांक: 24 नवम्बर, 2020
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
आज के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में उपस्थितअरबिंदो सोसाइटी के कार्यकारी सदस्य और हमारे सबके अग्रज और जिनका मार्गदर्शन बहुत लंबे समय से अरबिंदोसोसायटी को मिलरहाहै आदरणीय विजय पोद्दार जी,सीबीएसई बोर्ड के अध्यक्ष श्री मनोज आहूजा जी, हमारे साथ आज कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के ग्लोबल एजुकेशन के मैनेजिंग डायरेक्टरश्री रॉडस्मिथ जी और एचडीएफसी बैंक बिजनेस फायनेंस की ग्रुप हैडश्रीमतीआशिमा भट्ट जी, सुश्री नुसरत पठान जी, सीएसआर एचडीएफसी बैंक और मैनेजिंग डायरेक्टर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी श्री गोबिन्द तलियन वेदू जी,श्रीसंभ्रांत जी और देश तथा दुनिया से जुड़े अरबिंदो सोसाइटी के सभी सदस्यगण, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के सभी अधिकारी वर्ग, प्रोफेसर और छात्र, साथ हीजुड़े देश के सभी अधिकारी वर्ग और सभी शिक्षाधिकारी, सभी अध्यापकगण और मेरेछात्र-छात्राओं!यहहम लोगों के लिए बहुत गौरव एवंबहुतआनंदित करने वाले पल हैं जहांहमशिक्षा पर विचार-विमर्श कर रहे हैं क्योंकिशिक्षा ही वह चीज है जिसने हमें यहां तक लाने का काम किया है और तभी आज हम सोच करके इस दिशा में अगला कदम बढ़ा पा रहे हैं। मैं सौभाग्यशाली हूं कि महर्षि अरविन्द का नाम लेते ही एक ऐसी ऊर्जा का संचार होता है जो मन में एक विश्व मानव के रूप में प्रतिपादित जैसा होता है।महर्षि अरविन्द ने जिस शिक्षा के बारे में बोला था, जिस व्यक्ति के बारे में बोला था, जिस विचार के बारे में बोला था, जिन परिस्थितियों और स्थितियों का व्याख्यान किया था वो यही था कि जैसा रॉड स्मिथ जीने कहाहै कि भारत ने पूरी दुनिया को बहुत कुछ दिया है और निश्चितरूप से तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय इस देश के अंदर थे। जहां ‘‘एतद् देश प्रसूतस्य शकासाद् अग्रजन्मन :, स्वं-स्वं चरित्रं शिक्षरेन् पृथ्वियां सर्व मानव:’’पूरी दुनिया के लोग ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, तकनीकी, जीवन मूल्य और विविध प्रकार की शिक्षाओं को प्राप्त करने के लिए इस धरती पर आते थे। वही हिन्दुस्तान विश्वगुरु के रूप में भी रहा है औरउसहिन्दुस्तान ने पूरी दुनिया को अपना परिवार माना है। ‘‘अयं निजः परो वेति गणना लघु चेतसाम् | उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्’’पूरी वसुधा को पूरी दुनिया को अपना परिवार मानने वाला यह हिन्दुस्तान है। महर्षी अरविन्द की परिकल्पना थीकि सारे विश्व में शिक्षा का इतना उत्थान हो कि मनुष्य जो ईश्वर की सबसे सुंदरतम कृति है, वहआनंदित हो।इस पृथ्वी पर क्लेश न रहे।‘‘असतो मा सद्गमया’’असतकी कोई गुंजाइश न हो,‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अंधकार कहींनदिखे, अंधकार तभी मिटेगाजब ज्ञान की रोशनी होगी और ज्ञान की रोशनी के बाद जो उजाला होगा उसमें पूरी दुनिया प्रतिबिम्बित होगी। मनुष्य सुख-शांति और समृद्धि केशिखर तक पहुंचेगाऔर इसीलिए आज जो काम हो रहा है अरविन्द सोसायटी, एचडीएफसी बैंक औरकैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के द्वारा उसके लिए मैं आप तीनों संस्थानों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।