गुजरात के आईपी फैसिलिएशन केन्द्र का उद्घाटन
दिनांक: 21 जनवरी, 2021
माननीय शिक्षामंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
गुजरात के यशस्वी शिक्षा मंत्री माननीय भूपेन्द्र सिंह जी, प्रमुख सचिव शर्मा जी, श्री एम. नागराजन जी, महंत जी, सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण, सभी प्राचार्य गण, सभी अधिकारीवर्ग और छात्र-छात्राओं! मैं यह समझता हूं कि यह क्षण हमारे लिए बहुत गौरव क्षण हैं। इस अवसर पर दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता और भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने युवा वैज्ञानिकों को इनोवेट, पेटेंट,प्रोड्यूस की बातें कहकर देश के विकास की गति के जो यह सूत्र दिये हैं, गुजरात का शिक्षा विभाग, राज्य स्तरीय आईपी सुरक्षा केन्द्र उनके कार्यान्वयन दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। हमारे देश के प्रधानमंत्री जीका यह विजन है और इसके लिए मैं शुभकामनाएं देना चाहता हूं कि जिस तरीके से आपने यह शुरू किया है। प्रधानमंत्री जी ने एक बार स्टार्ट अप इंडिया इंटरनेशनल समिट में भी कहा था कि जब कोई युवा स्टार्ट अप शुरू करता था तो लोग कहते थे कि कोई नौकरी पेशा क्यों नहीं करते, लेकिन अब लोग कहते हैं कि नौकरीपेशा तो ठीक है लेकिन अपना स्टार्ट अप क्यों नहीं शुरू करते, इसलिए बहुत बदल गया समय। आज से पहले जो पैकेज की दौड़ थी और उसके कारण हमारी प्रतिभा का पलायन हो जाता था लेकिन इस समय पैटेट की दौड़ जो आपने शुरू की है भूपेन्द्र जी आपकोगुजरात ही नहींदेश भी याद करेगा कि आपने बहुत अच्छी पहल एवं शुरूआत की है। मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की बात की है और जिस आत्मनिर्भर भारतकीबातकी है उस आत्मनिर्भर भारत का रास्ता स्टार्टअप से शुरू होता है। मुझे बहुत खुशी है कि आपने जिस तरीके से नौकरियों के सृजनकर्ता तैयार करने का जो यह अभियान शुरू किया है यह निश्चित रूप से न केवल गुजरात की प्रगति में एक आधारशिला बनेगा बल्कि देश के लिए भी प्ररेणा का स्रोत बनेगा। हम सभी जानते हैं कि हमारी बौद्धिक सम्पदा कभी कम नहीं रही। हिन्दुस्तान विश्वगुरू रहा है। इसके बारे में कहा गया है कि ‘एतद् देश प्रसूतस्य शकासाद् अग्रजन्मन:, स्वं-स्वं चरित्रं शिक्षरेन् पृथ्वियां सर्व मानव:’ अर्थात् ज्ञान, विज्ञान, नवाचार, अनुसंधान किसी भी क्षेत्र में हम भी पीछे नहीं रहे हैं हमारे देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था। यदि हम देखें कि चाहे शल्य चिकित्सा का जनक सुश्रुत हो, आयुर्वेद के जन्मदाता ऋषि चरक हों, नागार्जुन हो, बोधायान हो, आर्यभट्ट हो, अणु-परमाणु के विश्लेषणकर्ता के रूप में महर्षि कणाद हो, चाहे अर्थतंत्र की दिशा में हमारे कौटिल्य हो, कौन सा क्षेत्र ऐसा था जिस क्षेत्र में हम पीछे थे, वो सबकुछ आज भी हमारे पास है लेकिन देश की गुलामी के कारण हम थोड़ा सा पीछे रह गये परन्तु आज हम स्वाधीन