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‘‘विश्‍व महिला दिवस’’ महिला नेतृत्‍व: कोविड-19 की दुनिया में समान भविष्‍य के अवसर प्राप्‍त करना

‘‘विश्‍व महिला दिवस’’

 महिला नेतृत्‍व: कोविड-19 की दुनिया में समान भविष्‍य के अवसर प्राप्‍त करना

 

 

दिनांक: 08.03.2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

प्यारे बच्चों! सबसे पहले तो मैं आप जो 5छात्राओं को बहुत बधाई देता हूं। गार्गी नौटियाल हिमालय से शुरू हुई थी और फिर आराधना, ध्रुवा देवी पटेल,नाकिया,कुमारी आर्या, मनोज और अंत में पद्मा ने सबको खुशी बांटी है और आपके जो विचार थे ना, बहुत आनंद आ गया। अब मुझे लगता है कि आज की इस मीटिंग की हमारी बहुत सार्थकता है कि आपके मन में जो बातें पल रही हैं, जो हो रही है। हमारे साथ सभी शिक्षा जगत के अधिकारी भी जुड़े हुए हैं और हमारे यहां पर सीबीएसई बोर्ड के चेयरमैन साहब सहित यहां पर भी अधिकारीगण अनीता जो सचिव हैं,उनके सानिध्य में सब लोग जुटे हुए हैं,साथ ही देश के विभिन्न क्षेत्रों से भीस्कूल जुड़े हुए हैं और मेरे प्रिय छात्र-छात्राओं जिस तरीके से आपने अपनी अभिव्यक्ति दी है हमको गौरव औरआप पर देश कोभी भरोसा है और आज जबकि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवसपूरी दुनिया मना रही है तो हमको अपने देश पर गौरव महसूस होता है कि हमने अपनी मातृशक्ति को, जो महिला शक्ति है उसको हमेशा सर्वोच्च स्थान पर देखा है। इस देश की संस्कृति रही है ‘यत्र नार्यस्तु पूजयन्‍ते रमन्ते तत्र देवता’ अर्थात् जहां नारी का सम्मान होता है जहां नारी को पूजा जाता है भगवान भी वहींपर खुशरहते हैं। भगवान का वास भी उसी स्थान पर होता है, उसी परिवार में होता है, उसी समाज में होता है जहां पर मातृशक्ति का सम्मान होता है। हम उस देश के लोग हैंऔर फिर दूसरी चीजमुझे अच्छा यह लगा कि गार्गी भारतीय प्रशासनिक सेवा में क्योंजाना चाहती हैं? अपने विजन को बहुत अच्छा किया कि हमेंएक विकासशील देश बनाना है और समतामूलक समाज बनाना है और भयमुक्त समाज के साथ किस तरीके से शिक्षा के क्षेत्र में भी उसने अपनी अभिव्यक्ति दी है। शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है जो कुछ भी कर सकता है, परिवर्तन ला सकता है। शिक्षा पर भी गार्गी ने जोर दिया और इच्छा व्यक्त की कि भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाकर के वो देश को अच्छी सेवा प्रदान करना चाहती है। हमारे सपनों का तोभारत आपको तो मालूम हैं कि हम तोविश्व गुरु रहे हैं और सभी ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान के क्षेत्र में हमने पूरी दुनिया को लीड किया है और उसमें भी हमारी महिलाएं सबसे पहले कदम पर हमेशा से रही हैं और क्रांतिकारी भी रही हैं। आप सबको मालूम है चाहे रानी झांसी को हम पढ़ातेहैं, रानी दुर्गावती को पढ़ाते हैं,पन्ना धाय को पढ़ाते हैं एक लंबी श्रृंखला को देखेंगे तो गौरव से हमारा माथा ऊँचा उठता है कि हिन्दुस्तान की पूरी दुनिया में एक पहचान रही है। हमाराऐसा इतिहास रहा है जिसने गौरवान्वित किया पूरी दुनिया के लोगों को, तो मेरी शुभकामना गार्गी और आराधना जो आसाम से जुडी है। %

दिल्‍ली-कोटद्वार के बीच सिद्धबली जनशताब्‍दी एक्‍सप्रैस ट्रेन का शुभारम्‍भ

दिल्‍ली-कोटद्वार के बीच सिद्धबली जनशताब्‍दी एक्‍सप्रैस ट्रैन का शुभारम्‍भ

 

दिनांक: 03 मार्च, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक

 

आज के इस आयोजन में उपस्‍थित महंत दिलीपसिंह रावत जी,जो लैंसडाउनके विधायक हैं,आशुतोष जी जो महाप्रबंधक हैं और पी.एस. मिश्राजी जो सदस्य रेलवे हैं, सभी अधिकारी वर्ग और कोटद्वार के सभी उपस्थित भाइयो और बहनो! आज दिल्ली से भी शायद लाखों लोग जुड़े होंगे और गढ़वाल कोटद्वार क्षेत्र से तो लोग जुड़े ही हुए हैं। आज हम लोगों के लिए एक खुशी का ऐसा अवसर है जब बहुत लंबे समय से लोगों के मन में यह बात थी कि सिद्धबली साक्षात जिसको हम मानते हैं उस सिद्धबली से कोई सेवा शुरू हो क्‍योंकि दिल्ली में लगभग-लगभग 28 लाख उत्तराखंडी हैं और जिसमें बड़ी संख्या में इस क्षेत्र में ऐसे भी लोग हैं, जो चाहते हैं कि दिल्ली सेजिनको सीधे-सीधे इसकी सुविधा मिल सके तो आज सिद्धबली जनशताब्दी एक्सप्रेस का शुभारम्‍भ हमारे माननीय रेलमंत्री पीयूष भाई के हाथों से हो रहा है, मैं इस अवसर पर उनकाअभिनंदन कर रहा हूं और मैं उनका स्वागत कर रहा हूं तथादेवभूमि उत्तराखंड की ओर से उनका कोटि-कोटि धन्यवाद देता हूं और प्रिय अनिल बलूनी को भी उनके सतत प्रयासों के लिए मैंधन्यवाद देना चाहता हूं। मुझे लगता है कि इस एक्सप्रेस से न केवल जिम कार्बेट पार्क जो पूरी दुनिया में लोकप्रिय है और पर्यटकों का बहुत बड़ा आकर्षण का स्थल है यहां पर हमारा लैंसडाउनहै, उधर हमारा खिर्सू है। यदि देखेंगे तो ऊपर का जो यह क्षेत्र है यह बहुत ही खूबसूरत है। यहप्राकृतिक सौन्दर्य से युक्त है जोकण्‍वनगरी के नाम से जाना जाएगा।इसकास्टेट सरकारने कण्‍व नगरी के नाम से नामंकन किया है, वो कण्वाश्रम जहां भरत ने जन्म लिया है। यह ऐसे भरत की जन्मस्थली है जो चक्रवर्ती सम्राट भरत था।इससे बड़े गौरव का विषय क्या हो सकता है कि चक्रवर्ती सम्राट भरत जोशकुन्तला के पुत्र थे, उन्‍होंने यहां जन्म लिया। कण्वाश्रम में उनकी जन्मस्थली से सिद्धबली एक्सप्रेस जो जा रही है तो निश्चित रूप में आज कण्वाश्रम भी पूरे देश और पूरी दुनिया के लिए एक ऐसा तीर्थस्थान बनेगा जहां कण्व दर्शन कर सकेंगे जो चक्रवर्ती सम्राट भरत की मालिनी तट पर उन यादों को भी ताजा कर सकेंगे तथा अपनी पुरानी चीजों को याद कर सकेंगे। मैं पीयूष भाई आपका बहुतआभारी हूं क्‍योंकि ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन साढ़े सोलह हजार करोड़ की हम सोच भी नहीं सकते थे और यह हमारे लिए सपना था लेकिन आपने इसे संभव करके दिखाया है इसलिए मैं आपका अभिनंदन करना चाहता हूं और मैं आपका वंदन करना चाहता हूं। अभी आपने कुछ ही दिन पहले ऋषिकेश से योग नगरी प्रयागराज संगम तक हमको एक एक्सप्रेस दी थी और ऋषिकेश में भी ढाई सौ करोड़ रुपये की लागत  से अंतर्राष्ट्रीय स्टेशन दिया है। अभी कुछ ही दिन पहले आपने उधर पूर्णागिरी एक्सप्रेस, जन शताब्दी एक्सप्रेस टनकपुर से दिल्‍लीभी हमको दिया और आज उसी श्रृंखला में आप कोटद्वार से दिल्ली सिद्धबली जनशताब्दी एक्सप्रेस का शुभारंभ कर रहे हैं और इसके लिए मैं हदय की गहराइयों से आपका अभिनंदन करता हूं। मुझे लगता है कि देश की आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब उत्तराखण्ड जोकि राष्ट के लिए हमेशा समर्पित रहा है, उत्तराखंड की जवानी और पानी देश के लिए हमेशा काम आई हैतथाऔसतन एक परिवार से एक व्यक्ति सेना में भर्ती होकर राष्ट्र की सीमाओं पर कुर्बानी देता है और दूसरी पंक्ति में उसकी मां और बहनें सेनानी के रूप में सक्षम तरीके से खड़ी रहती हैं और जहां आज इस कण्‍वनगरी में आप इसकाशुभारंभ कर रहे हैं। हमारे पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की यादें भी इससे जुड़ी हैं औरऋषि कण्‍व की यादें भी जुड़ी हैं इसलिए मैं बहुत आपका अभिनंदन करता हूं। आपने उत्तराखंड के 20 रेलवे स्टेशनों को वाई फाई से जोड़ा है चाहे टनकपुरहो, काठगोदाम, हल्द्वानी लालकुआं, काशीपुर, पंतनगर आदि सभी स्‍टेशनों को आपने वाई-फाई से कनेक्‍ट किया है। पीलीभीत टनकपुर को आपने ब्रोड गेज में परिवर्तन किया है। अभी आपने तीन विशिष्ट परियोजनाओं के लिए 5686 करोड़ अलग से प्रदान किये हैं। आपनेओवर ब्रिज दिए, अंडरपास दिएऔरहम चाहेंगे कि हम उत्तराखंड की धरती पर आपको आनंदित करें।जहां2009 से लेकर के 2014 तक प्रति वर्ष 127 करोड़ रुपये केवल मेरे उत्तराखंड को मिलने थे लेकिन आपने 2014 से 2019 के बीच 672 करोड़ रुपया प्रति वर्ष 260 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ प्रदान किया है। आपका मैं अभिनंदन करना चाहता हूं, हमें गौरव होता है कि आपने रेल के क्षेत्र में पूरी दुनिया में एक मुकाम हासिल किया है। कोरोना काल में भी आपने हमारी रेलों को ही चिकित्सालयों के रूप में परिवर्तित कर दिया था। आपने उस काल में भी चट्टान की तरह खड़े हो करके लोगों की रक्षा की दिशा में अद्भुत अभिनव प्रयोग किए।मैं इस अवसर पर जबकि आप सिद्धबाल जन शताब्दी एक्सप्रेस कोटद्वार से दिल्ली का शुभारम्भ कर रहे हैं, मैं पूरे उत्तराखंड की जनता की ओर से भी आपका अभिनंदन करता हूं।

 

बहुत-बहुतधन्यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. श्री पीयूष वेदप्रकाश गोयल, माननीय रेल मंत्री, भारत सरकार
  3. श्री अनिल बलूनी, माननीय संसद सदस्‍य, राज्‍य सभा
  4. श्री महंत दीलिप सिंह रावत, विधायक, लैंसडाउन, उत्‍तराखण्‍ड

गुजरात केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय का तृतीय दीक्षांत समारोह

गुजरात केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय का तृतीय दीक्षांत समारोह

 

दिनांक: 23 फरवरी, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

गुजरात केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में उपस्‍थित प्रख्‍यात चिंतक, विचारक और बहुआयामी प्रतिभा के धनीहमारे भारत के राष्‍ट्रपति आदरणीय श्री रामनाथ कोविंद जी, गुजरात प्रदेश के प्रथम नागरिक और राज्‍यपाल श्री आचार्य देवव्रत जी, गुजरात के यशस्‍वी उप-मुख्‍यमंत्री श्री नितिन भाई पटेल जी, गुजरात केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. हसमुख अधिया जी, विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. रामशंकर दूबे जी, कार्यकारी परिषद् के सभी सदस्‍यगण, विश्‍वविद्यालय के सभी अध्‍यापगण, अभिभावकगण और प्रिय छात्र-छात्राओं! मैं इस अवसर पर जबकि हम आज दीक्षांत समारोह के महोत्‍सव में सम्‍मिलित हुए हैं, इस उल्‍लास के अवसर पर मैं राष्‍ट्रपति महोदय का स्‍वागत करता हूं। आज इस अवसर पर मैं दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्‍त करने वाले सभी 265 छात्र-छात्राओं के परिजनों को भी शुभकामनाएं देना चाहता हूं। दीक्षांत समारोह किसी भी छात्र के जीवन में एक ऐसा पड़ाव होता है जब वह एक बड़ा फैसला लेने की दिशा में आगे बढता है कि शिक्षा का वास्तविक इस्तेमाल अब आप किस क्षेत्र में करने जा रहे हैं। आपको तय करना है कि आप अपनी प्रतिभा के अनुसार जीवन के लक्ष्यों को कब और कैसे हासिल करेंगे। आपको एक लक्ष्य चुनना है और इस लक्ष्य के प्रति खुद को समर्पित भी करना है तभी आप खुद के,अपने परिवार के, समाज के औरराष्‍ट्र के विकास में अहम भूमिका निभा पाएंगे। हमेशा स्वामी विवेकानंदजी जी एक ही बात कहते थे, उठो जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता और यही सफलता की एकमात्र कुंजी भी है। मेरा मानना है कि गुजरात केन्‍द्रीय विश्वविद्यालय साबरमती के किनारे एक नए इतिहास की ओर आगे बढ़ रहा है। गुजरात की अपनी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रही है।यहां हड़प्पाकालीन सभ्यता के अवशेष लोथल और धारीवाल में मिलते हैं तो वहीं बल्‍लभी विद्यापीठ जैसे महान शिक्षण संस्थान की जड़ें भी यहां दिखाई देती हैं। वैदिक संस्कृति के वाहक स्वामी दयानंद जी का जन्मस्थान भी यहीं पर है तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का जीवन आदर्श भी यहां के कण-कण में दिखाई पड़ता है। इसी गुजरात की पावन धरती ने दुनिया के सबसे लोकप्रिय और सामर्थ्यशाली नेता भारत के प्रधानमंत्री के रूप में श्री नरेन्द्र मोदी को भी दिया है। यह गुजरात के धरती ने पिछले दो दशकों में विकास की यात्रा में एक नई पंक्ति में आकर के खड़ी हो रही है। चाहे वह आर्थिक विकास हो, तकनीकी विकास हो या सांस्कृतिक का विकास हो, इसका श्रेय यहां के नेतृत्व को जाता है जिन्होंने लौहपुरुष सरदार पटेल की विजन को नई उंचाइयों को दिया है। विशेष रूप से वर्तमान में प्रधानमंत्री और तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक यहां के ढाँचे का विकास हुआ। शैक्षणिक सांस्कृतिको भी नया स्वरूप मिल सका और आज दीक्षा प्राप्त करने वाले सभी अपने युवा छात्र-छात्राओं से अनुरोध करना चाहता हूं कि सरदार पटेल की प्रतिमूर्ति बन करके वो दिग्‍दिगंत में जाकर इसका गौरव एवं सम्मान बढ़ाएं। मैं शुभकामना देना चाहता हूं और गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय एक महत्त्वपूर्ण स्थान है और स्वाभाविक ही है कि इसका उत्तरदायित्व आपको शिक्षा प्रदान करना नहीं है बल्‍कि ऐसे शिक्षा तंत्र को आगे बढ़ाना है जो मानव का भी विकास करे और मूल्यों का भी सृजन करे तथा देश को सक्षम एवं आत्मनिर्भर भी बना सकें। माननीय प्रधानमंत्री जी अक्सर कहते हैं कि हमारे ज्ञान, विज्ञान अनुसंधान के दो ही लक्ष्य होने चाहिए। पहला जो उद्योग जगत को बढावा दे और दूसरा जो आम जनमानस के जीवन को सुखद बनाए। आपकी शिक्षा साक्षरता के लिए नहीं अपितु लक्ष्य आधारित हो। विश्वविद्यालय केवल एक शिक्षण संस्थान ही नहीं होता बल्कि राष्ट्र निर्माण की प्रयोगशाला भी होता है जहां राष्ट्र निर्माण को एक नई दिशा मिलती है। आपके पास उपकरण मौजूद हैं जो युवाओं को आगे बढाने के उत्तम प्लेटफॉर्म देता है। आप संसाधनों का प्रयोग करके देश तथा समाज की नई दिशा तय करेंगे और आगे बढ़ेंगे। मैं आशा कर रहा हूं किनई शिक्षा नीति 2020 आपके सपनों को नया स्वरूप देगी। माननीय राष्‍ट्रपति जी, हम आपके संरक्षण में आगे बढ रहे हैं और आपके नेतृत्व में गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय लगातार प्रगति के शिखर पर हैं ऐसे अपने परिवार के संरक्षक और दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के राष्‍ट्रपति आदरणीय रामनाथ कोविंद जी जिनका कदम-कदम पर इस नई शिक्षा नीति में हमको मार्गदर्शन मिला, मैं ह्रदय की गहराइयों से, शिक्षा परिवार की ओर से एक बार फिर आपका अभिनन्दन करना चाहता हूं, आपका वंदन करना चाहता हूं क्योंकि यह जो नयी शिक्षा नीति है, यह एक विजन डॉक्यूमेंट है जो आने वाली पीढियों को नए शिखर पर ले जाएगा। मैं समझता हूं कि यह विश्वविद्यालय भौगोलिक रूप से जहां पर खड़ा है, उसकी आधारशिला भी ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक है और निश्चित रूप से यह देश का एक ऐसा आधार स्तम्भ बनेगा जब दुनिया को उस पर गर्व होगा। मुझे लगता है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में और हमारे देश के यशस्वी और विचारक, चिन्तक और सहज स्वभाव के धनी राष्‍ट्रपति जी के मार्गदर्शन में जो यह नई शिक्षा नीति आई है यह नेशनल भी है,यह इन्टरनेशनल भी है, यह इम्पैक्टफुल भी है, यह इनोवेटिव भी है और इन्क्लूसिव भी है और यदि इसकी खूबसूरती देखेंगे तो इक्विटी, क्‍वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी है। यह जबाबदेही भी है तो  वहनीयता से युक्त भी है। मुझे लगता है कि हम इस नई शिक्षा नीति से टैलेंट को खोजेंगे भी, उसका विकास भी करेंगे और उसका विस्तार भी करेंगे और टैलेंट को उत्कृष्ट केंटेट देकर के पेटेंट निकालेंगे ताकि दुनिया में हमारा देश शिखर पर जा सके। मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि आप इस दिशा में आगे बढ़ेंगे। मैं समझता हूं कि‘स्टडी इन इंडिया’ और‘स्‍टे इन इंडिया’ का यहजो हमारा अभियान है बहुत सक्रियता से आगे बढ़ेगा। नई शिक्षा नीति में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन एवं नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम इन दोनों के गठन से एक बहु-आयामी शिक्षा जो हिंदुस्तान को पूरी दुनिया में शिक्षा का न केवल हब बनायेगी बल्कि महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगी और अभी जैसे हसमुख जी चर्चा कर रहे थे कि कम समय में जिस तरीके से इस विश्वविद्यालय ने अपनी गतिविधियों को बढ़ाया है। अभी मैं देख रहा था कि स्वीडन, आस्ट्रेलिया, चीन और तस्मानिया जैसे अनेक देशों के साथ आपने अनुबंध किया है और अहमदाबाद जैसे शहर में आईआईटी भी है आईआईएम भी है, यह केंद्रीय विश्वविद्यालय भी है और हमारे संरक्षक तथा हमारे श्रद्धेय राष्ट्रपति जी का आशीर्वाद मिलेगा तो भविष्य में इस बजट में जो हमारे वित्तमंत्री जी ने घोषणा की है कि हम देश के अन्दर शिक्षा के हब को बनायेंगे। बस मैंअंत में यही कहना चाहता हूं कि दुनिया को गाँधी जैसा जिस क्षेत्र ने व्यक्तित्व दिया हो, सरदार पटेल जैसा लौहपुरूष दिया हो, नरेन्‍द्र मोदी जैसा सक्षम, यशस्वी और पूरी दुनिया का शक्‍तिशाली प्रधानमंत्री के रूप में भारत को दिया हो,‘नेशन फर्स्ट’,‘करेक्‍टर मस्‍ट’ की जिनकी सोच है, मैं अपने संरक्षक और माननीय राष्ट्रपति जी को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि यह विश्वविद्यालय न केवल गाँधी जी के दर्शन को आगे ले जाएगा बल्कि पटेल के विजन को भी साकार करेगा यह नये भारत का निर्माण करेगा। देश के प्रधानमंत्री जीने 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की बात की है जो स्‍वच्‍छ होगा, सुन्दर होगा,समृद्ध होगा, सशक्‍त होगा तथा आत्मनिर्भर होगा और निश्चित रूप में उसकी आधारशिला यह विश्वविद्यालय बनेगा और जिसके पास श्री हसमुख जी जैसे कुलाधिपति होंगे और डॉ. दुबे जैसे कुलपति हों उसमें शंका की कोई गुंजाइश नहीं रहती है और इसीलिये मैं अपने परिवार के मुखिया राष्ट्रपति जी को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि निश्चित रूप में हमारा यह विश्वविद्यालय गौरव का विषय बनेगा। एक बार पुनः मैं अपने सभी युवा छात्र-छात्राओं का अभिनंदन करता हूँ। आज ख़ुशी के क्षण हैं,आपके अभिभावक भी खुश हैं तो आपके अध्‍यापक भी खुश हैं तो आप भी खुश हैं। एक सपना ले करके आप आये जिसे आप यहाँ साकार करने की दिशा में, तालीम लेकर शिक्षा-दीक्षा लेकर आपवीर योद्धा के रूप में आगे बढ़ रहे हैं। हम आपको शुभकामना दे रहे हैं  कि आप सफल हों और हिन्दुस्तान का माथा पूरी दुनिया में ऊँचा कर सकें।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. श्री रामनाथ कोविंद, माननीय राष्‍ट्रपति, भारत गणराज्‍य
  2. आचार्य देवव्रत, माननीय राज्‍यपाल, गुजरात
  3. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  4. श्री नीतिन भाई पटेल, माननीय उप-मुख्‍यमंत्री, गुजरात सरकार
  5. डॉ. हसमुख अधिया, कुलाधिपति, केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय, गुजरात
  6. प्रो. राम शंकर दूबे, कुलपति, केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय, गुजरात