जहां तक भारत की शिक्षा नीति को उसके आधार स्तर पर खड़ा करने की बात की है और वहीं कैम्ब्रिज जैसे विश्वविद्यालय जो आठ सौ वर्ष पुराना है और जो दुनिया को काफी कुछ देने की क्षमता रखता है उसको भी हिन्दुस्तान की इस नई शिक्षा नीति से जोड़ा है और इधरएचडीएफसी बैंक ने आपने सहयोग से इस मिशन को आगे ले जाने का मन बनाया है। इसलिए मेरे जैसे व्यक्ति के लिए आज का क्षण बहुत गौरवान्वित करने वाला क्षण है और मैं आभार प्रकट करना चाहता हूं। आज कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने मुझको नई शिक्षा नीति मेंव्यापकपरामर्श और नवाचार करने के लिए जो सम्मान दिया है तथारॉड स्मिथ कैंब्रिज आपने आज जो शिक्षा नीति की उत्कृष्टता की जो घोषणा की है जो मुझको सम्मानदिया है। उसके प्रति मैं आपका बहुत आभार प्रकट कर रहा हूं और मैं आपको भरोसा दिलाना चाहता हूं कि जो आपके मन में यह विचार आया है किहां,हिन्दुस्तान ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है और जो हम यह नई शिक्षा नीति ले करके आए हैं उस नई शिक्षा नीति में वो सारी चीजें हैं जिसकी अपेक्षा आज पूरी दुनिया हिंदुस्तान से करती है। मुझे बहुत खुशी है कि आज अरविन्द सोसाइटी ने शिक्षा के अधिकारियों को और शिक्षकों को जो सम्मान दिया है वो अपने आप मेंअद्भुत है। मुझे इस बात का गौरव है कि हिन्दुस्तान के शिक्षा के अधिकारियों ने और शिक्षकों ने इस नई शिक्षा नीति के उदय में अहम भूमिका निभाई है जब इस कोरोना काल में पूरी दुनिया संकट से हो करके गुजर रही है ऐसे में उन्होंने योद्धा की भूमिका निभाई है। मैं इस देश का शिक्षा मंत्री होने के नाते इस परिवार के इन सब लोगों का अभिनंदन करना चाहता हूँ। मैं आभार प्रकट करना चाहता हूं और मुझे खुशी है कि उनकी पहचान अरविन्द सोसायटी ने की है। मुझे याद आता है कि संभ्रांत जी जब पीछे एक साल पहले हम हजारों शिक्षकों के साथ मिले थे तब भी मुझे बहुत खुशी का अनुभव हुआ था और शून्यइनवेस्टमेंट पर व्यापक परामर्श तथानवाचार हुआ था।बिना किसी खर्च के जो काम कोई सरकारहजारों करोड़ रुपया खर्च करके नहीं कर सकती है वो काम अरविन्द सोसायटी ने मेरे विलक्षण प्रतिभा के धनी अध्यापकों के साथ परामर्श करके किया है। यहछोटी बात नहीं है मेरे लिए गौरव की बात है। मैं तो एक अध्यापक हूं। मैंने सामान्य शिक्षक से लेकर शिक्षा मंत्री तक की यात्रा तय की है इसलिए मैं समझ सकता हूं कि एक अध्यापक की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एक अध्यापक कितना प्रखर होता है, कितना निष्ठावान होता है कि एकधुरी बन कर के पीढ़ी को खड़ा करने के लिए अपना तिल-तिल खपाता है और यही हिंदुस्तान की परंपरा भी रही है। हमने कहा गुरुर ब्रह्मा, गुरुर विष्णु,गुरु देवो महेश्वरा,गुरु साक्षात् पर ब्रह्म,तस्मैं श्री गुरूवे नम: हमने ईश्वर के रूप में हमेशा अपने अध्यापक को देखा है। ‘गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काकेलागो पाय बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताए।‘ यदि ईश्वर औरमेरे गुरु सामने हों तो किसी को कोई संकोच नहीं कि सबसे पहले अभिवादनगुरु के चरणों में करना है क्योंकि गुरु ने ही गोबिंद तक पहुंचायाहै। यहहमारी धारणा रही है, यह हमारा विचार रहा है, यह हमारा आचार रहा है और इसीलिए हिन्दुस्तान का जो गुरु था वह पूरे विश्व में गया है। आज वही अभियान फिर शुरू हो रहा है। आज हम ‘स्पार्क’ के तहत दुनिया के शीर्ष 127विश्वविद्यालयों के साथ परामर्श कर रहे हैं, शोध और अनुसंधान कर रहे हैं वहीं जो यह नई शिक्षा नीति