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विश्‍वैश्‍वरैया राष्‍ट्रीय तकनीकी संस्‍थान, नागपुर का 18वां दीक्षांत समारोह  

विश्‍वैश्‍वरैया राष्‍ट्रीय तकनीकी संस्‍थान, नागपुर का 18वां दीक्षांत समारोह

 

दिनांक: 28 दिसम्‍बर, 2020

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

          विश्‍वैश्‍वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान नागपुर के दीक्षांत समारोहमेंमैंआप सबका स्वागत कर रहा हूं। इस दीक्षांत समारोह से जुड़े मेरे सहयोगी और भारत सरकार में शिक्षा राज्यमंत्री श्री संजय धोत्रेजी,हमारे विशेष अतिथि श्री जयंत डी.पाटिल निदेशक एवं वरिष्ठकार्याकारीउपाध्यक्ष, एलएंडटी, रक्षा व्यवसायी, निदेशक वीएनआईटी, सभी उपस्थित विभागाध्यक्ष और डीन,सभी प्राध्यापगण, सभी शासीनिकाय के सदस्यगण एवं सभी संकाय छात्र-छात्राओं, अभिभावकगण और सम्पूर्ण एनआईअीपरिवार के सदस्यगण! मुझे खुशी है कि आज एनआईटी नागपुर अपना दीक्षांत समारोह मना रहाहैऔर मैंसभी छात्र छात्राओं को जो आज उपाधि प्राप्त कर रहे हैं, इन सभी लोगों को मैं बधाई देना चाहता हूं।यहदीक्षांत समारोह का अवसर है इसलिए निश्‍चित रूप से बहुत सारी चीजें आपके मन में उभर रही होंगी क्योंकि जब आप इस संस्थान में प्रवेश लेकर आयें होंगे तब आपके लिए वो खुशी के क्षण थे गर्व के क्षण थे,और उसके बाद लगातार आपने शिक्षा ग्रहण की और अब आपआज दीक्षांत के बाद अपनीउपाधियोंको लेकर मैदान में जा रहे हैं। आज तक आपने अपने आचार्यगण से बहुत सारे प्रश्नों पर परामर्श एवं चर्चा की होगी और आपके बहुत सारे सवाल रहे होंगे जिसके समाधान की दिशा में आपनेउनका मार्गदर्शन लिया होगा। लेकिन आजऐसाक्षण हैं जब हम ज्ञान अर्जन करने के बाद मैदान में जा रहे हैं। अबसारे सवालों के हमको स्‍वयंजवाब देने होंगे। बहुत सारे सवाल खड़े होंगे हमारी जिन्दगी के आगे बढने के, जो हमनेज्ञान प्राप्त किया है उसको सरसानेके, उसको पल्लवित और पुष्पित करने के सवाल हमारे सामने होंगे। आज समाज के लिए, राष्ट्र के लिए, अपने परिवार के लिए, स्वयं अपनेलिए उन्‍नति के अवसर तलाशने हैं। आपके पास पूरा मैदान खाली है और आपयोद्धा के रूप में जा रहे हैं।इसलिए यह अवसर आपके लिए बहुत ही अविस्मरणीय है।आपइस संस्थान सेएक लंबे समय की तमाम यादों के साथ जा रहे हैं और उस प्राप्त किए हुए ज्ञान के भंडार को लेकर के आप मैदान में जा रहे हैं, अपने जीवन के गंतव्य मेंजा रहे हैं इसलिए आज आपकोअर्जित ज्ञान का अपने जीवन के लिए पूरा उपयोग करना है।बहुतसारे सवाल भी आपके हैं और इनसब सवालों के जबाब भीस्वयं ही देने होंगे। इसलिए आज का क्षण आपके लिए बेहद खुशी का क्षण है और आपके अभिभावकों में से भी जितने लोगसुन रहे हैं उनसे भी मैं कहना चाहता हूं कि आपकेलिए भी यह गर्व का विषय है, गर्व का दिन है किआपके बेटा-बेटी आज डिग्री प्राप्त करने के बाद और गोल्ड मैडल प्राप्त करने के बाद जीवन की ऊँचाइयों को गौरवपूर्णरास्ते पर आगे बढ़ाएंगे तो मैं आपको भी बहुत बधाई देना चाहता हूं और अध्यापकगण को भी बहुत बधाई देना चाहता हूं। एक अध्यापक के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है जब आपकाछात्र प्रगति करता है तो उसकी खुशी का कोईठिकाना नहीं रहता हैं, इसलिए उनको भी मैं बहुत बधाई देना चाहता हूँ। आज इस एनआईटी ने बहुत तेजी से काम किया है और यह देश के प्रमुख प्रौद्योगिकी संस्थानों में से एक है,जिसको विश्वविद्यालय के दर्जे से सम्मानित किया गया है और मैं समझता हूं कि यह राष्ट्रीय महत्व का हमारा वो संस्थान है जिसे देश की बहुत सारी अपेक्षाओं को पूरा करना है।पहले यह संस्‍थानरिजनल कॉलेज के रूप में था और अब यह एक राष्ट्रीय महत्व के महत्वपूर्ण संस्थान के रूप में विकसित हो रहा है। विश्‍वैश्‍वरैया एक साधारण इंजीनियर नहीं थे जिनके नाम पर यह संस्‍थान है बल्कि वे ऐसे विख्यात विद्वान थे जिन्होंने पूरी दुनिया में नाम कमाया और उन्‍हेंसर्वोच्च नागरिक सम्‍मान भारत रत्न से सम्मानित उनको किया गया। विभिन्न क्षेत्रों में उन्होंने काम किया और उसके शिखर को चूमा है। इंजीनियरिंगभारत के आर्थिक विकास में बहुत महत्वपूर्ण स्‍थान रखतीहै और हमारीसरकार ने अपने विभिन्न माध्यमों से इंजीनियरिंग के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया,स्‍किल इंडिया, स्‍टार्टअप इंडिया और स्‍टैंडअप इंडियाजैसी बहुत सारी योजनाएं हमने बनाई हैं वे बेहद महत्वपूर्ण हैं। बहुत से कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से सृजन और उद्यमिता के क्षेत्र में आपके संस्थान ने बहुत दूरगामी कदम बढ़ाए हैं, इसकी भी मैं आपको बधाई देना चाहता हूं।यदिमैं प्रधानमंत्री जी के शब्दों में कहूं तो भारत के पास थ्री ‘डी’ है। एक तो डेमोग्राफिक है, डेमोक्रेसी हैऔर डिमांड है। हमारा देश पूरी दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देशहैजिसकी130 करोड़ से भी अधिक जनसंख्या है तो स्‍वाभाविकहै कि डिमांड भी बढ़ेगी। इंजीनियरिंग राष्ट्र के निर्माण में बहुतमदद करती है, यहां तक कि इंजीनियर तो टूटे हुए को भी जोड़ता है। इसलिए मैं समझता हूं कि इंजीनियरिंग बहुत बड़ा क्षेत्र है और आप सबने आज यहां पर जिस तरीके से काम किया है, आपने विभिन्न विषयों को लेकर काफी प्रगति की है। कोरोना काल में भी मैंने देखा कि आपने ऐसे विकट संकट में जब पूरी दुनियां संकट सेहोकर गुजर रहीथी तब भी आपने काम किया है और मुझे मालूम है कि आपने मास्‍क से लेकर,टेस्टिंग किट और वेंटीलेटर तक का निर्माण किया हैऔरनिश्‍चितही आपके हाथ में कौशल है और  जब कौशल हाथ में होगा तो आपको कहीं ठहराव नहीं मिलेगा,आपतेजी से दौड़ेंगे और प्रगति के शिखर तक आपका मार्ग रोकने वाला कोई नही होगा। हमारी ऐसी शुभकामनाएं आपके साथ हैं और आज हम सभी आपको शुभकामना देने के लिए आपकीखुशी में सम्मलित होने के लिए ही यहां उपस्‍थित हुए हैं। हमारे देश की परंपरा रही है कि जब भी कोई अच्छा काम होता है और जब भीखुशी के क्षण होते हैं तो उसको भी हम मिलकर के बांटते हैं और जब किसी के जीवन में दु:ख का भी क्षणआता है तो भी हम मिलकर के बांटते है क्‍योंकि हमारी प्रबल धारणा रही है जो सुख है या खुशी है, वह बांटने से बढ़ती है और जो दु:ख है या संकट है, वह बाँटनेसेकम होता है।जबइसलिए पूरा समाज एकजुट हो करके आगे बढता है तो निश्‍चित ही राष्‍ट्र प्रगति के शिखर तक पहुंचता है। आपको तो मालूम है कि हमने हमेशा कहा है किहम साथ-साथ पुरूषार्थ करेंगे, साथ चलेंगे सब साथ-साथ आगे बढ़ेंगे और यही एकत्व का भाव हमकोनिश्चित रूप से बहुत तेजी से आगे बढाता है।हमारे देश के प्रधानमंत्रीजी ने आत्म निर्भर भारत की बात की है एक ऐसे भारत के निर्माण की बात की है जो स्वच्छ भारत हो, जो स्वस्थ भारतहो,जो सुंदर भारत हो, जो सशक्त भारत हो, जो आत्मनिर्भर भारतहो, जो श्रेष्ठ भारत हो और उसश्रेष्ठ भारत के लिए मेक इन इण्डिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और स्‍टैंड अप इंडिया जैसे रास्तों को बनाया है। मुझे भरोसा है कि आप इस अभियान को ओर आगे बढ़ायेंगे। आप किसी की नौकरी पाने के लिए नहीं बल्कि नौकरी देने के लिए इस अभियान को आगे बढ़ाएंगे। हममें सामर्थ्‍य है, आप यहां से शिक्षा ग्रहण करके जा रहे हैं,आपएक योद्धा की तरह बाहर निकलेंगे और हर क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे ऐसा मेरा विश्वास है और इसलिए मैं ऐसे वक्त पर आपको शुभकामना देना चाहता हूं। पीछे के समयमें हमने युक्ति पोर्टल बनाया जिसमें बहुत सारे मेरे इंजीनियर्स औरमैकेनिकों के आइडियाज आ रहे हैं ताकि उनका गांव एवं शहर के सभी क्षेत्रों में उपयोग करके देश की आर्थिकी को बढ़ाया जाए क्योंकि देश के प्रधानमंत्री ने कहा है कि हमकों फाइव ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनानी है तो इसका रास्‍ताआत्‍मनिर्भरभारत से होकर गुजरेगा और निश्चित रूप से आपके हाथों में सामर्थ्य है और आपके हाथों में स्किल है। वर्तमान में जो नई शिक्षा नीति आई है,वहबहुत व्यापक परिवर्तनों एवं सुधारों के साथ आई हैयहनई शिक्षा नीति शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में भी आपको आगेबढ़ाएगी। तकनीकी केक्षेत्र में हमने जो ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ बनाया है, उसके माध्यम से आप बहुत आगे बढ सकते हैं।शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए ‘नेशनल रिासर्चफाउंडेशन’ अलग से गठित हो रहा है। यही नई शिक्षा नीति की खूबसूरती है जिसका सभी लाभ उठा सकते हैं। आप पेटेंट की ओर दौड़े आपने डिग्री ले ली है।आगे बढने के लिए हमेंशोध एवं अनुसंधानसे होकर गुजरना ही होगा। इसीलिए टैलेंट तो होता है लेकिन टैलेंट का यदि विकास नहीं होगा तो बात नहीं बनेगी। टैलेंट पेटेन्ट के साथजुड़ेगा तो हम और आगे बढ़ेंगे, टैलेंट और पेटेंट इन दोनों का जुड़ाव एक नयी चीज को पैदा करेगा और जो नई शिक्षा नीति आई है, वह यही कहती हैं कि हम टैलेंट का विकास भी करेंगे विस्तार भी करेंगे, और उसको पेटेंट तक भी लेकर केजाएंगे।यह शिक्षा नीति सामान्य नहीं है। यह नेशनल भी है, इंटरनेशनल भी है, यह इंटरेक्‍टिवभी है, इम्पैक्टफुल भी है,इनोवेटिवभी है और यहइक्विटी, क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी होती है।हम इसमें कंटेंट भी पैदा करेंगें और उसको टैलेंट केसाथ भीजोड़ेगें और उसका पेटेंट भी करायेंगे। आज भी देश के अन्‍दर छात्रों में केवल पैकेज की होड़लगीहै।इस पैकेज की होड़ को खत्म करके पेटेंट के होड़को तैयार करना होगा तभी देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकता है।दुनिया में भारत तीसरी महाशक्ति के रूप में तो स्‍थापित हो ही रहा है लेकिन मेरा विश्‍वास है कि देश ज्ञान की महाशक्ति के रूप में भीउभर कर आएगा।हमज्ञान की महाशक्ति की जो 5 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिकीहोगी उसकी आधारशिला आप  बनेंगेऔर पूरी दुनिया में यह लगेगा कि भारत के पास इस समय अपनी सोच है। मुझे भरोसा है कि आप अपने कठिन परिश्रम और प्रतिभा से आगे बढ़ेंगे और भारत की इन अपेक्षाओं को भीपूरा करेंगे। हम लोगों प्रिन्ट  के साथ ही डिजिटल लाइब्रेरी और विशिष्ट समस्या केन्द्र तथा औद्योगिक अनुसंधान एवं नवाचार कार्यक्रमों को हम लगातार बढ़ावादेरहे हैं, यहआपके भविष्‍य केलिएअच्छा होगा।नई शिक्षा नीति के अंतर्गत जहां ‘ज्ञान’ में हम बाहर की फैकल्‍टी को अपनी धरती पर आमंत्रित कर रहे हैं वहींअब‘ज्ञान प्लस’ में हमारी भी फैकल्टी बाहर पढ़ाने के लिए जाएगी।वे बाहर जाकर नये आइडियाज को लेकर आएंगेऔर अब तो हमने उसका अंतरराष्ट्रीयकरण भी कर दिया है। विश्व के टॉप सौ विश्वविद्यालयों को हम यहां आमंत्रित कर रहे हैं। हमारे विश्वविद्यालय भी पूरी दुनिया में जाना चाहते हैं। अभी बाहर जाने की होड़ खत्म हो जाएगी क्योंकि उनको दुनिया की सबसे बेहतरीनशिक्षा यहां उपलब्‍ध होगी। हमारीनई शिक्षा नीति तमामबदलाव के साथ पूरी दुनिया की सबसे बड़े रिफॉर्म वालीनीति है।संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ  द्वारा वर्ष 2030 तक के लिए जो सतत विकास लक्ष्‍य निर्धारित किये गय हैं, उन सबको पाने की सामर्थ्‍य  नई शिक्षा नीति में है। शिक्षक और शिक्षार्थी का समग्र रूप से किसतरीके से विकास हो सकता है वो भी इस नई शिक्षा नीति में है,वैज्ञानिक चेतना भी इसमें है तो मातृभाषा पर भी इसमें जोर है क्योंकि जो अभिव्यक्ति हम अपनी मातृभाषा में दे सकते हैं, वह दूसरी सीखी हुई एवं थोपी हुईभाषामें नहीं कर सकते हैं। वैसे तो हम पूरी दुनिया की सभी भाषाओं को सीखना चाहते हैं लेकिन हमारे देश की जो 22 भारतीयभाषाएँ संविधान में वर्णित हैं हम उनका जरूर संरक्षण एवं संवर्धन करना चाहिए। संविधान कीअनुसूची 8 में हमको जिन22 भारतीय भाषाओं को दिया गया है, वे वाकई खूबसूरत हैं और निश्चित ही नई शिक्षा नीति के माध्यम से उनका भी विकास होगा। नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम के माध्‍यम से अंतिम छोर केव्यक्ति को भी तकनीकी लाभों से सम्‍पन्‍न बनाया जाएगा। हम तकनीकी काविस्तार भी करेंगे और विकास भी करेंगे। हमारी प्रतिभा से हम नई चीजों को उभार कर पूरी दुनिया के स्तर पर उसका विस्तार कर सकते हैं।इस शिक्षा नीति के अंतर्गत हमने व्‍यवस्‍था की है कियदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्‍थितिवशछोड़के जा रहा है  तो पहले उसका पैसा एवं समय दोनों खराब हो जाते थे। लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा।यदिकोई छात्र परिस्‍थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहा है तो हम उसको सर्टिफिकेटदेंगे; यदि वहदो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़कर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे। लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा रहेंगे।इसलिए हमारे विद्यार्थियों के लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।वह कहां जाना चाहता है, शोध और अनुसंधान के क्षेत्र भी हमने  बहुत से सकारात्‍मक परिवर्तन किये हैं। मुझे प्रसन्‍नता है कि एनआईआरएफ में भी आपकासंस्थान रैंकिंग को लगातार बढ़ाता जा रहा है।जहां यह पहले 31वें स्थान पर था अब यह 27वें स्थान पर आगया है और  मैं आगे भी आपसे ऐसी ही प्रगति की अच्छी अपेक्षा कर रहा हूं।वर्ष 2020 को यह संस्‍थान  अपनी हीरक जयंती के रूप में मना रहा है। संस्‍थान से जितने भी पूर्व छात्र निकले हैंयदि उनके नाम कीसूची देखें तो विजय भट्टकरजी जिनसे मेरा लगातार संवाद भी होता है, जोपद्म विभूषण पद्म श्री और परम सुपर कंप्यूटर के आर्किटेक्ट हैं। एशियापैसिफिक के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट  दिनेश जी हैं,यदिसभीनामों को लूं तो एक बड़ी लंबी सूची है जिन्होंने इस संस्थान का गौरव पूरी दुनिया में बढ़ाया है। मुझे खुशी है कि अनुसंधान और शोध की दिशा में लगभग 56 करोड़  की आपकी विभिन्न परियोजनाएं चल रही है। आपअनुसंधान भी कर रहे हैं और पेटेंट की दिशा में भीकाफी तेजी से आगे बढ़रहेहैं।मैं देख रहा था कि चाहे उन्‍नत अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल हो या जलवायु परिवर्तन परक्षमता निर्माण के लिए नवाचार केन्द्र कीस्थापना हो, विभिन्न क्षेत्रों में आप लगातार काम कर रहे हैं तो इसकी भी मुझे बहुत खुशी है। यह भी प्रसन्‍नता का विषय है किआपने दस गांवों को गोद लिया है, इस तरीके से आप उनकी समस्याओं के समाधान करने की दिशा में आगे आ रहे हैं।मुझे भरोसा है कि उद्योग और हमारे इन संस्थानों के बीच अच्छा समन्‍वय होगा ताकि जो उद्योगों को जरूरत है उसे हमारे संस्‍थान उद्योगों  के समन्‍वय के साथ पूरा कर सकते हैं। ऐसा करने से जो हमारी  प्रतिभाएं बाहर पलायन करती हैं वह समस्‍या भी खत्‍म होगी। उद्योग को जो नई ऊर्जा चाहिए, नई दिशा चाहिए,नया विजन चाहिए वोहमारे इन युवाओं में निश्चित रूप से मिलेगा। हमारे प्रधानमंत्री जी ने ऐसे नये और स्‍वर्णिम भारत के निर्माण का संकल्‍प लिया है जो स्वच्छ भारत हो,सशक्त भारत हो, समृद्ध भारत हो, आत्मनिर्भर हो और श्रेष्ठ हो। हमें ऐसे भारत के निर्माण की नींव बनकर आगे बढ़ना हैं हमजरूर आगेबढ़ेंगे और पूरे देश में और पूरी दुनिया में इस संस्थान का नाम बढ़ाएंगे। मैं एक बार पुन: जिन स्‍नातकों को गोल्ड मैडल मिले हैं उनको ढेर सारी बधाई देना चाहता हूं। जो आज डिग्री ले करके हमारे विद्यार्थी जा रहे हैं, उनको भीढेर सारी शुभकामनाएं एवं बधाई देना चाहता हूं। आप आज यहां से एक योद्धा के रूप में जायेंगे और आप यहसाबित करेंगे कि जोदीक्षा आपने ली है वो समाज के लिए काम आएगी तथापूरे राष्ट्र के लिए काम आएगी एवं पूरी दुनिया के लिए काम आएगी क्योंकि हम ‘वसुधैव कुटुम्‍बकम्’ की भावना वाले लोग हैं। हम पूरी दुनिया को ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया:’ के मार्ग पर ले जाना चाहते हैं। कोई व्यक्ति दुःखी न हो और यदि कोई दु:खी हो तो उसके दु:ख को दूर करने की ताकत हममें समाहित हो सकती है, हम उसको उबार सकते हैं तो एक बार पुन: आप सबको मेरी बधाई एवंशुभकामनाएं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. श्री संजय शामराव धोत्रे, माननीय माननीय शिक्षा राज्‍य मंत्री, भारत सरकार
  3. श्री जयंत डी. पाटिल, निदेशक एवं वरिष्‍ठ कार्यकारी उपाध्‍यक्ष, एलएंडटी, रक्षा व्‍यवसाय
  4. डॉ. प्रमोद एम. पडोले, निदेशक,विश्‍वैश्‍वरैया राष्‍ट्रीय तकनीकी संस्‍थान, नागपुर

एनआईटी गोवा का छठा दीक्षांत समारोह  

एनआईटी गोवा का छठा दीक्षांत समारोह

 

दिनांक: 28 दिसम्‍बर, 2020

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

एनआईटी गोवा के छठे दीक्षांत समारोह में उपस्‍थित आप सभी भाइयों और बहनों का मैं स्‍वागत करता हूं तथा आपको बधाई देने के लिए आपके बीच आया हूं। समारोह में उपस्‍थित एनआईटी गोवा के शासी मंडल के अध्‍यक्ष एवं निदेशक प्रो. गोपाल मुगेरिया जी,शासी मंडल के अन्‍य सभी सदस्‍यगण, संकाय सदस्‍य, सभी अतिथि, छात्र-छात्राओं, अभिभावकगण एवं विदेशों से मुझसे जुड़े मेरे भाइयो और बहनो! आज छठवे दीक्षांतसमारोह के अवसर पर मैं आपको बधाईदेने के लिए आया हूं और वैसे तो दीक्षा का कभी अंत नहीं होता है। आजीवन व्‍यक्‍ति कुछ न कुछ सीखता है लेकिन जब आप एनआईटी गोवा में आयें होंगे तो वे क्षण आपको याद आ रहे होंगे कि जब आपने प्रवेश किया था तो क्‍या उमंग थी कि मुझे एनआईटी गोवा में प्रवेश मिला है। आपके अभिभावक, नाते रिश्‍तेदार कितने खुश थे आज उस दिन को याद करिए और आज इतने वर्षों के बाद जब आप डिग्री को लेकर जा रहे हैं तो मैं समझता हूं कि यह अवसर आपके लिए कितना सुखद, हर्ष और उल्‍लास का यह अवसरहै और हमारे लिए भी खुशी का अवसर है। इसलिए हम सब मिलकर आपको शुभकामनाएंदेने के लिए आये हैं। मुझे भरोसा है कि आप एनआईटी गोवासे एक योद्धाकी तरह बाहरनिकलेंगे उसके लिए मैं आपको बधाई देना चाहता हूं। आपको मालूम है कि आपके घर में, आपके माता-पिता, दोस्‍त, नाते-रिश्‍तेदार भी खुश होंगे कि आप पढ़ाई करने के बाद मैदान में जा रहे हैं आपने जो ज्ञान अर्जन किया है अब उसको अपने जीवन में ढालकर के समाज के लिए,देश के लिए, दुनिया के लिए आप सब एक योद्धा की तरह निकलेंगे। हम सब आपको शुभकामनाएं देने के लिए आये हैं। स्‍वाभाविक ही है कि जो आपके आचार्यगण होंगे वे भी खुश होंगे, वहीं वे इस बात से दुखी भी होंगेकि आप इतने वर्षों के बाद उनका साथ छोड़ कर जा रहे हैं। लेकिन वे खुश इसलिए होंगे कि आप यहां से दीक्षाग्रहण करनेकेबाद जीवन के हर क्षेत्र में प्रगति के लिए बढ़ेंगे और आप केवल पैकेजकी हौड़ नहीं बल्‍कि पटेंट की दौड़ में बढ़ेंगे और आपका नाम नौकरी पाने वाले नहीं बल्‍कि देने वालों में होगा। मुझे भरोसा है कि जो एनआईटीगोवा है यह अपना परचमफहरायेगा। जब मैं पीछे के समय गोवा आया था तो निदेशकगोपालजी से मिला था और इस एनआईटी के लिए जमीन को लेकर हम मिलेथे। मुझेखुशी है कि एनआईटी गोवा एक नये स्‍थान पर एक भव्‍य भवन में भव्‍य इतिहास रचेगा। गोवापर्यटन का हब है और उच्‍च शिक्षाकेलिए इसकीअलग पहचानहै। मैं अभी देख रहा था कि जो एनआईटी गोवा की रैंकिंगहै वो रैकिंग भी लगातार बढ़ रही है और जो हमारे नए 18 एनआईटी हैं उनमें यह दूसरेनंबर पर आया है। यह दर्शाता है कि हमारा यह एनआईटी तेजी से आगे बढ़ रहा है मुझेइस बात की भी खुशीहै कि रिसर्च स्‍कालर प्रीति भी इस संस्‍था से जुड़ी हैं जिनको इंटरनेशनलसोसायटी फॉर आप्‍टिक्‍स,यूएसए  द्वारा 25 महिला वैज्ञानिकों में चिन्‍हि्त किया गया है जो एकमात्र भारतीय हैं इसके लिए मैं उनको बधाई देना चाहता हूं। हम जो नई शिक्षा नीति लायें हैं वो इंटरनेशनल स्‍तर की लायें हैं और वो भारत केन्‍द्रित भी होगी।नई शिक्षा नीति नेशनल भी है, इंटरनेशनल भी है, यह इंटरेक्‍टिव भी है, इम्पैक्टफुल भी है, इनोवेटिव भी है और यह इक्विटी, क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी  है। मुझे लगता है कि जो नई शिक्षा नीति है इसमें कंटेंट को आपकी प्रतिभाकेसाथ जोड़ेंगे और जब वो केंटेंट जुड़ेगा आपकी प्रतिभा के साथ तो वो पेटेंट को जन्‍म देगा। इस शिक्षानीति  के अंतर्गत हम छठवीं कक्षा से ही वोकेशनल स्‍ट्रीम लेकर आ रहे हैं, वो भी इंटर्नशिप के साथ लेकर आ रहे हैं। इस शिक्षा नीति में विषयों की भी कोई पाबन्‍दी नहीं है। आप कोई भी विषय ले सकते हैं। इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्‍थितिवश छोड़ के जा रहा है  तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष दोनों खराब हो जाते थे। लेकिन अब उसको निराश नहीं होना पड़ेगा। यदि अब वह परिस्‍थितिवश एक वर्ष में छोड़ कर जा रहा है तो उसको सर्टिफिकेट देंगे, दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़ कर जा रहा है तो उसको डिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगेइसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है। इसलिए मैं समझता हूं कि यह नई शिक्षा नीति बहुत सारे बदलावों के साथ आई है। शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में हम ‘स्‍पार्क’ के तहत दुनिया के शीर्ष 127 विश्‍वविद्यालयों के साथ शोध एवं अनुसंधान कर रहे हैं। हम ‘स्‍ट्राइड’ के तहत अंतर-विषयकशोध कर रहे हैं। इसके अलावा हम इम्‍प्रिंट एवं इम्‍प्रेंसके तहत शोध एवं अनुसंधान कर रहे हैं। आपको मालूम है कि एक समय तथा जब हमारा देश सीमाओं पर संकट से गुजर रहा था एवं देश के अन्‍दर खाद्यान्‍न का भी संकट था, ऐसे वक्‍त में हमारे देश के प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्‍त्री जी ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था और पूरा देश उनके साथ खड़ा हो गया था और हमने दोनों संकटों का सामना किया था। उसके बाद जब अटल बिहारी वाजपेयी जी आये और बाजपेयी जी को महसूस हुआ कि देश को विज्ञान की जरूरत है तो उन्‍होंने ‘जय विज्ञान’ का नारा दिया और आपको याद होगा कि भारत ने परमाणु परीक्षण  करके पूरी दुनिया में देश को महाशक्‍ति के रास्‍ते पर बहुत ताकत के साथ आगे बढ़ाया और अब जब हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी को लगा कि अब एक कदम और आगे जा करके देश को विश्‍व के शिखर पर पहुंचाने की जरूरत है तब उन्‍होंने ‘जय अनुसंधान’ का नारा दिया और निश्‍चित रूप में ‘जय अनुसंधान’ के साथ देश आगे बढ़ेगा। हमारे अतीत में बहुत कुछ है लेकिन गुलामी के थपेड़ों ने उन चीजों को हमसे दूर किया। हमारा ज्ञान-विज्ञान, नवाचार जो देश पूरे विश्‍व को लीडरशिप देता था ‘‘एतद् देश प्रसूतस्‍य शकासाद् अग्रजन्‍मन:,स्‍वं-स्‍वं चरित्रं शिक्षरेन् पृथ्‍वियां सर्व मानव:’’ तक्षशिला, नालन्‍दा और विक्रमशिला जैसे विश्‍वविद्यालय इस देश में थे जहां पूरी दुनिया के लोग ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, नवाचार सीख कर जाते थे। तब दुनिया में कौन-सा विश्‍वविद्यालय था? हां, यह अलग बात है कि गुलामी के थपेड़ों ने उसको हमसे दूर किया, हमको हमारी जड़ों से अलग कर दिया गया। लेकिन अब हम स्‍वाधीन हैं और आज हम आजादी के 70 वर्षों के बाद खड़े हैं। हमको ताकतवर नेतृत्‍व मिला है। हमको विजनरी नेतृत्‍व मिला है और उस विजन को मिशन में तब्‍दील करने की सामर्थ्‍य हम सब में है। हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि आत्‍मनिर्भर भारत की जरूरत है। ऐसा भारत जो स्‍वच्‍छ हो, स्‍वस्‍थ हो, सशक्‍त हो, आत्‍मनिर्भर हो, श्रेष्‍ठ हो और एक भारत हो और इसका रास्‍ता मेक इन इंडिया, स्‍किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्‍टार्ट अप इंडिया और स्‍टैंड अप इंडिया से होकर गुजरता है। क्‍या नहीं कर सकते हम, भारत पूरे विश्‍व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और आने वाले 25 वर्षों तक यह देश यंग इंडिया रहने वाला है। हम अपने विजन को धरती पर क्रियान्‍वित करेंगे। हम केवल पैकेज की होड़ में नहीं जाएंगे बल्‍कि हम पेटेंट की होड़ में जाएंगे। हम टेलेंट और केंटेंट दोनों को मिलाकर पेटेंट की और बढ़ेंगे। इसके लिए ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ की स्‍थापना की जा रही है। तकनीकी के क्षेत्र में हम ‘नेशनल एजुकेशन टैक्‍नोलॉजी फोरम’ का गठन कर रहे हैं ताकि अंतिम छोर के व्‍यक्‍ति तक तकनीकी को ले जाया सके। हमारी नई शिक्षा नीति दुनिया के सबसे बड़े रिफॉर्म के साथ आ रही है और इसी का परिणाम है कि आज पूरे देश में उत्‍सव का माहौल है। छात्र भी खुश है, अभिभावक भी खुश है और अध्‍यापक भी खुश है कुछ लोग तो ईर्ष्‍या करते हैं कि यदि यह शिक्षा नीति 10, 20 या 50 वर्ष पहले आतीतो देश का नक्‍शा बदल जाता लेकिन कोई बात नहीं देर से सही लेकिन हमारी शुरूआत हुई है। मोदी जी के नेतृत्‍व में, उनके मार्गदर्शन में उनकी इच्‍छाशक्‍ति से यह विश्‍वपटल पर अपने को बहुत मजबूती के साथ नए सुधार और नये आयाम के साथ यह नीति स्‍थापित करेगी। इसलिए जो हमारा शोध एवं अनुसंधान का क्षेत्र है इसको हम बहुत तेजी से आगे बढ़ाएंगे। एनआईटी गोवा का जो रोबोटिक्‍स क्‍लब है इसके माध्‍यम से रचनात्‍मक कौशल को निश्‍चित रूप से प्रोत्‍साहन भी मिलेगा और जो हम आत्‍मनिर्भर भारत की बात करते हें उसमें भी हम आगे बढ़ सकेंगे। यदि हमको भारत को ज्ञान की महाशक्‍ति के रूप में स्‍थापित करना है तो हममें से प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति को अपना योगदान देना पड़ेगा। मुझे भरोसा है कि हममें क्षमता की कमी नहीं हैं। जब पूरी दुनिया कोविड के संकट से गुजर रही थी और हमारा देश भी उससे अछूता नहीं था ऐसे वक्‍त में जब लोग घरों में कैद हो गए थे तब मेरे एनआईटी, आईआईआईटी, आईआईटी, आईसर, केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालयों के छात्रों एवं अध्‍यापकों ने प्रयोगशालाओं में जाकर एक से एक नये प्रयोग किये। उन्‍होंने मास्‍क बनायें, वेंटीलेटर बनाये, टेस्‍टिंग किट का निर्माण किया, ड्रोन बनायें। ऐसे-ऐसे प्रयोग किये जो देश में पहले होता ही नहीं था इन सभी अनुसंधानों एवं प्रयोगों को हम ‘युक्‍ति’ पोर्टल पर एकत्रित किया है। एक बार आप युक्‍ति पोर्टल का विजिट किजिए आपको बहुत खुशी होगा। हमारे देश के प्रधानमंत्री जी बार-बार कहते हैं कि जब बड़ी चुनौती होती है और उसका मजबूती के साथ मुकाबला किया जाता है तो वही चुनौती अवसरों में तब्‍दील होती है, जो आपने करके दिखाया है। मुझे गौरव होता है कि शिक्षा मंत्रालय ने इन विषम परिस्‍थितियों में रात-दिन काम करके छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा पर लेकर आये और ‘मनोदर्पण’ जैसे अभियान को आरम्‍भ करके छात्रों को अवसाद में नहीं जाने दिया, लगातार हम छात्रों से जुड़े रहे। मुझे लगता है कि हमारी जो शिक्षा है वो आज भी समर्थवान है। अब तो हम अन्‍तर्राष्‍ट्रीय फलक की शिक्षा ला रहे हैं जिसके माध्‍यम से हम दुनिया के शीर्ष 100 विश्‍वविद्यालयों को अपनी धरती पर आमंत्रित कर रहे हें और जो हमारे भी शीर्ष विश्‍वविद्यालय हैं वह भी दुनिया में पढ़ाने के लिए जाएंगे। इसके अलावा हम नई शिक्षा नीति में जहां ‘ज्ञान’ के तहत हम बाहर की फैकल्‍टी को अपनी धरती पर आमंत्रित कर रहे हैं वहीं अब ‘ज्ञान प्‍लस’ में हमारी भी फैकल्‍टी दुनिया में पढ़ाने के लिए जाएगी। अभी हमने ‘स्‍टडी इन इंडिया’ अभियान लिया कि दुनिया के लोगों भारत में आओ, पढ़ों तथा भारत को जानों। इसी का परिणाम था कि अभी आसियान देशों के 1000 से भी अधिक छात्र हमारे यहां शोध एवं अनुसंधान के लिए आ रहे हैं एवं ‘स्‍टडी इन इंडिया’ के तहत लगभग 50000 रजिस्‍ट्रेशन हो गए हैं। ‘स्‍टडी इन इंडिया’ की तरह ही हमने ‘स्‍टे इन इंडिया’ कार्यक्रम किया है क्‍योंकि हमारे 7-8 लाख छात्र प्रतिवर्ष विदेशों में जाते हैं और हमारा लगभग 1.5 लाख करोड़ रूपया प्रतिवर्ष विदेशों में चला जाता है। हमारे देश की प्रतिभा और पैसा दोनों ही बाहर चले जाते हैं जो कभी वापस नहीं आते हैं। अब हमने छात्रों को भरोसा दिलाया है कि आपको बाहर जाने की जरूरत नहीं हैं। हमारी संस्‍थाओं में क्षमता है। अगर हमारी संस्‍थाओं में क्षमता नहीं होती तो जो दुनिया की तमाम शीर्ष कंपनियां हैं चाहे गूगल हो, चाहे माइक्रोसॉफ्ट हो जो उनके सीईओ हैं वह हमारी ही धरती से तो पढ़कर गए हैं। हमारे छात्र पूरी दुनिया में लीडरशिप ले रहे हैं क्‍योंकि हमारे पास विजन है, मिशन है। विजन को मिशन में तब्‍दील करने का माद्दा है तो निश्‍चित ही हम कुछ भी कर सकते हैं और जैसा कि मैंने अभी कहा कि हम भारत को ज्ञान की महाशक्‍ति बनाना चाहते हैं तो उसमें आने वाली कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती क्‍योंकि हम इच्‍छाशक्‍ति के धनी हैं। मैं गोपाल जी एवं उनकी टीम को बधाई देना चाहता हूं कि आपने उन्‍नत भारत अभियान के तहत भी बहुत अच्‍छा काम किया है। अभी आपने तीन गांवों को गोद लिया है और मैं यह कहना चाहता हूं कि स्‍वामी विवेकानन्‍द जी ने कहा था कि उठो, जागो और तब तक मत रूको जब तक आपको लक्ष्‍य की प्राप्‍ति नहीं हो जाती तो विवेकानन्‍द जी का जो दर्शन है उसको आप अपने जीवन में धारण करें। आपको तो मालूम हैं कि भारत रत्‍न डॉ. कलाम जी ने भी कहा था कि सपने जो सोने न दे अर्थात् ऐसे सपने जिनके क्रियान्‍वित होने तक आपके अन्‍दर छटपटाहट हो। आपको मालूम होगा कि दुनिया के तमाम देश हमारी एनईपी को अपने देश में लागू करना चाहते हैं। अभी कैम्‍ब्रिज  विश्‍वविद्यालय ने कहा कि हम इस शिक्षा नीति को पूरी दुनिया में लेकर के जाना चाहते हैं। अभी संयुक्‍त अरब अमीरात के शिक्षा मंत्री ने भी कहा कि हम इस नई शिक्षा नीति को अपने यहां लागू करना चाहते हैं तो मेरे छात्र-छात्राओं मैं आपसे कहना चाहता हूं कि जब आप आज यहां से डिग्री लेकर एक योद्धा की तरह बाहर निकल रहे हैं तो मैं आपसे कहना चाहता हूं कि:-