आईआईटी खड़गपुर का 66वां दीक्षांत समारोह

आईआईटी खड़गपुर का 66वां दीक्षांत समारोह

 

दिनांक: 23 फरवरी, 2021

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

आईआईटी खड़गपुर के 66वें दीक्षांत समारोह में उपस्‍थित अध्‍यापगणों का, छात्रों का, अतिथिगणों का और पूरे देश और दुनिया से पूर्व छात्र एवं अध्‍यापक जुड़े हैं मैं आप सभी का सबसे पहले तो इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर जो आज उत्‍सव मनाया जा रहा है, इस अवसर पर आप सभी का सम्‍मान कर रहा हूं और इस अवसर पर हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी का आशीर्वाद हमारे छात्रों को लगातार मिलता रहता है, मैं उनको अभिनन्‍दित करता हूं क्‍योंकि वो लगातार हमारे छात्रों को आशीर्वाद देते हैं। मेरे अन्‍नय सहयोगी शिक्षा राज्‍य मंत्री श्री संजय धोत्रे जी, अमित खरे, सचिव उच्‍च शिक्षा, श्री संजीव गोयनका जो शासी मंडल के अध्यक्ष हैं,जिनकेमार्गदर्शन में आईआईटी खड़गपुर काफीआगे बढ़ रहा है औरयशस्‍वीनिदेशक प्रो.वीरेन्‍द्र कुमार तिवारी जी जो लगातार गतिविधियों को करके इस बात को सुनिश्चित कर रहे हैं। खड़गपुर पीछे नहीं है, देश की लीडरशिप ले रहा है औरतकनीकी के क्षेत्र में और ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में। प्रो.भट्टाचार्य,उपनिदेशक लंबे समय से जुड़ेहैं, स्‍टाफसहित सभी फैकल्टी और निदेशक, उप-निदेशक,विभागाध्यक्ष, सभी संकाय के सदस्यगणतथाछात्र-छात्राओं और अभिभावकगण एवं पूर्व छात्र-छात्राओं,मैंआज इस अवसर पर जबकि आप 66वें दीक्षांत समारोह में सभी एकत्रित हुए हैं,हम सब लोग गर्व का अनुभव महसूस कर रहे हैं और सबसे पहले तो मैं सभी मेधावी छात्र-छात्राओं को,जो आज डिग्री प्राप्त कर रहे हैं, उनका अभिनंदन करता हूं एवं शुभकामना देने के लिए आपके बीच आया हूं। इस ऐतिहासिक अवसर पर  मैं उन सभी शिक्षकों का भीअभिनंदन करना चाहता हूं जो इनयुवा छात्रों का उचित मार्गदर्शन देते हुए उनकेअध्‍ययनके दौरान उन्‍हेंनिरंतर प्रेरित एवंप्रोत्साहित करते रहे हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि आज आईआईटी खड़गपुर के छात्र 66वें दीक्षांत समारोह के द्वारा अपने सपनों को एवं आकांक्षाओं को हासिल करने की एक नई यात्रा की शुरुआत करेंगे। मेरे प्रिय छात्र-छात्राओं, आज तक आपने जो दीक्षा ली है इस दीक्षा को लेकरके देश और दुनिया में छाने वाले हैं। और बहुत सारे सवाल आपके मन मस्तिष्क में आने वाले हैं तथाबहुतसारे सवालों से आपको जूझना है। अभी तक सवाल आपके मन और मस्तिष्क में आते थे और आप अपने अध्यापक से पूछते थे, वे उनका निदान करते थे। आज के बाद बहुत सारे सवाल आपके मानस के सामने खड़े रहेंगे और उन सभी सवालों का उत्तर भी स्‍वयं ही आपको देना है। मुझे भरोसा है कि जो दीक्षा और शिक्षा आपको यहां से मिली है वह हर मौके पर, हर मोड़ पर, हर परिस्‍थिति में वहआपको सवालों का उत्‍तर देने के लिए तैयार करेगी, ऐसा मेरा भरोसा है और ऐसे में मैं आपको शुभकामना देना चाहता हूं।आईआईटीखड़गपुर की इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को यदि देंखे तो यह देश के अनेकों स्वाधीनता संग्राम सैनिकों का सर्वोच्च बलिदान की भूमि रही है। यह वह जगह है जहां आजादी की लड़ाई लड़ते हुए संतोष सुमन बिट्टा और तारकेश्वर सेन गुप्ता जैसे स्वाधीनता संग्राम सेनानियों को कैद में रखा गया था।16सितंबर,1931 उस दिन को कौन भूल सकता है मेरे नौजवान साथियों, तब उनको गोलियों से छलनी कर दिया गया था,जब आजाद हिन्‍द सेना के सेनानायक और आजादी के ध्वजवाहक नेताजी सुभाषचंद्र बोस इसबंदी शिविर में आये थे। इन वीरसपूतों के पार्थिव शरीर को लेने के लिए उस क्षण को कौन भूल सकता है,यह सामान्य घटना नहीं थी, इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। उनमें से एक गुरूदेवरवीन्‍द्रनाथ टैगोर भी थे जिन्होंने न केवल इस दर्द को महसूस किया था बल्कि अपनी सशक्त लेखनी के माध्यम से इसको बयां करके पूरे देश में उस भावना को एक आग की तरह देशभक्‍ति की ज्‍वाला को फैलाया था और ऐसा ऐतिहासिक स्थान जिसस्‍थानपर यी संस्थान है। यहवह संस्‍थान है जो आजादी के साथ-साथ में 224 विद्यार्थियों और 42 शिक्षकों के साथ शुरू हुआ था। आज इस आईआईटी खड़गपुर में 14 हजार से भी अधिक छात्र-छात्राएं हैं और 670 से भी अधिक संकाय हैं। इस संस्थान कीबहुत लंबी यात्रा इस बात का प्रतीक है कि तमाम उतार और चढ़ावों के बाद भी इस संस्थान में अपनी शिखरता को प्राप्त किया है। खड़गपुर पहला राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है जिसे भारत सरकार के संसदीय अधिनियम के तहत स्थापित किया गया और तब से ही यह संस्थान राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आज उद्योग क्षेत्र में पुरस्कार विजेता, शिक्षाविद्, राजनेता, खिलाड़ी और रचनात्‍मक पेशेवर के रूप में उत्कृष्ट भूमिका निभानेवाले इस महान संस्थान के पूर्व छात्रोंकीसूची देखता हूं तो वे विश्व के पटल पर छाये हुए हैं और भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। चाहे वोगूगल के सुंदर पिचाई हों जब मैं देखता हूं तो मेरे यहाँ से निकले मेरे पूर्व छात्र कहाँ-कहाँ पर अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं? हमारामाथा ऊँचा होता है कि हमारे छात्र पूरी दुनिया में छाये हुए हैंऔर पूरे देश का गौरव बढ़ा रहे हैं। मुझे खुशी है कि भगवद् गीता में जो कहा गया है कि कर्म में उत्‍कृष्‍टता ही योग है। इस सिद्धान्त को खड़गपुर ने अपने कैम्पस में समाहित कर लिया है। इसी का परिणाम है कि यह लगातार और लगातार आगे बढ़ रहे हैं। खड़गपुर अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकी आधारित विज्ञान,जैवज्ञान प्रौद्योगिकी, सामाजिक विज्ञान, मानविकी प्रबंधन विधि और उद्यमिता से अनेक क्षेत्रों में शैक्षणिक कार्यक्रमों को एक विस्तृत श्रृंखला और विविध शैक्षणिक गतिविधियों और विषयोंके बारे में जाना-पहचाना और माना जा रहा है। आज ही संस्थान से वार्षिक चार हजार उद्धरणऔर स्टार्टअप के रूप में 21प्रौद्योगिकी के साथ दो हजार शोधप्रकाशित हुए हैं। यह इस बात को दर्शाता है कि आपका संस्‍थान शोध और नवाचार में आगे बढ़ रहा है और जैसी कि अभीमेरे सहयोगी मंत्री आदरणीय संजय धोत्रे ने कहा कि अब पूरे देश के अन्‍दर शोध और अनुसंधान की संस्‍कृति के लिए ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ जिसके लिए 50 हजार करोड़ रूपया स्‍वीकृत हुआ है।प्रियछात्र-छात्राओं,मैं आपसेअनुरोध करना चाहता हूं कि एक वक्त था जब हममें पैकेज की होड़ लगी कि कितना बड़ा पैकेज किसको मिलेगा। लेकिन आज देश स्‍वाधीनहो गया है। हमको अबनौकरी के लिए नहीं दौड़ना है।अबपैकेज के स्‍थान पर पेटेंट की दौड़ होगी। हम टैलेंट और उत्‍कृष्‍ट कोटि के साथ पैटेंटकोनिकालेंगे। हम नौकरी लेने वाले लोगों में नहीं, बल्‍कि नौकरियां देने वाले लोगों में खड़े होंगे, ऐसा मेरा विश्वास है और यही संकल्प लेकर आज मैं आया हूं। मैं यह देखकर बहुत हर्षित होता हूं कि भारत सरकार की योजनाओं में आईआईटी खड़गपुर ने ऊर्जा और उत्‍साह के साथ हर जगह बढ़-चढ़कर के मुझे दो साल इस मंत्रालय में होरहे हैं और जब भी मैं समीक्षा करता हूं तो कहीं न कहीं केन्द्र में मेरा खड़गपुर सामनेआता है।मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत इससंस्थान द्वारा विकसित के किए गए विविधशौचालय प्रणाली स्‍वच्‍छता का समाधान करने में सक्षम है और सुदूर क्षेत्र में लाभदायी भी है।जहां पानी की आपूर्ति नहीं है वेस्ट से वेल आपका यह अद्भुत उदाहरण है जो हमारे प्रधानमंत्री जी के सपने को साकार करता है। आप सबको मालूम है कि जब हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का आह्वान किया था तो बच्चा-बच्चा भी अपने घर का लीडर बन कर खड़ा हो गया था। स्वच्छता के इस अभियान के लिए पूरी दुनिया का अद्भुत अभियान हो गया था और आप उस अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं।मुझे बहुत खुशी है कि उच्चतर आविष्कार योजना के अंतर्गत संस्थान चार पहिया वाहन और छोटे स्तर पर तीन पहिया वाहनों के लिए विद्युत वाहन पर शोध और विकास कार्यों में आगे बढ़ रहा है। मुझेइस बात को लेकर खुशीहै कि मुझे यहभीबताया गया है कि उन्‍नत भारत अभियान के अन्तर्गत संस्‍थानके कृषि और खाद्य इंजीनियरिंग विभाग में सिंचाई औरखाद्य प्रसंस्करण को शामिल करते हुए कई तकनीकों का विकास किया जा रहा है जो पश्चिम बंगाल के 23 जिलों और पूर्वी भारत के अन्य राज्यों में विभिन्न गांव में 20 हजार से भी अधिक किसानों के उपयोग में लाई जा रहे थे। इस ग्राम स्‍वराजके अभियान की यह अनोखी पहल है और यहां के निदेशक प्रो. तिवारी को कहता हूं कि आपको कृषिऔर कृषि विज्ञान के क्षेत्र में महारत है और मेरे आस-पास खड़गपुरके गांव में यहां की सुगंध बढ़नी चाहिए ताकि लोगों को लगे कि हां, खड़गपुर या आसपास की सुगंध से गांव भी अनुप्राणित हो रहा है। शैक्षणिक संस्‍थान अपने क्षेत्रीय गांवोंकेकिसानों को विशेष लाभ पहुंचाने की दिशा में और आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर गांव और आत्मनिर्भर राष्ट्र, इसका जो रास्‍ता है इसको आप निश्चित रूप में आगे बढ़ा रहे हैं। मुझे इस बात की खुशी है और प्रधानमंत्री जी हमेशा कहते हैं कि हमारे ज्ञान, विज्ञान एवंअनुसंधान के दो लक्ष्‍यहोने चाहिए। पहला ‘इज ऑफ बिजनेस’ कि उद्योग जगत को बढ़ावा दें और दूसरा ‘इज ऑफ लिविंग’ जो आम जनमानस के जीवनको सुखद बनाए। आपकी शिक्षा साक्षरता के लिए नहीं अपितु लक्ष्‍य आधारित शिक्षा होनी चाहिए,मानवता को समर्पित होनी चाहिए और हमारी संस्कृति से युक्त परंपराओं से भरी होनी चाहिए। मुझे भरोसा है कि इस संस्थान से निकलने वाले छात्र-छात्राएं हैं वोज्ञान की उस संस्कृति के ध्‍वजवाहक बनेंगेजिस संस्कृति ने पूरी दुनिया में भारत को विश्‍व गुरू के रूप में स्थापित किया था। मुझे गर्व है कि कोविड-19की विषम परिस्थितियों में भी आईआईटी खडग़पुर ने समाज की भलाईके लिए बहुत महत्वपूर्ण काम किया और इस दिशा में छात्रों की देखभाल की दिशा में लॉकडाउन की अवधि, मुझे याद आता है कि जैसे ही यहपरिस्‍थिति आई थी और मैंने निदेशक से पूछा था तो हजारों छात्र हमारे हॉस्टल में थे और मैं इस बात को लेकर लगातार चिंतित था कि हजारों छात्र हास्‍टल में हैं और इनपरिस्‍थितियोंमें हमारे निदेशक ने तब कहा था कि कैसे करके छात्रों को उनके घरों तक पहुंचाया जाए। मेरे को बताया गया कि छात्र चाहते हैं कि वो यही पर रहें और सुरक्षित रहे। इसकेलिए मैं बधाई देना चाहता हूं क्‍योंकि यह भी अपने आप में एक सुखद उदाहरण था। पश्चिम बंगाल देश का गौरव रहा है और यहां पर केन्‍द्रीय विद्यालय भी हैं और नवोदय विद्यालय भी है और बहुत सारे संस्थान हैं।यदिउच्च शिक्षा की बात मैंकरूं तो आईआईटी खड़गपुर हो, चाहे आईआईआईटी कल्याणी हो,नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कलकत्ता जैसे उच्च शिक्षा के विभिन्न उत्कृष्ट संस्थान प्रमुखता से अध्ययन और अध्यापन कार्य करा रहे हैं और वहीं दूसरी ओर जाधवपुर विश्वविद्यालय को आईओईका भी दर्जा भी मिला है और इसके अलावा भारत सरकार ने पिछले5साल में देखें तो लगभग897 करोड़ रुपये इन संस्थानों के लिए प्रावधानित किए हैं। टीचर्स ट्रेनिंग की दिशामें भी 10.6 करोड़ का आबंटन हुआ हैजोपश्चिम बंगाल के शिक्षकों की शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए दिए गए हैं। मुझे भरोसा है कि प्रधानमंत्री श्रीमोदीजी के नेतृत्व में एवंउनके मार्गदर्शन में नई शिक्षा नीति 2020 आई है निश्‍चित रूप में यह न केवल भारत के शैक्षणिक परिदृश्य को बदलेगा बल्कि मेरे भारत को पुनः विश्वगुरु के रूप में स्थापित करेगा ऐसा मेरा भरोसा है। सभी छात्रों को गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने के लिए जहां शोध कीसंस्कृति को विकसित करने की दिशा में नेशनल एजुकेशन टैक्‍नोलॉजी फोरम का भी गठन किया जारहाहै जो अंतिम छोर तक के छात्र को तकनीकी से समृद्ध करेगा और ‘वोकल फॉर लोकल’गांवतक जाएगा और ‘लोकल फॉर ग्‍लोबल’अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर तक जाएगाऔर जो आत्‍मनिर्भर भारत को बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम होगा, ऐसा मेरा भरोसा है। मुझे आशा है कि एनईपीके क्रियान्‍वयन के लिए और शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण में हमारे अध्‍यापक अहम भूमिका निभाएगा। हमारे देश के पूर्व राष्‍ट्रपति अब्‍दुल कलाम जी ने कहा था कि सपने जो सोने न दे, जब तक वो क्रियान्‍वयन नहीं हो जाते तब तक आप लगातार आगे बढ़ें। मुझे इस बात की भी खुशी है कि आज चार युवकों को यहसंस्थान डीलिट की उपाधि प्रदान कर रहे हैं। मैं इन चारों लोगों के बारे में जितना जानता हूं इस संस्थान ने बहुत ऐसे लोगों को चुना है, मैं आप सभी को बहुत बधाई देना चाहता हूं। मेरे प्रिय छात्र-छात्राओं, मुझे भरोसा है कि आप आत्‍मनिर्भरभारत के ब्रांड एम्‍बेस्‍डर बनकर पूरी दुनिया में जाएंगे। इस देश को सशक्त करने के लिए मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने जिस 21वीं सदी के स्‍वर्णिम भारत  की बात की है ऐसा भारत जोस्‍वस्‍थ हो, सशक्‍त हो, समृद्ध हो,श्रेष्ठ हो और एक भारत को जिसका रास्ता मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्‍किल इंडिया,स्‍टार्टअप इंडिया और स्‍टैंडअप इंडिया से होकर गुजरता है। मुझे भरोसा है कि आप अपने सामर्थ्‍यसे प्रधानमंत्री जी के 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्‍यवस्‍था के विचार कोसाकार करेंगे। एक बार फिर मैं आपके अभिभावकों को, आपको और आपकेअध्यापकगण को बहुतसारी बधाई देता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. श्री नरेन्‍द्र दामोदर दास मोदी, माननीय प्रधानमंत्री, भारत
  2. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  3. श्री संजय शामराव धोत्रे, माननीय शिक्षा राज्‍य मंत्री, भारत सरकार
  4. श्री अमित खरे, सचिव, उच्‍च शिक्षा, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
  5. श्री संजीव गोयनका, अध्‍यक्ष, शासी मंडल, आईआईटी खड़गपुर
  6. प्रो. वीरेन्‍द्र कुंमार तिवारी, निदेशक, आईआईटी खड़गपुर
  7. प्रो. श्रीमन कुमार भट्टाचार्य, उप-निदेशक, आईआईटी खड़गपुर