है और जो आज अध्यापक और शिक्षा अधिकारी यहां पर अभी अभिनन्दितहुए हैं इनके बलबूते पर हम उस कल्पना को साकार करेंगे। मैं सबसे पहले तो जिन 40उच्च शिक्षा अधिकारियों को यहां सम्मान मिला है,उनकाअभिनन्दनकरता हूं। मैं समझ सकता हूंक्योंकि मैंहर प्रदेश के शिक्षा अधिकारियों के सीधे टच में रहता हूं। मैं विश्लेषण भी करता रहता हूं कि कौन से प्रदेश का, कौन सा अधिकारी, कहां तक काम कर पा रहा है और यह मैं बहुत अकलुषित तरीके से विश्लेषण करता हूं। मैं इन 40 अधिकारियों को जिसमें सिक्किम के मुख्य सचिव जो स्वयं शिक्षा सचिव भी हैं और बहुत सारे प्रदेशों के मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव प्रमुख सचिव जिनमेंकुछ निदेशक के रूप में हैं आईएएस अधिकारी हैं उन सभी शिक्षा अधिकारियों का मैं अभिनन्दनकरता हूं और इन चालीस लोगोंकी जो ठोस टीम बनी है वह हमारे मिशन को बहुत आगे तक लेकर जाएगी। यह देश 130 करोड़ लोगों का देश है। यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और इस देश में एक हजार से अधिक विश्वविद्यालय हैं,45 हजार से अधिक डिग्री कॉलेज हैं,15 लाख से अधिक केस्कूल हैं,1 करोड़ 9 लाख से अधिक अध्यापक हैं, और मुझे लगता है कि जितनी कुल अमेरिका की आबादी नहीं है उससे भी अधिक यहां33 करोड़ छात्र छात्राएं हैं। यहवैभवहै, इस देश का और उनमें से इन40 अधिकारियों का चयन होना और 26 अध्यापकों का चयन होना। जोआज इतने बड़े प्लेटफार्म पर सम्मानित हो रहे हैं, यह सामान्य सम्मान नहीं है, यह आपका अंतर्राष्ट्रीय सम्मान है और यह शिक्षा नीति में आपको अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर भी गौरवान्वित करेगी ऐसा मेरा भरोसा है। इसलिए मैं आपके प्रदेश को, आपके विभाग को, आपके परिवार को,आपकेअध्यापकगण को और आपके संपूर्ण शिक्षा विभाग को बधाई देना चाहता हूं और जिन प्रदेशों के अधिकारी और अध्यापक आज पुरस्कृतहुएहैं, सम्मानित किए गए हैं, मैं उनके मुख्यमंत्री और उनके शिक्षामंत्री जी को भी विशेष करके बधाई दूंगा। मैं समझ सकता हूं कि इस जुनून के मोडमें काम करना कोई साधारण बात नहीं है। इस बीचकोविडकी महामारी आयीतो मैं समझ सकता हूं कि इन33 करोड़ छात्र-छात्राओं को एक साथ ऑनलाइन पर लाना कोई सहज काम नहीं था। यह अपने आप में एक अद्भुत आश्चर्य ही है कि हम रातों-रात ऑनलाइन माध्यम लायेऔर आपसमझ सकते हैं कि यदि मेरे यह छात्र छात्राएं ऑनलाइन पर नहीं आतेऔर यदि उन33 करोड़ छात्रों के माता पिता को भीजोड़ेंगे तो यह आंकड़ा सौ करोड़ को पार करता है और जो मेरेएक करोड़ दस लाख अध्यापक हैं इनकी क्या मन:स्थिति होती किस परिस्थिति से हो करके गुजरते, कोई कल्पना नहीं कर सकता।दो दिन, चार दिन, दस दिन तो कोई घर के अंदर रह सकता है लेकिन महीनों तक कोई घर के बाहर न निकलें और वो भी छात्र-छात्राएं क्या परिस्थिति पैदा होती,कोईसोच भी नहीं सकता। किस अवसाद में जाते छात्र-छात्राएं,किस अवसाद में जाते अध्यापक,किस अवसाद में जाते अभिभावक। इसकी कल्पना करने से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। लेकिन मुझे खुशी है मेरे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की अगुआई में हमने पूरी ताकत के साथ इस शिक्षा विभाग के इन लोगों ने रात दिन खप करके उस चुनौती का मुकाबला किया और उस चुनौती का मुकाबला करके हम आजऑनलाइनशिक्षा दे पारहे हैं। अब हमारी दूसरी चुनौती हैजो तकनीक के अंतिम छोर पर बैठा जोछात्र हैउस तक जाना