Author: nishankji-user
आसियान-इंडिया हैकाथॉन का समापन समारोह
आसियान-इंडिया हैकाथॉन का समापन समारोह
दिनांक: 04 फरवरी, 2021
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी की प्रेरणा से आज के इस ऐतिहासिक आसियान-इंडिया हैकाथॉन में उपस्थित सभी अतिथियों का मैं स्वागत करता हूं। इस अवसर पर हमारे साथ जुड़े भारत के यशस्वी विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर जी,श्री हाजी सुलेमान जी, माननीय शिक्षा मंत्री, ब्रुनेई, माननीय डाक एवं दूरसंचार मंत्री, कम्बोडिया,डॉ. नोरेनी अहमद माननीय उच्च शिक्षा मंत्री, मलेशिया, श्री लारेंस वोंग माननीय शिक्षा मंत्री, सिंगापुर, डॉ. नताफोल तेप्पसुवान माननीय शिक्षा मंत्री, थाईलैंड,डॉ. कोंगसी सेंग्मनी माननीय उप-शिक्षा मंत्री, लाओस, मेरे साथ जुड़े एआईसीटीई के चैयरमेन प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे, हमारे साथ जुड़ी सचिव, विदेश मंत्रालय सुश्री रीवा गांगुली दास, शिक्षा मंत्रालय के अपर सचिव श्री राकेश रंजन जी, मुख्य नवाचार अधिकारी, शिक्षा मंत्रालय, डॉ. अभय जैरे, विदेश मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और आसियान देशों के सभी अधिकारी, छात्र-छात्राएं। मैं आज इस बहुत ही महत्वपूर्ण कार्यक्रम में आप सबका स्वागत कर रहा हूं। पिछले तीन दिनों से सभी 54 टीमों ने कई समस्याओं पर बहुत ही मेहनत की है।
मुझे ज्युरी और मेंटर्स ने जो अवगत कराया है कि वो इस हैकाथॉनके दौरान प्रतिभागियों द्वारा किये गये काम की गुणवत्ता एवं प्रखरता से काफी खुश हैं। आज की इस वैश्विक माहमारी के दौर में चुनौती के साथ-साथ मानव जाति के लिए नए अवसरों को भी प्रस्तुत किया है। ऐसे समय में आप सबका आसियान इंडिया हैकाथॉनके लिए एक साथ उपस्थिति होने पर मैं अभिनंदन करता हूं और मुझे बहुत खुशी हो रही है। हालांकि इस हैकाथॉन की 11 विजेता टीम है परंतु मेरा मानना है कि आप सभी 11 देशों के छात्र-छात्राओं ने जिन्होंने इसमें भागीदारी की है, आप सभी विजेता हैं। मैं आप सभी को आपकी सक्रिय सहभागिता के लिए बहुत बधाई देना चाहता हूं।
मैं इस अवसर पर नील आर्मस्ट्रांग के उन शब्दों का उल्लेख करना चाहता हूं जो उन्होंने चांद पर पहला कदम रखते हुए कहे थे कि यह मनुष्य के लिए एक छोटा सा कदम है परंतु मानव जाति के लिए बड़ी छलांग है। उसी तरह यह हैकाथॉनचाहे एक छोटी-सी शुरूआत है लेकिन मुझे भरोसा है कि भविष्य में आसियान क्षेत्र के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। आप जानते हैं कि विज्ञान ही नवाचार और प्रौद्योगिकी को सक्षम बनाता है, उसी प्रकार आसियान इंडिया हैकाथॉनको भी विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार योजना के दृष्टिकोण के साथ रेखांकित भी किया गया है। भारत सभी क्षेत्रों में काम करते हुए आसियान देशों को सहयोग प्रदान करने के लिए सक्षम है। सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत स्थापित हमारे पहले दुनिया के बेहतरीन आईआईटी हैं तथा स्थापित उद्योगों का भी सहयोग है,जिनका उपयोगआसियान क्षेत्र के विकास के लिए किया जा सकता है।
हम ‘ज्ञान’ योजना के माध्यम से भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ अपने जुड़ाव को प्रोत्साहित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिकों, उद्यमों और प्रतिभाओं के उपयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। इस ध्येय को हमने ‘ज्ञान’ के आवंटन में भी बजट के उद्देश्य से 1.6 मिलियन अमेरिकन डॉलर से दोगुना किया है। साथ ही, अनुसंधान पारिस्थितिकी, प्रधानमंत्री अध्येतावृत्ति, स्पार्क, स्ट्राइड, इम्प्रिंट, इम्प्रैस सहित अन्य शोध योजनाओं को भी हम बढ़ावा दे रहे हैं। एंटरप्राइजेस स्पोर्ट आत्मनिर्भर भारत में रोजगार सृजन करते हुए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों के आकार में वृद्धि हेतु सबलता से काम किया जा रहा है। 6.3 मिलियन लघु उद्योग हैं। आसियान देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ाने के लिए भारत के संसाधनों का बहुत अच्छी तरीके से उपयोग कर सकते हैं। जनजागरण का विकास, आसियान और भारतीय समुदाय में नवाचार, पैटेंट के बारे में जागरूकता विकसित करने की आवश्यकता है, हम छात्रों में व्यावहारिक जागरूकता विकसित करने के लिए इंटर्नशिप के माध्यम और प्रावधान को भी ध्यान में रख रहे हैं इंटर्नशिप को बढ़ावा देने के लिए यह एक अच्छा विचार है कि हम आसियान देशों और भारतीय छात्रों के बीच शिक्षा क्षेत्र में गतिशीलता के लिए एक पारस्परिक कार्यक्रम शुरू करें। हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी के कुशल नेतृत्व में शिक्षा तंत्र व्यापक सुधारों और परिवर्तनों का साक्षी बन रहा है।
चार वर्ष पहले हमने भारत में हैकाथान के माध्यम से समस्याओं को हल करने की शुरूआत की थी। यह सब हमारे ‘स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन’ पहल के साथ शुरू हुआ और अब कई राज्य, शहरों यहां तक की छोटे-छोटे शहरों में भी भारत में नवोन्मेषी विचार प्राप्त करने और समस्याओं को हल करने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए हैकाथॉन का आयोजन किया जा रहा है। चाहे स्मार्ट इंडियाहैकाथॉनहो, सिंगापुर इंडियाहैकाथॉनहो, कोविड ड्रग डिस्कवरी हैकाथॉनहो, टॉय हैकाथॉनहो, इन सभी के माध्यम से अनुसंधान और विकास तंत्र को हम लगातार मजबूत कर रहे हैं। चाहे आसियान देशों के 1000 पीएच.डी फैलोशिप का प्रावधान हो, चाहे अब आसियान-इंडिया हैकाथॉन यह सभी प्रयास भारत द्वारा की गई प्रगति को दर्शातें हैं। हाल ही में घोषित वार्षिक बजट में हमने आसियान देशों के छात्रों को पीएच.डी करने हेतु बजट आवंटन को दोगुने से भी अधिक 1.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर कर दिया है जो हमारी प्रगति का द्योतक है।
मैं इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और उनके मार्गदर्शन और समर्थन के लिए धन्यवाद देनाचाहता हूं जिनके कारण आसियान देशों के साथ शिक्षा मंत्रालय शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए सक्षम हो रहा है। हम 34 वर्षों के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी लेकर आये हैं और मुझे यकीन है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आने से यह संबंध ओर भी मजबूत होंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की जो घोषणा हुई थी उसके लिए इस बजट में 6.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर की स्वीकृति हुई है, इसके लिए भी हम अपने प्रधानमंत्री जी का आभार प्रकट करते हैं। मेरे आसियान देशों के प्रतिभागी छात्र और छात्राओं, इस हैकाथॉनके दौरान मैंने आप सभी के भीतर असीम क्षमताओं का का अनुभव किया है। मुझे पता है इस हैकाथॉन के द्वारा जो समस्याएं आपके सामने रखी गईं थीं वो मुख्यत: ब्लु इकॉनामी एवं शिक्षा से संबंधित थी। हमारे प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि ब्लु इकॉनामी भारत के विकास के लिए बहुत अहम है। हम अपने भारत-प्रशांत क्षेत्र की ब्लु इकॉनामी को एक साथ मजबूत करने के लिए कटिबद्ध हैं।
मुझे लगता है कि इस हैकाथॉन में सबसे दिलचस्प जो समस्या है वो समुद्री अपशिष्ट का मापन और समुद्र के किनारे जमे कूड़े को कम करना है यह समुद्री अपशिष्ट भारत के लिए ही नहीं बल्कि आसियान देशों के लिए बहुत बड़ा मुद्दा है। हमें एक साथ यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हम अपनी झीलों, नदियों, समुद्र और महासागरों को स्वच्छ रखें। यह मुद्दा मेरे दिल के बहुत करीब है 2009 में जब मैं उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री था, तब मैंने एशिया का वाटर टॉवर कहे जाने वाले हिमालय में पवित्र गंगा एवं उसकी सहायक नदियों के संरक्षण, सफाई और संवर्धन के लिए बहुत बड़े पैमाने पर स्पर्श गंगा अभियान शुरू किया था और आज वो सफल हो रहा है और मुझे इस बात की खुशी है। तटीय सुरक्षा के समाधान पर टीमों ने नवीनतम तंत्र विकसित किया है, जिसमें आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस, उपग्रह चित्रों, शिपिंग मंत्रालय द्वारा प्रदान किये गये विशाल डेटा पर मशीन लर्निंग जैसे नवीनतम तंत्रों का उपयोग किया गया है, इन तकनीकों से तटीय सुरक्षा को और बढ़ाया जा सकता है तथा यह हमारी तटीय सीमाओं को समुद्री लड़ाकों और आतंकवादी हमलों से बचाने में भी मदद कर सकते हैं। मुझे आशा है कि इस समाधान को हमारे शिपिंग मंत्रालय द्वारा आगे बढ़ाया जाएगा।
मैं इस अवसर पर समाधान की उपयुक्तता को देखने और इन युवाओं के साथ प्रस्तावित समाधान को और बेहतर बनाने का अनुरोध करता हूं ताकि ठोस और सार्थक परिणाम निकल सके। मुझे आशा है और बहुत खुशी भी है कि आप इस समस्या के अभिनव समाधान की दिशा में बहुत बढ़-चढ़कर काम कर रहे हैं। हमने भारत में अपने प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर स्वच्छ भारत अभियान आरंभ किया। इस आन्दोलन में हमने अपने नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित की।
लोग विभिन्न सामाजिक और डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग करके कूड़े को कम करने हेतु बहुत बड़े पैमाने पर इस अभियान में सम्मिलित रहे। आसियान-इंडिया हैकाथॉन टीमों ने जो समाधान यहां प्रस्तुत किये हैं वह विभिन्न मिशनों के संदर्भ में बहुत ही प्रासंगिक हो सकते हैं। इस हैकाथन ने निश्चित रूप में भारत और आसियान देशों के युवाओं के बीच आपसी सहयोग, नेतृत्व एवं कार्य के आदान-प्रदान के लिए सुविधा उपलब्ध कराई है। आसियान समूह भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यावसायिक साझेदार है जिसमें लगभग 86.9 मिलियन डॉलर का व्यापार होता है।
मुझे उम्मीद है कि इस हैकाथॉन की वजह से हम जल्द ही 100 मिलियन डॉलर के व्यापार से भी अधिक आगे बढ़ेंगे। मुझे इस बात की भी खुशी है कि यह हैकाथॉन सांस्कृतिक मूल्यों के एकीकरण के साथ इन देशों के बीच सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस हैकाथॉन के माध्यम से आप सभी ने शांति और सद्भाव के साथ समस्याओं के समाधान को भी निकालना सीखा है। इन सब उद्देश्यों के साथ इस हैकाथॉन का प्रमुख उद्देश्य हमारे राष्ट्रों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु रोजगार सृजन करते हुए सतत विकास के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना भी है। आज भारत-आसियान के देश अन्य देशों के लिए ऊर्जा, तालमेल, अंतर्राष्ट्रीय सौहार्द और सहयोग का आदर्श उदाहरण बन सकते हैं।
यदि भारत और आसियान देशों के प्राकृतिक संसाधनों और मानव संसाधनों का समुचित उपयोग किया जाये तो मेरा मानना है कि मानवता एवं पूरी दुनिया के कल्याण के लिए एक नया आयाम खुल सकता है। एक बड़े जनसांख्यिकीय लाभांश के साथ विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने के नाते मुझे यकीन है कि भारत का उदय समावेशी होगा और अन्य देशों को भी उसका लाभ मिलेगा। इसलिए मैं एक बार व्यक्तिगत रूप से भी आप सभी को अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए बधाई देना चाहताहूं। मैं सभी से अनुरोध करना चाहता हूं कि इन सभी विचारों को स्टार्ट अप उद्यम में परिवर्तित करने की संभावना का पता लगाएं ताकि इन विचारों को तार्किक रूप से आगे बढ़ाया जा सके। मुझे यह भी निवेदन करना है कि यह आसियान इंडिया हैकाथॉन अब हर वर्ष आयोजित किया जाये।
मुझे उम्मीद है कि अगले वर्षफिर हम नये अवसरों एवं संभावनाओं के साथ आगे आएंगे। मैं सभी आसियान देशों के लोग जो हमसे जुड़ेहैं उन सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- डॉ. एस. जयशंकर, माननीय विदेश मंत्री, भारत सरकार
- हाजी सुलेमान, माननीय शिक्षा मंत्री, ब्रुनेई
- डॉ. नोरोनी अहमद, माननीय उच्च शिक्षा मंत्री, मेलिशया,
- श्री लारेंस वोंग, माननीय शिक्षा मंत्री, सिंगापुर,
- डॉ. नताफेल तेप्पसुवान, माननीय शिक्षा मंत्री, थाईलैंड,
- डॉ. कोंगसी सेंग्मनी, माननीय उप शिक्षा मंत्री, लाओस,
- सुश्री रीवा गांगुली दास, सचिव, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार
- प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे, अध्यक्ष, एआईसीटीई
- डॉ. राकेश रंजन, अपर सचिव, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
- डॉ. अभय जैरे, मुख्य नवाचार अधिकारी, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
Yugwani
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01 फरवरी, 2021 – आसियान-इंडिया हैकाथॉन का शुभारम्भ
आसियान-इंडिया हैकाथॉन का शुभारम्भ
दिनांक: 01 फरवरी, 2021
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
आज इस कार्यक्रम में हमारे साथ जुड़े म्यांमार के शिक्षा मंत्री, माननीय सचिव शिक्षा, युवा एवं खेल मंत्रालय, कंबोडिया, माननीय प्रधानमंत्री कंबोडिया, प्रो.अब्दुल अजीज रहमान, पीवीसी, मलेशिया विश्वविद्यालय मलेशिया,भारत के विदेश मंत्रालय से जुड़ी हमारी विदेश सचिव सुश्री रीवा गांगुली दास जी, प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे, अध्यक्ष एआईसीटीई, डॉ. राकेश रंजन अपर सचिव, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार, डॉ. अभय जैरे, मुख्य नवाचार अधिकारी, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार और दुनिया के विभिन्न देशों से जुड़े मेरे भाइयो और बहनों! मैं समझता हूं कि यह कोविड काल में दुनिया का अपने आप में एक महत्वपूर्ण अवसर है जब बहुत सारे देश बहुत सारी महत्वपूर्ण चीजों पर हैकाथॉन कर रहे हैं। एक दृष्टिकोण एक पहचान के आदर्श का प्रतिनिधित्व करते आसियान देशों के छात्र, फैकल्टी, सदस्य और अधिकारियों के बीच उपस्थित होकर मैं हर्ष का अनुभव कर रहा हूं।
भारत आसियान देशों के संबंधों की नींव साझा मान्यताओं और सांस्कृतिक मूल्यों की आधारशिला पर खड़ी है। भारत से पनपे बौद्ध धर्म को दक्षिण एशियाई देशों ने आत्मसात किया। इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम व अन्य आसियान देशों को इसी संस्कृति एवं सभ्यताका अभिन्न अंग माना जाता रहा है। निश्चित तौर पर यह आयोजन सभ्यता और संस्कृति की परस्पर संबद्ध आधारभूत जड़ों को दर्शायगा एवं 21वीं सदी को और मजबूती प्रदान करेगा। मेरा मानना है कि बदलती सभ्यता और विश्व में भारत की भूमिका अलग मान्यता रखती है। भारत इस क्षेत्र में सबसे बड़ा जनसांख्यिकीय देश होने के नाते आसियान देशों के साथ मिल करके इस अभियान को आगे बढ़ायेगा। यह भारत के लुक ईस्ट पॉलिसी का मूल भी है। जो हमारी लुक ईस्ट पॉलिसी सुनिश्चित है और भारत, म्यांमार जैसे देशों को कोविड-19 टीके के निर्यात के साथ ही कोविड-19 के दौरान भी अपने सहयोगी राष्ट्रों को समर्थन करने में मजबूती प्रदान करता है।
मुझे इस बात की खुशी है कि हम उस बिन्दु पर पहुंच गये हैं जहां भारत आसियान देश आपसी संबंध, सामरिक, आर्थिक और बहुलताबादी, दुनिया के ढांचे तथा शैक्षणिक विकास की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहा है। प्रशांत क्षेत्र के बारे में भारत का दृष्टिकोण संग्रीला संवाद के दौरान हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया था।इस क्षेत्र के सभी देशों को महत्वपूर्ण व उसके हितों की पहचान होनी चाहिए।
हमें विज्ञान प्रौद्योगिकी और शैक्षणिक सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। अभीजैसे कि हमारी विदेश सचिव रीवा गांगुली जी ने बताया कि प्रधानमंत्री जी ने 2019 में सिंगापुर इंडिया हैकाथॉन पुरस्कार वितरण समारोह में यह इच्छा व्यक्त की थी कि आपदा में आसियान देशों के साथ ही हैकाथॉन किया जाना चाहिए और आज उसी की परिणति है कि हम हैकाथॉनकर रहे हैं। भारत का विदेश मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय प्रधानमंत्री जी के इस विजन पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत और आसियान के सदस्य देशों के बीच शैक्षणिक अनुसंधान, आर्थिक एवं सांस्कृतिक तथा वाणिज्यिक और हमारे अन्य सभी संबद्ध मजबूत करेंगे। कई भारतीय विश्वविद्यालय जैसे आईआईटी दिल्ली और केन्द्रीय विश्वविद्यालय तेजपुर में आसियान देशों के छात्रों को मेजबानी मिली है। भारत सरकार ने आसियाननागरिकों के लिए विशेष रूप से एक हजारआसियान पीएचडी फैलोशिप शुरू की है। जो आसियान देशों के एक हजार छात्र आज हमारे आईआईटीज में शोध के लिए कार्यरत हैभारत बहुत तेजी के साथ सुधारों और ढांचागत बदलाव के दौर से गुजर रहा है।
इन सुधारों की श्रृंखला में हमने 34 वर्ष के बाद नई शिक्षा नीति 2020 को लागू किया है। इस नीति से न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया के लिए विकल्प और अवसरों का पर्याप्त अवसर मिलेंगे।राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिश के अनुसार हम नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बनाकर अनुसंधान पारिस्थितिकीतंत्र को मजबूत करेंगे तथा तकनीकी की दिशा में नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम का गठन करेंगे। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत ने 48वीं रैंक हासिल करके ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में अपनी रैंक में पर्याप्त सुधार किया है। मुझे विश्वास है कि नई शिक्षा नीति 2020 आने के बाद विश्वभारत को शिखरपर देखेगा। क्रेडिट हस्तान्तरण को सुनिश्चित करने के लिए अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट हमने बनाया है तथा साथ-साथ मल्टिपल एंट्री और एग्जिट का इसमें प्रावधान होगा। हम अंतरराष्ट्रीयकरण को भी मजबूती देंगे और साथ ही हम दुनिया के शीर्ष सौ विश्वविद्यालयों को भारत में संचालित करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। इस प्रकार भारत में अध्ययन की भावना को बढ़ावा देने और भारत में रह कर के संपूर्ण विश्व को नेतृत्व करने का बल प्रदान होगा।