आईआईटी खड़गपुर का 66वां दीक्षांत समारोह

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

आईआईटी खड़गपुर के 66वें दीक्षांत समारोह में उपस्‍थित अध्‍यापगणों का, छात्रों का, अतिथिगणों का और पूरे देश और दुनिया से पूर्व छात्र एवं अध्‍यापक जुड़े हैं मैं आप सभी का सबसे पहले तो इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर जो आज उत्‍सव मनाया जा रहा है, इस अवसर पर आप सभी का सम्‍मान कर रहा हूं और इस अवसर पर हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी का आशीर्वाद हमारे छात्रों को लगातार मिलता रहता है, मैं उनको अभिनन्‍दित करता हूं क्‍योंकि वो लगातार हमारे छात्रों को आशीर्वाद देते हैं। मेरे अन्‍नय सहयोगी शिक्षा राज्‍य मंत्री श्री संजय धोत्रे जी, अमित खरे, सचिव उच्‍च शिक्षा, श्री संजीव गोयनका जो शासी मंडल के अध्यक्ष हैं,जिनकेमार्गदर्शन में आईआईटी खड़गपुर काफीआगे बढ़ रहा है औरयशस्‍वीनिदेशक प्रो.वीरेन्‍द्र कुमार तिवारी जी जो लगातार गतिविधियों को करके इस बात को सुनिश्चित कर रहे हैं। खड़गपुर पीछे नहीं है, देश की लीडरशिप ले रहा है औरतकनीकी के क्षेत्र में और ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में। प्रो.भट्टाचार्य,उपनिदेशक लंबे समय से जुड़ेहैं, स्‍टाफसहित सभी फैकल्टी और निदेशक, उप-निदेशक,विभागाध्यक्ष, सभी संकाय के सदस्यगणतथाछात्र-छात्राओं और अभिभावकगण एवं पूर्व छात्र-छात्राओं,मैंआज इस अवसर पर जबकि आप 66वें दीक्षांत समारोह में सभी एकत्रित हुए हैं,हम सब लोग गर्व का अनुभव महसूस कर रहे हैं और सबसे पहले तो मैं सभी मेधावी छात्र-छात्राओं को,जो आज डिग्री प्राप्त कर रहे हैं, उनका अभिनंदन करता हूं एवं शुभकामना देने के लिए आपके बीच आया हूं। इस ऐतिहासिक अवसर पर  मैं उन सभी शिक्षकों का भीअभिनंदन करना चाहता हूं जो इनयुवा छात्रों का उचित मार्गदर्शन देते हुए उनकेअध्‍ययनके दौरान उन्‍हेंनिरंतर प्रेरित एवंप्रोत्साहित करते रहे हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि आज आईआईटी खड़गपुर के छात्र 66वें दीक्षांत समारोह के द्वारा अपने सपनों को एवं आकांक्षाओं को हासिल करने की एक नई यात्रा की शुरुआत करेंगे। मेरे प्रिय छात्र-छात्राओं, आज तक आपने जो दीक्षा ली है इस दीक्षा को लेकरके देश और दुनिया में छाने वाले हैं। और बहुत सारे सवाल आपके मन मस्तिष्क में आने वाले हैं तथाबहुतसारे सवालों से आपको जूझना है। अभी तक सवाल आपके मन और मस्तिष्क में आते थे और आप अपने अध्यापक से पूछते थे, वे उनका निदान करते थे। आज के बाद बहुत सारे सवाल आपके मानस के सामने खड़े रहेंगे और उन सभी सवालों का उत्तर भी स्‍वयं ही आपको देना है। मुझे भरोसा है कि जो दीक्षा और शिक्षा आपको यहां से मिली है वह हर मौके पर, हर मोड़ पर, हर परिस्‍थिति में वहआपको सवालों का उत्‍तर देने के लिए तैयार करेगी, ऐसा मेरा भरोसा है और ऐसे में मैं आपको शुभकामना देना चाहता हूं।आईआईटीखड़गपुर की इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को यदि देंखे तो यह देश के अनेकों स्वाधीनता संग्राम सैनिकों का सर्वोच्च बलिदान की भूमि रही है। यह वह जगह है जहां आजादी की लड़ाई लड़ते हुए संतोष सुमन बिट्टा और तारकेश्वर सेन गुप्ता जैसे स्वाधीनता संग्राम सेनानियों को कैद में रखा गया था।16सितंबर,1931 उस दिन को कौन भूल सकता है मेरे नौजवान साथियों, तब उनको गोलियों से छलनी कर दिया गया था,जब आजाद हिन्‍द सेना के सेनानायक और आजादी के ध्वजवाहक नेताजी सुभाषचंद्र बोस इसबंदी शिविर में आये थे। इन वीरसपूतों के पार्थिव शरीर को लेने के लिए उस क्षण को कौन भूल सकता है,यह सामान्य घटना नहीं थी, इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। उनमें से एक गुरूदेवरवीन्‍द्रनाथ टैगोर भी थे जिन्होंने न केवल इस दर्द को महसूस किया था बल्कि अपनी सशक्त लेखनी के माध्यम से इसको बयां करके पूरे देश में उस भावना को एक आग की तरह देशभक्‍ति की ज्‍वाला को फैलाया था और ऐसा ऐतिहासिक स्थान जिसस्‍थानपर यी संस्थान है। यहवह संस्‍थान है जो आजादी के साथ-साथ में 224 विद्यार्थियों और 42 शिक्षकों के साथ शुरू हुआ था। आज इस आईआईटी खड़गपुर में 14 हजार से भी अधिक छात्र-छात्राएं हैं और 670 से भी अधिक संकाय हैं। इस संस्थान कीबहुत लंबी यात्रा इस बात का प्रतीक है कि तमाम उतार और चढ़ावों के बाद भी इस संस्थान में अपनी शिखरता को प्राप्त किया है। खड़गपुर पहला राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है जिसे भारत सरकार के संसदीय अधिनियम के तहत स्थापित किया गया और तब से ही यह संस्थान राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आज उद्योग क्षेत्र में पुरस्कार विजेता, शिक्षाविद्, राजनेता, खिलाड़ी और रचनात्‍मक पेशेवर के रूप में उत्कृष्ट भूमिका निभानेवाले इस महान संस्थान के पूर्व छात्रोंकीसूची देखता हूं तो वे विश्व के पटल पर छाये हुए हैं और भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। चाहे वोगूगल के सुंदर पिचाई हों जब मैं देखता हूं तो मेरे यहाँ से निकले मेरे पूर्व छात्र कहाँ-कहाँ पर अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं? हमारामाथा ऊँचा होता है कि हमारे छात्र पूरी दुनिया में छाये हुए हैंऔर पूरे देश का गौरव बढ़ा रहे हैं। मुझे खुशी है कि भगवद् गीता में जो कहा गया है कि कर्म में उत्‍कृष्‍टता ही योग है। इस सिद्धान्त को खड़गपुर ने अपने कैम्पस में समाहित कर लिया है। इसी का परिणाम है कि यह लगातार और लगातार आगे बढ़ रहे हैं। खड़गपुर अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकी आधारित विज्ञान,जैवज्ञान प्रौद्योगिकी, सामाजिक विज्ञान, मानविकी प्रबंधन विधि और उद्यमिता से अनेक क्षेत्रों में शैक्षणिक कार्यक्रमों को एक विस्तृत श्रृंखला और विविध शैक्षणिक गतिविधियों और विषयोंके बारे में जाना-पहचाना और माना जा रहा है। आज ही संस्थान से वार्षिक चार हजार उद्धरणऔर स्टार्टअप के रूप में 21प्रौद्योगिकी के साथ दो हजार शोधप्रकाशित हुए हैं। यह इस बात को दर्शाता है कि आपका संस्‍थान शोध और नवाचार में आगे बढ़ रहा है और जैसी कि अभीमेरे सहयोगी मंत्री आदरणीय संजय धोत्रे ने कहा कि अब पूरे देश के अन्‍दर शोध और अनुसंधान की संस्‍कृति के लिए ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ जिसके लिए 50 हजार करोड़ रूपया स्‍वीकृत हुआ है।प्रियछात्र-छात्राओं,मैं आपसेअनुरोध करना चाहता हूं कि एक वक्त था जब हममें पैकेज की होड़ लगी कि कितना बड़ा पैकेज किसको मिलेगा। लेकिन आज देश स्‍वाधीनहो गया है। हमको अबनौकरी के लिए नहीं दौड़ना है।अबपैकेज के स्‍थान पर पेटेंट की दौड़ होगी। हम टैलेंट और उत्‍कृष्‍ट कोटि के साथ पैटेंटकोनिकालेंगे। हम नौकरी लेने वाले लोगों में नहीं, बल्‍कि नौकरियां देने वाले लोगों में खड़े होंगे, ऐसा मेरा विश्वास है और यही संकल्प लेकर आज मैं आया हूं। मैं यह देखकर बहुत हर्षित होता हूं कि भारत सरकार की योजनाओं में आईआईटी खड़गपुर ने ऊर्जा और उत्‍साह के साथ हर जगह बढ़-चढ़कर के मुझे दो साल इस मंत्रालय में होरहे हैं और जब भी मैं समीक्षा करता हूं तो कहीं न कहीं केन्द्र में मेरा खड़गपुर सामनेआता है।मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत इससंस्थान द्वारा विकसित के किए गए विविधशौचालय प्रणाली स्‍वच्‍छता का समाधान करने में सक्षम है और सुदूर क्षेत्र में लाभदायी भी है।जहां पानी की आपूर्ति नहीं है वेस्ट से वेल आपका यह अद्भुत उदाहरण है जो हमारे प्रधानमंत्री जी के सपने को साकार करता है। आप सबको मालूम है कि जब हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का आह्वान किया था तो बच्चा-बच्चा भी अपने घर का लीडर बन कर खड़ा हो गया था। स्वच्छता के इस अभियान के लिए पूरी दुनिया का अद्भुत अभियान हो गया था और आप उस अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं।मुझे बहुत खुशी है कि उच्चतर आविष्कार योजना के अंतर्गत संस्थान चार पहिया वाहन और छोटे स्तर पर तीन पहिया वाहनों के लिए विद्युत वाहन पर शोध और विकास कार्यों में आगे बढ़ रहा है। मुझेइस बात को लेकर खुशीहै कि मुझे यहभीबताया गया है कि उन्‍नत भारत अभियान के अन्तर्गत संस्‍थानके कृषि और खाद्य इंजीनियरिंग विभाग में सिंचाई औरखाद्य प्रसंस्करण को शामिल करते हुए कई तकनीकों का विकास किया जा रहा है जो पश्चिम बंगाल के 23 जिलों और पूर्वी भारत के अन्य राज्यों में विभिन्न गांव में 20 हजार से भी अधिक किसानों के उपयोग में लाई जा रहे थे। इस ग्राम स्‍वराजके अभियान की यह अनोखी पहल है और यहां के निदेशक प्रो. तिवारी को कहता हूं कि आपको कृषिऔर कृषि विज्ञान के क्षेत्र में महारत है और मेरे आस-पास खड़गपुरके गांव में यहां की सुगंध बढ़नी चाहिए ताकि लोगों को लगे कि हां, खड़गपुर या आसपास की सुगंध से गांव भी अनुप्राणित हो रहा है। शैक्षणिक संस्‍थान अपने क्षेत्रीय गांवोंकेकिसानों को विशेष लाभ पहुंचाने की दिशा में और आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर गांव और आत्मनिर्भर राष्ट्र, इसका जो रास्‍ता है इसको आप निश्चित रूप में आगे बढ़ा रहे हैं। मुझे इस बात की खुशी है और प्रधानमंत्री जी हमेशा कहते हैं कि हमारे ज्ञान, विज्ञान एवंअनुसंधान के दो लक्ष्‍यहोने चाहिए। पहला ‘इज ऑफ बिजनेस’ कि उद्योग जगत को बढ़ावा दें और दूसरा ‘इज ऑफ लिविंग’ जो आम जनमानस के जीवनको सुखद बनाए। आपकी शिक्षा साक्षरता के लिए नहीं अपितु लक्ष्‍य आधारित शिक्षा होनी चाहिए,मानवता को समर्पित होनी चाहिए और हमारी संस्कृति से युक्त परंपराओं से भरी होनी चाहिए। मुझे भरोसा है कि इस संस्थान से निकलने वाले छात्र-छात्राएं हैं वोज्ञान की उस संस्कृति के ध्‍वजवाहक बनेंगेजिस संस्कृति ने पूरी दुनिया में भारत को विश्‍व गुरू के रूप में स्थापित किया था। मुझे गर्व है कि कोविड-19की विषम परिस्थितियों में भी आईआईटी खडग़पुर ने समाज की भलाईके लिए बहुत महत्वपूर्ण काम किया और इस दिशा में छात्रों की देखभाल की दिशा में लॉकडाउन की अवधि, मुझे याद आता है कि जैसे ही यहपरिस्‍थिति आई थी और मैंने निदेशक से पूछा था तो हजारों छात्र हमारे हॉस्टल में थे और मैं इस बात को लेकर लगातार चिंतित था कि हजारों छात्र हास्‍टल में हैं और इनपरिस्‍थितियोंमें हमारे निदेशक ने तब कहा था कि कैसे करके छात्रों को उनके घरों तक पहुंचाया जाए। मेरे को बताया गया कि छात्र चाहते हैं कि वो यही पर रहें और सुरक्षित रहे। इसकेलिए मैं बधाई देना चाहता हूं क्‍योंकि यह भी अपने आप में एक सुखद उदाहरण था। पश्चिम बंगाल देश का गौरव रहा है और यहां पर केन्‍द्रीय विद्यालय भी हैं और नवोदय विद्यालय भी है और बहुत सारे संस्थान हैं।यदिउच्च शिक्षा की बात मैंकरूं तो आईआईटी खड़गपुर हो, चाहे आईआईआईटी कल्याणी हो,नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कलकत्ता जैसे उच्च शिक्षा के विभिन्न उत्कृष्ट संस्थान प्रमुखता से अध्ययन और अध्यापन कार्य करा रहे हैं और वहीं दूसरी ओर जाधवपुर विश्वविद्यालय को आईओईका भी दर्जा भी मिला है और इसके अलावा भारत सरकार ने पिछले5साल में देखें तो लगभग897 करोड़ रुपये इन संस्थानों के लिए प्रावधानित किए हैं। टीचर्स ट्रेनिंग की दिशामें भी 10.6 करोड़ का आबंटन हुआ हैजोपश्चिम बंगाल के शिक्षकों की शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए दिए गए हैं। मुझे भरोसा है कि प्रधानमंत्री श्रीमोदीजी के नेतृत्व में एवंउनके मार्गदर्शन में नई शिक्षा नीति 2020 आई है निश्‍चित रूप में यह न केवल भारत के शैक्षणिक परिदृश्य को बदलेगा बल्कि मेरे भारत को पुनः विश्वगुरु के रूप में स्थापित करेगा ऐसा मेरा भरोसा है। सभी छात्रों को गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने के लिए जहां शोध कीसंस्कृति को विकसित करने की दिशा में नेशनल एजुकेशन टैक्‍नोलॉजी फोरम का भी गठन किया जारहाहै जो अंतिम छोर तक के छात्र को तकनीकी से समृद्ध करेगा और ‘वोकल फॉर लोकल’गांवतक जाएगा और ‘लोकल फॉर ग्‍लोबल’अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर तक जाएगाऔर जो आत्‍मनिर्भर भारत को बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम होगा, ऐसा मेरा भरोसा है। मुझे आशा है कि एनईपीके क्रियान्‍वयन के लिए और शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण में हमारे अध्‍यापक अहम भूमिका निभाएगा। हमारे देश के पूर्व राष्‍ट्रपति अब्‍दुल कलाम जी ने कहा था कि सपने जो सोने न दे, जब तक वो क्रियान्‍वयन नहीं हो जाते तब तक आप लगातार आगे बढ़ें। मुझे इस बात की भी खुशी है कि आज चार युवकों को यहसंस्थान डीलिट की उपाधि प्रदान कर रहे हैं। मैं इन चारों लोगों के बारे में जितना जानता हूं इस संस्थान ने बहुत ऐसे लोगों को चुना है, मैं आप सभी को बहुत बधाई देना चाहता हूं। मेरे प्रिय छात्र-छात्राओं, मुझे भरोसा है कि आप आत्‍मनिर्भरभारत के ब्रांड एम्‍बेस्‍डर बनकर पूरी दुनिया में जाएंगे। इस देश को सशक्त करने के लिए मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने जिस 21वीं सदी के स्‍वर्णिम भारत  की बात की है ऐसा भारत जोस्‍वस्‍थ हो, सशक्‍त हो, समृद्ध हो,श्रेष्ठ हो और एक भारत को जिसका रास्ता मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्‍किल इंडिया,स्‍टार्टअप इंडिया और स्‍टैंडअप इंडिया से होकर गुजरता है। मुझे भरोसा है कि आप अपने सामर्थ्‍यसे प्रधानमंत्री जी के 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्‍यवस्‍था के विचार कोसाकार करेंगे। एक बार फिर मैं आपके अभिभावकों को, आपको और आपकेअध्यापकगण को बहुतसारी बधाई देता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. श्री नरेन्‍द्र दामोदर दास मोदी, माननीय प्रधानमंत्री, भारत
  2. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  3. श्री संजय शामराव धोत्रे, माननीय शिक्षा राज्‍य मंत्री, भारत सरकार
  4. श्री अमित खरे, सचिव, उच्‍च शिक्षा, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
  5. श्री संजीव गोयनका, अध्‍यक्ष, शासी मंडल, आईआईटी खड़गपुर
  6. प्रो. वीरेन्‍द्र कुंमार तिवारी, निदेशक, आईआईटी खड़गपुर
  7. प्रो. श्रीमन कुमार भट्टाचार्य, उप-निदेशक, आईआईटी खड़गपुर

इन्‍दिरा गांधी राष्‍ट्रीय जनजाति विश्‍वविद्यालय, अमरकंटक का दीक्षांत समारोह

इन्‍दिरा गांधी राष्‍ट्रीय जनजाति विश्‍वविद्यालय, अमरकंटक का दीक्षांत समारोह

 

दिनांक: 22 फरवरी, 2021

 