हैं और स्वाधीन भारत में भी हमारे पास गुजरात की धरती पर पैदा हुआ भारत मां का सपूत श्री नरेन्द्र मोदी के रूप में ऐसा लीडर है, जिसने पूरी दुनिया में हमारा माथा ऊंचा किया है। इसलिए इस गुजरात की धरती से आज फिर यह अभियान आपने शुरू किया, मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं समझता हूं कि निश्चित रूप ls हमारे पास टेलेंट की कमी नहीं हैऔर हम इस टैलेंट को उत्कृष्ट कंटेंट के साथ जोड़ेंगे हमारी जो नई शिक्षा नीति आई है वो प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में, उनके मार्गदर्शन में बहुत बड़े नवाचार एवं दुनिया के सबसे बड़े परामर्शके साथ इस शिक्षा नीति को लाये हैं और दुनिया का शायद हीइतना बड़ा कोई रिफॉर्म होगा। इसीलिए आपने देखा जहां इस नई शिक्षा नीति 2020 को लेकर पूरे देश में उत्सव का माहौल तैयार है। वहीं कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने कहा कि यह जो नईशिक्षा नीति आई है यह दुनिया के पटल पर दुनिया को बदलने के लिए एवं सही दिशा देने के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी। अभीउनके विदेश मंत्री आए थे उन्होंने खुशी व्यक्त की। अभी नेहरू युवा केंद्र लंदन में बहुत बड़ा कार्यक्रम हुआ उसमें सबने नई शिक्षा नीति की बहुत तारीफ की। चाहेसंयुक्तअरबअमीरात हो, चाहे यूक्रेन हो या आस्ट्रेलिया हो, चाहे मॉरीशस हो सभी ने बहुत तारीफ की। अभी अमेरिका के तमाम विश्वविद्यालय इस बात को लेकर उत्सुक हैं कि हम भी भारत की शिक्षा नीति के साथ किसी तरीके से जुड़ करके इसको आगे बढ़ाना चाहते हैं। जो हमारा टैलेंट है हम उसका विस्तार भी करेंगे, उसका विकास भी करेंगे और उत्कृष्ट कोटि के जो कंटेंट हैं उसके साथ मिलकरकेपेटेंटको निकालेंगे। जब मैं अपने आईआईटी,आईसर,विश्वविद्यालयों और आईआईएम की समीक्षा करता हूं तो मुझे लगता कि चाहे क्यूएस रैंकिंग है, चाहे टाईम्स रैंकिंग है, किधर हम पीछे रह गए। हमारे यहां शिक्षा की कोई कमी नहीं है, हमारे पास प्रतिभा की कोई कमी नहीं है लेकिन जो यह शोध और अनुसंधान है इसकीजरूर कमी रही है। इसमें जो हमारा मानस है, उसको परिवेश नहीं मिला। अभी हमने ‘स्मार्ट इंडिया हैकाथन’ किया औरयही सबहमकरेंगे जो आपने तैयार किया। मुझे खुशी है कि आपने 200 करोड़ रुपये की एक निधि उनको दी है और आपका शुरू से लेकर हर एक मार्गदर्शन भी मिलेगा, उसको तकनीकी मदद भी मिलेगी और उसको परिवेश भी मिलेगा। हर दिशा में आपका जो मार्गदर्शन से लेकर केआर्थिक मदद तक का रास्ता है उससेक्या नहीं हो सकता है। यह आपका मॉडल बहुत अच्छा है और मुझे लगता है कि यह जो गुजरात है यह स्टार्ट अप राज्य के रूप में भी पूरे देश में पहचाना जाएगा।