आज एक कदम आगे बढ़ाते हुए शिक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय द्वारा‘आसियान भारत हैकाथॉन’लॉन्च करने की मुझे खुशी है। मुझेविश्वास है कि भारत आसियानदेशों की ब्लु इकोनॉमी और शिक्षा दो व्यापक विषयों के तहत अपनी साझी समस्याओं को पहचानकरने, उनका समाधान निकालने का अभूतपूर्व अवसर प्रदान करेगा। इस प्रकार प्रौद्योगिकी आधारित स्टार्ट अप को तेजी से बढ़ावा मिलेगा।यहहैकाथॉनसभी आसियान देशों यथाइंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपीन्स, सिंगापुर, थाईलैंड,लोआस, म्यांमार, कंबोडिया और वियतनाम के लिए शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग के माध्यम से आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने में सफलता अर्जित करेगा।
मुझे यह भी भरोसा है कि यह हैकाथॉनन केवल प्रतिभागी छात्रों के बीच सीखने और सहयोग को बढ़ावा देगा बल्कि एक-दूसरे की वैचारिक ताकत से प्रेरित होकर, सांस्कृतिक मूल्यों को सर्वोत्तम प्राथमिकतादे करके परिचित कराने और एक दूसरे का साझा मंच स्थापित करने में सफलसाबित होगा। यह वास्तव में उस शिक्षा का प्रतिबिम्ब है जो बहुलतावादी सहअस्तित्व आधारित खुलेपन तथा संवादधर्मी सभ्यता को आगे बढ़ाएगा। लोकतंत्र के आदर्श जो हमें एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करते हैं वे आदर्श उस मार्ग कानिर्माण करते हैं जिस पर चलकर हम पूरी दुनिया और आसियान देशों के साथजुड़ते हैं। यहहैकाथॉनहमारी सभ्यता के छ: मूल गुणों, सभ्यता, संवाद, सहयोग,शांन्ति, समद्धि और नवाचार को अधिनियमित करता है।
मैं अपनी अनंत शुभकामनाओं के साथ इस हैकाथॉनका विधिवत उद्घाटन करने की घोषणा करता हूं जो सभी की एकता पर आधारित है और विविधता में एकता का उद्घोषक है।सत्य एक ही है, भले ही लोग इसे कई तरीके से पुकारते हैं। भारत हमेशा से विश्व कुटुम्ब की भावना से प्रेरित रहा है जो हमारे दर्शन ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ में परिलक्षित होता है। इस दर्शन का अभिवादन करते हुए भारत आसियान देश और पूरी दुनिया के प्रति अपनी सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए हमेशा पूरी तरह तैयार रहेगा और इन्हीं शुभकामनाओं के साथ मैं आप सबको बधाई देना चाहता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- माननीय शिक्षा मंत्री, म्यांमार,
- माननीय सचिव, शिक्षा, युवा एवं खेल मंत्रालय, कंबोडिया,
- माननीय प्रधानमंत्री, कंबोडिया,
- प्रो. अब्दुल अजीज रहमान, पीवीसी, मलेशिया विश्वविद्यालय, मलेशिया,
- सुश्री रीवा गांगुली दास, सचिव, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार
- प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे, अध्यक्ष, एआईसीटीई
- डॉ. राकेश रंजन, अपर सचिव, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
- डॉ. अभय जैरे, मुख्य नवाचार अधिकारी, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
सीबीएसई गल्फ सहोदय के वार्षिक प्राचार्य सम्मेलन का उद्घाटन
सीबीएसई गल्फ सहोदय के वार्षिक प्राचार्य सम्मेलन का उद्घाटन
दिनांक: 30 जनवरी, 2021
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
आज इस सम्मेलन में जुड़े सभी लोगों को मैं अभिनन्दन कर रहा हूं क्योंकि आज इन विषम परिस्थितियों में जबकि पूरी दुनिया कोरोना के महासंकट से होकर गुजर रही है और हमारा देश भी इससे अछूता नहीं है ऐसे वक्त पर आप बच्चों के प्रतिसह्रदय बनकर आप अपना 33वां वार्षिक प्रधानाचार्य सम्मेलन सीबीएसई खाड़ी परिषद् सहोदय मना रहा है। मैं दो दिन तक चलने वाली इस कार्यशाला के लिए आप सबका स्वागत कर रहा हूं। इस अवसर पर हमारे बीच जुड़े हैं सऊदी अरब में भारतीय राजदूत एवं सीबीएसई के अध्यक्ष श्री मनोज आहूजा जी, इस पूरी खाड़ी में सहोदय के यशस्वी अध्यक्ष श्री सुभाष नायक जी जिन्होंने अपना उद्बोधन दिया, सहोदय के संयोजक मो. मेराज खान, खाड़ी सहोदय के सभी पदाधिकारी, प्राचार्य, अध्यापकगण, अभिभावगण और इस 33वें वार्षिक प्रधानाचार्य सम्मेलन में उपस्थित भाइयो और बहनों। मैं इस अवसर पर जबकि आप सब लोग एकत्रित हो करकेअपनी शिक्षा के बारे में और साथ ही नई शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के लिए आप यहां एकत्रित हुए हैं। मुझे खुशी है कि आप दो दिनों तक शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए तथा उसकी उत्कृष्टता के लिए आपपरामर्श कर रहे हैं। सहोदयका अर्थ यही है कि हम सब साथ मिलकर केकैसे उठ सकते हैं तथा कैसे प्रगति कर सकते हैंएवंसबकी भावना को कैसे आपस में जोड़ सकते हैं औरएक-दूसरे के ज्ञान को अर्जितकरके अपनी योग्यता कैसे बढ़ा सकते हैं। जहां कम वहां हम वाली जो भावना है। उसी के तहत हम सब मिल करके तथा एक-दूसरे को मदद करके आगे बढ़ा सकते हैं और यहजो परिवार है जो संकुल है उससंकुल में आपस में हम ज्ञान को, विज्ञान को, आचार को, व्यवहार को तथा उस प्रतिस्पर्धा को एवं उस प्रखरता को इसपरिसर से आस-पास के जितने भीस्कूल हैं उनकी जो अवस्थापना है और उसमें विशेषज्ञता है उनको आपस में एक दूसरे को कैसे करके बांट सकते हैं। इसके पीछे यही भाव रहा है हमेशा ताकि सभी लोग बहुत अच्छे तरीके से इसको आपस में जोड़ सकें। मैं यह सोचता हूं कि यदि इस सुविचार को जिन्होंनेपहले यह विचार प्रकट किया होगा कि एक वर्ष के विषय में यदि कोई विचार करता है तो इसका अर्थ है किवोअनाज को बोता है। यदि10 वर्ष के लिए कोई विचार करता है तो वो फल बोता है और यदि पीढियों तक के लिए और सदियों तक के लिए आगे विचार करता है तो वो इंसान बोता है और आज हम इंसान को बोने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हमारी जो पीढ़ीहो वोकिस तरीके से हो, उसमें क्या संस्कार हों,उसमें क्या जीवन मूल्य हों तथा उसमें हर दृष्टि से क्या-क्या योग्यता हो सकती है। मुझे बहुत खुशी है कि बच्चों को उत्तम से उत्तम शिक्षा देने की दिशा में 1986 में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने विभिन्न विद्यालयों के मध्य विचारऔरतालमेल रखने कीदृष्टि से उत्कृष्टता के आधार पर इनसहोदय परिसरोंकी स्थापना की है और इसलंबे समय में लगातार सहोदय परिसर ने इस विचार को आगे बढ़ायाभी हैं। मैं बहुत बधाई देना चाहता हूं कि इस सहोदय परिषद की जिस भावना के साथ स्थापना हुई थीउसको आप उठा रहे हैं और उसको संकल्पित कर रहे हैं।सीबीएसई बोर्ड के चेयरमैन ने जैसे बताया कि लगभग 2400से भी अधिक स्कूल सीबीएसई बोर्ड के साथ जुड़े हैं और दुनिया के 26 देशों में हजारों छात्र आज शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और उसमें से 170 स्कूल अकेले इस खाड़ी में हैं। जिनको साथ लेकर के आप लोग चर्चा कर रहे हैं। मुझे खुशी है कि आपने सामाजिक कार्य से सामाजिक उत्कृष्टता प्रकट करने के लिए यह अद्वितीय माध्यम बन सकता है।हमेंसाथ उठना,साथ उन्नति करना, विचारों को और आगे बढ़ाना तथा उन विचारों को अपने जीवन में उतारना और उसपरिसर में शिक्षा के विकास की संपूर्ण स्वतंत्रता के रूप में हमारे अध्यापक अभिभावक और छात्र तीनों का पारस्परिक जो संबंध है उनको कैसे जोड़ करके रख सकते हैं। इस बारे में विचार करना चाहिए। यदि एक पावरफुल इंजन की गाड़ी है लेकिन उसके चारों पहियों में से एक भी पहियायदिकमजोर है और यदि उसका एक नट बोल्ट भीहट गया तो वो पावरफुल इंजन भी वहीं जाकरके बैठ जाता है इसका मतलब यह है कि सब एक साथ मिल करके आगे बढ़ते रहने की गतिशीलता ही हमें लक्ष्य तक पहुँचा सकती है और इसलिए यह जो सहोदय परिसरहै यहइस दिशा में निश्चित रूप से उत्तम परिणामों के लिए और आधार सामग्रीतथा सतर्कता विश्लेषण करने के लिए विचार-विमर्श करता है और पठन-पाठन की दृष्टि से कैसे संवेदनशीलता को कायम रखा जा सकता है यह भी बहुत ज़रूरी है। एक मनुष्य प्रखर बहुत है लेकिन संवेदनहीन है तो उसकी प्रखरता वहीं ख़त्म हो जाती है और उसकी प्रखरता कभी काम नहीं आती है। व्यक्ति में संवेदनशीलता ज़रूरी है।पूरे विश्व के मानव के लिए संवेदनशीलता केवलआभूषण ही नहीं है, उसका जीवन भी है और इसीलिए इस संवेदनशीलता को जिंदा रखना बहुत जरूरी है। मुझे यह भी अच्छा लगता है किआपसहोदयविद्यालय के सभी सदस्यगण 9वीं और 11वीं की परीक्षा को लेकर के विद्यार्थियों की शैक्षणिक योग्यता का आंकलन करते हैं और पीछे मैं शायद ओमान के साथ भी जुड़ा था और जब उन्होंने भी इस तरीके से भी कार्यक्रम किया था कि आगे हमारे जो इंटर पास करके जाने वाले बच्चे हैं, वेक्या-क्या कर सकते हैं, उनके बारे में विचार विमर्श करना और उनको आइडियाज देना और उनको मैदान दिखाना कि आप कहां दौड़ सकते हैं तथा क्या-क्या चीज लेकर दौड़ सकते हैं और आपके लिए क्या अच्छा हो सकता है। ऐसे वक्त पर जबकि विद्यार्थी कोअपने जीवन के रास्तों को चुनना होता हैकि किस रास्ते पर जाए। ऐसे वक्त पर उसके अनुरूप जिस क्षेत्र में वो दौड़ सकता है या दौड़ना चाहता है,उसकाआप आंकलन करते हैं और सह-संचालन के द्वारा क्षेत्रीय शिक्षा को भी आप बढ़ावा देते हैं। मुझे खुशी है कि आप अनुभवी और विशेषज्ञों के माध्यम से प्रासंगिक साहित्य और शिक्षण सामग्री का प्रचार-प्रसार करने के लिए बच्चों के साथ उनका पूरा विकास करने की दिशा में भी लगातार विचार करते हैं। आप सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, शैक्षणिक, कलात्मक रूपों से यह सब कर रहे हैं। हमारी नई शिक्षा नीति जो भारत की एनईपी 2020आई हैं उसमें बहुत कुछ समाहित है और गल्फसहोदय परिसर शिक्षा के क्षेत्र में जो नाम कर रहे हैं तथा खाड़ी देश में बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सहोदयतत्परहै। इसलिए मैं उनको बधाई देना चाहता हूं। खाड़ी सहोदयके जो विद्यालयहैं उनकाबोर्ड की परीक्षाओं मेंभी शत-प्रतिशत रिजल्ट मिलता है। मुझे इस बात की भी खुशी है और मैं आशा कर रहा हूं आगे भी आपविभिन्न माध्यमों से कार्य करते हुए शत-प्रतिशत परिणाम रखेंगे। जैसे कि आपने कहा कि नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए यहां पर दो दिन का सम्मेलन कर रहे हैं। इस एनईपी में हम लोगों ने टेन प्लस टू को हटा कर 5+3+3+4किया है और शुरूआती पांच वर्षों को भी 3+2 किया है। वैज्ञानिकों का यह मानना है कि तीन वर्ष से छह वर्ष तक के बच्चे के अंदर जो मस्तिष्क का विकास होता है वो 85प्रतिशतहोता है। इसलिए तीन वर्ष के बच्चे को आंगनबाड़ी के रूप में लेकर हम लोग उसको कैसे करके अपने साथ रख करके खेल-खेल के माध्यम से उसकेअंदर की प्रतिभा को उभार सकते हैं। मातृभाषा में कैसे करके वो अपनी बात को उठा सकता है और व्यक्त कर सकता है। उसकी अभिव्यक्ति को पूरा का पूरा मौका मिले। यहाँ से यह नीति शुरू होती है और मैं समझता हूँ कि प्री-प्राइमरी में भी जीवन मूल्यों की आधार शिला पर खड़े करने की यह शिक्षा नीति है क्योंकि हम मनुष्य को मशीन नहीं बनाएंगे। हम मनुष्य को महामानव तो बना सकते हैं। भगवान की सबसे सुंदर कृति है यह मनुष्य इसलिए हमें इसको और सुंदर बनाना है और इसीलिए व्यक्तिजीवन मूल्यों की आधारशिला पर खड़े हो करके आगे बढ़ सकता है। इसलिए हम उसके जीवन मूल्यों के साथ-साथ उसकी जो प्रतिभा है कि उसको उभार सकते हैं तथा आगे बढ़ा सकते हैं। अभी जैसे कि हमारे राजदूत डॉ. सईद जी ने कई विषयों को लिया और डॉ.मनोज आहूजा जी ने भीउन विषयों का विश्लेषण किया कि आखिर हिंदुस्तान की जो शिक्षा नीति है उसमें आमूलचूल परिवर्तन हुआ है। यह शायद दुनिया का सबसे बड़ा रिफॉर्म हुआ होगा जो बचपन से लेकर केउच्चशिक्षा तक और उत्कृष्टता की दृष्टि से शिक्षा में आमूल चूल परिवर्तन करता है। हम स्कूली शिक्षा में कक्षा 6सेही वोकेशनल ट्रेनिंग देना चाहते हैं।ताकि बच्चे के जो अंदर है वो उसको साथ में जोड़करके आगेबढ़ सके। बच्चा केवल अंक ज्ञान और अक्षर ज्ञान अथवा किताबी ज्ञान को ही नहीं बल्कि व्यावहारिक ज्ञान की दिशा में इंटर्नशिप के साथ आगे बढ़ सकेगा। उसके पास में कोई फैक्ट्रीहो सकती है जिसमेंक्षेत्रीय आधार पर उत्पादों से जोड़ सकते है। सांस्कृतिक गतिविधियां और शारीरिक गतिविधियाँ एवंशैक्षणिक गतिविधियों को किस तरीके से हम कर सकते हैं इसको दृष्टि में रखा गया है।हमस्कूली शिक्षा से ही आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को ला रहे हैं, जो अभी तक आईआईटी में पढ़ाते थे। अब हमारा स्कूली बच्चा हमारे सीबीएसई बोर्ड का बच्चा स्कूली शिक्षा से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में प्रखर तरीके से आगे आएगा और हमनेमूल्यांकन प्रकिया को भी उनका पूरा का पूरा बदल दिया। विद्यार्थी का अब रिपोर्ट कार्ड नहीं बनेगा बल्कि अबहम उसको प्रोग्रेस कार्ड देना चाहते हैं। उसका360डिग्री होलिस्टिक मूल्यांकन करना चाहते हैं। अब बच्चा अपना मूल्यांकन स्वयं भी करेगा और अभिभावक भी उसका मूल्यांकन करेगा तथा अध्यापक भी मूल्यांकन करेगा एवं इतना ही नहीं अब उसका साथी भी उसका मूल्यांकन करेगाऔर जब बच्चा स्वत:स्फूर्त अपना मूल्यांकन करेगा तो उसको लगेगा कि वो क्या है औरउसके अपने अंदर कमी क्या है। जिस दिन दुनिया में मानव को यह पता चल जाए कि उसके अंदर कमियां हैं और उसको ही कमीयों को दूर करना है तथा यह उसकी आवश्यकता है। आप अपनी कमियों को दूर करें उस दिन आपबहुत अच्छे इंसान बनेंगें। आप हर दिशा में, हर संकट का मुकाबला करके आगे बढ़तेरहेंगे।इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्थितिवशछोड़के जा रहा है तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष दोनों खराब हो जाते थे लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा।यदि आप परिस्थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहे हैं तो उसको सर्टिफिकेटदेंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें और तीन साल में छोड़कर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है।हम उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगेइसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं हैं।वह कहां जाना चाहता है,यदिशोध और अनुसंधान के क्षेत्र में जाना चाहता है तो वहांहमने ‘नेशनलरिसर्च फाउंडेशन’ की स्थापना की है,जो कि प्रधानमंत्री जी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में होगी जिससे शोध की संस्कृति तेजी से आगे बढ़ेगी।वहींहमतकनीकी के क्षेत्र में‘नेशनल एजूकेशन टैक्नोलॉजीफोरम’का भी गठन कर रहे हैंजिससेतकनीकी दृष्टि से भी देश समृद्ध हो सके। हम चाहते हैं कि बच्चे के टैलेंट को खोजेंगे भी बच्चे के टैलेंट को विकसित भी करेंगे और बच्चे के टैलेंट को विस्तार भी देंगे। इस टैलेंट के साथ हमउत्कृष्ट कोटि काकंटेंट भीजोड़ेगे। क्या कंटेंट होगा उसको गहन विचार विमर्श के बाद तैयार करेंगे और टैलेंट के साथ कंटेंट को जोड़ करके पेंटेंटतैयार करेंगे। एक ऐसा पेटेंट होगा जो उस बच्चे के मूल रूप मेंहोगा। बच्चा अपने को योद्धा के रूप में खड़ा होकर दुनिया के किसी भी मैदान में जा सकने में समर्थ होगा। यह एनईपी 2020 स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षातक आमूलचूल परिवर्तन लाएगी। पीछे के दिनों मैं कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से जुड़ा था तो उन्होंने कहा कि यह दुनिया का सबसे बड़ा रिफॉर्म हैं और हम चाहते हैं कि यह जो नीति है यह बहुत ऐतिहासिक है और यह हमें भी आगे बढ़ासकती है। अभी कुछ ही दिन पहले नेहरूं केंद्र लंदन से पूर्व शिक्षा मंत्री नेजुड़ने के बाद खुशी व्यक्त की थी उन्होंने मुझसे बहुत सारे सवाल किये और उनके मन में कई शंकाएं थी, जो उन्होंने पूछी और पूछ करके जब उनको उत्तर मिला तो उनका संदेश आया कि पूरी दुनिया में यह एक ऐतिहासिक एनईपी आई है जो बच्चों को एक नया रास्ता दिखा सकती है और मैं समझता हूं कि इस नीति के तहततकनीकी की दिशा में भी हम लोगों ने बहुत तेजी से कार्य किया है। अभी कुछ दिन पहले संयुक्त अरबअमीरात के शिक्षा मंत्री जी मुझसे जुड़े थेऔर वे बहुत खुश थे। उन्होंने कहा किहम इस एनईपी को कैसे करके जितना जल्दी हो सके हम इसको अपने देश में लागू करना चाहते हैं। जो बच्चा है जो बच्चा आपके पास हैवह कोरा कागज है उसमें हम क्या लिखनाचाहते हैं और कितना सुंदर लिखना चाहते हैं मुझे खुशी होती है कि तमाम देशों में दबाबहै और वे कहते हैं किसीबीएसई की स्कूल चाहिए दुनिया के देश लगातार हम पर दबाव दे रहे हैं,मैंने सीबीएसई के चेयरमैन को कहा आप कोशिश करो। सीबीएसई ने इस तरीके का पूरी दुनिया में एक अपना बहुत अच्छा आधार बनाया है तथा सीबीएसई बोर्ड के बच्चे पूरी दुनिया में छाए हुए हैं और सहोदयने इससीबीएसई की परंपरा को और तेजी से आगे बढ़ाया है। हमारी नई शिक्षा नीति नेशनल भी है, इंटरनेशनल भी है, इम्पैक्टफुल भी है,इन्क्लूसिव भी है, इनोवेटिव भी है, बहुआयामी भी है और यह इक्विटी, क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी है। हम इस नई शिक्षा नीति से रिफॉर्म भी करेंगे,परफॉर्म भी करेंगे और ट्रांसफॉर्म भी करेंगे। यह इसका आधार है और इसलिए यह बहुत खूबसूरत शिक्षा नीति है। मुझे भरोसा है कि आपइस दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं औरआप इस अभियान को आगे बढ़ायेंगे। वैसे भी आपको मालूम है कि हिन्दुस्तान ने इस एनईपी का जो आधार बनाया है वो ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ है। पूरा संसार हमारा परिवार है और इस पूरे संसार के लिए हम सुख की कामना करते हैं। हम बच्चे को यह सीखाना चाहते हैं कि जब तक धरती पर एक भी व्यक्ति दुखी रहेगा तब तक मैं सुख का अहसास नहीं कर सकता हूं। पहले मैं उस मनुष्य के दु:ख को दूर करूंगा और इसलिए हम उसे बच्चे को पूरी दुनिया के लिए तैयार कर रहे हैं। हम केवल एक देश के लिए तैयार नहीं कर रहे हैं बल्कि हम पूरी दुनिया के लिए उसको तैयार कर रहे हैं। हमने कहा कि ‘असतो मां सद्गमया’ कि हम असत्य से सत्य की ओर चलेंगे, ताकत के साथ चलेंगे।परिवार की भीवही व्यक्तिसुरक्षा कर सकता है जो अपने में समर्थ हो, तो यह सामर्थ्यशाली बनाने का काम मेरे शिक्षकों का है। मैं शिक्षकों को और प्रधानाचार्यों को कहना चाहता हूं कि नीतिबहुत अच्छी होती है लेकिन उसको अंतिम छोर तक पहुंचाने का काम लीडरशिपका होता है, वहआपके हाथ में है कि आप क्या चाहते हैं। मैंने देखा है किइस बीच भी जब दुनिया संकट से होकर गुजर रही थी तो बहुत सारे देशों ने अपने को एक साल पीछे कर दिया। हमारे सीबीएसई के बच्चों ने खड़े होकर हमको सुझाव दिया। हिंदुस्तान दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है यहांएक हजार से अधिक विश्वविद्यालय हैं, 50 हजार से भी अधिक डिग्री कॉलेज हैं, 15-16 लाख स्कूल हैं, 1 करोड़ 10 लाख केवल अध्यापक हैं और छात्र-छात्राओं की संख्या देखें तो अमेरिका की कुल जनसंख्या जितनी है उससे भी ज्यादा 33 करोड़ छात्र छात्राएं हैं। मैं अपने तैतीस करोड़ छात्र-छात्राओं से संवाद करता हूं। वो कहते हैं हम पढ़ना चाहते हैं औरहम इस संकट का मुकाबला करेंगे। हम स्वयं भी सुरक्षित रहेंगे और अपने परिवार को भी सुरक्षित रख करके अध्ययन करेंगे। यह ऐसा संकट आया कि अचानक पूरा देश ठहर गया, दुनिया ठहर गई और शिक्षा का तंत्र ढह गया। अभिभावक घरों में कैद हो गए तथा बच्चे भीघरों में कैद हो गये। ऐसी मुश्किल घड़ी में भी हिन्दुस्तान की शिक्षा व्यवस्था ने संकल्पशीलता का परिचय दिया और हमारे देश के प्रधानमंत्री श्रीनरेन्द्र मोदी अक्सर कहते हैं कि जब चुनौती बड़ी होती है और उसका डटकर मुकाबला होता है तोवह अवसरों में तब्दील हो जाती है और यह भी अवसर में तब्दील हुई। हम बच्चों को ऑनलाइन शिक्षापर लाए। हमने उन बच्चों पर पकड़े रखा तथा हमवोदेशहैजिन्होंने समय परपरीक्षा भीकरवाईऔर समय पर रिजल्ट आगया। हमने जेईई की भी परीक्षा करवाईऔर कोरोना काल की सबसे बड़ी परीक्षा नीट को करवाने में हम सफल रहे हैं और इसके पीछे हमारे अध्यापक और हमारे छात्र हमारी ताकत है और इसीलिए जिस दिन छात्र खड़ा हो जाएगा औरजिस दिन अध्यापक भी तैयार हो जाएगा तो तस्वीर बलद जाएगी। अध्यापक को भी हमने निष्ठा के माध्यम से जैसाअभी सीबीएसई बोर्ड ने कहा है कि दस लाख अध्यापकों को निष्ठा के तहतआनलाइन प्रशिक्षित देगाक्योंकि अध्यापक ताकतवर होना चाहिए और उस योद्धा को तैयार करना है और इसलिए अध्यापक में कोई कमी न रहे। अध्यापक के सीधे लगातार संपर्क तथा परामर्श और विमर्श के माध्यम से हम ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ का भी गठन कर रहे हैंजहांअंतिम छोर के व्यक्ति को तकनीकी की भी शिक्षा मिल सके। वह भी तकनीकी का उपयोग कर सके और इससे हम‘वोकल फोर लोकल’ पर जाएंगे। लोकल से ग्लोबल तक अर्थात् अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जाएंगे और यही हमारी शिक्षा का मसौदा है मुझे भरोसा है कि इस मसौदे केआधार पर मेरे शिक्षक ने जो लीडरशिप अपने हाथ में ली है, उसे और मजबूत करेंगे। खूबसूरत और नई दुनिया बनाने की ताकत रखने वालीनईशिक्षा नीति 2020 को हम सब क्रियान्वित करें। सीबीएसई बोर्ड इसका खूबसूरत उदाहरण हैं हमारे राजदूत जी कह रहे थे कि जो केंद्रीय विद्यालय हैं अब वो बहुतखूबसूरत हैं। हमारे यहांकेंद्रीय विद्यालयों में हमारे बच्चे सीबीएसई बोर्ड के तहत आते हैं लेकिन उनकी खूबसूरती बिल्कुल अलग ही है।अभी कुछ दिन पहले राष्ट्रपति भवन में हमने एक लैंग्वेज लैब का उद्घाटन किया। महामहिम राष्ट्रपति जी कीश्रीमती जो हिन्दुस्तान की पहली महिला हैं उन्होंने उसका जब लोकार्पण किया तो वे बहुत गदगद हो गई। उनकी आंखों में खुशी के आंसू छलक आए। बच्चे बोले कीआप चिंता मत करिए राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा भी हमारे हाथों में हैं।हमआश्वस्त हो सकते हैं कि दुनिया में कोई भी कठिनाई आएगी तो हमारी सीबीएसई का यह जो बच्चा है, यह हमारे प्राचार्य हैं, यह पूरी दुनिया में योद्धा की तरह खड़े हो करके विषम परिस्थितियों में मार्ग निकाल सकते हैं। मैं आपको बधाई देना चाहता हूँ और शुभकामना देना चाहता हूँ किदोदिन तक चलने वाला यह परामर्श निश्चित रूप सेइस एनसीपी को लागू करने की दिशा में एकआधारशिला बनेगा। इसलिए मैं सऊदी अरब के जो शिक्षा मंत्री हैं उनका भी अभिनंदन कर रहा हूं और उनके प्रधानमंत्री जी से भी मैं अनुरोध कर रहा हूं कि आज उनका भी पूरा योगदान हैऔर मैं कोशिश करूँगा की जल्दी हीअगला क्षणहो जब यहांके शिक्षा मंत्री जीसे हम संवाद करें, हम बहुत खूबसूरत दुनिया बनाना चाहते हैं। सीबीएसई के माध्यम से हम इसे बनाएंगे और हमने संकल्प लिया है क्योंकि हम मानवता के लिए सब कुछ कर रहे हैं। हम ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार को साथ ले करकेनए अनुसंधान करेंगेऔर हम दुनिया को बताएंगे कि खुबसूरत दुनिया ऐसी होती है। इसलिए मैं एक बार पुन:इस सहोदयपरिवार को बधाई देना चाहता हूं। आप अनवरत काम कर रहे हैं और उसका यह प्रमाण है कि ऐसी विषम परिस्थिति में भी आपने यह अच्छा आयोजन किया है। मुझसे जुड़े पूरी दुनिया के सीबीएससी बोर्ड के सभी अध्यापकगण, सीबीएसई बोर्ड के सभी अधिकारी व सीबीएसई बोर्ड के मेरे छात्र और छात्राओं और उनके अभिभावक मैं आप सबका अभिनंदन करता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- श्री सुभाष नायक, अध्यक्ष, गल्फ सहोदय परिसर,
- श्री मनोज आहूजा, अध्यक्ष, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड
- श्री मेराज खान, संयोजक, गल्फ सहोदय परिसर
कला उत्सव का समापन समारोह
कला उत्सव का समापन समारोह
दिनांक: 28 जनवरी, 2021
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
कला उत्सव 2020 के इस अवसर पर देश और पूरी दुनिया से जुड़े हमारे सभी कला प्रेमी शिक्षाविद् और विशेषज्ञ, छात्रगण तथा इस संपूर्ण आयोजन से जुड़े सभी अधिकारी वर्ग मैं सबसे पहले तो इस बेहतर आयोजन के लिए आयोजक सहित सभी सम्मिलित होने वाली टीमों को बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं देना चाहता हूं। इस अवसर पर हमारे साथ जुड़ी हैं हमारी स्कूली शिक्षाकी सचिव सुश्री अनिला करवल जी, एनसीईआरटी के निदेशक श्रीधर श्रीवास्तव जी, एनसीईआरटी के सचिव मेजर हर्ष और प्रो. बहेरा, हमारे कला उत्सव केसभी निर्णायक सदस्यगण और यहां पर केंद्रीय संयोजक पवन सुधीर जी और श्रीमती ज्योत्सना जी और आपकी पूरी टीम तथा हमारे साथ जुड़ी संयुक्त सचिव सुश्री स्वीटी जी एवं नीतू जी उपस्थित सभी राज्यों के इन छात्रों को तैयार करने वाले अध्यपक गण और उपस्थित विजेताओं, सभी स्कूलों के प्राचार्य और सभी प्रदेशों के शिक्षा विभाग! आज सभी बहुत हर्ष का अनुभव कर रहे होंगे कि हां, यह वो भारत है जिसको पूरी दुनिया पूछती है। यह वो भारत है जिसमें विभिन्न कलाओं की एक ऐसी सुंदर और बेजोड़ परम्परा है, एक ऐसी निधि है जो पूरी दुनिया को न केवल विस्मित करती है बल्कि प्रेरित भी करती है और मेरे देश के प्रधानमंत्री ने जिस ‘एक भारत और श्रेष्ठ भारत’ की बात की है उस उत्सव के10-12 दिनों के इस कार्यक्रम ने बहुत कुछ साबित कर दिया है जबकि बहुत ही विषम परिस्थितियों से होकरपूरी दुनिया गुजर रही है। इस कोरोना काल की ऐसी परिस्थितियों में हमारे देश भर के सभी 33 राज्यों के जिन छात्र-छात्राओं ने अद्भूत प्रस्तुतियां दी हैं यह इस बात को भी साबित करता है कि हिन्दुस्तान ऐसा देश है जो विषम चुनौतियों में भी आनन्द का उल्लास लेकर के, साहस के साथ आगे बढ़ने की चाहत रखता है। यह इस बात को साबित करता है कि जिस देश को विश्व गुरू कहते हैं वह ऐसे ही विश्व गुरू के रूप में नहीं है उसके अंदर क्षमता है, प्रतिभा है, जिजीविषा है, उसमें जिज्ञासा है उसमें विजन भी है और उस विजन को क्रियान्वित करने का मिशन भी है और वो भारत औरउसकी संस्कृति का प्राण है जिसके आधार पर पूरी दुनिया को भारत ने ऊंचाइयों तक पहुंचाया है, वो उसकी कला और संस्कृति है और इसीलिए हमने हमेशा इस बात को कहा है कि अनेकता में एकता हमारी विशेषता है। विभिन्न राज्यों के कला, संगीत और तमाम प्रकार के नृत्य वादन विभिन्न प्रकार से हमारे सामने ऐसा शक्ति का पुंज सामने लाते है जिसके आधार पर हम कह सकते हैं कि यह विविधता में एकता वाला देश है। पूरी दुनिया में न्यारी है। अनेकता में एकता विशेषता हमारी पूरी दुनिया में हमारी संस्कृति और कला बहुत अद्भुत है, न्यारी है। पूरी दुनिया के लिए प्यारी है, संसार में न्यारी है और यह विशेषता हमारी है। यह हमारी ही विशेषता हो सकती है दुनिया में और इसीलिए तो हम गर्व से माथा ऊँचा करके कहते हैं कि मेरा हिंदुस्तान जो विविधताओं में एकता का देश है और जिसमें पूरी दुनिया को समानेकी क्षमता है और इसका प्रदर्शन ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के रूप में यहां पर हुआ है,मैं बहुत बधाई देना चाहता हूं। आज सुधीर जी आपने जैसे बोला कि पारंपरिक खेल-खिलौनों के साथ अस्त्र कला से लेकर के बहुत सारी ऐसी कलाएं जो हमारी विलुप्त होती जा रही हैं। जो हमारा वैभव था, जो हमारे पास हमारा पारंपरिक ज्ञान और विज्ञान था वो जिस तरीके से लुप्त हो रहा था लेकिन फिर एक बार पूरा देश जग गया है। इन्हीं बिंदुओं पर और इन्हीं गतिविधियों पर देश खड़ा हो करके एक बार पुन: विश्वास दिलाता है कि हां, जो चीज हमारी है और जो सारी दुनिया में विख्यात रही है, जिसने दुनिया को जीवन दिया है आज उस जीवंतता और जीवन दर्शनता को हम फिर मुखर करके अपनी कलाओं के माध्यम से, अपनी संस्कृति के माध्यम से, अपने अभिनय, वादन, गीत, संगीत, नृत्य, नाट्य आदि तमाम विधाओं के माध्यम से हम फिर उसको जीवित करके पूरी दुनिया में उस खुशी को सजाएंगे। कई बार हम लोग कहते हैं यह जो भारत है, यह उत्सवों का देश है और उत्सव माने उल्लास, हर्ष, खुशी और 365 दिनों में यहां 366 उत्सव होते हैं। उल्लास और हर्ष कौन मनाएगा? जिसमें खुशियां होंगी जो खुशियों को बांट सकता है, दे सकता है, जिसमें अभिलाषा होगी कुछ देने की कुछ करने की, कुछ बाँटने की वो ही मना सकता है। वो देश है मेरा ये हिन्दुस्तान जो खुशियों का देश है। मुझे याद आता है कि मुझे 4 साल पहले भूटान ने बुलाया था और मेरी एक पुस्तक पर उन्होंने सम्मान दिया था लेकिन साथ ही उन्होंने मुझे खुशियों का राजदूत बनाया था तो मुझे लगा कि खुशियों का देश तो भूटान है ही, जो उनका मानक है उसको नापने का एवं प्रगति का सूचकांक खुशी ही है। वहां भूटान में बैठ करके मैं सोच रहा था कि यह दोनों देश खुशियों के भंडार हैं। हिन्दुस्तान के लोग 365दिनों में 366 उत्सव मनाते हैं, खुशियां बांटते हैं। हम हरेक मौके पर कोई न कोई खुशियां बांटते हैं और खुशियों को देने की ताकत एवं क्षमता हमारे भीतर है। हम पूरी दुनिया को हर्षित करना चाहते हैं, खुशियां बांटना चाहते हैं। हम दुःख में रह करके भी खुशियां बांटना चाहते हैं और इसीलिए पूरी दुनिया को हम अपना परिवार मानते हैं। हम प्रत्येक परिवार को खुशियां बांटना चाहते हैं और प्रत्येक परिवार में किसी को भी दुखी नहीं देखना चाहते हैं। ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया’ यह है हमारी संस्कृति। इस संस्कृति को हम अपनी कला के माध्यम से जैसा अभी अनीता जी ने बताया कि हम अभिव्यक्त करते हैं। अभी हम नई शिक्षा नीति लाए हैं उसमें हमअपने इस पारंपरिक ज्ञान, संस्कारों एवं हमारी पारंपरिक रीति-नीतियोंको समाहित करना चाहते हैं। हम फिर वही देश चाहते हैं जिसने विश्व का मार्गदर्शन किया। हमारे देश के प्रधानमंत्री बार-बार कहते हैं कि 21वीं सदी भारत की सदी है,यह विवेकानंद जी ने भी तब कहा था जिस समय उन्होंने दुनिया में जाकर इसका उद्घोष किया था कि 20वीं सदी हो सकता है दुनिया की होगी लेकिन 21वीं सदी हिंदुस्तान की होगी और आज 21वीं सदी की शुरुआत में ही यह पूरा विश्व इस भारत का वैभव देखने लगा है। मैं यह समझता हूं कि यह जो उत्सव हैं उसी की एक कड़ी है, मेरे ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की कड़ी है और मैं सभी विजेताओं कोजो इसके साथ जुड़े हैं, उनको बहुत बधाई देना चाहता हूं। मुझे भरोसा है कि अब आपका अभियान रुकेगा नहीं, थकेगा नहीं, झुकेगा नहीं, झुकने का तो कोई नाम ही नहीं है और इसीलिए मैं देख रहा था कि मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड, अरुणांचल, हिमाचल और उत्तराखंड तथा उधर जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पंजाब दिल्ली जिधर मेरी नजर जा रही थी, मुझे पूरा देश एक साथ दिखाई दे रहा था। मैं आपको बधाई देना चाहता हूं क्योंकि यह देश के एकता का रूप में संजोने का एक अभियान है। यह हमारी ताकत है और इस ताकत को हमको बढ़ाना है। इस ताकत का एहसास भी कराना है कियह मेरी ताकत है। हमारा मन अकलुषित है तभी तो हमने पूरी दुनिया को अपना परिवार माना है। हमें विचार करना चाहिए कि हमारा ज्ञान क्या है, हमारा विज्ञान क्या है और जो महत्वपूर्ण हमारी परंपराओं के हमारे संस्कार, हमारी संस्कृति क्या है क्योंकि संस्कार किसी भी व्यक्ति के, किसी भी परिवार के, किसी भी राष्ट्र के जीवनदाता होते हैं, प्राण होते हैं। जिस तरीके से संस्कार विहीन व्यक्ति का जैसे प्राण चला जाता है तो वो एक लाश हो जाती है। अभी तक तो वह जीवित था तो व्यक्ति था और व्यक्ति के बाद वो जैसे प्राण उसके निकलते हैं,उससे कोई चीज हटती है तो वह केवल लाश के रूप में परिवर्तित हो जाता है। ऐसे ही किसी व्यक्ति के परिवार, समाज और राष्ट्र की अपनी संस्कृति होती है। संस्कार विहीन समाज हो, परिवार हो, व्यक्ति हो,वो लाश की तरह है। वह जरूर अपने को ढ़ोता होगा लेकिन जिंदा नहीं हो सकता है। और इसलिए यह हमारी परंपरा रही है हमारे संस्कार हमारी आत्मा है। हमारी तो गीता ने भी आत्मा और परमात्मा को जोड़ा है। हमारे पास विजन है,हमारे पास दर्शन है। हमारे पास आचार, हमारे पास व्यवहार है। हमारे पास संस्कृति, हमारे पास संस्कार है। दुनिया महसूस करती है इस बात को कि भारत की जो संस्कृति थी वह गौरवान्वित करने वाली थी प्रकृति के साथ जब जुड़ाव होता है तो संस्कृति होती हैऔर संस्कृति हमेशा रचना का काम करती है, निर्माण का काम करके सृजनात्मक होती है। लेकिन जब कोई प्रकृति के विपरीत जाता है और कोई इंसान विकृति का रूप लेता है तो विकृति विनाश का कारण होती है। इसीलिए यह जो संगीतज्ञ रहते हैं, जो कलाओं से जुड़े होते हैं उसके चेहरे पर नजर डालेंगे तो कभी उसके चेहरे पर तनाव नज़र नहीं आएगा क्योंकि वो अपनी अभिव्यक्ति को बाहर निकालता है और वह कुंठा में नहीं जी सकता और इसीलिए यह जो कला है वो अपने आप जीवंत व्यक्तित्व अपने को रखता ही है और साथ ही जीवंतता बिखेरता भी है। वो लोगों के उस दबाव को और तनाव को केवल कम ही नहीं करता बल्कि हर्ष और उल्लास को बांटता है। जब आदमी हर्षित होता है उस समय उसको महसूस होता है कि हां, असली जीवन तो यह है उसका, जो उसको आनंद के क्षण मिल रहे हैं। जब आप किसी संगीत अथवा वाद्य को सुनते हैं तो कैसे उसके स्वर कानों में पड़ते ही आप कहीं न कहीं ठहर जाते हैं। चाहे कोई अच्छा गीत हो, चाहे कोई अच्छा सा संगीत हो तथा चाहे उसकी अच्छी सी कंपोजिंग हो और चाहे उसके शब्द अच्छे हों लेकिन सुनते ही चलता हुआ आदमी भी ठहर जाता है। ठहरने का मतलब कुछ उसको मिल जाए तो फिर उसके अंदर जो भाव जा रहे हैं, उसके आधार पर वह सर्जन ज़रूर करेगा। वो क्षण खराब नहीं हो सकता है। क्या आपका जो वादन है, चाहे वो गायन है, जो उसका स्वर है वो स्वर आपके अंदर घुस करके नई चीज को सृजित करता है, पैदा करता है। मैं सोचता हूं चाहे तमिलनाडु का भरतनाट्यम हो, चाहे ओडिशा नृत्य हो, इसको देखते ही जैसे भाव भंगिमाएं बदल जाती है एक नृत्य में सारा जीवन दर्शन होता है। ये कलाएं केवल हिंदुस्तान की ही हो सकती है और हमें इसी को तो जीवंत रखना है, इसी को तो जिन्दा रखना है और इसीलिए हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने 2015 में इसका एक कला उत्सव पूरे देश के कोने-कोने से कलाओं के लिए समर्पित किया है। हमारे उस छात्र के अन्दर जो है, उसको कैसे करके बाहर निकालकर के वो बिखेर सकते हैं, लोगों को बांट सकते हैं और उस प्रतिभा को और कैसे निखार सकते हैं तो मैं जितने भी विशेषज्ञ जुड़े हुए हैं मेरे साथ उनका अभिनंदन करता हूं। मुझे लगता है भारत का गीत, संगीत, नृत्य और कला पूरे विश्व के लिए एक जीवंतता का प्रमाण है, इसकी जरूरत है। मैं विदेशी संगीत और कलाओं की उसका आलोचना नहीं करता हूं लेकिन मैं अकलुषित तरीके से इस बात को कह सकता हूं कि दोनों की तुलना होगी तो भारत का गीत-संगीत, नृत्य-नाट्य तथा शास्त्रीय संगीत, इसमें जीवंतता है और यह नई सृजन शक्ति को पैदा करते हैं। यह जो स्वयं के सुप्त तत्त्व हैं, उनको भी विश्लेषित करता है, नई ऊर्जा देता है और यह केवल मेरे भारत के गीत-संगीत में हो सकता है तो इसलिए मैं यह समझता हूँ कि चाहे भरत मुनि का ग्रंथ हो अथवा चाहे तमाम हमारे उन लोगों के शास्त्र में जिन लोगों ने ईश्वर की दी हुई विधाएं, रचनाएं तथा शक्तियां हैं जिनको संजोकर के बिखेरने के लिए हम को दिया है। मैं एनसीईआरटी को उसके शैक्षिक कैलेण्डर और ‘स्वयं प्रभा’ जैसे चैनल के लिए हार्दिक बधाई देना चाहता हूं। आपने किस तरीके से कला, साहित्य, संगीत इनसभी चीजों को बच्चों के साथ जोड़ करके आगे बढ़ने की कोशिश की है। मुझे इस बात की भी ख़ुशी है कि कोविड19 के दौरान ही इस देश में आमूलचूल बड़े-बड़े परिवर्तन हुए हैं और जब पूरी दुनिया ऐसे संकट से गुजर रही थी तब हम नयी शिक्षा नीति को लेकर के आए। हम विद्यार्थियों की काउंसलिंग के लिए ‘मनोदर्पण’ तथा ऑनलाइन शिक्षा को लेकर आए। कोई सोच भी नहीं सकता था कि 33 करोड़ छात्रों को इन विषम परिस्थितियों में ऑनलाइन शिक्षा मिल पाएगी। यह हिन्दुस्तान की ही ताकत हो सकती है और पूरी दुनिया ने उसको महसूस किया है। हमारे यहां नवोदय विद्यालय के कमिश्नर होंगे, सीबीएसई के चेयरमैन होंगे, एनसीईआरटी के डायरेक्टर होंगे, एनआईओएस के चेयरमैन होंगे मैं सबसे निवेदन कर रहा हूं कि आप तेजी से इस नई शिक्षा नीति की दिशा में कार्य करिये जो टैलेंट की खोज भी करेगी और टैलेंट के साथ उत्कृष्ट कोटी काकंटेंट भी सुनिश्चित करेगी और तब पेटेंट को लेकर के बात संभव होगी। हमको अपनी हर विधा को पेटेंट करना है। हम टैलेंट को खोजेंगे भी, उसका विकास भी करेंगे और उसका विस्तार भी करेंगे। हम कटेंट के स्तर पर उत्कृष्ट कोटि के पाठ्यक्रम को भी सुनिश्चित करेंगे। पूरी दुनिया में हमको दिखाना है कि हम शोध और अनुसंधान में भी कहीं पीछे नही हैं और इसलिए हमारी नई शिक्षा नीति मातृभाषा में आरम्भिक शिक्षा पर बल देती है ताकि बच्चे की सभी सृजनात्मक क्षमताओं को अपनी ही भाषा में कैसे करके बाहर निकाल सकता है, उसे ऊपर उठा सकता है,आगे बढ़ा सकता है और उसको आगे ले करके दौड़ सकता है। इसलिए हमने नई शिक्षा नीति में 10+2 की पद्धति को खत्म कर दिया है, उसके स्थान पर हमने 5+3+3+4 किया है तथा आरम्भिक 5 को भी हमने 3+2 किया है। हम एक पल भी खोना नहीं चाहते हैं। हम हमारे शिशु का, हमारे छात्र का, बालक व बालिका का जीवन संजोने के लिए हैं और इसलिए जो नयी शिक्षा नीति है यदि आप देखें तो स्कूली शिक्षा से ही वोकेशनल एजुकेशन और वो भी इंटर्नशिप के साथ आरम्भ किया है। अभी हमने इसके साथ खेलों और खिलौनों को भी जोड़ा है और अभी अनीता आपको बताएंगी कि किस तरीके से ये लोग उसको भी पाठ्यक्रम में सम्मिलित करेंगे। हमारे देश में खिलौनों का दस हजार करोड़ से भी बड़ा बाजार है। हमारे देश के प्रधानमंत्री जी का ‘आत्मनिर्भर भारत’ का विजन है, जिसे हम विविध हैकाथॉन के माध्यम से साकर करेंगे। मेरे बच्चों के नन्हें हाथों से बने खिलौनों को भी आपने इस कला उत्सव से जोड़ा है, उनके द्वारा निर्मित खिलौने कैसे होंगे जो संस्कार पैदा कर सकते हैं, एक नई दिशा दे सकते हैं, किसी महापुरुष के बारे में बता सकते हैं, अपनी संस्कृति का ज्ञान करा सकते हैं तथा उस कला के माध्यम से उसके अंदर टूटे हुए को जोड़ सकते हैं और जोड़ करके दिशा दे सकते हैं। इस तरीके की कला चाहिए, खिलौने चाहिए तो यह जो आपने किया है यह भी बहुत अच्छा है तथा वर्तमान परिस्थितियों में इसकी जरूरत है और मैं शुभकामना देना चाहता हूं। कला के दिशा में शांति, एकता और प्रेम हमारा मुख्य ध्येय है जिससे पूरी दुनिया भारत से अनुप्राणित होती है। प्रेम, सत्य और अहिंसा यह तीन ऐसी ताकतें हमारे पास हैं, जो हमारी पहचान भी है और हमारे संस्कार भी हैं। हमारे जीवन मूल्य हमारी पहचान हैं। हम प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ते हैं लेकिन अपने को खोकरके नहीं बढ़ते औरअपने अस्तित्व को खो करके नहीं करते। हम अपने अस्तित्व को, भारत की संस्कृति में समाहित करते हुए दुनिया को बताना चाहते हैंकि हमने मनुष्य को मशीन नहीं बनाया है। हमने मनुष्य को मनुष्य बनाया है और इसीलिए यह जो नई शिक्षा नीति है वो नेशनल भी है, वो इंटरनेशनल भी है, इंटरएक्टिव भी है, वो इम्पैक्टफुल भी है, वो इनोवेटिव भी है और वो इक्विटी, क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी है। हम अंतिम छोर के बच्चे को भी नहीं छोड़ना चाहते। इसलिए वोकेशनल एजुकेशन छठवीं से शुरू कर रहे हैं। स्कूल से बाहर निकलते ही बच्चा एक ऐसे व्यक्तित्व के रूप में मानवीय मूल्यों के आधार पर खड़ा हो जो अपनी संस्कृति के ध्वजवाहक के रूप में भी काम करे और जो अपनी परंपराओं को साथ लेकर के ज्ञान, विज्ञान अनुसंधान के साथ पूरी दुनिया में आगे बढने की ललक रख सके। इस कला उत्सव के माध्यम से आपने है ये इसका एक नमूना प्रस्तुत किया है। मैं देख रहा था कि आपने नौ कलाओं को किया है। आपने भारतीय कलात्मक अनुभव को पहचाने का अभ्यास करने,उसका प्रदर्शन करने की सम्पूर्ण प्रक्रिया को आपने अपनी प्रस्तुति में समाहित किया है। मुझे विश्वास है कि जो प्रतिभागी विद्यार्थी हैं, वो अपनी जीवंत कला शैली को प्रस्तुत करने के साथ-साथ उस सांस्कृतिक अनुभव और मूल्यों के आधार पर जीवन भीजीएंगे। जब हम कुछ कहते हैं तो उसको जीना भी चाहते हैं। जब कहते हैं तो शब्द आपको कहीं बाध्य करते हैं, उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए। लेकिन जिसके मन में सोच ही ना हो तो आगे कैसे बढ़ेगा क्योंकि कोई अचानक तो आगे नहीं बढ़ सकता। पहले मन में विचार आता है और विचार आने के बाद आदमी तय करता है तथा उसको लेकर फिर आगे बढता है उसके बाद जो चुनौती आती है, उसका मुकाबला करता है और फिर उसका रास्ता तय होता है। मुझे भरोसा है कि कला और संस्कृति से जुड़े जितने भी विभिन्न क्षेत्रों में जिन भी छात्र-छात्राओं ने अपनी अभिव्यक्ति को प्रस्तुत किया है, वो जरूर उस अभिव्यक्ति को रोज़ जिएंगे और उसको एक मिशन रूप में तथा एक जुनूनी स्वभाव के साथ उस काम को आगे बढ़ायंगें। मैं उनको शुभकामना देना चाहता हूं आपको मालूम है कि कला तो व्यक्तियों में संस्कृति का प्रचार प्रसार करती है। यह उत्सव शिल्पकार, कलाकार और संस्थाओं तथा विद्यालयों को आपस में जोड़कर एक सेतु का काम करेगा। यह जो संस्थाएं तथाजो कलाकार हैं तथा जो विभिन्न क्षेत्रों के ऐसी प्रतिभाएं हैं उनके समन्वय का काम करेगा और आपको तो मालूम है कि भारत की जो सांस्कृतिक कला है, उसकी विश्व में सबसे समृद्ध विरासत रही है और इस विरासत को ही संभाले रखने की आज जरूरत है। मेरे छात्र-छात्राओं! मुझे भरोसा है कि आप इस विरासत को संभालेंगे भी, संरक्षित भी करेंगे और उसको आगे भी बढ़ाएंगे। यदि देखा जाए तो जो कला के विद्यार्थी हैं वो रचनात्मक दिशा में और संज्ञानात्मक दिशा में इन दोनों दिशाओं में आगे बढ़ने के लिए आपकी यह कला हमेशा आपके साथ खड़ी होती है। आपकी जो विविध संस्कृतिक विरासत है इसके अन्वेषण तथा उसके आदान-प्रदान एवं अनुभव के लिए यह मंच, हर वर्ष एक उत्सव के रूप में आपको मिल रहा है, आपके लिए इससे बड़ा मंच क्या हो सकता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा 33 करोड़ छात्र-छात्राओं का मंच है। मैं बार-बार यह कहता हूं कि इस देश के अंदर जितनी विद्यार्थियों की संख्या है, अमेरिका की कुल आबादी उतनी नहीं है। उनकी 32 करोड़ कुछ आबादी होगी जबकि हमारे 33 करोड़ छात्र-छात्राएं हैं और इसलिए जब हम किसी बात को बोलते हैं तो वो33 करोड़ परिवारों में जाती है और वो 33 करोड़ के छात्र के माता और पिता को भी गिने तो सौ करोड़ होता है और इसलिए यह भारत का जो शिक्षा विभाग है यह पूरे देश का प्रतिनिधित्व करता है और हमको अपना वही श्रेष्ठ भारत बनाना है। इसलिए यह हमारे लिए बहुत बड़े अभियान के रूप में है तथा हमें लोगों को एक भारत, श्रेष्ठ भारत एवं आत्मनिर्भर भारत का दर्शन कराना है। हमको हमारी सांस्कृतिक धरोहरों को पहचानने एवं उसको आगे बढ़ाने की जरूरत है हमें पारंपरिक ज्ञान और उसको समृद्ध करने की भी जरूरत है। गायन में और संगीत में आप शास्त्रीय संगीत कर रहे हों तो उसकी अपनी ताकत है। हमारी पारंपरिक लोक और संगीत परम्परा बहुद समृद्ध है। हमें भारत की पारंपरिक लोक संस्कृति और गायन की लोगों को जानकारी देना है पहले तो देश को एक दूसरे से परिचित होना है। चाहेपारंपरिक लोक संगीत के और चाहे वो शास्त्रीय संगीत हो, चाहे वीणा हो, चाहे तबला हो, चाहे बांसुरी हो, जैसे ही हम बजाते हैं तो दूर रहने वाला व्यक्ति भी खड़ा हो जाता है औरवो सब कुछ भूल जाता है तथा वो आपमें आकर के समाहित हो जाता है। यदि आप में कुछ देने की उत्कृष्ट इच्छा हो तो आप पूरी दुनिया और मानवता को बहुत कुछ दे सकते हैं, उनकी छिपी हुई उन संवेदनाओं को उभार सकते हैं क्योंकि गीत-संगीत और कला छिपी हुई संवेदनाओं को उठाते हैं और आप सब जानते हैं कि जिस व्यक्ति में संवेदना न होउसको हम पत्थर से भी परे मानते हैं। इसलिए इन संवेदनाओं को खड़ा करने का यह जो हमारा अभियान जैसे नृत्य है, चाहे लोकनृत्य किया है चाहे दृश्य कला, चित्र कलाएं मूर्ति कला जो त्रिआयामी है उसमें भी मूर्ति कला है। इसीलिए कभी हमारीछोटी-छोटी बातें ही दुनिया में बड़े बदलाव का कारण होती हैं। हमेशा ही हमने देखा है किबड़ी-बड़ी बातों को करके बड़े काम नहीं होते। छोटी-छोटी बातें और प्रयास बड़े बदलाव का कारण होते होती है और मुझे भरोसा है कि स्कूली शिक्षा से ही यह बदलाव अपने देश की संस्कृति को उसकी नई उंचाईयों पर पहुंचाएगाऔर मानवता को भारतीयता का पाठ पढ़ाएगा। इसलिए अब मुझे लगता है कि ये 9विधाएं आपने की हैं जो बहुत खूबसूरत विधाएंहै। मैं आपको शुभकामना देना चाहता हूं और मैं बधाई देना चाहता हूं। यह बात सही है कि हमें टेक्नोलॉजी और कला तथा मानवीय मूल्य दोनों का संगम करना है। हमने गीत-संगीत को अपनी तकनीक की दृष्टि से ओरउभारना है और इसीलिए आपको मालूम है कि जहां हम लोगों ने इस नई शिक्षा नीति में पूरा मैदान खाली छोड़ दिया है।मेरे प्रिय छात्र-छात्राओं, यदिआप मुझे सुन रहे हैं तो आपको कितनी खुशी होगी कि आप किसी भी विषय को ले सकते हैं, आप परकोई बंधन नहीं है और इतना ही नहीं इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्थितिवशछोड़के जा रहा है तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष दोनों खराब हो जाते थे। लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा, यदिकोई छात्र परिस्थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहा है तो उसको सर्टिफिकेट देंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़कर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे। लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिरउसनेजहां से छोड़ा था, वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगे इसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।वह कहां जाना चाहता है, शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में जाना चाहता है। जहां हमने ‘नेशनलरिसर्च फाउंडेशन’ की स्थापना की है, जो कि प्रधानमंत्री जी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में होगी जो शोध की संस्कृति को तेजी से आगे बढ़ाएगा। वहीं हम तकनीकी को निचले स्तर तक, अंतिम छोर के व्यक्ति तक कैसे पहुंचा सकते हैं इसके लिए ‘नेशनल एजूकेशन टैक्नोलॉजीफोरम’का भी गठन कर रहे हैं। जिससेतकनीकी दृष्टि से भी देश समृद्ध हो सके। चाहे वो शिक्षा हो, चाहे वो परंपराएं हों, चाहे वोकलाएँ हों उससे अंतिमछोर के व्यक्ति को तकनीकी का लाभ कैसे मिल सकता है जहां ‘वोकल फोर लोकल’ है वहां ‘लोकल फोर ग्लोबल’ भी है। हम ग्लोबल पर जाएंगे,अंतर्राष्ट्रीयस्तर पर जाएंगेइसीलिए मैंने कहा कि यह नीति केवल नेशनल ही नहीं बल्कि इंटरनेशनल भी है। तभी तो पूरी दुनिया के देशों के शीर्ष विश्वविद्यालय इस शिक्षा नीति को अपनाने के लिए हमसे संवाद कर रहे हैं। बहुत सारे देशों के शिक्षा मंत्री लगातार हमसे संवाद कर रहे है। दुनिया के बहुत सारे शीर्ष विश्वविद्यालयों के लोग जो उनके कुलपति हैं, हमसे संवाद कर रहे कि दुनिया के सबसे बड़े रिफॉर्म के रूप में भारत की एनईपी आई है और इसीलिए उस एनईपी को ले करके आपने यह शुरुआत की है। मैं आपको इसकी भी बहुत बधाई देना चाहता हूं और मुझे भरोसा है कि आपके इस बारह दिवसीय उत्सव में और भीबहुत सारी चीजें होंगी। इस कार्यक्रम के माध्यम से आपस में लोग मिले होंगे, बातचीत की होगी और आज भी पूरे देश इकट्ठा होकर के और यह महसूस कर रहे हैं कि जहां हम एक जिम्मेदार नागरिक तैयार करेंगे, वहीं हम उस जिम्मेदार नागरिक कोयोद्धाकी तरह हर दिशा में आगे बढ़ने वाला बनाकर उसकी संपूर्ण क्षमताएं विकसित करेंगे जिससे वो देश को अपना योगदान दे सकता है। इस देश के निर्माण में मुझे भरोसा है कि आप इस दिशा में काम कर रहे होंगे और जो राज्य इसमें सम्मिलित हुए हैं उनको मैं बधाई देना चाहता हूं।विशेषकरके अपने कला क्षेत्र के आप विशेषज्ञ रहे हैं,आपनेबहुत अच्छे तरीके से इन छात्र-छात्राओं की प्रतिभाओं काआंकलन किया है और जो आज यहां पर सम्मानित हो रहे हैं। प्रियछात्रों! आपके जीवन में कितना सुखद क्षण हैं आप महसूस कर सकते हैं। यही खुशी आपके जीवन में आपकी आधारशिला बनेगी। जब भी आप कष्टों में होंगे यहीखुशी आपको ताकत देगी। जब भी आपको दिशाओं में बाधाएं आएंगी तब उन बाधाओं को तोड़ने के लिए यह खुशी आपका बहुत बड़ा काम करेंगी और इसलिए इस खुशी को संजो करके रखने की जरूरत है, इस खुशी को बढ़ाने की जरूरत है। आपकी जो यात्रा यहां तक आई है और राष्ट्रीय स्तर पर आप सम्मानित हो रहे हैं। मुझे भरोसा है कि लगातार यह जो पड़ाव है आपका अब यह और तेजी से बढ़ने का एक अभियान होगा और इस जुनून के साथ आप उच्च शिखर तक पहुंचेंगे जब देश आप पर गर्व कर सकेगा। पूरी दुनिया नाज से आपका नाम ले सकेगी और भारतीय कीसंस्कृति और कलापूरे विश्व को एक नया जीवन दे सकेगी। मैं एक बार अपने सभी आयोजकों को और जुड़े हुए सभी भाई और बहनों को इस अवसर पर जब हम कला और संस्कृति से जुड़े हुए हैं, मैं एक बार फिरहृदयकी गहराइयों से आपका अभिनंदन करता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- सुश्री अनिला करवल, सचिव, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
- डॉ. श्रीधर श्रीवास्तव, निदेशक, एनसीईआरटी, नई दिल्ली
- श्री मनोज आहूजा,अध्यक्ष, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, नई दिल्ली
एग्री-फूड हैकाथान- 2021
एग्री-फूड हैकाथान– 2021
दिनांक: 25 जनवरी, 2021
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
एग्री-फूड हैकॉथानआईआईटी खड़गपुर के इस बहुत महत्वपूर्ण कार्यक्रम में उपस्थित नाबार्ड के अध्यक्ष डॉ.चिंताला जी,आईआईटीखड़गपुर के निदेशक प्रो.बी.के. तिवारी जी, उपनिदेशक प्रो.एस.के भट्टाचार्जी जी,प्रो.रेणु बनर्जी जी, प्रो.सी.एसअशोक कुमार जी, प्रो.राजेन्द्र मिश्रा जी, प्रो. के.एन तिवारी जी, प्रो.मृगांक औरमेरे साथ अपरसचिव जुड़े हैं राकेश रंजन जी तथा सभी अधिकारी वर्ग और सभी शोधकर्ता, सभी संकायऔर सभी किसान भाई जो इसके साथ जुड़े हैं और नाबार्ड के भी सभी अधिकारियों को और अपने साथ सभी इस परिवार के लोगों को, इस अवसर पर मैं अभिनंदन करना चाहता हूं कि जो देश का पहला आईआईटी खड़गपुर है वो लगातार अपने नित नए आविष्कारों के लिए, नित नई योजनाओं के लिए, नित नए प्रमाणों के लिए, नित नए कदमों के लिए जाना जा रहा है, पहचाना जा रहे है और समझा जा रहा है। वर्तमान में ऐसे वक्तपर जब देश अंगड़ाई ले रहा हो तथादेश के प्रधानमंत्री जी ने 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की कल्पना की हो और ऐसे वक्त पर जबकि विश्व में हिंदुस्तान को विश्वगुरु के रूप में पुनः याद किया जा रहा हो, ऐसे वक्त पर जबकि देश के प्रधानमंत्री जी ने आत्मनिर्भर भारत की बात कह करके पूरे देश को फिर खड़ा करने के लिए संकल्प लिया है। हमारा देश जो कौटिल्य का अर्थशास्त्र है, उस कौटिल्यके अर्थशास्त्र के आधारशिला पर खड़े होकर पूरी दुनिया में 5ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का संकल्प लिया और ऐसे वक्त पर जब फिर भारत सोने की चिड़िया के रूप में उभरने के लिए कटिबद्ध हो, प्रतिबद्ध हो और संघर्षशील हो, ऐसे वक्त पर आई है नयी शिक्षा नीतिमेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की तथा आत्मनिर्भर भारत की केवल परिकल्पना ही नहींकी हैबल्कि संकल्प लिया है, उसको क्रियान्वित करने की उसकी आधारशिला पर यह नई शिक्षा नीति 2020 आई है, जिसको पूरे देश के कोने-कोने में उत्सव के रूप में महसूस किया जा रहा है और जिसके बारे में पूरी दुनिया की उत्सुकता लगातार बढ़ती जा रही है ऐसे वक्त में फिर एक बार आईआईटीखड़गपुर ने उस नयी शिक्षा नीति के विजन को लेकर के जिसमें बहु-विषयक और शोध, अनुसंधान और तकनीकी के क्षेत्र में,हरक्षेत्र में अंतिम छोर तक के व्यक्ति को ले करके ‘वोकल फॉरलोकल’ और ‘लोकल फॉर ग्लोबल’ तक जाने का जो रास्ता बनाया है, उस रास्ते पर मजबूती से उसकी आधारशिला बनाने के लिए,यहआईआईटी सर्वप्रथमउसनीति केक्रियान्वयन की दिशा में आगे आया है।मैं प्रो.तिवारी आपको और आपकी पूरी टीम को बहुत बधाई देना चाहता हूं, शुभकामना देना चाहता हूं कि आप लगातार इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और उसको मजबूत करने के लिए डॉ. चिंताला जो अध्यक्ष हैं नाबार्ड के,क्योंकि यहदेश किसानों औरगांवों का देश है और उस गांव और किसान को एक दूसरे से जोड़कर उसको नई तकनीक दे करके उसके शिखर तक पहुँचाने का जो यह अभियान है इस अभियान में नाबार्ड की जोयहमहत्वपूर्ण भूमिका है इसके लिए मैं आपको भी धन्यवाद देना चाहता हूं और मैं कहना चाहता हूं कि जो शुरुआत आज की है, वह अत्यंत महत्वपूर्ण है।आपनेनई तकनीकियोंको किसान तक पहुंचाने की बात की और खड़गपुर जो अपने इन अभियानों में किसानों की क्षमता और विकास करने की जो बात की है तथा भारत की अर्थव्यवस्था को और सशक्त करने का इसको माध्यम बताया है, साथ ही आपनेउद्यमिता और इंजीनियरिंग को आपस में जोड़ करके उसके दोनों पहलुओं को एक नए निर्माण की दिशा में खड़े करने की बात की है। मैं समझता हूं कि यह आर्थिक व्यवस्था के लिए बहुत जरूरी है। स्टार्टअप और जो ईको सिस्टम हमाराअर्थव्यवस्था के बारे में था इसी को विश्लेषण करने की जरूरत है और हमारे डिप्टी डायरेक्टर साहब ने और जो मेरे प्रोफेसर गण हैं उन्होंने जिस तरीके से इंजीनियरिंग का औरउद्यमिता विभागका सामंजस्य स्थापित किया है, उससे मुझे याद आता है कि आईआईटी और उद्योगों के बीच एक खाई थी। जब हमने उसे महसूस किया तो हमने इस बात की पहल की कि उद्योगों के लिए जो जरूरत है आईआईटीउस ढंग का पाठ्यक्रम तैयार करे और जो पाठ्यक्रम के माध्यम से हमारे नौजवान तैयार हो रहे हैं वो उद्योगों को विकसित करने में उनकी श्रेष्ठता को साबित करने के लिए अपनीपूरीताकत खपाए। इसीलिए ट्रिपलआईटी हमने पीपीपी मोड में किया था जिसमें भारत सरकार का 50 प्रतिशत, स्टेट गवर्मेंट का 35 प्रतिशत और उद्योग क्षेत्र के 15 प्रतिशत योगदान होगा। मेरे छात्र जो अब आईआईटी कर रहे हैं यह केवल कक्षा में आगे और प्रयोगशालाओं में ही सीमित नहीं रहेंगे। इसकी प्रयोगशाला खेत पर हो, इसकी प्रयोगशाला उस संस्थान में हो,उद्योग में हो जहां से उसे ऊपर उठना है। इस दिशा में लगातार विगमडेढ़-दो वर्षों से मैं समीक्षा कर रहा हूं । खड़गपुर उसमें भी पहल कर रहा है और लगातार उसमें भी आगे बढ़ने का काम कर रहा है और इसलिए आपको उत्कृष्ट संस्थान घोषित किया है।देश में तो आप पहला आईआईटी हैं लेकिन आपको आईओईका दर्जा दिया है और उस दर्जे के लिए आप लगातार काम कर रहे हैं और आज आपने खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने की और उसके क्षमता निर्माण करने के लिए जो इनके साथ 125 स्टार्ट अप तैयार करने की बात की है, मैं आशान्वित हूं कि जो यह अभियान शुरू हो रहा है, यह अभियान रुकेगा नहीं और प्रो. चिंताला मैंकहना चाहूंगा कि हमारे आईआईटी में जो आज केन्द्र आपने उद्घाटित करवाया है,उष्मायनका केन्द्र, यह स्टार्ट अप यहां से शुरू हो करके और देश के विभिन्न स्थानों तक जाये। पूरे देश का कोई राज्य नहीं छूटना चाहिए, आज जरूरत है इसकी हर राज्य को।जैसे कि आपने कहा चिंतालासाहबकि हर क्षेत्र का अलग-अलग सिस्टम है। हिमालयक्षेत्र का अलग है तो मैदानी क्षेत्र में भी हर जगह अलग वातावरण है। मौसम की परिस्थितियां है, अलग जलवायु है उसके साथ समन्वयकैसे हो सकता है। एक किसान जो छोड़ रहा है अपनी खेती को, उसका नौजवान के साथ कैसे समन्वय हो इसकी जरूरत है और मैं समझता हूं जिस दिन इन प्रतिभाशाली छात्रों का समन्वयकिसानों के साथ एक बार हो जाएगा देश में अद्भुत क्रांति आएगी क्योंकि मैं हिमालय से आता हूं और मैं जानता हूं कि देश में प्रथम हरित क्रांति का जनक उसी धरती पर पंतनगर यूनिवर्सिटी मेंतैयार हुआ था। आज जो कहा जा रहा है कि फिर एक ऐसी क्रांति की ज़रूरत है जो वर्तमान परिस्थितियों में हमारे नौजवान को, हमारी प्रतिभाशाली पीढ़ी, हमारी प्रौद्योगिकी, हमारे ज्ञान-विज्ञान-अनुसंधान को एकसाथ जोड़ करके देश को खड़ा करने का सामर्थ्य पैदा हो सके और मुझे भरोसा है क्योंकि हमारे पास क्षमता की कमी नहीं है। हमारे पास सामर्थ्य की भी कमी नहीं है। हमारे पास विजन की भी कमी नहीं है, उस विजन को क्रियान्वित धरती पर करने के मिशन की भी कमी नहीं है। यदिकमी है तो उस समन्वय की कमी है जिसे आपस में टारगेट तय करके उसको प्राप्त करके, उस स्थान तक पहुंचाने की है। आपके लिए नयी शिक्षा नीति के क्रियान्वन का एक महत्वपूर्ण अंग है। जब हम कक्षा छह से वोकेशनल एजुकेशन को लाते हैं और वोकेशनल एजुकेशन भी इंटर्नशिप के साथ लातेहैं।आज हम केवल डिग्रीधारी बना रहे हैं और हमने क्लर्क पैदा किये और बाद में तकनीकी पर बल देकर हमने मनुष्य को मशीन बना दिया है।हमें तो इस नई शिक्षा नीति में मनुष्य भी बना कर के रखना है और तकनीकी को भी उसके शिखर पर पहुंचाना है और भारत को आत्मनिर्भर भी बनाना है। लेकिन भारत जो विश्वगुरु था उसके जो मूल्य हैं उनको भी साकार करते हुए उसकी आधारशिला पर खड़ा करना है। इसीलिए इस नयी शिक्षा नीति की दिशा में जो आप काम कर रहे हैं निश्चित रूप में अभी जिस बात को मैं कह रहा था कि कृषि मेंजब समय-समय पर किसानों को मार्गदर्शन मिलता है और जब उपज जलवायु और उसकी ताकत तथा क्षमता इन तीनों चीजों का समन्वय होगा और जो शोध कर रहे हैं, उसमेंहमारे ये प्रखर तरीके से आगे आएंगे तो बहुत परिवर्तन होगा। मुझे याद आता है जब मैं उत्तर प्रदेश में पर्वतीय विकास मंत्री था। 1998 में गढ़वालमंडल विकास निगम और कुमाऊं मंडल विकास निगम दो हमारे निगम थे। जब मैंने पहली बैठक की और पूछा कि क्या कर सकते हैं तो वहां से कई सुझाव आए लेकिन एक सुझाव उसमें यह भी था कि फूलों की खेती भी बहुत अच्छी हो सकती है क्योंकि हमारा जो मौसम है उसमें दो-तीन महीने तक भी फूल जिंदा रह सकते हैं। इस तरीके के भी फूल हमारे पास है। पुष्प उत्पादन एक बड़ा काम हो सकता है। मैंने कहा था कि पच्चीस प्रतिशतकीहम छूटदेंगे और नौजवानों को आगे लाओ। पहले वर्ष में जब हमने लागू किया था इसयोजना को तो दो करोड़ रुपये पहले वर्ष में उत्पादन किया था तो मैं बहुत खुश था। लेकिन राज्य बनने के बाद फिर मैं पहले वित्तमंत्री बना 2000 में और नियोजन भी मेरे पास था और उसके बाद हमने अब बाकायदा प्लानिंग की और जब मैं मुख्यमंत्री 2009 में बना तो लगभग 400 करोड़ रुपये का पुष्पउत्पादन हो रहा था। कहां दो करोड़ से लेकर कम समय में 400-500 करोड़ तक ले करके जाना। आज एकउद्यानिकी आवासीय विद्यालय बना है जो मध्य हिमालय के क्षेत्रमें है और उन्होंने अभी जड़ी-बूटी के रूप में कुछ काम करना शुरू किया है। जैसे अभी भट्टाचार्य जी कह रहे थे उद्यानिकी, वानिकी और तमाम दावे अब सुदृढ कैसे करके पैदावार जो बर्बाद हो रही हो, वह कैसे करके ठीक हो सकती है इसी को तो समझने की जरूरत है। अब उन्होंने इस तरीके से मटर टमाटर लगाया। मुझे इस बात की खुशी है कि आज टिहरी क्षेत्र से मटर-टमाटर सैंकड़ोंट्रकों के रूप में दिल्ली में आ रहे है। आज जो वहां का स्वाद है जो हिमालय की उन जड़ी बूटियों से निर्मित है, वह भी पूरे देश में जा रहा है। चाहे वो सब्जी पट्टी है, फल पट्टी हैअब आवश्यकता इस बात की है कि उसको कौन नए तरीके से तय करेगा। उदाहरण के लिए आलू मेरे वहां से लेकर के जब मार्केट में आता है तो एक वक्त था ऐसा जो मुझे याद आता है कि वही आलू चिप्स के रूप में जोएक-दो रुपये किलो बिक रहा था वो दस रुपए किलो और 25 रुपए किलो हम लोग ले रहे थे। हमारा समन्वय नहीं है किउनउत्पादित चीजों पर हम कहां और कब और कैसे और कहां तक किस प्रकार उसका विश्लेषण करें और उनका उत्पादन करें। इस पर आपशोध भी करेंगे, अनुसंधान भी करेंगे और इसको आगे बढ़ाएंगे। मुझे भरोसा है कि जिस तरीके से आपने यह आयोजन किया, अभी कुछ दिन पहले हमने ‘स्मार्ट इंडिया हैकाथान’किया, हमने ‘सिंगापुर इंडिया हैकाथन’किया, हमने कुछ दिन पहले जब देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा तो हमने खिलौनों का हैकाथॉन किया। साढ़े दस हजार करोड़ का खिलौने का हमारा बाजार है, जबकि कितना उत्पादन हो रहा है?80 प्रतिशत खिलौने हम बाहर से ला रहे हैं। इतना बड़ा देश हमारा है और जैसा डॉ. तिवारी ने कहा कि 135 करोड़ लोगों का देश क्या नहीं कर सकता और यह देश यंग इंडिया रहनेवाला है औरआगे20 और 25 साल में प्रतिभा की कमी नहींहै पूरी दुनिया में आगे प्रतिभा कीकौन सी कमी है, वो जो गड्ढे हैं वही हमको पाटने हैं और इसीलिए हमनेटॉय हैकाथान किया। क्या नहीं कर सकते हम, हम तो पूरी दुनिया में छा सकते हैं। जबकि अभी साढ़े दस हजार करोड़ का जो इसका बाजार है, उसमें भी अस्सी प्रतिशत बाहर से आ रहा है। यह भी हमने हैकाथान किया और हमतेजी से आगे बढ़ रहे हैं। मुझे लगता है कि जो यह आपका एग्रीफूडहैकाथानहै जिसेतीन महीने के अंदर-अंदर इसको करेंगे तो बहुत अच्छा हो सकता है। इसमें बहुत संभावनाएं हैं, बहुत गुंजाइश है और मुझे भरोसा है कि जो यह आपने ऑनलाइनतकनीकी उत्सव मनाया है, यहआत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक आधारशिला बन करके रहेगा। मैं यह समझता हूं कि जैसे खड़गपुर ने ग्रामीण विकास, अभिनव सतत प्रौद्योगिकी केन्द्र तथा कृषि और खाद्य एवं इंजीनियरिंग विभाग के जो स्कूल हैं, इन सभी से मिलकर केजिस तरीके से आपने यह कोशिश की है, यह अन्य लोगों के लिए भीएक उदाहरण बनेगा, मुझे ऐसा भरोसा है। मैं सोचता हूं कि इससे नवीन विचारों की पहचान और ऑनलाइनप्रतिस्पर्धा होगी और स्टार्ट अप सफल व्यवसाय के रूप में आप परिवर्तित करने में मददगार साबित होंगे। अभी कितना बड़ा काम आप करेंगे उसकीअभी कल्पना नहीं हो सकती है और जो मैंने कहा कि यह जो जागरुकता होगी, जो युवा किसान है, जो मेरे प्रतिभाशाली यहां केमेरे आईआईटी के जो छात्र हैं, वो किसान की उस विधा के साथ जुड़ेंगे क्योंकि किसान मेहनती है और यदिउसकीप्रतिभा,तकनीकी, मेहनत और जो अन्य शोध है वोयदि एक साथ मिल जाएगा तो निश्चित रूप से यहबहुत बड़ा काम होगा।आपको याद है कि जब देश में एक बार खाद्यान्न का संकट था और जब हम सीमाओं पर भी बहुत संकट में थे। उस समय हमारे देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी थे तब उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था और पूरा देश खड़ा हो गया था। तब वेकिसानों को किस तरीके से आगे लाये थे क्योंकि किसान ही हमारा अन्नदाता है और हमारे देश के वर्तमान प्रधानमंत्रीनरेन्द मोदी जी ने एक कदम आगे जाकर ‘जय अनुसंधान’ का नारा दिया। उनसे पहले हमारे अटल बिहारी बाजपेई जो देश के प्रधानमंत्री रहे, भारत रत्न अटल जी ने ‘जय विज्ञान’ का नारा दिया था तो जय जवान जय किसान, जय विज्ञान से जय अनुसंधान की ओर हम बढ़ रहे हैं और मुझे लगता है इसकी जरूरत है। जय अनुसन्धान और जयजवानवर्तमान में इनको मिलाने की ज़रूरत है। आज हम नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना कर रहे हैं। नेशनल टेक्नोलॉजी एजुकेशन फोरम का गठन कर रहे हैं ताकि अंतिम छोर के व्यक्ति को उसकी तकनीकी की जानकारी मिले उसका लाभ मिले तभी तो फायदा है। हमारे आज जितने भी आईआईटी हैं हम यहां से पढाने के बाद पूरी दुनिया में हमारे युवा छाये हुए हैं, अब तो होड़ पेटेंट की होनी चाहिए। हमारे लिए गौरव का विषय है और हम इस बात को गौरव के साथ भी कह सकते हैं कि हमारी पढ़ाई में बहुत दम है और शिखर का अस्तित्व हैं। इसी खड़गपुर से ऐसी-ऐसी प्रतिभाएं दुनिया में छाई हुई हैं और माइक्रोसॉफ्ट, गूगल जैसी बड़ी दुनिया की कंपनियों के सीईओ हमारे आईआईटीसे निकलकर के लोग गए हैं। कौन कहता है कि हमारी शिक्षा में कोई कमी है। हां,समन्वयमें कमी हो सकती है तथा थोड़ा सा इसको और ठीक करने में कमी है। इसीलिए नई शिक्षा नीति चाहिए और जब आप सब लोग मिलकर के करेंगे तोक्या नहीं हो सकता। सब कुछ होसकता है। पूरी दुनिया आज यदि कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय भी इस बात को कहता है और पूरी ताकत के साथ कहता है किहां, यह ऐतिहासिक है। नयी शिक्षा नीति पूरी दुनिया में एक नया परिवर्तन लेकर आयेगी तो न केवल वोविश्वविद्यालय बोलता है बल्कि दुनिया के लोग इस बात को स्वीकार करते हैं और यह रास्ता खुद से हीउपयोगी हो जाता है। जितने भी लोग जो सुन रहे हैं, यह सभी इसके क्रियान्वन के योद्धा के रूप में आगे आएंगे और हमारे अध्यापकगण को भी आगे आना है और उसी की प्रक्रिया या क्रियान्वन की यह प्रक्रिया है तो मुझे भरोसा है कि जो नेशनल टेक्नोलॉजी फोरम का हम गठन करेंगे वो अंतिम छोर के व्यक्ति को भी लाभ देगा और जो वोकल फॉर लोकल काहमारा सूत्र होगा। हम अंतिम छोर तक जाएंगे और अंतिम छोर को ले कर के अंतरराष्ट्रीय स्तर तक उसकी तकनीकी मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया एवंस्टार्ट अप इंडिया मेक इन इंडिया क्यों न पूरी दुनिया में मेक इन इंडिया हो सकता हो सकता है। इसके लिए संकल्प की जरूरत है मेरे देश के प्रधानमंत्री जी की बड़ी इच्छाशक्ति है। हम सब में लीडरशिप है। हम क्यों कमजोर बताते हैं मुझे तो पूरी दुनिया के लोग कहते हैंकियह बदलाहुआहिंदुस्तान है। बस आत्मविश्वास की जरूरत है। कृषि के क्षेत्र में प्रो.तिवारी कृषि विज्ञान के ये योद्धा हैं। इन्होंने काम किया तो ये आईआईटी खड़गपुर कृषि के क्षेत्र में पूरे देश का एक ऐसा मॉडल तैयार होना चाहिए क्योंकि आप एक श्रेष्ठ आईआईटी भी हैं। आपके अंदर छटपटाहट भी है, आपमें विजन भी हैऔर अथक कोशिश बनने की ताकत भी है। यह कम होता है कि विजन भी हो और उसको क्रियान्वित करने का दम भी हो और अपनी पूरी टीम के साथ रिजल्ट देने की ताकत होऔर यदि होता है तो फिर रिजल्ट भी निकलता है। मुझे भरोसा है क्योंकि पीछे के समय से मैं लगातार इस आईआईटी के साथ जुड़ रहा हूं। यदि यहां की यह पूंजी पूरे देश के अंदर अपनी सुगंध बिखेरेंगी तो मेरा देश फिर आत्मनिर्भर होकर के विश्व गुरु के रूप में स्थापित होगा। 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के रूप में खड़ा होगा जो मेरे देश के प्रधानमंत्री का विचार है। आप इसके लिए संकल्प लें और इस संकल्प को पूरे तरीके से करें। मुझे इस बात की खुशीहै। प्रधानमंत्रीजी ने पहले भी कहा है कि भारत में कृषि सुधार लाने के लिए पश्चिम बंगाल बहुत महत्वपूर्ण केन्द्र बिंदु है। पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्वी भारत के राज्यों में बड़े पैमाने पर ग्रामीण और आदिवासी आबादी के साथ कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है। लेकिन दुर्भाग्यवश हम अभी तक उसका पूरा उपयोग नहीं कर पायें हैं। मुझे भरोसा है कि जिस तरीके से यह शुरू हुआ है यह उस खाई को पाटेगा। अभी हमारी जो नयी शिक्षा नीति है वो पारंपरिक बातों को भी आगे लाकर नवाचार के साथ एवं नए अनुसंधान के साथ किस तरीके से उसको आगे लाया जा सकता है। जिस दिन पारंपरिक खेती वहां के पारंपरिक ज्ञान, अनुसंधान एवं विज्ञान आदि सभी एक साथ जुड़ करके खड़ा होगा उस दिन गांव से पलायन भी रुकेगा। गांव आत्मनिर्भर भारत के रूप में खड़ा होगा और गांव खड़ा हो गया तो देश खड़ा हो जाएगा और देश खड़ा होगा तो दुनिया खड़ी हो जाएगी क्योंकि विश्व इस बात को जानता है कि इस हिन्दुस्तान से होकर बहुत सारी चीजें गुजरती हैं। हिंदुस्तान ने पूरी दुनिया को अपना परिवार मानाहै। हमने विश्व बंधुत्व की केवल बातें ही नहीं की बल्किआपने उसके प्रमाण भी दिए हैं। अभी मुझे अच्छा लगा कि आपने शुरू किया ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया:’। फिर आपने कहा मां सरस्वती को कि यह वरदान दो। मुझे इतना बता सके कि मैं कल्याण कर सकूं तथा मैं कुछ दे सकूं। आज फिर आपने यह कहा कि वक्रतुंड महाकाय कोटी सूर्य उसकी भी विनती की कि जो हम काम शुरू करें वो रुकेगा नहीं। यह तीनों संकल्प सामान्य नहीं हैं। जिसने भी इसको शुरू किया निदेशक के दिमाग में आया होगा, निदेशक साहब के दिमाग में नहीं आया होगा तो दूसरे के दिमाग में वो संकल्प आया होगा। जब हम किसी चीज की शुरुआत करते हैं तो पता चल जाता है कि क्या मन है किसका। जब कोई बोलता है तभी तो पता चलता है आपके व्यक्तित्व का आपके दर्शन का,आपके मिशन का है तो जो आप बोलते हैं अंदर से वोतभी पता चलता है कि क्या सोच क्या रहे हैं और बोल क्या रहे है तथा कर क्या रहे हैं और रिजल्ट क्या निकलेगा। यदि आपबच्चे के आंखों में आंखें डालकर देखेंगे तो बच्चे के भविष्य का पता चलता है। मेरे आईआईटी खड़गपुर से निकलने वाला हर एक नौजवान मेरा आत्मविश्वाससेलबालब भरा होना चाहिए और इस विजन को आगे बढ़ाना है। हम लोग नौकरियों पाने के लिए नहीं बल्कि नौकरी पैदा करने के लिए तैयार करेंगे। हम दुनिया को नौकरी देने के लिए पैदा हुए हैं और कम से कम यह होड़ अब खत्म हो जानी चाहिए। पैकेज की दौड़ और होड़ नहीं होनी चाहिए। मैं तो बिल्कुल नहीं मानूंगा कि किसी का इस दृष्टि से मूल्यांकन होगा। इसलिए मैंने टाइम्स रैंकिंग वालों को भी कहा है औरइससे देश बदल नहीं सकता उसे दुनिया बदल नहीं सकती जो आपने मानक जिस तरीके के बनाये हैं। हम देश के अंदर अपने मानक बनाएंगे और दुनिया को उन मानकों पर आना पड़ेगा और मुझे भरोसा है कि देखिए न प्राचीन भारत में किसानों को समाज में सर्वोच्च श्रेणी में रखा जाता था और कृषि पद्धतियों की तुलना योग से होती थी। खेती कावैदिक अनुष्ठानों से गहरा संबंध था,उसवैज्ञानिक सोच का विश्लेषण होना चाहिए एवं वह सोच वो बाहर निकलनी चाहिए क्योंकि हमारी जड़ों से जब हम को काटा गया तो अबयह बात करते हैं तो जिन लोगों ने उस वैभव को नहीं देखा है औरजिन्होंने शोध एवं अनुसंधान नहीं किया है वो मजाक बनाते हैं कि ऐसा भी हो सकता है क्या? अभी कुछ दिन पहले जब हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने किसी देश में अभी कोरोना का वैक्सीन भेजा था, टीवी पर दिखा रहे थे कि हनुमान जी हाथ में संजीवनी बूटी लेते हुए जा रहे थे। मेरे देश ने नहीं दिखाया और यदि यहां दिखाते हो-हल्ला मच जाता। इसीलिए मैंने कहा कि इसकी भी जरूरत है। अभी चिंतालाजी को मैं कह रहा था कि यह हिमालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नगालैंड, अरुणाचल, हिमाचल, जम्मू कश्मीर जो क्षेत्र है, इस क्षेत्र में पूरीदुनिया की आयुर्वेदिकजड़ी-बूटी, संजीवनी बूटी है।हमउसके उत्पादन का दुनिया का सबसे बड़ा केन्द्र हो सकते हैं। मेरे नौजवानों को आगे आना चाहिए। इस दिशा में शोध और अनुसंधान हो, इसलिए मुझे भरोसा है कि इस दिशा में भी शोध और अनुसंधान करेंगे और उन सब चीजों को निकाल कर के बाहर लाएंगे। वैसे भी आप देखिए ना कि लगभग 60 प्रतिशत ग्रामीणपरिवार हैं और आप देखिए तो राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पादन में लगभग 70 प्रतिशत इनका योगदान है। कुल किसानों में से भारत में82 प्रतिशत लघु किसान हैं तो मैं यह समझता हूं कि कम लागत वाली प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वाराऐसे पैकेज तैयार किये जाएं। कम समय में कम स्थान में कम शक्ति से कम पैसे से अधिक उत्पादन का जो सूत्रहै वो कैसे करकेनिकल सकता है, कौन से स्थान पर कौन सा सूत्र बैठेगा, उसकी जरूरत है और इसलिए मुझे अच्छा लगा है कि आपका विचार आधुनिक सिंचाई का है, यंत्रीकृत खेती का है,उन्नत फसल कटाई का है, प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी और उपयुक्त प्रबंधकीय प्रक्रियाओं में हमारे ग्रामीण समुदायों की गरीबी को कम कैसे कर सकते हैं इसका हमको अभियान करना है एवं उनकी क्षमताओं को बढाना है और किसानों के हितों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।आपको याद होगा कि भारत सरकार ने कृषि मंत्रालय का नाम बदल करके कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय किया है। किसान कल्याण मंत्रालय उसकी मूल धुरी में तो किसानहै। मुझे लगता है कि 2022 तक देश के प्रधानमंत्री जी किसान की आय दुगना करेंगे उनके इस विजन को, उनकी इस संकल्प शक्ति को हमको पूरा करना है। डेढ गुना किसान की आमदनी अभी हुई है और2022 तक हमकोदो गुना करना है और मुझे भरोसा है कि आप जिस तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं उस लक्ष्य को निश्चित हीहम पूरा करेंगे। जैसे मैंने कहा कि मिट्टी की उर्वरता में सुधार हो, स्थायी प्रकृति के संसाधन प्रबंधन हों स्वास्थ्य कार्ड की योजना होइन सबको एक दूसरे से जोड़ने की जरूरत है। अभी जो हमेंजल दक्षता को करना है, जो प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई का है एवं परम्परागत कृषि विकास का है। जैविक खेती के समर्थन का है जो प्रधानमंत्री फसल बीमा है,ऐतीएक नहीं बहुत सारी योजनाएं हैं। क्या डॉ. तिवारीजी और डॉ. चिंतालाजीयह हो सकता है कि एक छोटी सी आप कमेटी बनाइए,कैसेहो सकता है? मैं राकेश जी को भी कहूंगा कि कमेटी ऐसी हो जो इस पर बाकायदा इन सब योजनाओं को करके जोड़े और फिर तकनीकी के साथ उसमें पहुंचे और ऐसा प्लेटफॉर्म हो जाए इन योजनाओं के साथ तकनीकी का किआमूलचूल परिवर्तन हो।मुझे भरोसा है देश के प्रधानमंत्री ने बहुत कुछ कहा है कि हमारे कार्यबल के पसीने से एवं कड़ी मेहनत सेऔर प्रतिभा के साथ भारतीय मिट्टी की खुशबू से ऐसे उत्पादन बनाएं जिससे आयात पर भारत की निर्भरता को कम करे और यहसंकल्प हमको लेना पड़ेगा कि क्यों बाहर से कोई चीज आए, क्या दिक्कत है? अब मुझे लगता है कि कोई ऐसी बात नहीं है कि यह देश अपने आप खड़ा नहीं हो सकता।देखिए ना, जो चीजें उत्पादितहुईहैंदेश में,देश के प्रधानमंत्रीजी ने मेरे नौजवानों को कहा कि संकट के समय में आप क्या कर सकते हो,हमने एक से एक अनुसंधान किए। निश्चित रूप में खड़गपुर और नाबार्ड द्वारा जो वित्तपोषित यह आईसी है और जो पूर्वी और उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में कृषि और ग्रामीण क्षेत्र में नवीन विचारों को उत्पन्न करने वाला यहअभियान है, इसकी मैं आपको शुभकामना देना चाहता हूं और जो विभागाध्यक्ष हैं उनको एवंउनकी पूरी टीम कोइस अवसर पर ढेर सारी बधाई देना चाहता हूं किआप करें और इसमें पेटेन्ट निकालें। इस दिशा में आगे बढ़ें और मुझे इस बात की खुशी है कि आपकी संस्था अनुसंधान की संस्कृति का पोषण कर रही है।साथ ही आप शिक्षा, कुपोषण, जल स्वच्छता, ऊर्जा एवं पर्यावरण, सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं, ग्रामीण आजीविका औरबहुत सारे क्षेत्रों में सामाजिक रूप से काम कर रहे हैं। मुझे खुशी है कि आपने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भी पूरी तरीके से लागू कर दिया है। आज जो आप शुरू कररहे हैं, यह निश्चित रूप में आपको और आगे बढ़ने में मदद करेगा और देश को एक उदाहरण देने के लिए भी एक अच्छा प्रयास होगा। मैंएक बार फिर आईआईटी खड़गपुर एवं मेरे साथ जुड़े सभी लोगों को बधाई देना चाहता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- डॉ. जी. आर. चिंताला, अध्यक्ष, नाबार्ड,
- प्रो. वी.के. तिवारी, निदेशक, आईआईटी खड़गपुर
- प्रो. एस. के. भट्टाचार्य, उप-निदेशक, आईआईटी खड़गपुर
- श्री राकेश रंजन, अपर सचिव, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
अविनाशलिंगम विश्वविद्यालय का 32वां दीक्षांत समारोह
अविनाशलिंगम विश्वविद्यालय का 32वां दीक्षांत समारोह
दिनांक: 22 जनवरी, 2021
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
अविनाशलिंगम गृह विज्ञान और महिला शिक्षा संस्थान, कोयंबटूर के 32वें दीक्षांत समारोह में मैं सभी अतिथिगण काबहुत-बहुत स्वागत कर रहा हूं,अभिनंदन कर रहा हूं और इस दीक्षांतसमारोह में उपस्थित और उपाधि लेने वाले सभी छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों सहित सभी शिक्षक को बहुत सारी शुभकामनाएं देना चाहता हूं। डॉ.एस के मीनाक्षीसुंदरम जी,मैं आपका भी आभार प्रकट कर रहा हूं क्योंकिआपके नेतृत्वमें आपका संस्थान बहुत अच्छे सेआगे बढ़ रहा है। कुलाधिपति प्रो. विजयन जी मैं आपका भी अभिनंदन करता हूं,डॉ. कौशल्या जी(रजिस्ट्रार)तथा संस्थान के सभी संकाय सदस्य, अध्यापकगण, ट्रस्टी मीडियासे जुड़े सभी साथीगण एवं अभिभावकगण, नये वर्ष की शुरूआत में आज जोबच्चों को उनकी उपाधियां मिल रही है इस अवसर पर आप सबको बधाई दे रहा हूँ। 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में जो मनाया जाता है उससे ठीक पहले यहजो अति महत्वपूर्ण अनूठा संस्थान है वो अपना 32वां वार्षिक दीक्षांत समारोह मना रहा है, मुझे आपके साथ जुड़कर के हर्षएवंगौरव का महसूस हो रहा है। आज मैं सभी छात्रों, उनके माता पिता और सभी सदस्यों का अभिनंदन करता हूं। अध्यापकगण और अभिभावकगण के सान्निध्य में उनकी प्रेरणा से जो बच्चा आज पढ़ करके डिग्री लेने की स्थिति में आया है इसलिएआपको अभिनन्दन कर रहा हूं,स्वाभाविक ही है कि यहक्षणहम सब लोगों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं और मेरे प्रिय छात्र-छात्राओं आप यहां से डिग्री ले करके जाएंगे। आज जिस दिन इस संस्थानमें आए होंगे उस दिन आपके मन में कितनी उत्सुकताएं रही होंगी और आज आप इतने समय के बाद अबअपने अध्यापकगण का मार्गदर्शन ले करके यहां से एक योद्धा के रूप में बाहर निकल रहे हैं। मैं यहसमझता हूँ कि हमारे देश में ‘‘यत्र नार्यस्तु पूजयन्तेरमन्ते तत्र देवता’ की परम्परा रही है अर्थात् जहां महिला का सम्मान होता है ईश्वर भी उसी परिवार में वास करता है, आता है, आशीर्वाद देता है और इसीलिए इससंस्थान से जुड़े सभी लोगों को मैंधन्यवाद देना चाहता हूँ। इस देश की आजादी के साथ यह अभियान आपका शुरू हुआ और आप लगातार इस दिशा में आगे बढ़ते रहे हैं। मैंछात्राओं को कहना चाहूंगा कि अभी तक तो बहुत सेजो सवाल थे, उन सवालों का जबाब आपने अपने गुरुजन से, अपने प्रोफेसर से, संकाय से मार्गदर्शन लिया होगा लेकिन अब तो आज के बाद आपको डिग्री मिलने के बाद मैदान में जाएंगी और हर सवाल आपके सामने खड़ा होगा और हर सवाल का आपको जबाब स्वयं ही देना होगा। मुझे भरोसा है क्योंकि यह देश विश्व गुरू रहा है। आप सबको मालूम ही है कि इस देश के बारे में ‘‘एतद् देश प्रसूतस्य, शकासाद् अग्रजन्मन:, स्वं-स्वं चरित्रं शिक्षरेन् पृथ्वियां सर्व मानव:’ कहा गया हैपूरी दुनिया का व्यक्ति यहां आकर के सीखकरके गया है। तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय अपने देश में थे जब कहीं दुनिया में कोई विश्वविद्यालय नहीं होता था। पूरी दुनिया के लोग शिक्षा, ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान की शिक्षा ग्रहण करने के लिए हमारे देश में आते थे। मैं यहसमझता हूं कि जिस तरीके सेइस बीच बालिकाओं की शिक्षा में देश आगे बढ़ा है और चाहे ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के अभियान से हो या कोई अन्य अभियान हो।अभीजब मैं तमाम आईआईटीज में, एनआईटी में, आईसीआर में दीक्षांत समारोहों में जाता हूं तो मुझे अधिकांश बालिकाएं गोल्ड मेडल लेते हुए मिलती हैं तो मुझे हर्ष का अनुभव होता है कि हां, हमारी जो बालिकाएं, हमारी जो छात्राएं हैं वो बहुत तेजी से आगे बढ़ रही हैं और निश्चित रूप से उनके माता-पिता को भी आज यहां पर गर्व महसूस होरहाहोगा। एनआईटीतिरुचिरापल्ली पिछले पांच वर्षों में एनआईटी के संस्थानों में उसने श्रेष्ठता अर्जित की है और नौवें स्थान पररैंकिंग में रहा है। उसएनआईटी को पीछे के समय में 8,500 करोड़ रुपये का फंड दिया गया भारत सरकार की ओर से,वहीं पर मद्रास आईआईटी को उच्च तकनीकी शिक्षा के बुनियादी के विकास के लिए और उत्कृष्ट आविष्कार के लिए भी मद्रास को 150 करोड़ रुपया देना सुनिश्चित किया था जबकि इसके अतिरिक्त आईआईटी मद्रास के लिए जो अनुदान सहायता के रुप में रहा,वहहीफाके माध्यम से प्रदान किया गया था। यह कोयंबटूर जिला जिसे चोल, राष्ट्रकूट, चालुक्य, पांड्या और विजयनगर के राजाओं ने समृद्ध ऐतिहासिक विरासत दी है और आज यह जिला अपने औद्योगिकीकरण के लिए भी जाना जाता है और दक्षिण भारत के यह एक बहुत महत्वपूर्ण सेंटर के रूप में भी जाना जा रहा है। इस संस्था के माध्यम से चाहे रामकृष्ण परमहंस जी हों, शारदा देवी जी हों,चाहेविवेकानंद जैसे महान् आदर्शों को जानने का हमलोगों को यहां पर अवसर प्राप्त होता है। मेरी डिग्रीधारी जितने भी युवा हमारी बहनें हैं उनको मैं कहना चाहता हूं कि विवेकानंद जी ने कहा था कि जब तक महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं हो जाता तब तक दुनिया के कल्याण के सभी प्रयासव्यर्थहै। जिस प्रकार एक पक्षी के लिए केवल एक पंख पर उड़ना संभव नहीं है उसी प्रकार राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए राष्ट्र के दोनों पंख यानीमहिला और पुरुष इन दोनों की शिक्षा बहुत जरुरी है और मैं समझता हूं जो स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था आज उसदिशा में हम आगे बढ रहे हैं। स्वामीजी का जो यह उदाहरण था जिसमेंउन्होंने कहा कि महिला साक्षरता हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है और जब तक पुरुषों और महिलाओं के बीच साक्षरता की यह खाई समाप्त नहीं होगी तब तक राष्ट्र का विकास भी दिवास्वप्न है, वो अधूरा है और मुझे यह कहते हुए खुशी है कि इस महिला विश्वविद्यालय नेउच्चतम गुणवत्ता वाले संस्थानों में अपना स्थान बनाया है। आज भी पूरे देश के अन्दर जब भी महिला शिक्षा पर तथा महिलाओं के उत्थान की चर्चा पर कोई चर्चा होती है तो आपका संस्थानबहुत महत्वपूर्ण स्थान पर आकर के खड़ा होता है। आपका संस्थान देश की आबादी के साथ जन्मा एवं विकसित हुआ है तथाइसमें ऐसे लोगों की प्रतिभा एवंऐसे लोगों का विजन रहा है जो हमेशा राष्ट्र, समाज और विश्व बंधुत्व की बात करने वाले तथा हिंदुस्तान के उस महान विचार के साथ राष्ट्र के उन्नयन और मेरी मातृ शक्ति की सशक्तता के विचार के साथ यह संस्थानशुरू हुआ है। आज वो विचार और पुख्ता हो रहे हैं तथा सशक्त और सबल हो रहे हैं। इस संस्था की समृद्धि की विरासत जो 1857में स्वतंत्रा संग्राम सेनानी, शिक्षाविद, समाजशास्त्री, परोपकारी और जो मद्रास राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ. टी.एस अविनाशीलिंगम,जिनको आमतौर पर अय्याके नाम से हम सब लोग जानते हैं, उन्होंने परिवार, समुदाय और समाज के सभी वर्गों और महिलाओं को विकसित करने और राष्ट्र निर्माण में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान कैसे हो सकता है,यहउनके मन में आया और वो पद्म भूषण से भी सम्मानित थे।उन्होंने एक बार कहा था कि चार कारक हैं – एक तो जीविका के लिए प्रशिक्षण, दूसरा सामाजिक भावनाकी खेती, तीसराकारक है बच्चों को ज्ञान तथा चौथा है अधिकारों और कर्तव्यों का पालन करना। हमारी महिलाओं को उनके कर्तव्यों जिम्मेदारियों के लिए प्रशिक्षित करना और इनसे भी ऊपर पवित्रता है भक्ति तथा चरित्र पर आधारित जीवन का एक सांस्कृतिक दृष्टिकोण। यह सभी कारक किसी भी आधुनिक समाज की अनिवार्यता हैं।उन्होंने उस समय कहा था कि यह जो चार चीजें हैं यह किसी भी समाज के उत्थान की दिशा में बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।यह उनकी दूरगामी सोच का ही परिणाम है कि पिछले कुछ वर्षों में इस विश्वविद्यालय ने विशाल वट वृक्ष के रूप में अपना स्थान बनाया है और उनके आदर्शों पर और बताये गये कार्यों को करने पर ही यह विश्वविद्यालय ऊंचाइयों को छू रहा है। वर्तमान में यह विश्वविद्याल चाहे ग्रह विज्ञान हो, भौतिक विज्ञान हो,जीव विज्ञान, कला, समाज विज्ञान, वाणिज्य और प्रबंधन सहित 34 विभागों में पीएचडी, एमफिल, परास्नातक,स्नातक पाठ्यक्रमों में 30 हजारछात्राएं अध्ययनरत हैं। मैं समझता हूं कि इतनी लंबी यात्रा में इस संस्थान ने कितने उतार-चढ़ाव देखे होंगे और उसके बाद यह संस्थान इतने विशाल वट वृक्ष के रूप में फल और फूल रहा है और 34 विभागों में पीएचडी से लेकर स्नातक एवं स्नातकोत्तर सहित तमाम डिग्रियां दिये जा रहा है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि यह आपकी मेहनत है,मैं यहां की जितनी भी संकाय सदस्य हैं उनको भी अभिनन्दन करना चाहता हूँ कि नैक में आपको वन प्लस ग्रेड मान्यता है। यह बहुत बड़ी बात है, आपने राष्ट्रीय स्तर पर स्वयं को खड़ा किया हैऔर शिक्षा मंत्रालय द्वारा यूजीसी से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों की ए श्रेणी में यूजीसी ने भी आपको रखा है। मेरी शुभकामना हैकि आप इसका यह स्तर बनाकर रखिये।मुझे विश्वास है कि आप देश और दुनिया की दिशामें और तेजी से आगे लाकर के और सशक्तिकरणकरेंगे, उस दिशा में मैं यह समझता हूँ कि कोविडकी महामारी के दौरान भी जो यूजीसी ने समय-समय पर निर्देश दिए हैं उनका भी यहां बहुत अच्छे तरीके से पालन हुआ हैं। मुझे बहुत खुशी है कि आपने डिजिटल संसाधनों का चाहे स्वयं हैं, स्वयं प्रभा है,इनसभी का आपने अच्छे से उपयोग किया है और आपको यह जानते हुए खुशी होगी कि जब कोरोना काल मेंपूरी दुनिया संकट से गुजर रही थी और तमाम देशों के लोगों ने अपने को एक-एक साल पीछे कर दिया था ऐसे वक्तपर भी भारत के शिक्षा मंत्रालय ने और भारत के संपूर्ण शिक्षा विभागों ने बहुत अच्छे तरीके से काम किया था। हमने बच्चे का वर्ष भी खराबनहीं होने दिया था एवं उसकी सुरक्षा भी की थीऔर उसके भविष्य का एक वर्ष भी बेकार नहीं जाने दिया। हमनेपरीक्षाओं का समय पर रिजल्ट निकाला और उनकोऑनलाइन शिक्षा दी। ऑनलाइन शिक्षा के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था।इस देश मेंएक हजार से अधिक विश्वविद्यालय हैं, 50 हजार से अधिक डिग्री कॉलेज हैं, एक करोड़ 10 लाख से अधिक अध्यापक हैं और 15 से 16 लाख स्कूल हैं और कुल यदिदेखा जाए तो अमेरिका की जितनी आबादी नहीं है उससे भी ज्यादा यहां पर छात्र छात्राएं हैं। 33 करोड़ छात्र छात्राएं हैं यह छोटी बात नहीं है, उन 33 करोड़ छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन पर लाना और उनकी मनःस्थिति बनाए रखना एवंउनको अवसाद में नहीं जाने देना। सारे विश्व का पहली बार ऐसा रिकॉर्ड होगा जिसमें हमने जेईई की परीक्षाओं को कराया। मैंनेनीट की भी परीक्षाओं को करवाया। इस कोरोना काल में दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षाओं को कराने में हमसफल रहे हैं। फाइनल परीक्षाओं को भी कराया क्योंकि हम जानते थे कि यदि परीक्षाएं नहीं हुई हैं तो यह कोरोना का काल तो चला जाएगा लेकिन उस बच्चे की जो डिग्री है उन पर लिखा जाएगा कि यह बिना परीक्षा के उत्तीर्ण किया जा रहा है और यदि वह कहीं भी जाता तो उसको यह कहा जा सकता था कि कोरोना काल के लोग यहां अप्लाई न करें क्योंकि वो परीक्षा से पास होकर नहीं आई हैं तो हम इसके जीवन पर वो काला दाग किसी कीमत पर हमने लगने नहीं दिया और परीक्षाएं भी करवाई। आज मुझे खुशी है कि ऐसी ही वक्त में आपका संस्थान आज इतनी बड़ी संख्या में डिग्री दे रहा है, पीएचडी की उपाधि दे रहा है। मैं आप सब को बहुत सारी बधाई और शुभकामनाएं देना चाहता हूं। यह बहुत बड़ी बात है। मैंने देखा कि आपने इसी बीच बच्चों कीमानसिक भलाई के लिए भी बहुत सारी गतिविधियाँ की हैं और आपके संस्थान नेऑनलाइन मोड के माध्यम से 331 वेबिनार,कार्याशाला,कौशल आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये हैं और निश्चित रूप से यह इस बात को प्रदर्शित करता है कि आप और आपका संस्थान तथा आपकी जो पूरी टीम है वो समर्पण भाव के साथ यहाँ पर काम कर रही है। मैं आप सबको बहुत बधाई देना चाहता हूँ औरइस अवसर पर मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि आपको तो मालूम है कि हमारी नयी शिक्षा नीति पूरी दुनिया के लिए एक बिल्कुल चमत्कार के रूप में आयी है। हिंदुस्तान की भारत केंद्रित नई शिक्षा नीति आयी है। हमारे देशके प्रधानमंत्री जी ने दो-तीन बातें कही और वो बार-बार कहते हैं कि मुझे 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत चाहिए। हमें ऐसा भारत चाहिए जो सुन्दर हो, सशक्त हो, समर्थ हो,स्वच्छहो,आत्मनिर्भर हो, श्रेष्ठ हो और एक भारत हो और जहां हम श्रेष्ठ भारत और आत्म निर्भर भारत की बात कह सकतेहैं। उन्होंने मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडिया जैसे हमको सूत्र भी दिए हैं। आखिर यह135करोड़ लोगों तक देश हैऔर तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान की पूरी दुनिया के शीर्ष केंद्र हमारे देश में रहे हैं तो किस बात की कमी है इसलिए जो यह नयी शिक्षा नीति आई है इसमें 10+2 को हटाकर के 5+3+3+4 आयाहै और जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं तो हमें मालूम होगा चाहिए कि इस देश को विश्वगुरु कहा गया हैऔर वहीं इसको सोने की चिड़िया भी कहा गया और इसीलिए आज जो इसकी आर्थिकी है और जिस तरीके से कौटिल्य का अर्थशास्त्र आज पूरी दुनिया में जाना पहचाना जाता है और इस देश की धरती पर जो अर्थशास्त्र है, जो आर्थिक निर्भरता है, जो आत्मनिर्भर भारत की की बात की है,निश्चित रूप सेयह जो नई शिक्षा नीति है वो प्राथमिक शिक्षाअपनीमातृभाषा में शुरू कर कर रहे हैं और मातृभाषा में तमिल है,तेलगू है, मलयालम,कन्नड़, गुजराती, मराठी, बंगाली, हिन्दी, उर्दू और असमी सहित खूबसूरत हमारे संविधान में हमको 22 भारतीय भाषाएं मिली हैं। पूरी दुनिया में इतनी विविधता केवल हमारे ही देश में देखी जाती है और अनेकता में एकता का परिचय है मेरा हिंदुस्तान और इसीलिए पूरी दुनिया हिंदुस्तान को माथा नवाती है। यहां हिंदुस्तान की अपनी परंपराएं, अपनी संस्कृति है औरहमने पूरे विश्व को अपना परिवार माना है। पूरी वसुधा को कुटुम्ब माना है और उस परिवार में ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया’ यह भी कहा है कि जब तक धरती पर कोई एक भी इंसान दुखी रहेगा तब तक में सुख का एहसास नहीं कर सकता हूं और इसीलिए भारत की गौरवशाली परंपरा है। सुश्रुत, आचार्य चरक, बौधायन, भास्कराचार्य, पाणिनी, आर्यभट्ट जैसे व्यक्ति इस देश में पैदा होते हैं।