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

इन्‍दिरा गांधी राष्‍ट्रीय जनजाति विश्‍वविद्यालय, अमरकंटक केदीक्षांत समारोह में उपस्थित विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्‍यक्ष प्रो. डी.पी. सिंह जी और इसविश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.श्री प्रकाशमणि त्रिपाठी जी और आज हमारे साथ यहां आशीर्वाद देने के लिए सांसद श्रीमती हिमाद्रीसिंह जी,सभी उपस्थित कार्यपरिषद् के सदस्यगण,सभीअध्यापकगण, सभी कर्मचारी,प्रियछात्र छात्राओं और सभी अभिभावकगण,अन्‍यउपस्थित सभी अतिथिगण और इस कार्यक्रम से जुड़े सभी भाई बहनों का अभिवादन कर रहा हूं और छात्रों को इस अवसर पर बहुत बधाई देना चाहता हूं कि आज तृतीयदीक्षांत समारोह हो रहा है और इस दीक्षांत समारोह में आपके बीच अपनेको पाकर मैं आज शुभकामना देता हूं। मैं यह समझता हूं कि यहक्षणआपके लिए अविस्मरणीय है। जब इस संस्थान में आप आए होंगे तबसोच के साथ,और उन शुभकामनाओं के साथ इतनेलंबे समय तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद आज आपडिग्री अथवाउपाधि लेकर के जाएंगे। आप में से बहुत सारे लोग स्वर्ण पदक लेकर के जा रहे हैं तो आज दीक्षांत समारोह के बाद आपके लिए पूरा मैदान खाली है। हम सभी लोग आपको बधाई देने के लिए यहां सम्‍मिलित हैं।आपमैदान में जाकर एक योद्धा की तरह कार्य करें और अभी तो तमाम मन-मस्तिष्क में बहुत सारी चीजें उथल-पुथल भी मचा रही होंगी। आपकेअध्‍यापगण भी खुश हैं कि उन्‍होंनेआपको जोशिक्षादी आप अनुभव का एवं  ज्ञान का उपयोग अपने व्यक्तिगत जीवन के उत्थान के लिए तथासमाज के उत्थान के लिए विभिन्न माध्यमों से आप करेंगे।इस अवसर पर मैं आपको बहुत बधाई देना चाहता हूं, आप सभी में बहुत ही अद्भुत प्रतिभा है और आपज्ञान,विज्ञान तथाविभिन्‍नविधाओं में नेतृत्व की क्षमता रखते हैं। आपआत्मनिर्भर भारत केकारक भी हैं और कारण भी हैं और मुझे विश्वास है कि सभी अपनी पूर्ण क्षमता के साथ देश को बेहतर बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे।दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों  के जीवन में एक महत्वपूर्ण समय होता है तथा उसेवो जीवन में भुला नहीं पाता है। यह वो दिन है जब संसार को झकझोर देने वाले विरोधाभास आपके सामने है, लेकिनआपउसका मुकाबला करते हुए अद्भुत संभावनाओं को उजागर करेंगे औरअपनेकदमों आगे बढ़ाएंगे। इन्‍दिरागांधीजनजातीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह मेंमुझे हमारे आदर्श बिरसा मुंडा जी का यह कथन स्मरण होता है, जब उन्होंने कहा था कि देशप्रेमकी ललक एक वरदान है। यह जो देशप्रेम है यह अन्‍दर से उमड़ता है, जो मनुष्य कोउत्सर्ग के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। मुझे भरोसा है कि मुंडा जी के इस कथन को हम हर कदम पर अनुसरण करेंगे। मैंदेख पा रहा हूं कि इन्‍दिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के छात्रों की आंखों में राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में अपना अनोखाऔर अनूठा योगदान देने का संकल्प हैं क्‍योंकिनजरों में नज़र डालकर ही आत्मविश्वास होता है। मुझे भी गर्व महसूस होता है कि जनजाति विश्वविद्यालय ने सीमित आबादी में ही विकास की यात्रा की है और इस यात्रा में भी इस विश्‍वविद्यालय ने गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ अनुसंधान को भी बढ़ावा दिया है, परिशुद्धता को प्राप्त किया है और एक अच्छा वातावरण तथा एक अच्छी संस्कृति का परिवेश तैयार किया है। मध्यप्रदेश के अमरकंटक में विश्वविद्यालय का मुख्यालय है और इसी विश्‍वविद्यालय द्वारा मणिपुर में जो क्षेत्रीय परिसर प्रारंभ किया गया है उस क्षेत्र की उच्च शिक्षा की आवश्यकताओं को निश्चित तौर पर पूरा करने की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण योगदान देगा। मुझे भरोसा है कि मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि नॉर्थ ईस्‍ट के विकास में यहविश्‍वविद्यालयबहुत बड़ा योगदान देगा।जैसा कि आप जानते हैं कि इन्‍दिरागाँधी राष्ट्रीय जनजाति विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना एक विशिष्‍ट उद्देश्य से की गई है।इसका उद्देश्‍य भारत के जनजातीय समुदाय को उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करना, शोध की सुविधाएं उपलब्ध कराना,जनजाति क्षेत्र में निवास करने वाले युवाओं को नई दिशा देना,शिक्षा के माध्यम से और नवाचार के माध्यम से जनजातियों का विकास करना,शोधअनुसंधान नवाचार के माध्यम से जनजाति कासमग्र विकास करना है और यह विश्‍वविद्यालय उनकी शिक्षा के उत्थान के क्षेत्र में महत्‍वपूर्णकदमउठा रहा है। जनजाति समुदाय की एक समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा रही है और जनजाति क्षेत्रों की एक विशिष्टता बिल्कुल अलग प्रकार की हैं। उनमेंअनेक संभावनाएं हैं। एक विद्यालय अनुसंधान नवाचार और सशक्तिकरण के माध्यम से जनजाति क्षेत्रों को संवर्धित बना सकता है। इस विश्‍वविद्यालय की जनजातीय क्षेत्र के विकास में निश्चित ही महत्वपूर्ण भूमिका होगी और यह साबित करेगा कि जिसउद्देश्य से भारत सरकार ने इस जनजाति विश्‍वविद्यालयको बनाया है,उस दिशा में यह एक मील का पत्थर साबित होगा। मुझे खुशी है कि विश्वविद्यालय जनजातीय कला संस्कृति के विकास के साथ-साथ शिक्षा में और विशेषकरउच्च शिक्षा के क्षेत्र में जो सुविधाएंउपलब्ध कराएगा। यह विश्‍वविद्यालय कला, परंपराओं और संस्कृति के वैज्ञानिक अध्ययन को प्रोत्‍साहित करेगा और सामाजिक तथा सांस्कृतिक एकरूपता के साथ प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित प्रौद्योगिकी के विकास हेतु शोधऔर अनुसंधान की सुविधाएं भी उपलब्‍ध करवाएगा।मेरे देश के प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी जी ने जिस बात को कहा कि 21वीं सदी का स्‍वर्णिम भारत चाहिए और निश्‍चित ही जो यहक्षेत्र है, यह एकसमृद्ध क्षेत्र है।यदि आप देखेंगे तो इस क्षेत्र में जोपरिवेश है उसमें शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में समग्र तरीके से आर्थिक मजबूती देने का भी अवसर है।हमअपनी लगन से इस क्षेत्र काया पलट करेंगे। एक समय था जब हम इस बात की हौड़ करते थे कि हमको पैकेज की दौड़ में जाना है लेकिन अब हमको पैकेज की दौड़नहीं लगानी है क्योंकि नौकरी पाने वाला हमकोनहीं बनना है और हमें नौकरी देने वाला बनना है, पेटेंट की दौड़ हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसलिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर जनजातियों के सांस्‍कृतिक जीवन,नृत्य और शोध एवं अनुसंधान से संबंधित पक्ष शोध और अनुसंधान के रूप में आप उभार के ला रहे हैं। मुझे लगता है कि आपका यह जो कदम हैजनजन तक पहुँचने का यह बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है और इससे इस क्षेत्र की आर्थिकी को अनिवार्य रूप में बल मिलेगा मुझे विश्‍वास है कियहां के जो लोकल संसाधन हैं उनकोआपउजागरऔर आर्थिक रूप से तथा सांस्कृतिक एवंसामाजिक रूप से सशक्त करेंगे। किसी भी विश्वविद्यालय को प्रतिष्ठित करने का यही उद्देश्‍य है कि वह उस क्षेत्र में अध्‍ययन करे, रोजगार के अवसरों को सृजित करे। स्थानीय उद्योगों को और विकसित करके राष्ट्र की मुख्यधारा में लाकर उसको ओर तेजी से आगे बढ़ा सके। मुझे इस बात की खुशी है कि इस विश्‍वविद्यालय को61.8करोड़ की धनराशिसामान्य विकास सहायता के लिए प्रदान की गई। जबकि उसकेविकास के लिएसैकड़ों करोड़ रुपया भारत सरकार ने सुनिश्चित किया है और एक आदर्श विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने की दिशा में कदम आगे बढ़ाए हैं। मुझे खुशी है कि इस विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भीलाने की कोशिश हुई है। आदिवासी युवाओं संपर्क स्‍थापितकरने की भी आपकी जो संकल्पना है वो युवाओं को रोजगार की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण है तथा अभियान्त्रिकी महाविद्यालय भी आपने उनके भविष्य के लिए खोलाहै। चिकित्सा महाविद्यालय आपने खोला है,नर्सिंग प्रशिक्षण केन्द्र को भीखोलेन की आपकी योजना है।आपने देखा है कि हम नई शिक्षा नीति के तहत कक्षा छह से ही वोकेशनल एजुकेशन ला रहे हैं और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस हम स्कूली शिक्षा से पढ़ायेंगेऔर इंटर्नशिप के साथ वोकेशनल शिक्षा देंगेताकिउस क्षेत्र का छात्र अपने इर्द-गिर्दजो संपदायेंबिखरी हुई हैं, उनके साथ सामंजस्य स्थापित कर सके और उसको आगे बढाने की दिशा में विचार कर सके। मुद्रा ऋण योजना और स्टैंडअप इंडिया योजना भारत सरकार की प्रमुख योजनाएं हैं, जिनका लाभ छात्र उठा रहे हैं।इसके अन्तर्गत युवाओं को नए व्यवसाय आरंभ कर उद्योगपति के रूप में देश के आर्थिक विकास में अपनी भागीदारी निभाने का अवसर प्राप्त होगा। मुझे विश्वास है कि आपका यह प्रयास भारत निर्माण में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगा। आपसबको पता है कि देश के प्रधानमंत्री जी ने जहां आत्मनिर्भर भारत की बात है, वहीं 5 वहां 5 ट्रिलियन डॉलरअर्थव्यवस्था के लिए भी उन्‍होंने कहा है। जहां देश ज्ञान की महाशक्ति के रूप में स्थापित होने की दिशा में तेजी से आगे बढ रहा है वहीं देश आर्थिक दृष्टि से सशक्‍त बनकरपूरी दुनिया को लीडरशिप भी दे सकता है। हम जीवन मूल्यों की दिशा में भी सशक्त हों, हम तकनीकी की दिशा में सशक्त हों, हम ज्ञान और विज्ञान की दिशा में भी सशक्‍त हों और हम आत्मनिर्भर भारत जो वोकल फॉरलोकल है और लोकल फॉरग्लोबल है उसके तहत हमें यह भी करना होगा कि अंतिम छोर के व्यक्ति को किस तरीके से हम तकनीकी ज्ञान दे सकते है। उसके लिए मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया इन सभी को कैसे करके गांवतक पहुंचा सकते हैं। उसके स्किल का विकास करके उसको मेक इन इंडिया से जोड़ सकते हैं, अपने स्टार्ट अप खड़े कर सकते हैं और आपने देखा इस समय पूरे देश का वातावरण इस तरीके से बदला हुआ है जहां हमारे नौजवानों में जोश है और वैसेभी आगे 35-40 सालों तक यह देश यंग इंडिया रहने वाला है और ऐसे समय में हमारे जोनौजवान हैं इनके अंदर जितनी क्षमता है पूरी ताकत के साथ इस क्षमता का उपयोग करेंगे और हर क्षेत्रमें हम शिखर को प्राप्त करेंगे, ऐसा मेरा भरोसा है। मुझे यहभी बताया गया कि आपने कई गांवों को गोदलिया है। गांव को गोद लेने औरउनके समग्र विकास के लिए हमाराउन्नत भारत अभियान चलता है उसमें आपनेकईगांवों को लिया है औरमैंजरूर इन गांव का दर्शन करना चाहूंगा।मैंछात्र-छात्राओं को बधाई देना चाहता हूं और इस संस्थान को भी बधाई देना चाहता हूं और अध्यापकों को भी कि जो आपके यहगांवहैंइनमें विकास दिखना चाहिए और पता लगना चाहिए कि यह विश्‍वविद्यालय के गांव हैं।वहां आत्मनिर्भरता भी हो,स्वच्छता भी हो, शालीनता भी हो,वहां का छात्र प्रखर भी हो, वहां समग्र शिक्षा भी हो और हमें प्रयास करना है किहरक्षेत्र में कैसे यह 5 गांवआत्मनिर्भर बन सकते हैं। मुझे भरोसा है कि आप इसदिशा में काम कर रहे हैं।मुझे इस बात की भी खुशी है कि वैज्ञानिक शिक्षकों के लिए भी आपने यंग साइंटिस्ट अवार्ड घोषित किया है और उसके तहत युवा वैज्ञानिक शिक्षकों को एक लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र तथा आकस्मिक प्रयोगशाला खर्चके लिए पांच साल के लिए एक लाख रुपया सुनिश्चित किया है तो यह निश्चित रूप में शोध और अनुसंधान तथानवाचार के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा। आपको तो मालूम है कि शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में हम स्‍पार्क के तहत दुनिया के शीर्ष 127 विश्वविद्यालयों के साथ शोध और अनुसंधान कर रहे हैं।अभी जब हमारे देश के प्रधानमंत्री ने कहा कि अनुसंधान की जरूरत है और इसलिएअनुसंधान के लिए 50 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।  हमारी सरकार के द्वारा नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का गठन किया जा रहा है और दूसरी तरफ अंतिम छोर तक को तकनीकी ज्ञान देने के लिए ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नालॉजी फोरम’ का भीगठन किया जा रहा है। इन दोनों के गठन से शोध और अनुसंधान की दिशा में बहुत व्यापकता आएगी और हम आगे बढ़ सकते हैं। कृषि, जैव प्रौद्योगिकी और औषधीपौधों के विकास तथा ऊर्जा उत्पादन एवंदेशज ज्ञान के प्रचार और प्रसार तथाइसकेअनुप्रयोग के लिए अमरकंटक में अपारसंभावनाएं हैं। मुझे भरोसा है कि इस संभावनाओं का पूरा उपयोग शोध और अनुसंधान के साथ विद्यार्थी और शिक्षकदोनों मिलकर एक नया परिवेश बनाएंगे और इसके लिए अलग से एक उदाहरण प्रस्तुत होगा। इस विश्वविद्यालय की पर्यावरण के प्रति भी मैं देख रहा हूं की संवेदनशीलता है। विश्‍वविद्यालय में छात्रों को वृक्षारोपण के प्रति भी प्रोत्‍साहित किया जाता है। वृक्षोंकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक वरिष्‍ठ प्रोफेसर प्रो. की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है जो विद्यार्थियों,शिक्षकों एवं कर्मचारियों को वृक्षारोपण कोसुनिश्चित करनेहेतु प्रेरित करता रहता है। हम जानते हैं कि यह जो पर्यावरण है और जिस तरीके से मौसम परिवर्तन की चुनौतियों से पूरी दुनिया गुजर रही है,इसकाहमको मुकाबला करना है और फिर आप ऐसे क्षेत्र में हैं जहां पर्यावरण और वन के साथ एकात्मकता चाहिए।किस तरीके से उनका संरक्षण एवं व्यवस्थित दोहन हो तथाकैसे जड़ी बूटियों का संरक्षण हो, इन दोनों चीजों के समन्‍वय की जरूरत है और आप लोग इसकोकर रहे हैं और आगे इसकी बहुत सारी संभावनाएं हैं।जल शक्‍ति योजना के तहत आपनेजनजागरण नुक्कड़ नाटक, नृत्य चित्रों के माध्यम से भी विश्‍वविद्यालय के आस-पास के गांवों में जल संरक्षण, जल संवर्धन संबंधी जागरूकता के आप अभियान चला रहे हैं। इसके बाद ‘एक वृक्ष एक छात्र’ अभियान भी आपनेकियाथा और हमने यहकहा था कि यह अभियानकिसी भी छात्र का चाहे जन्मदिन है या उसके परिवार के किसी भी सदस्य का जन्मदिन है हमें एक वृक्ष को रोपित करना है और फिर उसके संरक्षण के साथ उसको बड़ा करनाहै। यहविश्व विद्यालय इस संस्कृति को तेजी से आगे बढ़ा रहा है,इसकीमुझे खुशी है।विश्‍वविद्यालय परिसर में मॉडल स्कूल और केन्‍द्रीय विद्यालय के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा रही हैं और निश्चित रूप में स्कूली शिक्षा में भी यहां के बच्‍चे बहुत अच्‍छे तरीके से काम कर रहे हैं। मुझेविश्‍वास है कि यह विश्‍वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति कोपूरी तरीके से लागू करके प्रभावी कदम उठाएंगा, जिसकी आज जरूरत है। मुझेभरोसा है कि जिस तरीके से इस विश्वविद्यालय ने नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए 13 समितियों का गठन किया है और उन समितियों को अलग-अलग शैक्षणिक सत्र के साथ जोड़ा जा रहा है, इससे विश्‍वविद्यालय की गम्‍भीरता का पता चलता है। मैं इस विद्यालय के कुलपति और सभी आचार्य गण को यह अनुरोध जरूर करूंगा कि आप एक मिशन मोड औरजुनून के साथ इस एनईपी 2020 को लागू करें जिसे न केवल देश ने बल्‍कि दुनिया नेसराहा है। पूरी दुनिया ने इसको सबसे बड़ा  रिफॉर्म  बताया है और तमाम विद्यालयों ने इसकी सराहना की है तो उसको लागू करने के लिए आप पूरी ताकत के साथ जुटेंगेऐसा मेरा भरोसा है। इस दीक्षांत समारोह के अवसर पर मैंछात्रों से निवेदन करूंगा कि प्रधानमंत्री जीका जो 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत का विजन है,जोसशक्त भारत हो, जो समृद्ध भारत हो, जो आत्‍मनिर्भर भारत हो,जोश्रेष्ठ भारत हो,उसश्रेष्ठ भारत कोस्थापित करने की दिशा में आप आगे आएंगे और योगदान देंगे। मुझे भरोसा है कि आपकी आगे बढ़ने हेतु जो छटपटाहट है, वो राष्ट्र को शिखर पर पहुंचाने का काम करेगी। उसमें आप चट्टान की तरह खड़े हो करके आगे बढ़ेंगे। मुझे आदरणीयअटल बिहारी वाजपेयी जी  की कुछ पंक्‍तियां याद आ रही हैं कि‘‘विश्‍व गगन पर अनगिनत गौरव के दीपक अब भी जलते हैं, कोटि-कोटि नैनों  में स्‍वर्ण युग के सपने बनते हैं’’यह जो नया युग है हमें उसका अपनी आंखों में ऐसा सपना संजोना चाहिएऔर सपने भी ऐसे जो सोने न दें। कलाम साहब ने कहा था कि सपनेज़रूरी हैं, लेकिन ऐसे सपने जो सोने न दें,जबतक कि हम उस लक्ष्य तक पहुंच नहीं जाते। मेरा भरोसाहै कि आप सभी छात्र-छात्राएं जो आज डिग्री लेकर जा रहे हैं, आप हर क्षेत्र में उन्‍नति के शिखर को प्राप्‍त करेंगे, इस शुभकामना के साथ मैं आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. श्रीमती हिमाद्री सिंह, संसद सदस्‍य (लोक सभा)
