विश्व शान्ति के लिए वेद पर आधारित द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
दिनांक: 11 दिसम्बर, 2020
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
वेद और विश्व शांति के इस अभियान के दूसरे चरण में आज पूरी दुनिया से जुड़े सभी भाई और बहनों का मैं अभिनंदन करना चाहता हूं। दुनिया के एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका सहित 15 से भी अधिक विश्वविद्यालयों से जुड़े हमारे मित्र और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति एवं विश्वविद्यालय के वैदिक विज्ञान केन्द्र के समन्वयक सहित मैं सभी लोगों का इस बहुत ही महत्वपूर्ण कार्यक्रम के लिए अभिनंदन करना चाहता हूं। आज हमारे साथ सौभाग्य से इस अभियान में जो यह दूसरे चरण का अभियान है जो कि टोनी नाडार जी ने शुरू किया है उसमें कुरासाओ के प्रधानमंत्री श्री यूजीन रघुनाथ जी भी जुड़े हैं, मैं आपका भी अभिनंदन कर रहा हूं, स्वागत कर रहा हूं और आपकी अच्छी भावनाओं के लिए आपको साधुवाद देना चाहता हूं। कुरूसाओ की पूर्व-प्रधानमंत्री श्रीमती सूजी जी मैं आपका भी अभिनंदन कर रहा हूं और इस बड़े अभियान में आपका स्वागत कर रहा हूं।
आज बड़े वैश्विक परिदृश्य में यह बेबीनार हो रहा है ऐसे समय में जबकि पूरी दुनिया संकट से गुजर रही है। कोविड के ऐसे वक्त में विश्व कल्याण के लिए यह बेबीनार आयोजित हो रहा है। मुझे याद है कि जब मैं पेरिस में था तब आप श्री टोनी नाडार जी मुझसे मिलने आए थे और मुझे आपने विज्ञान के दो ग्रंथ भेंट किये थे मुझे बहुत खुशी हुई थी कि आप मिशन मोड में वेद को पूरे विश्व में आगे बढ़ाने के लिए उसके शोध और अनुसंधान करने की दिशा में काम कर रहे हैं।मुझे तब भी बहुत अच्छा लगा था और तब से लेकर आज तक निरंतर यह ज्ञान अब पूरे विश्व के लिए शुरू हो गया है।
जब शुरू के पहले चरण में दुनिया के 6 देशों के शिक्षा मंत्री जुड़े थे लेकिनआज दुनिया की तमाम शीर्ष शिक्षण संस्थाएं और हमारे प्रधानमंत्री जुड़ रहे हैं। राजा लुईस भी हमारे साथ लगातार शुरू से ही जुड़े रहे हैं और जिस तरीके से अभी उनका जो प्रस्तुतीकरण था वह अद्भुत था। वेद के अंदर जो विज्ञान था उसको उन्होंने हमारे सामने प्रस्तुत किया है। जो उनकी रुचि है, जो उनकी जिज्ञासा है, वो देखने लायक है और वेदों पर जो उनका ज्ञान है और उस ज्ञान को अभियान के रूप में विश्व के लोगों तक ले जाने का जो उनका मिशन है उसके लि मैं उनका भी अभिनंदन करना चाहता हूं। हमारे प्रो. राकेश भटनागर जी, जो हमारे कुलपति हैं, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के आज उनके आतिथ्य में आप पूरी दुनिया के तमाम विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलाधिपति और प्रधानमंत्री गण, पूर्व प्रधानंत्री गण और पूरी दुनिया के शिक्षाविद और वेदों से जुड़ाव रखने वाले तथाविश्व को शांति से आगे बढ़ाने की लालसा रखने वाले दुनिया के लोग जुड़े हुए हैं, आपका भी अभिनंदनकरता हूं।
