विश्वैश्वरैया राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, नागपुर का 18वां दीक्षांत समारोह
दिनांक: 28 दिसम्बर, 2020
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
विश्वैश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान नागपुर के दीक्षांत समारोहमेंमैंआप सबका स्वागत कर रहा हूं। इस दीक्षांत समारोह से जुड़े मेरे सहयोगी और भारत सरकार में शिक्षा राज्यमंत्री श्री संजय धोत्रेजी,हमारे विशेष अतिथि श्री जयंत डी.पाटिल निदेशक एवं वरिष्ठकार्याकारीउपाध्यक्ष, एलएंडटी, रक्षा व्यवसायी, निदेशक वीएनआईटी, सभी उपस्थित विभागाध्यक्ष और डीन,सभी प्राध्यापगण, सभी शासीनिकाय के सदस्यगण एवं सभी संकाय छात्र-छात्राओं, अभिभावकगण और सम्पूर्ण एनआईअीपरिवार के सदस्यगण! मुझे खुशी है कि आज एनआईटी नागपुर अपना दीक्षांत समारोह मना रहाहैऔर मैंसभी छात्र छात्राओं को जो आज उपाधि प्राप्त कर रहे हैं, इन सभी लोगों को मैं बधाई देना चाहता हूं।यहदीक्षांत समारोह का अवसर है इसलिए निश्चित रूप से बहुत सारी चीजें आपके मन में उभर रही होंगी क्योंकि जब आप इस संस्थान में प्रवेश लेकर आयें होंगे तब आपके लिए वो खुशी के क्षण थे गर्व के क्षण थे,और उसके बाद लगातार आपने शिक्षा ग्रहण की और अब आपआज दीक्षांत के बाद अपनीउपाधियोंको लेकर मैदान में जा रहे हैं। आज तक आपने अपने आचार्यगण से बहुत सारे प्रश्नों पर परामर्श एवं चर्चा की होगी और आपके बहुत सारे सवाल रहे होंगे जिसके समाधान की दिशा में आपनेउनका मार्गदर्शन लिया होगा। लेकिन आजऐसाक्षण हैं जब हम ज्ञान अर्जन करने के बाद मैदान में जा रहे हैं। अबसारे सवालों के हमको स्वयंजवाब देने होंगे। बहुत सारे सवाल खड़े होंगे हमारी जिन्दगी के आगे बढने के, जो हमनेज्ञान प्राप्त किया है उसको सरसानेके, उसको पल्लवित और पुष्पित करने के सवाल हमारे सामने होंगे। आज समाज के लिए, राष्ट्र के लिए, अपने परिवार के लिए, स्वयं अपनेलिए उन्नति के अवसर तलाशने हैं। आपके पास पूरा मैदान खाली है और आपयोद्धा के रूप में जा रहे हैं।इसलिए यह अवसर आपके लिए बहुत ही अविस्मरणीय है।आपइस संस्थान सेएक लंबे समय की तमाम यादों के साथ जा रहे हैं और उस प्राप्त किए हुए ज्ञान के भंडार को लेकर के आप मैदान में जा रहे हैं, अपने जीवन के गंतव्य मेंजा रहे हैं इसलिए आज आपकोअर्जित ज्ञान का अपने जीवन के लिए पूरा उपयोग करना है।बहुतसारे सवाल भी आपके हैं और इनसब सवालों के जबाब भीस्वयं ही देने होंगे। इसलिए आज का क्षण आपके लिए बेहद खुशी का क्षण है और आपके अभिभावकों में से भी जितने लोगसुन रहे हैं उनसे भी मैं कहना चाहता हूं कि आपकेलिए भी यह गर्व का विषय है, गर्व का दिन है किआपके बेटा-बेटी आज डिग्री प्राप्त करने के बाद और गोल्ड मैडल प्राप्त करने के बाद जीवन की ऊँचाइयों को गौरवपूर्णरास्ते पर आगे बढ़ाएंगे तो मैं आपको भी बहुत बधाई देना चाहता हूं और अध्यापकगण को भी बहुत बधाई देना चाहता हूं। एक अध्यापक के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है जब आपकाछात्र प्रगति करता है तो उसकी खुशी का कोईठिकाना नहीं रहता हैं, इसलिए उनको भी मैं बहुत बधाई देना चाहता हूँ। आज इस एनआईटी ने बहुत तेजी से काम किया है और यह देश के प्रमुख प्रौद्योगिकी संस्थानों में से एक है,जिसको विश्वविद्यालय के दर्जे से सम्मानित किया गया है और मैं समझता हूं कि यह राष्ट्रीय महत्व का हमारा वो संस्थान है जिसे देश की बहुत सारी अपेक्षाओं को पूरा करना है।