  3. प्रो. डी.पी. सिंह, अध्‍यक्ष, विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग,
  4. डॉ. मुकुल शाह, कुलाधिपति,इन्‍दिरा गांधी राष्‍ट्रीय जनजाति विश्‍वविद्यालय, अमरकंटक
  5. श्री प्रकाशमणि त्रिपाठी, कुलपति,इन्‍दिरा गांधी राष्‍ट्रीय जनजाति विश्‍वविद्यालय, अमरकंटक

 

 

 

21 फरवरी, 2021 – शिक्षा और समाज के समावेश के लिए एवं बहुभाषावाद को बढ़ावा देने हेतु अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी

शिक्षा और समाज के समावेश के लिए एवं बहुभाषावाद को बढ़ावा देने हेतु अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी

दिनांक: 21 फरवरी, 2021

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

महात्माश गांधी अंतर्राष्ट्री य हिन्दीय विश्वनविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश शुक्लष जी, केंद्रीय हिन्दीा संस्था1न, आगरा के उपाध्ययक्ष श्री अनिल कुमार शर्मा जी, केंद्रीय हिन्दीी निदेशालय के निदेशक डॉ. रमेश पाण्डेरय जी, एनबीटी के निदेशक कर्नल युवराज मलिक जी, हमारे तेलगु भाषा परिषद् के निदेशक सहित सभी पदाधिकारीगण, सभी भाषा-निदेशालयों के अधिकारीगण, सभी विश्वरविद्यालयों के कुलपतिगण और देश के कोने-कोन से विभिन्नष भाषाविद् जो आज हमारे साथ जुड़े हैं, मैं इस अवसर पर जबकि अंतर्राष्ट्री य भाषा दिवस मनाया जा रहा है और भाषाओं के प्रति चेतना का उद्गम हो रहा है, ऐसे अवसर पर मैं आप सभी के प्रति बहुत आभार प्रकट करता हूं और विशेषकर मैं अपने महामहिम उप-राष्ट्र पति जी, जिनके सानिध्यर में हम लगातारभारतीय भाषाओं के सशक्तिरकरण की दिशा में चिंता कर रहे हैं बल्कि् भारतीय भाषाओं के सशक्तिनकरण की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं।
मेरा मानना है कि भाषा की महत्ताक न केवल राष्ट्री य एकता और अखंडता से जुड़ी है बल्किा हमारी संस्कृाति और संस्कातरों से भी जुड़ी है। जैसाकि हमारे मंत्री जी ने कहा है भारत में विभिन्न भाषाओं की लंबी समृद्ध परंपरा है और मैं यह समझता हूं कि महर्षि पाणिनी हो और चाहे महर्षि कातायन हो, पातंजली हो,इन विद्वानों का भाषा के विकास में महत्वीपूर्ण योगदान रहा है। पीछेकेसमय मुझे अच्छार लगा जब हम महामहिम उप-राष्ट्रहपति के सानिध्ये में नैलुरू में भाषा संस्थागन की स्थािपना कर रहे थे तो वहां के तेलुगु तथा कन्न-डं के लेखकों का भी हमने सम्मावन किया था।
मैं समझता हूं कि पाणिनी ने अष्टाेध्याायी को लिखाहै और ऐसा किसी भी पुस्तीक में मिलना तो दूर-दूर तक भी सामान्ये नहीं है बल्कि् बहुत ही दुर्लभ है। विवेकानन्द। जी की भी बात हमें हमेशा याद रहती है उन्होंरने कहा था कि विचारों को लोगों की भाषा में सीखाना चाहिए।हमारी विवेकानन्दज एवं गांधी जी ने भाषाओं के माध्योम से जिन-जिन बिन्दुीओं को कहा है उनके माध्यरम से यदि देखेंगे तो उन्होंीने बहुत ही सशक्तष माध्यनम के रूप में मातृभाषा को लिया है।
मुझे याद आता है कि एक दीक्षांत समारोह में रवीन्द्र नाथ टैगोर जी ने कहा था कि सीखने की प्रक्रिया से मातृभाषा का एक गहरा समन्वंय है।अनेक साक्ष्यि एवं केस स्टीडी हमारे पास मौजूद हैं जो यह साबित करती है कि हर मानव के ज्ञान अर्जन को उत्कृसष्टयता तक तभी ले जाया सकता है जब उसका माध्य म उसकी मातृभाषा हो। उन्होंीने यह भी कहा कि शिक्षा में मातृभाषा का वही स्थाकन है जो एक नवजात शिशु के लिए मां के दूध का है।इससे भी आगे जा करके रवीन्द्र नाथ टैगोर जी कहते हैं कि जिस प्रकार हमें खुद ही भोजन को मुंह में डालना पड़ता है उसी प्रकार ज्ञान को अपने ही परिवेश, अपनी ही मातृभाषा में सीखा जा सकता है।
इसका मतलब जो भी ज्ञानहम अर्जित करते हैं उसको हम अपनीमातृभाषा में ही अपने अन्दोर समाहित कर सकते हैं। यदि मैं विवेकानन्दत जी के बारे में चर्चा कंरू तो जिनको हम अपना आदर्श मानते हैं और भारत की शिक्षा नीति में भी हमने उनका दर्शन कराया है। उन्होंकने कहा कि हमेंभाषा को विस्ताएर देना चाहिए। यह मानव सृजन की अनिवार्य शर्त है कि अगर वह एक से अधिक भाषा को सीखना है तो अनिवार्य है कि पहली भाषा अपनी मातृभाषा हो और उसके बाद दूसरी भाषा हो तभी मानव का विकास हो सकता है। हमारे विवेकानन्द जी ने कहा कि दुनिया की तमाम भाषाओं को सीखा जा सकता है और सीखना भी चाहिए। यदि बच्चेे की विलक्षणता को बाहर लाना है तो उसकी पहली शर्त है कि उसको उसकी मातृभाषा में सिखाया जाना चाहिए।
वो यहां तक भी कहते हैं कि शिक्षा और भाषा का एक अनन्य संबंध है। अच्छाल शिक्षक वही होता है जिसकी भाषा सरल हो और सरलता तभी संभव है जब आपके विचार सरलता से समझाए जा सकें और विचार केवल मातृभाषा रूपी रथ पर ही आगे बढ़ सकते हैं। यदि हम पीछे से भी देखेंगे तो सभी ने शुरू से लेकर के पाणिनीसे लेकर जो आज तक जितने भी हमारे भाषावैज्ञानिक हैं उन्होंने और आज भी यूनेस्कोल का आपने जिक्र किया, यूनेस्को ने भी लगातार यह अनुरोध किया है कि अपनी मातृभाषा में ही शिक्षा दी जानी चाहिए और उसी में ज्यादा सार्थकता होगी।
यदि हरिश्चन्द्र जी को देखें तो उन्होंने अपनी कविता में ही लिख दिया कि ‘निज भाषा उन्नति सब उन्नति को मूलबिनु निज भाषा ज्ञान के मिटत न हियो को शूल’तो यह हमारे उन लोगों ने हमेशा कहा और मनोवैज्ञानिकों ने भी इस बात को कहा है कि अपनी मातृभाषा में बच्चेू की 80 से 90 प्रतिशत तक अभिव्यवक्ति बाहर निकलती है। हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी के सक्षम नेतृत्व में जिस तरीके से भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया है उस दृष्टिकोण का हम एनईपी 2020 में लाये हैं। हमने एनईपी के तहत बाल्यकाल से ही मातृभाषा में पढ़ने और पढ़ाने का निर्णय किया है और इसको पूरी दुनिया ने स्वीकार किया है।
मैं समझता हूं कि एनईपी के आने के बाद हम मातृभाषा से प्रारंभिक शिक्षा शुरू करेंगे और कोई भी प्रदेश यदि उच्च शिक्षा तक भी अपनी मातृभाषा में देना चाहता है तो उसको भी खुली छूट होगी और मैं समझता हूं कि पूरी दुनिया ने इसको स्वीकार किया है और हर्ष व्यक्त किया है तथा देश के कोने कोने से जो समाचार मिलते हैं उससे पता लगता है कि हर समाज एवं हर क्षेत्र के लोगों ने इसका स्वागत किया और हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने तो कहा कि अब मातृभाषा में हमारे इंजीनियर भी होंगे और डॉक्टर भी होंगे और यदि इंजीनियर और डॉक्टभर हमारी मातृभाषा में होंगे तो मैं सोचता हूं कि हम अपनी मातृभाषा को न तो शब्दों का समन्वनय कहते हैं बल्कि उसकी संस्कृति है। मातृभाषा में ही हमारा विज्ञान,आचार-व्यवहार एवं उसकी परंपराएं हैं।
हमारे संविधान की अनुसूची 8 में में तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़, गुजराती, मराठी, बंगाली,असमिया,संस्कृत, हिन्दी, उर्दू सहित 22 भारतीय भाषाएं हैं जिसकी खुशबू है और हम बहुत आभारी हैं। मैं देखता हूं किश्रद्धेय वैंकेया जी जहां भी रहे होंगे, उनके लेख भाषा के प्रति चाहे समाचार पत्रों में हों चाहे वे अंग्रेजी मेंहो,हिन्दी में हो,चाहे कन्नड़ भाषा में हो, उनका देश की भाषाओं के प्रति तथा अपनी भाषा के प्रति आग्रह है।हमारा देश इस मार्गदर्शन को अपने मन और मस्तिष्क में लेकर क्या आगे बढ़ता है राज्यसभा में भी जिस तरीके से हमने देखा है आप सबको कहते हैं कि अपनी भाषा में बोलो। जब अपनी भाषा में कोई बोलता है तो आपके चेहरे की मुस्कराहट और खुशी को मैं महसूस कर सकता हूँ।
मैं यह समझता हूँ कि जिस तरीके से आपके निर्देशन में भाषाओं का संरक्षण हो रहा है उससे हम इन भाषाओं के संरक्षण-संवर्धन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और इनको तकनीकी तरीके से और बहुभाषी तरीके से हम लोग नयी शिक्षा नीति में लेकर आये हैं।हमारी यह भी कोशिश है कि हम इसको किसी तरीके से ओर आगे बढ़ा सके तथा इनकी गुणवत्ता भी सुनिश्चित कर सकें। इसी सोच के साथ भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर राष्ट्रीय परीक्षण सेवा द्वारा भारतीय भाषाओं और साहित्य के क्षेत्र में मूल्यांकन हेतु सामग्री और प्रशिक्षित मानव शक्ति के विकास के लिए लगातार काम कर रहा है। इसी दिशा में चाहे सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन लैंग्वेज हो,चाहे वो हिन्दी संस्थान आगरा हो, चाहे वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग हो, हिन्दी निदेशालय हो, नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज हो, महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय हो, यह सभी संस्था न भारत सरकार के साथ मिलकर भाषाओं के उत्था न तथा विकास के लिए काम कर रहे हैं।
अभी राष्ट्रीय अनुवाद मिशन तथा भारतीय भाषा संस्थान मैसूर द्वारा उच्च शिक्षा की पाठ्यपुस्तकों का अनुवाद करके उन्हें भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराने का अभियान जारी है और वहीं दूसरी ओर संस्थान द्वारा अन्य भाषायी स्रोतों का भी निर्माण किया जा रहा है ताकि भारतीय भाषाओं का सशक्त तरीके से विकास हो सके। भारत वाणी परियोजना के माध्यम से हम आज सभी 121 भाषाओं के विकास के लिए कार्य कर रहे हैं जो लुप्तरप्राय: हो गई हैं एवं उनके बोलने वालों की संख्या 10 हजार से ऊपर है। इसको ओर विस्तार देने की जरूरत है ताकि ये भारतीय भाषाएं लुप्त न हों।
संस्कृत, तमिल, कन्नड़, तेलुगू, मलयालम, उडिया जैसी शास्त्रीय भाषाओं में उपलब्ध प्राचीन ज्ञान और विज्ञान की पहचान करके उनके संवर्धन और संरक्षण की दिशा में सरकार काफी तेजी से काम कर रही है। भारतीय भाषा विश्वविद्यालय की स्थापना की दिशा में भी आगे काम हो रहा है और निश्चित रूप से जो वैश्विक सद्भाव में जो हमारे एक आदर्श बहुभाषिक प्रयत्न है वो भी इसमें आगे काम करेगा जो प्रस्तावित भारतीय अनुवाद एवं निर्वचन संस्थान है।हम अन्य अंतर भाषिक अनुवादों तथानिर्वचन कार्यों को ले करके इसके प्रस्थान कर रहे हैं और इसके माध्यम से सभी मातृभाषाओं में बड़े पैमाने पर रोजगार काभी सर्जन हो सकेगा।
एक समय था जब अटल बिहारी बाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में मातृभाषा में अपना भाषण दिया था और हिन्दुस्तान ने तो उसको न केवल हर्षऔर उल्लास का विषय माना बल्कि पूरी दुनिया ने भी उसकी सराहना की थी। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी हमेशा ही कहा और उस संकल्प से सिद्धि की ओर जाने की बात की और सभी भाषाओं के सशक्तिकरण की लगातार उन्होंने चर्चा की, उनका भी हम लोगों पर आशीर्वाद लगातार रहा है।
स्कूली स्तर पर जो एक त्रिभाषा फॉर्मूला हमने लगातार किया है, अब वो मातृभाषा के रूप में निश्चित रूप से बहुत सशक्तिकरण के साथ आगे आएगा क्योंकि हमने शुरू से कहा कि किसी भी राज्य पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी बल्कित जो वहां की भाषा है उसका सशक्तिकरण ज़रूर किया जाएगा और इसीलिए ये जो भारतीय भाषा विश्वविद्यालय अनुवाद संस्थान के लिए इस समय इस बजट में 50 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया और भारतीय भाषाओं के सशक्तिकरण के लिए संस्थानों को 433 करोड़ रुपए आबंटित किये। उसके लिए अलग से बजट में प्रावधान किया और मुझे इस बात की खुशी है कि हिंदी भाषा संस्थान मैसूर और क्षेत्रीय भाषा केन्द्र को 57 करोड़ रुपये की अभी स्वीकृति भी हुई है, तो मैं समझता हूं कि इस दिशा में आज बहुत सारे संकल्पों को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं। भारत और भारतीयता के अमर गायक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी की पंक्तियों को पढूंतोलगभग डेढ़ सौ वर्ष पहले उन्होंने कहा था कि ‘विविध कला, शिक्षा,अंक ज्ञान, अनेक प्रकार, सब देशन से ले कराऊं भाषा माही प्रचार’ यह जो उन्होंने कहा है, निश्चित रूप से उसी उसी रास्ते पर हम बढ़ रहे हैं और इस अंतर्राष्ट्री य भाषा दिवस पर संस्कृत में जो परंपराएं समाहितहैं उनके पुनर्जागरण और उनके सशक्तिकरण की जरूरत है।
हम भारत की सभी भारतीय भाषाओं के सशक्तिकरण के लिए संकल्पबद्ध हैं और एक बार ह्रदय की गहराइयों से सभी भाषाविदों,अपने देश के यशस्वी उपराष्ट्रपति जी जिनका हमें हमेशासंरक्षण एवं मार्गदर्शन मिला जिन्होंाने पूरी ताकत के साथ बिना किसी लाग लपेट के भारतीय भाषाओं की उन्नति की दिशा में सशक्तता से अपने न केवल विचार प्रकट किए बल्कि उसका रास्ता भी प्रशस्त करने के लिए हमारा मार्गदर्शन किया है।
ऐसे अवसर पर मैं एक बार हृदय की गहराई से अपने उप-राष्ट्रपति जी का अभिनंदन करता हूं और देश तथा पूरी दुनिया से आज इस अवसर पर जुड़े हजारों अपने सभी उन साथियों को जो भाषा के प्रति चिंतितहैं और उनके संरक्षण के लिए संकल्पित हैं, उन सबका भी मैं इस अवसर पर अभिनंदन करता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद!