ऐसा मेरा भरोसा है क्योंकि जिस तरीके से आपने यह पहल की है और जो एक हजार आपका टारगेट है कि एक हजार स्टार्टअप तो हम बहुत जल्दी ही पेटेंट करेंगे। अभी यह आपने बताया है कि जहां चार-पांच साल पहले बहुत कम स्टार्टअप होते थे लेकिनइस समय कोरोना काल में भी 11 नेअपना रजिस्ट्रेशन किया है तो मुझे ऐसा लगता है कि जिस तरीके की गतिविधियां आपप्रयोगशालाओं में रात-दिन खप करके रहे थे और उस प्रयोगशाला में खपने का ही परिणाम था कि हमने अपने पीपीई किट तैयार किए जो बहुत सस्ते और बेहतरीनरिजल्ट देने वाले थेऔर चाहे कम समय में परिणाम देने वाले टेस्टिंग किट हों,चाहे मास्क हों, चाहे ड्रोन हों और चाहेसस्तेवेंटिलेटर हों, यह सभी चीजें देश के अंदर नहीं थी तथा बाहर से आती थी। आज हम इन सबकी कोरोनाकाल में दुनिया को सप्लाई कर रहे हैं। यह है हमारी ताकत, यह है हमारी शक्ति। जब हमारी क्षमताओं को विश्लेषण करके उनको आगे बढ़ाने काजब परिवेश मिलता है तो निश्चित रूप से यह आगे बढ़ता है और मैं उसके लिए आपको बहुत बधाई देना चाहता हूं कि आपने उसकोबहुत अच्छेतरीके से दर्ज किया है। मुझे लगता है जिस विजनऔर मिशन को लेकर के आपआगे बढ़रहे हैं और नवाचारतथाआईपी निर्माण को आप बढ़ावा आप दे रहे हैं, हमने भी एक इनोवेशन सेल बनाया है मंत्रालय में, सिर्फ इसी को आगे बढ़ाने के लिए। हमारे एआईसीटीई ने बहुत सारे कार्यक्रमों को किया है।हमारे छात्रों को उनका लाभ मिल सकता है और आपके साथ हम भी लगातार ‘कपिला’ जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से उसका मूल्यांकन कर रहे हैं और राष्ट्रीय नवाचार और स्टार्टअप नीति के साथ ही हमने राष्ट्रीय नवाचार प्रतियोगिता भी अभीशुरू की है तो मुझे लगता है कि उच्च शिक्षा संस्थानों में 2300 से भी अधिक संस्थानों ने अपनी नवाचार परिषद को गठित कर लिया और 12 हजार से भी अधिक संकाय और ऐसी संस्थानों ने छात्रों को प्रशिक्षित किया है। मुझे इस बात की खुशी है कि इन पहलों की अब लीडरशिप लेते हुए गुजरात ने जिस तरीके से राज्य स्तरीय बौद्धिक संपदा सुविधा केंद्र आज जो शुरू किया है, उसकीमैं बहुत खुशी से आपको बधाई देना चाहता हूं और मुझे भरोसा है कि गुजरात राज्य इससे और सशक्त और सबल होगा और देश के लिए एक अलग से उदाहरण के रूप में अभियान को प्रस्तुत करेगा।मैं यह समझता हूं कि यह जो इनोवेटर हैं और स्टार्ट अप्स हैंऔर सपोर्ट यदि इनको मिलेगा तो बहुत बड़ा काम निश्चित रूप से हो सकता है और यह सपोर्ट देने के लिए छात्रों को भी मैं कहना चाहता हूं कि यह आपके लिए स्वर्णिम अवसर है, जब आप इन सब का लाभ उठा सकते हैं। मैं अपने सभी विश्वविद्यालयों से और गुजरात में जो भी विश्वविद्यालय हैं तथा जो भी महाविद्यालय हैं एवं जो उच्च शिक्षण संस्थान हैंउनसे भी मैं अपील करूंगा कि हमारे यशस्वी शिक्षा मंत्री भूपेन्द्र जी ने जिस अभियान को माननीय प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से शुरू किया इसका वो पूरा का पूरा लाभ उठाएं। मुझे विश्वास है कि राज्य में आईपीसपोर्ट की क्रियाविधि भी होगी और इसको विश्वविद्यालय जैसे निकाय एक निश्चित समय के अंदर अंदर यह गठित करेंगे और उसकी गतिविधियों को चलाएंगे। मुझे भरोसा है कि यह प्रभावी कदम होगा और