हमारे पास तमाम ग्रंथ हैं उनमें शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में हमको आगे बढ़ना है। अभी आपको मालूम होगा कि कुछ दिन पहले हमारी नई शिक्षा नीति के बारे मेंकैम्ब्रिजविश्वविद्यालय ने कहा है कि यहअद्भूत है। दुनिया में सबसे बड़े रिफॉर्म के साथ आई यह जो नई शिक्षा नीति 2020 है जिसने भारत वर्ष सहित पूरे विश्व को एक नई दिशा देने का काम किया है।कैम्ब्रिज ने अपने पत्र में लिखा कि भारत ज्ञान का भंडार था, यह ज्ञान का पूरी दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र था और सारी दुनिया जानती हैकिउन्होंने भी बहुत तारीफ की बल्कि अभी कुछ ही दिन पहले उनके विदेश मंत्री जी भी हमारे पास आए थे और उन्होंने भी बहुतप्रशंसा की इस नीति की।बच्चे को बाल्यकाल से ही उठाकर के और उसकी जो अंदर क्षमताएं हैं उनको हम कैसे बाहर निकाल सकते हैं, यह नीति इस दिशा में है। हम ‘छठवी कक्षा से ही वोकेशनल ट्रेनिंग भी दे रहे हैं जो हम इन्टर्नशिप के बाद देंगे। बच्चा अपने स्थानीय उत्पादों के साथ अपना जुड़ाव करेगा, वह क्या कर सकता है वहां पर खड़ा होते हुए अपना किसी को स्टार्ट अप चलाना हो, चाहेकिसीकोशोध एवं अनुसंधान करना हो, वो भी वहीं से शुरू हो जाएगा और अब एकमुखी मूल्यांकन नहीं होगा। अब 360 डिग्री होलिस्टिक मूल्यांकन होगा। बच्चा अपना भी मूल्यांकन करेगा, उसके परिवार का व्यक्ति भी मूल्यांकन करेगा, अभिभावक और अध्यापक मूल्यांकन करेगा तथाउसका साथी भी मूल्यांकन करेगा। यह चौमुखी मूल्यांकन होगा और उसका चौमुखी विकास भीहोगा। मुझे लगता है उच्च शिक्षा में भी आपके लिए बहुत अच्छा अवसर है। मेरी बहनों, मैं आपको अनुरोध करना चाहता हूं क्योंकि हमारी शक्तिहै और आज बालिकाओं ने हर क्षेत्र में आकाश का स्पर्श किया है। मैं जहां भी जाता हूं, अधिकांश जो टॉप पर हैं वो बालिकाएं आती हैं। अभी आईआईटी में बड़ी संख्या में बालिकाएं आई हैं। मेरे केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में जाता हूं तो टॉप पर हैं मेरी बालिकाएं और वे सबसेपहले मुझे दिखती है तो मैं आपको बहुत शुभकामना देना चाहता हूं। मेरे देश का भविष्य आप हैं, मेरे देश का हीनहींबल्कि पूरी दुनिया का भी भविष्यहैं आप। आप जहां आज इस डिग्री को लेकर केजा रहे हैं तो पूरा मैदान आपके सामने खाली है और आपको दौड़ना है। यह जो नई शिक्षा नीति है, यह शोध और अनुसंधान के साथ भी आगे आई है। ‘नेशनल रिसर्चफाउंडेशन’अबशोध की संस्कृति को विकसितकरेगा। आज तक हम पैकेज की दौड़ में थे। कितना बड़ा पैकेज मिल गया ऐसा लगता था की वो हीबहुत महत्वपूर्ण है लेकिन अब आप लोग पेटेंट की दौड़ में आएंगे। पैकेज की दौड़ छोड़ करके हम पेटेंट के लिए आगे बढ़ेंगे। हमारे पास बहुत कुछ है, उसको हमें शोध अनुसंधान करके पेटेंट करना है, दुनिया को देना है और इसलिए जहांशोध और अनुसंधान के क्षेत्र में हम‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ गठन करे रहें हैं, वहीं तकनीक को अंतिम छोर तक कैसे ले जा सकती है। इसके लिए नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम का गठन किया जा रहा है ताकि अंतिम छोर के व्यक्ति को तकनीकी का ज्ञान मिल सके और उसका स्किल विकास करके तथा उसका कौशल विकास करके उसको लोकल से ग्लोबल तक पहुंचाने का जो अभियान है, उसे आगे बढ़ा सकें। इस शिक्षा नीति मेंआप कभी भी विषयले सकते हैं और कभी भी किसी भी विषय को छोड़ सकते हैं। इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्थितिवशछोड़के जा रहा है तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष दोनों खराब हो जाते थे लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा।यदि वह परिस्थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहा है तो उसको सर्टिफिकेटदेंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़ेकर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगेइसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।वह कहां जाना चाहता है, शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में जाना चाहता है तो वेकोई भी विषय ले सकते हैं, कभी भी आ सकते हैं और कभी भी छोड़ सकते हैं आपके लिए पूरा मैदान खाली हैअभी शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में मेरा आग्रह रहेगाकि यह ज़रूरी है। हमारे लिए पेटेंट ज़रूरी है और उसके लिए मुझे इस बात की खुशी है कि आज भी हम पूरी दुनिया के 129शीर्ष विश्वविद्यालयों के साथ ‘स्पार्क’के तहत अनुसंधान कर रहे हैं। हम स्पार्कके अलावा, स्ट्राइड है, इम्प्रिंट है, इम्प्रैस है, स्टार्स है,इस सारे कार्यक्रमों के माध्यम सेशोधऔर अनुसंधान के क्षेत्र में भी हम लगातार काम कर रहे हैं और बालिकाओं ने भी शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में बहुत अच्छी अपनी पहल को किया है और जो अभी वर्ष 2018-19 के अनुसार देश में जो महिला का नामांकन हुआ है वो कुल नामंकन का 48.6 प्रतिशत हैतो यह आंकड़े बताते हैं कि अबमहिला शिक्षा है वो बहुत तेजी से दौड़ रही है और उसको अब कोई रोकेगा नहीं। आपको यह भी खुशी होगी कि यू-डायस जोडेटा है, वर्ष2018-19 केअनुसारप्राथमिक स्तर पर बालिकाओं के सकल नामांकन का अनुपात 96.2 प्रतिशत है। हम लड़कियों की शिक्षा के लिए अपनी सभी अपीलों और अभियानों को और तेजी से मजबूत करने में जुटे हुए हैं। जो यह नई शिक्षा नीति है वो कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की गुणवत्ता और उन्हें12वीं तक आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है और आपको खुशी होगी की पूरे देश के अंदर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय बहुत अद्भुत तरीके से चल रहे हैं और विशेषकर के ग्रामीण क्षेत्र और पिछड़े क्षेत्र की बालिकाओं के लिए तोयह वरदान साबित होगा। मुझे लगता है कि यहजो आपका संस्थान है और जोडॉ.टीएस अविनाशीलिंगम जी की सोच थी वो यहां समाहितहो रही है। हमारे प्रधानमंत्री जी का भी यही मानना है कि शिक्षा जीवन को आत्मनिर्भर बनाती है और इसकी जो झलक है वो आपके संस्थान में मुझे दिखाई देती है। मुझे भरोसा है कि जो वर्तमान में पूरी दुनिया में चल रहा है वो आज यह संस्थान भी उन सभी चीजों को शोध और अनुसंधान के साथ आगे बढ़ाएगा। हमने आत्मनिर्भर भारत की बात की है, हमने मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया,स्किल इंडिया औरस्टार्ट अप की बात की है। हमने आज नवाचार के रूप में स्मार्ट इण्डिया हैकाथानकिया है। हम आसियान देशों के साथ अभी हैकाथानकर रहे हैं। हमारी जो बालिकाओं की शिक्षा है वो वैज्ञानिक क्षेत्र में हमको खुशी है कि जिधर मैं देखता हूं आज बालिकाएं चाहे वो इसरो में हों और चाहे प्रशासनिक क्षेत्र में हों तथाचाहे सामाजिक क्षेत्र में हों या राजनैतिक क्षेत्र में हों हर स्थान पर बहुत महत्वपूर्ण उपस्थिति हमारीबालिकाएं दर्जकर रही है और यह जोअभी नयी शिक्षा नीति है वो नई शिक्षा नीति इसी बात को प्रदर्शित करती है कि हम हर हालत में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह नीति नेशनल भी है तो इंटरनेशनल भी है, इनोवेटिव भी है, इन्क्लुसिव भी है, इन्टरेक्टिव भी है और यह इक्विटी, क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी है। नई शिक्षा नीति में हम अपना श्रेष्ठ कंटेट भी देंगे, उत्कृष्ट कंटेट के साथ इसे टेलेंट से भी जोड़ेंगे। मुझे भरोसा है कि उस दिशा में आपका संस्थान आगे आयेगा। मुझे लगता है कि आज आपके संस्थान के लिए गौरवशाली क्षण हैं। अभी हमने ‘स्टडी इन इंडिया’ एवं ‘स्टे इन इंडिया’ की बात की क्योंकि हमारे देश से 7-8 लाख छात्र प्रतिवर्ष विदेशों में पढ़ने के लिए जा रहे हैं। हमारे देश का पैसा और प्रतिभा दोनों बाहर चली जाती हैं, जो वापस हमारे देश में नहीं आती है। इसलिए हमने‘स्टे इन इंडिया’ किया और हमने छात्रों को भरोसा दिलाया कि हमारे आईआईटी, एनआईटी, आईएसर तथा केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में योग्यता है, क्षमता है और आपको बाहर जाने की जरूरत नहीं है, जोअब लोगों की समझ में आ गया है। मुझे खुशी है कि पीछे के समय हमने जेईई परीक्षाएं करवाई। मुझे इसबात की भी खुशी है कि दो लाख से भी अधिक छात्र जो विदेश में जा रहे थे,वे जेईई और नीट की परीक्षाओं में सम्मिलित हुए। हम ‘स्टे इन इंडिया’ के तहत दुनिया के शीर्ष सौविश्वविद्यालयों को अपनी धरती पर आमंत्रित कर रहे हैं, आपकोकहीं जाने की जरूरत नहीं है और यहां के जो शीर्ष विश्वविद्यालय हैं वेभीबाहर जा रहे हैं। यह आदान-प्रदान हम करेंगे। मुझे भरोसा है कि देश अब नई करवट ले रहा है और नई शिक्षा नीति जो हमारी आरहीहै तो यह संस्थान पूरी ताकत के साथ नई शिक्षा नीति को क्रियान्वित करेगा। मुझे भरोसा है कि बालिकाओं की शिक्षा और भी सशक्त होगी और जो बहनें आज यहां से उपाधि लेकर जा रही है मैं उनको एक बार फिर शुभकामनाएं देता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- प्रो. एस.पी. त्यागराजन, कुलाधिपति,अविनाशलिंगम गृह विज्ञान और महिला शिक्षा संस्थान, कोयंबटूर
- डॉ.प्रेमवती विजयन,कुलपति,अविनाशलिंगम गृह विज्ञान और महिला शिक्षा संस्थान, कोयंबटूर
- डॉ. (श्रीमती) एस. कौसल्या, कुलसचिव,अविनाशलिंगम गृह विज्ञान और महिला शिक्षा संस्थान, कोयंबटूर
कुवैत में प्रवासी भारतीयों के साथ एनईपी पर परिचर्या
कुवैत में प्रवासी भारतीयों के साथ एनईपी पर परिचर्या
दिनांक: 22 जनवरी, 2021
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
भारतीय प्रवासी परिषद कुवैत द्वारा एनईपी 2020 पर आज बहुत ही महत्वपूर्ण सम्मेलन आपने आयोजित किया है तो मैं सबसे पहले सभी आयोजकों का हृदय की गहराइयों से बहुत अभिनंदन कर रहा हूं और इस बहुत ही महत्वपूर्ण कार्यक्रम में यहां पर उपस्थित भारत के राजदूत श्री सीबी जॉर्ज जी, प्रवासी भारतीय परिषद् के संरक्षक और कई संगठनों के संस्थापक सदस्य श्री वेणु गोपाल जी,अधिवक्ता व अध्यक्ष भारतीय प्रवासी परिषद्श्री सुमोध जी, आयोजन समिति के सचिव और भारतीय प्रवासी परिषद के आयोजन सचिव श्री विजय राघवन जी, उपाध्यक्ष भारतीय प्रवासी परिषद् संपत कुमार जी, उपाध्यक्ष भारतीय प्रवासी परिषद महिला शक्ति श्रीमती रेम धनेश जी और महासचिव भारतीय प्रवासी परिषद महिला प्रकोष्ठ श्रीमती विद्या सुबोध जी, प्रिय भाई मुकेश गुप्ता जी, परिषद से जुड़े सभी सदस्य गण, पदाधिकारी गण, भारतीय दूतावास के सभी अधिकारी और कर्मचारी वर्ग कुवैत में रहने वाले सभी सीबीएसई के हजारों छात्र और उनके सभी अभिभावक गण, सीबीएसई स्कूलों के प्राचार्य और सभी अध्यापक गण तथा यहां पर 10 लाख से भी अधिक जो भारतीय हैं जो आज मुझसे जुड़े हुए हैं, मैं भारत की धरती से आप सब लोगों को अभिवादन कर रहा हूँ तथा आपका अभिनंदन कर रहा हूँ क्योंकि आप इतनी दूर जाकर के भी भारत की गहरी जड़ों से जुड़े हैं और वो भारत जो पूरे विश्व के लिए है और उस भारत के लिए आपके मन में हमेशा से ही श्रद्धा और विश्वास, निष्ठा और समर्पण का भाव रहा है और मुझे आज खुशी है कि पूरी दुनिया में सबसे बड़े रिफॉर्म के रूप में हमारी नई शिक्षा नीति आई है। भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री जिनकी पूरी दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय नेताओं में गिनती होती है, उनके सानिध्य में तथाउनके संरक्षण में एवं उनके मार्गदर्शन में भारत में पूरे आमूलचूल परिवर्तन की दिशा में नईशिक्षा नीति आयी है।नई शिक्षा नीतिबहुतबड़े बदलाव और सुधारों के साथ आई है और वो पूरी दुनिया के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण साबितहोगी। इससे न केवल भारतीय लोगों को इसका लाभ मिलेगा बल्कि कुवैतको भी इसका पूरा लाभ मिलेगा क्योंकि यह पूरी दुनिया मेंसबसे बड़े विमर्श के बाद आनेवाली शिक्षा नीति है। दुनिया में शायद ही कभी किसी नीति पर इतना बड़ा परामर्श हुआ होगा। आप समझ सकते हैं कि हिंदुस्तान में शिक्षा का वैभव कितना बड़ा है।हमाराहिंदुस्तान दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और इसमें शिक्षा के व्याप को यदिआपभी देखेंगे तो हमारे पास एक हजार से भी अधिक विश्वविद्यालय हैं, हमारे पास 50 हजार से भी अधिक डिग्री कॉलेज हैं, हमारे पास लगभग 16 लाख स्कूल हैं और केवल यदि अध्यापक की गणना करूं तो 1 करोड़ 10 लाख अध्यापक हैं और जो विद्यार्थियों की संख्या है मेरे हिन्दुस्तान की वो कुल मिलाकर के अमेरिका जैसे देश की कुल जनसंख्या जितनी नहीं है उससे भी अधिक 33 करोड़ छात्र-छात्राएं हिन्दुस्तान की धरती पर हैं। आप समझ सकते हैं किअगले 35 वर्षों तक हमारा देश यंग इंडिया रहने वाला है। ऐसे वक्त में उसकी एक ऐसी शिक्षा नीति आई है जो आमूलचूल परिवर्तन करेगी और जो न केवल भारत मेंनए भारत के निर्माण की बात करती हैबल्कि विश्व फलक पर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तमाम परिवर्तनों के रूप में उभर कर के सामने आती है। हम नहीं भूलते हैं कि भारत विश्वगुरु रहा है और पूरी दुनिया ने भारत से आकर सीखा है। आपको मालूम होगा कि तक्षशिला, नालंदा औरविक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय हमारे देश में थे, जहां ज्ञान विज्ञान अनुसंधान नवाचार और जीवन मूल्यों को सीखने के लिए पूरी दुनिया के लोग आते थे और वो भारत जिसमेंसुश्रुत जैसे शल्य चिकित्सकपैदा हुए,आचार्य चाणक्य जैसे विधि तथा नीतिवेताइस देश में पैदा हुए, कणाद जैसे अणुओं और परमाणुओं का विश्लेषण करने वाले भी इसी धरती पर पैदा हुए हैं। आयुर्वेद जो आयु का विज्ञान है और जिस आयुर्वेद के पीछे आज पूरी दुनिया खड़ी है, उसके महान् ज्ञाता चरक ऋषि की ‘चरक संहिता’ की रचना भी इसी देश में हुई है।पीछे केसमय में दुनिया में हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्रीजी नेपूरे विश्व के सबसे बड़े मंच पर मनुष्य की रक्षा हेतु चाहे वहकिसी भी देश का क्यों नहीं है लेकिन इस मानव की आज जिस तरीके से उसकी रक्षा की बात की और आज उसके स्वास्थ्य से लेकर के उसके तन और मन के स्वास्थ्य की चिंता की और योग को उसके लिए उपयोगी बताया और पूरी दुनिया ने उसको माना। शायद दुनिया के इतिहास में यह पहली बार हुआ होगा कि इतने कम समय में कोई प्रस्ताव पारित हो जाए और 197 देश उसके पीछे खड़े हो जाएं और लागू भी हो जाए। 21 जून को पूरी दुनिया योग दिवस मनाती है और योग के जनक पातंजलि भी भारत की धरती पर पैदा हुए हैं। अभी कुछ दिन पहले जब हमारी नई शिक्षा नीति आई है तो उसकी प्रशंसा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय जो दुनिया के शीर्षविश्वविद्यालयों में से एक है,उसने कहा कि हां, भारत एक ज्ञान की शक्ति पहले से रहा है और यदि भारत के आर्यभट्ट गणित नहीं देतेतो शायद विश्व के बहुत कुछ अपने हाथ में नहीं रहता। बीज गणित को देने वाला आर्यभट्ट हो या भास्कराचार्य यह सब हिन्दुस्तान की धरती पर ही पैदा होते हैं। यदि अर्थशास्त्र की दिशा में भी देखेंगे तो कौटिल्य के अर्थशास्त्र काकोई सानी नहीं है। जिस आत्मनिर्भरभारत की मेरे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने बात की है वो कौटिल्य के अर्थशास्त्र में निहित है, जिसको लेकर देश को सोने की चिड़िया कहते थे। जहां एक ओर दुनिया उसको विश्व गुरु कहती है तो दूसरी ओर उसको सोने की चिड़िया भी कहते थे और इसीलिए चाहे बौधायन होऔर चाहे नागार्जुन हों और चाहे ऋषि कणाद हो और चाहे आर्यभट्ट हो यदि इनकी एक लंबी श्रृंखला को मैं कहूंगा तो एक लंबा समय हो जाएगा लेकिन निचोड़ यह है कि भारत पूरी दुनिया में ज्ञान की महाशक्ति के रूप में रहा है। वो आज भी हमारे पास है और भारत का विचार कभीछोटा नहीं रहा है। मेरा देश ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की बात करने वाला है। हमने कहा है कि ‘अयं निज: परो वेति गणना लघु चेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्’ अर्थात्पूरी वसुधा को हमने अपना कुटुम्ब माना है और उसके लिए ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया सर्वे भद्राणी पश्यन्तु मा कश्चिद् दुखभाग्भवेत’की कामना की है। जब तक धरती पर एक भी प्राणी दुखी होगा तब तक मैं सुख का अहसास नहीं कर सकता यह है हमारा संकल्प, यह है हमारा विचार और उस विचार को पुख्ता करने के लिए जो हमारे प्राचीन वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, भाषाविदों,का कोई सानी नहीं हैं। चाहेबौधायन हो, कौटिल्य का अर्थशास्त्र आज भी उन्हीं मुद्दों पर खड़ा है और मैं समझता हूं कि जो मेरे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने नये भारत की बात की है और ऐसा भारत जो स्वच्छ भारत हो, स्वस्थ भारत हो, सशक्त भारत हो, श्रेष्ठ भारत हो, आत्मनिर्भर भारत हो औरएक भारत हो और जो21वीं सदी का स्वर्णिम भारत होउसस्वर्णिम भारत के लिए यहनई शिक्षा नीति आई है। यह नयी शिक्षा नीति नए आयाम के साथ आयी हैजोकमजोर तबके को जोड़नेकी बात करेगी और शिखर पर पहुंचने की बात भी करेगी।इसलिए नईशिक्षा नीति पर आज जो चर्चा की है उसे हम बहुत बेहतर तरीके से लायेहैं। हमने इस नीति में मातृभाषा से शुरू किया है कि हमारी प्रारंभिक शिक्षाबच्चे की अपनीमातृभाषा में होगी क्योंकि जितनी अभिव्यक्ति बच्चाअपनी मातृभाषा में दे सकता है उतनी किसी दूसरी सीखी हुईभाषा में नहीं हो सकती है। इसलिए यूनेस्को लगातार इस बात का दबाब देता रहा है।जबसतत विकास के लक्ष्यों की यूनेस्को ने चर्चा की थी, उस समय भी यूनेस्को ने शुरू से ही इस बात को कहा था कि अपनी मातृभाषा में ही शिक्षा होनी चाहिए।हमने10+2को हटा दिया और उसके स्थान पर 5+3+3+4 लेकर आये हैं। वैज्ञानिकों का यह कहना है कि बच्चे में तीन से छह वर्ष तक बहुतविलक्षण प्रतिभा होती है और उसका लगभग 85 प्रतिशत का जो मस्तिष्क का विकास होता है वह तीन से और छह वर्ष के बीच होता है इसलिए हम इस अवसर को भी हाथ मेंपकड़ करके रखना चाहते हैं। खेल-खेल में बच्चे की प्रतिभा को समग्र तरीके से बाहर निकाला जा सकता है। हम भी खेल के माध्यम से उस 3 वर्ष के बच्चे को लेकर के आगे बढ़ायेंगे। हमने 5 को भी 3+2 में किया है जिसके तहत तीन वर्ष तो बच्चा आंगनबाड़ी में रहेगा औरमौज मस्ती के साथ रहेगा लेकिन वह क्या देखना चाहता है, क्या बोलना चाहता है, क्या समझना चाहता है, क्या अभिव्यक्त करना चाहता है, इन सबको ध्यान में रखकर उसके मन के अनुरूप शिक्षा देंगे उसे इस तरीके का परिवेश देंगे कि वह चाहता क्या हैऔर उसकेअंदर क्या है और कैसे करते उसकी सब प्रतिभा बाहर निखर कर क्या सकती है और उसके बाद यह शिक्षा आगे जाती है तो हम छठी कक्षा से ही बच्चे को व्यावसायिक शिक्षा देंगे आज की शिक्षा केवल डिग्रीधारी है,डिग्री कौन से लाभ दे रही है उसकाजीवन में लोगों को पता ही नहीं था और इसीलिए अब छठी क्लास से वोकेशनल एजुकेशनवो भी इन्टर्नशिप के साथ हमदेंगे। हम केवल अंक ज्ञान और पुस्तकीय ज्ञान मात्र नहीं देना चाहते बल्कि हम उसको स्थानिकता से जोड़कर व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना चाहते हैं। हमने मातृभाषाओं को शिक्षा का माध्यम बनाने पर बल दिया है। तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़, गुजराती, मराठी, बंगाली, असमिया,उड़िया,संस्कृत, हिन्दी, पंजाबी ये सभीहमारीभारतीयसंविधान में हमारी 22 भारतीय भाषाएं हैं,हमेंउन 22 भारतीय भाषाओं को और सशक्त करना है। इन भाषाओं में विज्ञान है, अनुसंधान है,आचार है,विचार है,सदाचार है, परंपराएं हैं तथा तमाम ज्ञान और विज्ञान और व्यवहार उसमें समाया है, उसकी संस्कृति समाई हुई इसलिए इन भाषाओं के माध्यम से उसकी भी शिक्षा शुरू करनी है। कोई राज्य चाहे तो ऊपर तक भी अपनी मातृभाषा में शिक्षा को दे सकता है। लेकिन छठवीं कक्षा से हीजो वोकेशनल एजुकेशन होगा उसके तहत बच्चा छठवीं, सातवीं, आठवीं, नौवीं, दसवीं तक जाते जाते एक ऐसे योद्धा के रूप में बाहर निकलेगा जब उसेकिसी के पैरों पर खड़े होने की जरूरत नहीं होगी औरवो अपना स्टार्ट-अप स्वयंभी शुरू कर सकता है। यह‘आत्म निर्भर’ भारत की जो बात है उसको मालूम है मेरे गांव के आस-पास क्या है मेरे प्रदेश में क्या है, मेरे क्षेत्र में क्या है,उन पर शोध अनुसंधान और नवाचार करके उसको उबार सकता हूं। उन समस्याओं का भी समाधान कर सकता एक नई संभावनाओंको तलाश सकता हूं और यह इतना बड़ा देश है135 करोड़ लोगों का देश है। जैसा कि मैंने कहा हिन्दुस्तान दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और इसीलिए हम उसको वोकेशनल एजुकेशन भी दे रहें हैं और उस के स्कूली शिक्षा से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस भी दे रहे हैं जहां हम अभी तक आईआईटी में पढ़ाते थे जाकरके बच्चा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पढता था अब उसको स्कूली शिक्षा से देंगे। शायद दुनिया का हिंदुस्तान पहला देश होगा जो स्कूली शिक्षा से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस देगा। मैंने देखा आज 50 हजार बच्चे कुवैत के मेरे साथ जुड़े हैं। सीबीएसई के बोर्ड में भी सारे के सारे आमूल चूल परिवर्तन किए हैं और सीबीएसई के आज हमारे पूरी दुनिया में लगभग 18 से 30 देशों में सीबीएसई के स्कूल चल रहे हैं और पूरी दुनिया का हम पर दबाव है कि हमको भी सीबीएसई स्कूल चाहिए क्योंकि सीबीएसई से पढ करके निकलने वाला बच्चा हीरा होता है हीरा। और मैं आपको शुभकामना देता हूं कि जो नई शिक्षा नीति आई है आप वो हीरे चमकेंगे जो सारी दुनिया में ऐसा प्रकाश देगे जिससे दुनिया को सुख और शांति और समृद्धि भी प्राप्त होगी। और इसीलिए हम यह एजूकेशन दे रहे हैं लेकिन बच्चे काअबएक सूत्री रिपोर्ट कार्ड भी नहीं होगा कि उसको केवल रिपोर्ट कार्ड हम उसको नहीं दे रहे हैं।अब बच्चे का रिपोर्ट कार्ड की बजाय प्रोग्रेस कार्ड होगा अब बच्चे की प्रगति का 360 डिग्री होलिस्टिक मूल्यांकन होगा। उसका अध्यापक तो मूल्यांकन करेंगे ही करेंगे साथ ही अभिभावक भी उसका मूल्यांकन करेगा। वो स्वयं भी अपना मूल्यांकन करेगा तथा उसका साथी भी उसका मूल्यांकन करेगा। जब इस प्रकार चार लोग मूल्यांकन करेंगे तो बहुआयामी तरीके से उसकी प्रतिभा विकसित होगी। उसको संबंधों की अच्छी पहचान भी हो होगी उसको मालूम होगा कि मेरा जो साथी बगल में बैठता है उसके साथ मेरे को अच्छे संबंध रखने हैं मुझे उनकी प्रतिभा को समय-समय पर अवगत कराते रहना है।इससे बच्चा आत्मविश्वास से भरा होगा तथा उसका व्यवहारभी विनम्र होगा और वो अपनी प्रतिभा को लगातार विश्लेषित करेगा। इस प्रकार उसका 360 डिग्री का होलिस्टिक मूल्यांकन होगा जो उसको एक योद्धा के रूप में खड़ा करके और आत्मविश्वास के रूप में खड़ा करेगा। जहांस्कूली शिक्षा में हम लोगों ने बहुत सारे परिवर्तन किए हैं,वहीं उच्च शिक्षा में भी बहुत व्यापक तरीके से परिवर्तन हमने किया है। अब विद्यार्थी कोई भी विषयले सकता है,उसकी क्या इच्छा है। अब उस पर कोई विषय थोपा नहीं जाएगा। हमने उसके लिए भी मैदान खाली छोड़ दिया हैं। इस शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्थितिवशछोड़के जा रहा है तो पहले उसका पैसा एवं वर्ष दोनों खराब हो जाते थे लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा। यदिवह परिस्थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहा है तो उसको सर्टिफिकेट देंगे,दो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़ेकर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा होंगे इसलिए उसके लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।वह कहां जाना चाहता है। यदि वह शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में जाना चाहता है तोहमने ‘नेशनलरिसर्च फाउंडेशन’ की स्थापना की है, जो कि प्रधानमंत्री जी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में होगी और उससे शोध की संस्कृति को तेजी से आगे बढ़ेगीवहीं हम तकनीकी को नीचे स्तर तक, अंतिम छोर के व्यक्ति तक कैसे पहुंचा सकते हैं इसके लिए ‘नेशनल एजूकेशन टैक्नोलॉजीफोरम’का भी गठन कर रहे हैं। जिससेतकनीकी दृष्टि से भी देश समृद्ध हो सके और जो मेरे देश के प्रधान मंत्री जी ने कहा ‘वोकल फॉर लोकल’हमउस लोकल पर तो जाएंगे ही और उस लोकल से उसकी स्किल को, उसकी प्रतिभा का विकास करके उसको ग्लोबल तक ले करके जाएंगे अर्थात् अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले करके जाएंगे। अभी कुछ दिन पहले ब्रिटेन के विदेश मंत्री जी जब यहां आए तो उनसे भी संवाद करने का अवसर मिला,उन्होंने कहाकि यह शिक्षा नीति हिन्दुस्तान के लिए ही नहीं पूरे विश्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।हमने इस उस शिक्षा नीति को बनाने के लिएएक हजार विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से संवाद किया,हमने 45-50 हजार डिग्री कॉलेज के प्रिंसिपल से संवाद किया,हमने33 करोड़ छात्र-छात्राओं से और उनके माता-पिता यदि देखें तो 99 करोड़ हो जाते हैं, तो सौ करोड़ लोगों से परामर्श किया। ग्रामप्रधान से लेकरप्रधानमंत्री जी तक और गांव से लेकर के संसद तक, अध्यापक से लेकर शिक्षाविद् तक संवाद किया और उसके बाद भी इस नीति के मसौदे को हमने पब्लिक डोमेन मेंडाला था और यह कहा था कि अभी भी किसी को कोई सुझाव देना है तो दे सकता है और लगभगदो लाख सुझाव आए थे हमारे पास औरउन दो लाख सुझावों के विश्लेषण के लिए हमनेतीन-तीन सचिवालय बनाये।एक स्कूली शिक्षा का अलग, तकनीकी शिक्षा का अलग, उच्च शिक्षा का अलग और तब जाकर यी हमारी नयी शिक्षा नीति निकली है। इसलिए यहनईशिक्षा नीति नेशनल भी है क्योंकि यहभारतीय मूल्यों पर आधारित है। आज शिक्षा ने मनुष्य को मशीन बना दिया है और जो मशीन बनकरभाग रहा है,पैसा भी आ रहा है लेकिन जीवन मूल्य खो रहे है। पीछे के दिनों में यूनेस्कोकी डीजी मुझे मिलने के लिए आई थी उन्होंने मुझसे पूछा डॉ. निशंक जी बच्चो में अनुशासनहीनता हो रही है तथा इस प्रकार की प्रवृत्तियां बढ़ रही हैं। तो मैंने उनको कहा कि इसके मूल में अशांति का कारण जीवन मूल्यों की शिक्षा का अभाव है। हमने जो मानवहै उसको मशीन बना दिया, उसे मनुष्य बनाने की प्रक्रिया ही नहीं दी। हमारी जो शिक्षा नीति है यह मानवीय मूल्यों के आधार पर खड़ी हो करके ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, नवाचार कीश्रेष्ठता को भी पाएगी। इसकी जड़ में मानवीय मूल्य होंगे और इसलिए हमने इसे भारत केन्द्रित बोला है।लेकिन यहनेशनलभी होगी, तो यह इंटरनेशनल भी होगी, यह इम्पैक्टफुल भी होगी,इंटरऐक्टिव भी होगी, इनक्लूसिव भी होगी और यह क्वालिटी,एक्विटी और एक्सेस कीआधारशिला परखड़ी होगी और इसलिए इसमें पेटेंट भी है, इसमें कंटेंट भी है। शोध और अनुसंधान की दिशा में भी हमवैसे तो इस समय ‘स्पार्क’के तहत पूरी दुनिया के शीर्ष 127विश्वविद्यालयों के साथ शोध और अनुसंधान कर रहे हैं। लेकिन हम भूलते नहीं हैं कि इस समय हिन्दुस्तान से आठ लाख छात्र विदेशों में पढ़ रहे हैं और हिन्दुस्तान का लगभग दो लाख करोड़ रुपया प्रति वर्ष जा रहा है। हम चाहते हैं कि जो दुनिया के शीर्ष सौ विश्वविद्यालय हैंवोहमारी धरती पर आएं क्योंकि हमने अपनीशिक्षा को शीर्षतमरूपदिया है और वे जो शीर्षसौ विश्वविद्यालय हैं उनको हम अपनी धरती पर आमंत्रित करेंगे और जो हमारे शीर्ष विश्वविद्यालय हैं उनको भी हम बाहर भेजेंगे।मुझे खुशी इस बात की है अभी आसियानदेशों के एक हजार से भी अधिक बच्चे हमारे आईआईटी में शोध और अनुसंधान कर रहे हैं। हमने ‘स्टे इन इंडिया’ कानारा दिया है कि आपको कहीं भीबाहर जाने की जरूरत नहीं हैं लेकिन यदि आप कुवैत में बैठे हैं और हिन्दुस्तान में पढ़ना चाहते हैं तो आप घर बैठे बैठे भी हिन्दुस्तान की शिक्षा ले सकते हैं। मैं हिन्दुस्तान में बैठा हूं लेकिन मुझे किसी भीदेश में जाकर के पढ़ना है तोमैंयहां बैठे-बैठे यह कर सकता हूं। हमारा अंतरराष्ट्रीय फलक पर जो शिक्षा का विजन है उसे हम बहुत तेजी से आगेबढ़ाना चाहते और मैं यह भी कहना चाहता हूं कि हमारे जो आईआईटी हैं उसमें बहुत अच्छा स्तर है और ऐसा नहीं है किअमेरिका में ही बहुत अच्छी शिक्षा होगी। यदि ऐसा होता तो चाहे वो गूगल हो अथवा माइक्रोसॉफ्ट इनके और जितनी भी बड़ी कंपनियां हैं उनके जो सीईओ हैं वो सब मेरे इस आईआईटी से पढ़कर के गए हुए छात्र हैं। जब मैं अपने आईआईटी का, एनआईटी का,आईसर का विश्लेषण करता हूं तो देखता हूं कि इन संस्थानों के छात्र कहां-कहां हैं तो मुझे लगता है पूरी दुनिया में हिंदुस्तान के यह नौजवान छात्र-छात्रा नेतृत्व दे रहे हैं। हम चाहते हैं कि उनको यहां पर पूरी सुविधा मिले और इसीलिए बहुत तेजी से जो नयी शिक्षा नीति है उसकोबड़े व्यापक फलक में ले करके हमने क्रियान्वयन करना शुरु कर दिया है और लोगों ने इसकी बहुत प्रशंसा है, पूरी दुनिया के लोग इसको चाहते हैं। अभी पीछे के दिनों में संयुक्त अरब अमीरात के शिक्षा मंत्री जी से जब मेरा संवादहुआ तो उन्होंने कहा कि हम किसी भी स्थिति में इस एनईपी कोअपने यहां लागू करना चाहते हैं। मुझे लगता है कि इसको 21वीं सदी के भारत का विजन डॉक्यूमेंट कह सकते हैं जो टैलेंट और टेक्नोलॉजी के साथदोनों में अद्भुत समन्वयकरता है और मैं यह समझता हूं कि निश्चित रूप से हिंदुस्तान में व्यापक चिंतन-मंथन के बाद नई शिक्षा नीति आई है जो इसेज्ञान की महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगी। मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने 5ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की बात की है और वो इसमें समाया है तथाउसका रास्ता भी इधर से जाताहै। वो रास्ता अब मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया और स्टैंडअप इंडिया से होकर गुजरता है।हम अपनी प्रतिभा का व्यापक तरीके से उपयोगकर सकते हैं, उसको आगे विकसित कर सकते हैं और इसीलिए यह जो नयी शिक्षा नीति है इसको पूरी दुनिया ने आज स्वीकार भी किया है। दुनिया चाहती है कि यह वैज्ञानिक सोच के आधार पर खड़ीनीतिभविष्य का निर्माण करेगी और इसीलिए कैपिसिटी बिल्डिंग से नेशन बिल्डिंग की ओर मूलतः इसका भाव है। व्यक्तित्व निर्माण से राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र के बाद पूरे विश्व का ऐसा निर्माण हो। हमारे देश के प्रधानंत्री अक्सर कहते हैं कि मुझे एक अच्छा नागरिक चाहिए लेकिन साथ ही मुझे विश्व मानव भी चाहिए क्योंकि हमारी कल्पना औरसोच पूरे विश्व के लिए है और इसीलिए पूरी दुनिया हमारे कोविश्व गुरू के रूप में जानती भी है। मुझे लगता है कि लर्निंग के साथभाषा का बहुत गहरा संबंध है जिस तरीके से भाषाको आगे बढ़ाने की बात है तो यह स्पष्ट है कि किसी भीराज्य पर कोई भाषा थोपी नही जाएगी। पारदर्शिता और उत्तरदायित्व तथास्वायतता इन तीनों केसम्मिश्रण के तहत हम पूरी ताकत के साथ संस्थानों को भी स्वायतता देने के पक्षधर हैं और इसलिए इस समय बेहतर प्रबंधन, प्रकाशन संस्कृति के पोषण एवं सुधार के साथ और बहु -आयामी विषयों के साथ यह नई शिक्षा नीति आयी है। निश्चित रूप में हम बहु-भाषावादी भी बनेंगे और आशावादी भी बनेंगे।इस नीति में विश्वस्तरीय कंटेंटभी होगा और उससे विश्वस्तरीय पेटेंट भी होगा। हम रिफॉर्म भी करेंगे और हम ट्रांसफॉर्म भी करेंगे। मैं समझता हूं कि आज आपने बहुत महत्वपूर्ण गोष्ठीरखी है यह कई दृष्टियों से बहुत ही महत्वपूर्ण है।माननीयअध्यक्ष महोदय मैं आपकाबहुत अभिनंदन करता हूं और आज जो आपने यह सम्मान दिया है,मैंइस सम्मान को पूरी दुनिया में फैले सभी प्रवासियों के चरणों में समर्पित करता हूं। मेरी कामना है कि हम पूरी ताकत के साथ मेरे भारत को पूरे विश्व के उसी शिखर पर पहुंचा सकें जहां आज पूरी दुनिया छटपटा रही है। पूरी दुनिया को लगता है कि मानवता कहीं खो गई है। हम मानवता के साथ-साथ ज्ञान में भी, विज्ञान में भी, अनुसंधान में भी, नवाचार में भी एवं तकनीक में भी शिखर को छू लेंगे क्योंकि हमारे पास प्रतिभा की कमी नहीं है। सीबीएसई के बच्चों,मैं आपको बहुतशुभकामना देना चाहता हूं। हमने समय पर आपकी परीक्षाएं भी कराईं। आपका वर्ष हमने खराब नहीं होने दिया। पूरी दुनिया के देशों ने अपने को एक साल पीछे कर दिया। विशेष करके के मैं अपने बच्चों को बहुत बधाई देता हूं जिन्होंने अपने को भी सुरक्षित रखा तथा अपने घर में अपने माता-पिता एवं परिवार को भी सुरक्षा दी और अपने अगल-बगल में भी मेरे सीबीएसई के बच्चों ने बहुत लीडरिशप ली है।हम आपको ऑनलाइन शिक्षा पर लाए,यह भी दुनिया का सबसे बड़ा उदाहरण होगा। 33 करोड़ बच्चोंकोएक साथ ऑनलाइन पर लाना, बहुत कठिन कार्य था जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता। जब बच्चे घरों में कैद हो गए हों और ऐसी परिस्थितिहो कि एक दिन दो दिन नही, दो सप्ताह नहीं बल्कि महीने हो गए हों और वो बाहर निकलने की स्थिति न हो, ऐसे वक्त में हमनेऑनलाइनपरीक्षा, पाठ्यक्रम, एजुकेशन दी।अंततोगत्वा आप देखेंगे तो मेरे छात्रों ने जिस तरीके से अपने को अनुशासित रख करके लीडरशिप ली है वो शायद दुनिया के इतिहास में अपने में अद्भुत होगा। इसलिए मैं कुवैत स्थित अपने अध्यापकों सहितहमारे जो राजदूत हैं वो काफी रुचि लेते हैं और उनका व्यवहार अच्छा है। जब मैं उनके चेहरे पे नज़र डाल रहा था तो मुझे लगा कि यह बहुत प्यारे हैऔर यह व्यावहारिक है तथाप्रखर भी हैं। इनका संवाद भी बहुत अच्छा है। जहां हमारे देश के राजदूत, प्रतिनिधित्व करने वाले प्रखर भी हों, व्यावहारिक भी होंतो मुझे लगता है कि वहां और भी अच्छा माहौल बनना चाहिए। दस लाख से भी अधिक जो भारतीय दूसरे देश में रहे रहे हैं, उस देश के लोगों को लगना चाहिए। भारतीय हमारे लिए वरदान है।मुझे मालूम हैकि आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं हिन्दुस्तान को हम शिखर पर ले करके जाएंगे। एक बार फिर मैं आप सभी को बहुत धन्यवाद एवं शुभकामनाएं देता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- श्री सी. बी. जॉर्ज, कुवैत में भारतीय राजदूत
- श्री विजय राघवन, सचिव, भारतीय प्रवासी परिषद्