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थियति:-

1. श्री वैंकेय्या नायडु, माननीय उप-राष्ट्रपपति, भारत
2. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
3. श्री संजय शामराव धोत्रे, माननीय शिक्षा राज्यप मंत्री, भारत सरकार
4. प्रो. रजनीश कुमार शुक्ला, कुलपति, महात्माी गांधी अंतर्राष्ट्रीअय हिंदी विश्वाविद्यालय, वर्धा,
5. प्रो. अनिल कुमार शर्मा, उपाध्यरक्ष, केन्द्री य हिन्दीर संस्था्न, आगरा
6. डॉ. रमेश पाण्डेश, निदेशक, केन्द्री य हिन्दीन निदेशालय
7. कर्नल युवराज मलिक, निदेशक, एनबीटी

एसोचैम द्वारा आयोजित 14 वां राष्‍ट्रीय शिक्षा सम्‍मेलन

एसोचैम द्वारा आयोजित 14 वां राष्‍ट्रीय शिक्षा सम्‍मेलन

 

दिनांक: 18 फरवरी, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

          आज के इस महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम में मेरे साथ जुड़े सभी माननीय लोगों का मैं अभिवादन करता हूं। सबसे पहले तो मैं कहना चाहता हूं कि हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने स्‍वर्णिम भारत की बात की है और उसके लिए एक रास्‍ता भी हमको दिया है, जिसके लिए यह नई शिक्षा नीति आई है। मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्‍किल इंडिया, स्‍टार्ट अप इंडिया और स्‍टैंड अप इंडिया। आप उस मेक इन इंडिया को डिजिटल इंडिया से जोड़कर केदेखिए कितना क्रांतिकारी परितर्वन हो रहा है। अन्‍यथा, जब यह कोरोना की महामारी आई थी तो उसने शैक्षणिक संस्‍थाओं को एक वर्ष पीछे कर दिया। छोटे-छोटे देश जो मेरे जिले के बराबर भी नहीं है, मैं जहां हरिद्वार से आता हूं वहां 24-25 लाख तो मतदाता हैं तो ऐसी स्‍थिति में उन छोटे देशों ने भी अपने आप को एक वर्ष पीछे कर दिया। ऐसी स्‍थिति में यह ताकत हिन्‍दुस्‍तान की ही हो सकती है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी की अगुवाई में जब दुनिया इस त्रासदीसेगुजर रही थी, सब लोग अपने घरों में कैद हो गए थे ऐसे वक्‍त पर भी हमने शिक्षा को ऑनलाइन माध्‍यम से जारी रखा तथा बच्‍चों को अवसाद में जाने से बचाया। दुनिया का यह शायद पहला उदाहरण है जब रातों-रात हम 33 करोड़ छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन शिक्षा पर लाये, इसलिए हमारी ताकतबढ़रहीहै। क्‍यों मेक इन चाइना हो, क्‍यों मेक इन जापान हो, पूरी दुनिया में मेक इन इंडिया क्‍यों न हो? इसकी ललक के साथ अब हम आगे बढ़ने लग गए हैं। आपने देखा होगा कि हमारे तमाम स्‍टार्ट अप शुरू हो रहे हैं। इस कोरोना काल में भी हमारे ऐसे शोध और अनुसंधान आये हैं। आशुतोष जी भी ‘दीक्षा’ में जुड़े हैं और इनके मार्गदर्शन में भी तमाम शोध और अनुसंधान हुए हैं और आज हम गर्वके साथ कह सकते हैं कि जब दुनिया घरों में कैद थी तो ऐसे वक्‍त पर मेरे छात्र शोध और अनुसंधान कर रहे थे। एआईसीटीई के चैयरमैन यहां पर बैठे हुए हैं इनके‘युक्‍ति-2’ पोर्टल पर आप विजिट करिये कि हमारे छात्रों ने कितना शोध एवं अनुसंधान किया है। आज दो-दो वैक्‍सीन देश में है जो दुनिया के लोगों की रक्षाके लिए है और हमारे देश के प्रधानमंत्री मदद कर रहे हैं तो यह छोटी बात नहीं है। इसलिए जो आपकी संस्‍था है यह पुरानी संस्‍था है। हमारे देश को विश्‍वगुरू कहा गया है।‘‘एतद् देश प्रसूतस्य शकासाद् अग्रजन्मन:, स्वं-स्वं चरित्रं शिक्षरेन् पृथ्वियां सर्व मानव:’’ अर्थात्पूरी दुनिया ने तो हमारे तक्षशिला, नालन्‍दा और विक्रमशिला जैसे विश्‍वविद्यालयों से आकर के ज्ञान, विज्ञान, नवाचार सीखा है।उस समय दुनिया में कौन-सा विश्‍वविद्यालय था? हमारे पास तकनीकी, वास्‍तुकला और तमाम विभिन्‍न दिशाओं  में ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में आप देखेंगे तो हम पूरी दुनिया में समृद्ध थे तथा हमने पूरी दुनिया को लीडरशिप दी है। इसलिए यह जो नई शिक्षा नीति आई है यह भारत केन्‍द्रित होगी और साथ ही शोध और अनुसंधान एवं नवाचार से युक्‍त होगी, आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस को पढ़ाने वाला भारत पहला देश होगा जो स्‍कूली शिक्षा से हम शुरू कर रहे हैं। इस शिक्षा नीति के तहत हमने मूल्‍यांकन का तरीका भी हमने टोटली बदल दिया है। अब बच्‍चे का 360 डिग्री होलस्‍टिक मूल्‍यांकन होगा इस नीति के तहत छात्र स्‍वयं भी अपना मूल्‍यांकन करेगा,उसका अभिभावक भी उसका मूल्‍यांकन करेगा तथा उसका शिक्षक भी उसका मूल्‍यांकन करेगा एवं उसका साथी भी उसका मूल्‍यांकन करेगा। अब हम बच्‍चे को रिपोर्ट कार्ड नहीं बल्‍कि प्रोगेस कार्ड देंगे कि बच्‍चा क्‍या प्रगति कर रहा है।  अब विषयों की भी कोई पाबंदी नहीं है, आप किसी भी विषय के साथ कोईभी विषय ले सकते हैं। आपविज्ञान के साथ संगीत ले सकते हैं,तथा साहित्य के साथ गणित ले सकते हैं। किसी भी विषय के साथ कोई भी विषय ले सकते हैं लेकिन हां आपको दौड़ना है औरआपको लक्ष्य पर पहुँचना है।इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्‍थितिवशछोड़के जा रहा है  तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष दोनों खराब हो जाते थे लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा।यदि आप परिस्‍थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहे हैं तो उसको सर्टिफिकेटदेंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़कर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगेइसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।शोध और अनुसंधान में तो आपको मालूम है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री ने जयअनुसंधान कहा था औरलालबहादुर शास्त्री जी ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया।आदरणीय अटल बिहारी बाजपेयी ने जय विज्ञान का नारा देकर के आपको मालूम है कि परमाणु परीक्षण करके दुनिया में हिंदुस्तान का माथा ऊँचा किया था, अपनी ताकत को दिखाया था हमारे वर्तमान प्रधानमंत्रीजी ने एक कदम आगे जाकर के जयअनुसंधान का नारा दिया है। अनुसंधान यदि होगा तो मैं समझता हूं चाहे वो औद्योगिक क्षेत्र है चाहे कोई दूसरा क्षेत्र लेकिन बिना अनुसंधान के कोई खड़ा नहीं हो सकता,बिनाशोध के आगे बढ़ा नहीं जा सकता। इसलिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन जो प्रधानमंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में होगा उससे शोध और अनुसंधान का परिवेश बनेगा। अभी तक हम इस पार्ट पर थोड़ा सा कमजोर थे,बीच का कालखंड आया था जब हमारे बच्चों में होड़ लगी थी दुनिया में जाने की तथा पैकेज की होड़ लगी। अब पैकेज की होड़ नहीं होगी बल्‍कि पेटेंट की होड़ होगी। हम टैलेंट को भी विकसित करेंगे उसका विस्तार भी करेंगे और उस टैलेंट को उत्कृष्ट कोटि का कंटेंट देंगे और उससे पेटेंट निकालेंगे। पूरी दुनिया में हम बताएंगे कि हां, हममें क्षमता है। हम शोध और अनुसंधान के साथ ही आगे बढ़ सकते हैं और देश के प्रधानमंत्री जी ने आत्मनिर्भर भारत की बात की है।जिसको सोने की चिडिय़ा कहते थे मेरे भारत को आज वो आत्मनिर्भर भारत गांव से हो करके गुजरेगा तथा इन आइडिया से वो होकर करके गुजरेगा एवंशोधतथाअनुसंधान से होकर गुजरेगा। तकनीकी के लिए नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम का भी गठन किया जा रहा है।‘वोकल फोर लोकल’ अर्थात् अंतिम व्यक्ति तक भी तकनीकी का विकास होगा और अंतिम व्यक्ति भी लोकल फॉरग्लोबल तक अर्थात् अन्तरराष्ट्रीय स्तर तक जाएगा।इसलिए आपने देखा इस समय जो आपने अभी कहा था कि ‘स्टडी इन इंडिया’ आओ, भारत में सीखो और इसमें होड़ लग गई है। अभी पीछे के समय में इस कोरोना काल में भी पचास हजार से भी ज्यादा रजिस्ट्रेशन हुए।एक हजार से अधिक छात्र हमारे यहां शोध और अनुसंधान के लिए आसियान देशों के आ रहे हैं और अब तो हमने ‘स्टे इन इंडिया’कहाहै। आज हमारे देश के आठ लाख छात्र प्रतिवर्ष बाहर पढ़ रहे हैं। प्रति वर्ष मैंने मोटा मोटा आंकलन किया था कि दो लाख करोड़ रुपया हिंदुस्तान का जाता है। न तो हमारा पैसा वापस आ पाता है और न ही हमारी प्रतिभा वापस आ पाती है।इन देशों के उत्थान में हमारे युवा खप रहे हैं और इसीलिए मुझे लगता है कि अब समय आ गया जब हम सारी संस्थाएं मिलकर के शोध और अनुसंधान कासमन्वय करके आगे बढ़ें और इसलिएदुनिया के शीर्षतम विश्वविद्यालयों को भी हम हिन्दुस्तान की धरती पर आमंत्रित कर रहे हैं तथा हमारे विश्वविद्यालय भी दुनिया में जाएंगे।हम शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में ‘स्‍पार्क’के तहत दुनिया के 128 शीर्षविश्वविद्यालयों के साथ शोध और अनुसंधान कर रहे हैं। वहीं ‘स्‍ट्राइड’के तहत अंतर विषयक शोध और अनुसंधान कर रहे हैं। हमने ट्रिपलआईटी पीपीपी मोड में भी किया जिसमें केन्द्र सरकार का 50 प्रतिशत हिस्सा तथा राज्य सरकार का 35 और औद्योगिक क्षेत्र के लोगों का 15 प्रतिशत हिस्‍सा रखा है। हम बच्चे को पाठ्यक्रम में चाहते है किवो उद्योगों के साथ जुड़कर के आगे बढ़े। अब हमारा छात्र केवल अपना इंटर्नशिप ही नहीं करेगा,बल्‍किवोप्रैक्टिकल भीकरेगा और पूरी ताकत के साथ उन उद्योगों को और उन परस्थितियों को तथा बिखरी समस्याओं, उसके समाधान की दिशा में आगे आएगा। मुझे बहुत खुशी है कि आप लगातार इस दिशा में काम कर रहे हैं। आपने पहले भी किया और आपने इस बात की भी चिंता की कि अंतिम छोर में अंतिम परिवेश में रहने वाला बच्चा कैसे पढ़ सकता है, जिसके पास अभी बहुत सारे संसाधन नहीं हैं। हमने ‘स्वयं’और ‘स्‍वयं प्रभा’के माध्यम के साथ हीसामुदायिक रेडियो के माध्यम से भी बच्‍चे तक गए। मैं जब सब राज्यों से निकाला तो तांगे पर स्पीकर लगाकर के पढ़ाने की प्रक्रिया देखी और छत के ऊपर स्पीकर लगा कर के गांव के बच्चे दूर-दूर बैठ करके पढ़ते हुए देखे। हमने बच्चे का भविष्य खराब नहीं होने दिया। इसलिए मुझे भरोसा होता है कि मेरा देश जो ठान लेता है उसको करता है औरआगे तो 21वीं सदी हमारी सदी है।मुझे भरोसा है कि जो देश के प्रधानमंत्री ने 5ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की बात की है और निश्चित रूप में हमने इस कोरोना काल के संकटमें भी अपने को साबित किया है। आप सभी लोग रात दिन खपतेहैं आपका जो शिक्षा सम्मेलन होता है उसमें शिक्षा के प्रति आपकी समर्पितता दिखाई देती है और शिक्षा ही किसी समाज के तथा राष्ट्र के उत्थान की दिशा में आधारशिला होती है शिक्षा नहीं तो कुछ भी नहीं है।मेरेउद्योगभी शिक्षा पर ही आधारित हैं यदि उन उद्योगों में शोध और अनुसंधान नहीं होगा तो हम किसी से भी प्रतिस्पर्धा कर ही नहीं पाएंगे और इसलिए यह बहुत जरूरी है कि औद्योगिक क्षेत्र के लोग इन शैक्षणिक क्षेत्र के लोगों के साथ जुड़ करके ऐसा पाठ्यक्रम तैयार करें ताकि छात्र की प्रतिभा तथा उसका शोध और अनुसंधानइसदेश के कामआये और हम जहां पर खड़े हैं उससे शिखर तक जा सकें।पूरी दुनिया को बता सकें कि नहीं, यह देश विश्वगुरु रहा हैजिस देश में तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय रहे हैं और जिसने पूरीदुनिया का मार्गदर्शन किया। शल्‍यचिकित्सा का जनक इस देश में पैदा होता है। आज भी संजीवनी बूटियों का भंडार मेरे देश के अंदर है। हम दुनिया के तन और मन को भी ठीक कर सकते हैं। योग के पातंजलि हों और चाहे भारतीय भाषा वैज्ञानिक पाणिनीहो और चाहे वो रसायन शास्त्री नागार्जुन हों और अभी पीछे के दिनों में कैम्‍ब्रिज ने कहा कि दुनियाभारत की आभारी है कि दुनिया को भारत ने अंकगणित और बीजगणित दिया है। चाहे वो आर्यभट्टहों,चाहे भास्कराचार्य हों,उनकी श्रृंखलाको आप देखेंगे तो दुनिया को आज जरूरत है क्योंकि वो सारी सम्पति और संपदा हमारे पास है।मुझे भरोसा है कि जिस तरीके से आप लोग सब जुटे रहते हैं निश्चित रूप में मेरा शैक्षणिकक्षेत्रऔर हम सब लोग मिलकर के भारत को ज्ञान की महाशक्ति के रूप में स्थापित करेंगे और जितने लोग आज जुड़े हैं मैं उनका अभिनंदन करना चाहता हूं। मेरी इच्छा थी कि मैं सब लोगों को सुनूं और इससे मेरा भीज्ञान बढ़ता है। मुझे भीसौभाग्य मिलता कि सबके सुझाव मुझे मिलते। लेकिन आप जानते हैं कि चाहते हुए भी हम लोगों की ऐसीविवशताहोती हैं।समय तो तेजी से दौड़ रहा है और हमको उसको पकड़ने की जरूरत है। यदि हम समय को नहीं पकड़ेंगे तो समय आपको छोड़ देगा और इसीलिए इस समय को पकड़ना बहुत जरूरी है। एक बार पुन: सब लोगों को बधाई देना चाहता हूं और आपकी जो ऐसोचैम की पूरी टीम को और विशेष कर के शैक्षणिक परिषद के प्रशांत भल्ला जी आप अध्यक्ष हैं, मैं देखता हूं कि आपलगातार अपनी पूरी टीम के साथ जुटे रहते है। इसलिए विनीत जी आपको, प्रशांत जी आपको और आपकी पूरी टीम को मैं बहुतबधाई देना चाहता हूं और शुभकामना देना चाहताहूं एक बार जल्‍दी ही अवसर निकालकर फिर आपके साथ हम संवाद करेंगे। मैं एक बार फिर सभी अतिथिगणों का भी मैं अभिवादन कर रहा हूंऔर जो लोग देश के कोने कोने से जुड़े हैं उनका भी मैं अभिनंदन करता हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

 

नई शिक्षा नीति 2020 पर राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन

नई शिक्षा नीति 2020 पर राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन

 

दिनांक: 17 फरवरी, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

 

आज इस अवसर पर आयोजित इस महत्‍वपूर्ण बेवीनार में जो नई शिक्षा नीति को लेकर के दो दिन तक लगातार चलने वाला है इसमें उपस्थित सभी अतिथि गण, इस विश्वविद्यालय की प्रबंधन समिति के सभी पदाधिकारियों का और देश तथा दुनिया से जुड़े सभी छात्र-छात्राएं हैं, अभिभावक हैं, उन सभी का मैं अभिनंदन करता हूं, मैं स्वागत करता हूं। मुझे बहुत खुशी है कि नयी शिक्षा नीति 2020 को लागूकरने के लिए विश्वविद्यालयों ने जिस तरीके से पहल की है और एक संकल्‍पके साथ आज इस राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया है जिसमें हमारे साथ जुड़े हैं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. डीपी सिंह जी जिनकेके बारे में हम सभी लोग जानते हैं कि वे विभिन्‍न विश्वविद्यालयों के न केवल कुलपति रहे हैं बल्कि विभिन्न दायित्वों से होकर करके और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की अध्यक्ष के रूप में उच्च शिक्षा का मार्गदर्शन कर रहे हैं। अभी जिनका मार्गदर्शन हमको मिला प्रो. अनिल सहस्‍त्रबुद्धे एआईसीटीई के चेयरमैन हैं। हमारे के.के अग्रवाल, अध्‍यक्षराष्ट्रीय प्रत्‍यायन बोर्ड जो विभिन्न पदों पर भी रहे हैं। श्री रामगोपाल जी निदेशक हैं आईआईटी दिल्ली के, उनके मार्गदर्शन में भी बहुत काम हो रहा है। मैं देख रहा था कि प्रो. विनय पाठक, डॉ. अश्‍विनी जो क्‍यू एस रैंकिंग वाले हैं, वे सभी लोग भी जुड़े हुए हैं और बहुत सारे देश और दुनिया के शिक्षाविद् इस महत्वपूर्ण सेमीनार से जुड़े हुए हैं और मुझे खुशी है कि इस गलगोटिया विश्‍वविद्यालय के कुलाधिपति श्री सुनील गलगोटिया जी और उनके साथ उनके मुख्य कार्यपालक अधिकारी हैं श्री ध्रुव गलगोटिया जी, वे जब पीछे के दिनों में आये थे और उन्होंने कहा कि इतनी सुन्दर शिक्षा नीति बनी है जिसको लेकर उनके मन में विचार आया कि वो पहले से ही इस तरीके का मन करते हैं और उसी मन से इस विश्वविद्यालय को चला रहे हैं तो हमने विचार किया है कि हम इस संकल्प के साथ जायेंगे जहां यह विश्वविद्यालय शत-प्रतिशत नई शिक्षा नीति को लागू करेगा और देश के लिए एक ऐसा उदाहरण बनने के लिए आगे आया है जिसका परिणाम यह सेमिनार है तथा उसकी परिणति के रूप में हम सभी एकत्रित हुए हैं और इसलिए मैं विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. प्रीति बजाज को भी शुभकामना देना चाहता हूं। इन तीनों लोगों कुलाधिपति और सीईओ तथा कुलपति और आपकी पूरी टीम जिन्होंने यह इच्छा प्रकट की और यह संकल्प लिया और उस संकल्प के समाधान की दिशा में  आज वो कार्य शुरू कर दिया है जो पीछे के समय से वो काम कर रहे थे, उसको ताकत के साथ आगे बढाने की उनकी मंशा हैं जिसके लिए मैं बहुत शुभकामनाएं देने के लिए आया हूं। आप जितने भी विद्वतगण हैं, मैंआप सबके पीछे एक सहयोगी के रूप में हूँ क्योंकि इस नई शिक्षा नीति को निश्चित रूप से आपको ही क्रियान्वित करना है लेकिन मुझे खुशी है कि पूरे देश के शिक्षाविद्, अभिभावक, छात्र और सभी लोगों का ऐसा मानस बना है। इस बीच पूरे देश के अंदर लोगों को लगता है कि हां, उनकी अपनी नीति आ गई है। जो भारत विश्व गुरु था उस विश्व गुरु भारत की जो जड़ें थी उनको उखाड़ कर फेंकने की कोशिश हुई वो फिर अपनी जमीन पर आज पुन: पल्लवित होंगे, पुष्पित होंगे और फिर एक बार मेरा वही भारत बनेगा जो विश्व गुरु था। जिसके बारे में हमेशा से कहा गया है ‘एतद् देश प्रसूतस्य शकासाद् अग्रजन्मन:, स्वं-स्वं चरित्रं शिक्षरेन् पृथ्वियां सर्व मानव:’ अर्थात् जिससे पूरी दुनिया आकर के सीखती थी, ज्ञान लेती थी, ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, नवाचार जीवन मूल्य क्या-क्या नहीं सीखते थे यहां से, विश्‍व में लीडरशिप ली है मेरे देश ने और आज हमको इस बात की खुशी है कि ऐसा वक्त आ गया जब हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व फिर देश उसी ताकत के साथ बढ़ता जा रहा है। आज उसी विचार को ताकत मिल रही है तथा जो हमारा खोया हुआ ज्ञान, विज्ञान एवं अनुसंधान था जिसे हमने छोड़ा नहीं था बल्कि हमसे छुड़वाया गया था। जिस तरीके से देश को गुलामी की जंजीरों द्वारा उन सब चीजों को हमसे दूर रखने के जो प्रयास हुए थे, अब देश स्वाधीन हो गया है और जब हमको मालूम है कि हमारी जड़ें गहरी हैं उनमें ताकत है, उसमें मानवता है, उसमें सहिष्णुता है, उसमें सौम्यता है, ज्ञान है, विज्ञान है, उसमें जीवन मूल्य हैं और उसमें हर चीज समाई हुई है क्योंकि हमारा जोजीवन-दर्शन है वो यी कहता है कि मनुष्य ईश्वर की सबसे सुंदरतम कृति है और मैं यह समझता हूं कि मनुष्य तो सब जगह एक ही है और इसीलिए वो जो मनुष्य है उसके सुख एवं शांति और समृद्धि के लिए उसके उज्ज्वल जीवन और भविष्य के लिए जो हमारा विजन था, जो हमारा मिशन था वो फिर हम ताकत के साथ बढ़ाएंगे, उठाएंगे और जैसे अभी सुनील जी चर्चा कर रहे थे कि तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय इस देश के अंदर थे और कोई कमी नहीं थी इसदेश में, और यह देश विश्वगुरु कहलाता था। उसी दृष्टि से यह देश इतना सक्षम था और सोने की चिड़िया भी हिंदुस्तान को कहते थे। देश को सोने की चिड़िया बनाने के लिए मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने आत्मनिर्भर भारत की बात की है और जो विश्व भारत है उस विश्वगुरु भारत के लिए फिर नई शिक्षा नीति लेकर के आए हैं जो भारत को ज्ञान की महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगी और यह नई शिक्षा नीति जिसके लिए आपने संकल्प लिया है जो बहु आयामी तथा बहु व्यापक परिवर्तनों के साथ विभिन्‍न नए आयामों के साथ जो भारत केन्द्रित होगी और जो तीन वर्ष के बच्चे से शुरू होगी तथा जो मातृभाषा पर खड़ी होगी और वही शिक्षा नीति स्कूली शिक्षा में आगे बढ़ती हुई चली जाएगी। पहले तोयह नीति 5+3+3+4 की संरचना के तहत व्यक्तित्व का विकास करेगी और क्षमाताओं को बाहर निकालेगी औरजो विजनके साथ मिशन में तब्दील कर उसको नया आयाम प्रदान करेगी, उसके लिए यह नयी शिक्षा नीति लेकर आये हैं। जब हम मातृभाषा की बात करते हैं तो यूनेस्को सहित दुनिया के सभी वैज्ञानिकों का भी कहना है किजो अभिव्यक्ति बच्चा अपनी भाषा में कर सकता है, वह दूसरी थोपी हुई भाषा में नहीं कर सकता तो उसकी जो पूरी अंदर की ऊर्जा है, वह तरीके से स्‍वयं की भाषा में प्रकट हो इसलिए उस अवसर को खोने नहीं देना चाहिए। यूनेस्को ने भी बार-बार इस बात की चिंता की है कि प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए और फिर हमारा तो देश विविधताओं से युक्त है। हमारे देश के संविधान ने हमको तमाम भाषाएं दी हैं। हिन्दी, तमिल, गुजराती, मराठी, असमिया, संस्कृत, सारी ऐसी भाषाएं हैं जो बहुत खूबसूरत हैं। संविधान द्वारा प्रदत्‍त इन 22 भारतीय भाषाओं को और सशक्त करने की जिम्मेदारी हमारी ही है क्योंकि वो केवल भाषा नहीं है। उसमें आचार है, व्यवहार हैं परंपराएं हैं और उसमें वो चीज है जो देश की विविधता में एकता का प्रकटीकरण करती है और इसलिए पीछे के दिनों में भी हमने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का अभियान लिया था जिसके तहत हमने तय किया था कि एक प्रदेश दूसरे प्रदेश की भाषा और संस्कृति को तथा खान-पान को एवं रहन-सहन को और विचारों को तथा उसके जीवन मूल्यों को आदान-प्रदान करे एवं एक दूसरे से सीखे। हमारा देश तमाम विविधता का देश है लेकिन अनेकता में एकता ही हमारी विशेषता है जो पूरी दुनिया में न्यारी भी है और सम्‍पूर्ण दुनिया में यह प्यारी भी है तथा ऐसा दृष्‍टिकोण कहीं नहीं मिल सकता और इसलिए हमारा जो विचार था वो बड़ा विचार था जिसको हमने ताकत के साथ बनाया क्योंकि पूरी दुनिया में हमारा अपने ढंग का विचार रहा है। पूरी वुसधा को हमने अपना परिवार माना है और ऐसा विचार केवल मेरे हिन्दुस्तान का हो सकता है और न केवल यह विचार है बल्कि यह भी कहा है कि जो यह पृथ्‍वी है यह हमारी मां है और इस  मां के हम बस पुत्र-पुत्रियां हैं। यह जो हमारा मां का रिश्ता है धरती से वो हमको ऊंचाइयों तक पहुंचाता है और इसीलिए हमने ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भ्रदाणी  पश्‍यन्‍तु मा कश्‍चिद् दु:ख भाग्‍भवेत’ की प्रार्थिना की है कि धरती पर जब तक एक भी प्राणी दु:खी रहेगा तब तक मैं सुख का अहसास कैसे कर सकता हूं। इसका मतलब है कि केवल उतना ही रखो जितनी आपको जरूरत है बाकी दूसरों में बांट दो। हमने कहा कि हम साथ-साथ चलेंगे, साथ-साथ पुरुषार्थ करेंगे। यदि कोई पीछे छूटता है तो उसको पकड़कर साथ चलेंगे। यह है हमारा विचार, हमने अपने लिए कभी सोचा भीनहीं है। हम तो समग्रता में सोचते हैं तथा हमारा जीवन मूल्यों का बिल्कुल अलग दृष्टिकोण रहा है जिससे दुनिया अनुप्राणित होती है। पूरी दुनिया आज भी गीता को अपने साथ लेकर के जिंदा रहना चाहती है, जीवित रहना चाहती है तथा आगे बढ़ना चाहती है एवं उसको समझना चाहती है। गीता कहती है कि यह जो शरीर है, इससे ज्‍यादा मोह नहीं करना चाहिए क्योंकि आत्मा को परमात्मा से मेरी गीता ने जोड़ा है। आत्‍मा तो अजर-अमर है, इसको तो कोई खत्म कर ही नहीं सकता इसलिए इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए वो आत्मा अच्छी रहनी चाहिए। पवित्र काम होना चाहिए सब कुछ साथ मिलके चलना चाहिए। आज दुनिया में क्यों ऐसी परिस्‍थितियां आ गई है, क्यों सार्वभौमिकता की भावना नहीं है। इसलिए कि जो विचार हमारा था, वो विचार आज कमजोर हुआ है। दुनिया को जो हम देते थे वो हमारी धरती पर भी थोड़ा सा कमजोर हुआ देश की गुलामी के कारण लेकिन हां, हमारी जड़ें खत्म नहीं हुई हैं। हम तेजी से बढ़ेंगे और दौड़ेंगे तथा हम उस आसमान को छू लेंगे, जिस आसमां की जरूरत पूरी दुनिया के लोगों को है और प्राणी मात्र है।इसलिएयह नई शिक्षा नीति भारत केंद्रित है लेकिन साथ ही ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार से युक्त भी है। यह नेशनल भी है, इंटरनेशनल भी है, ये इम्पैक्टफुल है, यह इंटरेक्टिव भी है, यह इनोवेटिव भी है और यदि इसकी आधारशीला देखें तो यह इक्विटी, क्‍वालिटी और एक्‍सेस की आधार शिला पर खड़ी है। यह जो नई शिक्षा नीति आई है वो निश्चित रूप में बहुत अच्छी है, यह बहुत खूबसूरत नीति है, जिसकी देश में ही नहीं बल्‍कि पूरी दुनिया में इस समय बहुत प्रशंसा ही नहीं हो रही है बल्कि लालायित है दुनिया के लोग भारत की नीति को अपने देश में ही लागू करने के लिए और आपने देखा कि कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने कहा है कि जो यह नई शिक्षा नीति भारत की आई है यह बहुत व्यापक परिवर्तन के साथ आई है और यह बहुत बड़े रिफॉर्म के रूप में आई है। आप को याद होगा उन्होंने मेल भेजकर के यह भी कहा है कि हम भारत के आभारी हैं, जिसने गणित और बीजगणित को दुनिया को दिया है। हमने केवल गणित को हीनहीं दिया यदि आप पीछे से देंखें तो आपको पता लगेगा कि हमारी पीढ़ी को उस पीछे के ज्ञान से काट दिया गया। हमको उस ज्ञानका दर्शन नहीं कराया गया तथा उसको शोध और अनुसंधान के साथ आगे बढ़ाने के लिए परिवेश नहीं दिया गया। अन्यथा ऋषि कणाद अणु और परमाणु का विश्‍लेषण करने का जो उनका अपना रास्ता था कौन उसको नकार सकता है ऋषि कणाद के ज्ञानको आखिर उस पर शोध और अनुसंधान के साथ हमें आगे बढ़ाना चाहिए था। जो आयु का विज्ञान है आयुर्वेद, उसके जनक ऋषि चरक की चरक संहिता आज भी हमारे पास है। आज भी पूरी दुनिया उस आयुर्वेद के पीछे खड़ी है। रसायनशास्त्री नागार्जुन को कौन नकार सकता है। गणितज्ञ रामानुज जी को कौन नकार सकता है, आर्यभट्ट को कौन नकार सकता है, भास्कराचार्य जैसे व्यक्तित्व को दुनिया में कौन नकार सकता है सुश्रुत शल्य चिकित्सा का जनक भी तो मेरे देश में पैदा हुआ है और इसीलिए जितने भी लोगों को बौधायन से लेकर के, बारह मीहिर से लेकर के यदि मैं उसकी श्रृंखला को यहां पर कहूंतो आप कह सकते हैं आज दुनिया को उनकी ज़रूरत है और इसलिए यह जो नयी शिक्षा नीति आई है हम उसमें इस ज्ञान को भी लेकर आगे बढ़ेंगे जिस पर हम दुनिया को दे सकते हैं। नये परिवेश के साथ दुनिया को दे सकते हैं और इसलिए मैं सोचता हूं की चाहे वो कृषि के क्षेत्र में हो और चाहे वो नीति के क्षेत्र में हो विदुर नीति हो, चाणक्य नीति हो, चाहे वो हमारे अर्थशास्त्र कौटिल्य का अर्थशास्त्र हो, भाषा विज्ञान के क्षेत्र में,मैं यह समझता हूं कि पाणिनी से बड़ा भाषा वैज्ञानिक कौन हैं,आप अध्‍ययन तो करें और उस अभियान को आगे बढ़ाएं और यदि देखेंगे तो जो पतंजलि है और जो पातंजलि का योग है इसने तो पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया है। हमारे देश के प्रधान मंत्री जी जब विश्व के सबसे बड़े फलक पर कहते कि हां, यह मनुष्य ईश्‍वर की सबसे सुंदरतम कृति है। मेरे भारत का विचार है किइस मनुष्‍य को स्वस्थ रहना चाहिए। इसकी खुशी में हम क्या कर सकते हैं, क्या योग इसके लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। दुनिया ने स्वीकारा और शायद दुनिया का पहला उदाहरण है कि जब इतने कम समय में 197 देशों ने उस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर हीं नहीं किए बल्कि 21 जून को पूरे विश्व में योग दिवस मनाया जाता है। अपने स्वास्थ्य की चिंता की दृष्टि से उस अभियान को आगे बढ़ाना है और इसीलिए चाहे वास्तु कला हो, चाहे ज्ञान हो, विज्ञान हो और चाहे ज्योतिष विज्ञान हो और खगोल शास्त्र हो किसी भी क्षेत्र में मेरा हिंदुस्तान कभी पीछे नहीं रहा है और इसीलिए अनुसंधान और नवाचार के साथ इस शिक्षा नीति को जोड़कर चल रहे हैं। हम कक्षा 6 से ही वोकेशनल एजुकेशन ला रहे हैं, हम बच्‍चे को केवल अंक ज्ञान और शब्द ज्ञान नहीं देना चाहते बल्कि उसके हाथों को मजबूती देना है उसका जो कौशल है वो भी विकसित हो तो इसलिए उसको इंटर्नशिप के साथ ला रहे हैं और उसके विकास के लिए तीन चीजों के तहत अलग-अलग थीम कि एक साथ ही उसका अंक ज्ञान, अक्षर ज्ञान, प्लस उसका वोकेशनल एजुकेशन वो भी इंटर्नशिप के साथ करेगा। अब हमारा बच्‍चा केवल किताबों में नहीं पढ़ेगा और उसके अलावा जो खेलकूद है,उसके सांस्कृतिक कार्यक्रम में तमाम जीवन की जो गतिविधियां है और उसके साथ ही स्कूली शिक्षा से ही आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को भीला रहें हैं। मुझे लगता है हिन्‍दुस्‍तान दुनिया का पहला देश होगा जो स्कूली शिक्षा से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ला रहा है और उसी भावना के साथ उसी मिशन के साथ ला रहा है कि यह जो बच्चा है, यह एक अच्छा नागरिक भी बनना चाहिए। यह विद्यार्थी इस देश का अच्‍छा नागरिक ही नहीं बनना चाहिए बल्कि उससे भी ऊपर उठ करके विश्‍व मानव बनना चाहिए क्योंकि विश्‍व की लीडरशिप चाहिए और उतना ही बड़ा विजन चाहिए तथा उतना ही बड़ा मिशन चाहिए और हर क्षेत्र में चाहिए। इसीलिए बहुत अच्छे तरीके से यह शिक्षा नीति में विद्यार्थी का 360 डिग्री मूल्यांकन करने का भी तरीका टोटली बदल गया। अब हम उसको रिपोर्ट कार्ड नहीं दे रहे हैं बल्‍कि प्रोग्रेस कार्ड दे रहे हैं कि उसकी क्‍या प्रगति हो रही है तो इस नीति के तहत छात्र स्‍वयं अपना मूल्यांकन करेगा, जब आदमी स्‍वयं का मूल्यांकन करता है तो उसको पता होता है कि उसकी कमजोरी क्‍या है। जिस दिन वो अपना मूल्यांकन करना शुरू कर देगा, तभी से वह अपने अंदर की कमजोरियों को ताकत के साथ दूर करेगा इस नीति में वह स्वयं भी मूल्यांकन करेगा और स्वयं केमूल्यांकन के साथ-साथ उसका अभिभावक भी मूल्यांकन करेगा। यदि अभिभावक मूल्यांकन करेगा तो अध्यापक भी मूल्यांकन करेंगे और इतना ही नहीं उसका साथी भी उसका मूल्यांकन करेगा। नई शिक्षा नीति में विषयों के चुनाव के लिए तो पूरा मैदान खाली छोड़ा है। अब आप कोई भी विषय लो और किसी भी विषय के साथ कोई भी विषय ले सकते हो, कोई प्रतिबंध नहीं है।इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्‍थितिवश छोड़के जा रहा है  तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष दोनों खराब हो जाते थे। लेकिन अब उसको निराश नहीं होना पड़ेगा। यदि वह परिस्‍थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहा है तो उसको सर्टिफिकेट देंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़कर जा रहा है तो उसको डिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगे इसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है। मुझे अच्छा लगा जब ध्रुव ने अपने विश्वविद्यालय के 12 संकल्पों को बताया और मैं बहुत आनंदित हूं। मुझे भरोसा है कि यह विश्वविद्यालय जिसने यह तय किया है कि इस नई शिक्षा नीति को शत प्रतिशत लागू करने वाला पहला विश्वविद्यालय बनेगा और जब देश के अंदर सारे आप जैसे लोग जब खड़े हो जाएंगे तो दुनिया की कोई ताकत मेरे देश को भविष्य बनाने से रोक नहीं सकती। जब आप संकल्प के साथ जब आगे आएंगे तो देखिए शोध और अनुसंधान की दिशा में कैसे आगे बढ़ेंगें और ऐसा नहीं हैकि आज भी हम अनुसंधान की दिशा में पीछेहैं। हमारे यूजीसी के चेयरमैन एवं हमारे ए आई सी टी ई के अध्‍यक्ष यहां पर हैं। हम ‘स्‍पार्क’ के तहत दुनिया के शीर्ष127 विश्वविद्यालयों के साथ शोध एवं अनुसंधान कर रहे हैं। हम ‘स्टार्स’ के तहत कार्य कर रहे हैं। जब देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी थे तो आपको याद होगा कि सीमा पर हम संकट से जूझ रहे थे और देश में भी खाद्यान का बहुत संकट था। उस समय लालबहादुर शास्त्री जी ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था और पूरा देश इकट्ठा हो गया और हमने दोनों संकटों कोमात किया। उसके बाद मेरे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी आए तो उनको लगा कि अब विज्ञान की जरूरत है और उन्होंने ‘जय विज्ञान’ का नारा दिया तथा परमाणु परीक्षण करके उन्होंने हिंदुस्तान को पूरे विश्व की महाशक्ति के रूप में आगे बढ़ाने का काम किया। विज्ञान में भी हम कभी पीछे नहीं रहे और अब हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा कि एक कदम और आगे जाने की जरूरत है और उन्‍होंने ‘जय अनुसंधान’ का नारा दियाऔर यह जो अनुसंधान है आज इसकी जरूरत है। इसलिए हम अब नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के माध्‍यम से शोध एवं अनुसंधान की संस्कृति को विकसित कर रहे हैं, प्रधानमंत्री जी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में हम लोग ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ की स्‍थापना कर रहे हैं। तकनीकी को अंतिम छोर तक कैसे लेकर के जा सकते हैं इसके लिए भी हम ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ का गठन कर रहे है।‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ का गठन करके इन दोनों को साथ जोड़कर हम शोध की संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं क्‍योंकि जब अश्‍विनी जी यहां पर जुड़े हैं जो क्‍यूएस रैंकिंग के दक्षिणी एशिया के हैड हैं, इनके साथ भी मैं जब-जब परामर्श करता हूं तो मैं देखता हूं कि आखिर हमारे संस्थान शीर्ष संस्थान हैं, कहां कमी है तो थोड़ा सा यह लगा कि अभी शोध और अनुसंधान की दिशा में कमी रह गई है, उसको भी हम पांटेंगे क्योंकि अभी तक पैकेज की होड़ लगी थी। कहां पैकेज मिलेगा, देश-विदेश में जहां भीअच्छा पैकेज मिले उसके लिए होड़ थी। इस समय में अब छात्रों के मन में भी आगया, पूरे देश के मन में आ गया और विशेषकर युवाओं के मन में आ गया कि नहीं, अब हमारी दौड़ पैटेंट की होनी चाहिए और इसलिए जो नई शिक्षा नीति है, यह टैलेंट की खोज भी करेगी, उसका विकास भी करेगी और उसका विस्तार करेगी और टैलेंट को उत्कृष्ट कोटि का कंटेंट देगी और टैलेंट प्लस कंटेंट बराबर पेटेंट को तैयार करेगी और जिस दिन पेटेंट की होड़ लगेगी तो हम दुनिया के शिखर पर होंगे।यह देश तो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है जिसमें मैं बार-बार यह कहता हूं कि जहां एक हजार से अधिक विश्वविद्यालय हों, पचास हजार से अधिक डिग्री कॉलेज हों, पंद्रह सोलह लाख स्कूल हों, एक करोड़ दस लाख से भी अधिक अध्यापक हैं, और अमेरिका की कुल जितनी जनसंख्या नहीं है उससे भी अधिक 33 करोड़ छात्र-छात्राएं हैं। हम क्‍या नहीं कर सकते और हमने किया भी है। अभी कोरोना काल में जिस तरीके से हमने शोध और अनुसंधान किया और रामगोपाल जी हमारे साथ जुड़े हुए हैं जब देश के प्रधानमंत्री जी ने युवाओं का आह्वान किया कि ऐसी विषम परिस्‍थितियों में जब पूरी दुनिया इस कोरोना की महामारी से गुजर रही थी, संकट से गुजर रही थी और देश भी अछूता नहीं था तब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आह्वान किया था कि युवाओं आप क्या कर सकते हो यह छोटी बात नहीं है कि जब लोग अपने घरों में सुरक्षा की दृष्टि से कैद रहे होंगे, ऐसे वक्‍त पर हमारे शोध छात्रों ने और हमारे प्राध्यापकों ने अपनी प्रयोगशालाओं में एक से बढ़कर एक चीज को किया। यदि मैं केवल दिल्ली आईआईटी का आधार लूं तो जो टेस्टिंग किट मुझे याद है जब रामगोपाल जी ने इसकी शुरूआत कराई और उसके बाद जब वो तैयार हो करके उसको स्‍टार्टअप के साथ जोड़ा। आज तो वो बहुत ही कम समय में और बहुत अच्‍छा रिजल्‍ट देने वाला टेस्‍टिंग किट बन चुका है। हमने तकनीकी ड्रोन बनाए, मास्क बनाए, वेंटीलेटर बनाए, टेस्टिंग किट बनाए और उन्‍हें पूरी दुनिया को दिया। यह है हमारी ताकत और इसलिए हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आज अनुसंधान की जरूरत है और हमको बढ़ना है पूरी दुनिया में, छलांग मारकर शिखरपर पहुँचना है। हमको ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘लोकल फॉर ग्लोबल’ तक पहुँचना है और इसीलिए अनुसंधान की दिशा में ‘नेशनल रिसर्चफाउंडेशन’ का भी गठन किया जा रहा है और इससे प्रधानमंत्रीजी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में शोध की संस्कृति आगे बढ़ेगी। तकनीकी दृष्टि से अंतिम छोर तक के व्यक्ति को कैसे तकनीकी का ज्ञान हो सकता है, वो तकनीकी से युक्त हो करके कैसे ग्लोबल तक पहुंच सकता है इसके लिए‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ का भी गठन किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति के तहत मैं समझता हूं कि हम शोध और अनुसंधान की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं इसलिए मैं कह रहा था कि जिस तरीके से इस विश्वविद्यालय ने यह पहल की है और मुझे यहभी खुशी है कि देश के सभी मुख्यमंत्रियों से, सभी शिक्षा मंत्रियों से, सभी शिक्षाविदों से मेरी लगातार बातचीत होती रही है और तभी नई शिक्षा नीति भी लेकर हम आए थे। यह दुनिया का सबसे बड़ा नवाचार होगा कि 33 करोड़ छात्रों से, छात्र-छात्राओं के माता-पिता से, शिक्षक से लेकर शिक्षाविद, वैज्ञानिकों से लेकर, ग्राम प्रधान और प्रधानमंत्री जी तक, गांव से लेकर संसद तक किसी भी क्षेत्र में हमने परामर्श छोड़ा नहीं था। मैंने यूजीसी के चेयरमैन साहब और ए आई सी टी ई के चेयरमैन को यह अनुरोध किया है कि कोई भी इंजीनियरिंग कॉलेज, कोई भी विश्वविद्यालय अछूता न रहे जहां टास्क फोर्स न बन गई हो। इस बीच तेजी से सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों से संवाद करते हुए उन्‍होंने बताया कि अधिकांश शिक्षा मंत्रियों ने और मुख्‍यमंत्रीगण ने अपने अपने राज्य में टास्कफोर्स बना दिए हैं। कौन-कौन से बिंदुपर, राज्य को क्या-क्या करना है और केन्द्र सरकार को क्या करना है इस दिशा में युद्ध स्तर पर काम हो रहा है। बहुत सारे राज्यों ने भी यह कहा है कि हम पहला राज्य होंगे जो इस शिक्षा नीति को शत प्रतिशत क्रियान्वित करेंगे और मुझे आज खुशी है कि आज यह जो विश्वविद्यालय हैं इस संकल्प के साथ आगे बढ रहा है कि हम आज तो हमनई शिक्षा नीति को शत प्रतिशत क्रियान्वित करने वाला पहला विश्वविद्यालय होने का सौभाग्य प्राप्त करेंगे। इसलिए मैं आज आपको शुभकामना देने के लिए आया हूं। मुझे भरोसा है कि नीति और उसके क्रियान्वयन के बीच की जो महत्वपूर्ण कड़ी यह लीडरशिप है जो यहांसब बैठी हुई हैं जो अध्यापक हैं, जो कुलपति हैं यह सारे लोग नेतृत्‍व करने वाले लोग हैं जिनके नेतृत्व में ही यह शिक्षा नीति अंतिम छोर तक जाएगी और देश में एक नया वातावरण पैदा होगा। पूरी दुनिया ने भी देखा था कि पीछे के दिनों ब्रिटेनकी पूर्व शिक्षा मंत्री जी हमारे साथ जुड़ी थी और अभी वहां के विदेश मंत्री जी यहां आए तो उनसे मुलाकात होने का अवसर मिला तथा अभी कुरूसाओ के प्रधानमंत्री जी ने भी कहा कि आपकी शिक्षा नीति बहुत अच्छी लगी, मॉरीशस ने भी कहा हमको भी यह नीति बहुत अच्छी लगी, संयुक्‍त अरब अमीरात के शिक्षा मंत्री जी ने बाकायदा संवाद स्थापित करके कहा कि हम इस चीज को आगे बढ़ाना चाहते हैं। सारी दुनिया में एक उत्‍साह और उमंग है। हमारे देश के प्रधानमंत्री जीने 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की बात की है जो स्वच्छ भारत होगा, स्वस्थ भारतहोगा, सशक्त भारत होगा, आत्मनिर्भर भारत होगाजो उन्‍होंने हमे मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया और स्‍टैंडअप इंडियाका मार्ग दिखाया है और उस मार्ग की आधारशिला यह एनईपी 2020 आई है। मुझे भरोसा है कि हम ज्ञान में, भी विज्ञान में भी और अनुसंधान में भी आगे बढ़ेंगे। मैं सीबीएसई के स्कूलों के ढाई करोड़ छात्रों के साथ भी लगातार जुड़ता हूं। यूजीसी के चेयरमैन के साथ और इनके एक हजार विश्वविद्यालयों के साथ में लगातार जुड़ता हूं। मुझे बहुत खुशी होती यह देखकर कि इस समय शिक्षा का वातावरण तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे समय में जब विकसित देशों ने भीअपने को इस कोरोना काल में पीछे धकेल दिया था और स्‍वयं को एक साल पीछे कर दिया था लेकिन हमने बच्चे का एक साल बर्बाद नहीं होने दिया हमने समय पर परीक्षा करवाई तथा समय पर रिजल्ट दिया। हमने जेईई की परीक्षाएं करवाई, नीट जोदुनिया की कोरोना काल की सबसे बड़ी परीक्षा थी, उसका भी परिणाम जारी कराने में हम सफल रहे। कोई सोचता भी नहीं था कि हिन्दुस्तान के 33 करोड़ छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन शिक्षा मिल पायेगी और उनके घर ही स्कूलों में तब्दील हो जाएंगे लेकिन हम बच्चे के पीछे चट्टान की तरह खड़े रहें। हम शैक्षणिक कलेंडर लगातार बदलते रहे तथा लगातार बच्‍चों को सामग्री भी देते रहे। भारत की शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ तरीके से खड़ी रही है और आज भी हमारी अपनी शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ता से आगे बढ़ रही है। मुझे भरोसा है कि देश के प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हम इस नई शिक्षा नीति को तेजी से लागू करेंगे। इसके बाद सुखद परिणाम पूरी दुनिया के सामने होंगे। देश मजबूती से खड़ा होगा। आत्म निर्भर भारत और विश्वगुरु भारत यह दोनों उभर करके आ रहे हैं, बच्चे के मन में भी यह दोनों चीजें हैं। मैं एक बार पुन: जो लोग मुझसे जुड़े हैं उन सभी लोगों का मैं अभिवादन करता हूं और मैं विशेष करके सुनील जी को धन्‍यावद देना चाहता हूं क्‍योंकि आपका बहुत मधुर व्यवहार है लेकिन उतनी ही प्रखरता और उतनी ही आप में संकल्पशीलता है। ऐसे ही लोग परिवर्तन का कारण भी बनते हैं और ध्रुव ने जिस तरीके से अभी जिन बातों को कहा है मुझे भरोसा है आप इस आधार पर निश्चित रूप से इस विश्वविद्यालय को एक उदाहरण के रूप में सबके सामने रखेंगे कि हां, जब इच्छा शक्ति हो तो सब कुछ होसकता है, कोई दिक्कत नहीं है। मेरी शुभकामनाएं और आप जो सभी लोग जुड़े है उनको मेरा अभिवादन।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. श्री सुनील गलगोटिया, कुलाध्‍यक्ष, गलगोटियस विश्‍वविद्यालय
  3. श्री ध्रुव गलगोटिया, सीईओ, गलगोटियस विश्‍वविद्यालय
  4. डॉ. प्रीति बजाज, कुलपति गलगोटियस विश्‍वविद्यालय
  5. प्रो. डी.पी. सिंह, अध्‍यक्ष, यूजीसी
  6. प्रो. अनिल सहस्‍त्रबुद्धे, अध्‍यक्ष, एआईसीटीई
  7. श्री के.के. अग्रवाल, अध्‍यक्ष, राष्‍ट्रीय प्रत्‍यायन बोर्ड,
  8. प्रो. वी. रामगोपाल राव, निदेशक, आईआईटी दिल्‍ली

 

 

नीट 2.0 का उद्घाटन कार्यक्रम

नीट 2.0 का उद्घाटन कार्यक्रम

 

दिनांक: 16 फरवरी, 2021

 

माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

         

मैं इस महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम में आप सबका बहुत अभिनंदन कर रहा हूं और हिमालय, बद्री केदार और गंगा की धरती से मैं सब उन संस्‍थानों को, छात्रों को और इस कार्यक्रम में जुड़े सभी अधिकारी वर्ग को भी मैं बहुत सारी शुभकामनाएं देना चाहता हूं। इस अवसर पर हमारे एआईसीटीई के अध्‍यक्ष प्रो. अनिल सहस्‍त्रबुद्धे जी, उपाध्‍यक्ष प्रो. एम.पी. पूनिया जी, सचिव एआईसीटीई प्रो. राजीव कुमार, सभी संकाय सदस्‍य और सभी छात्र तथा सभी उद्योग जगत के भाइयो और बहनों। मुझे बहुत खुशी है कि आज जो काम हो रहा है वो देश का आर्थिक सशक्‍तिकरण करेगा और नीट 2 के शुभारम्‍भ के अवसर पर मेरा आप लोगों को बधाई देने का मन कर रहा है क्‍योंकि जब हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने शुरू में कहा था कि अब एक नये भारत की जरूरत है जो भारत स्‍वच्‍छ, समृद्ध, सशक्‍त, आत्‍मनिर्भर, श्रेष्‍ठ एवं एक भारत होगा और उस आत्‍मनिर्भर भारत के लिए उन्‍होंने कहा कि इसका रास्‍ता मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्‍किल इंडिया, स्‍टैंड अप इंडिया और स्‍टार्ट अप इंडिया से होकर जाता है। इन सभी का आपस में कैसे समन्‍वय हो सकता है? आज हम उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। भारत के सुनहरे भविष्‍य के लिए हमने योग किया, विचारवान, प्रगतिशील और रचनात्‍मक व्‍यक्‍तियों को विकसित करने और गुणवत्‍तापूर्ण उच्‍च शिक्षा प्रदान करने का हमारा यह संकल्‍प है। पिछले चार वर्षों में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्‍ता सुधारके लिए जो हमने विभिन्‍न पहलें की हैं जिसके परिणामआधारित, मॉडल पाठ्यक्रम छात्रों को उनके वातावरण में सहज महसूस करने के लिए प्रेरक कार्यक्रम एआईसीटीई ने किये हैं। मुझे व्‍यक्‍तिगत भी बहुत खुशी है कि मैं एक बार नहीं लगातार एआईसीटीई के कार्यक्रमों से जुड़ता रहा हूं। मैं देख रहा हूं कि एआईसीटीई बहुत सारी गतिविधियां को कैसे कम समय में कर रहा है और वो गतिविधियां भी कैसे करके रिजल्‍ट को लाने में सक्षम हो सकती हैं और आज नीट का दूसरा चरण यहां पर हो रहा है। बहुत सारेकार्यक्रमों के साथ शिक्षा मंत्रालय ने परीक्षा सुधार के लिए केवल विषय ज्ञान का परीक्षण नहींकिया है बल्‍कि कौशल, प्रयोगात्‍मक, रचनात्‍मकता और समझ पर ज्‍यादा जोर दिया है और साथ ही हमने शिक्षक प्रशिक्षण और छात्रों के लिए अनिवार्य इंटर्नशिप, इनोवेशन और स्‍टार्ट अप जैसे विकास की प्रमुख चीजों को किया है।इसके लिए जितने भी बहुत महत्‍वपूर्ण संस्‍थान हैं उन संस्‍थानों को आधार बनाया है। मुझे यह बताते हुए खुशी है कि नई शिक्षा नीति प्रत्‍येक छात्र के लिए लागू हो रही है और आंकड़ों के माध्‍यम से यदि देखेंगे तो 25.8 प्रतिशत जो वर्तमान में हमारा जीईआर है तथा जिस तरीके से हमारा व्‍याप है और भविष्‍य  में हमारी नई शिक्षा नीति के तहत हमें 50 प्रतिशत तक अपना जीईआर करना है तो ऐसे में लगता है कि लगभग 7.3 करोड़ छात्र उच्‍च शिक्षा में सभी प्रकार की शिक्षा को प्राप्‍त कर सकेंगे और मुझे लगता है कि यदि आप देखेंगे तो बहुत सारे देशों की कुल आबादी 7.5 करोड़ नहीं है जितना अकेल उच्‍च शिक्षा में हमारा छात्र पढ़ेगा। आप यदि शिक्षा के परिदृश्‍य को देखेंगे तो हमारी उच्‍च शिक्षा हो, या स्‍कूली शिक्षा हो उच्‍च शिक्षा में ही यदि देखेंगे तो 1000 से अधिक विश्‍वविद्यालय हैं, हजारों तो केवल इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, कुल कॉलेजों की संख्‍या यदि देखेंगे तो 50000 के आसपास हैं, तो मैं यह समझता हूं कि यह जो व्‍याप है और लगभग सैंकड़ों राष्‍ट्रीय महत्‍व के संस्‍थान हैं जो अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर भी हमारा सम्‍मान बढ़ाते हैं।ऐसे में इतने बड़े पैमाने पर शिक्षा मंत्रालय सभी क्षेत्रोंमें ध्यान केंद्रित कर रहा है। प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी विशेष सोपानों के साथ दो मंत्रालय प्रतिबद्ध है। अभी आपको मालूम होगा कि हम शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में ‘स्पार्क’ के तहत पूरी दुनिया के लगभग 127 शीर्ष विश्वविद्यालयों के साथ शोध कर रहे हैं।इम्‍प्रिंट, इम्‍प्रैस और स्‍ट्राइड के साथ जो महत्त्वपूर्ण इस समय जो अभियान होगा वो नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का होगा।इससेशोध और उसकी संस्कृति तैयार होगी और तकनीकी के क्षेत्र में ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ का गठन करके अंतिम छोर के व्यक्ति को किस तरीके से तकनीक साथ जोड़ा जा सकता है और जो देश के प्रधानमंत्री बार-बार कहते हैं किवोकल फोर लोकल के लिए कैसे तकनीक विकसित की जा सकती है और उसके बाद उसको विकसित करके तथाकौशल का विकास करके उसेतकनीकी के आधार पर ग्लोबल तक कैसे भेजा जा सकता है तो यह जो रास्ता है यह रास्ता निश्चित रूप सेहमारे शोध और अनुसंधान के क्षेत्र कोसशक्‍तकरेगा। आज से पहले जो हमारे छात्र थे वे बी.टेक करने के बाद, एमटेक करने के बाद,एमसीए करने के बाद, विभिन्न डिग्रियों के बाद उनकेदिमाग में एक ही बातरहतीथी कि कहां अच्छा और बड़ा पैकेज मिल जाए। लेकिन मुझे लगता है कि इस समय अब वे पैकेज की दौड़ न हो कर पेटेंट की दौड़ में आ रहे हैं। मुझे खुशी है कि मेरे छात्र-छात्राएं अपना स्टार्ट अप तैयार करने की ताकत रख रहे हैं।मैं पीछे से दो वर्षों से लगातार देख रहा हूं और लगातार संवाद भी कर रहा हूं। तो मुझे खुशी है कि लोगों में उत्सुकता है, छटपटाहट है, आगे बढ़ने की औरभारतकी यह बड़ी ताकत है। इसी ताकत के आधार पर दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है मेरा भारत। मैंने अभी उच्च शिक्षा के बारे में बताया और स्कूली शिक्षा को लेकर के जोड़ें तो कुलएक करोड़ 10 लाख के आसपास अध्यापक ही है। जैसे मैंने कहा किएक हजार विश्वविद्यालय, 50 हजार डिग्री कॉलेज और यदि स्कूलों की संख्या देखें तो लगभग 15-16 लाख होती है और टोटल छात्रों की संख्या देखेंगे तो अमेरिका की भी जनसंख्या से ज्यादा 33 करोड़ छात्र-छात्राएं हैं।हमबहुत अच्छे तरीके से नई शिक्षा नीति में तकनीकी को अब बचपनसे ही जोड़ना चाहते हैं। आपने देखा होगा कि हम नयी शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा से ही वोकेशनल एजुकेशन ला रहे हैं वो भी इंटर्नशिप के साथ ला रहे हैं ताकि स्कूली शिक्षा तक पहुंचते ही योद्धा के रूप में हमारा छात्र खड़ा होसके। वो किसी के कदमों पर खड़ा न हो बल्कि स्कूली शिक्षा को समाप्त करते हुएवहआत्‍मविश्‍वास से इतना भरा हो कि वह किसी क्षेत्र में कोई भी काम करने के लिए सक्षम हो सकता है और हमइसीलिए स्कूली शिक्षा से ही वोकेशनएजुकेशन दे रहे हैं।अंक ज्ञान और अक्षर ज्ञान के साथ-साथ खेलकूद और उसका सांस्कृतिक क्षेत्र भी सशक्‍त होगा और तीसरा जो वोकेशनल वाला पक्ष है इन तीनों पक्षों को मजबूत करने और स्कूली शिक्षा से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कीपढाईकरने वाला दुनिया का हमारा पहला देश होगा। मुझे लगता है कि शिक्षा में तेजी से सुधार के लिए वर्तमान की स्थितियां चल रही हैं। मुझे यह कहते हुए खुशी होती है और मैं अपने सभी अध्यापकों और अभिभावकों को इस दिशा में बधाई भी देना चाहता हूं कि जब कोरोना का महासंकट काल चल रहा था तो अच्छे खासे देशों ने जो विकासशील देश हैं उन देशों ने भी अपने शैक्षणिक सत्र कोएक साल पीछे कर दिएऔरवे हिम्मत नहीं जुटा पाये कि वो परीक्षा करा सकें और ऑनलाइनपाठ्यक्रम को शुरू करा सकें। हिंदुस्तान दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और हमारे अध्यापकों ने जिस तरीके से एक योद्धा के रूप में फ्रंट पर आकर के और हमारे अभिभावकों ने बच्चे को केन्द्रित बनाकरके ऑनलाइनएजुकेशन के आधार पर लाये। कोई सोच भी नहीं सकता कि33करोड़ बच्चों को एक साथ ऑनलाइन पर लाना, घर को ही हमने विद्यालय में बदल दिया था।समय पर हमने परीक्षाएं करवाई,जेईई की परीक्षाएं करवाई। दुनिया का सबसे बड़ी नीट की परीक्षा करवाई और बहुत ही सफलतम तरीके से सुरक्षित तरीके से सबकुछ को हमने किया और इसीलिए जो हमारे डिजिटल प्‍लेटफॉर्म जैसे स्वयं है, स्वयं प्रभाहै,एनडीएलहै, दीक्षा है, विभिन्न माध्यमों से हमने इनको और सशक्त कर दिया है। पीएम ई विद्या के तहत हम अब‘वन नेशन वन डिजिटल प्लेटफॉर्म’ केनारेके साथ दौड़ रहे हैं और आगे बढ़े हैं और ‘वन क्लास वन चैनल’ भी हमने किया है जिसमें प्रत्‍येक कक्षा के लिए एक चैनल होगा और डीटीएच से लेकर के टाटा स्काई और बहुत सारे चैनलों पर उसका प्रसारण होगा ताकि अंतिम छोर पर रहने वाला जोबच्चा है, जिसके पास यदि स्‍मार्टटेलीफोन नहीं है तथा इंटरनेट नहीं उपलब्ध है तो भी वह विकल्पों को पूरी ताकत के साथ ले सके और वो आगे बढ़ सके। इसीलिए आपने देखा होगा कि हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा देश हो गया जिसने ऑनलाइन एजुकेशन को दिया और जो सफलतम रहा है। हम इधर पाठ्यक्रम को सुनिश्‍चितकरते रहे और समय-समय पर नए शैक्षणिक कलेण्डर देते रहे। मुझे मालूम है कि यहां पर भी हमारे अधिकारी हैंएआईसीटीई के और हर दिन किस तरीके से परिस्‍थितियोंको देखते हुए छात्रों के साथ एकजुटता से उनकी सुरक्षा और भविष्य का बेहतर तरीके से समन्वय किया है। तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा के संस्‍थान प्रौद्योगिकी अपनाने की दिशा में बहुत आगे रहे हैं। पंडित मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन टीचर्स एंड ट्रेनिंग इसके माध्यम से भी आपनेकई टीचिंग लर्निंग सेंटर स्थापित किए और बहुत सारे डिजिटल प्‍लेटफॉर्म भी आपने तैयार किये। वैसे तो हम अभी‘अर्पित’ और‘लीप’ दोनों कार्यक्रम अध्यापक प्रशिक्षण के लिए चला रहे थेलेकिन हमारी बहुत प्रबल धारणा शुरू से रही है कि जब तक अध्यापक पूरी ताकत के साथ सब कुछ ज्ञान अर्जन नहीं करता तब तक वो छात्र को पूरे तरीके से मैदान में जाने के लिए तैयार नहीं कर सकता है और इसीलिए हमारीपहलीजो चुनौती हैजो पहला काम है, जो पहला संकल्प है वो अध्यापकों को हर दृष्टि से सक्षम बनाना है और उस दिशा में लगातार एआईसीटीई ने बहुत अहम भूमिका निभाई है। मुझे मालूम है जो शिक्षार्थी केन्द्र बनाये हैं जो देशकी आवश्यकता के अनुरूप सीखने की प्रक्रिया और उसे अनुकूलित कैसे किया जाए उसदिशा में लगातार यह कोशिश करते रहें हैं।इसके लिए वे केवल कोशिश ही नहीं करते रहें हैं बल्‍कि उसकी बार-बार समीक्षा भी करते रहें हैं और इसका रिजल्ट भी देखते रहें हैं।जैसे कि हम जानते ही हैं कि परिवर्तनों के समायोजन की दिशा में हम स्टार्टअप गतिविधियांअपने अनुकूल तथा अपनी योग्‍यता, आवश्‍यकता एवं लाभ के तरीके से विकसित कर सकते हैं, उसके लिए आपने तमाम प्रकार के संकल्प और कई प्रकार के प्रेक्टिकल किए हैं और एक के बाद एक ऐसे उदाहरण तैयार किये हैं जिसमें हम कह सकते हैं कि इस प्रोजेक्‍ट को आपने बहुत अच्छे तरीके से आगे बढ़ाया गया। शिक्षा केविभिन्‍नमॉडलों के माध्यम से भी आपनेतकनीकी को आगे बढाया है और बहुत सारी कंपनियों के साथ राष्ट्रीय गठबंधन निर्मित करके इसकोआगेपेश किया तो यहभी एक अच्छा उदाहरण है।‘लीप’ को तो दुनिया का सबसे अच्छा अनुकूलित शिक्षण मंच बनाने की हमारी पूरी उम्मीद है और मुझे भरोसा है कि जितने भी संस्थान हैं निश्चित रूप सेउनका शैक्षणिक स्तर बढ़ेगा। जो बच्चे आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है और पिछड़े क्षेत्र से आते हैं तथाप्रतिभाशाली भी हैं, लेकिन उनको प्रवेश नहीं मिल रहा था तो आज उनको अच्छे से प्रवेश मिलेगा और इसमें कोई दोराय नहीं है कि युवाओं की रोजगार क्षमता को बढ़ाने के लिए और शिक्षा प्रौद्योगिकी में सर्वश्रेष्ठ तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए और नीट का यहपोर्टल बनाया गया है यह निश्चित रूप में नवाचार की गुणवत्ता और रोजगार बढ़ाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा ऐसा मेरा भरोसा है।मुझे याद आता है कि पिछले वर्ष जब हमारे एआईसीटीई के चेयरमैन साहब ने कहा था कि इस तरीके का कार्यक्रम करना है, उस समय पर देहरादून में ही इरा ग्राफिक हिल यूनिवर्सिटी में जो कार्यक्रम हुआ था उसमें 13 कंपनियां आई थीं। मुझे याद है उस दिन भी हमारे छात्रों और उद्योग जगत से जुड़े लोगों ने संयुक्‍त रूप से अपने अनुभव बताए थे तबभी मेरा विश्वास कहता था कि हमारा रास्ता बहुत मजबूत रास्ता है  इससे हमारी प्रतिभा और हमारे उद्योग इन दोनों का जबजुड़ाव होगा उस दिन एक नई चीज निकल करके आएगी और आज मुझे इस बात की खुशी है कि जिन 13 कंपनियों ने अपने उत्पादों को छात्र हित में प्रयुक्त करने का संकल्प और समझौता किया था, वो आज फलीभूत हो रहा है और एआईसीटीईके साथ जुड़ा हुआ है। आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों को नि:शुल्क उच्चतम गुणवत्तायुक्त शिक्षा और सामग्री तथापरिवेशप्रदान करने का जो यह अभियान है निश्चित रूप से यह अभियान हमारे देश के उन छात्रों के लिए हैजिनके पास प्रतिभा तो है लेकिन उनके पास संसाधन नहीं हैं और उनके पास आगे बढऩे के प्लेटफॉर्म नहीं हैं, यह उनके लिए बहुत अच्छा होगा। हालांकि पीछे के समय में जब कोरानाकाल था और हमारे देश की प्रधानमंत्री जी ने नौजवानों से कहा था कि ऐसे अवसर पर वो क्‍या कर सकते हैं तो आपको याद होगा हमने युक्ति-1 किया था और उस युक्‍ति पोर्टल पर हमारी सभी आईआईटीज, एनआईटी, आईसर तथा विश्वविद्यालय से हमारेजितने भी विद्यार्थीथे, हमने उनको कहा था कि जो भीवो आज नवाचार कर रहे हैं, शोध एवंअनुसंधान कर रहे हैं उसको युिक्त पोर्टल पर डालें। मैं इसके लिए आग्रह करूंगा कि आपइसको जरूर देखें। एक से एक बढ़करकिस तरीके के शोध और अनुसंधान में पूरी दुनिया ने इसको आश्‍चर्यचकित माना और हमनेसस्ते बहुत प्रमाणिक और उत्कृष्ट कोटि के वेंटिलेटर हों, मास्‍क, पीपीई किट, ड्रोन बनाया जिसका लाभ देश तथा सम्‍पूर्ण विश्‍व की मानवता को मिला।हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि यदि हर चुनौती का मुकाबला ठीक से होता है तोवह अवसरों में तब्दील हो जाती है। हमने देखा हमारे छात्रों ने, हमारे अध्यापकों ने इस चुनौती का मुकाबला करके उसको अवसरों में तब्दील किया। यही कारण है कि हमारे देश से जो चीजें उत्पादित हुईं वो पूरी दुनिया में गई हैं। मानवता के कल्याण के लिए आपको तो मालूम है कि यह हमारे ही देश की क्षमता है और हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने जिस तरीके से नेतृत्‍व किया है, उसके तहत हमारापूरी दुनिया में पहला देश है जो दो-दो वैक्सीन ले करके आया है और 130 करोड़ से अधिक जनसंख्या का देश आज आत्मविश्वास से भरा हुआ है और पूरी दुनिया आज भी हिंदुस्तान को देख रही है, मेरे देश के प्रधानमंत्री को देख रही है और इसीलिए मैं समझता हूं कि यह जो नई शिक्षा नीति आयी है वो नयी शिक्षा नीति इन सब नए आयामों को ले करके नये परिमाणोंतक जाने के लिए और नये भारत के निर्माण के लिए तैयार है। उसी भारत को पुन: खड़ा करने के लिए जो गौरवशाली भारत, जो विश्वगुरु भारत है जिसमें तकनीकी से लेकर विज्ञान और अनुसंधान से लेकर के जीवन मूल्य तक कोई भी अंग और स्थान नही छूटा है जिस पर उसने पूरी दुनिया का मार्गदर्शन ना किया हो। इसलिए यह नई शिक्षा नीति हम लाये हैं जो भारत केंद्रित है और मुझे लगता है कि यह हमारे देश के प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर भारत की आधारशिला भी है और 21वीं सदी का जो स्‍वर्णिमभारत है जिसके लिए पूरा देश एकजुट है, यह उसकी भी आधारशिला है।हमारी नई शिक्षा नीति नेशनल भी है और इंटरनेशल भी है। यह इम्पैक्टफुल भी है,यह इनोवेटिव भी है, यह इनक्लूसिव भी है और यदि इसको गौर से देखेंगे तो यहइक्विटी पर आधारित है, यह क्वालिटी पर आधारित है, यह एक्‍सेस पर आधारित है। मुझे भरोसा है कि यह शिक्षा नीति टैलेंट को भी खोजेगी और टैलेंट काविकास भीकरेगी और टैलेंट का विस्तार भी करेगी और टैलेंट को उत्कृष्ट कंटेंट के साथ जोड़ करकेनए पेटेंट के साथ आगे बढ़ेगी। इससेपूरे देश में एक नया उत्सव होगा। आज मुझे ख़ुशी है कि आज 48 से भी अधिक कम्‍पनियां सामने आ रही हैं जबकि पिछली बार एक वर्ष में केवल 13 कंपनियां सामने आई थी लेकिन आज 48 से 50 कंपनियां जो सामने आई है, आप समझ सकते हैं कि उससे कितना बड़ा माहौल बना। अभी अध्‍यक्षसाहब को मैं सुन रहा था जब उन्होंने विस्तारपूर्वक कहा कि चाहे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो, मशीन लर्निंग हो, कोडिंग प्रबंधन हो, इन सभी क्षेत्रों में लगभग 50 हजार विद्यार्थियों को जो आर्थिक रूप से पिछड़े औरसक्षम नहीं हैं, उन सभी विद्यार्थियों को इसका हिस्सा बनाया है। यह बड़ी बात है और इससे उनको भी फायदा मिलेगा तथा इन संस्थानों को भी इसका निश्चित रूप में फायदा मिलेगा, ऐसा मेरा भरोसा है। मुझे यकीन है कि आत्मविश्वास से परिपूर्ण हमारी युवा शक्ति है, इसके पास तकनीकी भी होगी, इसके पास इच्छाशक्ति भी होगी और विश्वास होगा और आत्मनिर्भर भारत का इसकेपास सपनाहोगा और सपना भी ऐसा होगा जिसके बारे में कलाम साहब कहते थे कि सपने जो सोने न दें ऐसे सपने होंगे जब तक उस सपने को साकार नहीं कर देता तब तक वह चैन से न बैठे। इस तरक्की के सपने होंगे मुझे पूरा भरोसा है कि आज जिन संस्थानों को अभी हमारे अध्‍यक्षसाहब और हमारे अतिथिगण सम्मान दे रहे थे और जिनको आज विभिन्न प्रकार का प्रोत्साहन के रूप में सम्मानित कर रहे थे वो सभी लोग एक मिशन मोड में, एक जुनून के साथ इस कार्य में जुटेंगे ऐसा मेरा भरोसा है और मैं इस मौके पर टेक कंपनियों को विशेष करके धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने आज समझौता ज्ञापन किया है। मुझे भरोसा है कि इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर कीकंपनियां तेजी से आगेआएंगी और आप इस अभियान के तहत विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा 2500से भी अधिक उत्पादों का नि:शुल्क मूल्यांकन किया गया है जिसके लिए मैं विशेषज्ञों को धन्‍यवाददेना चाहता हूं औरमैंउनकी प्रशंसा करना चाहता हूं। इसलिए जो नीट-2 है वह न सिर्फ सशक्तिकरण का माध्यम बनेगा बल्कि इससे शिक्षा उद्यमिता और रोजगार को बहुत बढ़ावा मिलेगा और इसी से मेरा समृद्ध भारत और आत्मनिर्भर भारत का सपनापूरा होगा। हमारे हिन्दुस्तान में तेजी से बदलाव आ रहा है। हम अपनी मुट्ठियों में पूरे विश्वास और आत्मविश्वास को भरकर के पूरी दुनिया में बहुत तेजी से बढ रहे हैं तथा हम फैल रहे हैं और मुझे भरोसा है कि यह भारत बहुत जल्दी हीविश्‍व गुरु औरज्ञान का महान केन्द्र बनने की दिशा में तेजी से बढ रहा है। मुझे लगता है इस सदी में जिस तरीके से भारत चौतरफा आगे बढ़ रहा हैं इसमें शायद ही कोई देश इतनी गतिपूर्वक विभिन्न क्षेत्रों में आपनी ताकत का ही बढा रहा होगा। हमारी  सरकार के द्वारा  उच्च शिक्षा छात्रों को जो प्रदान की जाएगी वो बहुत ही प्रासंगिक होगी और जो कंपनियां जुड़ रही हैं उनके लिए यह जो नीट प्लेटफॉर्म है जोबहुत बड़ा काम करेगा।इससेबड़ा व्यापक परिवर्तन का काम होगा और एक व्यापक विस्तार का काम होगा जो रुचि भी बढ़ाएगा और उनकी प्रतिभा को उसके साथ समन्‍वय करके उन उद्योगों को भी एक नई दिशा देगा। मुझे पूरा भरोसा है और कला कौशल के क्षेत्रमें भी कैसे मजबूती लाई जा सकती है,इसदिशा में भी निश्चित रूप से हमारे संस्थान काम कर रहे हैं और मैं विशेष बधाई देना चाहता हूं। एआईसीटीई जिस तरीके से लगातार छात्र, अध्यापक उद्योग, अभिभावक और परिस्थितियां कालगातार समन्‍वय कर रहा है। उससे सभी को नया उत्‍साह मिला है। मुझे भरोसा है कि हम जिस 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की बात करते हैं वो मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया तथा स्‍टैंडअप से हो  करके गुजरेगा। अभी 5 साल पहले क्या होता था लेकिन अब देखिए कितना बदलाव आया है और दुनिया के तमाम देश हमसेजुड़ते हैं तो मुझे इस बात का गौरव महसूस होता है कि यहाँ दुनिया के लोगों ने ठान लिया है, समझ गए हैं किअब21वीं सदी भारत की सदी है। हमारा देश आगे 35 वर्षों तक यंग इंडिया रहने वाला है। हम सभी का प्रयास यह होना चाहिए कि इस युवा की जो जवानी है,जोउसकी प्रतिभा है, जो उसका विजन हैउनको मिशन में तब्दील करके हमेंएक नये भारत के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ाना है। जो आत्मनिर्भर भारत और5ट्रिलियनडॉलर की अर्थव्यवस्था की जो बात हमारे प्रधानमंत्री जी कही है मुझे बहुत भरोसा होता है कि उस दिशा में जो संकल्प हैं, उस संकल्प को मेरे नौजवान साथी और मेरे उद्योग क्षेत्र से जुड़ीजितनी भी कंपनियां हैं, वे इसको नई दिशा देंगी। मुझे भरोसा है कि जब अगले वर्ष हम एक बार पुन: चर्चा करेंगे तो इस एक वर्ष की जो यात्रा होगी वो छलांग मारकर के शिखर पर पहुँचने की होगी और मैं एआईसीटीईके चैयरमेन साहब को कहना चाहता हूं कि ऐसी कंपनियां जिन्‍हेंहमलोग सम्मानित कर रहे हैं और कुछ ऐसी कंपनियों भी हैं, जिनका उदाहरण हम पूरे देश को विभिन्‍नक्षेत्रों में दे सकते हैं। ऐसी श्रेष्‍ठ कंपनियां क्या-क्या कर सकती हैं यह परामर्श लगातार बना रहना चाहिए और मैं छात्रों को भी शुभकामनाएं देना चाहता हूं। छात्र-छात्राओं आपको आजवक्त मिला है, अवसर रोज नहीं मिला करते हैं। जो अवसरों को खोते हैं, अवसर उनको खो देता है। इसलिए जो समय के साथ नहीं चलता समय उसको पीछे छोड़ देता है तो आपको समय के साथ दौड़ने की जरूरत है। पूरी दुनिया आपको निहार रही है। हमारा देश वैसे भी समृद्ध भारत है। भारत पहले भी सोने की चिड़िया कहलाता था। आज भी मेरे भारत में सोने की चिड़िया कहलाने की पूरी ताकत है और उसको साबित करने की क्षमता है और यह आपसे होकर गुजरता है तथा मेरी इनकंपनियों से होकर गुजरेगा। लीडरशिप देने वाले मेरे चाहे प्राध्यापक हैं,चाहे निदेशक  हैं, मेरे कंपनी के जो निदेशक हैं जो उनकी टीम है और जो अनुसंधान करने वाले लोग हैं इनके साथ मिल करके काम करने  की जरूरत है। आपने युक्ति-2 जो किया था उसपर सारे बच्चों के आइडियाज आप लायें थे, शायद यहदुनिया को सबसे बड़ा प्लेटफार्म हो जाएगा। मुझे बहुत खुशी है कि मेरा देश का छात्र युद्ध स्तर पर जुनून के साथ शोध और अनुसंधान में निकल पड़ा है आगे वो यह साबित भी करेगा कि दुनिया के लोगों यह वो देश है जिसने आर्यभट्ट को जन्म दिया। यह वो देश से जिसने शल्य चिकित्सा के जनक सुश्रुत को जन्म दिया, यहवो देश हैजिसने पाणिनी को जन्म दिया,जिसने योग गुरू पातंजलि को जन्म दिया, यह वो देश से हैजिसने पूरी दुनिया को अंकगणित और बीजगणित गणित दिए।अभीइस नई शिक्षा नीति पर कैम्‍ब्रिजने एक बहुत सुंदर पत्र लिखा था और उन्होंने अपने एशियाहैड को भेज करके सम्मान पहुंचाया था और अपने पत्र में उन्होंने लिखा कि हम भारत के ऋणी है जिसने पूरी दुनिया को बीज गणित और अंक गणित को दिया है। पूरी दुनिया आज भी जानती है कि भारत ज्ञान का बड़ा केंद्रथा और अब नईशिक्षा नीति आने के बाद फिर भारत उसी तरीके से उभर कर के सामने आयेगा। पूरी दुनिया हम को देख रही है और मुझे भरोसा है कि यह रास्ता आपसे होकरके गुजरता है। मुझे बेहद खुशी है कि जो एआईसीटीई ने शुरु किया था यहअभियान रुकेगा नहीं और मैं तो पीछे के दिनों देख रहा था कि मेरे देश में लगभग पांच करोड़ से भी अधिक लघु उद्योग हैं। यदि यह पांच करोड़ लघु उद्योग मेरेएक-एक छात्र के आइडियाजको ले करके जाए और नवाचार के साथ नए अनुसंधान के साथ उस यूनिट को खड़ा करे।अगरएक यूनिट में भी एक लघु उद्योग में भीपांच लोगों को रोजगार मिलेगा तो हम अब रोज़गार पाने नहीं, रोज़गार देने वाले लोगों में हम शामिल होंगे। हम यह संकल्प लेकर के आगे बढ़ रहे हैं औरआप केवल 5-5 लोगों को भी रोजगार देंगे तो तो 25 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है। मुझे लगता है कि यहदेश कुछ भी कर सकता है। देश के प्रधानमंत्री कहते हैं कि130करोड़ लोगों का देश है हम यदि एक कदम भीआगे बढ़ते हैं तो उस एक कदम से 130 करोड़ कदम आगे बढ़ते हैं।यहहमारी ताकत है और इससे मुझे भरोसा है कि इस ताकत का हमपूरा उपयोग करेंगे और आप सब आज जो यहांपर सम्मानित हुए हैं,मैंआप सबका बहुत अभिनंदन करता हूं और मुझे खुशी है कि जो लोग जुनून के साथ जुट रहे हैं वो निश्चित हीएक अच्छा रिजल्‍ट देंगे और एक अच्छा वातावरण बनाएंगे। आप सभी एक ऐसा परिणाम देंगे कि देश को आप पर गौरव हो सके और इसी संकल्प के साथ में जितने आज हमारी कंपनी के लोग आएं। मैं आप सभी का अभिनन्‍दन करता हूं और आपसे आशाएं भी कर रहा हूं तथा आपको शुभकामना भी दे रहा हूं।

 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

 

कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्‍थिति:-

 

  1. डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
  2. प्रो. अनिल सहस्‍त्रबुद्धे, अध्‍यक्ष, एआईसीटीई
  3. प्रो. एम.पी. पूनिया, उपाध्‍यक्ष, एआईसीटीई
  4. प्रो. राजीव कुमार, सदस्‍य सचिव, एआईसीटीई