इससे विश्वविद्यालयों को मदद भी मिलेगी और आपका जो विजन है वह वहां तक पहुंचेगा। इस पहल के माध्यम से पांच वर्ष की अवधि में निष्पादन हेतु जो आपने छात्र नवाचार कोष बनाया है 200 करोड़ का, वह बहुत अच्छा है एवंवहअन्य राज्यों के लिए भी आगे प्रेरणा है और मैं आपके माध्यम से देश के अन्य शिक्षा मंत्रियों से भी अपील करूंगा कि वो इसको ज़रूर-जरूर करके अपने राज्य में भी आगे बढ़ाएं। मैं आज सोचता हूं कि जिस तरीके से स्टार्ट अप इको सिस्टम आपका है और जिसमें उष्मायन विनियामक को सहायता और जागरूकता के साथ साथ आउटरीच पहलों पर जो विशेष ध्यान आपने दिया है और आपने उद्योग और खनन विभाग के साथ 2014-15 में राज्य की जो स्टार्टअप नीति शुरू की है वो भी बहुत महत्वपूर्ण है। गुजरात के शिक्षा विभाग ने इसको सक्रिय तरीके से पारिस्थितिकी तंत्र की प्रतीक धाराओं के साथ समग्र समर्थन प्रणाली को विकसित करने के रूप में जो सक्रियता निभाई है, उससे निश्चित रूप में गुजरात ने देश में छात्र स्टार्टअप और इनोवेशन मूवमेंट का नेतृत्व करनेकी दिशा दी है और मेरा भरोसा है क्योंकि वैसे भी आप देखिए किहमारे यहां प्रतिभाओं की कमी नहीं है। अभी भूपेंद्र जी आपने जिस बात होता है, मैं आपकी बात से पूरी तरीके से सहमत हूं कि हां, हमारी प्रतिभाओं का पलायन हो जाता है और हम उनको अपना बेस नहीं दे पाते हैं। आज मैं देखता हूं तो मेरे देश के 8 लाख छात्र पूरी दुनिया में पढ़ रहे हैं, इन छात्रों की प्रतिभा के साथ ही लगभग 2 लाख करोड़ की राशि भी प्रतिवर्ष उस पर खर्च होती है, जो देश से जाता है। देश की प्रतिभा और पैसा दोनों देश के काम नहीं आते हैं, इन छात्रों की प्रतिभा के साथ ही वो जो हमारी प्रतिभा है वह दूसरे देश की प्रगति में अपना योगदान देती है और ऐसा नहीं है कि जो वहां पढ़ रहे हों तो वहां महान् शिक्षा मिलतीहै। लेकिन हमारी धरती से भी पढ़ने वालेतथा हमारी शिक्षा में कमी नहीं है। हमारीथोड़ी सीविजनमें कमी रही है। हमारे यहां भी शिक्षा की कमी नहीं है। यदि शिक्षा की कमी होती और अमेरिका की ही शिक्षाशीर्षस्थ होती तो आजजो चाहे गूगल है, चाहे माइक्रोसॉफ्ट है उनके सीईओ हमारे आईआईटी से पढ़ करके गए हैऔरपूरी दुनिया में जब मैंआईआईटी का विश्लेषण करता हूं,आईआईएम, एनआईटी, विश्वविद्यालयों का विश्लेषण करता हूं तो पूरी दुनिया में हमारी प्रतिभा छाई हुई है और वो उन देशों की प्रगति में अपना योगदान दे रही है। अब वक्त आ गया हैऔर इसीलिए हम नई शिक्षा नीति को लेकर आएं है। हम जहां कक्षा छह से ही वोकेशनल शिक्षा लायेहैं और वो भी इंटर्नशिप के साथ लाये हैं एवं मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा हम देंगे। वहीं कक्षा छह से जो वोकेशनल एजुकेशन देंगे जो इंटर्नशिप के साथ देंगे उससे छठी, सातवीं, आठवीं, नौवीं, दसवीं एवं बारहवीं तक निकलने के बाद हमारा छात्र एक ऐसा योद्धाआपको मिल जाएगा जो अपने हाथों से उसको आगे बढ़ाएगा। दुनिया का हम पहला देश हैं