है। हमरात-दिन उसमें भी खपे हुए हैं। कुछ छात्र अभी जिनके पास ऐसे संसाधन नहीं हैं जो ऑनलाइन पर आ सकते हैं उन तक भी तेजी से पहुँच हमारी हो रही है और काफी कुछ हम तक पहुँच भीगए। कोविडके ही समय जिस तरीके का इन अध्यापक लोगों ने जो शोध किया, अनुसंधान किया, नवाचार किया और उसको फिर अपने बच्चों के साथ बांटा वह आज दुनिया के लिए उदाहरण बन रहा है। नई शिक्षा नीति दुनिया के सबसे बड़े नवाचार के रूप में जानी जाएगी, ऐसा नवाचार शायद दुनिया में आज से पहले कभी नहीं हुआ होगा। किसी नीति पर जहां 33 करोड़ छात्र छात्राओं से विमर्शहुआ हो,66 करोड़ अभिभावकगणसे विमर्श हुआ हो,ग्राम से लेकर के संसद तक, ग्रामप्रधान से ले करके प्रधानमंत्री जी तक, शिक्षक से लेकर शिक्षाविदों तक, विशेषज्ञों से लेकर के वैज्ञानिकों तक और आम आदमी से लेकर राजनैतिक व्यक्तित्वों तक, सरकारों से लेकर केग्राम पंचायतों तक कोई भी स्थान ऐसा नहीं छूटा जिससे परामर्श नहीं हुआ और उसके बाद भी जो हम लोगों ने नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार किया था उसके बाद फिर उसको पब्लिक डोमेन में डाला जिनमें सवा दो लाख सुझाव आए और उसमें भी तीन-तीन विश्लेषण कमेटियों का गठन किया गया।उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और स्कूली शिक्षा के लिए हमने अलग-अलग विश्लेषण कमेटियों का निर्माण किया। व्यापक परामर्श के बाद, एक-एक सुझाव के विश्लेषण के बाद यह नयी शिक्षा नीति आई है, जो बहुत खूबसूरत है। पूरे देश के अंदर उत्सव जैसा वातावरण है और दुनिया के तमाम देशों ने भी इसपर कहा है कि हम भी भारत की नयी शिक्षा नीति को अपनाना चाहते हैं हमने इस नीति में5+3+3+4 किया है और अब हमने 10+2 को समाप्त कर दिया है और 5 को भी 3+2 किया है। तीन वर्ष के उस बच्चे को कि किस तरीके से वो सोचता है, किस तरीके की उसमें क्षमताएँ हैं उसको लेकर हम आगे बढ़ रहें हैंऔर छठवीं कक्षा से ही वोकेशनल स्ट्रीम, इन्टर्नशिप के साथ ला रहे हैं। स्कूली शिक्षा से ही हमारा विद्यार्थी वोकेशनल से इतना विज्ञहो जाएगा कि स्कूल से बाहर निकलते हुए एक योद्धा के रूप में आएगा। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस कोस्कूली शिक्षा से ही शुरू करनेवाला यह दुनिया का पहला देश हो जाएगा। इस नई शिक्षा नीति के तहत बच्चे का 360 डिग्री होलेस्टिक मूल्यांकन होगा।वो स्वयं भी अपना विश्लेषण करेगा, उसके अभिभावक भी करेंगे,उसके अध्यापक भीकरेंगे और उसका साथी भी करेगा। उसका चौतरफा जो मूल्यांकन होगा और स्वत: स्फूर्त मूल्यांकन होगा जिससे लगेगा किबच्चा कहां जा रहा है। वैज्ञानिकों ने भी इस बात को कहा है कि अपनी मातृभाषा में अभिव्यक्ति की पुष्टि होती है,जोप्रतिभा बाहर निखर कर आती है वो दूसरी भाषा में नहीं हो सकता। इसलिए जो प्रारंभिक शिक्षा है वो बच्चे की अपनी मातृभाषा में ही हो, इसे प्रस्तावित किया गया है।प्राइमरी शिक्षा से लेकर के उच्च शिक्षा तकआमूल चूल परिवर्तन किया गया है। उच्च शिक्षा में जहां विद्यार्थी कोई भी विषय ले सकता है और वह जब चाहे तब छोड़ सकता है जब चाहे फिर आ सकता है। अब हमारा छात्र संगीत के साथ इंजीनियरिंग ले सकता है, विज्ञान के साथ साहित्य ले सकता है उस पर किसी प्रकार की कोई पाबंदी नहीं होगी। वो किसी भी विषय अथवासब्जेक्ट को ले सकता है उसके लिए पूरा मैदान खाली है और इतना ही नहीं यदि वो चार वर्ष का डिग्री कोर्स है और दो वर्ष में विषम परिस्थिति के कारण यदि विद्यार्थी जाना चाहता है तो वो जाए, अबवो हताश एवं निराश नहीं होगा। यदिएक वर्ष में वह छोड़ कर जा रहा है तो उसकोसर्टिफिकेटमिल जाएगा, दो वर्ष में छोड़ कर जा रहा है तो उसको डिप्लोमा मिल जाएगा, तीन वर्ष में छोड़ कर जाता है तो उसको डिग्री मिलेगी। लेकिन यदि दो वर्ष में, एक वर्ष में वह छोड़ कर फिर दुबारा आना चाहता है और वहीं से अपनी पढ़ाई शुरू करना चाहता है तो वह आ सकता है औरअपनीपढ़ाई शुरू कर सकता है एवं अपने भविष्य को संवार सकता है।उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बना रहे हैं जिसमेंउसके सभी क्रेडिट जमा होंगे ताकि वह जहां से छोड़ कर गया है वहां से वो आगे बढ़सके। इसीलिए व्यापक तरीके से शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में हम तेजी से जहां‘नेशनल रिसर्चफाउंडेशन का गठन कर रहे हैं वहीं‘नेशनलएजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ का भी हम गठन कर रहे हैं।जहांतकनीक को हमनीचे आम आदमी तक ले जाना चाहते हैं, वहीं तकनीकों को शीर्ष स्तर तक भी पहुंचाना चाहते हैंअभी हमने 20 लाख अध्यापकों कोप्रशिक्षण देनेका कार्य किया है मुझे खुशी है क्योंकि जब हम बच्चों को बढ़ाना चाहते हैं तो जब तक यौद्धा के रूप में हम अपने अध्यापकों को खड़ा नहीं करेंगे तब तक हम उस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते हैं और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अरविन्द सोसायटी के साथ जुड़कर के जिस तरीके से एचडीएफसी बैंक काम कर रहा है उसके लिए मैं उनकी चैयरमैन को भी बधाई देना चाहता हूं।आप अपने सामाजिक दायित्वों के फंड कोऐसे कार्य पर खर्च कर रहे हैंजिससे देश को आप पर गौरव हो सके। आप जो कर रहे हैं वो छोटा नहीं है,आपपीढ़ी का निर्माण कर रहे हैं, विश्व का निर्माण कर रहे हैं। हमारे देश के प्रधानमंत्रीजी कहते हैं कि हमको राष्ट्र का एक बहुत अच्छा नागरिक चाहिए लेकिन हमको विश्व नागरिक चाहिए। देश के 300 जिलों में 4000 से ज्यादा उत्कृष्ट विद्यालय बनाने की जो पहल की है इसके लिए भी मैं अरविन्द सोसायटी को बधाई देना चाहता हूं। मेरा विश्वास है कि अनुभवों के आधार पर शिक्षा को बढ़ाने का जो आधार है और लर्निंग आउटकम का जो हमारा सिस्टम है वह भी इस नई शिक्षा नीति की आधारशिला है। यदि छात्रशिक्षा ग्रहण कर रहा है तो आउटकम क्या है उसका? इसलिए केवल अक्षर ज्ञान, अंक ज्ञान ही शिक्षा नहीं है बल्कि उसका व्यावहारिक ज्ञान, उसका प्रयोगात्मक ज्ञान, जो उसके मन के अंदर संचार हो रहा है उसको कैसे आगे बढ़ा सकते हैं, इसकीजरूरत है। यह जो हमारी नई शिक्षा नीति है यह भीइन्हीं सब चीजों को लेकर के आगे बढ़ रही है। मैं धन्यवाद देना चाहता हूं संभ्रांत और आपकी पूरी टीम को कि अरविन्द सोसायटी ने नई शिक्षा नीति की उस जड़ को पकड़ा है जिस पर हम खड़ा होना चाहते हैं। हमारी यह नई शिक्षा नीति नेशनल भी है, तो यह इंटरनेशनल भी है, यह इन्क्लुसिव भी है, इम्पैक्टफुल भी है, इन्टरेक्टिव भी है, इनोवेटिव भी है और यह इक्विटी, क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी है। यह ऐसी नई शिक्षा नीति है इसकी खुशुबु पूरी दुनिया में बिखरेगी। मुझेइस बात की भी खुशीहै कि अरविन्द सोसायटी ने जिस तरीके से तमाम प्रकारकेअभी उदाहरण दिये हैं, प्रयोग किये हैं यह निश्चित रूप में हमको बहुत आगे बढ़ाएगा और जो स्कालरशिप का विषय है जिसमें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयके सहयोग से 50 लाख से भी अधिक बच्चों को जो स्कॉलरशिप मिलने वाली है यह भी अपने आप में अद्भुत है। मुझे लगता है कि आपके छोटेसेसहयोग से यह इतना बड़ा काम होगा।जिन बच्चों को जरूरत है, जिसको ऑनलाइन शिक्षा के लिए तकनीकी उपकरणों की जरूरत है जो उसके पास नहीं है तो मैं समझता हूं कि आपके इस प्रयास से ऐसे जरूरतमंद बच्चों के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन होगा और जो आपका शिक्षकों को प्रशिक्षित करने का अभियान है मैं इसके लिए भी आपको शुभकामनाएं देना चाहता हूं। महर्षी अरविन्द जी का विचार था उन्होंने हमेशा कहा है कि मैं इस तरीके का काम करना चाहताहूं या आप ऐसा कुछ करिये जिससे मनुष्य की सृजन शक्ति बाहर निकलें और मनुष्य केवल एक मशीन न रहे। अभी हमने मनुष्य को मशीन बना दिया है। हमारी होड़ है पैकेज की ना कि एक अच्छा मनुष्य बनाने की और मुझे भरोसा है कि यह नई शिक्षा नीति उस होड़ पर थोड़ा सा अंकुश लगाकर के मनुष्य को एक अच्छा नागरिक बनने के लिए प्रेरित करेगी। मुझे भरोसा है किहम महर्षी अरविन्द जी के विचारों को लेकर और आज को जो खूबसूरत कार्यक्रम हो रहा है जिसमें अध्यापकों को सम्मानित किया गया है जिसमें हमने अपने विद्यार्थियों के लिए स्कॉलरशिप का सुनिश्चितकरण किया है। अभी आपने जो-जो शोध अनुसंधान किये हैं उससे संबंधित जिस बुकलेट का आपने लोकार्पण करवाया है उसके लिए भी मैं कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की पूरीटीम को धन्यवाद देनाचाहता हूं और अरविन्द सोसायटी को धन्यवाद देना चाहता हूं और मनोज जी जो सीबीएसई बोर्डकेअध्यक्ष हैं, मुझे भरोसा है कि हम उनकी अगुवाई में स्कूली शिक्षा में नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशामें सफलता पायेंगे वहीं हम उच्च शिक्षा में भी एक बहुत ऊंची छलांग मारकरके शिखर पर पहुंचेंगे। पूरे विश्व की ज्ञान की महाशक्ति के रूप में हिन्दुस्तान खड़ा होगा और जैसा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री बार-बार कहते हैं कि 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत चाहिए। जो स्वच्छ भारत होगा, सशक्त भारत होगा, समृद्ध भारत होगा, आत्मनिर्भर भारत होगा, एक भारत होगा और श्रेष्ठ भारत होगा और जिसको मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया जैसे रास्तों से होकर इस नई शिक्षा नीति को आधारशिला मिलेगी औरनिश्चित रूप में यह पूरेविश्व के लिए एक सुखद आभास होगा और जो हिन्दुस्तान पूरे विश्व को अपना परिवार मान करके यह कामना करता है कि हम सब साथ चलेंगे, साथ बढेंगे, साथ खायेंगे, साथ पुरूषार्थ करेंगे और पूरे विश्व को स्वर्ग बनायेंगे यह है हमारी धारणा। मैं एक बार फिर अरविन्द सोसायटी को, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय को और एचडीएफसी के अधिकारियों को बहुत सारीबधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- श्रीविजय एन पोद्दार, कार्यकारी सदस्य,अरबिंदो सोसायटी
- श्री मनोज आहूजा, अध्यक्ष, सीबीएसई
- श्री रोड स्मिथ, प्रबंध निदेशक, ग्लोबल एजुकेशन, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय
- श्रीमती आशिमा बट्ट, ग्रुप हेड, बिजनेस फायनेंस, एचडीएफसी बैंक,
- सुश्री नुसरत पठान, हेड, सीएसआर, एचडीएफसी बैंक
- अरबिंदो सोसाइटी के सभी अधिकारी एवं कर्मचारी वर्ग, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के सभी अधिकारी वर्ग एवं प्रोफेसर तथा छात्र-छात्राएं।