डॉ. राजेश नैथानी हिमालय यूनिवर्सिटी के पीबीसी हैं और हिमालय में ही वेद का जन्म हुआ है तथा वेद पर व्यापक तरीके से उनकी युनिवर्सिटी अभी दान कर रही है। आज श्री कृष्ण मुरारी त्रिपाठी जी जो हमारे बीएचयू के वेद विभाग के विद्वान हैं और प्रोफेसर उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी जो समन्वय हैं वैदिक विज्ञान केन्द्र केमैं आपको भी बधाई देना चाहता हूं कि आपकी अगुवाई में जो हमारे प्रधानमंत्री जी का मन था, हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की जो छटपटाहट थी,जो उनके मानसमेंपूरे विश्व की मानवता के लिए वेदों के माध्यम से कल्याण की जो भावना है मुझे भरोसा है कि आप इस दिशा में आगे और भी काम कर रहे होंगे। हमारे साथ डा.पूज्यस्वामी जी और गोविन्द गिरि महाराज जी भीजुड़े हुए हैं। ऐसी सार्थक गतिविधियों में महाराज जी का बहुत योगदान रहता है।
अभी डॉक्टर रामसागर मिश्रा जी आपके संयोजकत्व में ये काम बढ़ रहा है जिसके लिए आप बहुत बधाई के पात्र हैं। प्रो. अमिताभ भट्टाचार्य जी जो कला प्रदर्शनी विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हैं और हमारे चांसलर कुरासाओयूनिवर्सिटी सेकार्ल कमेलिया जी,मैं आपका अभिनन्दन करना चाहता हूं और आपने जो सम्मान मुझे दिया है इसके लिए भी मैं आपका अभिनंदन करता हूं। मैं यह सम्मान उन लोगों को अर्पित करता हूं जो वेदों के माध्यम से विश्व में शांति लाना चाहते हैं।
आपका जो यह सम्मान है। उसे मैं उन सारे मनुष्यों को अर्पित करना चाहता हूं जो विश्व में शांति एवं सद्भाव का प्रसार करना चाहते हैंमुझे बहुत खुशी है कि आज दुनिया के तमाम लोग हमारे साथ जुड़े हुए हैं और पारंपरिक शाश्वत ज्ञान को आधुनिक ज्ञान विज्ञान से जोड़ने की जो शैक्षणिक क्षेत्र में अपनी मानवीय मूल्यों को विकसित करने की जो सराहनीय पहल है, उसके लिए मैं आपका आभारी हूं, प्रधानमंत्री जी का आभारी हूं, चांसलर साहब मैं आपका भी आभारी हूं। मुझे लगता है कि विश्व शांति के लिए वेद विषय पर अभी बहुत अच्छे तरीके से राजा लुईस जी ने और टोनी नाडार जी ने अपनी बातों को रखा है जिसके सन्दर्भ में मुझे लगता है कि आज यदि आप उस दिशा में सोचें और विश्व में अशांति के कारणों पर विचार करें तो क्या कारण है कि जो आतंकवाद, हिंसा, वैमनस्यता, गरीबी, भुखमरी एवं पर्यावरण की तमाम चुनौतियों जैसेमौसम परिवर्तन की चुनौतियां, भू-स्खलन या भूकम्प तथा अन्य जो विभिन्न प्रकार की आपदाएं हैं जिनके कारण आज विश्व में अशांति है एवं जैसा किटोनी नाडार जी ने जिस बात को कहा कि इसके मूल में तो यह व्यक्ति ही है जो ईश्वर की सबसे सुंदरतम कृति है मनुष्य।इस मनुष्य से ही यदि इसका मन ठीक है, इसका तन ठीक है तो सब कुछ ठीक हो सकता है इसका मन कैसे ठीक हो तबमुझे लगता है कि इसके सन्दर्भ में आज वेदों की जरूरत है। उस वेद की जो सबसे पहले तो पूरे विश्व को अपना परिवार मानता है। यह मेरा है, यह तेरा है यहां से शुरू होती अशांति लेकिन‘अयं निज: परो वेति गणना लघु चेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्’जबपूरी वसुधा को वह अपना परिवार मानेगा तो यह मेरा और यह तेरे की बात ही खत्म हो जाएगी कि सारा संसार मेरा परिवार है औरवहीवेद कहता है। यह सारी जो धरती है यह मेरी मां है जिस दिन धरती को मैं अपनी मां मानूंगा, समझूंगा, महसूस करूंगा, उस दिन धरती पर पैदा होने वाला हर जीव-जंतु मेरा अपना अंग होगाइस पृथ्वी पर पेदा होने वाला प्राणी अपना भाई होता है और उस प्राणी के लिए ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया’की बात हम करते हैं जब तक एक भी प्राणीदुखी रहेगा तबतक मैंसुख का अनुभव नही कर सकता,यह है मेरा वेद,यही है जो सबके सुख की कामना करता है। यह हमारा वेद हर जगह खड़े होकर के मानवता की बात करता है और इसलिए मैं समझता हूं कि यह जो अशांति है, यहअशांति मन की अशांति है। आज यह अशांति तब पैदा हुई है जब कोई न कोई ऐसी परिस्थितियां अत्यंत्र हुई हैं और जब व्यक्ति ने अपने को उस शास्वत ज्ञान से दूर किया है।
हम सब साथ-साथ चलना चाहते हैं, सब साथ भोजन करेंगे, साथ चलेंगे, साथ पुरूषार्थ करेंगे और किसी के धन का कोई लोभ नहीं है, लालच नहीं है। जो प्रकृति के कण-कण में हमने व्याप देखा है उस ईश्वर का हमारे अंदर जैसा कि अभी टोनी जी ने भी कहा कि यदि मैं ही ब्रह्म हूं और मेरे अंदर सब कुछ समाहित है और पूरी दुनिया में एक-दूसरे से कोई भिन्नता ही नही है तोफिर और कहां से अशांतिहो जाएगी? लेकिन अशांति का कारण यह है कि हम प्रकृति से दूर हो गए। हमारे वेदों में प्रकृति के साथ सामंजस्य की बात कही गई है जब प्रकृति के साथ हमसमन्वय करते हैं तो उससे संस्कृति बनती है और संस्कृति रचना का काम करती है, निर्माण का काम करती है और जब हम उस प्रकृति से दूर जाते हैं तब वो वक्रिृति होती है और प्रकृति हमेशा विनाश का कारण होती है और यह बात वेद हमको कहते हैं। हमारे वेदों की तमाम ऋचाओं में हम वृक्षों का वंदन करते हैं, अभिनंदन करते हैं।
हमारे सुख और दु:ख के जो भी क्षण होते हैं उनमें सबसे पहले हम उन पेड़ पौधों का गुणगान करते हैं और उनको नमस्कार करते हैं। उनका पूजन करके उनका बंदन करते हैं धरती मां का वंदन करते हैं। हम जीव-जंतुओं का वंदनकरते हैं। यह जो वेदों की ताकत है आज दुनिया को इसकी ज़रूरत है।आज वेद की जरूरत है क्योंकि वेद में विज्ञान भी है औरवेद में जीवन भी है, सब कुछ है। बस वेद केवल को जितना विस्तार देंगे हम जितना शोध और अनुसंधान करेंगे उतना ही हम इस दिशा में आगे बढ़ेंगे। मुझे इस बात को कहते हुए खुशी और गर्व महसूस होता है कि भारत की जो नई शिक्षा नीति है वह भारत केंद्रित होगी। जैसा कि इस केन्द्र के उद्घाटन के अवसर पर हमारे आदरणीय प्रधानमंत्रीजी श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपना वक्तव्य देते हुए कहा था किहमारे प्राचीन को वर्तमान से जोड़कर नवाचार और अनुसंधान के साथ आगे लेकर के चलना है तभी मानवता का कल्याण होगा। मेरा सौभाग्य है कि जहां वेदों का जन्म हुआ है, मैं उसी हिमालय से आता हूं और इसलिए आज मैं समझता हूं कि वेद तो सारी दुनिया के लिए प्राण हैं। अच्छे समाज, अच्छे इंसान, अच्छी प्रकृति, अच्छी प्रवृति और अच्छे मानव के लिए वेद आज भी एक ऐसे अचूक अस्त्र के समान हैं जिसकी आज दुनिया को जरूरत है।
टोनी नादर जी मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आपने इस अभियान को आगे बढ़ाया है और हम तो कहते थेविश्वको श्रेष्ठ बनाते चलो आज यह हमने सारे विश्व को आगे बढ़ा करके और‘असतो मा सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय’ के मंत्र को लेकर हम चले हैं तथा हम अंधकार को चीर करके प्रकाश लाएंगे। हम असत्य से सत्य की ओर चलेंगे। हम मृत्यु से अमृत्व की ओर चलेंगे। हमारे वेदों की एक-एक ऋचाओं में ज्ञान एवं विज्ञान भरा हुआ है जिस पर शोध एवंअनुसंधान की जरूरत है जिस-जिस रूप में जो कुछ ले सकता है वो सब कुछ देने के लिए मेरा वेद आज सक्षम है। मुझे खुशी है कि यह जो अभियान चल रहा है यह अभियान अब रुकने वाला नहीं हैनाडार जी ने मुझसे कहा था कि क्या इस अभियान को लेकर हम दुनिया में जा सकते हैं? मैंने कहा था बिल्कुल जा सकते हैं और जाना भी चाहिए। इसलिए जाना चाहिए क्योंकिदुनिया के लोगों को जरूरत है। जब किसी के सामने कोई चित्र रहता है दृश्य रहता है, तो उसके बारे में विश्लेषण करता है देखता है ऊर्जा पैदा होती है उसको मन मस्तिष्क में वह विचार करता है। आदमी के मन-मस्तिष्क में जो कुछ आ जाये बस वही तो आदमी है बाकी यहहाड़-मांस का ढांचा आदमी नहीं हो सकता यह शरीर तो केवल माध्यम है और जो सनातन एवं अजर-अमर है वह तो आत्मा है इसलिए हमारी गीता में भी कहा है कि यह शरीर आपका नहीं है, उसके लिए झूठ क्यों बोलना है और जो आपका है वो कभी मर नहीं सकता। वहअजर-अमर है।जो मनुष्य है वह मनुष्य भगवान की सबसे सुंदरतम कृति है। इस कृति को कैसे संजो के रख सकते हैं, कैसे बढ़ा सकते हैं? मुझे भरोसा है कि जो यह अभियान हमारा चल रहा है टोनी नाडारजी यह रुकना नहीं चाहिए। राजा लुईस जीयह रुकना नहीं चाहिए। हमारे प्रधानमंत्री जी ने भीइस बात की घोषणा कर दी है, मुझे खुशी है। भारत और कुरासाओ दोनों देशोंके बीच बहुतअभिन्न संबंध है।
हमारे प्रधानमंत्री जी तो कहते हैं कि‘वसुधैव कुटुम्बकम’ अर्थात् पूरा विश्व हीमेरा परिवार है। हम अपने इस परिवार के साथ सुख-दुख में एक साथ रहेंगे और हर कठिनाई का हम लोग सामना करेंगे, मुकाबला करेंगे और इसलिए मैं समझता हूं कि आज का जो यह अभियान हैयहदूसरे चरण का अभियान है जो पूरी तेजी से आगे दौड़ेगा। पूरे विश्व का कोई भी देश, कोई भीव्यक्ति नहीं छूटेगा जब वेद से उसका साक्षात्कार न हो तब उसका मन बदलेगा। मन बदलेगा तो सब कुछ बदल जाएगा। सब अच्छा होगा जब अच्छा मन रहता है तो सब चीजें अच्छी आती हैं।आज मैं भारत की धरती से दुनिया के जितने भी लोग हमसे जुड़े हैं,उनसबका अभिवादन कर रहा हूं अभिनंदन करता हूं।
भारत तो वसुधैव कुटुम्बकम की गाथा वाला देश हैइसलिए हमारे वेद, पुराण एवं उपनिषद् पूरे विश्व के लिए एक संजीवनी का काम करेंगे। मैं एक बार फिर आप सबका अभिवादन करता हूं कि आपइस अभियान का हिस्सा बन रहे हैं,आप जहां-जहां जो जो भी हैं वे सभी वेदों के संदेश को लेकर के उस अभियान में आगे निकल जाएं। यह केवल बेवीनार तक न रह जाए बल्कि हर व्यक्ति एक संस्था बन करके वेद की उन ऋचाओं को लेकर के विश्व में निकल पड़े किअबविश्व को शांति की जरूरत है। सुख, शांति और प्रगति इस वेद के अंदर समाई हुई है। एक बार फिर आयोजकों को मैं अभिवादन करना चाहता हूं, धन्यवाद देना चाहता हूं और एक बार फिर चांसलर और चांसलर कुरासाओ यूनिवर्सिटी कार्लकमेलिया जी आपका अभिनंदन कर रहा हूं। मैं फिर धन्यवाद देना चाहता हूं जो आपने आज हिन्दुस्तान को यह जो सम्मान दिया है उसके लिए भी मैं आपका अभिनंदन करना चाहता हूं और प्रधानमंत्री जी आपको भी मैं धन्यवाद देना चाहता हूं।
बहुत-बहुतधन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- श्री नरेन्द्र मोदी, आदरणीय प्रधानमंत्री, भारत
- श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- डॉ. टोनी नाडार, अध्यक्ष, महर्षि अंर्तराष्ट्रीय विश्वविद्यालय
- श्री राकेश भटनागर, कुलपति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय,
- श्री यूजीन रघुनाथ, प्रधानमंत्री, कुरासाओ
- कुरासाओ की पूर्व-प्रधानमंत्री, विभिन्न विश्वविद्यालययों के कुलाधिपति, कुलपति एवं 15 से अधिक देशों के शिक्षाविद्।