जो स्कूली शिक्षा से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पढ़ायेंगे। स्कूली शिक्षा से ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता को पढ़ाने वाला हमारा पहला देश होगा और इसलिए नई शिक्षा नीति में आमूल चूल परिवर्तन आया है। अभी आपने शोध और अनुसंधान के बारे में आज चर्चा की। इसी में कमी थी और यह पेटेंट में कमी थी। जिस दिन शोध, अनुसंधानों और पेटेंट की दिशा की होड़ लग जाएगी उस दिन भारत फिर विश्वगुरु एवं ज्ञान की महाशक्ति बनेगा वहां अर्थ की भी महाशक्ति के रूप में बहुत तेजी से आगे बढ़ सकेगा। देश के प्रधानमंत्री जी ने 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की बात की है जो सुंदर भारत होगा, सशक्त भारत होगा,समृद्ध भारत होगा,आत्म निर्भर भारत होगा, श्रेष्ठ भारत होगा और एक भारत होगा।इसीलिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशनजो प्रधानमंत्री जी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में होगा, उससे पूरे देश के अंदर शोध और अनुसंधान की प्रक्रिया को बहुत तेजी से आगे बढ़ने में मदद मिलेगीऔर तकनीकी के क्षेत्र में भी अंतिम छोर तक हम जाएंगे। हम‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ का गठन करेंगे जो अंतिम छोर के व्यक्ति तक को तकनीकी की दृष्टि से समृद्ध बनाएगा। देश के प्रधानमंत्री जी ने वोकल फॉर लोकलकहा है और उस लोकलको विकसित करके, उसके कौशल का विकास करके ग्लोबल तक उसको पहुंचाएगा। इसीलिए हमारी शिक्षा नीति में शोध और अनुसंधान को अधिक तवज्जो दिया गया है। जब हमारे एआईसीटीईने कोरोना काल में युक्ति पोर्टल बनाया और यदि आप उसकाविजिट करेंगे तो आपको खुशी होगी कि ऐसे कोरोना का काल में भी हमारे छात्रों ने जिस तरीके से और हमारे अध्यापकों ने जिस तरीके शोध और अनुसंधान किया वो पूरी दुनिया में उदाहरण है। पूरी दुनिया में ऐसा दूसरा उदाहरण नहीं मिलता और फिर ‘युक्ति-2’पोर्टल को जिसमें एआईसीटीई ने पहल की किहजारों लाखों छात्रों केउनके अपनेआइडियाज हैं वो दुनिया का सबसे बड़े प्लेटफॉर्म बन रहा है, जहां से किसान आईडियाको ले सकता है, उद्योगपति आईडियाको ले सकता है और जिस तरीके से उच्च शिक्षा में भी उद्योग और तकनीकी दोनों को जोड़ने के लिए आईआईटी को भी हमने कहा, इंजीनियरिंग कॉलेजों को भी हमने कहा कि आप उद्योगों के साथ पाठ्यक्रमों को जोड़ करके पाठ्यक्रम सुनिश्चित कीजिए।अभी तक क्या थाकिउद्योगों को जो जरूरत थी वो हमारे पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं था और जो पाठ्यक्रम का हिस्सा है वो उनको जरूरत नहींथी तो वो फिर विदेशों में भागता था जहां उसे अपने अनुरूप मिलता था। अब 50 प्रतिशत तक अपनी प्रतिभा का उपयोग इन्हीं उद्योगों के अंदर तथा इन्हीं गांवों के अंदर कर सकेगाजहां वो वोकेशनल ट्रेनिंग स्थानीय उत्पादों के साथ करेगा और जब वह स्कूली शिक्षा से ऊपर जाएगा तो निश्चित रूप में वो एक नयी प्रगति की जो