पहले यह संस्थानरिजनल कॉलेज के रूप में था और अब यह एक राष्ट्रीय महत्व के महत्वपूर्ण संस्थान के रूप में विकसित हो रहा है। विश्वैश्वरैया एक साधारण इंजीनियर नहीं थे जिनके नाम पर यह संस्थान है बल्कि वे ऐसे विख्यात विद्वान थे जिन्होंने पूरी दुनिया में नाम कमाया और उन्हेंसर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित उनको किया गया। विभिन्न क्षेत्रों में उन्होंने काम किया और उसके शिखर को चूमा है। इंजीनियरिंगभारत के आर्थिक विकास में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखतीहै और हमारीसरकार ने अपने विभिन्न माध्यमों से इंजीनियरिंग के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया,स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडियाजैसी बहुत सारी योजनाएं हमने बनाई हैं वे बेहद महत्वपूर्ण हैं। बहुत से कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से सृजन और उद्यमिता के क्षेत्र में आपके संस्थान ने बहुत दूरगामी कदम बढ़ाए हैं, इसकी भी मैं आपको बधाई देना चाहता हूं।यदिमैं प्रधानमंत्री जी के शब्दों में कहूं तो भारत के पास थ्री ‘डी’ है। एक तो डेमोग्राफिक है, डेमोक्रेसी हैऔर डिमांड है। हमारा देश पूरी दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देशहैजिसकी130 करोड़ से भी अधिक जनसंख्या है तो स्वाभाविकहै कि डिमांड भी बढ़ेगी। इंजीनियरिंग राष्ट्र के निर्माण में बहुतमदद करती है, यहां तक कि इंजीनियर तो टूटे हुए को भी जोड़ता है। इसलिए मैं समझता हूं कि इंजीनियरिंग बहुत बड़ा क्षेत्र है और आप सबने आज यहां पर जिस तरीके से काम किया है, आपने विभिन्न विषयों को लेकर काफी प्रगति की है। कोरोना काल में भी मैंने देखा कि आपने ऐसे विकट संकट में जब पूरी दुनियां संकट सेहोकर गुजर रहीथी तब भी आपने काम किया है और मुझे मालूम है कि आपने मास्क से लेकर,टेस्टिंग किट और वेंटीलेटर तक का निर्माण किया हैऔरनिश्चितही आपके हाथ में कौशल है और जब कौशल हाथ में होगा तो आपको कहीं ठहराव नहीं मिलेगा,आपतेजी से दौड़ेंगे और प्रगति के शिखर तक आपका मार्ग रोकने वाला कोई नही होगा। हमारी ऐसी शुभकामनाएं आपके साथ हैं और आज हम सभी आपको शुभकामना देने के लिए आपकीखुशी में सम्मलित होने के लिए ही यहां उपस्थित हुए हैं। हमारे देश की परंपरा रही है कि जब भी कोई अच्छा काम होता है और जब भीखुशी के क्षण होते हैं तो उसको भी हम मिलकर के बांटते हैं और जब किसी के जीवन में दु:ख का भी क्षणआता है तो भी हम मिलकर के बांटते है क्योंकि हमारी प्रबल धारणा रही है जो सुख है या खुशी है, वह बांटने से बढ़ती है और जो दु:ख है या संकट है, वह बाँटनेसेकम होता है।जबइसलिए पूरा समाज एकजुट हो करके आगे बढता है तो निश्चित ही राष्ट्र प्रगति के शिखर तक पहुंचता है। आपको तो मालूम है कि हमने हमेशा कहा है किहम साथ-साथ पुरूषार्थ करेंगे, साथ चलेंगे सब साथ-साथ आगे बढ़ेंगे और यही एकत्व का भाव हमकोनिश्चित रूप से बहुत तेजी से आगे बढाता है।हमारे देश के प्रधानमंत्रीजी ने आत्म निर्भर भारत की बात की है एक ऐसे भारत के निर्माण की बात की है जो स्वच्छ भारत हो, जो स्वस्थ भारतहो,जो सुंदर भारत हो, जो सशक्त भारत हो, जो आत्मनिर्भर भारतहो, जो श्रेष्ठ भारत हो और उसश्रेष्ठ भारत के लिए मेक इन इण्डिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और स्टैंड अप इंडिया जैसे रास्तों को बनाया है। मुझे भरोसा है कि आप इस अभियान को ओर आगे बढ़ायेंगे। आप किसी की नौकरी पाने के लिए नहीं बल्कि नौकरी देने के लिए इस अभियान को आगे बढ़ाएंगे। हममें सामर्थ्य है, आप यहां से शिक्षा ग्रहण करके जा रहे हैं,आपएक योद्धा की तरह बाहर निकलेंगे और हर क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे ऐसा मेरा विश्वास है और इसलिए मैं ऐसे वक्त पर आपको शुभकामना देना चाहता हूं। पीछे के समयमें हमने युक्ति पोर्टल बनाया जिसमें बहुत सारे मेरे इंजीनियर्स औरमैकेनिकों के आइडियाज आ रहे हैं ताकि उनका गांव एवं शहर के सभी क्षेत्रों में उपयोग करके देश की आर्थिकी को बढ़ाया जाए क्योंकि देश के प्रधानमंत्री ने कहा है कि हमकों फाइव ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनानी है तो इसका रास्ताआत्मनिर्भरभारत से होकर गुजरेगा और निश्चित रूप से आपके हाथों में सामर्थ्य है और आपके हाथों में स्किल है। वर्तमान में जो नई शिक्षा नीति आई है,वहबहुत व्यापक परिवर्तनों एवं सुधारों के साथ आई हैयहनई शिक्षा नीति शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में भी आपको आगेबढ़ाएगी। तकनीकी केक्षेत्र में हमने जो ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ बनाया है, उसके माध्यम से आप बहुत आगे बढ सकते हैं।शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए ‘नेशनल रिासर्चफाउंडेशन’ अलग से गठित हो रहा है। यही नई शिक्षा नीति की खूबसूरती है जिसका सभी लाभ उठा सकते हैं। आप पेटेंट की ओर दौड़े आपने डिग्री ले ली है।आगे बढने के लिए हमेंशोध एवं अनुसंधानसे होकर गुजरना ही होगा। इसीलिए टैलेंट तो होता है लेकिन टैलेंट का यदि विकास नहीं होगा तो बात नहीं बनेगी। टैलेंट पेटेन्ट के साथजुड़ेगा तो हम और आगे बढ़ेंगे, टैलेंट और पेटेंट इन दोनों का जुड़ाव एक नयी चीज को पैदा करेगा और जो नई शिक्षा नीति आई है, वह यही कहती हैं कि हम टैलेंट का विकास भी करेंगे विस्तार भी करेंगे, और उसको पेटेंट तक भी लेकर केजाएंगे।यह शिक्षा नीति सामान्य नहीं है। यह नेशनल भी है, इंटरनेशनल भी है, यह इंटरेक्टिवभी है, इम्पैक्टफुल भी है,इनोवेटिवभी है और यहइक्विटी, क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी होती है।हम इसमें कंटेंट भी पैदा करेंगें और उसको टैलेंट केसाथ भीजोड़ेगें और उसका पेटेंट भी करायेंगे। आज भी देश के अन्दर छात्रों में केवल पैकेज की होड़लगीहै।इस पैकेज की होड़ को खत्म करके पेटेंट के होड़को तैयार करना होगा तभी देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकता है।दुनिया में भारत तीसरी महाशक्ति के रूप में तो स्थापित हो ही रहा है लेकिन मेरा विश्वास है कि देश ज्ञान की महाशक्ति के रूप में भीउभर कर आएगा।हमज्ञान की महाशक्ति की जो 5 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिकीहोगी उसकी आधारशिला आप बनेंगेऔर पूरी दुनिया में यह लगेगा कि भारत के पास इस समय अपनी सोच है। मुझे भरोसा है कि आप अपने कठिन परिश्रम और प्रतिभा से आगे बढ़ेंगे और भारत की इन अपेक्षाओं को भीपूरा करेंगे। हम लोगों प्रिन्ट के साथ ही डिजिटल लाइब्रेरी और विशिष्ट समस्या केन्द्र तथा औद्योगिक अनुसंधान एवं नवाचार कार्यक्रमों को हम लगातार बढ़ावादेरहे हैं, यहआपके भविष्य केलिएअच्छा होगा।नई शिक्षा नीति के अंतर्गत जहां ‘ज्ञान’ में हम बाहर की फैकल्टी को अपनी धरती पर आमंत्रित कर रहे हैं वहींअब‘ज्ञान प्लस’ में हमारी भी फैकल्टी बाहर पढ़ाने के लिए जाएगी।वे बाहर जाकर नये आइडियाज को लेकर आएंगेऔर अब तो हमने उसका अंतरराष्ट्रीयकरण भी कर दिया है। विश्व के टॉप सौ विश्वविद्यालयों को हम यहां आमंत्रित कर रहे हैं। हमारे विश्वविद्यालय भी पूरी दुनिया में जाना चाहते हैं। अभी बाहर जाने की होड़ खत्म हो जाएगी क्योंकि उनको दुनिया की सबसे बेहतरीनशिक्षा यहां उपलब्ध होगी। हमारीनई शिक्षा नीति तमामबदलाव के साथ पूरी दुनिया की सबसे बड़े रिफॉर्म वालीनीति है।संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2030 तक के लिए जो सतत विकास लक्ष्य निर्धारित किये गय हैं, उन सबको पाने की सामर्थ्य नई शिक्षा नीति में है। शिक्षक और शिक्षार्थी का समग्र रूप से किसतरीके से विकास हो सकता है वो भी इस नई शिक्षा नीति में है,वैज्ञानिक चेतना भी इसमें है तो मातृभाषा पर भी इसमें जोर है क्योंकि जो अभिव्यक्ति हम अपनी मातृभाषा में दे सकते हैं, वह दूसरी सीखी हुई एवं थोपी हुईभाषामें नहीं कर सकते हैं। वैसे तो हम पूरी दुनिया की सभी भाषाओं को सीखना चाहते हैं लेकिन हमारे देश की जो 22 भारतीयभाषाएँ संविधान में वर्णित हैं हम उनका जरूर संरक्षण एवं संवर्धन करना चाहिए। संविधान कीअनुसूची 8 में हमको जिन22 भारतीय भाषाओं को दिया गया है, वे वाकई खूबसूरत हैं और निश्चित ही नई शिक्षा नीति के माध्यम से उनका भी विकास होगा। नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम के माध्यम से अंतिम छोर केव्यक्ति को भी तकनीकी लाभों से सम्पन्न बनाया जाएगा। हम तकनीकी काविस्तार भी करेंगे और विकास भी करेंगे। हमारी प्रतिभा से हम नई चीजों को उभार कर पूरी दुनिया के स्तर पर उसका विस्तार कर सकते हैं।इस शिक्षा नीति के अंतर्गत हमने व्यवस्था की है कियदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्थितिवशछोड़के जा रहा है तो पहले उसका पैसा एवं समय दोनों खराब हो जाते थे। लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा।यदिकोई छात्र परिस्थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहा है तो हम उसको सर्टिफिकेटदेंगे; यदि वहदो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़कर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे। लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा रहेंगे।इसलिए हमारे विद्यार्थियों के लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।वह कहां जाना चाहता है, शोध और अनुसंधान के क्षेत्र भी हमने बहुत से सकारात्मक परिवर्तन किये हैं। मुझे प्रसन्नता है कि एनआईआरएफ में भी आपकासंस्थान रैंकिंग को लगातार बढ़ाता जा रहा है।जहां यह पहले 31वें स्थान पर था अब यह 27वें स्थान पर आगया है और मैं आगे भी आपसे ऐसी ही प्रगति की अच्छी अपेक्षा कर रहा हूं।वर्ष 2020 को यह संस्थान अपनी हीरक जयंती के रूप में मना रहा है। संस्थान से जितने भी पूर्व छात्र निकले हैंयदि उनके नाम कीसूची देखें तो विजय भट्टकरजी जिनसे मेरा लगातार संवाद भी होता है, जोपद्म विभूषण पद्म श्री और परम सुपर कंप्यूटर के आर्किटेक्ट हैं। एशियापैसिफिक के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट दिनेश जी हैं,यदिसभीनामों को लूं तो एक बड़ी लंबी सूची है जिन्होंने इस संस्थान का गौरव पूरी दुनिया में बढ़ाया है। मुझे खुशी है कि अनुसंधान और शोध की दिशा में लगभग 56 करोड़ की आपकी विभिन्न परियोजनाएं चल रही है। आपअनुसंधान भी कर रहे हैं और पेटेंट की दिशा में भीकाफी तेजी से आगे बढ़रहेहैं।मैं देख रहा था कि चाहे उन्नत अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल हो या जलवायु परिवर्तन परक्षमता निर्माण के लिए नवाचार केन्द्र कीस्थापना हो, विभिन्न क्षेत्रों में आप लगातार काम कर रहे हैं तो इसकी भी मुझे बहुत खुशी है। यह भी प्रसन्नता का विषय है किआपने दस गांवों को गोद लिया है, इस तरीके से आप उनकी समस्याओं के समाधान करने की दिशा में आगे आ रहे हैं।मुझे भरोसा है कि उद्योग और हमारे इन संस्थानों के बीच अच्छा समन्वय होगा ताकि जो उद्योगों को जरूरत है उसे हमारे संस्थान उद्योगों के समन्वय के साथ पूरा कर सकते हैं। ऐसा करने से जो हमारी प्रतिभाएं बाहर पलायन करती हैं वह समस्या भी खत्म होगी। उद्योग को जो नई ऊर्जा चाहिए, नई दिशा चाहिए,नया विजन चाहिए वोहमारे इन युवाओं में निश्चित रूप से मिलेगा। हमारे प्रधानमंत्री जी ने ऐसे नये और स्वर्णिम भारत के निर्माण का संकल्प लिया है जो स्वच्छ भारत हो,सशक्त भारत हो, समृद्ध भारत हो, आत्मनिर्भर हो और श्रेष्ठ हो। हमें ऐसे भारत के निर्माण की नींव बनकर आगे बढ़ना हैं हमजरूर आगेबढ़ेंगे और पूरे देश में और पूरी दुनिया में इस संस्थान का नाम बढ़ाएंगे। मैं एक बार पुन: जिन स्नातकों को गोल्ड मैडल मिले हैं उनको ढेर सारी बधाई देना चाहता हूं। जो आज डिग्री ले करके हमारे विद्यार्थी जा रहे हैं, उनको भीढेर सारी शुभकामनाएं एवं बधाई देना चाहता हूं। आप आज यहां से एक योद्धा के रूप में जायेंगे और आप यहसाबित करेंगे कि जोदीक्षा आपने ली है वो समाज के लिए काम आएगी तथापूरे राष्ट्र के लिए काम आएगी एवं पूरी दुनिया के लिए काम आएगी क्योंकि हम ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना वाले लोग हैं। हम पूरी दुनिया को ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया:’ के मार्ग पर ले जाना चाहते हैं। कोई व्यक्ति दुःखी न हो और यदि कोई दु:खी हो तो उसके दु:ख को दूर करने की ताकत हममें समाहित हो सकती है, हम उसको उबार सकते हैं तो एक बार पुन: आप सबको मेरी बधाई एवंशुभकामनाएं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- श्री संजय शामराव धोत्रे, माननीय माननीय शिक्षा राज्य मंत्री, भारत सरकार
- श्री जयंत डी. पाटिल, निदेशक एवं वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष, एलएंडटी, रक्षा व्यवसाय
- डॉ. प्रमोद एम. पडोले, निदेशक,विश्वैश्वरैया राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, नागपुर