 

‘‘लहरों से घबराकर नौका पार नहीं होती और

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।।’’

 

आप मेहनती हैं, कभी आपको जिन्‍दगी में हार का सामना नहीं करना पड़ेगा। आप एक योद्धा की तरह आगे बढ़ेंगे तो मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. प्रो. गोपाल मुगेरिया, अध्‍यक्ष, बीओजी एवं निदेशक, एनआईटी गोवा
  3. डॉ. वसंथा एम.एच, कुलसचिव, एनआईटी गोवा
  4. शासी मंडल के अन्‍य सदस्‍यगण, संकाय सदस्‍य, अभिभावकगण एवं छात्र-छात्राएं।

 

विश्वै्श्व रैया राष्ट्रीतय तकनीकी संस्थाेन, नागपुर का 18वां दीक्षांत समारोह

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

          विश्‍वैश्‍वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान नागपुर के दीक्षांत समारोहमेंमैंआप सबका स्वागत कर रहा हूं। इस दीक्षांत समारोह से जुड़े मेरे सहयोगी और भारत सरकार में शिक्षा राज्यमंत्री श्री संजय धोत्रेजी,हमारे विशेष अतिथि श्री जयंत डी.पाटिल निदेशक एवं वरिष्ठकार्याकारीउपाध्यक्ष, एलएंडटी, रक्षा व्यवसायी, निदेशक वीएनआईटी, सभी उपस्थित विभागाध्यक्ष और डीन,सभी प्राध्यापगण, सभी शासीनिकाय के सदस्यगण एवं सभी संकाय छात्र-छात्राओं, अभिभावकगण और सम्पूर्ण एनआईअीपरिवार के सदस्यगण! मुझे खुशी है कि आज एनआईटी नागपुर अपना दीक्षांत समारोह मना रहाहैऔर मैंसभी छात्र छात्राओं को जो आज उपाधि प्राप्त कर रहे हैं, इन सभी लोगों को मैं बधाई देना चाहता हूं।यहदीक्षांत समारोह का अवसर है इसलिए निश्‍चित रूप से बहुत सारी चीजें आपके मन में उभर रही होंगी क्योंकि जब आप इस संस्थान में प्रवेश लेकर आयें होंगे तब आपके लिए वो खुशी के क्षण थे गर्व के क्षण थे,और उसके बाद लगातार आपने शिक्षा ग्रहण की और अब आपआज दीक्षांत के बाद अपनीउपाधियोंको लेकर मैदान में जा रहे हैं। आज तक आपने अपने आचार्यगण से बहुत सारे प्रश्नों पर परामर्श एवं चर्चा की होगी और आपके बहुत सारे सवाल रहे होंगे जिसके समाधान की दिशा में आपनेउनका मार्गदर्शन लिया होगा। लेकिन आजऐसाक्षण हैं जब हम ज्ञान अर्जन करने के बाद मैदान में जा रहे हैं। अबसारे सवालों के हमको स्‍वयंजवाब देने होंगे। बहुत सारे सवाल खड़े होंगे हमारी जिन्दगी के आगे बढने के, जो हमनेज्ञान प्राप्त किया है उसको सरसानेके, उसको पल्लवित और पुष्पित करने के सवाल हमारे सामने होंगे। आज समाज के लिए, राष्ट्र के लिए, अपने परिवार के लिए, स्वयं अपनेलिए उन्‍नति के अवसर तलाशने हैं। आपके पास पूरा मैदान खाली है और आपयोद्धा के रूप में जा रहे हैं।इसलिए यह अवसर आपके लिए बहुत ही अविस्मरणीय है।आपइस संस्थान सेएक लंबे समय की तमाम यादों के साथ जा रहे हैं और उस प्राप्त किए हुए ज्ञान के भंडार को लेकर के आप मैदान में जा रहे हैं, अपने जीवन के गंतव्य मेंजा रहे हैं इसलिए आज आपकोअर्जित ज्ञान का अपने जीवन के लिए पूरा उपयोग करना है।बहुतसारे सवाल भी आपके हैं और इनसब सवालों के जबाब भीस्वयं ही देने होंगे। इसलिए आज का क्षण आपके लिए बेहद खुशी का क्षण है और आपके अभिभावकों में से भी जितने लोगसुन रहे हैं उनसे भी मैं कहना चाहता हूं कि आपकेलिए भी यह गर्व का विषय है, गर्व का दिन है किआपके बेटा-बेटी आज डिग्री प्राप्त करने के बाद और गोल्ड मैडल प्राप्त करने के बाद जीवन की ऊँचाइयों को गौरवपूर्णरास्ते पर आगे बढ़ाएंगे तो मैं आपको भी बहुत बधाई देना चाहता हूं और अध्यापकगण को भी बहुत बधाई देना चाहता हूं। एक अध्यापक के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है जब आपकाछात्र प्रगति करता है तो उसकी खुशी का कोईठिकाना नहीं रहता हैं, इसलिए उनको भी मैं बहुत बधाई देना चाहता हूँ। आज इस एनआईटी ने बहुत तेजी से काम किया है और यह देश के प्रमुख प्रौद्योगिकी संस्थानों में से एक है,जिसको विश्वविद्यालय के दर्जे से सम्मानित किया गया है और मैं समझता हूं कि यह राष्ट्रीय महत्व का हमारा वो संस्थान है जिसे देश की बहुत सारी अपेक्षाओं को पूरा करना है।पहले यह संस्‍थानरिजनल कॉलेज के रूप में था और अब यह एक राष्ट्रीय महत्व के महत्वपूर्ण संस्थान के रूप में विकसित हो रहा है। विश्‍वैश्‍वरैया एक साधारण इंजीनियर नहीं थे जिनके नाम पर यह संस्‍थान है बल्कि वे ऐसे विख्यात विद्वान थे जिन्होंने पूरी दुनिया में नाम कमाया और उन्‍हेंसर्वोच्च नागरिक सम्‍मान भारत रत्न से सम्मानित उनको किया गया। विभिन्न क्षेत्रों में उन्होंने काम किया और उसके शिखर को चूमा है। इंजीनियरिंगभारत के आर्थिक विकास में बहुत महत्वपूर्ण स्‍थान रखतीहै और हमारीसरकार ने अपने विभिन्न माध्यमों से इंजीनियरिंग के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया,स्‍किल इंडिया, स्‍टार्टअप इंडिया और स्‍टैंडअप इंडियाजैसी बहुत सारी योजनाएं हमने बनाई हैं वे बेहद महत्वपूर्ण हैं। बहुत से कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से सृजन और उद्यमिता के क्षेत्र में आपके संस्थान ने बहुत दूरगामी कदम बढ़ाए हैं, इसकी भी मैं आपको बधाई देना चाहता हूं।यदिमैं प्रधानमंत्री जी के शब्दों में कहूं तो भारत के पास थ्री ‘डी’ है। एक तो डेमोग्राफिक है, डेमोक्रेसी हैऔर डिमांड है। हमारा देश पूरी दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देशहैजिसकी130 करोड़ से भी अधिक जनसंख्या है तो स्‍वाभाविकहै कि डिमांड भी बढ़ेगी। इंजीनियरिंग राष्ट्र के निर्माण में बहुतमदद करती है, यहां तक कि इंजीनियर तो टूटे हुए को भी जोड़ता है। इसलिए मैं समझता हूं कि इंजीनियरिंग बहुत बड़ा क्षेत्र है और आप सबने आज यहां पर जिस तरीके से काम किया है, आपने विभिन्न विषयों को लेकर काफी प्रगति की है। कोरोना काल में भी मैंने देखा कि आपने ऐसे विकट संकट में जब पूरी दुनियां संकट सेहोकर गुजर रहीथी तब भी आपने काम किया है और मुझे मालूम है कि आपने मास्‍क से लेकर,टेस्टिंग किट और वेंटीलेटर तक का निर्माण किया हैऔरनिश्‍चितही आपके हाथ में कौशल है और  जब कौशल हाथ में होगा तो आपको कहीं ठहराव नहीं मिलेगा,आपतेजी से दौड़ेंगे और प्रगति के शिखर तक आपका मार्ग रोकने वाला कोई नही होगा। हमारी ऐसी शुभकामनाएं आपके साथ हैं और आज हम सभी आपको शुभकामना देने के लिए आपकीखुशी में सम्मलित होने के लिए ही यहां उपस्‍थित हुए हैं। हमारे देश की परंपरा रही है कि जब भी कोई अच्छा काम होता है और जब भीखुशी के क्षण होते हैं तो उसको भी हम मिलकर के बांटते हैं और जब किसी के जीवन में दु:ख का भी क्षणआता है तो भी हम मिलकर के बांटते है क्‍योंकि हमारी प्रबल धारणा रही है जो सुख है या खुशी है, वह बांटने से बढ़ती है और जो दु:ख है या संकट है, वह बाँटनेसेकम होता है।जबइसलिए पूरा समाज एकजुट हो करके आगे बढता है तो निश्‍चित ही राष्‍ट्र प्रगति के शिखर तक पहुंचता है। आपको तो मालूम है कि हमने हमेशा कहा है किहम साथ-साथ पुरूषार्थ करेंगे, साथ चलेंगे सब साथ-साथ आगे बढ़ेंगे और यही एकत्व का भाव हमकोनिश्चित रूप से बहुत तेजी से आगे बढाता है।हमारे देश के प्रधानमंत्रीजी ने आत्म निर्भर भारत की बात की है एक ऐसे भारत के निर्माण की बात की है जो स्वच्छ भारत हो, जो स्वस्थ भारतहो,जो सुंदर भारत हो, जो सशक्त भारत हो, जो आत्मनिर्भर भारतहो, जो श्रेष्ठ भारत हो और उसश्रेष्ठ भारत के लिए मेक इन इण्डिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और स्‍टैंड अप इंडिया जैसे रास्तों को बनाया है। मुझे भरोसा है कि आप इस अभियान को ओर आगे बढ़ायेंगे। आप किसी की नौकरी पाने के लिए नहीं बल्कि नौकरी देने के लिए इस अभियान को आगे बढ़ाएंगे। हममें सामर्थ्‍य है, आप यहां से शिक्षा ग्रहण करके जा रहे हैं,आपएक योद्धा की तरह बाहर निकलेंगे और हर क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे ऐसा मेरा विश्वास है और इसलिए मैं ऐसे वक्त पर आपको शुभकामना देना चाहता हूं। पीछे के समयमें हमने युक्ति पोर्टल बनाया जिसमें बहुत सारे मेरे इंजीनियर्स औरमैकेनिकों के आइडियाज आ रहे हैं ताकि उनका गांव एवं शहर के सभी क्षेत्रों में उपयोग करके देश की आर्थिकी को बढ़ाया जाए क्योंकि देश के प्रधानमंत्री ने कहा है कि हमकों फाइव ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनानी है तो इसका रास्‍ताआत्‍मनिर्भरभारत से होकर गुजरेगा और निश्चित रूप से आपके हाथों में सामर्थ्य है और आपके हाथों में स्किल है। वर्तमान में जो नई शिक्षा नीति आई है,वहबहुत व्यापक परिवर्तनों एवं सुधारों के साथ आई हैयहनई शिक्षा नीति शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में भी आपको आगेबढ़ाएगी। तकनीकी केक्षेत्र में हमने जो ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ बनाया है, उसके माध्यम से आप बहुत आगे बढ सकते हैं।शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए ‘नेशनल रिासर्चफाउंडेशन’ अलग से गठित हो रहा है। यही नई शिक्षा नीति की खूबसूरती है जिसका सभी लाभ उठा सकते हैं। आप पेटेंट की ओर दौड़े आपने डिग्री ले ली है।आगे बढने के लिए हमेंशोध एवं अनुसंधानसे होकर गुजरना ही होगा। इसीलिए टैलेंट तो होता है लेकिन टैलेंट का यदि विकास नहीं होगा तो बात नहीं बनेगी। टैलेंट पेटेन्ट के साथजुड़ेगा तो हम और आगे बढ़ेंगे, टैलेंट और पेटेंट इन दोनों का जुड़ाव एक नयी चीज को पैदा करेगा और जो नई शिक्षा नीति आई है, वह यही कहती हैं कि हम टैलेंट का विकास भी करेंगे विस्तार भी करेंगे, और उसको पेटेंट तक भी लेकर केजाएंगे।यह शिक्षा नीति सामान्य नहीं है। यह नेशनल भी है, इंटरनेशनल भी है, यह इंटरेक्‍टिवभी है, इम्पैक्टफुल भी है,इनोवेटिवभी है और यहइक्विटी, क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी होती है।हम इसमें कंटेंट भी पैदा करेंगें और उसको टैलेंट केसाथ भीजोड़ेगें और उसका पेटेंट भी करायेंगे। आज भी देश के अन्‍दर छात्रों में केवल पैकेज की होड़लगीहै।इस पैकेज की होड़ को खत्म करके पेटेंट के होड़को तैयार करना होगा तभी देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकता है।दुनिया में भारत तीसरी महाशक्ति के रूप में तो स्‍थापित हो ही रहा है लेकिन मेरा विश्‍वास है कि देश ज्ञान की महाशक्ति के रूप में भीउभर कर आएगा।हमज्ञान की महाशक्ति की जो 5 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिकीहोगी उसकी आधारशिला आप  बनेंगेऔर पूरी दुनिया में यह लगेगा कि भारत के पास इस समय अपनी सोच है। मुझे भरोसा है कि आप अपने कठिन परिश्रम और प्रतिभा से आगे बढ़ेंगे और भारत की इन अपेक्षाओं को भीपूरा करेंगे। हम लोगों प्रिन्ट  के साथ ही डिजिटल लाइब्रेरी और विशिष्ट समस्या केन्द्र तथा औद्योगिक अनुसंधान एवं नवाचार कार्यक्रमों को हम लगातार बढ़ावादेरहे हैं, यहआपके भविष्‍य केलिएअच्छा होगा।नई शिक्षा नीति के अंतर्गत जहां ‘ज्ञान’ में हम बाहर की फैकल्‍टी को अपनी धरती पर आमंत्रित कर रहे हैं वहींअब‘ज्ञान प्लस’ में हमारी भी फैकल्टी बाहर पढ़ाने के लिए जाएगी।वे बाहर जाकर नये आइडियाज को लेकर आएंगेऔर अब तो हमने उसका अंतरराष्ट्रीयकरण भी कर दिया है। विश्व के टॉप सौ विश्वविद्यालयों को हम यहां आमंत्रित कर रहे हैं। हमारे विश्वविद्यालय भी पूरी दुनिया में जाना चाहते हैं। अभी बाहर जाने की होड़ खत्म हो जाएगी क्योंकि उनको दुनिया की सबसे बेहतरीनशिक्षा यहां उपलब्‍ध होगी। हमारीनई शिक्षा नीति तमामबदलाव के साथ पूरी दुनिया की सबसे बड़े रिफॉर्म वालीनीति है।संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ  द्वारा वर्ष 2030 तक के लिए जो सतत विकास लक्ष्‍य निर्धारित किये गय हैं, उन सबको पाने की सामर्थ्‍य  नई शिक्षा नीति में है। शिक्षक और शिक्षार्थी का समग्र रूप से किसतरीके से विकास हो सकता है वो भी इस नई शिक्षा नीति में है,वैज्ञानिक चेतना भी इसमें है तो मातृभाषा पर भी इसमें जोर है क्योंकि जो अभिव्यक्ति हम अपनी मातृभाषा में दे सकते हैं, वह दूसरी सीखी हुई एवं थोपी हुईभाषामें नहीं कर सकते हैं। वैसे तो हम पूरी दुनिया की सभी भाषाओं को सीखना चाहते हैं लेकिन हमारे देश की जो 22 भारतीयभाषाएँ संविधान में वर्णित हैं हम उनका जरूर संरक्षण एवं संवर्धन करना चाहिए। संविधान कीअनुसूची 8 में हमको जिन22 भारतीय भाषाओं को दिया गया है, वे वाकई खूबसूरत हैं और निश्चित ही नई शिक्षा नीति के माध्यम से उनका भी विकास होगा। नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम के माध्‍यम से अंतिम छोर केव्यक्ति को भी तकनीकी लाभों से सम्‍पन्‍न बनाया जाएगा। हम तकनीकी काविस्तार भी करेंगे और विकास भी करेंगे। हमारी प्रतिभा से हम नई चीजों को उभार कर पूरी दुनिया के स्तर पर उसका विस्तार कर सकते हैं।इस शिक्षा नीति के अंतर्गत हमने व्‍यवस्‍था की है कियदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्‍थितिवशछोड़के जा रहा है  तो पहले उसका पैसा एवं समय दोनों खराब हो जाते थे। लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा।यदिकोई छात्र परिस्‍थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहा है तो हम उसको सर्टिफिकेटदेंगे; यदि वहदो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़कर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे। लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा रहेंगे।इसलिए हमारे विद्यार्थियों के लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।वह कहां जाना चाहता है, शोध और अनुसंधान के क्षेत्र भी हमने  बहुत से सकारात्‍मक परिवर्तन किये हैं। मुझे प्रसन्‍नता है कि एनआईआरएफ में भी आपकासंस्थान रैंकिंग को लगातार बढ़ाता जा रहा है।जहां यह पहले 31वें स्थान पर था अब यह 27वें स्थान पर आगया है और  मैं आगे भी आपसे ऐसी ही प्रगति की अच्छी अपेक्षा कर रहा हूं।वर्ष 2020 को यह संस्‍थान  अपनी हीरक जयंती के रूप में मना रहा है। संस्‍थान से जितने भी पूर्व छात्र निकले हैंयदि उनके नाम कीसूची देखें तो विजय भट्टकरजी जिनसे मेरा लगातार संवाद भी होता है, जोपद्म विभूषण पद्म श्री और परम सुपर कंप्यूटर के आर्किटेक्ट हैं। एशियापैसिफिक के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट  दिनेश जी हैं,यदिसभीनामों को लूं तो एक बड़ी लंबी सूची है जिन्होंने इस संस्थान का गौरव पूरी दुनिया में बढ़ाया है। मुझे खुशी है कि अनुसंधान और शोध की दिशा में लगभग 56 करोड़  की आपकी विभिन्न परियोजनाएं चल रही है। आपअनुसंधान भी कर रहे हैं और पेटेंट की दिशा में भीकाफी तेजी से आगे बढ़रहेहैं।मैं देख रहा था कि चाहे उन्‍नत अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल हो या जलवायु परिवर्तन परक्षमता निर्माण के लिए नवाचार केन्द्र कीस्थापना हो, विभिन्न क्षेत्रों में आप लगातार काम कर रहे हैं तो इसकी भी मुझे बहुत खुशी है। यह भी प्रसन्‍नता का विषय है किआपने दस गांवों को गोद लिया है, इस तरीके से आप उनकी समस्याओं के समाधान करने की दिशा में आगे आ रहे हैं।मुझे भरोसा है कि उद्योग और हमारे इन संस्थानों के बीच अच्छा समन्‍वय होगा ताकि जो उद्योगों को जरूरत है उसे हमारे संस्‍थान उद्योगों  के समन्‍वय के साथ पूरा कर सकते हैं। ऐसा करने से जो हमारी  प्रतिभाएं बाहर पलायन करती हैं वह समस्‍या भी खत्‍म होगी। उद्योग को जो नई ऊर्जा चाहिए, नई दिशा चाहिए,नया विजन चाहिए वोहमारे इन युवाओं में निश्चित रूप से मिलेगा। हमारे प्रधानमंत्री जी ने ऐसे नये और स्‍वर्णिम भारत के निर्माण का संकल्‍प लिया है जो स्वच्छ भारत हो,सशक्त भारत हो, समृद्ध भारत हो, आत्मनिर्भर हो और श्रेष्ठ हो। हमें ऐसे भारत के निर्माण की नींव बनकर आगे बढ़ना हैं हमजरूर आगेबढ़ेंगे और पूरे देश में और पूरी दुनिया में इस संस्थान का नाम बढ़ाएंगे। मैं एक बार पुन: जिन स्‍नातकों को गोल्ड मैडल मिले हैं उनको ढेर सारी बधाई देना चाहता हूं। जो आज डिग्री ले करके हमारे विद्यार्थी जा रहे हैं, उनको भीढेर सारी शुभकामनाएं एवं बधाई देना चाहता हूं। आप आज यहां से एक योद्धा के रूप में जायेंगे और आप यहसाबित करेंगे कि जोदीक्षा आपने ली है वो समाज के लिए काम आएगी तथापूरे राष्ट्र के लिए काम आएगी एवं पूरी दुनिया के लिए काम आएगी क्योंकि हम ‘वसुधैव कुटुम्‍बकम्’ की भावना वाले लोग हैं। हम पूरी दुनिया को ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया:’ के मार्ग पर ले जाना चाहते हैं। कोई व्यक्ति दुःखी न हो और यदि कोई दु:खी हो तो उसके दु:ख को दूर करने की ताकत हममें समाहित हो सकती है, हम उसको उबार सकते हैं तो एक बार पुन: आप सबको मेरी बधाई एवंशुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. श्री संजय शामराव धोत्रे, माननीय माननीय शिक्षा राज्‍य मंत्री, भारत सरकार
  3. श्री जयंत डी. पाटिल, निदेशक एवं वरिष्‍ठ कार्यकारी उपाध्‍यक्ष, एलएंडटी, रक्षा व्‍यवसाय
  4. डॉ. प्रमोद एम. पडोले, निदेशक,विश्‍वैश्‍वरैया राष्‍ट्रीय तकनीकी संस्‍थान, नागपुर

भारतीय अनुवाद संघ

भारतीय अनुवाद संघ

 

दिनांक: 22दिसम्बर, 2020

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

भारतीय अनुवाद संघ के इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का मैंअभिनंदन कर रहा हूं। मुझे खुशी है कि देश की आजादी के बाद पहली बार इस तरीके का चिंतन प्रत्यक्षीकरण के रूप में प्रकट हो रहा है। इसमेंकेवल चिंता एवंचर्चा नहीं है बल्कि क्रियान्वयन की दिशा में साकार रूप से आज इसका शुभारंभ हो रहा है। मैं इसके लिए विशेष करके महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के यशस्वी कुलपति आचार्य रजनीश कुमार शुक्ल जी को मैं विशेष बधाई देना चाहता हूं, धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने यह पहल की है और उस पहल के निश्चित रूप से सकारात्मक परिणाम आएंगे। केंद्रीय विश्वविद्यालयों के बहुत सारे कुलपतिगण यहां परइस महत्वपूर्ण कार्यक्रम से जुड़ रहे हैं और मुझे बताया गया है कि इसके साथ ही महात्‍मा गांधी अन्‍तर्राष्‍ट्रीय हिन्‍दी विश्‍वविद्यालय के प्रति-कुलपति हनुमान प्रसाद शुक्‍ल, विविध विद्यापीठों के अधिष्‍ठाता एवं प्रोफेसरगण तथा भारतीय अनुवाद संघ के विविध सदस्‍यों सहित तमाम वे लोग जुटे हैं जो मानते हैं तथा जिनका विचार है कि  भारतीय भाषाओं का विस्तार होना चाहिए औरउनका अनुवाद होनाचाहिए और वे भाषाएं लोगों तक जानी चाहिए। उसके अंदर का ज्ञान, विज्ञान और उसका जो दर्शन है उसको दुनिया में बांटना चाहिए और दुनिया में बांटने से पहले अपने देश के लोगों को उसके दर्शन होने चाहिए।इस चिंतन-मंथन में ऐसे लोगजुड़े हैं जिनमें बहुत लंबे समय से इस बात की छटपटाहट थी कि हां, यह देश इतना बड़ा देश है, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और उस सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में जिसे विश्व गुरु कहा गया तो ऐसे ही उसको विश्वगुरु नहीं कहा गया होगा। वो भारत जो गुलामी से पहले का भारत था उसका जब हम दर्शन करते हैं तो स्वाभाविक है कि उस बात को महसूस करते हैं और समझ सकते हैं कि कितने दर्दों से होकर भारत गुजरा है और विश्व गुरु कहलाने वाला भारत को किस तरीके से ध्वस्त करने की कोशिश हुई है। तो एक विषय तो यह है कि हम क्‍या केवल विगत समय के दुखों को याद करके रोते हैं?क्या करें कि ऐसा हुआ, यह हुआ, हमारी भाषा खत्म हो गई, हमारी संस्कृति को यह करने की कोशिश हुई, हमारे ज्ञान विज्ञान सब ग्रंथों को खत्म कर दिया, जला दिया, शिक्षा के केन्द्रों को ध्वस्त कर दिया? इस विषय पर बात तो बहुत पुरानी बात हो गई अब उसकी जरूरत नहीं है। अब जरूरत इस बात की हैकि जो लोग इस बात को समझते हैं, महसूस करते हैं, जानते हैं और जिनके मन में इस बात की पीड़ा है, छटपटाहट है, कि नहीं यदि देश आजादहुए 70 वर्ष हो गए तो कौन सा कारण है कि जहां हम अपने को पुन: खड़ा नहीं कर पा रहे हैं? कौन सा कारण है कि जोहम अपने को और उस भारत की जो असली आत्मा है उस आत्मा को अपने अंदर समाहित नहीं कर पाये तथा देश को भी उस आत्मा का परिचय नहीं दे पा रहे है। मैं समझता हूं कि यह सारे वो तथ्य हैं, वो बिन्दू है जो हमको अंदर तक हिलातेहैं और जब अंदर तक वो हमको झंकृत करते हैं, हिलाते है तो फिर वो चीज प्रकट होकर बाहर आती है तो बाहरआई हुई चीज इकट्टा होकर के एक ताकत के रूप में आगे बढ़नी चाहिए। आज वो जो अलग अलग छटपटाहट थी उन सबको एक संयुक्त रूप में करके जो आज काम हो, मैं इसके लिए आपको बधाई देना चाहता हूं। इसविश्‍वविद्यालय परिवार को और डॉ.रजनीश जी को, कि उन्होंने यह शुरुआत की है और शुरुआत भी की हैतो फिर संकल्प के साथ की है। बहुत सारे लोग होते हैं, अच्छे विचारों की कमी थोड़ी होती है आचार्य रजनीश जी, आपको याद होगा कि एक बार मैंने भारती ज्ञान प्रकोष्ठ की एक बैठक की थी और जब मेरे से कहा गया कि जो इसमें रुचि रखते हैं उनसे मीटिंग की जाए लेकिन बड़ी लम्बी सूची आईतो मेरे से पूछा गया कि फिर किनकी मीटिंग करनी है। क्‍या जो भारती ज्ञान प्रबोध के बारे में जानते हैं, जो अच्छे सुझाव दे सकते हैं फिर किनकी मीटिंग करनी है? तो मैंने कहा कि मुझे केवल उनकी मीटिंग करनी है जो काम कर रहे हैं, जो उसको आगे बढ़ा रहे हैंऔरजिनके मन में छटपटाहट है तथा जिनमें दम है करने का, वो लोग चाहिए मुझे, सुझाव देने वाले लोगों की तो दुनिया में कभी कमी नहीं रही है। बड़ी-बड़ी बातों को करने की तो दुनिया में कभी कमी नहीं रही है लेकिन हां, उस सुझाव को क्रियान्वित करके स्वयं खड़े होकर के और अपने जीवन का तिल-तिल खपा करके रिजल्ट देने वाले लोगों की कुछ कमी रही है और वो भी कमी मुझे लगता है शायद बहुत बड़ी कभी नहीं है। हमारा विजनरी देश रहा है, कमी कभी नहीं रही है। जब-जब भीपरिस्थितियां आई और आह्वान हुआ तो लोग खड़े हो गए। क्या लीडरशिप की थोड़ा कमी रही है क्या? तो यदि लीडरशिप की कमी रही है तो उस कमी को भी दूर करना चाहिए और मैं इसलिए कह रहा हूं कि ऐसा नहीं कि लोग सोए रहते हैं। ऐसा भी नहीं कि लोग कुछ करना नहीं चाहते हैं। एक समय था जब हमारे देश में ऐसी परिस्थिति थी,जब लालबहादुर शास्त्री जी देश केप्रधानमंत्री थे और हमारे देश अंदर खाद्यान का बहुत संकट था तथादेश की सीमाओं पर भीसंकट था। हम दोहरे संकट से गुजर रहे थे, खाद्यान संकट और सुरक्षा का संकट। लेकिन जब लालबहादुर शास्त्री जी ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया तो आप सबको भी मालूम है कि पूरा देश खड़ा हो गया था और हमने दोनों संकटों पर विजय प्राप्‍त कीऔर रास्ता निकला था तो पूरा देश लालबहादुर शास्त्री के पीछे खड़ा हो गया। उन्होंने कहा कि एक दिन का उपवास रखना है। लोगों ने एक दिन का उपवास रखना शुरू कर दिया था, पूरा देश खड़ा हो गया था लेकिन आपकेआह्वानमें दम चाहिए। जबहमारेदेश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी आए तो उन्होंने कहा कि एक समय था जब ‘जय जवान जय किसान’ का नारा लगा लेकिन अब जरूरत है‘जय विज्ञान’ के नारे के साथ हमें आगे बढ़ना चाहिए। अब जरूरत है हमें अपनी ताकत को दिखाने की तथा अपने को और ताकतवर बनाने की,भले ही हमारा देश कभी किसी को छेड़ता नहीं हैं लेकिन ताकतवर तो रहना चाहिए। आदमी जबताकतवर रहता है तब ही दूसरे का संरक्षण कर सकता है। कमजोर आदमी दूसरे का संरक्षण करने में समर्थ नहीं होता है यदि एक आदमी ने थप्पड़ मारा और कहा कोई बाद नहीं, मैं तो आदर्शवादी हूं दूसरे गाल को भी मार दोऐसी कोई जरूरत नहीं है। जरूरत इस बात की है कि यदि किसी ने गाल पर थप्पड़ मारा तो उसके हाथ को पकड़ लिया जाए। ताकत तो इतनी है कि हाथ को तोड़कर के बाहर फेंक सकते थे लेकिन यह हमारा आदर्श है कि हमने आपको छोड़ दिया। जाइए, अब आगे से ऐसा मत करिए,यह है ताकत, इस ताकत की जरूरत है। उस ताकत की जरूरत के लिए अटलबिहारी बाजपेयी ने जैसे ही‘जय विज्ञान’ का नारा दिया आपको सब पता है देश महाशक्ति के रूप में किस तरीके से खड़ा हो गया। परमाणु परीक्षण करके दुनिया के तमाम देशों ने कहा कि हम भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा देंगे। यदि इस चीज को वापस नहीं लिया गया तो और अटल जी थे उन्होंने बेहतरीन निर्णय लेते हुए कहा कि हम मजबूत भारत देखना चाहते हैं, हम अपाहिज भारत नहीं देखना चाहते हैं। हम शक्तिशाली भारत देखना चाहते हैं और इसलिए आपको याद होगा कि पूरी दुनिया ने आर्थिक प्रतिबंध लगाने की घोषणा की यहां तक की कई संपादकीय उनके विरोध में लिखे गए थे। उस समय अटल जी ने कहा था कि विकसित देशों के ऋण की भीख हमको नहीं चाहिए और इसलिए केवल देश से आयात और निर्यात दोनों बंद कर दिए थे। ना आयात होगा, ना निर्यात होगा।जो चीजें देश में बनती है वे चीजें दुनिया में नहीं जाएंगी और दुनिया की चीजें देश में नहीं आएंगी। केवल इसएक सूत्र ने छह महीने के अंदर-अंदर पूरी दुनिया को झुका दिया था और आर्थिक प्रतिबंधों को वापस लेना पड़ा था। यह है ताकत जब आदमी पूरे विजन के साथ काम करता है तो फिर वह आगे बढ़ता है।अब हमारे देश के यशस्‍वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जिस तरीके से 2013-14 के बाद जिस ढंग से काम किया है आज उन्होंने ‘जय अनुसंधान’ का भी नारा दिया। अब अनुसंधान की जरूरत है हमको चीजें हमारे पास बहुत है जिनके बल पर पूरी दुनिया में हम नंबर एक हो सकते हैंलेकिन उस चीजों को नये अनुसंधान के साथ नया नवाचार के साथ सामने लाने की जरूरत है उसी कड़ी में जो नई शिक्षा नीति आईहै वो निश्चितरूप से भारत केन्द्रित है।मुझे इस बात को लेकर खुशी है कि जब हमभारत केन्द्रित बोलते थे पहले, तो तमाम प्रकार के लोगों को परेशानी खड़ी हो जाती थी। उनको ‘भारत’शब्द ही पसंद नहीं है। मैं पूछना चाहता हूं उनसे कि भाई,तुमको ना हिंदुस्तान शब्द पसंद है ना भारत शब्द पसंद है तो भाई क्या पसंद है? जब हम भारत केन्द्रित बोलते हैं तो भारत केन्द्रित का मतलब है कि भारत की आत्मा उसमें दिखाई देनी चाहिए,भारत की वो सब चीजें आनी चाहिए उस शिक्षा नीति में क्‍योंकि वह देश के लिए बन रही है।यदि उसी देश की चीज उसमें नहीं है तो फिर क्या भारत की शिक्षा नीति है। इसलिए लंबे समय के विमर्श के बाद, लोगों की लंबे समय की छटपटाहट के बाद यह नई शिक्षा नीति आई है।यहभारत केन्द्रित होगी और भारत केन्द्रित होने का मतलब है कि इसमें ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान सब कुछ शामिल होगापहले तो अपने देश के लोगों को भारत के दर्शन कराने की ज़रूरत है। इस पीढ़ी को भारत के दर्शन कराने की जरूरत है और यह तभी होगा जब हमारे पीछे की जो हमारी संपत्ति है, जो हमारी थाती है, जो हमारी धरोहर हैं उनको हम अपनी पीढ़ी तक ले जा सकें।हमारी नई पीढ़ी को हमारे अतीत की सम्‍पन्‍नता का पता नहीं है इसलिए जब अचानक कोई चीज आती है तो उनको लगता है जैसे यह तो हास्यास्पद है और इसीलिए यह जो नयी शिक्षा नीति है वह भारत केन्द्रित तो होगीहीलेकिन यह नेशनल होने के साथ ही, इंटरनेशनल भी है, इम्पैक्टफुल भी है, इंटरएक्टिव भी है, इनक्लूसिव भी है और इनोवेटिव भी है। इसका जो मूलाधार है वो इक्विटी, क्वालिटी और एक्सिस, इसके मूल आधार पर यह खड़ी है जो नीचे अंतिम छोर के व्यक्ति से लेकर के विश्व के शिखर तक पहुंचती है। इसमें सभी शैक्षणिक क्षेत्रों पर ध्‍यान केन्‍द्रित किया गया है।शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ का गठन किया जा रहा है जिसके अध्‍यक्ष प्रधानमंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार होंगेअभी तक हमारे युवाओं में पैकज की दौड़ थी, अब वो पेटेंट की दौड़ होगी। केवल विदेशों में बड़ी-बड़ी फर्मों में पैसा मिल जाए यहजो दौड़ थी नई शिक्षा नीति उस दौड़ को खत्म कर देगी। हम पेटेंट के रूप में अपने को खड़ा कर सकते है।हमको नौकरी पाने के लिए दौड़ने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले लोगों को तैयार करना है और इसीलिए नई शिक्षा नीति जहां ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ को गठित करती है वहीं तकनीकी की दृष्टि में अंतिम छोर तक के व्यक्ति को ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ के माध्यम से सशक्‍त करने का काम भी करती है। हमारे पास किसी भी क्षेत्र में ज्ञान की कोई भी कमी नहीं रही है। हमने अभी तक अपने पीछे को देखा ही नहीं, हम केवल दौड़ रहे है अभी तो हम केवल पाश्‍चात्‍य लोगों को देख रहे हैऔरउनके पीछे अन्‍धानुकरण कर दौड़ रहे हैं जिन्होंने हमारी संस्कृति, हमारी शिक्षा और हमारी भाषा को ध्वस्त किया औरइसलिए इस वर्तमान पीढ़ी के लोगों के सामने यह चुनौती है। मेरे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से एक बहुत अच्छी बात बोलते हैं। वे कहते हैं कि यदि चुनौती का डटकर मुकाबला होता है तो वह अवसर में तब्दील हो जाती है। यदिचुनौती न आए तोवो सफलता कहां से और इसलिए हमको यह भी सोचना पड़ेगा, ताकत के साथ खड़े होने की जरूरत है। हां में हां मिलाने वाले लोग परिवर्तन नहीं कर सकते है, ताकत के साथ खड़े रहने वाले लोग परिवर्तन का कारक बनते हैं। हमारी दृष्टि ठीक है कि नहीं, हमारी जो दिशा है वो ठीक है कि नहीं, हमारा जो हेतुया लक्ष्य है वो ठीक है कि नहीं, यह पहले स्‍पष्‍ट रहना चाहिए। हां, हमारा टारगेट बहुत स्पष्ट है। हमारी दृष्टि, हमारी नियत भी साफ है। हम इस देश को पूरी दुनिया में ज्ञान की महाशक्ति बनाना चाहते है। महाशक्ति जब हम बोलतेहैं तो यह भी स्‍पष्‍ट रहना चाहिए कि यह देश तो महाशक्ति था, विश्वगुरू तो इसको कहते थे।  सारी दुनिया के लोग यहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे,जब यहां तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय थे। अभी जब हम नई शिक्षा नीति के तहत मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा को लाए तो कुछ लोगों ने इस बात की चर्चा करनी शुरू कर दी। लोगों ने कहा कि निशंक जी आप एक ओर तो अंतर्राष्ट्रीय  तथा ग्लोबल स्‍तर पर जाने की बात कर रहे हैं तो वो तो केवल अंग्रेजी में ही हो सकता है और फिर आप मातृभाषा पर आ रहे है तो इससे तो हम देश को पीछे धकेल रहे है। मैंने उनसे हाथ जोड़कर यह निवेदन किया कि अंग्रेजी का कहीं विरोधनहीं है। लेकिन नंबर एक अंग्रेजी अपने देश की भाषा नहीं है, वो विदेश की भाषाहै। नंबर दूसरी बात यह है कि मेरे देश की जो भारतीय भाषाएं हैं जिनमें तमिल है, तेलगू है, मलयालम है, कन्नड़ है, गुजराती है, मराठी है, बंगाली है, असमिया है,उर्दू है, संस्कृत है, हिंदी है, कश्मीरी है, उड़िया हैसिंधीहै, कोंकणी है, मणिपुरी है, नेपाली है, बोडो है, डोगरी है, मैथिली है, संथाली है, यह संविधान में प्रदत्‍त जो 22 भारतीय भाषाएं हैं, यह हमारी आत्मा हैं। इसमें ज्ञान भी है, विज्ञान भी है, आचार भी है, व्यवहार भी है, संस्कार भी है, हमारी परंपराएं भी हैं। फिर इन भाषाओं की बात  क्‍यों न करें? पहलेक्‍या दुनिया की बात करें औरअपने घर को छोड़ दें? अपनी भाषा को छोड़ दें, अपने संस्कारों को छोड़ दें, अपनी परिस्थितियों को छोड़ दें, तो क्‍या शिक्षा के माध्‍यम से हम नागरिक देश के लिए पैदा कर रहे है या दुनिया के लिए पैदा कर रहे है?इसी कारण से आज मेरे देश के 8 लाख से भी अधिक बच्चे बाहर पढ़ रहे हैं। इस देश की प्रतिभाऔर पैसा दोनों बाहर चला गया। लगभग पौने दो लाख करोड़ से भी अधिक रूपये प्रति वर्ष बाहर जा रहे हैं।हमारी जो प्रतिभाएं छोटे-छोटे  पैकेज को पाने की दौड़ एवं लालच में बाहर चली जाती हैं, वे फिर उसी देश की अर्थव्यवस्था को, तकनीकी को, विज्ञान को बढ़ाने में जुट जाते हैं मैं तो सारा अध्ययन कर रहा हूं। मैंने कहा हिंदुस्तान के लोग कहां-कहां है?दुनिया के जितने विश्वविद्यालयों को मैं देखता हूंअधिकांश में हिंदुस्तान के लोग है। मैं देख रहा हूंचाहे गूगल हो या माइक्रोसॉफ्ट हो या इन जैसी दूसरी कोई कम्‍पनी हो इन कंपनियों में भी सीईओ अमेरिका का नहीं हैं वो भी हिंदुस्तान कहा ही है। इन सभी प्रतिष्‍ठित पदों पर बैठे हुए लोग, हमारे ही संस्‍थानों से पढ़े हुए लोग हैं इसलिए ऐसा नहीं है कि हमारी शिक्षा में गुणवत्ता नहीं है। हमारी शिक्षा में गुणवत्ता नहीं होती तो यहां का आईआईटी से पढ़ा हुआ विद्यार्थीदुनिया में क्यों लीडरशिप ले रहा है? हमारे विश्वविद्यालयों का पढ़ा छात्र दुनिया में प्रतिष्‍ठित पदों पर क्यों है? यह हमारी शिक्षा है ऐसा नहीं कि वह जीर्ण-शीर्ण शिक्षा है। लेकिनहमेंअब थोड़ा सा मन को भी बदलना है। विदेशों में पढ़ाई के नाम पर दो लाख करोड़ रुपए प्रति वर्ष जा रहा है। मेरे देश का पैसा जा रहा है और मेरी देश की प्रतिमा भी जा रही है अब इसको रोकना है। इसलिए हमने जहां ‘स्टडी इन इंडिया’ अभियान लिया वहीं हमने‘स्टे इन इंडिया’ भी किया। ‘स्टडी इन इंडिया’ में तो हम लोगों को देना चाहते हैं क्‍योंकि हमारे पास देने के लिए है यदि दूसरे देशों के पास देने के लिए है तो हमारे पास तो उनसे हजारों गुना ज्यादा चीजें  हैं।उनकी जरूरत है और हम देंगे भी लेकिन देने के लिए रास्ता चाहिए और रास्ते के लिए पहले यहसब चिंतन चाहिए जो आज शुरू हो रहा हैं। मैं ये समझता हूं कि यह जो भारतीय भाषाएं और उनमें जितने हमारे ग्रंथ हैं, भारतीय भाषाओं में अकेले संस्कृत में हीहजारों-हजारों ग्रन्थ हैं। आखिरक्योंजर्मनी जैसा देश उन ग्रन्थों का अनुवाद करने में रात-दिन जुटा हुआ है और यहां से हजारों आचार्यों को उच्च वेतन पर अपने यहां बुला रहा है उसको मालूम हैकि इन ग्रंथों में ज्ञान-विज्ञान का खजाना छिपा है तो फिर हम क्या कर रहे है? देश की आजादी के 70 वर्ष हो गये हैं, किसी भी राष्ट्र की अपनी भाषा होती है। हमने कहा हमारे लिए सारे देश की भाषाएँ महत्‍वपूर्ण एवं सम्‍मानीय हैं।किसी भीप्रदेश पर कोई भी भाषा थोपी नहीं जाएगी। लेकिन हां, गांधी जी ने कहा था किइस देश की सम्पर्क भाषा हिन्दी होनी चाहिए। अम्बेडकर जी ने कहा था कि इस देश की एक तो ऐसी भाषा होनी चाहिए जो सबको एकसूत्र में पिरो करके रख सकें। उन्होंने कहा था वो एक सुर में पिरोने वाली भाषा हिंदी है तो गांधी जी और हमारे संविधान के निर्माताअम्बेडकर जी इन दोनों की भावनाओं सेहम खिलवाड़ कैसे कर सकते हैं? इसलिए गांधी जी के नाम पर जो अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा है, जिसकेकुलपति जी से लगातार  मैंने इस बात को लेकरचर्चा की है।पूरी दुनिया में लोग हिन्दी को पढ़ना चाहते हैंहिन्‍दी भाषा में कितना शब्द सामर्थ्य है और फिर हमारी तो जितनी भी यह भाषाएं हैंइन सबके शब्दों को हिन्‍दी में समाहित करने की हमारे संविधान ने अनुमति प्रदान की जब अटल जी ने सबसे पहले हिन्दी में संयुक्त राष्ट्र संघ में अपना जब वक्तव्य दिया था तब देश में कितने खुशी कीलहरें थी। ऐसा लग रहा था कि कुछ बड़ी चीज मिल गयी है क्योंकि देश को अपनी भाषा से स्वाभिमान महसूस होता है। जब इस देश के प्रधानमंत्री भाषण हिन्दी में देते है तो कोई भी समझ सकेगा हिन्दुस्तान का है, कोई भी यह नहीं बोलेगा कि यह दूसरे देश का है क्योंकि हिन्दी देश की पहचान है और इसलिए मुझे लगता है। हिन्दी का किसी से कोई विरोध नहीं है। मैं सोचता हूं कि हिन्दी की किताबें तमिल में, तमिल की किताबें हिन्दी में क्यों न अनुवाद हों, तेलगू की किताबें हिन्दी में क्यों नहीं अनुवादित हो, मलयालम की किताबें क्यों नहीं हिन्दी में अनुवादित हों।मेरीतेलगू भाषा में समर्थता है, जो उसके लेखक हैं, जो उनका विचार है उसको भी तो पूरे देश के अंदर हमको सरसाना है। कुछ लोग केवल भाषा के नाम पर राजनीति करते हैं, अपने आप उनकी दुकानें बंद हो सकती हैं। हमारे लिए तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़, गुजराती, मराठी, बंगाली, असमिया, ओड़िया, संस्कृत, हिन्दी, उर्दू सब हमारी भाषाएं हैं। सब हमारी भाषाएं हैं लेकिन हां, उन भाषाओं को ऊपर उठाने की जरूरत है। मुझे इस बात की खुशी है कि यहां पूरे देश भर के पैंतालीस भाषाओं के अनुवादक आज एकत्रित हुए हैं। आप एक नया इतिहास रच रहे हैं, इसलिए मैं आप सबको ढेर सारी बधाई देना चाहूंगा। मैं शुभकामना भी देनाचाहता हूं कि जिस मन से आप एकत्रित हुए हैऔरजो यह अभियान शुरू हुआ है यह सामान्‍य विभाग का अभियान नहीं है, यह केवल विश्वविद्यालय भर काअभियान नहीं हैबल्‍कि यह तो देश का अभियान है।मैं सोचता हूंआज सुश्रुत को कितने लोग पढ़ रहे हैं, सुश्रुत शल्य चिकित्सा का जनक था उसे आप कितनी भाषाओं में पढ़ा रहे हैं? दूसरे देशों के लोगों को यह पता नहीं है कि सुश्रुत का जन्म इस देश की धरती पर हुआ है। सुश्रुत से संबंधित जितने भी ग्रन्थ हैं उनका सभी भारतीयभाषाओं एवं अन्‍य भाषाओं में अनुवाद होना चाहिए। ‘आयुशो वेदा आयुर्वेदा’की बात करने वाले चरक कीजो‘चरक संहिता’ है इसका भी सारी दुनिया की भाषाओं में अनुवाद होना चाहिए लेकिन पहले आपने भारत की भाषाओं में इन संस्‍कृत ग्रंथों का अभियान के रूप में अनुवाद होना चाहिएहिंदी और संस्कृत तो सोहदरा हैं, एक भी ग्रंथ नहीं छूटना चाहिए था जो हिन्दी में अनुवादित न हो। मैं अनुरोध करना चाहता हूं आचार्य रजनीश से कि आपकी अच्छी टीमें है आप लीडरशीप लीजिए और यहां गांधी जी के नाम पर स्‍थापित विश्‍वविद्यालय मेंइतिहास रचिए। देश की आजादी के बाद गांधी जी को सम्मान मिला देश को सम्मान मिला और देश के संविधान को सम्मान मिला है।  संस्‍कृत के इन सारे अमूल्‍य ग्रंथों को हम हर कीमत पर अनुवादित करेंगे। पहले चरण में हिन्दी में करेंगे और उसके बाद तमिल में करेंगे, तेलगू में करेंगे, मलयालम में करेंगे तथा भारत की संविधान में उल्‍लेखित सभी22 भाषाओं मेंकरेंगे और उसके बाद विश्व की भाषाओं में भी करेंगे। विश्व के लोगों से आह्वान करेंगे कि आप भी इसकी खुशबू को लो, आपकोदेने के लिए हमारे पास बहुत कुछ है और मैं समझता हूं यह संकल्प लेने की जरूरत है। इस समाज में बहुत सारे लोग हैं जो केवल किंतु-परंतु करते हैं। मैं हमेंशा आग्रह करता हूंकिउनकी परवाह नहीं करनी चाहिए। नकारात्मक सोच के व्यक्ति से दूर रहिए। कोशिश करें कि वह नकारात्‍मक व्‍यक्‍ति भी हमारे सम्‍पर्क से सकारात्मक हो जाए लेकिन उस पर अपनी शक्ति को खपाना नहीं चाहिए। सकारात्मक लोग ही बहुत हैं उनको थोड़ा सा पुश करने की जरूरत है। अभी भी तो आपने यह पहल की और एक हजार लोग बाहर निकल कर आ गए।यह है सकारात्मकता कि जिनमें छटपटाहट है वो कुछ करना चाहते हैं। जिसको कुछ नहीं करना होता वह सबसे ज्यादा बोलता है  और केवल आलोचना करता है। पत्रकारिता का छात्र होने के नाते मुझे विश्लेषण करने कीऔर अध्ययन करने की थोड़ी सी प्रवृति है। इसलिए मैं जब उन लोगों की ओर देखता हूं कि यहआदमी बोलता तो बहुत है लेकिन जब पूछता हूं कि कि क्या-क्या किया? तब उत्‍तर मिलता है कि सर, कुछ भी नहीं किया तो भाई फिर केवल बोलते क्यों हैं? उसको बोलना भी है लेकिन पहलेकरना भी है। केवल बोलकर के काम नहीं चलेगा, केवल चिंता करके और चर्चा करके काम नहीं चलने वाला है। हमारे लिए एक-एक कदम भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। हमारा एक शब्द भी क्रियान्वन होता वो हमारे लिए महत्वपूर्ण है और मैं इस बात के लिए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा को बधाई देना चाहता हूं कि एक कदम जिसकी लंबे समय से जो मांग थी, जो छटपटाहट थी आज इस दिशा में विश्‍वविद्यालय ने अपने कदम आगे बढ़ाये हैं। यशस्‍वी प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में अभी हम नई शिक्षा नीति को लेकर आये हैं जिसमें बहुभाषिकता के साथ ही भाषा संस्‍थानों के निर्माण पर भी बल दिया गया है। दुनिया के तमाम विश्वविद्यालयों ने, दुनिया के तमाम देशों ने, अभी तीन-चार दिन पहले ब्रिटेन के  विदेश मंत्री जी हमारे आवास पर आकर के और इतनी खुशी व्यक्त करके गए हैं कि यह विजनरीशिक्षा नीति है यह देश और दुनिया के अंदर बहुत आगे बढ़ेगी। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने न केवल तारीफ की बल्‍कि उन्‍होंने अपने एशिया हेड को भेज करके हमको सम्मान भी दिया और अभी उन्होंने पत्र भेजकर भी आमंत्रित किया कि यह जो नई शिक्षा नीति है भारत की, इसको हम पूरे विश्व के शिक्षा जगत के साथ जुड़कर बढ़ाना चाहते हैं। अभी संयुक्त अरब अमीरात के जो हमारे शिक्षा मंत्री थे उनके साथ संवाद हुआ, उन्होंने कहा हम अपने देश में इस शिक्षा नीति को लाना चाहते है।चाहे आस्ट्रेलिया हो,चाहे मोरिसश हो पूरी दुनिया इस शिक्षा नीति को लेने के लिए तैयार है।हमारे जीवन मूल्यों की पुस्तकें भी सभी भाषाओं में होनी चाहिए। यूनेस्को की डीजी से जब पेरिस में चर्चा हो रही थी, तो उन्होंने एक चिन्ता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आजकल विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता हो रही है और हिंसक प्रवृत्तियां बढ़ रही हैं। वैमनष्यता हो रही है, यह हो रहा है, वो हो रहा है कईचीजें उन्‍होंनेगिनाई। तब मैंने कहा कि हमारी शिक्षा व्‍यवस्‍था ने व्‍यक्‍ति को मनुष्‍य बनाने के स्‍थान पर केवल मशीन बनाया है इसलिए हिंसा और अनुशासनहीनता जैसी प्रवृत्‍तियां बढ़ी हैं। मेरे देश की परंपरा रही है कि हमने विश्व को मार्किट कभी नहीं माना। जिन लोगों ने विश्व को मार्किट माना वो इस पूरी दुनिया कोबाजार मानते हैं और तो हमने तो पूरी दुनिया को अपना परिवार मानाक्योंकि हमारी प्रबल धारणा रही है कि परिवार में प्यार होता है और बाजार में व्यापार होता है। हम अपने परिवार की तरह पूरे विश्व को देखना चाहते हैं, रखना चाहते हैं और साथ मिलकर चलना चाहते हैं। इसीलिए यह जो हमारी नई शिक्षा है, यह मनुष्य को एक देश के लिए एक आदर्श नागरिक बनाएगी तो विश्व मानव भी बनाएगी।मैं बहुत बधाई देना चाहता हूं कि आपने जो काम शुरू किया है और निश्चित रूप सेइससे बहुत बड़ा परिवर्तन होगा। मैं जब पीछे के समय एक कमेटी का चेयरमैन था तो उसमेंकोई भी चीजें हिन्दीमें आती ही नहीं थी। जब मैंने पूछा कि ऐसा क्योंहो रहा है तो 10 दिन बोलेकि अनुवादक ही नहीं मिल रहे है। इस देश में अंग्रेजी का तो अनुवादक होना चाहिए था लेकिन हिन्दी का अनुवादक क्यों?ठीक उल्टा हो रहा है तो इसको हमको तेजी से बदलना होगा हालांकि विगतचार-पांच वर्षों में हमारे प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी की अगुवाई में पीछे के समय में प्रधानमंत्री जी ने कहा कि विद्यार्थीअपनी मातृभाषा में इंजीनियर भी बन सकेगा और डॉक्टर भी बन सकेगा। देश में कितनी खुशी की लहर आई कि, अच्छा आपनी मातृभाषा में अब मेरा बेटा डॉक्टर बन जाएगा।यदि हमें बच्‍चे को मातृभाषाओं में डॉक्‍टर तथा इंजीनियर बनाना है तो निश्चित ही उन पाठ्यक्रमों को अनुवादित करके और अच्छे तरीके से उस तक पहुँचाना पडेगा।चाहे हमारा स्वयं है, चाहे स्वयं प्रभाहै, हमारी दीक्षा है, हमारी ई-पाठशाला है, हम चाहते हैं कि इन सबका सभी भारतीय भाषाओं में अनुवाद हो और जो अनुवादक हैं वो किन-किन भाषाओं के और किन-किन विषयों के अनुवादक है इसका अगली बैठक में हम थोड़ा-सा परामर्श भी करेंगे।अभी हमारे कुछ आईआईटीज ने भी कहा कि पहले वर्ष में वो भी भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम लेकरआएंगें ताकि उसको यह न लगे कि  वो आईआईटीज तक नहीं पहुँच सकता। हमारे कुछ आईआईटीज ने यह करना शुरू भीकर दिया है अब जेईई की जो परीक्षाएं हैं वो भी तेरह भारतीय भाषाओं में करने का सुनिश्चित हुआ है।देश के इतिहास में पहली बार होगा कि 13 भारतीय भाषाओं में जेईई की परीक्षाएं आयोजित होंगी और अभी हम कोशिश कर रहे कि नीट को भी किस तरीके से भारतीय भाषाओं में आयोजित किया जा सकता है मैं समझता हूँ कि यह बहुत अच्छी पहल है। अभी लोग गूगल में जाकर अनुवाद का अर्थ का अनर्थ हो रहा है और जो अनुवादक भी हैं वो इतने क्लिष्ट हैं कि जब हम अपने अध्यादेशों को पढ़ते हैं तो हम सिर पकड़ करके बैठ जाते हैं तो दूसरा आदमी तोइनसे दूर होगा ही मुझे याद है कि एक दिन जब हम चर्चा कर रहे थे नई शिक्षा नीति पर तो शशि थरूर जी जो पहले तोबहुतविरोध करते थे लेकिन जब हम लोगों कीचर्चा हुई तो बात उनकी समझ में आई तो उन्होंने कहा कि आपकी बात से मैं सहमत हूं।मेरा अनुवादकों से अनुरोध रहेगा कि क्‍लिष्‍टतान लाएं, हम आम आदमी की भाषा में उसका अनुवाद करें, आम आदमी की भाषा में हम उस बात को कहने की कोशिश करें अन्‍यथा  हिन्दी से लोग दूर हो रहे हैं,उनको लग रहा है कि इतनी क्‍लिष्‍ट भाषा है किउसको दो बार रटने पर भी नहीं आ रहा है। आम बोलचाल की भाषा में कैसे कर के अनुवाद हो सकते हैं, इसकी जरूरत है।अभी वैज्ञानिक शब्दावली आयोग से भी मैं चर्चा कर रहा था कि आप ऐसे शब्‍द तैयार करें कि आम आदमी को उस शब्द को रटना न पड़े, उसकेजीवन में जैसे दिख रहा है उसको सहज सरल हिन्दी में प्रसारित करें,  प्रचारित करे, अनुवाद करें। मुझे भी खुशी है कि आपने एक अनुवादक पोर्टल बनाया है, हमने भी कोविड़ के समय में युक्ति पोर्टल बनाया था। हमने आह्वान किया कि जिन-जिन भी आईआईटीज ने काम किया है, जो भी शोध किया है वो युक्ति पोर्टल पर डालो।‘युक्ति-2’ पर हमने कहा कि जितनेआइडियाज आएहैं उनका एक प्लेटफॉर्म बना दो, तो मेरा अनुरोध रहेगा कि एक पोर्टल ऐसा भी बनाया जाए जिस पोर्टल पर सारे लोगों के आइडियाज आ जाएं। बहुत लोग सोचते हैं कि मेरी सामग्री का इस भाषा में अनुवाद हो जाए कहां ढूंढते-फिरते रहते हैं, तो कहीं एक जगह जो आपका प्लैटफॉर्म बनेगा, उस पर विजिट करने के बाददेश और दुनिया का कोई भी आदमी कहेगा तमिल का यह है, तेलुगू का यह है, हिंदी का यह है, मलयालम का यह है, मराठी का यहहै बंगाली का यहहै तो पता चल जाएगा कि किस-किस भाषा के कौन-कौन और किन विषयों के वो विशेषज्ञ हैं तो उससे बहुत सरलता होगी। साहित्य अकादमी हो, चाहे एनबीटी हो, चाहे एनसीईआरटी हों, विश्वविद्यालयों हों, सभी यदि एक प्लेटफार्म परमिल जाए सबको तो सब लोगवहां से उपयोग करेंगे और मेरे श्रोताओं यहअभियान की तहत होना जरूरी है और जो बड़े प्रकाशक हैं उनसे भी मेरा निवेदन रहेगा किइसके लिए जो अनुवादक हैं उनको अपने यहां इंटर्नशिप दें। वो अपने यहां यदि इंटर्नशिप देंगे तो उनका भी भला होगा और अनुवादक संघ की प्रेरणा से जो नये लोग सामने आएंगे तो उनको भी एक अच्छा रास्ता मिल सकता है।हम इसको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लेकर जा सकते हैं क्योंकि दुनिया को मालूम है कि भारत के इन ग्रंथों में असीम संभावनाएं हैं। एक बार फिर मैं आप सबको बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने प्रतिष्ठित 25 पुस्तकों के अनुवाद के कार्य का निर्णय लिया है।यहअच्छा है कि पहले संचितऔर उसके बाद फिर सृजित फैले। संचित का भी आपके पास अथाह भंडार है,उस संचित भंडार को कैसे करके सामने लाया जा सकता है और उसके बाद जो सृजित है जो वर्तमान में सृजित हो रहा है उननई चीजों को भी सामने लाना है।आज जो नए लेखक हैं, नए कहानीकार हैं,विभिन्न विषयों में जो नए चिंतन के साथ आगे आ रहे हैं आप उनको कैसे करके आगे लासकते हैं, इस पर भी बहुत काम करने की जरूरत है। एक बार फिर मैं आप सभी को बहुत शुभकामनाएं देता हूं और इस अवसर पर जो 1 हजार 11 लोगहमारे साथ जुड़े हैं, यह संख्या भी कुछ चमत्कारिक हो गई है जोनिश्चित रूप में व्‍यापकपरिवर्तन का सूचक लग रहा है। मैं सबको शुभकामना देता हूँ, बहुत बधाई देता हूँ।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल, कुलपति, महात्‍मा गांधी अंतर्राष्‍ट्रीय हिन्‍दी विश्‍वविद्यालय, वर्धा
  3. भारतीय अनुवाद संघ के विशिष्‍ट अधिकारी

 

 

 

 

 

 

लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा गुरू नानक देव जी की 551वीं वर्षगांठ पर शांति, न्याय और वैश्विक सद्भाव पर आयोजित वेबिनार

लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा गुरू नानक देव जी की 551वीं वर्षगांठ पर शांति, न्याय और वैश्विक सद्भाव पर आयोजित वेबिनार

 

दिनांक: 18 दिसम्बर, 2020

 

 

माननीय शिक्षामंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

आज के इस अवसर पर जबकि गुरु नानक देव जी के 550 जन्मोत्सव को पूरी दुनिया बहुत उत्साह व उमंग के साथ मना रही है और इस उत्साह और उमंग की इस लहर में, इस वेग में इसको लीडरशीप आगे देते हुए जो यह लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी है, यहहमेशा निर्माणिक क्षेत्र में पहली पंक्ति में खड़े हो करके काम करता है और आज भी इस विश्वविद्यालय ने पहली पंक्ति में वो महान विभूति जिसकी वाणी आज पूरे विश्व के लिए अमृत है उन गुरु नानक देव जी के 550वेंजन्मोत्सव के अवसर पर अपने विश्वविद्यालय में एक पीठ स्थापित की है और इस अवसर पर छात्रों के लिए बहुत सहज और सरल भाषा में गुरुदेव के जीवन से जुड़ी कुछ घटनाओं को, कुछ बातों को,तथा उनकी वाणी को बच्चों तक पहुँचाने के लिए इस पुस्तक के अंग्रेजी अनुवाद के संस्करण का लोकार्पण किया है मैं इस अवसर पर उपस्थित पंजाब राज्य के तकनीकी शिक्षा और औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री आदरणीय श्री चरनजीत सिंह चन्नी जी, एक्सीलेंसी रोबेन गोसाई जी, अशोक मित्तल जी चांसलर लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी,श्री मार्टिन सिंह जी जो कनाडा से जुड़े हैं,श्री गुनेन्द्रर मान जी जो निदेशक है ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ श्री स्टडीज न्यूयार्क अमेरिका के, इस विश्वविद्यालय के कुलपति, रजिस्ट्रार और उपाध्यक्ष, अध्यक्ष और सभी अध्यापकगण और पूरी दुनिया से लगभग 64 देशों से जो इस विश्वविद्यालय के अंदर पढ़ रहे हैं सभी छात्र-छात्राएं, सभी अभिभावक औरआज जो अपने विशिष्ट अन्य अतिथिगण हैं। मैं इस अवसर पर आपका अभिनंदन कर रहा हूँ, आपका स्वागत कर रहा हूं। मुझे इस बात की खुशी है कि वैश्विक सद्भावना और मानवता के लिए गुरुवाणी की कितनी आवश्यकता आज है। इस विषयपर अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार आपने सुनिश्चित किया है और मुझे भरोसा है कि जो गुरु की वाणी है वह निश्चित रूप से मानवता के लिए सार्थकता लाकर के लोगोंकोएक नया जीवन देगीऔर दुनिया से जो वैमनस्यता है, जो असहिष्णुता है, जो हिंसा है वो मिटेगी और मानवता के सृजन की एक नई आधारशिलाबहुत तेजी से आगे बढ़ेगी। मैं एक बार सभी जो लोग जुड़े हैं उनका अभिनंदन कर रहा हूँतथास्वागत कर रहा हूँ। मेरे हिन्दुस्तान की परंपरा रही है किहमने गुरु को हमेशा भगवान के तुल्य माना है और हमने कहा है‘गुरुर ब्रह्मा, गुरुर विष्णु,गुरुर देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः।’ हमने हमेशा गुरू को ईश्‍वर का रूप माना है तथा हमने गुरू में भगवान के दर्शन किये हैं। हमारे कबीर कहते थे कि ‘गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताये’ यदि गुरु और भगवान आमने सामने खड़े हों तो पहले गुरु के चरणों में वंदनहोता है क्‍योंकि गुरु नेही भगवान तक पहुँचाने का मार्ग प्रशस्त किया है। इसलिए मेरे लिए आप पहले पूजनीय हैं क्योंकि वहां तक पहुँचाने का काम आपने किया है, आपके मार्ग-दर्शन में हुआ है तो यह हमारी परंपरा रही है और गुरु नानक जी ने जिस तरीके से, जिन विषम परस्थितियों में उस समय की स्थितियों में जिस तरीके से मानवता का हमको पाठ पढ़ाया, जिस तरीके से बहुत सहज-सरल बातों में करके और जिन्दगी का पाठ पढ़ाया, मानवता का पाठ पढ़ाया, वह वंदनीय है। हमारे विचारों को किस तरीके से मनुष्‍य को ईश्‍वर की सबसे सुन्‍दर कृति है।वो कैसे अच्छी रह सकती है तथा द्वेष भाव कैसे दूरहो सकता है। सारा विश्व एक परिवार है,वो परिवार कैसे अच्छा रह सकता है, यह हमारे गुरुदेव ने हमको सिखाया हमने यह उनकी वाणी से सीखा है। मुझे बहुत खुशी होती है कि इस विश्वविद्यालय के अशोक जी जिनको मैं बधाई देना चाहता हूं कि आप कहीं न कहीं रचनात्मक दिशा में जुड़े रहते हैं और मानवीय मूल्यों के शिखर पुरुष गुरुदेव के नाम पर आपने आश्चर्य स्थापित किया हैऔर मुझे भरोसा है कि आपका यह प्रयास पूरे देश और दुनिया में एक नए आयाम को स्थापित करेगा। आज पूरी दुनिया को गुरुजी की उस वाणी की आवश्‍यकता है। जो शांति और सुख इन दोनों का अमृत बरसायगी।उनकी वाणी आदमी को आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी तो निश्चित रूप से आपके विश्वविद्यालय में जो आज यह स्थापित हुआ है इसके लिए मैं आपको बहुत बधाई देना चाहता हूँ औरधन्यवाद देना चाहता हूँ।मैंने गुरू नानक देव जी अमृत वाणी को बहुत सरल भाषा में बच्‍चों तक पहुंचाने के लिए यह छोटी सी पुस्‍तिका तैयार की थी, जिसके अंग्रेजी संस्‍करण को भी आज आपने किया है, उसके लिए धन्यवाद तथा बधाई देना चाहता हूँ और डॉक्टर राजेश नैथानी ने जिस तरीके से कहा कि पूरी दुनिया में यह पुस्तक छा रही है एवं लोगों में बहुत लोकप्रिय हो रही है देश के नहीं बल्कि दुनिया की विभिन्न भाषाओं में हमारी यह धरोहर बच्चों तक पहुंच रही है। पूरी दुनिया यह जो युवा हैं, यह जो बच्चे हैं इनकोहम अपनी कुछ चीजें दे सकते हैं, बांट सकते हैं तो मुझे ज्यादा अच्छा लगता है। वैसे भी आपको मालूम है कि हिन्दुस्तान दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और इस दुनिया के बड़े लोकतांत्रिक देश मेंएक हजार से अधिक विश्वविद्यालय हैं,45हजार से अधिक डिग्री कॉलेज हैं, यहां 16 लाख के लगभग स्कूल हैं और अध्यापकों को देखें तो 1 करोड़ 10 लाख से भी अधिक यहां पर अध्यापक हैं और छात्र-छात्राओं की संख्या को देखें तो कुल अमेरिका की जितनी आबादी नहीं है उससे भी ज्यादा 33करोड़ छात्र-छात्राएं हैं। यह है इस हिन्दुस्तान का विशाल दर्पण और इसलिए जो युवा है उसको गुरूजी के विचारों के निकट लाना है। हमारी कोशिश है और इसकीइस समय न केवल हिंदुस्तान को बल्कि पूरीदुनिया को जरूरत है क्योंकि पीछे के समय जब मैं यूनेस्को में गया था तभी मेरे मन में ऐसा विचार आया। यूनेस्को की डीजी ने कहा कि असहिष्णुता बढ़ रही है तथा लोगों में छोटी-छोटी बातों में पारस्परिक असमानता है एवं तमाम प्रकार की हिंसा का वातावरण बन रहा है।उनको तब ही मैंने यह कहा कि हिंसा की प्रवृत्ति बढ़ रही हो यास्वार्थ लोलुपता बढ़ रही हो और ऐसी तमाम बहुत सारी बातें हैं जिसकी जड़ में, जिसके मूल में, मानवीय मूल्य हैं। जब आदमी मानवीय मूल्यों से होकरके नहीं गुजरता है तथा जब उसको मनुष्य बनाने की जगह मशीन बनाते हैं और उसका एक ही लक्ष्य है कि कैसे करके वह अपनी सुख सुविधाओं को जुटा सकता है।हमने उसे लक्ष्य नहीं दिया कि कैसे वह अपने संस्कारों को पा सकता है एवं वो अपने विचारों को पा सकता है। अपने जीवन को सार्थक करने की दिशा में आगे बढ़ने की अभिलाषा पा सकता है तो जब इसका मानवीय मूल्‍यों से जुड़ाव नहीं होतातो नये संकट पैदा होते है और इसलिए मैं यह समझता हूँकिआज की परिस्थितियों में यह बहुत जरूरी है कि गुरूदेव की उस वाणी को जिसमें उन्‍होंनेपूरी दुनिया को अपना माना,उन्होंने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की बात की है। गुरुदेव ने कहा पूरी वसुधा हमारा परिवार है और जब हम परिवार मानते हैं तो परिवार में सुख और दुख मिल करके कहते हैं ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्यद् दुख भागभवेत।‘अर्थात् जब तक धरती पर एक इंसान भी दुखी होगा तब तक मैं सुख का एहसास नहीं कर सकता। मैं दूसरों के दुखों को दूर करना चाहूंगा तभी मैं सुखी हो सकता हूं। यहहैंहमारे गुरुदेव के विचार, यह है मेरी संस्कृति जिसमें कहा गया है कि उतना ही ग्रहण करो जितनी जरूरत है। गुरुदेव ने भी यही तो दिखाया, यही तो सिखाया किजितना आपको उपयोग करना उतना करो बाकी सबको मिलकर के बांट दो। जिसके पास नहीं उसको मिल करके बांटो। इसीलिए जो लंगरकी प्रथा की, सामाजिक समरसता की बात की,जिसके पास जो कुछ है अपनीजितनीजरूरत है उसके बाद जो बचता है सब बांटो, यह है हमारा जीवन, यहहै गुरु की वाणी। यह बहुत सारे अहम्को खत्म करके समस्या का समाधान करती है। इसलिए इस वाणी की आज जरूरत है जब दुनिया आतंक के ढेर पर खड़ी हो जब दुनिया में वैमनस्यता बढ़ रही हो, स्वार्थ लोलुपता बढ़ रही हो। जबएक ओर पर्यावरण का संकट हो और दूसरी ओर तमाम दुख और दर्दों से घिरा मनुष्य हो, ऐसे वक्त पर गुरु नानक देव जी की यहवाणी बहुत सार्थक होती है और पूरी दुनिया की मानवता के लिए अमृत का काम कर सकती है। मेरा सौभाग्य है कि मैं उस हिमालय से आता हूँ जहां हिमकुण्ड साहिब है।उसका विकास किस तरीके से हो सकता है हम लोगों ने सभी गुरुद्वारों के साथ बैठ करके उसका विमर्श किया। मेरा सौभाग्य है कि उसी धरती पर रीठा साहिब भी है। मेरा सौभाग्य है कि उत्तराखंड की उसी धरती पर गुरु नानक मत्था भी है और इसलिए वो चाहे हेमकुंड साहिब हो, चाहे वो गुरु नानक मत्था हो, चाहे रीठा साहिब हो यह उस हिमालय की उस धरती पर है तब समझ आता है कि गुरुदेव का और हमारे गुरुओं का कितना बड़ा विजन रहा होगा। आज तो हिमालय से जीवन देने के लिए जो उनकी उत्सुकता और जो उनके अंदर छटपटाहट थी उसका दर्शन हम लोग कर सकते हैं और इसलिए मैं समझता हूं कि प्रमुख शिक्षा ‘वंड छको और नाम जपो’ हमेशा सार्थक रहेगी,मैं सोचता हूँ भक्तिकाल कीसर्वप्रमुख विभूतियों में सच्चा सौदा करने वाले गुरु नानक जी अद्भुत थे और हमेंगुरु नानकदेव के संदेश को जन-जन तक पहुंचाना है।पूरी दुनिया के लोग उनकीवाणी का रसास्वादन करअपने जीवन में आगे बढ़ा सकते हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने गुरुदेव के 550वें प्रकाशोत्सव में पूरे देश के लिए व्यापक तरीके से तमाम कार्यक्रमों को करने की बात की है और इतना ही नहीं राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने अभी तीन पुस्तकें गुरू नानक देव जी के जीवन और सीख पर प्रकाशित कर पूरे देश और दुनिया में व्यापक तरीके से प्रसार करने का सराहनीय कार्य किया है। इसी कड़ी में पंजाब के गुरु नानक देव विश्वविद्यालय में लगभग 400 करोड़ की लागत बहुत बड़े केंद्र की स्थापना की जा रही है। सौ करोड़ से भी अधिक उसके लिए अभी जारी हुआ है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन भी किया जा रहा है ताकि गुरुदेव की 550वें प्रकाशोत्सव पर हम उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचा सकें। आप सभी इस महत्‍वपूर्ण आयोजन में जुटे, आप सबका, बहुत-बहुत धन्‍यावाद।

धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. श्री चरनजीत सिंह ‘चन्‍नी’, माननीय तकनीकी शिक्षा और औद्योगिकी प्रशिक्षण मंत्री, पंजाब सरकार
  3. श्री अशोक मित्‍तल, कुलाधिपति, लवली प्रोफेशनल युनिवर्सिटी, चंडीगढ़ (पंजाब)
  4. श्री रमेश कुमार, कुलपति,लवली प्रोफेशनल युनिवर्सिटी, चंडीगढ़ (पंजाब)
  5. विश्‍वविद्यालय के सभी संकाय सदस्‍य, छात्र-छात्राएं एवं अभिभावकगण।

10वां सीआईआई एजुकेशन समिट

10वां सीआईआई एजुकेशन समिट

 

दिनांक: 11 दिसम्‍बर, 2020

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

10वें सीआईआई सम्‍मेलन में उपस्‍थित सभी भाइयो और बहनों का मैं अभिनन्‍दन कर रहा हूं और मुझे प्रसन्‍नता है कि जैसा कि डॉ. चंद्रजीत बनर्जी ने कहा है कि इस आयोजन में 900 से भी अधिक लोग विभिन्‍न क्षेत्रों के विशेषकर शैक्षणिक संस्‍थानों के लोग आज जुड़े हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि एक लंबी यात्रा सीआईआई ने की है। यह संस्‍थान 125 वर्षोंकीयात्रा के बाद भी थका नहीं है और अपनी उन सभी चीजों को नये परिवेश में नये सिरे से एक दिन एक नये अभियान के साथ आगे बढ़ा रहा है। इस अवसर पर सीआईआई शिक्षा परिषद् के अध्‍यक्ष डॉ. बी.वी.आर. मोहन रेड्डी जी, हमारे एआईसीटीई के अध्‍यक्ष डॉ. अनिल सहस्‍त्रबुद्धे जी, डॉ. राम गोपाल राव जी, निदेशक आईआईटी दिल्‍ली, राधिका भरत जी मुझे याद है कि पीछे के समय में हम लोग शिक्षा संवाद में मिले थे जिसमें राधिका जी ने भी बहुत सक्रिय तरीके से भाग लिया था। हमारी नई शिक्षा नीति को बनाने में अत्‍यन्‍त महत्‍वपूर्ण योगदान करने वाले डॉ. पंकज मित्‍तल, महासचिव, भारतीय विश्‍वविद्यालय संगठन, डॉ. चंद्रजीत बनर्जी, महानिदेशक, सीआईआई और सभी उपस्‍थित भाइयों ओर बहनों। मैं समझता हूं कि आज जिस विषय को लेकर के आपने आगे बढ़ाया है वह अत्‍यन्‍त ही महत्‍वपूर्ण है आपने इस समय कहा है कि एक नई दुनिया के लिए नये भारत के निर्माण की जरूरत है। आपने कहा कि उसका रास्‍ता शिक्षा से ही होकर गुजर सकता है। शिक्षा और उद्योग के बीच वह कौन सी कड़ी हो सकती है कि दोनों परस्‍पर मिल करके ऐसे विश्‍व के लिए जो भारत की नजर में एक परिवार हो,एक कुटुम्‍ब हो, विश्‍व का विकसित परिवार हो, जो सभी चीजों से युक्‍त हो, ऐसा परिवार बनाने के लिए नये भारत की जरूरत है। जिस बात को हम हमेशा ही बोलते हैं कियदि विश्व की प्रगति,शांति पूरे विश्व के लिए हिंदुस्तान से होकर गुजरती है तो यदि यहकहते हैं हमतो यहअतिश्योक्ति नहीं है। यह केवल भाषण के शब्द नहीं हो सकते हैं, इतिहास इस बात का गवाह है कि हिंदुस्तान ही विश्व की ओर समृद्धि,शांति और प्रगति का एक बहुत बड़ा आधार है। प्रगति केवल  आर्थिक प्रगति नहीं होती, मात्र कुछसुविधाओं को जुटाना प्रगति नहीं हो सकती, संसाधनों को जुटाना ही मात्र प्रगति नहीं हो सकती। सर्वांगीण प्रगति चाहिए और इसीलिए हमारी धारणा, हमारी भावना विश्व के परिवारके बारे में बिल्कुल अलग रही है। हम विश्व को अपना परिवार मानते हैं इसलिएयहहिन्दुस्तान विश्वगुरू कहलाया गया और इसने जिस तरीके से काम किया पूरी दुनिया के लिए, मानवता के लिए , चाहे वह मनुष्य कहीं काभी क्यों नहीं हैचाहेवो किसी भी जाति, पंथ, संप्रदाय का क्यों नहीं है। जिस भारत के बारे में मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हम को 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत चाहिए ऐसा भारत जो स्‍वस्‍थ भारत हो, जो स्‍वच्‍छ भारत हो, जो श्रेष्‍ठ भारत हो, जो आत्‍मनिर्भर भारत हो और जो एक भारत हो, इन सबके बाद में आती है श्रेष्ठता। उसके अंदर बहुत कुछ समाया हुआ है,यहपांच-सात चीजें सामने बोली वो तो हैं ही लेकिन पूरी दुनिया उस श्रेष्ठता के अंदर समाई हुई है जिसमें आपकाविजन भी, आपका मिशन भी, आपका चरित्र भी है, आपका व्यवहार भी है, आचार भी है, आपकी तमाम तरीके की बहुआयामी वो गतिविधियां भीहोती हैं जिससे एक अच्छा नागरिक बन सकता है।इन गुणों की बदौलत वह व्‍यक्‍ति विश्व के लिए एक विश्व मानव बन सकता है और इसलिए जब आपने नई शिक्षा नीति के बारे में बोला जब हम पिछली बार आपके साथ जुड़े थे और हमने यह कहा था किहम एकऐसीशिक्षा नीति ला रहे हैं जो विश्व के फलक पर होगी। यह बात बीच-बीच में कही जाती रही है कि हिंदुस्तान से इसलिए लोग बाहर जा रहे हैं पढ़ने के लिए कि हिंदुस्तान की जो शिक्षा नीति है वो इंटरनेशनल है ही नहीं, ऐसा भी नहीं था। यदि मेरे देश के यह आईआईटी डॉ.राम गोपाल बैठे हैंआपके साथ यह आईआईटी केडायरेक्टर हैं जब मैं उनसे पूछता हूं कि आप बताओ क्या आपके आईआईटी के बच्चे आज कहां-कहां है?यहबताते हैंपूरी दुनिया में छाए हुए और पूरी दुनिया कोलीडरशिप दे रहे हैं। हमारे संस्‍थानों से निकले छात्र आज दुनिया की बड़ी से बड़ी कम्‍पनियों एवं प्रतिष्‍ठित संस्‍थानों को लीड कर रहे हैं तो फिर कैसे कह सकते हैं कि हमारी शिक्षा इंटरनेशनल स्‍तर की नहीं है और फिर यदि आपके किसी के मन में शंका भी थी तो इस नई शिक्षा नीति नेबड़े व्यापक परिवर्तन के साथ, तमाम सुधारों के साथ उन शंकाओं को दूर कर दिया है। अब यह दुनिया का सबसे बड़ा रिफॉर्म होगा। नई शिक्षा नीति दुनिया केसबसे बड़े विमर्श से निकली हुईनई शिक्षा नीति है। यदि देखा जाए तो जो आप लोगों की चिंता है क्योंकि आप उद्योग जगत से जुड़े हुए हैं और यह देश 130 करोड़ लोगों का देश है। इस देश में बाहर से क्या आरहाहैएक बार उसके बारे में विचार कर लीजिए। इस देश में किस चीज की जरूरत है,उसके बारे में विचार कर लीजिए। इसदेश में जो हमारी प्रतिभा हैं और जो आपका हुनर है उसको तकनीकी के साथ जोड़कर के उद्योगों में क्या परिवर्तन करना था, उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उस गैप को खत्म करने की ज़रूरत थी और इसलिए इस नई शिक्षा नीतिको हम नए कलेवर के साथ लाएं हैं जो भारतीयता के आधार पर खड़ी होगी। जब मैंभारत कहता हूं तो यह सामान्य भारतनहीं होता है। वो भारत कौटिल्‍य का भारत होता है, वो भारत चरकका भारत होता है, वो भारत सुश्रुतका भारत होता है, वो भारत नागार्जुन का भारतहोता है, वो भारत जो पातंजलि का भारतहोता है और वो भारत के उन लोगों का होता है जिन्होंने भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित किया और ‘‘एतद्देशप्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मनः स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन्पृथिव्यां सर्वमानवाः’’जिनके पास पूरी दुनियां ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, तकनीकी इस सब को प्राप्त करने के लिए आती थी मैंउस भारत की बात करता हूं। इसलिए आज पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। यदि मेरे देश के प्रधानमंत्री ने कहा हैकि स्वर्णिम भारत कीजरूरत है उस स्वर्णिम भारत की आधारशिला को लेकर नईशिक्षा नीति आई है।यह नेशनल भी होगी, यहइन्टरनेशनल भी होगी, यहइम्पैक्टफुल भी होगी, यहइन्‍क्‍लुसिवभी होगी, यहइन्‍टरेक्‍टिव भी होगी और यह इनोवेटिव भी होगी, यह इक्विटी, क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी होगी। इसीलिए जब मैं नई शिक्षा नीति को कहता हूं तो इसमें कंटेंट भी होगा, पेटेंट भी होगा। हम कंटेंट को पेटेंट से जोड़नहीं पाये थे मैं जब मैंसंस्थाओं में जाता हूं तो मैंने एकअनुरोध किया है कि यह पैकेज की होड़ से पेटेंट की होड़ हो सकती है कि नहीं। जिस दिन इस भारत में पेटेंट की होड़ लग जाएगी मेरे युवाओं में उस दिन भारत अपने आप ही पूरी दुनिया कासर्वशक्तिमान राष्‍ट्र बन जाएगा यहअब लोगों को समझ में आ गया है। अब उस राह पर चलना लोगों ने शुरु कर दिया है। इसलिए मैं यह समझता हूं कि जहां हम कंटेंट भी करेंगे,वहांहम कैरेक्टर को भी करेंगे वहां हम उसके टैलेंट को भी खोजेंगे तो उसको विकसित भी करेंगे औरउसका विस्तार भी करेंगे। यह जो नयी शिक्षा नीति है वो शोध और अनुसंधान पर भीआधारित होगी, जहां नेशनल रिसर्चफाउंडेशन की स्थापना होगी। वहांतकनीकी को अंतिम छोर तक के व्‍यक्‍ति तक पहुँचाने के लिए भी नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम का गठन करेंगे। मैं इस बात से सहमत हूं कि जिस दिन पूरी ताकत के साथ इस खाई को पाटा जाएगा, उद्योग और हमारे विद्यार्थियों की शिक्षा के तकनीकी संस्‍थानों चाहे वोमेरे आईआईटी हों, एनआईटी हों,आईसर हों,आईआईएम हों और विश्वविद्यालय हों,  जिस दिन मेरे राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों और उद्योगों का के बीच समन्वय हो जाएगा तब दुनिया की कोई ताकत नहीं कि मेरे देश के सामने कोई खड़ा भी हो सकता है।हममें क्योंकि विजनहैहममें ऊर्जाभी है, हमारे भीतर रिजल्ट देने की ताकत भी है लेकिन यह पार्ट-पार्ट में हो रहा है, उसको समन्वित  करने की जरूरत है।  यह देश इतना विशाल देश है किकहीं भी जाया जा सकता है। अब उस दिशा में शिखर को पाया जा सकता है। जब इस मिशन के साथ हम करेंगे तो निश्चित रूप में हम स्‍वयं कंटेंट भी तैयार करेंगे और पेंटेंट भी हमारा होगा। हमारे भीतर आत्मविश्वास भी होगा,हमारा समर्पण भी होगा किहमकोकरना क्या है और यहकेवल शिक्षार्थियों एवं विद्यार्थियों पर ही लागू नहीं होता है क्‍योंकि नियम तो सबके लिए होता है। यदि किसी उद्योग में समर्पण नहीं है,यदिकोई विजन नहीं है, टारगेट नहीं है, तो मुझे लगता है वो बहुत दिनों तक खड़ा नहीं रह सकता। उसके लिए विजनहोना जरूरी है। विजन के साथ उसके समर्पण के साथ ही जीवन-मरण के प्रश्न पर उसका जो टारगेट है उसको पाने कीललकहोनी चाहिए, वह जरूरी है। आज कैपेसिटी बिल्‍डिंग के साथ ही हमको नेशन बिल्‍डिंग पर भी फोकस करना है तथा ऐसी क्षमता का निर्माण भी करना है। मैं यह समझता हूं कि इसकी जरूरत है,सुशासन की जरूरत है। यह जो जीवन है उसके साथ जोड़ने जरूरतहै यह हमारी नयी शिक्षा नीति आज उसी का एक प्रयाय है। मुझे बहुत खुशी है कि आपनेजिस बात को कहा है कि क्या उद्योगऔर शैक्षणिक संस्थान यह दोनों मिलकर के काम कर सकते हैं, कर सकते हैं। यदि नेशन को आपने ताकत देनी है तो इसके लिए कोई किंतु-परंतु नहीं हो सकता। किस तरीके से करना है वह रास्ता हम को तय करना है और मैं बनर्जी जी से कहूंगा यह महासचिव हैं इस दिशा में सबसे परामर्श करने के बाद जो अभी आपने कहा, जब हम पिछलीबार जून में जुड़े थेतब भी यह आशा की थी कि हम लोगों को एक कमेटी गठित करनी है,एकटास्कफोर्स गठित करनी है। वो टास्कफोर्स हमनिश्चित रूप से गठित करेंगे। आपकुछ नामोंकोदे दीजिए। अनिल जोजो मेरे साथ जुड़े हुए हैं मैं इनको कहूंगा कि आपकी उस टास्कफोर्स में जो हमारी युक्ति-1 और युक्ति-2 है।युक्ति-1मेंआईआईटीमें जितने भी हमारे छात्रों ने आज शोध और अनुसंधान किया है, इस बीच कोविडके दौरान हमारी क्षमता देखिए हमारीताकत देखिए हमारे बच्चों ने आज शोध और अनुसंधान किया है। रामगोपाल जी जुडे हुए हैं जब ऐसी परिस्थिति आयी और देश के प्रधानमंत्री जी ने बताया कि नौजवान क्या कर सकते हैं तो हमारे आईटी के छात्रों ने अपना हुनर दिखाया।आज हमारे अपने सस्ते और टिकाऊ वेंटीलेटर हमने तैयार किये। हमने बहुत कम समय में और हंड्रेड परसेंट रिजल्ट देने की क्षमता वाली टेस्टिंग किट तैयार की। आईआईटी दिल्ली नेफिर एक कंपनी के साथ एमओयू करके आज पूरी दुनिया को भी हमने भेजा। इस बीच तमाम अनुसंधान छात्रों ने किये हैंऔर युक्ति-2 में तो अनिल सहस्‍त्रबुद्धे जी को मालूम है कि जितने भी इनके बच्चों के आइडियाज हैं, हजारों-लाखों युक्ति-2पर आ करकेसारे इकट्ठा हैं। देश के लिए इतना बड़ा प्‍लेटफॉर्मबनाया है जिसका विजिटजो चाहे उद्योगपति, कृषक सभी करके वहां से अच्‍छे आईडियाज को अपने साथ लेकर जा सकते हैं। इसीलिए मैं समझता हूँ कि यह बहुत अच्छा है औरदेश नई अंगड़ाई ले रहाहै तथा  तेजी से लोगों की मनःस्थिति बदल रही है। इस नई शिक्षा नीति के लिए तोपूरी दुनिया और देश ने उत्सव मनाया है। दुनिया भी इस नई शिक्षा नीति को लेकर के बहुत लालायित एवंउत्सुक है तथातमाम देशों ने कहा है कि हम भी भारत की शिक्षा नीति को अपने यहां लागूकरना चाहते हैं। अभी दो-दिन दिन पहले संयुक्त अरब अमीरात के शिक्षा मंत्री और उनका पूरा ग्रूप मेरे साथ जुड़ा था जब उन्होंने कहा कि हम इस नई शिक्षा नीति को अपने यहां लागूकरना चाहते हैं। अभी कुछ ही दिन पहले कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने भीकहा कि भारत तो ज्ञान का बड़ा केन्द्र था। यह कैम्ब्रिज नेकहा कि भारत बड़ा केन्द्र था जो यह अब नयी शिक्षा नीति आई है अब वह पुनर्जागरण के साथ सम्‍पूर्ण विश्व को मार्गदर्शन दे सकती है और हम दुनिया के सभी शिक्षा मंत्रालयों के साथ मिल करके आपके अभियानको आगे बढ़ाने की इच्छा प्रकट करते हैं। यह हमारी ताकत है और इस नई शिक्षा नीति की वो ताकत है इसलिए मैं समझता हूं कि यह अवसर अच्छा अवसर है इस अवसर को हमें हाथ से जाने भी नहीं देना है।इसलिए जब अच्‍छे अवसर आते हैं और फिर जब मौसम अच्छा रहता है तो उसी ताकत के साथ एवं गतिशीलता से दौड़ना भी पड़ता है। मुझे भरोसा है कि जो आज सर्वेक्षण एआईसीटीई और दोनों ने मिलकर के जो काम किया है उसके लिए मैं एआईसीटीई को भी बधाई देना चाहता हूँ कि आपने औद्योगिक क्षेत्र में विश्व रैंकिंग करने का जो नया कार्य किया है, वह बहुत अच्‍छा है उद्योगों की दृष्टि से कैसे रैंकिंग हो सकती है और संयुक्‍त रूप में हमलोग किस तरीके से रैंकिंग निर्धारित कर सकते हैं इस पर बहुत अच्छा कार्यगहन चिंतन-मननके साथ होना चाहिए। हमने आईआईआईटी को पीपीपी मोड में किया है। आपको मालूम है कि भारत सरकार 50 प्रतिशत, राज्य सरकार 35 प्रतिशत और उद्योग जगत 15 प्रतिशत उसको योगदान देता है।हमारे आईआईआईटी बहुत खूबसूरत एवं अनुकरणीय पीपीपी मॉडल  के संस्‍थानों का आदर्श हैं। मैं जब आईआईआईटी के आयोजनों में सम्‍मिलित होता हूं तो मुझे लगता है कि आने वाले भविष्‍य में मेरे यह संस्‍थान शिखर को चूमेंगे।यहजो उद्योगों के दृष्टिकोण से मानकों को रखने एवं रैंकिंग निर्धारण का जो आपने प्रावधान रखा है, वह बहुत अच्‍छा है और केंद्र सरकार के द्वारा चलाए जा रहे सभी तकनीकी संस्थानों में भी इस तरीके के लागू होना चाहिए ताकि लगे कि हमको उद्योगों के साथ किस तरीके से जुड़ाव और लगाव है। हम अलग नहीं हैं। मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा ही होगा और वो जो संयुक्त कार्य दल बनाने की आपने बात की है उससे मैं बिल्कुल सहमत हूं और जितना जल्दी हो सकता है उसको बननाही चाहिए। यहजो प्रधानमंत्री डॉक्टरल रिसर्च की आपने 2012 में शुरुआत की थी यह भी बहुतअच्‍छाकार्यक्रम थालेकिन मैं सोचता हूं किबहुत तेजी से काम भी कर रहा है लेकिन रिजल्ट जिस अनुरूप निकालना था वो क्यों नहीं निकल रहाहै इस पर विचार करने की जरूरत है। लेकिन आपकी बात तो अच्छी है। पहले बात तो यह अच्छी पहल है इसको और किस तरीके से आगे बढ़ाया जा सकता है आपकेअनुसंधानों को रिजल्ट के रूप में परिवर्तित होना चाहिए।समझता हूँ यदि उसकी भी एक ओर कमेटी के स्वरूप में लगातार समीक्षा करते रहेंगे तो बहुत अच्छा होगा बल्कि मैं तो यह कहता हूँ कि इसको विज्ञान और सामाजिक विषयों पर भी आपको आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि आपका जो सीआईआई है वहशैक्षणिक उत्थान की दृष्टि से आपका मिशन है और जहां उद्योगोंकाऔर समन्‍वयहोना चाहिए तथासार्वजानिक क्षेत्र की भी गतिविधियों में उन्नयन होना चाहिए। तोआप विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में भी यदि उसको करेंगे तो बहुत अच्छा होगा। आज जो आइपेट नामक दो परीक्षाएं हैमैं सोचता हूँ कि इनको भी आगे बढ़ना चाहिए। इससे जो बड़ी बड़ी कंपनियां हैं उनमें हमारे छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अच्छा अवसर मिल सकता है और उद्योग जगत के लिए भी यह बहुत महत्वपूर्ण होगा। मेरे जो छात्र हैं जिनको रोजगार की दिशा में जाना है उनके लिए भी अच्छा होगा। जैसे अभी अनिल जीने कहा कि यदि हम इंटर्नशिप के माध्‍यम से विद्यार्थियों की प्रतिभा को जोड़ते हैं तो वह विद्यार्थी उस संस्थान को भीबढ़ाएगा  तथा उसे  पीछे नहीं आने देगा और हो सकता है कि उसके बाद वहउसको छोड़ें ही ना। उसको कहो कि तुम साथ-साथ अध्‍ययन करो लेकिन तुम इस उद्योग में भी भागीदारी करते हुए इसकी बारिकियों कोभी सीखों क्‍योंकि तुम प्रतिभाशाली हो और वो आपको आयडियाज देगा। पूरी दुनिया की शिक्षण व्‍यवस्‍था का अध्‍ययन करके कि किस देश में क्या हो रहा है और मुझे अब उससे भी आगे कहां जाना है। यह उसमें क्षमता है, उनकी विराटता है। इन छात्रों में और हमारे देश में टैलेंट की बिल्कुल कमी नहीं है और इसको लीडरशिप देनी होगी, इसको वैश्विक परिवेशमें आगे बढ़ाना होगा।मैं यह समझता हूँ कि एक बार आप सब लोग बैठें और जितने भी ओद्योगिक क्षेत्र के लोग हैं आप यह तय कर दें कि सीएसआर के फंड उपयोग शैक्षणिक क्षेत्र के उन्नयन की दिशा में लगेगा तो यहक्रांतिकारी कदम होगा औरवो उद्योगों के साथ जुड़ेंगे। यहां जो आत्मनिर्भर भारत का मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने आह्वान किया है कि आईआईटी से निकलने वाला हरछात्र, एनआईटी से निकलने वाले छात्र, इंजीनियरिंग कॉलेजों से निकलने वाले छात्र निश्चितरूप से एक स्टार्टअप को लेकरजाऐंगेऔर मेरा भारत उस दिन आत्मनिर्भर हो जाएगा। ऐसा हो सकता है कोई दिक्कत नहीं है। एक बार थोड़ा सा समन्‍वय करने की आवश्‍यकता है, उसमें क्षमता तो है ही इसलिए दूसरों को भी लीडरशिप देकर दुनिया के देशों को आगे बढ़ा रहे हैं। दुनिया के देशों कीयदि आप समीक्षा करें तो जैसे मैंने अभी कहा कि आईआईटी से निकलने वालेछात्र,यह देश 130 करोड़ लोगों का देश है। यदि देश काजितना मार्केट के रूप में आप अध्‍ययन करेंगे तो देखेंगे कि50 देशों के बराबर अकेला अपना हिन्दुस्तान है जो पूरी दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और इसलिए जब आपको याद होगा कि एक बार  आदरणीय अटल बिहारी बाजपेयी जी ने जब परमाणु परीक्षण की बात की थी तब कुछ देशों ने हिंदुस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की बात की थी और कहा था कि यदि आपने यह किया तो हम आपको अनुदान नहीं देंगे, भीख नहीं देंगे और अटल जी ने पूरी ताकत के साथ कहा था कि नहीं, मेरा देश किसी को छेड़ता नहीं, किसी से हम लड़ने के लिए नहीं लेकिन हम अपनी ताकत के विकास के लिए परमाणु परीक्षण जरूर करेंगे और आपको याद होगा कि कई संपादकीय में लिखा गया था कि अटल जी ने बहुत खतरनाक खेल किया है। अब दुनिया से, अमेरिका से, पैसा नहीं मिलेगा, लोन नहीं मिलेगा, कर्ज नहीं मिलेगा और अटल जी ने एक ही सूत्र दिया था कि देश में न कोई आयात होगा और न देश में कोई निर्यात होगा। बाहर से कोई चीज देश के अंदर नहीं आएगी और देश से कोई चीज बाहर नहीं जाएगी। छह महीने मेंदुनिया की आंखे खुल गई थी। दुनिया नहीं रह सकती हिंदुस्तान के बिना, यही हमारी ताकत है। देश से कोई चीज बाहर नहीं जाएगी और केवल इसएक सूत्र ने पूरे देश को खड़ा कर दिया था।मैं समझता हूं कि आज हमारे प्रधानमंत्री जी ने जो आत्मनिर्भर भारत की बात की है, वह बहुत महत्वपूर्ण बात की है। हर एक छात्र योद्धा की तरह निकल कर के बाहर आए और वो इस होड़ में न जाए कि मुझको विदेश में जाकर कितना पैकेज मिल जाये। उसकी प्रतिभा को यहां किसी उद्योग के साथ कैसे संबंध से हम कर सकते हैं। आज इसकी जरूरत है। मुझे भरोसा है कि जो हमारे देश के प्रधानमंत्री ने 5 ट्रिलियन डॉलर आर्थिकी की बात की है और उसके लिए उन्होंने मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया जैसे रास्ते भी दिखाये हैं। हमारे पास स्किल भी है, हमारे पास कौशल भी है और मेक इन इंडिया क्यों नहीं हो सकता। पूरी दुनिया में मेक इन इंडिया होना चाहिएक्‍योंकि यह देश इतना बड़ा है और विजनरी देश है और जिस दिन उद्योग और मेरी यहप्रतिभाएंदोनों मिल जाएंगे उस दिन पूरी दुनिया में मेक इन इंडिया ही दिखाई देगा। कोई देश दिखाई भी नहीं देगा और वो दिन आ रहा है तथा वो तेजी से बढ़ रहा है। उसके समन्वय के लिएसीआईआईको जरूर उसकी लीडरशिप लेनी चाहिए। इसलिए लेनी चाहिए क्‍योंकिआपका125 वर्षों का इतिहास है। आपने हर कदम पर देखा है, झेला है, रास्ते निकाले हैं देश की खराब परस्थितियों को भी देखा है और अबजब देश उत्थान के उत्कर्ष पर है आप उसको भी देख रहे हैं और उसके सहभागी भीबन रहे हैं और इसलिए मैं समझता हूं कि यह अच्छा मौका है जब हम नई शिक्षा नीति के माध्यम से उसकी आधारशिला रखकर उसको आगे बढ़ाने की आप कोशिश कर रहे हैं। मैं आप सब लोगों को शुभकामना देना चाहता हूं और मुझे भरोसा है कि जो अद्भुतस्वीकार्यता मिली है नई शिक्षा नीति को और वह के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट हो गया है और दुनिया के लिए उत्सुकता का कारण बना है उसकाहमताकत के साथ क्रियान्वयन करेंगे। शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में चाहे नेशनल रिसर्च फाउंडेशन हो और चाहे नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरमहो इन दोनों की गतिविधियां जो भविष्य में आने वालीहैउससे उद्योगों, छात्रों एवं शोध-संस्‍थानों के बीच बेहतर समन्‍वय होगा। हम कह सकते हैं कि ऐसीनई चीजें इस देश में होनी चाहिए और जिसका मैंने अभी आपको एक उदाहरण दिया कि जब परिस्‍थितियांहोती हैं तो दूसरे भीखड़े हो जाते हैं। मुझे भरोसा है कि आपका जोविजन है और जिस तरीके का आपका मिशन है वो इस देश को आत्मनिर्भर भारत एवं5ट्रिलियनडॉलर की आर्थिकी तक जाने का जो रास्ता है उसेउद्योग, नई शिक्षा नीति और हमारे शैक्षणिक संस्थान और उद्योग यह सब मिलकर के उस रास्ते को आगे बढ़ाएंगे और वैसे भी भारत पूरी दुनिया में ज्ञान की महाशक्ति के रूप में तेजी से उभर रहा है। आज लोग महसूस करेंगे और अभी दो साल बाद देखिएगा। अभी तो यह नया है और पूरी दुनिया के अंदर हलचल है। अभी तो हमारे कुछ लोगों को स्वीकारने में भी हिचक होगी क्‍योंकि उनको लगता है कि सौ डेढ़ सौ सालों की उस गुलामी के जो थपेड़े हमारे मन मस्तिष्क पर पड़े हैं।उनके कारण सहज तरीके से अपने को भी खड़ा करने में वक्त लगेगा। लेकिन पूरी ताकत के साथ जब यहकाम होगा तो देखिएगा कि हमारे यहां विजनकी कमी नहीं है और मेहनत की कमी नहीं है तो विजन और मिशन जब मिलता तो नई चीज पैदाहोती है, वो हमारे पास है और फिर यह देश तो आने वाले 25 बरसों तक यंग इंडिया रहने वाला है। क्‍या नहीं कर सकते हम सब कुछ कर सकते हैं केवलजरूरत है लीडरशिप की।वैसे भी यह जो नयी नीति तो बहुत अच्छी बनी है लेकिन इसको नीचे तक क्रियान्वित करना औरढांचागत रिफॉर्म का परिणाम किस तरीके से नीचे तक ला सकते हैं। इसके बीच की कड़ी आपकी लीडरशिप हो सकती है। इस नीति को नीचे तक व्यावहारिक रूप में, प्रेक्टिकल रूप में नीचे तक ले जाने के लिए आपकी लीडरशिप में जरूर होगा ऐसा मेरा भरोसा है। मैं आज आपको बहुत शुभकामना देना चाहता हूं यह शैक्षणिक गतिविधियों का जो सम्मेलन है इससे बहुत कुछ निकलेगा और इससे वो चीज निकलेगी जिसकी देश हमसेअपेक्षा कर रहा है।परिवर्तन करने वाले आप ही लोग हैं। कोई आसमान से टपक करके परिवर्तन करने के लिए नहीं आएगा। मुझे भरोसा है कि यह जो क्षण  हैं वो एक नये भारत के उदय को सुनिश्‍चित करेगा औरजिस दिन भारत नये भारत के रूप में आएगा स्वत:स्फूर्त विश्व एक नया विश्‍वबन जाएगा क्योंकि भारत का बल पूरे विश्व के बराबर है और उसमें सामर्थ्य है, पूरी दुनिया को अपने में समेटने की और जिस बात को मैं बार-बार कहता हूं कि एक परिवार के रूप में हमने पूरी दुनिया को देखा है और उस दुनिया के परिवार को हम सब और सम्पन्न भी करनाचाहते हैं उसे आगे बढ़ना भी चाहते हैं। हम संस्कारों एवं जीवन-मूल्‍यों  की भी प्रगतिचाहते हैं,इसलिए जो सीआईआईजो विश्व स्तर पर यह शिक्षा का संवाद आयोजित कर रहा है, वह उस दिशा में भी कड़ी बनेगा। वैसे भी इस समय शिक्षा संवाद मैं लगातार कर रहा हूं और तमाम देशों के शिक्षा मंत्री और तमाम देशों के राजदूत इस बात को कहते हैं कि हमेंभीशिक्षा का संवाद चाहिए। बाहर के लोग हमारे अंतरराष्ट्रीय शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों को अपने देश के अंदर आमंत्रित किया है और हम अपने शीर्ष विश्वविद्यालयों को भी दुनिया के देशों में भेजनाचाहते हैं। अभी कुछ दिन पहले आईआईटी के दीक्षांत समारोह में डॉ.राम गोपाल रावजीने कहा है कि आज विदेशों में कई देशों में लोग लगातार आग्रह कर रहे हैं इनकोहां, बोलना है। हमारे शिक्षकों को भेजना हैतो मैंने उनको कहा जितना जल्दी हो सकता है जाओ, हमको दुनिया पर जाना है। हमारे आईआईटीज के बाद दूसरेनए फिल्‍ड में भी प्रतिभाओं को लगना चाहिए। हिन्दुस्तान में ज्ञान के तहत हम विदेश की फैकल्‍टी को इधर लाते थे लेकिन मैने कहाज्ञान प्लस होना चाहिए हमारेयहां कि फैकल्टी भीदुनिया को पढ़ाने के लिए जानी चाहिए और वो हो रहा है। मुझे इस बात की खुशी है कि मैं विगत डेढ साल से इसकोदेख रहा हूं। मैं अपने आईआईटीज के अंदर जाकर घुस करके देखता हूं, अपने विश्वविद्यालयों के अंदर देखता हूं, शीर्ष संस्थाओं के अंदर देखता हूं  मुझको दर्शन मिलता है औरमुझे बहुत भरोसा है कि हम दुनिया के सबसे बड़ी शिक्षा का आधार बनेंगे और जो लोग हमसे अपेक्षा कर रहे हैं जो देख रहे हैं कि पूरी दुनिया का शिक्षा का यह सबसे बड़ा भंडार होगा और हमारा देश महाशक्ति के रूप में उभरेगा आपकी ताकत से, जुड़ाव से, लगाव से और अभियान से हमारी देश के लोगों की यहइच्छा भी पूरी होगी। मैं एक बार फिर आप सब लोगों को शुभकामनाएं देता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. डॉ. बी.वी.आर. मोहन रेड्डी, अध्‍यक्ष, सीआईआई शिक्षा परिषद्
  3. डॉ. चंद्रजीत बनर्जी, महानिदेशक, सीआईआई शिक्षा परिषद्
  4. डॉ. पंकज मित्‍तल, महासचिव, भारतीय विश्‍वविद्यालय संगठन
  5. डॉ. अनिल सहस्‍त्रबुद्धे, अध्‍यक्ष, एआईसीटीई
  6. डॉ. राम गोपाल राव जी, निदेशक आईआईटी दिल्‍ली

विश्‍व शान्‍ति के लिए वेद पर आधारित द्वितीय अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन

विश्‍व शान्‍ति के लिए वेद पर आधारित द्वितीय अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन

 

दिनांक: 11 दिसम्‍बर, 2020

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

वेद और विश्व शांति के इस अभियान के दूसरे चरण में आज पूरी दुनिया से जुड़े सभी भाई और बहनों का मैं अभिनंदन करना चाहता हूं। दुनिया के एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका सहित 15 से भी अधिक विश्‍वविद्यालयों से जुड़े हमारे मित्र और काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय के कुलपति एवं विश्‍वविद्यालय के वैदिक विज्ञान केन्‍द्र के समन्‍वयक सहित मैं सभी लोगों का इस बहुत ही महत्वपूर्ण कार्यक्रम के लिए अभिनंदन करना चाहता हूं। आज हमारे साथ  सौभाग्‍य से इस अभियान में जो यह दूसरे चरण का अभियान है जो कि टोनी नाडार जी ने शुरू किया है उसमें कुरासाओ के प्रधानमंत्री श्री यूजीन रघुनाथ जी भी जुड़े हैं, मैं आपका भी अभिनंदन कर रहा हूं, स्वागत कर रहा हूं और आपकी अच्छी भावनाओं के लिए आपको साधुवाद देना चाहता हूं। कुरूसाओ की पूर्व-प्रधानमंत्री श्रीमती सूजी जी मैं आपका भी अभिनंदन कर रहा हूं और इस बड़े अभियान में आपका स्वागत कर रहा हूं।

आज बड़े वैश्‍विक परिदृश्य में यह बेबीनार हो रहा है ऐसे समय में जबकि पूरी दुनिया संकट से गुजर रही है। कोविड के ऐसे वक्त में विश्व कल्याण के लिए यह बेबीनार आयोजित हो रहा है। मुझे याद है कि जब मैं पेरिस में था तब आप श्री टोनी नाडार जी मुझसे मिलने आए थे और मुझे आपने विज्ञान के दो ग्रंथ भेंट किये थे मुझे बहुत खुशी हुई थी कि आप मिशन मोड में वेद को पूरे विश्व  में आगे बढ़ाने के लिए उसके शोध और अनुसंधान करने की दिशा में काम कर रहे हैं।मुझे तब भी बहुत अच्छा लगा था और तब से लेकर आज तक निरंतर यह ज्ञान अब पूरे विश्‍व के लिए शुरू हो गया है।

जब शुरू के पहले चरण में दुनिया के 6 देशों के शिक्षा मंत्री जुड़े थे लेकिनआज दुनिया की तमाम शीर्ष शिक्षण संस्थाएं और हमारे प्रधानमंत्री जुड़ रहे हैं। राजा लुईस भी हमारे साथ लगातार शुरू से ही जुड़े रहे हैं और जिस तरीके से अभी उनका जो प्रस्तुतीकरण था वह अद्भुत था। वेद के अंदर जो विज्ञान था उसको उन्होंने हमारे सामने प्रस्तुत किया है। जो उनकी रुचि है, जो उनकी जिज्ञासा है, वो देखने लायक है और वेदों पर जो उनका ज्ञान है और उस ज्ञान को अभियान के रूप में विश्व के लोगों तक ले जाने का जो उनका मिशन है उसके लि मैं उनका भी अभिनंदन करना चाहता हूं। हमारे प्रो. राकेश भटनागर जी, जो हमारे कुलपति हैं, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के आज उनके आतिथ्य में आप पूरी दुनिया के तमाम विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलाधिपति और प्रधानमंत्री गण, पूर्व प्रधानंत्री गण और पूरी दुनिया के शिक्षाविद और वेदों से जुड़ाव रखने वाले तथाविश्व को शांति से आगे बढ़ाने की लालसा रखने वाले दुनिया के लोग जुड़े हुए हैं, आपका भी अभिनंदनकरता हूं।

डॉ. राजेश नैथानी हिमालय यूनिवर्सिटी के पीबीसी हैं और हिमालय में ही वेद का जन्‍म हुआ है तथा वेद पर व्यापक तरीके से उनकी युनिवर्सिटी अभी दान कर रही है। आज श्री कृष्ण मुरारी त्रिपाठी जी जो हमारे बीएचयू के वेद विभाग  के विद्वान हैं और प्रोफेसर उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी जो समन्‍वय हैं वैदिक विज्ञान केन्द्र केमैं आपको भी बधाई देना चाहता हूं कि आपकी अगुवाई में जो हमारे प्रधानमंत्री जी का मन था, हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की जो छटपटाहट थी,जो उनके मानसमेंपूरे विश्व की मानवता के लिए वेदों के माध्यम से कल्‍याण की जो भावना है मुझे भरोसा है कि आप इस दिशा में आगे  और भी काम कर रहे होंगे। हमारे साथ डा.पूज्‍यस्वामी जी और गोविन्द गिरि महाराज जी भीजुड़े हुए हैं। ऐसी सार्थक गतिविधियों में महाराज जी का बहुत योगदान रहता है।

अभी डॉक्टर रामसागर मिश्रा जी आपके संयोजकत्व में ये काम बढ़ रहा है जिसके लिए आप बहुत बधाई के पात्र हैं। प्रो. अमिताभ भट्टाचार्य जी जो कला प्रदर्शनी विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हैं और हमारे चांसलर कुरासाओयूनिवर्सिटी सेकार्ल कमेलिया जी,मैं आपका अभिनन्दन करना चाहता हूं और आपने जो सम्मान मुझे दिया है इसके लिए भी मैं आपका अभिनंदन करता हूं। मैं यह सम्मान उन लोगों को अर्पित करता हूं जो वेदों के माध्यम से विश्व में शांति लाना चाहते हैं।

आपका जो यह सम्मान है। उसे मैं उन सारे मनुष्‍यों को अर्पित करना चाहता हूं जो विश्‍व में शांति एवं सद्भाव का प्रसार करना चाहते हैंमुझे बहुत खुशी है कि आज दुनिया के तमाम लोग हमारे साथ जुड़े हुए हैं और पारंपरिक शाश्वत ज्ञान को आधुनिक ज्ञान विज्ञान से जोड़ने की जो शैक्षणिक क्षेत्र में अपनी मानवीय मूल्यों को विकसित करने की जो सराहनीय पहल है, उसके लिए मैं आपका आभारी हूं, प्रधानमंत्री जी का आभारी हूं, चांसलर साहब मैं आपका  भी आभारी हूं। मुझे लगता है कि विश्व शांति के लिए वेद विषय पर अभी बहुत अच्छे तरीके से राजा लुईस जी ने और टोनी नाडार जी ने अपनी बातों को रखा है जिसके सन्‍दर्भ में मुझे लगता है कि आज यदि आप उस दिशा में सोचें और विश्‍व में अशांति के कारणों पर विचार करें तो क्या कारण है कि जो आतंकवाद, हिंसा, वैमनस्यता, गरीबी, भुखमरी एवं पर्यावरण की तमाम चुनौतियों जैसेमौसम परिवर्तन की चुनौतियां, भू-स्‍खलन या भूकम्‍प तथा अन्‍य जो विभिन्न प्रकार की आपदाएं  हैं जिनके कारण आज विश्‍व में अशांति है एवं जैसा किटोनी नाडार जी ने जिस बात को कहा कि इसके मूल में तो यह व्यक्ति ही है जो ईश्वर की सबसे सुंदरतम कृति है मनुष्य।इस मनुष्‍य से ही यदि इसका मन ठीक है, इसका तन ठीक है तो सब कुछ ठीक हो सकता है इसका मन कैसे ठीक हो तबमुझे लगता है कि इसके सन्‍दर्भ में आज वेदों की जरूरत है। उस वेद की जो सबसे पहले तो पूरे विश्व को अपना परिवार मानता है। यह मेरा है, यह तेरा है यहां से शुरू होती अशांति लेकिन‘अयं निज: परो वेति गणना लघु चेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्‍बकम्’जबपूरी वसुधा को वह अपना परिवार मानेगा तो यह मेरा और यह तेरे की बात ही खत्म हो जाएगी कि सारा संसार मेरा परिवार है औरवहीवेद कहता है। यह सारी जो धरती है यह मेरी मां है जिस दिन धरती को मैं अपनी मां मानूंगा, समझूंगा, महसूस करूंगा, उस दिन धरती पर पैदा होने वाला हर जीव-जंतु मेरा अपना अंग होगाइस पृथ्‍वी पर पेदा होने वाला प्राणी अपना भाई होता है और उस प्राणी के लिए ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया’की बात हम करते हैं जब तक एक भी प्राणीदुखी रहेगा तबतक मैंसुख का अनुभव नही कर सकता,यह है मेरा वेद,यही है जो सबके सुख की कामना करता है। यह हमारा वेद हर जगह खड़े होकर के मानवता की बात करता है और इसलिए मैं समझता हूं कि यह जो अशांति है, यहअशांति मन की अशांति है। आज यह अशांति तब पैदा हुई है जब कोई न कोई ऐसी परिस्थितियां अत्‍यंत्र हुई हैं और जब व्यक्ति ने अपने को उस शास्‍वत ज्ञान से दूर किया है।

हम सब साथ-साथ चलना चाहते हैं, सब साथ भोजन करेंगे, साथ चलेंगे, साथ पुरूषार्थ करेंगे और किसी के धन का कोई लोभ नहीं है, लालच नहीं है। जो प्रकृति के कण-कण में हमने व्याप देखा है उस ईश्वर का हमारे अंदर जैसा कि अभी टोनी जी ने भी कहा कि यदि मैं ही ब्रह्म हूं और मेरे अंदर सब कुछ समाहित है और पूरी दुनिया में एक-दूसरे से कोई भिन्नता ही नही है तोफिर और कहां से अशांतिहो जाएगी? लेकिन अशांति का कारण यह है कि हम प्रकृति से दूर हो गए। हमारे वेदों में प्रकृति के साथ सामंजस्य की बात कही गई है जब प्रकृति के साथ हमसमन्‍वय करते हैं तो उससे संस्कृति बनती है और संस्कृति रचना का काम करती है, निर्माण का काम करती है और जब हम उस प्रकृति से दूर जाते हैं तब वो वक्रिृति होती है और प्रकृति हमेशा विनाश का कारण होती है और यह बात वेद हमको कहते हैं। हमारे वेदों की तमाम ऋचाओं में हम वृक्षों का वंदन करते हैं, अभिनंदन करते हैं।

हमारे सुख और दु:ख के जो भी क्षण होते हैं उनमें सबसे पहले हम उन पेड़ पौधों का गुणगान करते हैं और उनको नमस्कार करते हैं। उनका पूजन करके उनका बंदन करते हैं धरती मां का वंदन करते हैं। हम जीव-जंतुओं का वंदनकरते हैं। यह जो वेदों की ताकत है आज दुनिया को इसकी ज़रूरत है।आज वेद की जरूरत है क्‍योंकि वेद में विज्ञान भी है औरवेद में जीवन भी है, सब कुछ है। बस वेद केवल को जितना विस्तार देंगे हम जितना शोध और अनुसंधान करेंगे उतना ही हम इस दिशा में आगे बढ़ेंगे। मुझे इस बात को कहते हुए खुशी और गर्व महसूस होता है कि भारत की जो नई शिक्षा नीति है वह भारत केंद्रित होगी। जैसा कि इस केन्‍द्र के उद्घाटन के अवसर पर हमारे आदरणीय प्रधानमंत्रीजी श्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने अपना वक्तव्य देते हुए कहा था किहमारे प्राचीन को वर्तमान से जोड़कर नवाचार और अनुसंधान के साथ आगे लेकर के चलना है तभी मानवता का कल्याण होगा। मेरा सौभाग्य है कि जहां वेदों का जन्म हुआ है, मैं उसी हिमालय से आता हूं और इसलिए आज मैं समझता हूं कि वेद तो सारी दुनिया के लिए प्राण हैं। अच्छे समाज, अच्छे इंसान, अच्छी प्रकृति, अच्छी प्रवृति और अच्छे मानव के लिए वेद आज भी एक ऐसे अचूक अस्त्र के समान हैं जिसकी आज दुनिया को जरूरत है।

टोनी नादर जी मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आपने इस अभियान को आगे बढ़ाया है और हम तो कहते थेविश्‍वको श्रेष्ठ बनाते चलो आज यह हमने सारे विश्व को आगे बढ़ा करके और‘असतो मा सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय’ के मंत्र को लेकर हम चले हैं तथा हम अंधकार को चीर करके प्रकाश लाएंगे। हम असत्य से सत्य की ओर चलेंगे। हम मृत्यु से अमृत्‍व की ओर चलेंगे। हमारे वेदों की एक-एक ऋचाओं में ज्ञान एवं विज्ञान भरा हुआ है जिस पर शोध एवंअनुसंधान की जरूरत है जिस-जिस रूप में जो कुछ ले सकता है वो सब कुछ देने के लिए मेरा वेद आज सक्षम है। मुझे खुशी है कि यह जो अभियान चल रहा है यह अभियान अब रुकने वाला नहीं हैनाडार जी ने मुझसे कहा था कि क्या इस अभियान को लेकर हम दुनिया में जा सकते हैं? मैंने कहा था बिल्कुल जा सकते हैं और जाना भी चाहिए। इसलिए जाना चाहिए क्‍योंकिदुनिया के लोगों को जरूरत है। जब किसी के सामने कोई चित्र रहता है दृश्य रहता है, तो उसके बारे में विश्लेषण करता है देखता है ऊर्जा पैदा होती है उसको मन मस्तिष्क में वह विचार करता है। आदमी के मन-मस्तिष्क में जो कुछ आ जाये बस वही तो आदमी है बाकी यहहाड़-मांस का ढांचा आदमी नहीं हो सकता यह शरीर तो केवल माध्यम है और जो सनातन एवं अजर-अमर है वह तो आत्‍मा है इसलिए हमारी गीता में भी कहा है कि यह शरीर आपका नहीं है, उसके लिए झूठ क्यों बोलना है और जो आपका है वो कभी मर नहीं सकता। वहअजर-अमर है।जो मनुष्य है वह मनुष्य भगवान की सबसे सुंदरतम कृति है। इस कृति को कैसे संजो के रख सकते हैं, कैसे बढ़ा सकते हैं? मुझे भरोसा है कि जो यह अभियान हमारा चल रहा है टोनी नाडारजी यह रुकना नहीं चाहिए। राजा लुईस जीयह रुकना नहीं चाहिए। हमारे प्रधानमंत्री जी ने भीइस बात की घोषणा कर दी है, मुझे खुशी है। भारत और कुरासाओ दोनों देशोंके बीच बहुतअभिन्न संबंध है।

हमारे प्रधानमंत्री जी तो कहते हैं कि‘वसुधैव कुटुम्बकम’ अर्थात् पूरा विश्‍व हीमेरा परिवार है। हम अपने इस परिवार के साथ सुख-दुख में एक साथ रहेंगे और हर कठिनाई का हम लोग सामना करेंगे, मुकाबला करेंगे और इसलिए मैं समझता हूं कि आज का जो यह अभियान हैयहदूसरे चरण का अभियान है जो पूरी तेजी से आगे दौड़ेगा। पूरे विश्व का कोई भी देश, कोई भीव्यक्ति नहीं छूटेगा जब वेद से उसका साक्षात्कार न हो  तब उसका मन बदलेगा। मन बदलेगा तो सब कुछ बदल जाएगा। सब अच्छा होगा जब अच्छा मन रहता है तो सब चीजें अच्छी आती हैं।आज मैं भारत की धरती से दुनिया के जितने भी लोग हमसे जुड़े हैं,उनसबका अभिवादन कर रहा हूं अभिनंदन करता हूं।

भारत तो वसुधैव कुटुम्बकम की गाथा वाला देश हैइसलिए हमारे वेद, पुराण एवं उपनिषद् पूरे विश्व के लिए एक संजीवनी का काम करेंगे। मैं एक बार फिर आप सबका अभिवादन करता हूं कि आपइस अभियान का हिस्सा बन रहे हैं,आप जहां-जहां जो जो भी हैं वे सभी वेदों के संदेश को लेकर के उस अभियान में आगे निकल जाएं। यह केवल बेवीनार तक न रह जाए बल्कि हर व्यक्ति एक संस्था बन करके वेद की उन ऋचाओं को लेकर के विश्व में निकल पड़े किअबविश्व को शांति की जरूरत है। सुख, शांति और प्रगति इस वेद के अंदर समाई हुई है। एक बार फिर आयोजकों को मैं अभिवादन करना चाहता हूं, धन्यवाद देना चाहता हूं और एक बार फिर चांसलर और चांसलर कुरासाओ यूनिवर्सिटी कार्लकमेलिया जी आपका अभिनंदन कर रहा हूं। मैं फिर धन्यवाद देना चाहता हूं जो आपने आज हिन्दुस्तान को यह जो सम्मान दिया है उसके लिए भी मैं आपका अभिनंदन करना चाहता हूं और प्रधानमंत्री जी आपको भी मैं धन्यवाद देना चाहता हूं।

 

बहुत-बहुतधन्यवाद!

 

 

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. श्री नरेन्‍द्र मोदी, आदरणीय प्रधानमंत्री, भारत
  2. श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  3. डॉ. टोनी नाडार, अध्‍यक्ष, महर्षि अंर्तराष्‍ट्रीय विश्‍वविद्यालय
  4. श्री राकेश भटनागर, कुलपति, काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय,
  5. श्री यूजीन रघुनाथ, प्रधानमंत्री, कुरासाओ
  6. कुरासाओ की पूर्व-प्रधानमंत्री, विभिन्‍न विश्‍वविद्यालययों के कुलाधिपति, कुलपति एवं 15 से अधिक देशों के शिक्षाविद्।

 

10वां सीआईआई एजुकेशन समिट

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ 

10वें सीआईआई सम्‍मेलन में उपस्‍थित सभी भाइयो और बहनों का मैं अभिनन्‍दन कर रहा हूं और मुझे प्रसन्‍नता है कि जैसा कि डॉ. चंद्रजीत बनर्जी ने कहा है कि इस आयोजन में 900 से भी अधिक लोग विभिन्‍न क्षेत्रों के विशेषकर शैक्षणिक संस्‍थानों के लोग आज जुड़े हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि एक लंबी यात्रा सीआईआई ने की है। यह संस्‍थान 125 वर्षोंकीयात्रा के बाद भी थका नहीं है और अपनी उन सभी चीजों को नये परिवेश में नये सिरे से एक दिन एक नये अभियान के साथ आगे बढ़ा रहा है। इस अवसर पर सीआईआई शिक्षा परिषद् के अध्‍यक्ष डॉ. बी.वी.आर. मोहन रेड्डी जी, हमारे एआईसीटीई के अध्‍यक्ष डॉ. अनिल सहस्‍त्रबुद्धे जी, डॉ. राम गोपाल राव जी, निदेशक आईआईटी दिल्‍ली, राधिका भरत जी मुझे याद है कि पीछे के समय में हम लोग शिक्षा संवाद में मिले थे जिसमें राधिका जी ने भी बहुत सक्रिय तरीके से भाग लिया था। हमारी नई शिक्षा नीति को बनाने में अत्‍यन्‍त महत्‍वपूर्ण योगदान करने वाले डॉ. पंकज मित्‍तल, महासचिव, भारतीय विश्‍वविद्यालय संगठन, डॉ. चंद्रजीत बनर्जी, महानिदेशक, सीआईआई और सभी उपस्‍थित भाइयों ओर बहनों। मैं समझता हूं कि आज जिस विषय को लेकर के आपने आगे बढ़ाया है वह अत्‍यन्‍त ही महत्‍वपूर्ण है आपने इस समय कहा है कि एक नई दुनिया के लिए नये भारत के निर्माण की जरूरत है। आपने कहा कि उसका रास्‍ता शिक्षा से ही होकर गुजर सकता है। शिक्षा और उद्योग के बीच वह कौन सी कड़ी हो सकती है कि दोनों परस्‍पर मिल करके ऐसे विश्‍व के लिए जो भारत की नजर में एक परिवार हो,एक कुटुम्‍ब हो, विश्‍व का विकसित परिवार हो, जो सभी चीजों से युक्‍त हो, ऐसा परिवार बनाने के लिए नये भारत की जरूरत है। जिस बात को हम हमेशा ही बोलते हैं कियदि विश्व की प्रगति,शांति पूरे विश्व के लिए हिंदुस्तान से होकर गुजरती है तो यदि यहकहते हैं हमतो यहअतिश्योक्ति नहीं है। यह केवल भाषण के शब्द नहीं हो सकते हैं, इतिहास इस बात का गवाह है कि हिंदुस्तान ही विश्व की ओर समृद्धि,शांति और प्रगति का एक बहुत बड़ा आधार है। प्रगति केवल  आर्थिक प्रगति नहीं होती, मात्र कुछसुविधाओं को जुटाना प्रगति नहीं हो सकती, संसाधनों को जुटाना ही मात्र प्रगति नहीं हो सकती। सर्वांगीण प्रगति चाहिए और इसीलिए हमारी धारणा, हमारी भावना विश्व के परिवारके बारे में बिल्कुल अलग रही है। हम विश्व को अपना परिवार मानते हैं इसलिएयहहिन्दुस्तान विश्वगुरू कहलाया गया और इसने जिस तरीके से काम किया पूरी दुनिया के लिए, मानवता के लिए , चाहे वह मनुष्य कहीं काभी क्यों नहीं हैचाहेवो किसी भी जाति, पंथ, संप्रदाय का क्यों नहीं है। जिस भारत के बारे में मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हम को 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत चाहिए ऐसा भारत जो स्‍वस्‍थ भारत हो, जो स्‍वच्‍छ भारत हो, जो श्रेष्‍ठ भारत हो, जो आत्‍मनिर्भर भारत हो और जो एक भारत हो, इन सबके बाद में आती है श्रेष्ठता। उसके अंदर बहुत कुछ समाया हुआ है,यहपांच-सात चीजें सामने बोली वो तो हैं ही लेकिन पूरी दुनिया उस श्रेष्ठता के अंदर समाई हुई है जिसमें आपकाविजन भी, आपका मिशन भी, आपका चरित्र भी है, आपका व्यवहार भी है, आचार भी है, आपकी तमाम तरीके की बहुआयामी वो गतिविधियां भीहोती हैं जिससे एक अच्छा नागरिक बन सकता है।इन गुणों की बदौलत वह व्‍यक्‍ति विश्व के लिए एक विश्व मानव बन सकता है और इसलिए जब आपने नई शिक्षा नीति के बारे में बोला जब हम पिछली बार आपके साथ जुड़े थे और हमने यह कहा था किहम एकऐसीशिक्षा नीति ला रहे हैं जो विश्व के फलक पर होगी। यह बात बीच-बीच में कही जाती रही है कि हिंदुस्तान से इसलिए लोग बाहर जा रहे हैं पढ़ने के लिए कि हिंदुस्तान की जो शिक्षा नीति है वो इंटरनेशनल है ही नहीं, ऐसा भी नहीं था। यदि मेरे देश के यह आईआईटी डॉ.राम गोपाल बैठे हैंआपके साथ यह आईआईटी केडायरेक्टर हैं जब मैं उनसे पूछता हूं कि आप बताओ क्या आपके आईआईटी के बच्चे आज कहां-कहां है?यहबताते हैंपूरी दुनिया में छाए हुए और पूरी दुनिया कोलीडरशिप दे रहे हैं। हमारे संस्‍थानों से निकले छात्र आज दुनिया की बड़ी से बड़ी कम्‍पनियों एवं प्रतिष्‍ठित संस्‍थानों को लीड कर रहे हैं तो फिर कैसे कह सकते हैं कि हमारी शिक्षा इंटरनेशनल स्‍तर की नहीं है और फिर यदि आपके किसी के मन में शंका भी थी तो इस नई शिक्षा नीति नेबड़े व्यापक परिवर्तन के साथ, तमाम सुधारों के साथ उन शंकाओं को दूर कर दिया है। अब यह दुनिया का सबसे बड़ा रिफॉर्म होगा। नई शिक्षा नीति दुनिया केसबसे बड़े विमर्श से निकली हुईनई शिक्षा नीति है। यदि देखा जाए तो जो आप लोगों की चिंता है क्योंकि आप उद्योग जगत से जुड़े हुए हैं और यह देश 130 करोड़ लोगों का देश है। इस देश में बाहर से क्या आरहाहैएक बार उसके बारे में विचार कर लीजिए। इस देश में किस चीज की जरूरत है,उसके बारे में विचार कर लीजिए। इसदेश में जो हमारी प्रतिभा हैं और जो आपका हुनर है उसको तकनीकी के साथ जोड़कर के उद्योगों में क्या परिवर्तन करना था, उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उस गैप को खत्म करने की ज़रूरत थी और इसलिए इस नई शिक्षा नीतिको हम नए कलेवर के साथ लाएं हैं जो भारतीयता के आधार पर खड़ी होगी। जब मैंभारत कहता हूं तो यह सामान्य भारतनहीं होता है। वो भारत कौटिल्‍य का भारत होता है, वो भारत चरकका भारत होता है, वो भारत सुश्रुतका भारत होता है, वो भारत नागार्जुन का भारतहोता है, वो भारत जो पातंजलि का भारतहोता है और वो भारत के उन लोगों का होता है जिन्होंने भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित किया और ‘‘एतद्देशप्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मनः स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन्पृथिव्यां सर्वमानवाः’’जिनके पास पूरी दुनियां ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, तकनीकी इस सब को प्राप्त करने के लिए आती थी मैंउस भारत की बात करता हूं। इसलिए आज पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। यदि मेरे देश के प्रधानमंत्री ने कहा हैकि स्वर्णिम भारत कीजरूरत है उस स्वर्णिम भारत की आधारशिला को लेकर नईशिक्षा नीति आई है।यह नेशनल भी होगी, यहइन्टरनेशनल भी होगी, यहइम्पैक्टफुल भी होगी, यहइन्‍क्‍लुसिवभी होगी, यहइन्‍टरेक्‍टिव भी होगी और यह इनोवेटिव भी होगी, यह इक्विटी, क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी होगी। इसीलिए जब मैं नई शिक्षा नीति को कहता हूं तो इसमें कंटेंट भी होगा, पेटेंट भी होगा। हम कंटेंट को पेटेंट से जोड़नहीं पाये थे मैं जब मैंसंस्थाओं में जाता हूं तो मैंने एकअनुरोध किया है कि यह पैकेज की होड़ से पेटेंट की होड़ हो सकती है कि नहीं। जिस दिन इस भारत में पेटेंट की होड़ लग जाएगी मेरे युवाओं में उस दिन भारत अपने आप ही पूरी दुनिया कासर्वशक्तिमान राष्‍ट्र बन जाएगा यहअब लोगों को समझ में आ गया है। अब उस राह पर चलना लोगों ने शुरु कर दिया है। इसलिए मैं यह समझता हूं कि जहां हम कंटेंट भी करेंगे,वहांहम कैरेक्टर को भी करेंगे वहां हम उसके टैलेंट को भी खोजेंगे तो उसको विकसित भी करेंगे औरउसका विस्तार भी करेंगे। यह जो नयी शिक्षा नीति है वो शोध और अनुसंधान पर भीआधारित होगी, जहां नेशनल रिसर्चफाउंडेशन की स्थापना होगी। वहांतकनीकी को अंतिम छोर तक के व्‍यक्‍ति तक पहुँचाने के लिए भी नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम का गठन करेंगे। मैं इस बात से सहमत हूं कि जिस दिन पूरी ताकत के साथ इस खाई को पाटा जाएगा, उद्योग और हमारे विद्यार्थियों की शिक्षा के तकनीकी संस्‍थानों चाहे वोमेरे आईआईटी हों, एनआईटी हों,आईसर हों,आईआईएम हों और विश्वविद्यालय हों,  जिस दिन मेरे राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों और उद्योगों का के बीच समन्वय हो जाएगा तब दुनिया की कोई ताकत नहीं कि मेरे देश के सामने कोई खड़ा भी हो सकता है।हममें क्योंकि विजनहैहममें ऊर्जाभी है, हमारे भीतर रिजल्ट देने की ताकत भी है लेकिन यह पार्ट-पार्ट में हो रहा है, उसको समन्वित  करने की जरूरत है।  यह देश इतना विशाल देश है किकहीं भी जाया जा सकता है। अब उस दिशा में शिखर को पाया जा सकता है। जब इस मिशन के साथ हम करेंगे तो निश्चित रूप में हम स्‍वयं कंटेंट भी तैयार करेंगे और पेंटेंट भी हमारा होगा। हमारे भीतर आत्मविश्वास भी होगा,हमारा समर्पण भी होगा किहमकोकरना क्या है और यहकेवल शिक्षार्थियों एवं विद्यार्थियों पर ही लागू नहीं होता है क्‍योंकि नियम तो सबके लिए होता है। यदि किसी उद्योग में समर्पण नहीं है,यदिकोई विजन नहीं है, टारगेट नहीं है, तो मुझे लगता है वो बहुत दिनों तक खड़ा नहीं रह सकता। उसके लिए विजनहोना जरूरी है। विजन के साथ उसके समर्पण के साथ ही जीवन-मरण के प्रश्न पर उसका जो टारगेट है उसको पाने कीललकहोनी चाहिए, वह जरूरी है। आज कैपेसिटी बिल्‍डिंग के साथ ही हमको नेशन बिल्‍डिंग पर भी फोकस करना है तथा ऐसी क्षमता का निर्माण भी करना है। मैं यह समझता हूं कि इसकी जरूरत है,सुशासन की जरूरत है। यह जो जीवन है उसके साथ जोड़ने जरूरतहै यह हमारी नयी शिक्षा नीति आज उसी का एक प्रयाय है। मुझे बहुत खुशी है कि आपनेजिस बात को कहा है कि क्या उद्योगऔर शैक्षणिक संस्थान यह दोनों मिलकर के काम कर सकते हैं, कर सकते हैं। यदि नेशन को आपने ताकत देनी है तो इसके लिए कोई किंतु-परंतु नहीं हो सकता। किस तरीके से करना है वह रास्ता हम को तय करना है और मैं बनर्जी जी से कहूंगा यह महासचिव हैं इस दिशा में सबसे परामर्श करने के बाद जो अभी आपने कहा, जब हम पिछलीबार जून में जुड़े थेतब भी यह आशा की थी कि हम लोगों को एक कमेटी गठित करनी है,एकटास्कफोर्स गठित करनी है। वो टास्कफोर्स हमनिश्चित रूप से गठित करेंगे। आपकुछ नामोंकोदे दीजिए। अनिल जोजो मेरे साथ जुड़े हुए हैं मैं इनको कहूंगा कि आपकी उस टास्कफोर्स में जो हमारी युक्ति-1 और युक्ति-2 है।युक्ति-1मेंआईआईटीमें जितने भी हमारे छात्रों ने आज शोध और अनुसंधान किया है, इस बीच कोविडके दौरान हमारी क्षमता देखिए हमारीताकत देखिए हमारे बच्चों ने आज शोध और अनुसंधान किया है। रामगोपाल जी जुडे हुए हैं जब ऐसी परिस्थिति आयी और देश के प्रधानमंत्री जी ने बताया कि नौजवान क्या कर सकते हैं तो हमारे आईटी के छात्रों ने अपना हुनर दिखाया।आज हमारे अपने सस्ते और टिकाऊ वेंटीलेटर हमने तैयार किये। हमने बहुत कम समय में और हंड्रेड परसेंट रिजल्ट देने की क्षमता वाली टेस्टिंग किट तैयार की। आईआईटी दिल्ली नेफिर एक कंपनी के साथ एमओयू करके आज पूरी दुनिया को भी हमने भेजा। इस बीच तमाम अनुसंधान छात्रों ने किये हैंऔर युक्ति-2 में तो अनिल सहस्‍त्रबुद्धे जी को मालूम है कि जितने भी इनके बच्चों के आइडियाज हैं, हजारों-लाखों युक्ति-2पर आ करकेसारे इकट्ठा हैं। देश के लिए इतना बड़ा प्‍लेटफॉर्मबनाया है जिसका विजिटजो चाहे उद्योगपति, कृषक सभी करके वहां से अच्‍छे आईडियाज को अपने साथ लेकर जा सकते हैं। इसीलिए मैं समझता हूँ कि यह बहुत अच्छा है औरदेश नई अंगड़ाई ले रहाहै तथा  तेजी से लोगों की मनःस्थिति बदल रही है। इस नई शिक्षा नीति के लिए तोपूरी दुनिया और देश ने उत्सव मनाया है। दुनिया भी इस नई शिक्षा नीति को लेकर के बहुत लालायित एवंउत्सुक है तथातमाम देशों ने कहा है कि हम भी भारत की शिक्षा नीति को अपने यहां लागूकरना चाहते हैं। अभी दो-दिन दिन पहले संयुक्त अरब अमीरात के शिक्षा मंत्री और उनका पूरा ग्रूप मेरे साथ जुड़ा था जब उन्होंने कहा कि हम इस नई शिक्षा नीति को अपने यहां लागूकरना चाहते हैं। अभी कुछ ही दिन पहले कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने भीकहा कि भारत तो ज्ञान का बड़ा केन्द्र था। यह कैम्ब्रिज नेकहा कि भारत बड़ा केन्द्र था जो यह अब नयी शिक्षा नीति आई है अब वह पुनर्जागरण के साथ सम्‍पूर्ण विश्व को मार्गदर्शन दे सकती है और हम दुनिया के सभी शिक्षा मंत्रालयों के साथ मिल करके आपके अभियानको आगे बढ़ाने की इच्छा प्रकट करते हैं। यह हमारी ताकत है और इस नई शिक्षा नीति की वो ताकत है इसलिए मैं समझता हूं कि यह अवसर अच्छा अवसर है इस अवसर को हमें हाथ से जाने भी नहीं देना है।इसलिए जब अच्‍छे अवसर आते हैं और फिर जब मौसम अच्छा रहता है तो उसी ताकत के साथ एवं गतिशीलता से दौड़ना भी पड़ता है। मुझे भरोसा है कि जो आज सर्वेक्षण एआईसीटीई और दोनों ने मिलकर के जो काम किया है उसके लिए मैं एआईसीटीई को भी बधाई देना चाहता हूँ कि आपने औद्योगिक क्षेत्र में विश्व रैंकिंग करने का जो नया कार्य किया है, वह बहुत अच्‍छा है उद्योगों की दृष्टि से कैसे रैंकिंग हो सकती है और संयुक्‍त रूप में हमलोग किस तरीके से रैंकिंग निर्धारित कर सकते हैं इस पर बहुत अच्छा कार्यगहन चिंतन-मननके साथ होना चाहिए। हमने आईआईआईटी को पीपीपी मोड में किया है। आपको मालूम है कि भारत सरकार 50 प्रतिशत, राज्य सरकार 35 प्रतिशत और उद्योग जगत 15 प्रतिशत उसको योगदान देता है।हमारे आईआईआईटी बहुत खूबसूरत एवं अनुकरणीय पीपीपी मॉडल  के संस्‍थानों का आदर्श हैं। मैं जब आईआईआईटी के आयोजनों में सम्‍मिलित होता हूं तो मुझे लगता है कि आने वाले भविष्‍य में मेरे यह संस्‍थान शिखर को चूमेंगे।यहजो उद्योगों के दृष्टिकोण से मानकों को रखने एवं रैंकिंग निर्धारण का जो आपने प्रावधान रखा है, वह बहुत अच्‍छा है और केंद्र सरकार के द्वारा चलाए जा रहे सभी तकनीकी संस्थानों में भी इस तरीके के लागू होना चाहिए ताकि लगे कि हमको उद्योगों के साथ किस तरीके से जुड़ाव और लगाव है। हम अलग नहीं हैं। मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा ही होगा और वो जो संयुक्त कार्य दल बनाने की आपने बात की है उससे मैं बिल्कुल सहमत हूं और जितना जल्दी हो सकता है उसको बननाही चाहिए। यहजो प्रधानमंत्री डॉक्टरल रिसर्च की आपने 2012 में शुरुआत की थी यह भी बहुतअच्‍छाकार्यक्रम थालेकिन मैं सोचता हूं किबहुत तेजी से काम भी कर रहा है लेकिन रिजल्ट जिस अनुरूप निकालना था वो क्यों नहीं निकल रहाहै इस पर विचार करने की जरूरत है। लेकिन आपकी बात तो अच्छी है। पहले बात तो यह अच्छी पहल है इसको और किस तरीके से आगे बढ़ाया जा सकता है आपकेअनुसंधानों को रिजल्ट के रूप में परिवर्तित होना चाहिए।समझता हूँ यदि उसकी भी एक ओर कमेटी के स्वरूप में लगातार समीक्षा करते रहेंगे तो बहुत अच्छा होगा बल्कि मैं तो यह कहता हूँ कि इसको विज्ञान और सामाजिक विषयों पर भी आपको आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि आपका जो सीआईआई है वहशैक्षणिक उत्थान की दृष्टि से आपका मिशन है और जहां उद्योगोंकाऔर समन्‍वयहोना चाहिए तथासार्वजानिक क्षेत्र की भी गतिविधियों में उन्नयन होना चाहिए। तोआप विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में भी यदि उसको करेंगे तो बहुत अच्छा होगा। आज जो आइपेट नामक दो परीक्षाएं हैमैं सोचता हूँ कि इनको भी आगे बढ़ना चाहिए। इससे जो बड़ी बड़ी कंपनियां हैं उनमें हमारे छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अच्छा अवसर मिल सकता है और उद्योग जगत के लिए भी यह बहुत महत्वपूर्ण होगा। मेरे जो छात्र हैं जिनको रोजगार की दिशा में जाना है उनके लिए भी अच्छा होगा। जैसे अभी अनिल जीने कहा कि यदि हम इंटर्नशिप के माध्‍यम से विद्यार्थियों की प्रतिभा को जोड़ते हैं तो वह विद्यार्थी उस संस्थान को भीबढ़ाएगा  तथा उसे  पीछे नहीं आने देगा और हो सकता है कि उसके बाद वहउसको छोड़ें ही ना। उसको कहो कि तुम साथ-साथ अध्‍ययन करो लेकिन तुम इस उद्योग में भी भागीदारी करते हुए इसकी बारिकियों कोभी सीखों क्‍योंकि तुम प्रतिभाशाली हो और वो आपको आयडियाज देगा। पूरी दुनिया की शिक्षण व्‍यवस्‍था का अध्‍ययन करके कि किस देश में क्या हो रहा है और मुझे अब उससे भी आगे कहां जाना है। यह उसमें क्षमता है, उनकी विराटता है। इन छात्रों में और हमारे देश में टैलेंट की बिल्कुल कमी नहीं है और इसको लीडरशिप देनी होगी, इसको वैश्विक परिवेशमें आगे बढ़ाना होगा।मैं यह समझता हूँ कि एक बार आप सब लोग बैठें और जितने भी ओद्योगिक क्षेत्र के लोग हैं आप यह तय कर दें कि सीएसआर के फंड उपयोग शैक्षणिक क्षेत्र के उन्नयन की दिशा में लगेगा तो यहक्रांतिकारी कदम होगा औरवो उद्योगों के साथ जुड़ेंगे। यहां जो आत्मनिर्भर भारत का मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने आह्वान किया है कि आईआईटी से निकलने वाला हरछात्र, एनआईटी से निकलने वाले छात्र, इंजीनियरिंग कॉलेजों से निकलने वाले छात्र निश्चितरूप से एक स्टार्टअप को लेकरजाऐंगेऔर मेरा भारत उस दिन आत्मनिर्भर हो जाएगा। ऐसा हो सकता है कोई दिक्कत नहीं है। एक बार थोड़ा सा समन्‍वय करने की आवश्‍यकता है, उसमें क्षमता तो है ही इसलिए दूसरों को भी लीडरशिप देकर दुनिया के देशों को आगे बढ़ा रहे हैं। दुनिया के देशों कीयदि आप समीक्षा करें तो जैसे मैंने अभी कहा कि आईआईटी से निकलने वालेछात्र,यह देश 130 करोड़ लोगों का देश है। यदि देश काजितना मार्केट के रूप में आप अध्‍ययन करेंगे तो देखेंगे कि50 देशों के बराबर अकेला अपना हिन्दुस्तान है जो पूरी दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और इसलिए जब आपको याद होगा कि एक बार  आदरणीय अटल बिहारी बाजपेयी जी ने जब परमाणु परीक्षण की बात की थी तब कुछ देशों ने हिंदुस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की बात की थी और कहा था कि यदि आपने यह किया तो हम आपको अनुदान नहीं देंगे, भीख नहीं देंगे और अटल जी ने पूरी ताकत के साथ कहा था कि नहीं, मेरा देश किसी को छेड़ता नहीं, किसी से हम लड़ने के लिए नहीं लेकिन हम अपनी ताकत के विकास के लिए परमाणु परीक्षण जरूर करेंगे और आपको याद होगा कि कई संपादकीय में लिखा गया था कि अटल जी ने बहुत खतरनाक खेल किया है। अब दुनिया से, अमेरिका से, पैसा नहीं मिलेगा, लोन नहीं मिलेगा, कर्ज नहीं मिलेगा और अटल जी ने एक ही सूत्र दिया था कि देश में न कोई आयात होगा और न देश में कोई निर्यात होगा। बाहर से कोई चीज देश के अंदर नहीं आएगी और देश से कोई चीज बाहर नहीं जाएगी। छह महीने मेंदुनिया की आंखे खुल गई थी। दुनिया नहीं रह सकती हिंदुस्तान के बिना, यही हमारी ताकत है। देश से कोई चीज बाहर नहीं जाएगी और केवल इसएक सूत्र ने पूरे देश को खड़ा कर दिया था।मैं समझता हूं कि आज हमारे प्रधानमंत्री जी ने जो आत्मनिर्भर भारत की बात की है, वह बहुत महत्वपूर्ण बात की है। हर एक छात्र योद्धा की तरह निकल कर के बाहर आए और वो इस होड़ में न जाए कि मुझको विदेश में जाकर कितना पैकेज मिल जाये। उसकी प्रतिभा को यहां किसी उद्योग के साथ कैसे संबंध से हम कर सकते हैं। आज इसकी जरूरत है। मुझे भरोसा है कि जो हमारे देश के प्रधानमंत्री ने 5 ट्रिलियन डॉलर आर्थिकी की बात की है और उसके लिए उन्होंने मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया जैसे रास्ते भी दिखाये हैं। हमारे पास स्किल भी है, हमारे पास कौशल भी है और मेक इन इंडिया क्यों नहीं हो सकता। पूरी दुनिया में मेक इन इंडिया होना चाहिएक्‍योंकि यह देश इतना बड़ा है और विजनरी देश है और जिस दिन उद्योग और मेरी यहप्रतिभाएंदोनों मिल जाएंगे उस दिन पूरी दुनिया में मेक इन इंडिया ही दिखाई देगा। कोई देश दिखाई भी नहीं देगा और वो दिन आ रहा है तथा वो तेजी से बढ़ रहा है। उसके समन्वय के लिएसीआईआईको जरूर उसकी लीडरशिप लेनी चाहिए। इसलिए लेनी चाहिए क्‍योंकिआपका125 वर्षों का इतिहास है। आपने हर कदम पर देखा है, झेला है, रास्ते निकाले हैं देश की खराब परस्थितियों को भी देखा है और अबजब देश उत्थान के उत्कर्ष पर है आप उसको भी देख रहे हैं और उसके सहभागी भीबन रहे हैं और इसलिए मैं समझता हूं कि यह अच्छा मौका है जब हम नई शिक्षा नीति के माध्यम से उसकी आधारशिला रखकर उसको आगे बढ़ाने की आप कोशिश कर रहे हैं। मैं आप सब लोगों को शुभकामना देना चाहता हूं और मुझे भरोसा है कि जो अद्भुतस्वीकार्यता मिली है नई शिक्षा नीति को और वह के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट हो गया है और दुनिया के लिए उत्सुकता का कारण बना है उसकाहमताकत के साथ क्रियान्वयन करेंगे। शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में चाहे नेशनल रिसर्च फाउंडेशन हो और चाहे नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरमहो इन दोनों की गतिविधियां जो भविष्य में आने वालीहैउससे उद्योगों, छात्रों एवं शोध-संस्‍थानों के बीच बेहतर समन्‍वय होगा। हम कह सकते हैं कि ऐसीनई चीजें इस देश में होनी चाहिए और जिसका मैंने अभी आपको एक उदाहरण दिया कि जब परिस्‍थितियांहोती हैं तो दूसरे भीखड़े हो जाते हैं। मुझे भरोसा है कि आपका जोविजन है और जिस तरीके का आपका मिशन है वो इस देश को आत्मनिर्भर भारत एवं5ट्रिलियनडॉलर की आर्थिकी तक जाने का जो रास्ता है उसेउद्योग, नई शिक्षा नीति और हमारे शैक्षणिक संस्थान और उद्योग यह सब मिलकर के उस रास्ते को आगे बढ़ाएंगे और वैसे भी भारत पूरी दुनिया में ज्ञान की महाशक्ति के रूप में तेजी से उभर रहा है। आज लोग महसूस करेंगे और अभी दो साल बाद देखिएगा। अभी तो यह नया है और पूरी दुनिया के अंदर हलचल है। अभी तो हमारे कुछ लोगों को स्वीकारने में भी हिचक होगी क्‍योंकि उनको लगता है कि सौ डेढ़ सौ सालों की उस गुलामी के जो थपेड़े हमारे मन मस्तिष्क पर पड़े हैं।उनके कारण सहज तरीके से अपने को भी खड़ा करने में वक्त लगेगा। लेकिन पूरी ताकत के साथ जब यहकाम होगा तो देखिएगा कि हमारे यहां विजनकी कमी नहीं है और मेहनत की कमी नहीं है तो विजन और मिशन जब मिलता तो नई चीज पैदाहोती है, वो हमारे पास है और फिर यह देश तो आने वाले 25 बरसों तक यंग इंडिया रहने वाला है। क्‍या नहीं कर सकते हम सब कुछ कर सकते हैं केवलजरूरत है लीडरशिप की।वैसे भी यह जो नयी नीति तो बहुत अच्छी बनी है लेकिन इसको नीचे तक क्रियान्वित करना औरढांचागत रिफॉर्म का परिणाम किस तरीके से नीचे तक ला सकते हैं। इसके बीच की कड़ी आपकी लीडरशिप हो सकती है। इस नीति को नीचे तक व्यावहारिक रूप में, प्रेक्टिकल रूप में नीचे तक ले जाने के लिए आपकी लीडरशिप में जरूर होगा ऐसा मेरा भरोसा है। मैं आज आपको बहुत शुभकामना देना चाहता हूं यह शैक्षणिक गतिविधियों का जो सम्मेलन है इससे बहुत कुछ निकलेगा और इससे वो चीज निकलेगी जिसकी देश हमसेअपेक्षा कर रहा है।परिवर्तन करने वाले आप ही लोग हैं। कोई आसमान से टपक करके परिवर्तन करने के लिए नहीं आएगा। मुझे भरोसा है कि यह जो क्षण  हैं वो एक नये भारत के उदय को सुनिश्‍चित करेगा औरजिस दिन भारत नये भारत के रूप में आएगा स्वत:स्फूर्त विश्व एक नया विश्‍वबन जाएगा क्योंकि भारत का बल पूरे विश्व के बराबर है और उसमें सामर्थ्य है, पूरी दुनिया को अपने में समेटने की और जिस बात को मैं बार-बार कहता हूं कि एक परिवार के रूप में हमने पूरी दुनिया को देखा है और उस दुनिया के परिवार को हम सब और सम्पन्न भी करनाचाहते हैं उसे आगे बढ़ना भी चाहते हैं। हम संस्कारों एवं जीवन-मूल्‍यों  की भी प्रगतिचाहते हैं,इसलिए जो सीआईआईजो विश्व स्तर पर यह शिक्षा का संवाद आयोजित कर रहा है, वह उस दिशा में भी कड़ी बनेगा। वैसे भी इस समय शिक्षा संवाद मैं लगातार कर रहा हूं और तमाम देशों के शिक्षा मंत्री और तमाम देशों के राजदूत इस बात को कहते हैं कि हमेंभीशिक्षा का संवाद चाहिए। बाहर के लोग हमारे अंतरराष्ट्रीय शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों को अपने देश के अंदर आमंत्रित किया है और हम अपने शीर्ष विश्वविद्यालयों को भी दुनिया के देशों में भेजनाचाहते हैं। अभी कुछ दिन पहले आईआईटी के दीक्षांत समारोह में डॉ.राम गोपाल रावजीने कहा है कि आज विदेशों में कई देशों में लोग लगातार आग्रह कर रहे हैं इनकोहां, बोलना है। हमारे शिक्षकों को भेजना हैतो मैंने उनको कहा जितना जल्दी हो सकता है जाओ, हमको दुनिया पर जाना है। हमारे आईआईटीज के बाद दूसरेनए फिल्‍ड में भी प्रतिभाओं को लगना चाहिए। हिन्दुस्तान में ज्ञान के तहत हम विदेश की फैकल्‍टी को इधर लाते थे लेकिन मैने कहाज्ञान प्लस होना चाहिए हमारेयहां कि फैकल्टी भीदुनिया को पढ़ाने के लिए जानी चाहिए और वो हो रहा है। मुझे इस बात की खुशी है कि मैं विगत डेढ साल से इसकोदेख रहा हूं। मैं अपने आईआईटीज के अंदर जाकर घुस करके देखता हूं, अपने विश्वविद्यालयों के अंदर देखता हूं, शीर्ष संस्थाओं के अंदर देखता हूं  मुझको दर्शन मिलता है औरमुझे बहुत भरोसा है कि हम दुनिया के सबसे बड़ी शिक्षा का आधार बनेंगे और जो लोग हमसे अपेक्षा कर रहे हैं जो देख रहे हैं कि पूरी दुनिया का शिक्षा का यह सबसे बड़ा भंडार होगा और हमारा देश महाशक्ति के रूप में उभरेगा आपकी ताकत से, जुड़ाव से, लगाव से और अभियान से हमारी देश के लोगों की यहइच्छा भी पूरी होगी। मैं एक बार फिर आप सब लोगों को शुभकामनाएं देता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. डॉ. बी.वी.आर. मोहन रेड्डी, अध्‍यक्ष, सीआईआई शिक्षा परिषद्
  3. डॉ. चंद्रजीत बनर्जी, महानिदेशक, सीआईआई शिक्षा परिषद्
  4. डॉ. पंकज मित्‍तल, महासचिव, भारतीय विश्‍वविद्यालय संगठन
  5. डॉ. अनिल सहस्‍त्रबुद्धे, अध्‍यक्ष, एआईसीटीई
  6. डॉ. राम गोपाल राव जी, निदेशक आईआईटी दिल्‍ली

 प्रतियोगी/बोर्ड परीक्षाओं के संबंधमें देश भर के शिक्षकों, अभिभावकगणों और छात्रों के साथ संवाद

 

 प्रतियोगी/बोर्ड परीक्षाओं के संबंधमें देश भर के शिक्षकों, अभिभावकगणों और छात्रों के साथ संवाद

 

दिनांक: 10 दिसम्‍बर, 2020

 

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

मुझे भरोसा है कि आप सभी लोग आनंदित होंगे और इस चुनौती का मुकाबला कर रहे होंगे।जैसे कि आपको पता ही है कि आज मैं शिक्षा के इससंवाद में आपके साथ जुड़ा हूं और इसलिए मैं संवाद में आपका अभिनंदन कर रहा हूं। मुझे याद है कि पिछली बार 11 मई को भी मैं आपके साथ जुड़ा था और ‘आचार्य देवो भव’ हो या ‘जल सुरक्षा’ का हो,वृक्षारोपण का हो,योग का हो,‘फिट इंडिया’ का हो,‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’का हो या परीक्षाओं को लेकर के हो, मनोदर्पण का हो,एक के बाद एक के बाद एक तमाम समय में लगातार मैं आपसे संवादकरता रहा हूं और आपके माता-पिता से भी संवाद करता रहा हूं, अध्यापकगण से भी संवादकरता रहा हूं। अपने छात्र-छात्राओं जैसेकि विश्वविद्यालयों के स्‍तर जहां स्कूली स्तर पर मैंने संवाद किया वहीं विश्वविद्यालय स्तर पर भी लगातार संवाद किया और मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को लेकर भी हमने लगातार चर्चाएं की और इसी श्रृंखला में लगातार संवाद के माध्यम से समाधान की ओर हम गए हैं और इसकोदेश ने भी देखा है दुनिया ने भी देखा है जब हम संवाद की श्रृंखला को और उसके समाधान की ओर ले करके गए हैं। मुझे लगता है कि हम लोगों ने लगातार विमर्श किएहैं पीछेके दिनों में जो हुआ अब काफी समय बदल गया। उस विचार विमर्श के बाद जो बदला वो बोर्ड की परीक्षाएं हो गई हैं उसका रिजल्ट आ चुके हैं। आप अब प्रतियोगी परीक्षाओं में भी बैठ चुके हैं तो उसके भी रिजल्ट आपके पास आ गया है। कॉलेजों की कटआफ लिस्ट भी जारी हो चुकी है और एक नजर अकादमिक सत्र की ओर भी अब हमने शुरूकर दिया है। परिवर्तन प्रकृति का नियम है और इस चुनौतीपूर्ण समय में परिवर्तन को अपनाते हुए जिस सफलतापूर्वक आपने अपने जीवन के इस समय को आगे बढ़ाया है वो अपने आप में एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है और शिक्षा विभाग लगातार जिस तरीके से आपके साथ लगातार संवाद और विषयों पर जुड़ा रहा है मैं शिक्षा विभाग भारत के शिक्षा मंत्रालय को औरसभी देश के राज्यों के शिक्षा मंत्रियों और उनकी टीम को मैं बधाई देना चाहता हूं कि बहुत विषम परिस्थितियों में भी हमने शिक्षा के इस अभियान को रुकने नहीं दिया है। मेरे प्यारे बच्चों, मैं समझता हूं कि आप सभी अपने दोस्तों के साथ जो दिनचर्या बिताते थे चाहे वह टिफिन में साथ-साथ खाने का विषय हो या मस्ती का विषय हो, प्रोजेक्ट तैयार करने का विषय हो,या प्रयोगशाला में अनूठे आविष्कार को उभारने का विषय हो स्वाभाविकहीहै कि वो आपके अनुभव है और आजकल आप सब इन अनुभवों को, उन खूबसूरत यादों को आप संजो रहे होंगे क्योंकि जो खूबसूरत यादें हैं वो हमारे जीवन की धरोहर होती हैं और हमारी स्मृतियां जीवन के यह पल हमारे मस्तिष्क में सदैवजिन्दा रहते हैं वे हमें आगे बढने की नकेवल प्रेरणा देते हैं बल्‍कि मन को सकून भी देते हैं और जब सुकून प्रदान होता है तो आदमी को आगे बढने का फिर एक मौका मिलता है, आगे बढने का भरोसा मिलता है। मुझे भरोसा है कि बहुत जल्दी हम अपने स्कूली जीवन में लौट आएंगे और जो यहपरिस्‍थितियां हैं,इनका मुकाबला करते हुए क्योंकि बहुत तेजी से परिस्थितियां अभी भी बदल रही हैं। हम फिर इसको निभाएंगे और अपनी पढ़ाई को उसी ढंग से विधिवत जारी रखेंगे। मैं समझता हूं कि जैसे पिछलीबार हम लोगों ने ‘माई बुकमाई फ्रेंड’ अभियान किया था आपको याद होगा तो अब मेरा सुझाव आपके लिए रहेगा किपेन फ्रेंड कल्चर की उस संस्कृति को जो चिट्ठी-पत्री की जो संस्कृति होगी आप जारी रखेंगे। आप अपने मित्र को पत्र लिख रहे होंगे। अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहे होंगे और ऐसे मौके पर जो क्रिएटिव आपने कियाहोगा जैसे आपने पिछली बार लिखा था कि आप कुछ न कुछ विशेष करके आप करेंगे वो आप ने किया भी होगा, कर भी रहे होंगे तो अपने मित्रों के साथ जरूर आप उसको बांट रहें होंगे। पत्र लेखन का आपका यह अभ्यास आपके भविष्य के लिए बहुत बड़ी ताकत बनेगा। अभी कुछ दिन पहले हमारे प्रधानमंत्रीजी को एक छात्र ने पत्र लिखा और हमको भी बहुत सारे इस तरीके के पत्र आए।जब उस छात्र कहा की इस कोविडके संकट के दौरान मेरी मां ने मुझको सिलाई कढ़ाईके गुणसिखलायें हैं और मुझे बहुत खुशी है कि मैं कुछ ऐसी चीजें कर पा रहा हूं जो मैं कभी सोच भी नहीं सकता था। ऐसीभिन्‍न-भिन्‍नपेंटिंग चाहे वो क्रिएटिव तमाम प्रकार के लेखन से कहानियां लिखने से लेकर के कार्टून तक और विभिन्न क्षेत्रों में आपने अलग-अलग तरीके से और प्रयोगात्मक विज्ञान के क्षेत्र में आपने अपने घर की वस्तुओं को जोड़ कर के आपने कई प्रकार के प्रयोग भी किए। मुझे बहुत खुशी है जब आपसंवाद करते हैं तो मेरा भरोसा और बढ़ जाता है कि मेरे देश के पास मेरी भावी पीढी में क्षमता है, प्रतिभा है और हर समस्या में समाधान करने का रास्ता है और उसमें विजन है। आज मुझे लगता है कि यह जो पत्र आपलिखेंगे यह ऐतिहासिक विरासत और परिवर्त्तन के साक्षी भी भविष्‍य में बन सकते हैं। मुझे भरोसा है कि आप इस समय का अच्छे से उपयोग कर रहे होंगे। हमारे प्रधानमंत्री जी ने जब कहा कि पढ़ने की आदत को बनाए रखना चाहिए। आपको याद होगा जब वो हमारे साथ कभी ‘परीक्षा पर चर्चा’ में मिल जाते हैं। कभी ‘ध्रुव तारे’ में मिल जाते हैं। हमारे देश के प्रधानमंत्री श्रीनरेन्द्र मोदी जी का हम से बेहद लगाव है और वो यह महसूस करते हैं कि जो हमारा नया भारतहै जो 21वीं सदी का भारत है, आप उसके शिल्पी है। इसलिए वो कहते हैं कि पढ़ने से बड़ा कोई आनंद नहीं है और ज्ञान से बड़ी कोई ताकत नहीं है। जब आप पढ़ेंगे, रीड करेंगे तो देश को लीड करेंगे। मुझे भरोसा है कि हमारे प्रधानमंत्री जी का जो यह वाक्य है हम इसे मन में संजो करके रखते होंगे। पीछे के समय हमने कहा था कि जब आप अपने जन्मदिन को मनाते हैं तो एक पेड़ का ज़रूर रोपण करेंगे। मुझे यह खुशी है कि न केवल आपने उसको किया बल्कि अपने परिवार के लोगों को भी आपने प्रेरित किया। मेरे पास तमाम ऐसी सूचनाएं है,संदेश है कि जब छात्र-छात्राओं ने कहा कि न केवल हमने बल्कि अपने परिवार के लोगों को भी जन्मदिन पर बजाए बड़े-बड़े होटलों में जाने के हम लोगों ने वृक्षारोपण किया,कुछ रचनात्मक काम किए।जिसका भी जन्मदिन था उसे भीआगे प्रेरित किया कि नहीं वो भी अपने जन्मदिन पर जरूर एक पेड़ लगाएं। मुझे बहुत खुशी है कि आप परिवर्तन के ध्वजवाहक भी बन रहे हैं और आपने एक नयी संस्कृति को भी पैदा किया है। अपने जन्मदिन पर आप पुस्तक भी भेंट कर रहे हैं तो यह भी बहुत अच्छी बात है और यह पठन-पाठन की जो संस्कृति है यह हमारी ताकत है उसको आप और बढ़ाइए। कुछ राज्यों ने पीछे के समय जब हमने राज्यों पर इस बात को छोड़ा तब आप बार-बार पूछ रहे थे कि कब स्कूल खुलेंगे?130 करोड़ लोगों का देश आप समझ सकते हैं औरयह देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और ऐसे में हमने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियोंसे यह अनुरोध किया था कि वे अपने राज्य की परिस्‍थितियोंको देखते हुए अपने स्कूलों को खोलें। पीछेके समय में 17 राज्यों ने अपनी स्कूलों को खोला है। हालांकि अभी छात्र संख्या बहुत कम आ रही है लेकिन जैसे-जैसे परिस्‍थितियांहोंगी वैसे-वैसे वो आगे बढ़ेंगे क्योंकि हमारे सामने आपकी सुरक्षा और आपकी शिक्षा दोनों बहुत जरूरी है। आपकी सुरक्षा पहले और आपकी शिक्षा फिर उसके साथ चट्टानकी तरह खड़ी रहेगी और इसलिए जो सीखने और सिखाने की प्रक्रिया है उसमेंलॉकडाउनके दौरान थोड़ा-सा व्यवधान आया है। मुझे भरोसा है कि बहुत जल्दी ही यह व्यवधान दूर होगा लेकिन आपका जो उत्साह है और जो ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत तो पीएम ई-विद्या जैसे व्यापक पहल जो शुरू हुई है और डिजिटल के माध्यम से ऑनलाइन और रेडियो माध्यम की मदद से 33 करोड़ छात्र-छात्राओं तक को जो पाठ्यक्रम को सुनिश्चित करनेकी कोशिश की है।यह दुनिया में अपने आप में बहुत बड़ा कदम है क्योंकि इस देश को यदि आप देखेंगे तो एक हजार से अधिक यहां विश्‍वविद्यालय हैं, 45 हजार से अधिक डिग्री कॉलेज हैं, एक करोड़ नौ लाख अध्यापक हैं और 15 लाख से भी अधिक इस देश में स्कूल हैं। यदि छात्रों की संख्या को मैं कहूंगा तो जितनी कुल आबादी अमेरिका की नहीं उससे भी ज्यादा 33 करोड़ से भी अधिक इस देश में छात्र-छात्राएँ हैं आप समझ सकते हैं कि दुनिया का आज कितना बड़ा विस्तार लिए हमारा देश है और इसीलिए हमने स्वयं है, दीक्षा है, स्वयं प्रभा है, जैसे ऑनलाइन माध्यमों से शिक्षा प्राप्त करने का कार्य किया है। हमने शिक्षा वाणी,पॉडकास्ट और साइन लैंग्वेज जैसे विभिन्न कार्यक्रमों को आप तक पहुंचाने की कोशिश की है और प्रज्ञागाइडलाइन के माध्यम से समय-समय पर विभिन्न निर्देश भी लगातार स्कूलों को जाते हैं जो आप तक आते रहे हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि सीबीएसई द्वारा आयोजित दसवी कक्षा की जो परीक्षा हुई उसमें 91 प्रतिशत छात्रों ने सफलता अर्जित की है। ऐसे समय में भी इस परीक्षा में कुल 17 लाख 50 हजार छात्र बैठे थे और जिसमें 16 लाख से भी अधिक छात्र उत्तीर्ण हुए हैं। 13छात्रों ने दसवीं की परीक्षा में 500 अंकों में से 499 अंक लेकर टॉप किया। कितनी बड़ी बात है। आज केन्द्रीय विद्यालय संगठन के 95 पर्सेंट से अधिक छात्र-छात्राएं इस परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं उनको भी मैं बधाई देना चाहता हूं और सीबीएसई को भी बधार्इदेना चाहता हूं। आपने शानदार प्रदर्शन किया है और सीबीएसई की  12वीं कक्षा का भी रिजल्ट अद्भुत था। 12 लाख छात्रों में से 10 लाख 50 हजार से अधिक उत्तीर्ण हुए और छात्रों की सफलता का प्रतिशत पिछले वर्ष के मुकाबले 5.38 प्रतिशत ज्यादा रहा है, यह भी बहुत बड़ी बात है।कोविडके इस दौरान भी आप लोगों ने जिस तरीके से, जिस हौंसले के साथ अपनी परीक्षाओं को दिया है वो अद्भुत है। त्रिवेंद्रम, बैंगलोर और चेन्नई जैसे क्षेत्रमें छात्रों ने इन परीक्षाओं में जिस तरीके का अच्छा प्रदर्शन किया है, मैं उन सभी छात्रों को बहुत बधाई देना चाहता हूं मैं शुभकामना देना चाहता हूं।एक यह भी मुझे अच्छा लगा कि अब सीबीएसई ने फेल शब्‍दको ही हटा दिया है। परीक्षण प्रक्रिया से फेल शब्द को हटा दिया है। अब कोई फेल नहीं होगा लेकिन उसकी प्रतिस्पर्धा और आगे तेजी से बढ़ेगी। किस ढंग से उसकी प्रतिस्पर्द्धा आगे बढ़ेंगी, किस तरीके से उसको अब नई चुनौतियों का मुकाबला करना है, आपके लिए पूरा मैदान खाली है। परीक्षा से जुड़े मानसिक और भावनात्मक तनाव दूर करने की दृष्टि से भी बहुत अहम कदम हम लोगों ने उठाए हैं। सीबीएसई की 2021की बोर्ड परीक्षाओं के लिए 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम को भी कम किया है। मैं यहसमझता हूं कि जो नीट जेईई की जो परीक्षाओं से जुड़ा विषय है वो भी आपके सामने कई बार लगातार आ रहे हैं और मुझे लगता है अभी भी आपके मन में बहुत सारे सवाल होंगे। इसको करके जेईई और नीट की परीक्षाएं क्या हो,कैसे हो कबहो,बहुत सारे सवाल जरूर आपके मन में उथल पुथल मचा भी रहे होंगे?लेकिन मुझे इस खुशी है कि हमनेजेईई की समय पर परीक्षा आयोजित की। आपका वर्ष खराब नहीं होने दिया।जेईई एडवांस की भी समय पर परीक्षा आयोजित की और नीट की भी समय पर। नीट दुनिया की इसकोरोना काल की सबसे बड़ी परीक्षा साबित हुई है और इन परीआओं का आयोजन बहुत सावधानीपूर्वक बहुत अच्छे तरीके से हुआ और आप सबको मालूम है कि जब जेईई और नीट की परीक्षा हमने करवाई थी तो उसके बाद जिन राज्यों में चुनाव हुए है विशेष  करके जो बिहार में आम चुनाव हुआ था विधानसभाओं का और उसमें चुनाव आयोग ने बाकायदा जेईई और नीट में जिस तरीके से व्यवस्था की गई उसका उदाहरण लेते हुए चुनाव कराया था और वो भी सफलतम चुनाव हुआ था। करोड़ों लोगों ने अपने मतदान का उपयोग किया था, यह छोटी बात नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक देखने लायक बात है, एक समझने वाली बात है जो हमारे प्रधानमंत्री जी की इच्छा शक्ति को प्रदर्शित करती है। जो नीट काएग्जाम है,उसमें पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 5.34 प्रतिशत अधिक बच्चों ने रजिस्ट्रेशन करवाया। यह भी अपने में रिकॉर्ड है और कोरोना के मध्यनजर सोशल डिस्टेंस और सुरक्षा की दृष्टि से हमने परीक्षा केन्द्रों को जरूर बढ़ायाथा। 52प्रतिशत के करीब लगभग-लगभग बडा करके 3862 परीक्षा केन्द्रों को स्थापित किया था तो उसको हमने 52प्रतिशत इसलिए बनाया था कि हमारे लिए आपकी सुरक्षा सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण थी। आज जेईई के लिए भी और जो सेंटर बनाए थे, सबके वो 570 से बढ़ाकर 660 कर दिए थे और 99 प्रतिशत छात्रों को उनकी पहली प्राथमिकता के आधार पर परीक्षा केन्द्र प्रदान किये गये यह भी पहली बार हुआ और एक बार नहीं, दो-दो बार नहीं, तीन बार यदि उसको चेंज करना पड़ा तो अंतिम क्षणतक भी ऐसे अवसर आए यह भी पहली बार हुआ।99प्रतिशत छात्रों को जो जहां अपना केन्द्र चाहते थे उनको उनके अनुरूप केन्द्र मिला उनका जो निकटस्थ केन्द्र था। अब मुझे लगता है कि जैसे आप बार-बार जब मुझे मेल भेजते थे, मेरे ट्वीटर पर चर्चा करते थे कि ऐसा समय है कि जब हम बाहर नहीं निकल सकते और हमको नीट की परीक्षा को देना है तो कैसे हम अभ्यास करें तो मैं एनटीए के डीजी को भी इस अवसर पर बधाई और धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने नेशनल टेस्टिंग ऐप एक नया ऐसा एप बनाया था जिसमें आप लाखों छात्रों ने अपनी परीक्षा को स्‍वयंलिया था और उसी का परिणाम था कि आप में आत्मबल बना। आपके घर पर ही आपको पूरा ऐसा क्षेत्र दे दिया था कि मोबाइल पर जब आपको इस बात का गर्व हुआ होगा और आपको आत्म विश्वास हुआ होगा कि हां, जो परीक्षा आपने दी हैउसमें यह कितना सहायक आपके लिए साबित हुआ है। मुझे खुशी है कि सीबीएसई ने भी एक टोल फ्री शेड्यूलिंग काउंसिलिंग की सुविधा छात्रों को उपलब्ध कराई है और इसके माध्यम से 75काउंसलर भारत में और 22 काउंसर जापान, ओमान अरब, नेपाल, कुवैत जैसे देशों को भी सुविधायें उपलब्ध करवाई हैं। आपको याद होगा और आपको यह जानकर बहुत खुशी होगी कि हमारे सीबीएसई के पूरी दुनिया में स्कूल हैं और सीबीएसई स्कूलों में जाने के लिए कुछ दिन पहले मैंओमान से जुड़ा था और आज ओमान के शिक्षा मंत्री और सब लोगों ने इस बात को स्वीकार किया है कि जो सीबीएसई का पाठ्यक्रम हैउसमेंउत्कृष्टता है।वहांदर्जनों स्कूल हैं और मैं समझता हूँ कि बहुत सारे देश में लगभग 27-28 देशों में यह स्कूल हैं सीबीएसई के। आपको याद होगा कि जब यह बार-बार अभिभावकों से और आप लोगों से यह संदेश आया कि हम बाहर नहीं जा पा रहे हैं और ऐसी स्थिति में मानसिक दबाव बढ़ रहे हैं और अवसाद में जाने की स्थिति होती है तो हम लोगों ने तुरंत आपसी विचार-विमर्श एवं परामर्श करके हम लोगों ने ‘मनोदर्पण’ जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम की योजना को लाये थे और उस ‘मनोदर्पण’ में आज 300 से भी अधिक ऐसे मनोवैज्ञानिक हैं जो लगातार आपसे संवाद कर रहे हैं। उनकी वेबसाइट में जाकर के तमाम प्रकार की वो गतिविधियां हैजब भी कोई परेशानी आपको होती है आप उस वेबसाइट का अध्ययन कर सकते हैं उससे अपनी सूचनाओं को निकाल सकते हैं और ज़रूरत पड़े तो चौबीसों घंटे वो 300 डॉक्टर आपके लिए हेल्पलाइन के साथ जुड़े हुए हैं। आपको यह भीखुशी होगी की जब पूरी दुनिया कोविड के संकट से गुजर रही थी। और अभी भी उस संकट से उबरी नहीं है, ऐसे वक्त में हमारे देश में एक वरदान के रूप में नई शिक्षा नीति का उदय हुआ है। ऐसी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 जिसको पूरी दुनिया ने, पूरे देश ने बहुत उत्सव के साथ उसको स्वीकार किया है और आप सबको पता है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा नवाचार तथा परामर्श था जिसमें ग्रामप्रधान से लेकर के आदरणीयप्रधानमंत्री जी तक, छात्र से लेकर अभिभावकों तक,विभिन्‍न विश्‍वविद्यालयों के कुलपति से लेकर के और अध्यापक तक को शामिल किया गया था। मैं समझता हूं कि देश में जहां चौतरफा इस नई शिक्षा नीति की प्रशंसा हुई है चाहे वो वैज्ञानिक हो, चाहे कोई संस्थाएँ हों, ग्राम सभा से लेकर के पार्लियामेंट तक उसमें बहस हो,उसके बाद भी उसको पब्लिक डोमेन में डाल कर के 2 लाख से भी अधिक उसपर सुझाव मिले हैं और उन सुझावों का विश्लेषण करने के बाद यह शिक्षा नीति बनी है जो आज इस देश के प्रख्यात वैज्ञानिक कस्तूरीरंगन जी की अध्यक्षता में निर्मित हुई है। श्री कस्तूरीरंगन जी पद्म श्री, पद्म विभूषण, पद्म भूषण और इसरो के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं और आज पूरी दुनिया के देश यह कह रहें हैं कि हम इस नई शिक्षा नीति को भारत की एनईपी को अपने देश में लागू करना चाहते हैं। अभी कुछ दिन पहले कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने इसकी बहुत प्रशंसा की और कहा कि जो भारत अब ज्ञान का केंद्र बनेगा और उन्होंने इस बात के लिए शिक्षा मंत्रालय को और हमारे प्रधान मंत्री जी को बधाई दी है। भारत जो पूरे विश्वमें गुरु था उस भारत के गुरुत्व का पुनरुद्धार इस नई शिक्षा नीति में देखने को मिल रहा है, यह छोटी बात नहीं बल्कि बहुत बड़ी बात है। अभी कल ही जब संयुक्‍तअरब अमीरात के शिक्षा मंत्री जीजिनके साथ डेढ घंटे हमारी वर्चुअल मिटिंग हुई उसमें उन्होंने इस नई शिक्षा नीति की बहुत प्रशंशा की है बहुत सारी चीजों पर दोनों देश किस तरीके से काम कर सकते हैं और शिक्षा को और सुदृढ कर सकते हैं इस दिशा में उन्होंने अपेक्षा की कि क्या-क्या हो सकता है तो मैं समझता हूँ कि यह जो नई शिक्षा नीति है यह नई शिक्षा नीति आपके लिए तमाम अवसरों को लेकर आयी है, व्यापक परिवर्तन और व्यापक सुधारों के साथ आई है। नई शिक्षा नीति यह जो आपके भविष्य का विजन डॉक्यूमेंट होगी और यह जो अभी मैं चर्चा कर रहा था की मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने जो 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की बात की है, ऐसा भारत जो स्‍वच्‍छ भारत हो,सुंदर भारत हो, स्वस्थ भारत हो,सशक्त भारत हो,आत्मनिर्भर भारत हो, श्रेष्ठ भारत हो, उस श्रेष्ठ भारत की, उस स्वर्णिम भारत की आधारशिला यह नई शिक्षा नीति बन करके आई है। मुझे भरोसा है कि यह नईशिक्षा नीति आपको विकल्प भी देगी और अवसर भी देगी। इसकी मदद से आप रिफॉर्म करेंगे, ट्रांसफॉर्म करेंगे और परफॉर्म भी करेंगे।यह जो शिक्षा नीति है यह नेशनल भी है, यह इंटरनेशनल भी, इम्पैक्टफुल भी है,इंटरएक्टिव भी है, इनक्लूसिव भी है, इनोवेटिव भी है और यहइक्‍विटी, क्वालिटी और एक्‍सेसकी आधारशिला पर खड़ी है।यह भारत केंद्रित है,यह जीवन मूल्यों सेजुडी भी है। आज दुनिया जिस संकट से होकर गुजर रही है उसमें लगातार यह महसूस होता है कि भारत की शिक्षा जीवन-मूल्यों से जुड़ी थी जिसमें ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, नवाचार भी था लेकिन उसकी मूल रीढ़जीवन मूल्यों की शिक्षा होती थी। भारत केंद्रित यह नई शिक्षा नीति नए बदलाव के साथ आपके सामने आई है। आप इस नयी शिक्षा नीति के ब्रांड एम्‍बेडकर है औरआपके माध्यम से ही इसको और आगे बढ़ना है और आज फिर हम एक बार विमर्श के लिए आये हैं। मैंने मोटी-मोटी बातें आपसे कहीं हैं अभी भी आपके मन में क्‍योंकि अभी मैं देखरहा हूं कि बहुत सारे सवाल आपके मन में हैं और मैं लगातार देखता हूं कि एक के बाद एक बहुत सारे प्रश्न सामने आ रहे हैं, तो मैं शुरू करता हूं। मैं आपको शुभकामनाओं के साथ शुरूकरता हूं किआपके मन में इसके बाद भी यदि कोई आपके कुछ सुझाव आए थे उन सुझावों को मैंने निचोड़ करके कुछ चर्चा की और अभी भी लगातार आपके सुझाव आते रहे हैं। अभी भी आपको कुछ प्रश्न करना हो तो आप करिए।

 

प्रश्‍न  – जिग्‍यांस

 

जिग्‍यांस कह रहे हैं कि मैं 12वीं क्लास का छात्र हूँ और हम लोगों को आज स्कूल बंद होने की वजह से लैब में जाने और प्रैक्टिकल करने का ज्यादा मौका नहीं मिल पाया। क्या हम लोगों की सीबीएसई की प्रैक्टिकल परीक्षाएं रद्द या पोस्टपोंड होंगी?

 

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

जिग्‍यांसयह बात बिल्कुल सही है और आपका जो कहना है कि आपको लैब में जाने का मौका नहीं मिल पाया तो क्या यह प्रैक्टिकल स्थगित होंगे या बंद होंगे या आगे केलिए होंगे। मैं आपको कहना चाहता हूँ जिग्‍यांसजो सीबीएसई का जो बोर्ड है उसमें जो प्रैक्टिकल होते हैं वो स्कूली स्तर पर होते है और इसलिए यदि ऐसा लगेगा कि संभावनाएं नहीं दिखेंगी कि आप अपने लैब में नहींजा पा रहे हैं और प्रैक्टिकल नहीं कर पा रहे हैं वैसे तो मुझे भरोसा है कि आगे आने वाले समय में परिस्थितियां अनुकूल होंगी लेकिन यदि ऐसा लगेगा कि अभी भी परिस्‍थितियांअनुरूप नहीं हो रही है या अनुकूल नहीं हो रही हैं तो उसके बारे में विचार किया जाएगा। आपका प्रश्न बिलकुल जायज है कि यदि लैब में प्रैक्टिकल नहीं होगा, अभ्यास नहीं होगा तो परीक्षाएँ कैसे करके दी जाएंगी तो इस दिशा में निश्चित रूप में जो आपका सुझाव है बहुत महत्वपूर्ण सुझाव है जिस पर हमलोग विचार करेंगे।

 

 

प्रश्‍न – अभिशम

आप कह रहे हैं कि यदि हम प्रतियोगी परीक्षाओं से 10 से 20 प्रतिशत पाठ्यक्रम को हटा दें और शेष पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए छात्रों को कुछ अतिरिक्त समय दे तो यह सबसे बड़ा अच्छा काम होगा। परीक्षा रद्द नही करें लेकिन छात्रों को अतिरिक्त समय दे?

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

अभिशम यहबिल्कुल सही बात है और आपने जो कहा है कि 10 से 20 प्रतिशत पाठ्यक्रम कम कर दें और थोड़ा सा समय बढा दें। आपका जो विचार है बिल्कुल सही है और आपको मालूम है कि कुछ तो अभी 10 से 20 प्रतिशत पाठ्यक्रम कम किया है। सीबीएसई ने तो 30 प्रतिशत तक अपने पाठ्यक्रम को कम किया है और आपने कहा है कि आगे के समय में थोड़ा सा और मौका मिलना चाहिए।यदि ऐसी ही परिस्थिति रही तो आपको याद होगा कि पिछली बार हमको एक बार, दो बार, तीन बार परिस्थितिजन्य निर्णय लेने पडे थे। कब तो परीक्षा होती थी और परीक्षा के बाद फिर पीछे गए। आम लोग इस आशा में रहे अब क्या होता है लेकिनहमनेदो बार या तीन बार लगभग उन तिथियों को परिवर्तित किया है। यदि कभी ऐसी परिस्थिति होगी कि आपको समय चाहिए तो समय का विस्तार करनाहै तो उन परिस्थितियों पर निर्भर करेगा लेकिन आपकी बात बिल्कुल सही है और आपके बहुत सारे कंसर्न जो आपने इच्छा व्यक्त कि हैऔर मैंने देखा है बहुत सारे लोगों के सुझाव आए हैं जैसे आपने सुझाव दिए हैं।

 

प्रश्‍न–प्रियांशु

 

प्रियांशु कहरहे हैं कि हमारे सिलेबस से हटाए गए चैप्टर्स को ले कर के छात्रों और हमारे शिक्षकों के बीच अभी भी काफी संदेह बना हुआ है। क्‍याहटाए गए चैप्टर्स के विषय में पृष्ठ संख्या के साथ साथ एक डिटेल हमें वीडियो और पीडीएफ के माध्यम से जानकारी प्राप्त हो सकती है?

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

प्रियांशु आप ने जो प्रश्न किया है वो प्रश्न कई और छात्रों का भी है और मुझे लगता है और कुछ छात्रों ने यहकहा है कि जब ये प्रश्न आए तो बहुत सारे छात्रों ने लिखा कि हमारे स्कूल ने सम्पूर्ण जानकारी हमको प्राप्त प्रदान कर दी है। यह जो सीबीएसई का बोर्डहै इसकी आप यदि साईट पर जाएंगे तो उनकी वेबसाइट पर आपको सब कुछ मिल जाएगा। सीबीएसई के चेयरमैन मनोज आहूजा जी ने मुझे बताया और हमारी जो सचिव स्कूलीशिक्षा की अनिता जी ने मुझे बताया कि हमने और ग्रांट दी उस सीबीएसई बोर्ड का जो पेज है जो उसका साइटहै उस साइट पर ऑलरेडी इसको डाला है तो आप उसको निकाल सकते हैं, देख सकते हैं और उन्होंने सभी स्कूलों को भेज दिया। आपके माध्यम से मेरे साथ स्कूलों के सभी प्रधानाचार्य जुड़े हुए हैं मैं उनसे अनुरोध करूंगा कि अपने बच्चे तक, सभी छात्रों तक जो सीबीएसई की ये सूचनाएं हैं जिसमें बहुत स्पष्ट तरीके से क्या हटाया गया है उसमें साफ साफ है कितना हटाया गया किस पृष्ठसे है सब बताया गया है तो उसमें बहुत स्पष्ट जानकारी है यह भ्रम रहना नहीं चाहिए। आज छात्र अध्यापक के बीच भी नहीं रहना चाहिए ये प्राचार्यों को मैं अनुरोध करूंगा। सभी स्कूलों के प्राचार्यों से मैं अनुरोध करूंगा कि वो उसको देखें और अपने अध्यापकगणों को भी उस जानकारी को दें और अपने छात्रों तक हर हालत में इसको पहुंचाएं। लेकिन इसमें कोई भ्रम की स्थिति नहीं रहनी चाहिए।

 

 

प्रश्‍न – अभय सिंह

 

अभय सिंह कह रहे हैं कि सभी बोर्ड की परीक्षाएं अक्सर मार्च की शुरूआत में हो जाती हैं किन्तु हमें नए पेपर पैटर्न को समझने, लिखने और अभ्यास करने के लिए थोड़ा समय चाहिए। क्या परीक्षाओं का आयोजन थोड़ा आगे बढ़ सकता है?

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

आप कह रहे हैं कि परीक्षाएं अक्सर मार्च की शुरूआत में हो जाती हैं और नए पैटर्न को समझने और लिखने के लिए आपको अभ्‍यासकरना पड़ता है। मुझे लगता है कि हमलोगों ने पीछे के समय जब बोर्ड की परीक्षाओं का जो समय होता था वो पहले ही हमलोगों ने निश्‍चित किया है और आपको समय मिलता है तो इतने समय पहले ही घोषित हो जाएंगी तिथियां तो उन घोषित की गई तिथियों में आपको आगे जो पाठ्यक्रम  है,उसकी तैयारी करनेका मौका मिलता है और मुझे लगता इसमें कोई शंका नहीं होनी चाहिए।हमने पहले भी देखा और आपकी जो जिज्ञासा है, जिज्ञासा-पूर्ति के लिए हम समय-समय पर देखेंगे। आपको तैयारी का पूरा मौका मिला अथवा नहीं, हम आपके साथ हैं।

 

प्रश्‍न – सुधा

 

सुधा जी कह रही हैं कि बोर्ड के छात्रों के लिए स्कूल फिर से खुल रहे हैं तो उनकी सुरक्षा कैसे निश्‍चित होगी क्योंकि एसओपी का पालन करने के बावजूद कुछ राज्यों में स्कूल खुलने के बाद छात्रों में संक्रमण की सूचना मिली है?

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

आपके सवाल के संदर्भ में यदि आप देखें तो यदि कोई स्कूल न भी आये और केवल घर में ही रहे लेकिन नियमों का ठीक से अनुपालन नहीं कर तो वह घर में भी संक्रमित हो सकता है। हम दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा नीट भी करा लेते जब नियमों का पालन ठीक से होता है तो बिहार जैसे राज्य में आम चुनाव भी हो जाते हैं। आपके हाथ पर बहुत कुछ निर्भर करेगा क्योंकि मैं समझता हूं कि परिवार और छात्र दोनों मिलकर अपनी सुरक्षा के लिए मास्‍कका ज्यादा से ज्यादा उपयोग आप करेंगे। जैसे आप बाहर निकलते हैं तो आपस में व्यक्तिगत दूरी बना करके रखेंगे इसका पालन होगा तो मुझे लगता नहीं कि कोई अप्रिय स्थिति आयेगी।यदि आपने ठीक से पालन किया है और यदि ठीक से पालन हुआ है तो हमारे द्वारा आयोजित नीट दुनिया का सबसे बड़ा उदाहरण है।14-15 लाख छात्र परीक्षा में बैठ जाते हों और मुझे लगता है कि शायद ही कोई उदारण होगा तो एकाध उदाहरण ऐसा हो सकता है,अपवाद के लिए लेकिन हमने यह दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा भी कराई। इसलिए सुधा जब भी यह स्कूल खुलेंगे तो स्कूल के प्रबंधकों से भी मेरा अनुरोध रहेगा और अभिभावकों से भी और जो बस में या गाड़ी में जब बच्चे जो आ रहे हैं घर से जैसे ही निकलते हैं तो हर एक कदम पर उन सुरक्षा निर्देशों का जरूर पालन करेंगे और स्कूल यदि सुरक्षानियमों का पालन करेंगे तो कम से कम मैं यह कह सकता हूं कि उससे कोई भी प्रभावित नहीं होगा लेकिन चौकसी हमकोस्कूल में भी रखनी पड़ेगी, यातायात में भी रखनी पड़ेगी,अपने घर से आते समय भी रखनी पड़ेगी और एक-एक कदम पर घर से जाने तक और वापस पहुंचने तक हमको सावधानी रखनी पड़ेगी। यह सावधानियां आपको रखनी हैं, आपके चालकों को भी रखनी है,आपके प्रबंधकों को भी रखनी हैं,आपके अभिभावकगण को भी रखनी हैं,आपकेअध्यापक को भी रखनी हैं, पुलिस बल को तो रखनी ही रखनी हैं। इसलिए हम लोग सब मिलकर के उन सुरक्षा नियमों का पालन करेगें तो काफी कुछ सुरक्षा हमें मिल जाएगी।

 

प्रश्‍न – मनीष

 

मनीष जी कह रहे हैं कि  बोर्ड की परीक्षाओं का सिलेबस और कम करने की जरूरत नहीं है केवल परीक्षा की तिथि आगे बढ़ाएं?

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

बहुत अच्‍छी बात है मनीष जी,सिलेबस कम करने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन आगे हम लोग बढ़ाते ही हैं और बढ़ाया ही हमने आपको। हमने समय-समय पर जो समस्याएं सामने आई हैं उसके तहत सिलेबस को कम करना पड़ा है, जिसे हमने परिस्थितिवश किया है क्योंकि विद्यार्थियों पर ज्यादा दबाव न हो, तनाव न हो, ज्यादा बोझ न हो और ऑनलाइन पर किस तरीके से अध्यापक और अभिभावक मिल करके जिसमें आपकी सुरक्षा भी होऔर मनःस्थिति भी में कोई दबाव और तनाव न हो इसलिए उसको कम किया है लेकिन जैसे ही सामान्य स्थिति होगी मनीषआपकी तरह बहुत सारे छात्रों ने मुझे अच्छा लगा कि उन्होंने कहा कि यह पाठ्यक्रम पूरा हो तो अच्छा है। मुझे लगता है कि इन सभी बातों के माध्यम से उन सभी छात्रों को मैं कहना चाहता हूं कि यह पाठ्यक्रम को कम करने का जो विषयहै वो परिस्थितिजन्य है और यदि सामान्य स्थिति आएगी तो आपका पाठ्यक्रम आपके साथ-साथ चलेगा,बढेगा और आप उसको पूरा कर लेंगे।

 

प्रश्‍न – अभय

 

अभय जी कह रहे हैं कि जैसेकि सीबीएसई ने बोर्ड के सिलेबस को कम कर दिया है यानि हमारे ऊपर से पढाई का प्रेशर कमहो चुका है ऐसे में जेईई मेन्स में सिलेबस को कम करने की क्या आवश्यकता है?

 

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

आपने बिल्कुल सही पूछा है और आपका शायद तात्पर्य यह है कि यदि इधर का सिलेबस कम हो जाता है तो क्या जेईई का भी पाठ्यक्रम थोड़ा सा कम होगा? इस पर हमलोग लगातार विचार कर रहे हैं और वो जो पाठ्यक्रमकम हुआ है आगे यह कोशिश कर रहे हैं कि कितने प्रश्नों को किस ढंग से पूछा जाएं। यदि कहीं 10% तो कहीं 20 से 30 प्रतिशत जो कम हुआ है और कुछ स्थान ऐसे हैं जिन्होंने पूरा कम नही किया। कुछ बोर्ड ऐसे हैं सीबीएसई बोर्ड नहीं केवल जिन्होंने 30 प्रतिशत कम किया है। बहुत सारे राज्यों के बोर्ड अपना पाठ्यक्रम अपने ढंग से कम करने पर विचार कर रहे हैं। हम यह विचार कर रहे हैं कि किस सीमा तक प्रश्न पूछे जाएं ताकि वहां तक भी कवरहो जाये और जिसने वहां तक किया वो भी कवर हो जाए।इसका मतलब है कि यदि सौ प्रश्न आते हैं तो आपको 120 करने हैं।इन 120 प्रश्नों में वो भी कवरहो जायेंगे जिसने 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत कम पाठ्यक्रम पढ़ा है तो इसमें भी हम विचार कर रहे हैं। इस क्रम में जिसने पूरा पढ़ा होगा जिसे पूरे सिलेबस का यदि नॉलेज है तो वह पूरा का पूरा कर सकता है। लेकिन यदि दस बीस प्रतिशत कम वाला है और उसको पूरा का पूरा नॉलेज है तो वो भी उसको भी कवर कर सकते हैं। ऐसे कोशिश कर रहें हैं।

 

प्रश्‍न – नवीन

नवीन जी  कह रहे हैं हमस्टूडेंट्स के बीच जेईई परीक्षा के आयोजन की तारीखों को लेकर काफी कन्फ्यूजन है, भ्रम है।क्‍या इस परीक्षा के आयोजन एक फिक्स तिथि या तय तारीख नहीं दी जा सकती जिससे कि हम अपनी तैयारी पूरी कर सकते हैं।

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

मुझे लगता है कि इसकीहम कोशिश कर रहे हैं या आपने जो कहा है कि क्या इसकी तिथि को सुनिश्चित करना यह आपका अच्छा सुझाव है और हम यह कोशिश करेंगे कि हम जेईईकी परीक्षा का जो आयोजन हैजो तारीखें हैं उसको और कैसे करके पहले ही सुनिश्चित कर लें। लेकिन दूसरी बात जो आप जैसेबहुत सारे छात्र छात्राओं ने पूछी है और उसके संदर्भ में मेरे पास जो सूचनाएं आईं  हैं और अभी भी लगातार आ रही हैं किऐसा नहीं हो सकता है कि इसको थोड़ा सा दो बार, तीन बार कर दिया जाए। कुछने यह भी कहा है कि चार बार की जा सकता है यह परीक्षा ताकिछात्र को नए अवसर प्राप्त हो सकें। उसकी समय-समय पर परिस्थितियां बदलती रहती हैं और कठिनाइयों का दौर जारी है तो इस दिशा मेंआपके और आपके सभी साथियों के और सभी छात्र-छात्राओं के जो यह सुझाव हैं इस पर बहुत गंभीरता से विचार हमकर रहे हैं। गंभीरता से विचार कर रहे हैं कि क्या जेईईकी परीक्षा दो बार, तीन बार, यहां तक कि चार बारहो सकती है क्या? यदि संभावनाएं बनेंगी और हो सकने में कोई कठिनाई नहीं होगी तो मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूँ कि बहुत जल्दी ही एक बार हम इस पर डिसीजन भी लेंगे और इस पर भी कुछ सुझाव और लोगों से जो आ रहे हैं और भी हम सुझाव लेंगे। लेकिन आपका अच्छा सुझाव है, और आप स्वस्थ रहिये, जो सुझाव है आपका उसमें ताकत है।

 

प्रश्‍न – कृपा पटेल

 

कृपा जी कह रही हैं कि कृपयाहमेंजेईईके पाठ्यक्रम के बारे में बताएं हमें उस पाठ्यक्रम और परीक्षा की तिथि को जानना है जिसे हम देने जा रहे हैं ताकि हम रिवीजन कर सकें साथ ही सीबीएससी भी उसी अनुसार अपनी अभ्यास परीक्षाओं की व्यवस्था कर सकें। जेईई मेन्सऔर सीबीएसई के प्रैक्टिकल के बीच कोई संघर्ष न हो?

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

बहुत अच्छा सुझाव हैआपका। एक तो यह कहना है कि आपको पाठ्यक्रम सुनिश्‍चित रूप से मिल जाएं। दूसरे मेंआपका कहना है कि नीट की जो परीक्षाएं हैं आप जैसा प्रश्न बहुत सारे लोगों ने किया है। उन सभी को मैं कहना चाहता हूं कि जो आपने पाठ्यक्रम सुनिश्चित करने की बात की है कि क्या उसके पाठ्यक्रम सुनिश्चित मिल जाएगा तो उसका पाठ्यक्रम को किस तरीके से हम जैसे पिछले वर्ष कुछ बोर्डो के द्वारा जो पाठ्यक्रम में कमी कोदूर भी किया गया था तो 2021 के प्रश्नपत्रों में किस तरीके से भौतिकी, रसायन, गणित में प्रत्येक में कितने कितने अंको होंगे और कितने प्रश्न करने होंगे। यह पाठ्यक्रम  पहले निश्चित करने की हम कोशिश करेंगे। साथ में जो आपने कहा जो प्रेक्टिकल होते हैं और उस प्रैक्‍टिकलमें और जेईई की परीक्षाओं में दोनों में आपस में कोई टकराव न हो। बात तो सही है आपकी क्योंकि फिर आपको यदि बोर्ड की तिथि में जेईई की परीक्षा भी आ गई और आपका प्रैक्टिकल भी हुआ तो वह आपकी कठिनाई का कारण बन सकता है। इसलिए सीबीएसई  को हमने कहा है और सचिव,स्कूली शिक्षा ने मुझे अवगत कराया है कि सीबीएसई बोर्ड के जो चेयरमैन हैं मनोज जी ने आलरेडीइस बात को ध्यान में रखा है और आपके सीबीएसई बोर्ड की जो परीक्षाएं तथा प्रैक्टिकल हैं क्योंकि प्रैक्टिकल स्‍कूलको ही करना होता है तो उनको ये सुनिश्चित करना होगा कि जब जेईई की परीक्षाएं होंगी उन तिथियों में वो अपना प्रेक्टिकल न करें और किन्‍ही परिस्‍थतिवश ऐसा होता है कि वो तिथियां एक समय में आएंगी तो उनको अवसर दिया जाएगा। ऐसे यह निर्देश जारी भी हुए हैं लेकिन बिल्कुल सही हैं यह बातें दोनों जब एक साथ होते हैं तो बहुत कठिनाई होती है और हम यह भी कोशिश करेंगे कि जो यदि सौ प्रश्न हैंतो छात्र 75का उत्तर दे। हम प्रयास करेंगे कि कैसे करके आपको सुविधा दी जा सकती है ताकिआप सुगम तरीके से अपनी उन परीक्षाओं को अच्छे तरीके से कर सकें। यह हमारी कोशिश होगी।

 

प्रश्‍न – केशव राज

 

केशवराज जी कह रहे हैं कि नीट परीक्षा स्थगित कर दी जानी चाहिए और जुलाई के पहले सप्ताह में लिया जाना चाहिए?

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

नीट परीक्षा को कैंसिल करने का भी कोई विषय नहीं है और आपको तो मालूम है कि नीट की परीक्षाओं पर कितना बड़ा विवाद हो गया था, हो-हल्ला मच गया और हम लोगों ने कहाकि यह तो समझ आता है कि थोड़ा सा पीछे करले और जैसी परिस्‍थितियांबहुत खराब थी उसमें हमने एक बार दो बार और तीन बार परिवर्तन किया और जैसे मैंने अभी कहा कि हमने सेंटर बढ़ा दिए।छात्र को उसी की मनःस्थिति और उसी की परिस्‍थितिऔर उसकी इच्छा के अनुसार 99 प्रतिशत छात्रों को उनका केंद्र दिया। हमने तो ऐसी-ऐसी स्थिति में उसको कैसे करके सुविधा मिल सके और कुछ लोग मुझे कहना नहीं चाहिए लेकिन पतानहीं कौन लोग वो आन्दोलन भी कर रहे थे क्योंकि मेरे छात्र तो जब मैंने उनसेसंवाद किया तो छात्रों ने कहा हर हालत में जब अभिभावकों ने भी कहा कि हर हाल में नीट की परीक्षा होनी चाहिए, हमने बहुत तैयारी कर रखी है तब तक हम तैयारी करते रहेंगे और हम लोगों ने निश्चित किया। हां, आपकी सुरक्षा के लिए हम बहुत चौकस थे और आपके भविष्य के लिए भी उतने ही चौकस हैं। हम चाहते तो कैंसिल भी कर सकते थे। लेकिन यह देश का नुकसान होगा आपके भविष्यका, आपके जीवन का एक-एक पल हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आप स्वंय अपने लिए, आपके परिवार के लिए, मेरे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं और इसलिए जब हमारे देश के प्रधानमंत्री ने इस बात को कहा कि यदि चुनौतियां बड़ी होती हैं और उसका डटकर के मुकाबला होता है तो उतनी ही बड़ी सफलता भी अर्जित होती है इन कठिनाइयों का हमने मुकाबला किया और बहुत सारे लोग सुप्रीम कोर्टगए,मैंधन्यवाद देना चाहता हूं सर्वोच्च न्यायालय को जिसने कहा कि नहीं, छात्रों के भविष्य को अंधकार में नहीं धकेला जा सकता।इनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो लेकिन परीक्षा भी सुनिश्चित हो और हमने कराई। इसलिए जो आपका सुझाव है वो समय आगे बढाने का उसके संदर्भ में पहले अभी यही बिंदु है कि आगे तिथियांपूर्व से घोषित करने की कोशिश करेंगे ताकि उन तिथियों को लेकर आपका मानस पूर्णतः तैयार रहे कि उन तिथियों में आपको परीक्षा देनी है तो उसकी तैयारी आप समय से कर सकते हैं और इसलिए चाहे नीट है, चाहे जेइेईहै आपनिश्चिंत रहिए हम पूरी तरीके से आपके साथ हैं आपके समय-समय पर सुझाव आते रहेंगे और आपके सुझावों पर क्रियान्वयन भी होगा। आपने देखा होगा कि जो भी अब बीच के समय में हम आपके साथ संवाद करते रहें हैं जो-जो भी आपसे सुझाव आया वो हमने किया जो भी व्यावहारिक हो सकता था उस सीमा पर जा कर के किया। हम आपके साथ चट्टान की तरह हमेशा खड़े रहे। पूरामंत्रालय खड़ा रहा। पूरा शिक्षा मंत्रालय एवं पूरा शिक्षा तंत्र खड़ा रहा है और मुझे इस बात की खुशी है कि पूरी ताकत के साथ अध्यापक खड़े रहे हैं और अभिभावकों और अध्यापकों के बीच बेहतर समन्वय रहा है। अन्यथा 33करोड़ छात्रों को अचानक ऑनलाइन मोड़ पर शिक्षा देना कितनामुश्किल हैकोई सोच भी नहीं सकता, कोई कल्पना भी नहीं कर सकता सपना भी नहीं देख सकता जब अचानक कोई ऐसी परिस्‍थिति आ जाए और इसबड़े परिवर्तन के साथ में आपको सुविधा मिल जाए तो आप निश्चिंत रहिएहम आपके सुझावों का समाधान करते रहेंगे।

 

प्रश्‍न–पी.एस. कोहली

 

कोहली जी कह रहे हैं कि नीटपरीक्षा के संचालन की विधि क्या होगी? क्या यह ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड में आयोजित किया जाएगा?

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

मुझे लगता है कि अभी तक तो हम लोगों ने ऑफलाइन ही परीक्षाएं ली हैं और जेईई में हमने ऑनलाइन किया और जो नीट है, नीट में हमनेऑनलाइननहीं किया बल्कि ऑफलाइन किया है क्योंकि नीट की जो परीक्षा है वो जिस प्रेक्टिकल और तमाम चीजों से होकर गुजरती है उसमें बहुत समय भी लगता है और कठिनाई भी बहुत है लेकिन फिर भी जो आपने कहा है उसके बारे में एक बार हम और परामर्श करेंगे। क्या चाहते हैं लोग, आप क्या चाहते हैं? क्या ऑनलाइन की संभावना बन सकती है? और यदि यह विचार ज्यादा लोगों का आया और उसमें बहुत अच्छे तरीके से क्‍या विकल्‍प निकाला जा सकता है। वो आपके हित में ही होगा, हम आपको कहीं निराश नहीं होने देंगे तो मैं आप सबको बहुत शुभकामना देना चाहता हूं। जिस तरीके से आपनेइस समय को बचाया है मुझे इस बात को कहते हुए संतोष होता है कि जहां कोविड ने दुनिया के देशों ने एक-एक साल पीछे कर दिया है, और परीक्षाएं समय पर नहीं हो पायी,वहीं हिन्‍दुस्‍तान जैसे सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश ने अपने बच्‍चों को भी बचाया, वर्ष भी खराब नहीं होने दिया। यह हमारे देश की ताकतहै। मैं इसके लिए अपने प्रधानमंत्री जी को, गृह मंत्री एवं स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री का आभार प्रकट करता हूँ हम उनका लगातार मार्गदर्शन ले रहे हैं और विषम परिस्‍थितियों में कैसे रास्‍ता निकल सकता है, गृह मंत्रालय और स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालयने  एक कदम आगे आ आकर हमारा सहयोग किया है। मैं अभिभावकों से इतना अनुरोध जरूर करना चाहूंगा कि बच्‍चों को केवल पढ़ाई पर मत रखिए आप उसको योग भी करायें तथा अन्‍य गतिविधियों में भी उसे हिस्‍सा लेने दीजिए। मैं बहुत जल्‍द ही अभिभावकों के साथ भी परामर्श करूंगा, उनकी भी जो समस्‍याएं हैं। मैं जानता हूं कि उनकी कई प्रकार की समस्‍याएं हैं और मैं अध्‍यापकगण को भी धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि मैं जान सकताहूं कि इस देश के 1 करोड 10 लाख अध्‍यापकों ने किस तरीके से मिशन मोड में जूनूनी स्‍वभाव के साथ इस शिक्षा व्‍यवस्‍था की धुरी बनकर के काम किया है। मुझे अध्‍यापकों का भी अभिनन्‍दन करना है और इसलिए मैं अध्‍यापकों के साथ भी बहुत जल्‍द ही संवाद करूंगा। जब हम आपस में चर्चा करेंगे और सुझाव भी लेंगे। एक बार पुन:बहुत सारी शुभकामनाओं के साथ कि आप अपनेस्‍वास्‍थ्‍य का ध्‍यान रखेंगे और आप एक योद्धा की तरह यह जो कोरोना का महासंकट हैं इसका मुकाबला करेंगे। जीत हमारी होगी। मेरे प्रिय छात्र छात्राओं। मुझे आप पर गर्वहोता है और आप तो उस 21वीं सदी के स्‍वर्णिम भारत के शिल्‍पी हैं जिसके बारे में मेरेदेश के प्रधानमंत्री जी बार-बार कहते हैं कि ऐसा भारत जो सशक्‍त भारत हो उस सशक्‍त और श्रेष्‍ठ भारतकेलिए और जैसा कि अब सारीदुनिया कहने लगी है कि अब भारत विश्‍व गुरूबनेगा, ज्ञान की महाशक्‍ति बनेगा और उसके लिए यह जो नई शिक्षानीति आई है वो चाहे उच्‍च शिक्षा हो या स्‍कूली शिक्षाहो सभी में व्‍यापकपरिवर्तनों के साथ आई है। मैं एक बार फिर प्रियछात्र-छात्राओं आप सबको शुभकामनाएं देता हूं और आपके माता-पिता भी मेरे साथ जुड़े  हैं  मैं उनको भी अभिवादन  कर रहा हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. देश भर से जुड़े सभी अध्‍यापकगण, अभिभावकगण एवं छात्र-छात्राएं।

 

 

 

 

ई-सेमिनार ऑन एनईपी-2020

 

ई-सेमिनार ऑन एनईपी-2020

 

दिनांक: 03 दिसम्‍बर, 2020

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

अलीगढ़ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालय में राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति-2020 परआयोजित इस सेमिनार औरपुस्‍तक के लोकार्पण के अवसर पर मुझसे जुड़े सभी अतिथिगणों, अध्‍यापगणों और छात्र-छात्राओंका मैं अभिनन्‍दन करता हूं।

इस कार्यक्रम में विशेषकर यूजीसी के यशस्‍वी अध्‍यक्ष, प्रो.डी.पी सिंह जी, जिनकी नई शिक्षा नीति के कार्यान्‍वयन में बहुत महत्‍वपूर्ण भुमिका रही है,अलीगढ़ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. तारिक मंसूर जी, जो इस विश्‍वविद्यालय की प्रगति की दिशा में लगातार अग्रसर है, मैं जानता हूं कि जिस तरीके वे काम कर रहे हैं कि मेरा अलीगढ़ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालय देश एवं दुनिया में अपनी अच्‍छी पहचान कैसेबना सकता है, यह जो उनकी चिंता है और जो सहज, सरल व्‍यवहार के धनी है तो ऐसे विश्‍वविद्यालय के यशस्‍वी कुलपति, प्रो. तारिक मंसूर जी, विज्ञान विभाग के डीन, प्रो. कांजी मजहर अली जी, प्रो. नसरीन जी, प्रो. सज्‍जाद अख्‍तर जी और प्रो. एस.के. सिंह जी,आप लोगों ने आज इस सेमिनार को एक अच्छा स्वरूप दिया है और इन्‍होंने आज एक बहुत ही सुंदर पुस्तक का भी लोकार्पण किया है। प्रोफेसर एस.के. सिंह जी को मैं बहुत लंबे समय से जानता हूं उन्‍होंने गढवाल केन्‍द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं और यदि उनके पीछे के समय को देखा जाए तो उनके 50 वर्षों केअद्भुत अनुभव और शिक्षा के उत्‍थान की दिशा में उनकी अनवरत साधना का हमनेदर्शन किया है उन्होंने अपने अनुभवों और शिक्षा को अपने छात्रों के बीच बांटने की कोशिश की है, अपने विजन को आगे बढ़ाने की कोशिश की है और उन्‍हींके साथ प्रो. सज्जाद जो 25 वर्षों से अध्यापन एवं शोध के क्षेत्र में कार्यरत हैं,मैं उनको भी बहुत बधाई देना चाहता हूं। प्रो.सज्जादअख्‍तरजी और प्रो.एस.के सिंह जी आपने जो यहखूबसूरत पुस्तक अपने छात्रों के लिए तैयार की है और ऐसी परिस्थितियों में तैयार की है, वह बहुत अद्भुत है और मैं समझता हूं कि यह पुस्‍तक विभिन्‍न विश्‍वविद्यालयों, उच्‍च शैक्षणिक संस्‍थानों में परमाणु भौतिकी एवं खगोल भौतिकी के क्षेत्र में छात्र-छात्राओं के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगी।

मैं आप दोनों लोगों को बहुत बधाई देना चाहता हूं, शुभकामना देना चाहता हूं कि इस अभियान को आप लगातार आगे बढ़ा रहे हैं। पूरी दुनिया आज हिंदुस्तान की ओर देख रही है उसकेहर एक कदम,हर एक कार्यान्‍वयनकी ओर देख रही है और अब एक योद्धा के रूप में हम इसको चारों तरफ किस तरीके से आगे बढ़ासकते हैं,इसकी जरूरत है। अलीगढ़ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालयके कुलसचिवअब्‍दुल हमीद जी, सभी अध्‍यापक,प्रोफेसर,छात्र-छात्राओं, शोध छात्रों,लेखकगण और जो लोग आज इस बड़े वेबिनारमें जुड़े हैं मैं उन सभी का अभिवादन कर रहा हूं, उनको धन्यवाद देता हूं और यहांआज जो नई शिक्षा नीति की बात हो रही है और भारत की यी राष्ट्रीय शिक्षा नीति,एक तो भारत राष्‍ट्र,दूसरी इसकी शिक्षा और तीसरी उसकी नीति यदि इन तीनों चीजों की बात करें तो जब हम भारत बोलते हैं तो 130करोड़ लोगों की ताकत हमारे अंदर समाहित होती है, जब हम भारत बोलते हैं तो वो भारत जिसकागौरवशाली इतिहास रहा है, अभी सिंह साहबजिस बात को कह रहे थे उस गौरवशाली भारत का हम हिस्सा होते हैं जो पूरी दुनिया में विश्वगुरु रहाहै, जब हम भारत बोलते हैं तब हम उस भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं जो ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की बात करता है।

यह पूरा संसार हमारा है, मेरा परिवार है इस परिवार की रक्षा-सुरक्षा, प्रगति और सुख-शांति हम लोगों की जिम्मेदारी है। यह छोटा विजननहीं है,बहुत बड़ा विजन है जो जात-पंथ, धर्म सबको एकसमान मानकरके मानवता के शिखर को छूता है, यह जो हमारी भावना है यही मेरे देश की ताकत है। यह जो हमारी नई शिक्षा नीति आई है, यह हमारी ताकत है क्‍योंकि नेल्सन मंडेला जी ने भी कहा था कि शिक्षा एक ऐसा अस्त्र है जो दुनिया में कुछ भी कर सकता है। हमारे देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना साहब ने भी इसी बात को कहा था, गांधी जी ने भी यही कहा था, विवेकानंद जीने भी यही कहा थाऔर यदि मैं दूर की बात नकरूं तो अभी कुछ वर्षपहले इस देश के पूर्व-राष्टपति भारत रत्न अब्दुल कलाम आजाद ने भी इन्हीं बातों को दोहराया था और इसलिए शिक्षा किसी व्यक्ति, परिवार,समाज औरराष्ट्र की रीढ की हड्डी होती है। यदि शिक्षा नहीं तो कुछ भी नहीं है, अंधेरा ही अंधेरा है और शिक्षा है तो उजाला ही उजाला है।

इसीलिए हमने इस बात की परिकल्पना की‘असतो मां सद्गमया’कि हम हमेशा असत्‍यसत्‍यकी ओर जाएंगे, चाहे कोई भी कुर्बानी क्यों न देनी पड़े। हम सच्चाई को नहींछोड़ेंगेऔर यह जो अंधकार है उस अंधकार से प्रकाश की ओर मनुष्‍यता की ले करके जाएंगे। इसको वही लेकर केजा सकता है जिसके अंदर ताकत है। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ की बात वह व्‍यक्‍ति ही कर सकता है जिसके मानस के अन्‍दर दीप आंदोलित हो रहा हो, जल रहा हो,जो स्‍वयं बुझा है, वह दूसरों को क्या रास्ता दिखा सकता है,दूसरो को क्या रोशनी दे सकता है। जिसके स्‍वयं के चेहरे पर मुस्कुराहट ना हो वह किसी को क्‍या हंसा सकता है। जो हताश है, निराश है वह दूसरे को क्या मार्ग दिखा सकता है। इसलिए जब मैं अपने भारत की बात करता हूंतो मैं उस भारत की परिकल्पना करताहूंजोभारत जो सारी धरती को अपनी मां के समान मानता है,यह है हमारा विज़न।

इसीलिए जब यह नई शिक्षा नीति आई है वह तमाम व्यापक परिवर्तनों एवं तमाम सुधारों के साथ आई है, मुझे इस बात कीखुशी है। मेरे से पहले वक्ताओं ने सभी बातें बोलीं हैं,मुझे खुशी है और मुझे तो केवल आपको शुभकामना और बधाई देनी है आप तो योद्धा हैं। नीतितोहमेशा बहुत अच्छी बनती है लेकिन नीति को जमीन पर क्रियान्वित करने का जो माद्दाहोता है, वो माद्दा आप लोगों के अन्‍दर होता है।जब तक नीतियों को जमीन पर क्रियान्‍वितकरने वाले लोग सजग नहीं रहेंगे, प्रखर नहीं रहेंगे, मिशन मोड में नहीं आएंगे तब तक उस नीति का फल नहीं मिलता, क्‍योंकि नीतियां तो ढेर सारी बनती हैं, लेकिन उनको क्रियान्‍वित करने वाला होना चाहिए उसके लिए आप लोगों को लीडरशिप लेनी पड़ेगी।

कुछ लोग सपने तो बहुत अच्छे-अच्छे देखते हैं लेकिन उनको क्रियान्‍वित नहीं कर पाते हैं,हर व्यक्ति बहुत अच्छे सपने देखता है लेकिन उन सपनों को साकार करने के लिए जो अपने जीवन को खपाता है,मेहनत करता है उन्‍हीं के सपने साकार होते हैं और इसीलिए मुझे याद है कि कलाम साहब जब मेरी एक पुस्तक का लोकार्पण कर रहे थे,तो उन्‍होंने मुझसे कहा कि मैंने सुना है वर्ष 1983 से आपकेगीत आकाशवाणी पर आते हैं क्‍या वो सब एक जगह संग्रहित हो सकते हैं। उनके कहने पर मैंने, उनकी प्रेरणा से ‘ए वतन तेरे लिए’ जो मेरे कुछ बिखरे हुए गीत थे मैंने उनको एक जगह संग्रहित किया, जबउन्होंने उसका लोकार्पण किया। आप समझ सकते हैं कि वो कितने  बड़े देशभक्‍त थे, उनके अन्‍दर भारत कितना समाया हुआ था, उसमें एक छोटी सी कविता थी जो उन्होंने अपने यहां टाइप करके लगाई हुई थी:-

 

‘‘अभी भी है जंग जारी वेदना सोई नहीं है,

मनुजता होगी धरा पर संवेदना खोईनही है,

किया है बलिदान जीवन, निर्बलता ढोईनहीं है

कह रहा हूं यह वतन तुझसे बड़ा कोई नहीं है’’

 

यह जो अंतिमपंक्ति है उसको बोलते-बोलते उनकी आंखों से आंसू छलक आए थे। उस दिन मैंने उस विराट व्यक्तित्व के दर्शन किए और मुझे लगा कि देशभक्ति का जो अथाह सागर अब्दुल कलाम साहब के मन में हिलोरे ले रहा है यही मेरी देश की ताकत हैं। यही मेरा वहभारत हैजो विश्‍व गुरू रहा है। हम लोग पूरी दुनिया को अपना परिवार समझते हैं जो ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्‍तु निरामया:’ की बात करता है किधरती पर प्रत्‍येक व्यक्ति सुखी होना चाहिए कोई भी व्‍यक्‍ति दु:खी नहो। नई शिक्षा नीति भी उसी से अनुप्राणित है। इसलिए हमने कहा कि यह नीति भारत केंद्रित होगी,जो भारत के लोगों को समझ में आ सके।

वह भारत जो ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान के क्षेत्र में शिखर पर रहा है, तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय इस देश के अंदर थे।जहां पूरी दुनिया के लोग ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार के लिए शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे, तब दुनिया में कौन सा विश्वविद्यालय था और इसीलिए मैं यह समझता हूं कि सुश्रुत, शल्‍य चिकित्‍सा काजनक इस धरती पर पैदा हुआ,मैंमेडिकल कॉलेजों के छात्रों का आह्वान करना चाहता हूं कि सुश्रुत को पढ़ो, उस पर शोध और अनुसंधान करो।

चाहे आयु के विज्ञान आयुर्वेद के जनक हो, रसायनशास्‍त्री नागार्जुन हो, पाणिनी हो, भास्‍कराचार्य हो, महान गणितज्ञ आर्यभट्ट हो सभी इसी धरती पर ही तो पैदा हुए। मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा किआत्‍मनिर्भरभारत की जरूरत है और जो21वीं सदी का स्‍वर्णिम भारत है जो5 ट्रिलियनकी आर्थिकी के साथ सारे विश्व में अपना वैभव विकसित करेगा, जब हम उसभारत की आत्मनिर्भरता की बात करते हैं तो कौटिल्य के अर्थशास्त्र के सामने कौन सा अर्थशास्त्र टिकता है और इसीलिए मैं सोचता हूं भाषाविज्ञान की दिशा पाणिनीकेभाषा विज्ञान के सामने दूर-दूर तक कोई नहीं टिकता है,यही हमारी ताकत है।

यह नयी शिक्षा नीति उस ताकत को समन्वित करके नवाचार, शोध और अनुसंधान के साथ पूरी दुनिया के शिखर पर पहुँचने की तैयारी है। यहनई शिक्षा नीति अंक ज्ञान और अक्षर ज्ञान और केवल डिग्रीदेने की शिक्षा नीतिनहीं है और इसलिए आपने देखा होगा किहमने इसको मातृभाषा से शुरू कियाहै, तीन वर्ष के बच्चे से शुरू कियाहै। हमने अब10+2को समाप्‍त कर दिया उसको5+3+3+4 और 5को भी 3+2में बांट दिया क्‍योंकि हमारे वैज्ञानिकबतातेहैं कि तीन से छ: वर्ष के बच्‍चे में  मस्तिष्क कासर्वाधिक विकास होता है और इसीलिए हम आंगनबाड़ी से शुरू करके उसका आगे बढ़ाना चाहते हैं और यह शायद दुनिया का पहला देश होगा जो स्कूली शिक्षा सेआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को पढ़ायेगा और हम इसको वोकेशनल स्ट्रीम के साथ, इंटर्नशिप के साथ आगे बढ़ाएंगे।

अब हम बच्चे को रिपोर्ट कार्ड नहींदेंगे बल्‍किप्रोग्रेस कार्ड देंगे कि वह क्‍या प्रगति कर रहा है। अब हम उसका360 डिग्री होलिस्टिक मूल्यांकन करेंगे,बच्‍चा स्‍वयं भी अपना मूल्यांकन करेगा, उसका अध्यापक भीमूल्यांकन करेगा, उसका अभिभावक भीमूल्‍यांकन करेगा और उसका साथी भी उसका मूल्यांकन कर सकेगा।इसके साथ ही यदि आप उच्च शिक्षा में देखेंगे तो मेरे युवाओं  के लिए पूरामैदान खाली है,आप दौड़ो जहां तक आप दौड़ सकते हो,अबविषय की भी कोई बाध्यता नहीं है,आपजो चाहे विषय ले सकते हो, लेकिन उस विषय को लो जिसमें तुम छलांग मार सकते हो, शिखर पर पहुंच सकते हो।

यदि आप देखेंगे  तो हमारे देश के अंदर शिक्षा का कितना बड़ा व्‍यापहै यहां एक हजार से भीअधिक विश्वविद्यालय हैं, पैंतालीस हजार से भीअधिक डिग्री कॉलेज है,पंद्रह लाख से भी अधिकस्कूल है, एक करोड़ दस लाख से भी अधिक अध्यापक हैं और अमेरिका की कुल जितनी आबादी नहीं होगी उससे भी अधिक33 करोड़ यहांछात्र छात्राएं हैं, यह इस देश का वैभव है।यहदुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और इसीलिए जो हमारा अतीत था, जो हम वर्तमान में कर रहे हैं एवं जो हम भविष्‍य में करना चाहते हैं हम इन तीनों चीजों को जोड़ रहे हैं क्योंकि जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो मैं उन पर टिप्पणी नहीं करना चाहता।आप भीसब प्रोफेसरगण हैं, अध्यापकगण हैं,मैंने भी एक सामान्य अध्यापक से लेकर के शिक्षा मंत्री तक की यात्रा तय की है। मैं यहसमझ सकता हूं कि एक अध्यापक की क्या भूमिका हो सकती है और जो अंतिम छोर में बैठा रहनेवाला छात्र है, उसकी क्या अभिलाषाहै,वहदेश इस विकास की दौड़ में कहांजा रहा है और जो देश दुनिया के शिखर पररहा हो वह इस समय कहां पर खड़ा है।

इसलिए हमारे सामने चुनौतियां हैं लेकिन विवेकानंद जी ने कहा था कि जितनी बड़ी चुनौती होती है अगर उनका ताकत के साथ मुकाबला होता है तो उतनी हीबड़ी सफलताएं भीमिलतीहैं। हमारे पूर्व-राष्‍ट्रपति भारत रत्‍न, डॉ.अब्दुल कलाम साहब ने कहा था किसपने वो होते हैं जो सोने न दे।ऐसेसपने बुनो। लेकिन ऐसे सपने जो सोने न दे जब तक कि आपउनको क्रियान्वित नहीं कर देते। यह शिक्षा नीति उन्हीं के सपनों के आधार पर आई है।इसकोविजन के साथ, मिशन के साथ करना है। यह शिक्षा नीति सामान्य नहीं है। यह नेशनल भी है, इंटरनेशनल भी है, यहइंटरेक्‍टिवभी है, इम्पैक्टफुल भी है,इनोवेटिवभी है और यहइक्विटी,क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी होती है।हम इसमें कंटेंट भी पैदा करेंगें और उसको टैलेंट केसाथ भीजोड़ेगें और उसका पेटेंट भी करायेंगे।

आज भी देश के अन्‍दर छात्रों में केवल पैकेज की होड़लगीहै।इस पैकेज की होड़ को खत्म करके पेटेंट के होड़को तैयार करना होगा तभी देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकता है और वो दिन दूर नहीं है। अभीकुछ दिन पूर्व कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने भी हमारी नई शिक्षा नीति की तारीफ की है, हमारेदेश के अन्‍दर उत्साह का वातावरण है, वहीं पूरी दुनिया भी इस नई शिक्षा नीति के साथ जुड़ना चाहती है।

इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्‍थितिवशछोड़के जा रहा है  तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष खराब हो जाते थे लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा,यदि आप परिस्‍थितिवश एक वर्षमें छोड़कर जा रहे हैं तो उसको सर्टिफिकेटदेंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़ेकर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिरवह जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होगा इसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।वह कहां जाना चाहता है, शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में जाना चाहता है।जहां हमने ‘नेशनलरिसर्च फाउंडेशन’ की स्थापना की है,जो कि प्रधानमंत्री जी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में होगी जो शोध की संस्कृति को तेजी से आगे बढ़ाएगा। वहींहमनेतकनीकी के क्षेत्र में हमतकनीकी को नीचे स्‍तर तक, अंतिम छोर के व्यक्ति तक कैसे पहुंचा सकते हैं इसके लिए ‘नेशनल एजूकेशन टेक्निकली फोरम’का भी गठन कर रहे हैं।

जिससे तकनीकी दृष्टि से भी देश समृद्ध हो सके। मैं जब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की समीक्षा करता हूं तो मैं देखता हूं किस विभाग में क्या-क्या हो रहा है, मैं चुपचाप बैठने वाले लोगों में नहीं रहा हूं।मैं हर विभाग के बारे में बता सकता हूं कि उसने क्‍या-क्‍या किया है, क्‍या कर रहा है और भविष्‍य में उसके क्‍या प्‍लान है तो मुझे खुशी होती।

आज जिस तरीके से मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलीगढ़आगे बढ़ रही है,इसके फैकल्टी रात-दिन खपकर काम कर रही है तोमुझे भरोसा है कि ये  भविष्‍य में अपना अलग स्थान बनाएगा।अभीहमने ‘स्टेइन इंडिया’कीभी बात कीक्‍योंकि हमारे देश से 7-8 लाख छात्र प्रतिवर्ष विदेशों में पढ़ने के लिए जा रहे हैं। हमारे देश का पैसा और प्रतिभा दोनों बाहर चली जाती हैं तो वापस वह हमारे देश में नहीं आती है। इसलिए हमने‘स्‍टे इन इंडिया’ किया हमने  छात्रों को भरोसा दिलाया कि हमारे आईआईटी, एनआईटी, आईएसर, केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालयों में योग्‍यता है, क्षमता है आपको  बाहर जाने  की जरूरत नहीं है,अब लोगों की समझ में आ गया है। मुझे इस बात की खुशी है कि पीछे के समय जब हमने जेईई परीक्षाएं करवाई।

मुझे इस बात की भी खुशी है कि दो लाख से भी अधिक छात्रों ने जोछात्रोंविदेश में जा रहे थेवेजेईई और नीट की परीक्षाओं में सम्‍मिलित हुए। हम ‘स्‍टे इन इंडिया’ के तहत दुनिया के शीर्ष सौविश्वविद्यालयों को अपनी धरती पर आमंत्रित कर रहे हैं आपकोकहीं जाने की जरूरत नहीं है और यहां के जो शीर्ष विश्वविद्यालय हैं वेभीबाहर जा रहे हैं। ये आदान-प्रदान हम करेंगे।हमारे संस्‍थान अब एनआईआरएफ ही नहीं,अटल रैंकिंग ही नहीं बल्‍किक्‍यूएस रैंकिंग औरटाईम्‍स रैंकिंगमेंभीछलांग मार  रहे हैं क्योंकि हममें सामर्थ्य है।जब देश और दुनिया कोविडकी माहमारी के संकट से गुजर रही थी तोहमारेदेश के प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि नौजवानों आगे आओ,आपक्या कर सकते हैं मैं इस बात को लेकर बहुतखुशहूं कि तब मेरे छात्रों ने, मेरे अध्यापकों ने प्रयोगशाला में जाकर एक से एक नया अनुसंधान किये।

हमने मास्‍क तैयार किए, हमने ड्रोन तैयार किए, हमने सस्‍ते एवं टिकाऊ वेंटिलेटर तैयार किए, टेस्टिंग किट तैयार किए जो पहले देश में कभी बनता ही नहींथा।यदि आप युक्ति पोर्टल पर जाएंगे। आपको लगेगा कि इस कोरोना काल में भी इस देश के नौजवानों, अध्यापकों और छात्र-छात्राओंबहुत सारे शोध एवं अनुसंधान किये हैं,यह हमारी ताकत है।

दुनिया ने हमारी ताकत को देखा है। हम को इस ताकत को बचाकररखने की जरूरत है और इसलिए मुझे लगता है जो यह नयी शिक्षा नीति अभी आई है जिस पर हम लोग लगातार परामर्श कर रहे  है,आपने टास्कफोर्स बनाई होगी मुझे इस बात की भी खुशी है। देश के सब शिक्षा मंत्रियों से जब मेरी बात होती है तो प्रदेशों मेंहोड़ लगी हुई हैकि हम शिक्षा नीति को सबसे पहले अपने प्रदेश में क्रियान्वित कराएंगे और मुझे इस बात की आशा है, मुझे संतोष भी है कि वक्त तेजी से बदल रहा है, हमने विभिन्न क्षेत्रों में क्रियान्‍वयनशुरू कर दिया है।

कुछ लोग कहते हैं कि हमको ग्‍लोबल पर जाना है तो अंग्रेजी सीखनी पड़ेगी मैंने कहा  हम अंग्रेजी का विरोध नहीं  करते, अंग्रेजी ही नहीं और दो-तीन भाषाएं सीखों,लेकिन अपनी भाषाओं को मत छोड़ो। हमारेसंविधान ने हमें 22 खुबसूरत भाषाएं दी हैं हिन्दी, तमिल, तेलगू, मलयालम, कन्नड़, गुजराती, मराठी, बंगाली,ओडिया, असमिया, उर्दू,यहहमारी 22 खूबसूरत भाषाएँ हैं इनमेंअपना ज्ञान है,जीवंता है,तोक्यों हम अपनी भाषाओं को खोयंगे।हमने अंग्रेजी का कभी विरोध नहीं किया लेकिन अंग्रेजी इस देश की भाषा नहीं है। हमें अंग्रेजीक्या पूरी दुनिया की भाषाओं को पढना है लेकिन मैं उन लोगों से पूछना चाहता हूं।

क्या जो देश नीचे से लेकर उच्च शिक्षा तकअपनी मातृभाषा में शिक्षा देते हैं वो किसी से पीछे हैं, क्‍या जापान, फ्रांस, इंग्लैंड और दुनिया के तमाम जो विकसित देश हैं वो अपनी मातृभाषा में शिक्षा देते हैं क्‍या वो किसी से पीछे हैं,फिर ऐसे तर्क दे करके देश को कमजोर करने की बातक्यों की जाती हैं। इसलिए देश के प्रधानमंत्री जीने कहा कि अब व्‍यक्‍ति अपनी मातृभाषा में डॉक्टर भी बन सकता है औरइंजीनियरभी बन सकता है क्‍योंकि  जो बच्‍चा जिस भाषा को बोलता है यदि उसको उसकी भाषा में शिक्षा दी जाए तो वह उसमें ज्यादा अभिव्यक्त कर सकता है। अभी जब मैं कल बैठककर रहा था तो मेरे आईआईटी केसारे लोग जुड़े हुए थे, तो आईआईटी मद्रास के निदेशक ने कहा कि सर हम जैसे तमिल बच्‍चाहै तो यदि उसे उसी कीभाषा पढ़ाते हैं तो तुरंत समझजाताहै और अंग्रेजी में पढ़ाते हैं तो समझ में नहीं आपातातो अब भाषा का कोई मुद्दा नहीं होगा, उसी की भाषा में प्रवेश भी होगा, पढ़ाई  भी होगी, परीक्षा भी होगी।

इसलिए जो देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा कि21वीं सदी का स्वर्णिम भारत चाहिए जो भारतसुन्‍दर हो,स्वस्थ हो,सशक्त हो,समृद्ध हो,आत्मनिर्भर हो,श्रेष्ठ हो और एक भारत हो,ऐसा भारत जिसका रास्ता ‘मेक इन इंडिया’,‘डिजिटल इंडिया’,‘स्किल इंडिया’,‘स्टार्टअप इंडिया’ और ‘स्टैंडअप इंडिया’ से होकर गुजरता हो और उस भारत की आधारशिला यह नई शिक्षा नीति है और मुझे भरोसा है कि हम एक मिशन मोड में इसको करेंगे। यह शिक्षा नीति दुनिया के सबसे बड़े परामर्श के बाद आई है इस नई शिक्षा नीति में 1000 विश्‍वविद्यालय के कुलपतियों से, 45 हजार डिग्री कॉलेज के प्रिंसिपलगणों से, 33 करोड़ छात्रों से, 33 करोड़ छात्र-छात्राओं के माता-पिता से  विचार-विमर्श किया गया है। इसके साथ ही साथ ग्रामप्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक, गांव से ले करके संसद तकहरक्षेत्र में हमने चर्चा की है और उसके बाद भी इसको पब्लिक डोमेन में डालने के बादसवा दो लाख सुझाव आए और एक-एक सुझाव का विश्लेषण करने के बाद जो अमृत निकाला है,जोशक्ति का पुंज निकला है वह यह नई शिक्षा नीति है।

यहीं शक्ति का पुंज पूरे विश्व में भारत को ज्ञान की महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगा। मेरा भरोसा है क्योंकि मैं देख रहा हूं मेरे अध्यापकों के मन के अंदर भी छटपटाहट है,इस कोविड के संकट के समय जब  पूरी दुनिया घरों में कैद हो गई हो तब भारत जैसा देश अपने 33 करोड़ छात्र-छात्राओं को रातों-रातऑनलाइन पर लाता है कोई सोच भी नहीं सकता है।

हमने समय पर परीक्षाएं करवाई,हमने अपने बच्‍चों का वर्ष भी खराब नहीं होने दिया, उसको अवसाद में नहीं जाने दिया। हम पूरी ताकत के साथ अपने शिक्षा परिवार को मिशन मोड में ले करके उस अभियान कोआगे बढ़ायेंगे।मुझे भरोसा है कि इसके क्रियान्वयन में आप योद्धा की भूमिकानिभाएंगे। आजराष्ट्रीय शिक्षा नीति पर जो यहसेमिनार हो रहा है या जो विचार-विमर्श हो रहा है और जिस पुस्तकका लोकापर्ण हुआ है मैं सिंह साहब जी को बधाई देना चाहता हूं कि बहुत खूबसूरत पुस्तक इन्होंने बनाई है और इसका लाभ देश ही नहीं पूरी दुनिया के छात्र उठा सकेंगे। एक बार फिर मैंकुलपति,प्रो. तारिक मंसूर जी को शुभकामना देना चाहता हूंकि आपके नेतृत्व में यह विश्वविद्यालय प्रगति के पथ पर आगे बढ़े। मैं आप सबका अभिनन्‍दन एवं स्‍वागत करता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।!

 

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. प्रो. तारिक मंसूर, कुलपति, अलीगढ़ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालय, अलीगढ़
  3. प्रो. कांजी मजहर अली, डीन विज्ञान, विभाग, अलीगढ़ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालय, अलीगढ़
  4. प्रो. नसरीन, अलीगढ़ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालय, अलीगढ़
  5. प्रो. सज्‍जाद अख्‍तर, अलीगढ़ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालय, अलीगढ़
  6. श्री अब्‍दुल हमीद, कुलसचिव,अलीगढ़ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालय, अलीगढ़