दिशा है उसमें सार्थक हाथ बढ़ाएगा और मुझे भरोसा है तथामुझे खुशी है कि इस बड़े अभियान में मेरा गुजरातलीडरशिप ले रहा है और ‘स्पार्क’ के तहत हम पूरी दुनिया के 129शीर्षविश्वविद्यालयों के साथ शोध औरअनुसंधान कर रहे हैं। चाहे इम्प्रिंट हो, इम्प्रेस हो, स्ट्राइड हो हम शोध और अनुसंधान की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं और इसलिए मैं आपको बहुत बधाई और शुभकामनाएं देने के लिए आपके बीच आया हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि जो आपने शुरू किया है इस प्रक्रिया से हम परफॉर्म भी करेंगे, हम रिफॉर्म भी करेंगे और हम ट्रांसफॉर्म भी करेंगे और पूरे विश्व को हम पेटेंट भी देंगे तथा पूरे विश्व को हम कंटेंट भी देंगे और हम अपने टैलेंट पर अपने देश को विश्व का गुरु भी बनाएंगे। विश्व में ज्ञान की और अर्थ की दोनों महाशक्ति के रूप में मेरा देश उभर सकेगा और इसलिए मैं गुजरात को इस काम के लिए कि आज गुजरात का जो शिक्षा विभाग है और विभावरी जी ने कहा है कि उनकी पूरी टीम बहुत अच्छी है और जब लीडरशिप अच्छी होती है तो स्वाभाविक रूप से टीम भी बहुत अच्छी होती है और लीडर मानेहमारे आदरणीय शिक्षा मंत्री जी हैं और प्रमुख सचिव है। यह जितने ताकत के साथ आगे बढ़ेंगे, नीचे की गतिशीलता उतनी ही ताकत के साथ बढ़ती है और इसीलिए जब ऊपर से ही देश के प्रधानमंत्रीजी की ऊर्जा जब हमको मिलती है तो नीचे तक जाती और आजपूरा देश एक नई करवट लेरहा है,और मैंपीछे के समयदेश के सभी शिक्षा मंत्रियों के साथ लगातार संवाद करता हूं और उसमें भूपेंद्र जी की जो प्रगति देखने को मिलती है इसके लिए मैं आपकोबधाई देना चाहता हूं। नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में आप पहल करके गुजरात को नई शिक्षा नीति को धरातल पर लागू करने वाला पहला राज्य बनना चाहिए जो इसके क्रियान्वयन की दिशा में पहले लीडरशिप ले रहा है। उसके लिए भी आपको बहुत सारी शुभकामना और विभावरीजी मैं तो आपके क्षेत्र में पूरा घूमा हूं। जब मैं सौराष्ट्र का प्रभारी था तब मैंने आपकीगतिशीलता को देखा। भूपेंद्र जी को एक अच्छे सहयोगी के रूप में आप मिली हैं आपको भी मैं शुभकामनाएंदेना चाहता हूं। एक बार पुन: इस पूरी टीम को बहुत बधाई कि आज जो कार्य शुरू हो रहे हैं और आज आपने एक ऐसा सूत्र और मंत्र देने की कोशिश की जिससेमेरे युवाओं को जिससे मेरे राज्य का गौरवबढ़ेगाइसलिए आज शिक्षा विभाग के सम्पूर्ण आधिकारीवर्ग को, कुलपति गण को, संकाय गण को और अध्यापकगण को सभीछात्र-छात्राओं को और समस्त अभिभावकों को इस अवसर पर जबकि गुजरात सरकार के शिक्षा विभाग के द्वारा राज्य आईपी सुविधा केन्द्र ऑनलाइन जिसका शुभारंभ हो रहा है,मैंएक बार फिर आपको बहुत बधाई देता हूं, मेरी शुभकामनाएं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- श्री भूपेन्द्र सिंह, माननीय शिक्षा मंत्री, गुजरात सरकार
- विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण।