Author: nishank-admin
फ्रांस की राजधानी पेरिस में पर्यावरण संरक्षण के उत्कृष्ट कार्यों के लिए ग्लोबल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पीपुल ऑफ इंडियन ऑरिजिन द्वारा ‘गोपियों अंतरराष्ट्रीय सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
आईआईटी खड़गपुर का 66वां दीक्षांत समारोह
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
आईआईटी खड़गपुर के 66वें दीक्षांत समारोह में उपस्थित अध्यापगणों का, छात्रों का, अतिथिगणों का और पूरे देश और दुनिया से पूर्व छात्र एवं अध्यापक जुड़े हैं मैं आप सभी का सबसे पहले तो इस महत्वपूर्ण अवसर पर जो आज उत्सव मनाया जा रहा है, इस अवसर पर आप सभी का सम्मान कर रहा हूं और इस अवसर पर हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का आशीर्वाद हमारे छात्रों को लगातार मिलता रहता है, मैं उनको अभिनन्दित करता हूं क्योंकि वो लगातार हमारे छात्रों को आशीर्वाद देते हैं। मेरे अन्नय सहयोगी शिक्षा राज्य मंत्री श्री संजय धोत्रे जी, अमित खरे, सचिव उच्च शिक्षा, श्री संजीव गोयनका जो शासी मंडल के अध्यक्ष हैं,जिनकेमार्गदर्शन में आईआईटी खड़गपुर काफीआगे बढ़ रहा है औरयशस्वीनिदेशक प्रो.वीरेन्द्र कुमार तिवारी जी जो लगातार गतिविधियों को करके इस बात को सुनिश्चित कर रहे हैं। खड़गपुर पीछे नहीं है, देश की लीडरशिप ले रहा है औरतकनीकी के क्षेत्र में और ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में। प्रो.भट्टाचार्य,उपनिदेशक लंबे समय से जुड़ेहैं, स्टाफसहित सभी फैकल्टी और निदेशक, उप-निदेशक,विभागाध्यक्ष, सभी संकाय के सदस्यगणतथाछात्र-छात्राओं और अभिभावकगण एवं पूर्व छात्र-छात्राओं,मैंआज इस अवसर पर जबकि आप 66वें दीक्षांत समारोह में सभी एकत्रित हुए हैं,हम सब लोग गर्व का अनुभव महसूस कर रहे हैं और सबसे पहले तो मैं सभी मेधावी छात्र-छात्राओं को,जो आज डिग्री प्राप्त कर रहे हैं, उनका अभिनंदन करता हूं एवं शुभकामना देने के लिए आपके बीच आया हूं। इस ऐतिहासिक अवसर पर मैं उन सभी शिक्षकों का भीअभिनंदन करना चाहता हूं जो इनयुवा छात्रों का उचित मार्गदर्शन देते हुए उनकेअध्ययनके दौरान उन्हेंनिरंतर प्रेरित एवंप्रोत्साहित करते रहे हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि आज आईआईटी खड़गपुर के छात्र 66वें दीक्षांत समारोह के द्वारा अपने सपनों को एवं आकांक्षाओं को हासिल करने की एक नई यात्रा की शुरुआत करेंगे। मेरे प्रिय छात्र-छात्राओं, आज तक आपने जो दीक्षा ली है इस दीक्षा को लेकरके देश और दुनिया में छाने वाले हैं। और बहुत सारे सवाल आपके मन मस्तिष्क में आने वाले हैं तथाबहुतसारे सवालों से आपको जूझना है। अभी तक सवाल आपके मन और मस्तिष्क में आते थे और आप अपने अध्यापक से पूछते थे, वे उनका निदान करते थे। आज के बाद बहुत सारे सवाल आपके मानस के सामने खड़े रहेंगे और उन सभी सवालों का उत्तर भी स्वयं ही आपको देना है। मुझे भरोसा है कि जो दीक्षा और शिक्षा आपको यहां से मिली है वह हर मौके पर, हर मोड़ पर, हर परिस्थिति में वहआपको सवालों का उत्तर देने के लिए तैयार करेगी, ऐसा मेरा भरोसा है और ऐसे में मैं आपको शुभकामना देना चाहता हूं।आईआईटीखड़गपुर की इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को यदि देंखे तो यह देश के अनेकों स्वाधीनता संग्राम सैनिकों का सर्वोच्च बलिदान की भूमि रही है। यह वह जगह है जहां आजादी की लड़ाई लड़ते हुए संतोष सुमन बिट्टा और तारकेश्वर सेन गुप्ता जैसे स्वाधीनता संग्राम सेनानियों को कैद में रखा गया था।16सितंबर,1931 उस दिन को कौन भूल सकता है मेरे नौजवान साथियों, तब उनको गोलियों से छलनी कर दिया गया था,जब आजाद हिन्द सेना के सेनानायक और आजादी के ध्वजवाहक नेताजी सुभाषचंद्र बोस इसबंदी शिविर में आये थे। इन वीरसपूतों के पार्थिव शरीर को लेने के लिए उस क्षण को कौन भूल सकता है,यह सामान्य घटना नहीं थी, इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। उनमें से एक गुरूदेवरवीन्द्रनाथ टैगोर भी थे जिन्होंने न केवल इस दर्द को महसूस किया था बल्कि अपनी सशक्त लेखनी के माध्यम से इसको बयां करके पूरे देश में उस भावना को एक आग की तरह देशभक्ति की ज्वाला को फैलाया था और ऐसा ऐतिहासिक स्थान जिसस्थानपर यी संस्थान है। यहवह संस्थान है जो आजादी के साथ-साथ में 224 विद्यार्थियों और 42 शिक्षकों के साथ शुरू हुआ था। आज इस आईआईटी खड़गपुर में 14 हजार से भी अधिक छात्र-छात्राएं हैं और 670 से भी अधिक संकाय हैं। इस संस्थान कीबहुत लंबी यात्रा इस बात का प्रतीक है कि तमाम उतार और चढ़ावों के बाद भी इस संस्थान में अपनी शिखरता को प्राप्त किया है। खड़गपुर पहला राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है जिसे भारत सरकार के संसदीय अधिनियम के तहत स्थापित किया गया और तब से ही यह संस्थान राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आज उद्योग क्षेत्र में पुरस्कार विजेता, शिक्षाविद्, राजनेता, खिलाड़ी और रचनात्मक पेशेवर के रूप में उत्कृष्ट भूमिका निभानेवाले इस महान संस्थान के पूर्व छात्रोंकीसूची देखता हूं तो वे विश्व के पटल पर छाये हुए हैं और भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। चाहे वोगूगल के सुंदर पिचाई हों जब मैं देखता हूं तो मेरे यहाँ से निकले मेरे पूर्व छात्र कहाँ-कहाँ पर अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं? हमारामाथा ऊँचा होता है कि हमारे छात्र पूरी दुनिया में छाये हुए हैंऔर पूरे देश का गौरव बढ़ा रहे हैं। मुझे खुशी है कि भगवद् गीता में जो कहा गया है कि कर्म में उत्कृष्टता ही योग है। इस सिद्धान्त को खड़गपुर ने अपने कैम्पस में समाहित कर लिया है। इसी का परिणाम है कि यह लगातार और लगातार आगे बढ़ रहे हैं। खड़गपुर अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकी आधारित विज्ञान,जैवज्ञान प्रौद्योगिकी, सामाजिक विज्ञान, मानविकी प्रबंधन विधि और उद्यमिता से अनेक क्षेत्रों में शैक्षणिक कार्यक्रमों को एक विस्तृत श्रृंखला और विविध शैक्षणिक गतिविधियों और विषयोंके बारे में जाना-पहचाना और माना जा रहा है। आज ही संस्थान से वार्षिक चार हजार उद्धरणऔर स्टार्टअप के रूप में 21प्रौद्योगिकी के साथ दो हजार शोधप्रकाशित हुए हैं। यह इस बात को दर्शाता है कि आपका संस्थान शोध और नवाचार में आगे बढ़ रहा है और जैसी कि अभीमेरे सहयोगी मंत्री आदरणीय संजय धोत्रे ने कहा कि अब पूरे देश के अन्दर शोध और अनुसंधान की संस्कृति के लिए ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ जिसके लिए 50 हजार करोड़ रूपया स्वीकृत हुआ है।प्रियछात्र-छात्राओं,मैं आपसेअनुरोध करना चाहता हूं कि एक वक्त था जब हममें पैकेज की होड़ लगी कि कितना बड़ा पैकेज किसको मिलेगा। लेकिन आज देश स्वाधीनहो गया है। हमको अबनौकरी के लिए नहीं दौड़ना है।अबपैकेज के स्थान पर पेटेंट की दौड़ होगी। हम टैलेंट और उत्कृष्ट कोटि के साथ पैटेंटकोनिकालेंगे। हम नौकरी लेने वाले लोगों में नहीं, बल्कि नौकरियां देने वाले लोगों में खड़े होंगे, ऐसा मेरा विश्वास है और यही संकल्प लेकर आज मैं आया हूं। मैं यह देखकर बहुत हर्षित होता हूं कि भारत सरकार की योजनाओं में आईआईटी खड़गपुर ने ऊर्जा और उत्साह के साथ हर जगह बढ़-चढ़कर के मुझे दो साल इस मंत्रालय में होरहे हैं और जब भी मैं समीक्षा करता हूं तो कहीं न कहीं केन्द्र में मेरा खड़गपुर सामनेआता है।मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत इससंस्थान द्वारा विकसित के किए गए विविधशौचालय प्रणाली स्वच्छता का समाधान करने में सक्षम है और सुदूर क्षेत्र में लाभदायी भी है।जहां पानी की आपूर्ति नहीं है वेस्ट से वेल आपका यह अद्भुत उदाहरण है जो हमारे प्रधानमंत्री जी के सपने को साकार करता है। आप सबको मालूम है कि जब हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का आह्वान किया था तो बच्चा-बच्चा भी अपने घर का लीडर बन कर खड़ा हो गया था। स्वच्छता के इस अभियान के लिए पूरी दुनिया का अद्भुत अभियान हो गया था और आप उस अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं।मुझे बहुत खुशी है कि उच्चतर आविष्कार योजना के अंतर्गत संस्थान चार पहिया वाहन और छोटे स्तर पर तीन पहिया वाहनों के लिए विद्युत वाहन पर शोध और विकास कार्यों में आगे बढ़ रहा है। मुझेइस बात को लेकर खुशीहै कि मुझे यहभीबताया गया है कि उन्नत भारत अभियान के अन्तर्गत संस्थानके कृषि और खाद्य इंजीनियरिंग विभाग में सिंचाई औरखाद्य प्रसंस्करण को शामिल करते हुए कई तकनीकों का विकास किया जा रहा है जो पश्चिम बंगाल के 23 जिलों और पूर्वी भारत के अन्य राज्यों में विभिन्न गांव में 20 हजार से भी अधिक किसानों के उपयोग में लाई जा रहे थे। इस ग्राम स्वराजके अभियान की यह अनोखी पहल है और यहां के निदेशक प्रो. तिवारी को कहता हूं कि आपको कृषिऔर कृषि विज्ञान के क्षेत्र में महारत है और मेरे आस-पास खड़गपुरके गांव में यहां की सुगंध बढ़नी चाहिए ताकि लोगों को लगे कि हां, खड़गपुर या आसपास की सुगंध से गांव भी अनुप्राणित हो रहा है। शैक्षणिक संस्थान अपने क्षेत्रीय गांवोंकेकिसानों को विशेष लाभ पहुंचाने की दिशा में और आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर गांव और आत्मनिर्भर राष्ट्र, इसका जो रास्ता है इसको आप निश्चित रूप में आगे बढ़ा रहे हैं। मुझे इस बात की खुशी है और प्रधानमंत्री जी हमेशा कहते हैं कि हमारे ज्ञान, विज्ञान एवंअनुसंधान के दो लक्ष्यहोने चाहिए। पहला ‘इज ऑफ बिजनेस’ कि उद्योग जगत को बढ़ावा दें और दूसरा ‘इज ऑफ लिविंग’ जो आम जनमानस के जीवनको सुखद बनाए। आपकी शिक्षा साक्षरता के लिए नहीं अपितु लक्ष्य आधारित शिक्षा होनी चाहिए,मानवता को समर्पित होनी चाहिए और हमारी संस्कृति से युक्त परंपराओं से भरी होनी चाहिए। मुझे भरोसा है कि इस संस्थान से निकलने वाले छात्र-छात्राएं हैं वोज्ञान की उस संस्कृति के ध्वजवाहक बनेंगेजिस संस्कृति ने पूरी दुनिया में भारत को विश्व गुरू के रूप में स्थापित किया था। मुझे गर्व है कि कोविड-19की विषम परिस्थितियों में भी आईआईटी खडग़पुर ने समाज की भलाईके लिए बहुत महत्वपूर्ण काम किया और इस दिशा में छात्रों की देखभाल की दिशा में लॉकडाउन की अवधि, मुझे याद आता है कि जैसे ही यहपरिस्थिति आई थी और मैंने निदेशक से पूछा था तो हजारों छात्र हमारे हॉस्टल में थे और मैं इस बात को लेकर लगातार चिंतित था कि हजारों छात्र हास्टल में हैं और इनपरिस्थितियोंमें हमारे निदेशक ने तब कहा था कि कैसे करके छात्रों को उनके घरों तक पहुंचाया जाए। मेरे को बताया गया कि छात्र चाहते हैं कि वो यही पर रहें और सुरक्षित रहे। इसकेलिए मैं बधाई देना चाहता हूं क्योंकि यह भी अपने आप में एक सुखद उदाहरण था। पश्चिम बंगाल देश का गौरव रहा है और यहां पर केन्द्रीय विद्यालय भी हैं और नवोदय विद्यालय भी है और बहुत सारे संस्थान हैं।यदिउच्च शिक्षा की बात मैंकरूं तो आईआईटी खड़गपुर हो, चाहे आईआईआईटी कल्याणी हो,नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कलकत्ता जैसे उच्च शिक्षा के विभिन्न उत्कृष्ट संस्थान प्रमुखता से अध्ययन और अध्यापन कार्य करा रहे हैं और वहीं दूसरी ओर जाधवपुर विश्वविद्यालय को आईओईका भी दर्जा भी मिला है और इसके अलावा भारत सरकार ने पिछले5साल में देखें तो लगभग897 करोड़ रुपये इन संस्थानों के लिए प्रावधानित किए हैं। टीचर्स ट्रेनिंग की दिशामें भी 10.6 करोड़ का आबंटन हुआ हैजोपश्चिम बंगाल के शिक्षकों की शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए दिए गए हैं। मुझे भरोसा है कि प्रधानमंत्री श्रीमोदीजी के नेतृत्व में एवंउनके मार्गदर्शन में नई शिक्षा नीति 2020 आई है निश्चित रूप में यह न केवल भारत के शैक्षणिक परिदृश्य को बदलेगा बल्कि मेरे भारत को पुनः विश्वगुरु के रूप में स्थापित करेगा ऐसा मेरा भरोसा है। सभी छात्रों को गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने के लिए जहां शोध कीसंस्कृति को विकसित करने की दिशा में नेशनल एजुकेशन टैक्नोलॉजी फोरम का भी गठन किया जारहाहै जो अंतिम छोर तक के छात्र को तकनीकी से समृद्ध करेगा और ‘वोकल फॉर लोकल’गांवतक जाएगा और ‘लोकल फॉर ग्लोबल’अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक जाएगाऔर जो आत्मनिर्भर भारत को बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम होगा, ऐसा मेरा भरोसा है। मुझे आशा है कि एनईपीके क्रियान्वयन के लिए और शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण में हमारे अध्यापक अहम भूमिका निभाएगा। हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी ने कहा था कि सपने जो सोने न दे, जब तक वो क्रियान्वयन नहीं हो जाते तब तक आप लगातार आगे बढ़ें। मुझे इस बात की भी खुशी है कि आज चार युवकों को यहसंस्थान डीलिट की उपाधि प्रदान कर रहे हैं। मैं इन चारों लोगों के बारे में जितना जानता हूं इस संस्थान ने बहुत ऐसे लोगों को चुना है, मैं आप सभी को बहुत बधाई देना चाहता हूं। मेरे प्रिय छात्र-छात्राओं, मुझे भरोसा है कि आप आत्मनिर्भरभारत के ब्रांड एम्बेस्डर बनकर पूरी दुनिया में जाएंगे। इस देश को सशक्त करने के लिए मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने जिस 21वीं सदी के स्वर्णिम भारत की बात की है ऐसा भारत जोस्वस्थ हो, सशक्त हो, समृद्ध हो,श्रेष्ठ हो और एक भारत को जिसका रास्ता मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया,स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडिया से होकर गुजरता है। मुझे भरोसा है कि आप अपने सामर्थ्यसे प्रधानमंत्री जी के 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के विचार कोसाकार करेंगे। एक बार फिर मैं आपके अभिभावकों को, आपको और आपकेअध्यापकगण को बहुतसारी बधाई देता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी, माननीय प्रधानमंत्री, भारत
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- श्री संजय शामराव धोत्रे, माननीय शिक्षा राज्य मंत्री, भारत सरकार
- श्री अमित खरे, सचिव, उच्च शिक्षा, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
- श्री संजीव गोयनका, अध्यक्ष, शासी मंडल, आईआईटी खड़गपुर
- प्रो. वीरेन्द्र कुंमार तिवारी, निदेशक, आईआईटी खड़गपुर
- प्रो. श्रीमन कुमार भट्टाचार्य, उप-निदेशक, आईआईटी खड़गपुर
विश्वै्श्व रैया राष्ट्रीतय तकनीकी संस्थाेन, नागपुर का 18वां दीक्षांत समारोह
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
विश्वैश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान नागपुर के दीक्षांत समारोहमेंमैंआप सबका स्वागत कर रहा हूं। इस दीक्षांत समारोह से जुड़े मेरे सहयोगी और भारत सरकार में शिक्षा राज्यमंत्री श्री संजय धोत्रेजी,हमारे विशेष अतिथि श्री जयंत डी.पाटिल निदेशक एवं वरिष्ठकार्याकारीउपाध्यक्ष, एलएंडटी, रक्षा व्यवसायी, निदेशक वीएनआईटी, सभी उपस्थित विभागाध्यक्ष और डीन,सभी प्राध्यापगण, सभी शासीनिकाय के सदस्यगण एवं सभी संकाय छात्र-छात्राओं, अभिभावकगण और सम्पूर्ण एनआईअीपरिवार के सदस्यगण! मुझे खुशी है कि आज एनआईटी नागपुर अपना दीक्षांत समारोह मना रहाहैऔर मैंसभी छात्र छात्राओं को जो आज उपाधि प्राप्त कर रहे हैं, इन सभी लोगों को मैं बधाई देना चाहता हूं।यहदीक्षांत समारोह का अवसर है इसलिए निश्चित रूप से बहुत सारी चीजें आपके मन में उभर रही होंगी क्योंकि जब आप इस संस्थान में प्रवेश लेकर आयें होंगे तब आपके लिए वो खुशी के क्षण थे गर्व के क्षण थे,और उसके बाद लगातार आपने शिक्षा ग्रहण की और अब आपआज दीक्षांत के बाद अपनीउपाधियोंको लेकर मैदान में जा रहे हैं। आज तक आपने अपने आचार्यगण से बहुत सारे प्रश्नों पर परामर्श एवं चर्चा की होगी और आपके बहुत सारे सवाल रहे होंगे जिसके समाधान की दिशा में आपनेउनका मार्गदर्शन लिया होगा। लेकिन आजऐसाक्षण हैं जब हम ज्ञान अर्जन करने के बाद मैदान में जा रहे हैं। अबसारे सवालों के हमको स्वयंजवाब देने होंगे। बहुत सारे सवाल खड़े होंगे हमारी जिन्दगी के आगे बढने के, जो हमनेज्ञान प्राप्त किया है उसको सरसानेके, उसको पल्लवित और पुष्पित करने के सवाल हमारे सामने होंगे। आज समाज के लिए, राष्ट्र के लिए, अपने परिवार के लिए, स्वयं अपनेलिए उन्नति के अवसर तलाशने हैं। आपके पास पूरा मैदान खाली है और आपयोद्धा के रूप में जा रहे हैं।इसलिए यह अवसर आपके लिए बहुत ही अविस्मरणीय है।आपइस संस्थान सेएक लंबे समय की तमाम यादों के साथ जा रहे हैं और उस प्राप्त किए हुए ज्ञान के भंडार को लेकर के आप मैदान में जा रहे हैं, अपने जीवन के गंतव्य मेंजा रहे हैं इसलिए आज आपकोअर्जित ज्ञान का अपने जीवन के लिए पूरा उपयोग करना है।बहुतसारे सवाल भी आपके हैं और इनसब सवालों के जबाब भीस्वयं ही देने होंगे। इसलिए आज का क्षण आपके लिए बेहद खुशी का क्षण है और आपके अभिभावकों में से भी जितने लोगसुन रहे हैं उनसे भी मैं कहना चाहता हूं कि आपकेलिए भी यह गर्व का विषय है, गर्व का दिन है किआपके बेटा-बेटी आज डिग्री प्राप्त करने के बाद और गोल्ड मैडल प्राप्त करने के बाद जीवन की ऊँचाइयों को गौरवपूर्णरास्ते पर आगे बढ़ाएंगे तो मैं आपको भी बहुत बधाई देना चाहता हूं और अध्यापकगण को भी बहुत बधाई देना चाहता हूं। एक अध्यापक के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है जब आपकाछात्र प्रगति करता है तो उसकी खुशी का कोईठिकाना नहीं रहता हैं, इसलिए उनको भी मैं बहुत बधाई देना चाहता हूँ। आज इस एनआईटी ने बहुत तेजी से काम किया है और यह देश के प्रमुख प्रौद्योगिकी संस्थानों में से एक है,जिसको विश्वविद्यालय के दर्जे से सम्मानित किया गया है और मैं समझता हूं कि यह राष्ट्रीय महत्व का हमारा वो संस्थान है जिसे देश की बहुत सारी अपेक्षाओं को पूरा करना है।पहले यह संस्थानरिजनल कॉलेज के रूप में था और अब यह एक राष्ट्रीय महत्व के महत्वपूर्ण संस्थान के रूप में विकसित हो रहा है। विश्वैश्वरैया एक साधारण इंजीनियर नहीं थे जिनके नाम पर यह संस्थान है बल्कि वे ऐसे विख्यात विद्वान थे जिन्होंने पूरी दुनिया में नाम कमाया और उन्हेंसर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित उनको किया गया। विभिन्न क्षेत्रों में उन्होंने काम किया और उसके शिखर को चूमा है। इंजीनियरिंगभारत के आर्थिक विकास में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखतीहै और हमारीसरकार ने अपने विभिन्न माध्यमों से इंजीनियरिंग के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया,स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडियाजैसी बहुत सारी योजनाएं हमने बनाई हैं वे बेहद महत्वपूर्ण हैं। बहुत से कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से सृजन और उद्यमिता के क्षेत्र में आपके संस्थान ने बहुत दूरगामी कदम बढ़ाए हैं, इसकी भी मैं आपको बधाई देना चाहता हूं।यदिमैं प्रधानमंत्री जी के शब्दों में कहूं तो भारत के पास थ्री ‘डी’ है। एक तो डेमोग्राफिक है, डेमोक्रेसी हैऔर डिमांड है। हमारा देश पूरी दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देशहैजिसकी130 करोड़ से भी अधिक जनसंख्या है तो स्वाभाविकहै कि डिमांड भी बढ़ेगी। इंजीनियरिंग राष्ट्र के निर्माण में बहुतमदद करती है, यहां तक कि इंजीनियर तो टूटे हुए को भी जोड़ता है। इसलिए मैं समझता हूं कि इंजीनियरिंग बहुत बड़ा क्षेत्र है और आप सबने आज यहां पर जिस तरीके से काम किया है, आपने विभिन्न विषयों को लेकर काफी प्रगति की है। कोरोना काल में भी मैंने देखा कि आपने ऐसे विकट संकट में जब पूरी दुनियां संकट सेहोकर गुजर रहीथी तब भी आपने काम किया है और मुझे मालूम है कि आपने मास्क से लेकर,टेस्टिंग किट और वेंटीलेटर तक का निर्माण किया हैऔरनिश्चितही आपके हाथ में कौशल है और जब कौशल हाथ में होगा तो आपको कहीं ठहराव नहीं मिलेगा,आपतेजी से दौड़ेंगे और प्रगति के शिखर तक आपका मार्ग रोकने वाला कोई नही होगा। हमारी ऐसी शुभकामनाएं आपके साथ हैं और आज हम सभी आपको शुभकामना देने के लिए आपकीखुशी में सम्मलित होने के लिए ही यहां उपस्थित हुए हैं। हमारे देश की परंपरा रही है कि जब भी कोई अच्छा काम होता है और जब भीखुशी के क्षण होते हैं तो उसको भी हम मिलकर के बांटते हैं और जब किसी के जीवन में दु:ख का भी क्षणआता है तो भी हम मिलकर के बांटते है क्योंकि हमारी प्रबल धारणा रही है जो सुख है या खुशी है, वह बांटने से बढ़ती है और जो दु:ख है या संकट है, वह बाँटनेसेकम होता है।जबइसलिए पूरा समाज एकजुट हो करके आगे बढता है तो निश्चित ही राष्ट्र प्रगति के शिखर तक पहुंचता है। आपको तो मालूम है कि हमने हमेशा कहा है किहम साथ-साथ पुरूषार्थ करेंगे, साथ चलेंगे सब साथ-साथ आगे बढ़ेंगे और यही एकत्व का भाव हमकोनिश्चित रूप से बहुत तेजी से आगे बढाता है।हमारे देश के प्रधानमंत्रीजी ने आत्म निर्भर भारत की बात की है एक ऐसे भारत के निर्माण की बात की है जो स्वच्छ भारत हो, जो स्वस्थ भारतहो,जो सुंदर भारत हो, जो सशक्त भारत हो, जो आत्मनिर्भर भारतहो, जो श्रेष्ठ भारत हो और उसश्रेष्ठ भारत के लिए मेक इन इण्डिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और स्टैंड अप इंडिया जैसे रास्तों को बनाया है। मुझे भरोसा है कि आप इस अभियान को ओर आगे बढ़ायेंगे। आप किसी की नौकरी पाने के लिए नहीं बल्कि नौकरी देने के लिए इस अभियान को आगे बढ़ाएंगे। हममें सामर्थ्य है, आप यहां से शिक्षा ग्रहण करके जा रहे हैं,आपएक योद्धा की तरह बाहर निकलेंगे और हर क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे ऐसा मेरा विश्वास है और इसलिए मैं ऐसे वक्त पर आपको शुभकामना देना चाहता हूं। पीछे के समयमें हमने युक्ति पोर्टल बनाया जिसमें बहुत सारे मेरे इंजीनियर्स औरमैकेनिकों के आइडियाज आ रहे हैं ताकि उनका गांव एवं शहर के सभी क्षेत्रों में उपयोग करके देश की आर्थिकी को बढ़ाया जाए क्योंकि देश के प्रधानमंत्री ने कहा है कि हमकों फाइव ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनानी है तो इसका रास्ताआत्मनिर्भरभारत से होकर गुजरेगा और निश्चित रूप से आपके हाथों में सामर्थ्य है और आपके हाथों में स्किल है। वर्तमान में जो नई शिक्षा नीति आई है,वहबहुत व्यापक परिवर्तनों एवं सुधारों के साथ आई हैयहनई शिक्षा नीति शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में भी आपको आगेबढ़ाएगी। तकनीकी केक्षेत्र में हमने जो ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ बनाया है, उसके माध्यम से आप बहुत आगे बढ सकते हैं।शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए ‘नेशनल रिासर्चफाउंडेशन’ अलग से गठित हो रहा है। यही नई शिक्षा नीति की खूबसूरती है जिसका सभी लाभ उठा सकते हैं। आप पेटेंट की ओर दौड़े आपने डिग्री ले ली है।आगे बढने के लिए हमेंशोध एवं अनुसंधानसे होकर गुजरना ही होगा। इसीलिए टैलेंट तो होता है लेकिन टैलेंट का यदि विकास नहीं होगा तो बात नहीं बनेगी। टैलेंट पेटेन्ट के साथजुड़ेगा तो हम और आगे बढ़ेंगे, टैलेंट और पेटेंट इन दोनों का जुड़ाव एक नयी चीज को पैदा करेगा और जो नई शिक्षा नीति आई है, वह यही कहती हैं कि हम टैलेंट का विकास भी करेंगे विस्तार भी करेंगे, और उसको पेटेंट तक भी लेकर केजाएंगे।यह शिक्षा नीति सामान्य नहीं है। यह नेशनल भी है, इंटरनेशनल भी है, यह इंटरेक्टिवभी है, इम्पैक्टफुल भी है,इनोवेटिवभी है और यहइक्विटी, क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी होती है।हम इसमें कंटेंट भी पैदा करेंगें और उसको टैलेंट केसाथ भीजोड़ेगें और उसका पेटेंट भी करायेंगे। आज भी देश के अन्दर छात्रों में केवल पैकेज की होड़लगीहै।इस पैकेज की होड़ को खत्म करके पेटेंट के होड़को तैयार करना होगा तभी देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकता है।दुनिया में भारत तीसरी महाशक्ति के रूप में तो स्थापित हो ही रहा है लेकिन मेरा विश्वास है कि देश ज्ञान की महाशक्ति के रूप में भीउभर कर आएगा।हमज्ञान की महाशक्ति की जो 5 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिकीहोगी उसकी आधारशिला आप बनेंगेऔर पूरी दुनिया में यह लगेगा कि भारत के पास इस समय अपनी सोच है। मुझे भरोसा है कि आप अपने कठिन परिश्रम और प्रतिभा से आगे बढ़ेंगे और भारत की इन अपेक्षाओं को भीपूरा करेंगे। हम लोगों प्रिन्ट के साथ ही डिजिटल लाइब्रेरी और विशिष्ट समस्या केन्द्र तथा औद्योगिक अनुसंधान एवं नवाचार कार्यक्रमों को हम लगातार बढ़ावादेरहे हैं, यहआपके भविष्य केलिएअच्छा होगा।नई शिक्षा नीति के अंतर्गत जहां ‘ज्ञान’ में हम बाहर की फैकल्टी को अपनी धरती पर आमंत्रित कर रहे हैं वहींअब‘ज्ञान प्लस’ में हमारी भी फैकल्टी बाहर पढ़ाने के लिए जाएगी।वे बाहर जाकर नये आइडियाज को लेकर आएंगेऔर अब तो हमने उसका अंतरराष्ट्रीयकरण भी कर दिया है। विश्व के टॉप सौ विश्वविद्यालयों को हम यहां आमंत्रित कर रहे हैं। हमारे विश्वविद्यालय भी पूरी दुनिया में जाना चाहते हैं। अभी बाहर जाने की होड़ खत्म हो जाएगी क्योंकि उनको दुनिया की सबसे बेहतरीनशिक्षा यहां उपलब्ध होगी। हमारीनई शिक्षा नीति तमामबदलाव के साथ पूरी दुनिया की सबसे बड़े रिफॉर्म वालीनीति है।संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2030 तक के लिए जो सतत विकास लक्ष्य निर्धारित किये गय हैं, उन सबको पाने की सामर्थ्य नई शिक्षा नीति में है। शिक्षक और शिक्षार्थी का समग्र रूप से किसतरीके से विकास हो सकता है वो भी इस नई शिक्षा नीति में है,वैज्ञानिक चेतना भी इसमें है तो मातृभाषा पर भी इसमें जोर है क्योंकि जो अभिव्यक्ति हम अपनी मातृभाषा में दे सकते हैं, वह दूसरी सीखी हुई एवं थोपी हुईभाषामें नहीं कर सकते हैं। वैसे तो हम पूरी दुनिया की सभी भाषाओं को सीखना चाहते हैं लेकिन हमारे देश की जो 22 भारतीयभाषाएँ संविधान में वर्णित हैं हम उनका जरूर संरक्षण एवं संवर्धन करना चाहिए। संविधान कीअनुसूची 8 में हमको जिन22 भारतीय भाषाओं को दिया गया है, वे वाकई खूबसूरत हैं और निश्चित ही नई शिक्षा नीति के माध्यम से उनका भी विकास होगा। नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम के माध्यम से अंतिम छोर केव्यक्ति को भी तकनीकी लाभों से सम्पन्न बनाया जाएगा। हम तकनीकी काविस्तार भी करेंगे और विकास भी करेंगे। हमारी प्रतिभा से हम नई चीजों को उभार कर पूरी दुनिया के स्तर पर उसका विस्तार कर सकते हैं।इस शिक्षा नीति के अंतर्गत हमने व्यवस्था की है कियदि कोई 4 वर्ष का कोर्स है और यदि कोई छात्र दो साल में परिस्थितिवशछोड़के जा रहा है तो पहले उसका पैसा एवं समय दोनों खराब हो जाते थे। लेकिन अब उसकोनिराश नहीं होना पड़ेगा।यदिकोई छात्र परिस्थितिवश एक वर्षमें छोड़ कर जा रहा है तो हम उसको सर्टिफिकेटदेंगे; यदि वहदो साल में छोड़ कर जा रहा है तो डिप्लोमा देगें, तीन साल में छोड़कर जा रहा है तो उसकोडिग्री देंगे। लेकिन यदि फिर वह लौट कर अपने भविष्य को संवारना चाहता है तो फिर जहां से उसने छोड़ा था वहीं से शुरू कर सकता है। उसके लिए हम एक ऐसा क्रेडिट बैंक बनायेंगे जहां उसके सारे क्रेडिट जमा रहेंगे।इसलिए हमारे विद्यार्थियों के लिए आगे बहुत आपार संभावनाएं है।वह कहां जाना चाहता है, शोध और अनुसंधान के क्षेत्र भी हमने बहुत से सकारात्मक परिवर्तन किये हैं। मुझे प्रसन्नता है कि एनआईआरएफ में भी आपकासंस्थान रैंकिंग को लगातार बढ़ाता जा रहा है।जहां यह पहले 31वें स्थान पर था अब यह 27वें स्थान पर आगया है और मैं आगे भी आपसे ऐसी ही प्रगति की अच्छी अपेक्षा कर रहा हूं।वर्ष 2020 को यह संस्थान अपनी हीरक जयंती के रूप में मना रहा है। संस्थान से जितने भी पूर्व छात्र निकले हैंयदि उनके नाम कीसूची देखें तो विजय भट्टकरजी जिनसे मेरा लगातार संवाद भी होता है, जोपद्म विभूषण पद्म श्री और परम सुपर कंप्यूटर के आर्किटेक्ट हैं। एशियापैसिफिक के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट दिनेश जी हैं,यदिसभीनामों को लूं तो एक बड़ी लंबी सूची है जिन्होंने इस संस्थान का गौरव पूरी दुनिया में बढ़ाया है। मुझे खुशी है कि अनुसंधान और शोध की दिशा में लगभग 56 करोड़ की आपकी विभिन्न परियोजनाएं चल रही है। आपअनुसंधान भी कर रहे हैं और पेटेंट की दिशा में भीकाफी तेजी से आगे बढ़रहेहैं।मैं देख रहा था कि चाहे उन्नत अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल हो या जलवायु परिवर्तन परक्षमता निर्माण के लिए नवाचार केन्द्र कीस्थापना हो, विभिन्न क्षेत्रों में आप लगातार काम कर रहे हैं तो इसकी भी मुझे बहुत खुशी है। यह भी प्रसन्नता का विषय है किआपने दस गांवों को गोद लिया है, इस तरीके से आप उनकी समस्याओं के समाधान करने की दिशा में आगे आ रहे हैं।मुझे भरोसा है कि उद्योग और हमारे इन संस्थानों के बीच अच्छा समन्वय होगा ताकि जो उद्योगों को जरूरत है उसे हमारे संस्थान उद्योगों के समन्वय के साथ पूरा कर सकते हैं। ऐसा करने से जो हमारी प्रतिभाएं बाहर पलायन करती हैं वह समस्या भी खत्म होगी। उद्योग को जो नई ऊर्जा चाहिए, नई दिशा चाहिए,नया विजन चाहिए वोहमारे इन युवाओं में निश्चित रूप से मिलेगा। हमारे प्रधानमंत्री जी ने ऐसे नये और स्वर्णिम भारत के निर्माण का संकल्प लिया है जो स्वच्छ भारत हो,सशक्त भारत हो, समृद्ध भारत हो, आत्मनिर्भर हो और श्रेष्ठ हो। हमें ऐसे भारत के निर्माण की नींव बनकर आगे बढ़ना हैं हमजरूर आगेबढ़ेंगे और पूरे देश में और पूरी दुनिया में इस संस्थान का नाम बढ़ाएंगे। मैं एक बार पुन: जिन स्नातकों को गोल्ड मैडल मिले हैं उनको ढेर सारी बधाई देना चाहता हूं। जो आज डिग्री ले करके हमारे विद्यार्थी जा रहे हैं, उनको भीढेर सारी शुभकामनाएं एवं बधाई देना चाहता हूं। आप आज यहां से एक योद्धा के रूप में जायेंगे और आप यहसाबित करेंगे कि जोदीक्षा आपने ली है वो समाज के लिए काम आएगी तथापूरे राष्ट्र के लिए काम आएगी एवं पूरी दुनिया के लिए काम आएगी क्योंकि हम ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना वाले लोग हैं। हम पूरी दुनिया को ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया:’ के मार्ग पर ले जाना चाहते हैं। कोई व्यक्ति दुःखी न हो और यदि कोई दु:खी हो तो उसके दु:ख को दूर करने की ताकत हममें समाहित हो सकती है, हम उसको उबार सकते हैं तो एक बार पुन: आप सबको मेरी बधाई एवंशुभकामनाएं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- श्री संजय शामराव धोत्रे, माननीय माननीय शिक्षा राज्य मंत्री, भारत सरकार
- श्री जयंत डी. पाटिल, निदेशक एवं वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष, एलएंडटी, रक्षा व्यवसाय
- डॉ. प्रमोद एम. पडोले, निदेशक,विश्वैश्वरैया राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, नागपुर
10वां सीआईआई एजुकेशन समिट
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
10वें सीआईआई सम्मेलन में उपस्थित सभी भाइयो और बहनों का मैं अभिनन्दन कर रहा हूं और मुझे प्रसन्नता है कि जैसा कि डॉ. चंद्रजीत बनर्जी ने कहा है कि इस आयोजन में 900 से भी अधिक लोग विभिन्न क्षेत्रों के विशेषकर शैक्षणिक संस्थानों के लोग आज जुड़े हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि एक लंबी यात्रा सीआईआई ने की है। यह संस्थान 125 वर्षोंकीयात्रा के बाद भी थका नहीं है और अपनी उन सभी चीजों को नये परिवेश में नये सिरे से एक दिन एक नये अभियान के साथ आगे बढ़ा रहा है। इस अवसर पर सीआईआई शिक्षा परिषद् के अध्यक्ष डॉ. बी.वी.आर. मोहन रेड्डी जी, हमारे एआईसीटीई के अध्यक्ष डॉ. अनिल सहस्त्रबुद्धे जी, डॉ. राम गोपाल राव जी, निदेशक आईआईटी दिल्ली, राधिका भरत जी मुझे याद है कि पीछे के समय में हम लोग शिक्षा संवाद में मिले थे जिसमें राधिका जी ने भी बहुत सक्रिय तरीके से भाग लिया था। हमारी नई शिक्षा नीति को बनाने में अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान करने वाले डॉ. पंकज मित्तल, महासचिव, भारतीय विश्वविद्यालय संगठन, डॉ. चंद्रजीत बनर्जी, महानिदेशक, सीआईआई और सभी उपस्थित भाइयों ओर बहनों। मैं समझता हूं कि आज जिस विषय को लेकर के आपने आगे बढ़ाया है वह अत्यन्त ही महत्वपूर्ण है आपने इस समय कहा है कि एक नई दुनिया के लिए नये भारत के निर्माण की जरूरत है। आपने कहा कि उसका रास्ता शिक्षा से ही होकर गुजर सकता है। शिक्षा और उद्योग के बीच वह कौन सी कड़ी हो सकती है कि दोनों परस्पर मिल करके ऐसे विश्व के लिए जो भारत की नजर में एक परिवार हो,एक कुटुम्ब हो, विश्व का विकसित परिवार हो, जो सभी चीजों से युक्त हो, ऐसा परिवार बनाने के लिए नये भारत की जरूरत है। जिस बात को हम हमेशा ही बोलते हैं कियदि विश्व की प्रगति,शांति पूरे विश्व के लिए हिंदुस्तान से होकर गुजरती है तो यदि यहकहते हैं हमतो यहअतिश्योक्ति नहीं है। यह केवल भाषण के शब्द नहीं हो सकते हैं, इतिहास इस बात का गवाह है कि हिंदुस्तान ही विश्व की ओर समृद्धि,शांति और प्रगति का एक बहुत बड़ा आधार है। प्रगति केवल आर्थिक प्रगति नहीं होती, मात्र कुछसुविधाओं को जुटाना प्रगति नहीं हो सकती, संसाधनों को जुटाना ही मात्र प्रगति नहीं हो सकती। सर्वांगीण प्रगति चाहिए और इसीलिए हमारी धारणा, हमारी भावना विश्व के परिवारके बारे में बिल्कुल अलग रही है। हम विश्व को अपना परिवार मानते हैं इसलिएयहहिन्दुस्तान विश्वगुरू कहलाया गया और इसने जिस तरीके से काम किया पूरी दुनिया के लिए, मानवता के लिए , चाहे वह मनुष्य कहीं काभी क्यों नहीं हैचाहेवो किसी भी जाति, पंथ, संप्रदाय का क्यों नहीं है। जिस भारत के बारे में मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हम को 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत चाहिए ऐसा भारत जो स्वस्थ भारत हो, जो स्वच्छ भारत हो, जो श्रेष्ठ भारत हो, जो आत्मनिर्भर भारत हो और जो एक भारत हो, इन सबके बाद में आती है श्रेष्ठता। उसके अंदर बहुत कुछ समाया हुआ है,यहपांच-सात चीजें सामने बोली वो तो हैं ही लेकिन पूरी दुनिया उस श्रेष्ठता के अंदर समाई हुई है जिसमें आपकाविजन भी, आपका मिशन भी, आपका चरित्र भी है, आपका व्यवहार भी है, आचार भी है, आपकी तमाम तरीके की बहुआयामी वो गतिविधियां भीहोती हैं जिससे एक अच्छा नागरिक बन सकता है।इन गुणों की बदौलत वह व्यक्ति विश्व के लिए एक विश्व मानव बन सकता है और इसलिए जब आपने नई शिक्षा नीति के बारे में बोला जब हम पिछली बार आपके साथ जुड़े थे और हमने यह कहा था किहम एकऐसीशिक्षा नीति ला रहे हैं जो विश्व के फलक पर होगी। यह बात बीच-बीच में कही जाती रही है कि हिंदुस्तान से इसलिए लोग बाहर जा रहे हैं पढ़ने के लिए कि हिंदुस्तान की जो शिक्षा नीति है वो इंटरनेशनल है ही नहीं, ऐसा भी नहीं था। यदि मेरे देश के यह आईआईटी डॉ.राम गोपाल बैठे हैंआपके साथ यह आईआईटी केडायरेक्टर हैं जब मैं उनसे पूछता हूं कि आप बताओ क्या आपके आईआईटी के बच्चे आज कहां-कहां है?यहबताते हैंपूरी दुनिया में छाए हुए और पूरी दुनिया कोलीडरशिप दे रहे हैं। हमारे संस्थानों से निकले छात्र आज दुनिया की बड़ी से बड़ी कम्पनियों एवं प्रतिष्ठित संस्थानों को लीड कर रहे हैं तो फिर कैसे कह सकते हैं कि हमारी शिक्षा इंटरनेशनल स्तर की नहीं है और फिर यदि आपके किसी के मन में शंका भी थी तो इस नई शिक्षा नीति नेबड़े व्यापक परिवर्तन के साथ, तमाम सुधारों के साथ उन शंकाओं को दूर कर दिया है। अब यह दुनिया का सबसे बड़ा रिफॉर्म होगा। नई शिक्षा नीति दुनिया केसबसे बड़े विमर्श से निकली हुईनई शिक्षा नीति है। यदि देखा जाए तो जो आप लोगों की चिंता है क्योंकि आप उद्योग जगत से जुड़े हुए हैं और यह देश 130 करोड़ लोगों का देश है। इस देश में बाहर से क्या आरहाहैएक बार उसके बारे में विचार कर लीजिए। इस देश में किस चीज की जरूरत है,उसके बारे में विचार कर लीजिए। इसदेश में जो हमारी प्रतिभा हैं और जो आपका हुनर है उसको तकनीकी के साथ जोड़कर के उद्योगों में क्या परिवर्तन करना था, उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उस गैप को खत्म करने की ज़रूरत थी और इसलिए इस नई शिक्षा नीतिको हम नए कलेवर के साथ लाएं हैं जो भारतीयता के आधार पर खड़ी होगी। जब मैंभारत कहता हूं तो यह सामान्य भारतनहीं होता है। वो भारत कौटिल्य का भारत होता है, वो भारत चरकका भारत होता है, वो भारत सुश्रुतका भारत होता है, वो भारत नागार्जुन का भारतहोता है, वो भारत जो पातंजलि का भारतहोता है और वो भारत के उन लोगों का होता है जिन्होंने भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित किया और ‘‘एतद्देशप्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मनः स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन्पृथिव्यां सर्वमानवाः’’जिनके पास पूरी दुनियां ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान, तकनीकी इस सब को प्राप्त करने के लिए आती थी मैंउस भारत की बात करता हूं। इसलिए आज पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। यदि मेरे देश के प्रधानमंत्री ने कहा हैकि स्वर्णिम भारत कीजरूरत है उस स्वर्णिम भारत की आधारशिला को लेकर नईशिक्षा नीति आई है।यह नेशनल भी होगी, यहइन्टरनेशनल भी होगी, यहइम्पैक्टफुल भी होगी, यहइन्क्लुसिवभी होगी, यहइन्टरेक्टिव भी होगी और यह इनोवेटिव भी होगी, यह इक्विटी, क्वालिटी और एक्सेस की आधारशिला पर खड़ी होगी। इसीलिए जब मैं नई शिक्षा नीति को कहता हूं तो इसमें कंटेंट भी होगा, पेटेंट भी होगा। हम कंटेंट को पेटेंट से जोड़नहीं पाये थे मैं जब मैंसंस्थाओं में जाता हूं तो मैंने एकअनुरोध किया है कि यह पैकेज की होड़ से पेटेंट की होड़ हो सकती है कि नहीं। जिस दिन इस भारत में पेटेंट की होड़ लग जाएगी मेरे युवाओं में उस दिन भारत अपने आप ही पूरी दुनिया कासर्वशक्तिमान राष्ट्र बन जाएगा यहअब लोगों को समझ में आ गया है। अब उस राह पर चलना लोगों ने शुरु कर दिया है। इसलिए मैं यह समझता हूं कि जहां हम कंटेंट भी करेंगे,वहांहम कैरेक्टर को भी करेंगे वहां हम उसके टैलेंट को भी खोजेंगे तो उसको विकसित भी करेंगे औरउसका विस्तार भी करेंगे। यह जो नयी शिक्षा नीति है वो शोध और अनुसंधान पर भीआधारित होगी, जहां नेशनल रिसर्चफाउंडेशन की स्थापना होगी। वहांतकनीकी को अंतिम छोर तक के व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए भी ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ का गठन करेंगे। मैं इस बात से सहमत हूं कि जिस दिन पूरी ताकत के साथ इस खाई को पाटा जाएगा, उद्योग और हमारे विद्यार्थियों की शिक्षा के तकनीकी संस्थानों चाहे वोमेरे आईआईटी हों, एनआईटी हों,आईसर हों,आईआईएम हों और विश्वविद्यालय हों, जिस दिन मेरे राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों और उद्योगों का के बीच समन्वय हो जाएगा तब दुनिया की कोई ताकत नहीं कि मेरे देश के सामने कोई खड़ा भी हो सकता है।हममें क्योंकि विजनहैहममें ऊर्जाभी है, हमारे भीतर रिजल्ट देने की ताकत भी है लेकिन यह पार्ट-पार्ट में हो रहा है, उसको समन्वित करने की जरूरत है। यह देश इतना विशाल देश है किकहीं भी जाया जा सकता है। अब उस दिशा में शिखर को पाया जा सकता है। जब इस मिशन के साथ हम करेंगे तो निश्चित रूप में हम स्वयं कंटेंट भी तैयार करेंगे और पेंटेंट भी हमारा होगा। हमारे भीतर आत्मविश्वास भी होगा,हमारा समर्पण भी होगा किहमकोकरना क्या है और यहकेवल शिक्षार्थियों एवं विद्यार्थियों पर ही लागू नहीं होता है क्योंकि नियम तो सबके लिए होता है। यदि किसी उद्योग में समर्पण नहीं है,यदिकोई विजन नहीं है, टारगेट नहीं है, तो मुझे लगता है वो बहुत दिनों तक खड़ा नहीं रह सकता। उसके लिए विजनहोना जरूरी है। विजन के साथ उसके समर्पण के साथ ही जीवन-मरण के प्रश्न पर उसका जो टारगेट है उसको पाने कीललकहोनी चाहिए, वह जरूरी है। आज कैपेसिटी बिल्डिंग के साथ ही हमको नेशन बिल्डिंग पर भी फोकस करना है तथा ऐसी क्षमता का निर्माण भी करना है। मैं यह समझता हूं कि इसकी जरूरत है,सुशासन की जरूरत है। यह जो जीवन है उसके साथ जोड़ने जरूरतहै यह हमारी नयी शिक्षा नीति आज उसी का एक प्रयाय है। मुझे बहुत खुशी है कि आपनेजिस बात को कहा है कि क्या उद्योगऔर शैक्षणिक संस्थान यह दोनों मिलकर के काम कर सकते हैं, कर सकते हैं। यदि नेशन को आपने ताकत देनी है तो इसके लिए कोई किंतु-परंतु नहीं हो सकता। किस तरीके से करना है वह रास्ता हम को तय करना है और मैं बनर्जी जी से कहूंगा यह महासचिव हैं इस दिशा में सबसे परामर्श करने के बाद जो अभी आपने कहा, जब हम पिछलीबार जून में जुड़े थेतब भी यह आशा की थी कि हम लोगों को एक कमेटी गठित करनी है,एकटास्कफोर्स गठित करनी है। वो टास्कफोर्स हमनिश्चित रूप से गठित करेंगे। आपकुछ नामोंकोदे दीजिए। अनिल जोजो मेरे साथ जुड़े हुए हैं मैं इनको कहूंगा कि आपकी उस टास्कफोर्स में जो हमारी ‘युक्ति-1’ और ‘युक्ति-2’ है।‘युक्ति-1’मेंआईआईटीमें जितने भी हमारे छात्रों ने आज शोध और अनुसंधान किया है, इस बीच कोविडके दौरान हमारी क्षमता देखिए हमारीताकत देखिए हमारे बच्चों ने आज शोध और अनुसंधान किया है। रामगोपाल जी जुडे हुए हैं जब ऐसी परिस्थिति आयी और देश के प्रधानमंत्री जी ने बताया कि नौजवान क्या कर सकते हैं तो हमारे आईटी के छात्रों ने अपना हुनर दिखाया।आज हमारे अपने सस्ते और टिकाऊ वेंटीलेटर हमने तैयार किये। हमने बहुत कम समय में और हंड्रेड परसेंट रिजल्ट देने की क्षमता वाली टेस्टिंग किट तैयार की। आईआईटी दिल्ली नेफिर एक कंपनी के साथ एमओयू करके आज पूरी दुनिया को भी हमने भेजा। इस बीच तमाम अनुसंधान छात्रों ने किये हैंऔर ‘युक्ति-2’ में तो अनिल सहस्त्रबुद्धे जी को मालूम है कि जितने भी इनके बच्चों के आइडियाज हैं, हजारों-लाखों ‘युक्ति-2’पर आ करकेसारे इकट्ठा हैं। देश के लिए इतना बड़ा प्लेटफॉर्मबनाया है जिसका विजिटजो चाहे उद्योगपति, कृषक सभी करके वहां से अच्छे आईडियाज को अपने साथ लेकर जा सकते हैं। इसीलिए मैं समझता हूँ कि यह बहुत अच्छा है औरदेश नई अंगड़ाई ले रहाहै तथा तेजी से लोगों की मनःस्थिति बदल रही है। इस नई शिक्षा नीति के लिए तोपूरी दुनिया और देश ने उत्सव मनाया है। दुनिया भी इस नई शिक्षा नीति को लेकर के बहुत लालायित एवंउत्सुक है तथातमाम देशों ने कहा है कि हम भी भारत की शिक्षा नीति को अपने यहां लागूकरना चाहते हैं। अभी दो-दिन दिन पहले संयुक्त अरब अमीरात के शिक्षा मंत्री और उनका पूरा ग्रूप मेरे साथ जुड़ा था जब उन्होंने कहा कि हम इस नई शिक्षा नीति को अपने यहां लागूकरना चाहते हैं। अभी कुछ ही दिन पहले कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने भीकहा कि भारत तो ज्ञान का बड़ा केन्द्र था। यह कैम्ब्रिज नेकहा कि भारत बड़ा केन्द्र था जो यह अब नयी शिक्षा नीति आई है अब वह पुनर्जागरण के साथ सम्पूर्ण विश्व को मार्गदर्शन दे सकती है और हम दुनिया के सभी शिक्षा मंत्रालयों के साथ मिल करके आपके अभियानको आगे बढ़ाने की इच्छा प्रकट करते हैं। यह हमारी ताकत है और इस नई शिक्षा नीति की वो ताकत है इसलिए मैं समझता हूं कि यह अवसर अच्छा अवसर है इस अवसर को हमें हाथ से जाने भी नहीं देना है।इसलिए जब अच्छे अवसर आते हैं और फिर जब मौसम अच्छा रहता है तो उसी ताकत के साथ एवं गतिशीलता से दौड़ना भी पड़ता है। मुझे भरोसा है कि जो आज सर्वेक्षण एआईसीटीई और दोनों ने मिलकर के जो काम किया है उसके लिए मैं एआईसीटीई को भी बधाई देना चाहता हूँ कि आपने औद्योगिक क्षेत्र में विश्व रैंकिंग करने का जो नया कार्य किया है, वह बहुत अच्छा है उद्योगों की दृष्टि से कैसे रैंकिंग हो सकती है और संयुक्त रूप में हमलोग किस तरीके से रैंकिंग निर्धारित कर सकते हैं इस पर बहुत अच्छा कार्यगहन चिंतन-मननके साथ होना चाहिए। हमने आईआईआईटी को पीपीपी मोड में किया है। आपको मालूम है कि भारत सरकार 50 प्रतिशत, राज्य सरकार 35 प्रतिशत और उद्योग जगत 15 प्रतिशत उसको योगदान देता है।हमारे आईआईआईटी बहुत खूबसूरत एवं अनुकरणीय पीपीपी मॉडल के संस्थानों का आदर्श हैं। मैं जब आईआईआईटी के आयोजनों में सम्मिलित होता हूं तो मुझे लगता है कि आने वाले भविष्य में मेरे यह संस्थान शिखर को चूमेंगे।यहजो उद्योगों के दृष्टिकोण से मानकों को रखने एवं रैंकिंग निर्धारण का जो आपने प्रावधान रखा है, वह बहुत अच्छा है और केंद्र सरकार के द्वारा चलाए जा रहे सभी तकनीकी संस्थानों में भी इस तरीके के लागू होना चाहिए ताकि लगे कि हमको उद्योगों के साथ किस तरीके से जुड़ाव और लगाव है। हम अलग नहीं हैं। मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा ही होगा और वो जो संयुक्त कार्य दल बनाने की आपने बात की है उससे मैं बिल्कुल सहमत हूं और जितना जल्दी हो सकता है उसको बननाही चाहिए। यहजो प्रधानमंत्री डॉक्टरल रिसर्च की आपने 2012 में शुरुआत की थी यह भी बहुतअच्छाकार्यक्रम थालेकिन मैं सोचता हूं किबहुत तेजी से काम भी कर रहा है लेकिन रिजल्ट जिस अनुरूप निकालना था वो क्यों नहीं निकल रहाहै इस पर विचार करने की जरूरत है। लेकिन आपकी बात तो अच्छी है। पहले बात तो यह अच्छी पहल है इसको और किस तरीके से आगे बढ़ाया जा सकता है आपकेअनुसंधानों को रिजल्ट के रूप में परिवर्तित होना चाहिए।समझता हूँ यदि उसकी भी एक ओर कमेटी के स्वरूप में लगातार समीक्षा करते रहेंगे तो बहुत अच्छा होगा बल्कि मैं तो यह कहता हूँ कि इसको विज्ञान और सामाजिक विषयों पर भी आपको आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि आपका जो सीआईआई है वहशैक्षणिक उत्थान की दृष्टि से आपका मिशन है और जहां उद्योगोंकाऔर समन्वयहोना चाहिए तथासार्वजानिक क्षेत्र की भी गतिविधियों में उन्नयन होना चाहिए। तोआप विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में भी यदि उसको करेंगे तो बहुत अच्छा होगा। आज जो आइपेट नामक दो परीक्षाएं हैमैं सोचता हूँ कि इनको भी आगे बढ़ना चाहिए। इससे जो बड़ी बड़ी कंपनियां हैं उनमें हमारे छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अच्छा अवसर मिल सकता है और उद्योग जगत के लिए भी यह बहुत महत्वपूर्ण होगा। मेरे जो छात्र हैं जिनको रोजगार की दिशा में जाना है उनके लिए भी अच्छा होगा। जैसे अभी अनिल जीने कहा कि यदि हम इंटर्नशिप के माध्यम से विद्यार्थियों की प्रतिभा को जोड़ते हैं तो वह विद्यार्थी उस संस्थान को भीबढ़ाएगा तथा उसे पीछे नहीं आने देगा और हो सकता है कि उसके बाद वहउसको छोड़ें ही ना। उसको कहो कि तुम साथ-साथ अध्ययन करो लेकिन तुम इस उद्योग में भी भागीदारी करते हुए इसकी बारिकियों कोभी सीखों क्योंकि तुम प्रतिभाशाली हो और वो आपको आयडियाज देगा। पूरी दुनिया की शिक्षण व्यवस्था का अध्ययन करके कि किस देश में क्या हो रहा है और मुझे अब उससे भी आगे कहां जाना है। यह उसमें क्षमता है, उनकी विराटता है। इन छात्रों में और हमारे देश में टैलेंट की बिल्कुल कमी नहीं है और इसको लीडरशिप देनी होगी, इसको वैश्विक परिवेशमें आगे बढ़ाना होगा।मैं यह समझता हूँ कि एक बार आप सब लोग बैठें और जितने भी ओद्योगिक क्षेत्र के लोग हैं आप यह तय कर दें कि सीएसआर के फंड उपयोग शैक्षणिक क्षेत्र के उन्नयन की दिशा में लगेगा तो यहक्रांतिकारी कदम होगा औरवो उद्योगों के साथ जुड़ेंगे। यहां जो आत्मनिर्भर भारत का मेरे देश के प्रधानमंत्री जी ने आह्वान किया है कि आईआईटी से निकलने वाला हरछात्र, एनआईटी से निकलने वाले छात्र, इंजीनियरिंग कॉलेजों से निकलने वाले छात्र निश्चितरूप से एक स्टार्टअप को लेकरजाऐंगेऔर मेरा भारत उस दिन आत्मनिर्भर हो जाएगा। ऐसा हो सकता है कोई दिक्कत नहीं है। एक बार थोड़ा सा समन्वय करने की आवश्यकता है, उसमें क्षमता तो है ही इसलिए दूसरों को भी लीडरशिप देकर दुनिया के देशों को आगे बढ़ा रहे हैं। दुनिया के देशों कीयदि आप समीक्षा करें तो जैसे मैंने अभी कहा कि आईआईटी से निकलने वालेछात्र,यह देश 130 करोड़ लोगों का देश है। यदि देश काजितना मार्केट के रूप में आप अध्ययन करेंगे तो देखेंगे कि50 देशों के बराबर अकेला अपना हिन्दुस्तान है जो पूरी दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और इसलिए जब आपको याद होगा कि एक बार आदरणीय अटल बिहारी बाजपेयी जी ने जब परमाणु परीक्षण की बात की थी तब कुछ देशों ने हिंदुस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की बात की थी और कहा था कि यदि आपने यह किया तो हम आपको अनुदान नहीं देंगे, भीख नहीं देंगे और अटल जी ने पूरी ताकत के साथ कहा था कि नहीं, मेरा देश किसी को छेड़ता नहीं, किसी से हम लड़ने के लिए नहीं लेकिन हम अपनी ताकत के विकास के लिए परमाणु परीक्षण जरूर करेंगे और आपको याद होगा कि कई संपादकीय में लिखा गया था कि अटल जी ने बहुत खतरनाक खेल किया है। अब दुनिया से, अमेरिका से, पैसा नहीं मिलेगा, लोन नहीं मिलेगा, कर्ज नहीं मिलेगा और अटल जी ने एक ही सूत्र दिया था कि देश में न कोई आयात होगा और न देश में कोई निर्यात होगा। बाहर से कोई चीज देश के अंदर नहीं आएगी और देश से कोई चीज बाहर नहीं जाएगी। छह महीने मेंदुनिया की आंखे खुल गई थी। दुनिया नहीं रह सकती हिंदुस्तान के बिना, यही हमारी ताकत है। देश से कोई चीज बाहर नहीं जाएगी और केवल इसएक सूत्र ने पूरे देश को खड़ा कर दिया था।मैं समझता हूं कि आज हमारे प्रधानमंत्री जी ने जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ की बात की है, वह बहुत महत्वपूर्ण बात की है। हर एक छात्र योद्धा की तरह निकल कर के बाहर आए और वो इस होड़ में न जाए कि मुझको विदेश में जाकर कितना पैकेज मिल जाये। उसकी प्रतिभा को यहां किसी उद्योग के साथ कैसे संबंध से हम कर सकते हैं। आज इसकी जरूरत है। मुझे भरोसा है कि जो हमारे देश के प्रधानमंत्री ने 5 ट्रिलियन डॉलर आर्थिकी की बात की है और उसके लिए उन्होंने मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया जैसे रास्ते भी दिखाये हैं। हमारे पास स्किल भी है, हमारे पास कौशल भी है और मेक इन इंडिया क्यों नहीं हो सकता। पूरी दुनिया में मेक इन इंडिया होना चाहिएक्योंकि यह देश इतना बड़ा है और विजनरी देश है और जिस दिन उद्योग और मेरी यहप्रतिभाएंदोनों मिल जाएंगे उस दिन पूरी दुनिया में मेक इन इंडिया ही दिखाई देगा। कोई देश दिखाई भी नहीं देगा और वो दिन आ रहा है तथा वो तेजी से बढ़ रहा है। उसके समन्वय के लिएसीआईआईको जरूर उसकी लीडरशिप लेनी चाहिए। इसलिए लेनी चाहिए क्योंकिआपका125 वर्षों का इतिहास है। आपने हर कदम पर देखा है, झेला है, रास्ते निकाले हैं देश की खराब परस्थितियों को भी देखा है और अबजब देश उत्थान के उत्कर्ष पर है आप उसको भी देख रहे हैं और उसके सहभागी भीबन रहे हैं और इसलिए मैं समझता हूं कि यह अच्छा मौका है जब हम नई शिक्षा नीति के माध्यम से उसकी आधारशिला रखकर उसको आगे बढ़ाने की आप कोशिश कर रहे हैं। मैं आप सब लोगों को शुभकामना देना चाहता हूं और मुझे भरोसा है कि जो अद्भुतस्वीकार्यता मिली है नई शिक्षा नीति को और वह के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट हो गया है और दुनिया के लिए उत्सुकता का कारण बना है उसकाहमताकत के साथ क्रियान्वयन करेंगे। शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में चाहे ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ हो और चाहे ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’हो इन दोनों की गतिविधियां जो भविष्य में आने वालीहैउससे उद्योगों, छात्रों एवं शोध-संस्थानों के बीच बेहतर समन्वय होगा। हम कह सकते हैं कि ऐसीनई चीजें इस देश में होनी चाहिए और जिसका मैंने अभी आपको एक उदाहरण दिया कि जब परिस्थितियांहोती हैं तो दूसरे भीखड़े हो जाते हैं। मुझे भरोसा है कि आपका जोविजन है और जिस तरीके का आपका मिशन है वो इस देश को आत्मनिर्भर भारत एवं5ट्रिलियनडॉलर की आर्थिकी तक जाने का जो रास्ता है उसेउद्योग, नई शिक्षा नीति और हमारे शैक्षणिक संस्थान और उद्योग यह सब मिलकर के उस रास्ते को आगे बढ़ाएंगे और वैसे भी भारत पूरी दुनिया में ज्ञान की महाशक्ति के रूप में तेजी से उभर रहा है। आज लोग महसूस करेंगे और अभी दो साल बाद देखिएगा। अभी तो यह नया है और पूरी दुनिया के अंदर हलचल है। अभी तो हमारे कुछ लोगों को स्वीकारने में भी हिचक होगी क्योंकि उनको लगता है कि सौ डेढ़ सौ सालों की उस गुलामी के जो थपेड़े हमारे मन मस्तिष्क पर पड़े हैं।उनके कारण सहज तरीके से अपने को भी खड़ा करने में वक्त लगेगा। लेकिन पूरी ताकत के साथ जब यहकाम होगा तो देखिएगा कि हमारे यहां विजनकी कमी नहीं है और मेहनत की कमी नहीं है तो विजन और मिशन जब मिलता तो नई चीज पैदाहोती है, वो हमारे पास है और फिर यह देश तो आने वाले 25 बरसों तक यंग इंडिया रहने वाला है। क्या नहीं कर सकते हम सब कुछ कर सकते हैं केवलजरूरत है लीडरशिप की।वैसे भी यह जो नयी नीति तो बहुत अच्छी बनी है लेकिन इसको नीचे तक क्रियान्वित करना औरढांचागत रिफॉर्म का परिणाम किस तरीके से नीचे तक ला सकते हैं। इसके बीच की कड़ी आपकी लीडरशिप हो सकती है। इस नीति को नीचे तक व्यावहारिक रूप में, प्रेक्टिकल रूप में नीचे तक ले जाने के लिए आपकी लीडरशिप में जरूर होगा ऐसा मेरा भरोसा है। मैं आज आपको बहुत शुभकामना देना चाहता हूं यह शैक्षणिक गतिविधियों का जो सम्मेलन है इससे बहुत कुछ निकलेगा और इससे वो चीज निकलेगी जिसकी देश हमसेअपेक्षा कर रहा है।परिवर्तन करने वाले आप ही लोग हैं। कोई आसमान से टपक करके परिवर्तन करने के लिए नहीं आएगा। मुझे भरोसा है कि यह जो क्षण हैं वो एक नये भारत के उदय को सुनिश्चित करेगा औरजिस दिन भारत नये भारत के रूप में आएगा स्वत:स्फूर्त विश्व एक नया विश्वबन जाएगा क्योंकि भारत का बल पूरे विश्व के बराबर है और उसमें सामर्थ्य है, पूरी दुनिया को अपने में समेटने की और जिस बात को मैं बार-बार कहता हूं कि एक परिवार के रूप में हमने पूरी दुनिया को देखा है और उस दुनिया के परिवार को हम सब और सम्पन्न भी करनाचाहते हैं उसे आगे बढ़ना भी चाहते हैं। हम संस्कारों एवं जीवन-मूल्यों की भी प्रगतिचाहते हैं,इसलिए जो सीआईआईजो विश्व स्तर पर यह शिक्षा का संवाद आयोजित कर रहा है, वह उस दिशा में भी कड़ी बनेगा। वैसे भी इस समय शिक्षा संवाद मैं लगातार कर रहा हूं और तमाम देशों के शिक्षा मंत्री और तमाम देशों के राजदूत इस बात को कहते हैं कि हमेंभीशिक्षा का संवाद चाहिए। बाहर के लोग हमारे अंतरराष्ट्रीय शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों को अपने देश के अंदर आमंत्रित किया है और हम अपने शीर्ष विश्वविद्यालयों को भी दुनिया के देशों में भेजनाचाहते हैं। अभी कुछ दिन पहले आईआईटी के दीक्षांत समारोह में डॉ.राम गोपाल रावजीने कहा है कि आज विदेशों में कई देशों में लोग लगातार आग्रह कर रहे हैं इनकोहां, बोलना है। हमारे शिक्षकों को भेजना हैतो मैंने उनको कहा जितना जल्दी हो सकता है जाओ, हमको दुनिया पर जाना है। हमारे आईआईटीज के बाद दूसरेनए फिल्ड में भी प्रतिभाओं को लगना चाहिए। हिन्दुस्तान में ‘ज्ञान’ के तहत हम विदेश की फैकल्टी को इधर लाते थे लेकिन मैने कहा‘ज्ञान प्लस’ होना चाहिए हमारेयहां कि फैकल्टी भीदुनिया को पढ़ाने के लिए जानी चाहिए और वो हो रहा है। मुझे इस बात की खुशी है कि मैं विगत डेढ साल से इसकोदेख रहा हूं। मैं अपने आईआईटीज के अंदर जाकर घुस करके देखता हूं, अपने विश्वविद्यालयों के अंदर देखता हूं, शीर्ष संस्थाओं के अंदर देखता हूं मुझको दर्शन मिलता है औरमुझे बहुत भरोसा है कि हम दुनिया के सबसे बड़ी शिक्षा का आधार बनेंगे और जो लोग हमसे अपेक्षा कर रहे हैं जो देख रहे हैं कि पूरी दुनिया का शिक्षा का यह सबसे बड़ा भंडार होगा और हमारा देश महाशक्ति के रूप में उभरेगा आपकी ताकत से, जुड़ाव से, लगाव से और अभियान से हमारी देश के लोगों की यहइच्छा भी पूरी होगी। मैं एक बार फिर आप सब लोगों को शुभकामनाएं देता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- डॉ. बी.वी.आर. मोहन रेड्डी, अध्यक्ष, सीआईआई शिक्षा परिषद्
- डॉ. चंद्रजीत बनर्जी, महानिदेशक, सीआईआई शिक्षा परिषद्
- डॉ. पंकज मित्तल, महासचिव, भारतीय विश्वविद्यालय संगठन
- डॉ. अनिल सहस्त्रबुद्धे, अध्यक्ष, एआईसीटीई
- डॉ. राम गोपाल राव जी, निदेशक आईआईटी दिल्ली
साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए वातायन-यूके संस्था द्वारा अन्तरराष्ट्रीय शिखर सम्मान प्रदान किया गया।
आईआईटी इंदौर के 8वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर केवी कम्यूीन टर एवं सूचना प्रौद्योगिकी केन्द्रइ, केन्द्री य कार्यशाला, अभिनन्दकन भवन एवं तक्षशिला व्यािख्याकन हॉल परिसर का उद्घाटन
माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
आज के इस ऐतिहासिक उत्सव में जहां हम आईआईटी इंदौर की बहुत सारी परियोजनाओं को लोकार्पित कर रहे हैं वहीं आठवें दीक्षांत समारोह जैसे भव्य आयोजन में उपस्थित इस आईआईटी परिषद् के यशस्वी अध्यक्ष आदरणीय प्रो. दीपक भास्कर पाठक जी, मेरेसाथ मंत्रालय में जो इस क्षेत्र को देख रहे हैं अपर सचिव,श्री राकेश रंजन जी, इस संस्थान के कार्यवाहक निदेशक प्रो. निलेश कुमार जैन जी, डीन शैक्षणिक डॉ. देवेन्द्र देशमुख जी और सभी विभागध्यक्ष, संकाय सदस्य, अभिभावकगण, सदस्यगण और आईआईटी इंदौर परिवार के सभी उपस्थित भाइयो और बहनो! इस उत्सव में देश और दुनिया से हमारेपूर्व छात्र भी जुड़े हुए हैं, मैं इस अवसर पर आप सभी का अभिनन्दन कर रहा हूं, स्वागत कर रहा हूं।
मुझे लगता है कि आप सब देश के सबसे स्वच्छ शहर एवं स्मार्ट शहर से इन यादगार क्षणों के साक्षी बन रहे हैं। आज मेरे विद्यार्थी इस संस्थान से शिक्षा को प्राप्त करके और अब मैदान में जा रहे हैं ऐसे क्षणों में हम और आप उनके इस दीक्षांत समारोह में एकत्रित हो करके उनको बधाई देने के लिए आये हैं, हम उनकी पीठ थपथपाने के लिए आये हैं, हम उनका हौसला बढ़ाने के लिए आये हैं, हम उनको याद दिलाने के लिए आये हैं कि हां,जो कई वर्षों की अनवरत साधना आपने की है अब वो वक्त आ गया है जब उस साधना को, उस ज्ञान को लेकर के आपनिर्माण के क्षेत्र में मैदान में जा रहे हैं और इसलिए आप सबको मैं बधाई देना चाहता हूँ।
वैसे तो शिक्षा का अंत कभी नही होता लेकिन यह जितना ज्ञान आपने अर्जित किया है उस ज्ञान को बाँटने के लिए, उस ज्ञान का वैभव विकसित करने के लिए आप आज संस्थान से मैदान में जा रहे हैं और निश्चित रूप में आपकी असली परीक्षा तो अब आरम्भ होती है अभी तक तो केवल पुस्तक की परीक्षा थी लेकिन जीवन की जो परीक्षा है अब आज से वो शुरू होती है जब आप परयोद्धा की मुहर लग करके अपने क्षेत्र में जाने वाले हैं, अपने अनुभवों को लेकर के जाने वाले हैं। इस अवसर पर मैंआपको बहुत सारी बधाई देता हूं और स्वभाविक है कि यह क्षण आपके लिए बहुत भावुकहोंगे।
आपके अध्यापकगण, आपके अभिभावक इन क्षणों में कितने खुशी और आनंद का अनुभव कर रहे होंगे। मेरे प्रिय छात्र छात्राओं! केवल आप अपनी आशाओं का केंद्र नहीं हैं बल्कि आप अपने परिवार, समाज एवं राष्ट्र की भी आशाओं का केन्द्र हैं। आज न केवल आप अपने इस आईआईटी इंदौर की आशाओं का केन्द्र हैं तथा न केवल मध्यप्रदेश की आशाओं का केन्द्र हैंबल्कि मेरे भारत की भी आशाओं का केन्द्र है और मैं इससे आगे भी जाना चाहता हूं कि आप पूरी दुनिया की आशाओं का केन्द्र हैं। और क्यों न हों? यह देश विश्वगुरु रहा है। इस देश के बारे में हमेशा कहा गया है कि ‘‘एतद्देशप्रसूतस्य सकाशादग्रजन्मनः। स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्वमानवाः।।’’
तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय इस देश के अंदर थे। यहां पूरी दुनिया के लोग शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे। दुनिया के लोग ज्ञान-विज्ञान-अनुसंधान हर क्षेत्र में यहां से शिक्षा ग्रहण करके जाते थे।ऐसा वैभव पूरी दुनिया में आपके ज्ञान और विज्ञान का फैला हुआ था।मैं समझता हूं उस देश के ही हम वासी हैं जिस देश ने पूरे विश्व को अपना परिवार माना है। हमने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की बात की। पूरी वसुधा को पूरे संसार को हमने परिवार माना है। दुनिया के दूसरे देशों ने संसार को केवल बाजार माना है लेकिन हमारा यहविचार नहीं रहा है। हमने संसार को अपना परिवार माना क्योंकि हमारी मान्यता रही है कि परिवार में प्यार होता है और बाजार में केवल व्यापार होता है, व्यवसाय होता है। उस प्यार को लेकर हम दुनिया में जाना चाहते हैं और उस पूरे परिवार की रक्षा, सुरक्षा उसकी सुख-समृद्धि और प्रगति की न केवल कामना के लिए कार्य कर रहे हैं बल्कि उसे मिशन में कर रहे हैं। जहांसुबह उठते ही हम कहते हैं-‘‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया’’ यह हमारा सूत्र रहा है।
हमने लोगों को मशीन नहीं बनाया बल्कि मनुष्य बनाया है और इसीलिए हमारे देश के प्रधानमंत्रीजी जब अभी नई शिक्षा नीति को लेकर आये थे तो उनकी यह चिंता रही है कि हमारे जो जीवन मूल्य हैं वो दुनिया के लिए बहुत जरूरी हैं। हमारे जीवन मूल्य दुनिया के लिए अनुकरणीय हैं। हमारे लिए हमारे छात्र केवल विद्यार्थी नहीं हैं बल्कि हमारे लिए देवता हैं। हमारे छात्र सम्पूर्णविश्व के लिए एक ऐसा वैश्विक नागरिक अर्थात् महामानव बनकर जा रहे हैं जो हर क्षेत्र में प्रगति के शिखर को चूमेंगें और मानवता का भी पाठ पढ़ाऐंगे।ऐसे ही विद्यार्थियों को तैयार करने के लिए हमारी एनईपी-2020 आई है, मुझे खुशी है कि हमारे बीओजी के अध्यक्ष प्रो.दीपक भास्कर पाठक जी जिनका जीवन बहुत ही प्रेरणादाई एवं संघर्षमय रहा है, ऐसे व्यक्तित्व के निर्देशन में इस नीति का बहुत ही अच्छे तरीके से क्रियान्वयन भी होगा मैं क्योंकि हर संस्थान का लगातार सर्वेक्षण भी करता रहता हूं परीक्षण भी करता रहता हूं और अनुसंधान भी करता है एवंउसके बारे में जानकारी भी लेता रहता हूं। संस्थान के अधिकारी वर्ग में चाहे डीन हों, चाहे विभागाध्यक्ष हों,अथवा चाहे वहां के कौन से छात्र हैं जो विगत समय में निकलकर वर्तमान में दुनिया के किन पदों पर हैं तथा वर्तमान में संस्था के अंदर चल क्या रहा है?क्यागतिशीलता है? सोच क्या रहे हैं? कर क्या रहे हैं? यह मेरी कोशिश रही है कि हमेशामैं हर संस्थान के अंदर घुस कर के हर चीज की जानकारी प्राप्त करूं।मुझे ख़ुशी है कि इस संस्थान ने अपनी छोटी सी आयु में ही लंबी छलांग मारी है इसलिए पहले केजितने भी निदेशक हैं उनको भी मैं उसके लिए बधाई देना चाहता हूं और इस साल जो यह हमारी युवा आईआईटी है उसके मेरे उन्नायक इतनी बड़ी छलांग मार रहे है तथा पूरी कोशिश कर रहे है इसलिए एनआईआरएफ रैंकिंग में वर्ष2019में यह संस्थान 13वें स्थान पर था फिर इसने तीन वर्षों में छलांग मार कर के इस समय 2020 में दसवें स्थान पर आया है तो 2020 में और प्रगति इसने की है। टाइम्स हायर एजुकेशन रैंकिंग में और एशियाई विश्वविद्यालय रैंकिंग में भी वर्ष 2020 में इस संस्थान ने 55वां स्थान प्राप्त किया और यंगयूनिवर्सिटी रैंकिंग में इसने 64वीं रैंक प्राप्त की है।यहदेश बहुत विशाल देश है औरजब मैं हिन्दुस्तान के बारे में कहता हूं कि यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और इस सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में एक हजार से अधिक तो विश्वविद्यालय हैं,45 हजार से अधिक डिग्री कॉलेज हैं,15लाख से अधिक स्कूल हैं,एक करोड़ 9 लाख से भीअधिक अध्यापक हैं और कुल मिलाकर अमेरिका की जितनी आबादी नहीं है 33 करोड़ से ज्यादा छात्र-छात्राएं है।यह वैभव है इस देश का और इसीलिए प्रतिस्पर्धा में किसी स्थान पर आना यह अपने आप में बहुत बड़ी गरिमा की बात है।आज मैंबधाई देना चाहता हूं उसकी फैकल्टी को भी बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने कोशिश करके अपनी प्रगति का गौरवशाली अध्याय लिखा है मुझे इस बात की खुशी है कि आज जितने भवन यहां पर लोकार्पित हुए हैं वो चाहे अभिनंदन भवन हो सब एक से बढ़कर एक शानदार हैं। हमने तो हमेशा अभिनंदन किया है। ‘अतिथि देवो भव’ कहा है। हमने अतिथियों को भी भगवान के रूप में मानाहैऔर फिर अभिनंदन की हमारी परंपरा रही है, हमारे संस्कार रहे हैं। मुझे ख़ुशी है कि 95 करोड़ की लागत से निर्मित यह भव्य अभिनन्दन भवन जिसमें बहुत अच्छे मनों का सृजन होगा जो दुनिया में अपनी छाप छोड़ेंगे। मुझे यह भी अच्छा लगा कि आपने तक्षशिला को याद किया और तक्षशिला व्याख्यान कक्षों के साथ ही शैक्षणिक उष्यामान केन्द्र सहित जितने भी भवनों का आपने यहां पर आज जो उद्घाटन किया है, उसके लिएमैं आपको बहुत बधाई देना चाहता हूं और उससे जुड़े फैकल्टी सदस्यों तथा छात्रों को भी बहुत सारी शुभकामना देना चाहता हूं, यह बहुत अच्छा अवसर है।इस अवसर पर आपने केन्द्रीय विद्यालय जो कि देश की स्कूली शिक्षा का आभूषण है औरकेन्द्रीय विद्यालय के जो मेरे छोटे-छोटे छात्र-छात्राएं हैं वे जिस तरीके से अपना प्रस्तुतीकरण करते हैं, वह अपने आप में अद्भूत हैं। आपने आज केन्द्रीय विद्यालय भवन का भी उद्घाटन कराया है यह भविष्य की महत्वपूर्ण आधारशिला है।इसलिए मेरे विद्यार्थियों में सोचता हूँ कि आज आप यहाँ से दीक्षांत समारोहों से जायेंगे तो पूरा मैदान आपके लिए खाली है,पूरी दुनिया आपको निहार रही है और पूरी ताकत के साथ आपको दौड़ने का पूरा मौका है। मैं समझता हूँ कि आपको प्रौद्योगिकी के साथ-साथबहुआयामी क्षेत्रों में जैसेमानविकी तथा सांस्कृतिक एवं सामाजिक जीवन से जुड़े विषयों को भी साथ लेकर काम करनाहै और मुझे इस बात की खुशी है कि आईआईटीइन्दौर ने खगोल विज्ञान में एमएससी प्रोग्राम प्रारम्भ किया है और मुझे लगता यह भारत का यहपहला ऐसा आईआईटी रहा है जिसने खगोल विज्ञान में एमएससी प्रोग्राम प्रारंभ किया है और उसमेंअपेक्षित सफलता मिल रही है।मेरे प्रिय विद्यार्थियों,खगोल प्राचीन भारत की ऐसीविद्या है जिसके बारे में हमें अतीत से शोध करके उसको नवाचार के रूप में बहुत तेजी से अब आगे बढ़ाना है।आप भले ही आज दीक्षांत समारोह से डिग्री ले करके जा रहे हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि आप अपनेअनुभवों को बाँटने के लिए तथानए सृजन के लिए जा रहे हैं। जो नयी शिक्षा नीति हम लेकर आये हैं यह भी आपके भविष्य कोसंवारने लिए है। अब विद्यार्थी किसी भी विषय के साथ कोई भी दूसरा विषय चुनने के लिए स्वतंत्र है तथा परिस्थितिवश यदि विद्यार्थी ने अपना पाठ्यक्रम बीच में छोड़ दिया है तो आपका क्रेडिट बैंक सुरक्षित रहेगा और जब भी दो साल बाद अथवा एक साल बाद फिर लौट कर के आना चाहेंगे वहीं से आप आगे शुरू कर सकते हैं। यदि आप किसी भी डिग्री कोर्स को दो साल में परिस्थितिवशछोड़करके जा रहे हैं तो दो साल उसके खराब नहीं होंगे बल्कि पहले साल में उसको सर्टिफिकेट मिल जाएगा और दूसरा साल है तो उसको डिप्लोमा मिलेगा और तीसरे साल में वो छोड़ के जा रहे हैं तो डिग्री मिलेगी। लेकिन यदि बीच में ही वो आना चाहता है तो जहां उसने छोड़ा है वो वहीं से शुरू कर सकता है ऐसी नयी शिक्षा नीति में हम व्यवस्था लेकर आये हैं और इसलिए आपके पास तो बहुत अच्छा अवसरहै। मैं यह भी कहना चाहता हूं कि वो चाहे इंजीनियरिंग का क्षेत्र हो, चाहे मैनेजमेंट का क्षेत्र हो, चाहे रसायन विज्ञान का हो,भौतिक विज्ञान का हो, खगोल शास्त्र का हो, सभी क्षेत्र में चाहे वैज्ञानिक भास्कराचार्य को देखेंगे वो इस धरती पर पैदा हुआ आज विश्व का फलक पर मेरे वैज्ञानिकों को इसे शोध और अनुसंधान करके आगे ले जाने की जरूरत है। हमारा शल्य चिकित्सा का जनक सुश्रुतइसी धरती पर पैदा हुआ है औरपूरी दुनिया आज उनसे सीख रही है। आयुर्वेद के महान् ज्ञाता चरक, महानगणितज्ञ आर्यभट्ट सहित चाहेबौधायन हों,चाहेनागार्जुन हों किस किस का मैं नाम लूं पूरी ऐसी श्रृंखला मौजूद है जिन्होंने हमारे लिए एक बहुतबड़ी थाती कोसौंपा है। हम उसको नए अनुसंधान के साथ हम आगे कहां तक बढ़ा सकते हैं यह हमारे सामने चुनौती है और आपने उस चुनौती को स्वीकार किया है मैं देख रहा था कि जब पूरी दुनिया कोरोनाके संकट से होकर करके गुजरी और मेरा भी देश उससे अछूता नहीं रहातब मेरे देश के प्रधानमंत्रीजी ने कहा था नौजवानों तुम क्या कर सकते हो? मुझे गौरव महसूस होता है कि ऐसे वक्त पर ऐसे वक्त पर मेरे आईआईटी के नौजवानों ने जब लोग अपने घरों में बैठे रहे होंगे तब प्रयोगशालाओंमें जा करके एक से एक नये अनुसन्धान आपने किए।चाहेमास्क हो,वेंटिलेटर हो,ड्रोन हो, टेस्टिंग किटहो,आपने पच्चीसों परियोजनाओं पर एक साथ काम किया। मैं इसके लिए भीआपको बहुत बधाई देना चाहता हूं। जब चुनौती का मुकाबला होता है तो वह चुनौती अवसरों में तब्दील हो जाती है और आपने चुनौतियों का मुकाबला किया हैऔर मुझे भरोसा है किजब आपबाहर जा रहे हैंतोआप किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं रह सकते औरआप तो प्रगति के शिखर को चुमेंगें क्योंकि आखिर आपके आचार्यों ने, आपके गुरुजनों ने, आपकी फैकल्टी ने आपको एक योद्धा की तरह बनाया है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि अकैडमिक और इन्डस्ट्रीज के बीच भी आपने गैप को कम करते हुए पेटेंट फाइल किए हैं और 175 से भी अधिक आपने रिसर्च पेपरबड़े स्तर पर प्रकाशित किए हैं। मैं फैकल्टी से भी अनुरोध करूंगा। अभी इस दिशा में बहुत तेजी से हमें कार्य करने की जरूरत है।जब मैं क्यूएसरैंकिंग और टाईम्स रैंकिंग काअध्ययनकरता हूं तो हमारे यहां थोड़ी-सी कमी है। अभी हमें शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में ताकत के साथ तेजी से दौड़ने की जरूरत है, पेटेंट करने की जरूरत है, नई शिक्षा नीति के माध्यम से हम अब ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’की स्थापना कर रहे हैं जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री जी के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार होंगे और हम शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में भीबहुत तेजी से आगे बढ़ेंगे।हमारेदेश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने बड़ी कठिन परिस्थितियोंमें ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया। बाद में आदरणीयअटलबिहारी बाजपेयी जी ने ‘जय विज्ञान’ का नारा दिया तो आज जरूरत है नये अनुसंधानकी और इसलिए हम नये अनुसंधान और नवाचार के साथ विश्व के फलक पर जाएंगे। जहां हम‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ का गठन कर रहे हैं वहीं हम तकनीक और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में ‘नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम’ का गठन कर रहे हैं ताकि अंतिम छोर तक भी उसका उपयोग किया जा सके और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और तकनीकी के उपयोग में समर्थ हो सकें। हम ‘स्पार्क’ के तहत दुनिया के 28 देशों के 127 शीर्ष विश्वविद्यालयों के साथ शोध और अनुसंधान कर रहे हैं साथ ही अभी हम लोग स्ट्राइडस और स्टार्स इन दोनों के माध्यम से भी अनुसंधान के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं लेकिन यह अभी नया मैदान खोला है। मेरा भरोसा है कि आप अनुसंधान की दिशा में आगे आएंगे। जो छात्र आज डिग्री लेकर के जा रहे हैं अथवापीएच.डी लेकर जा रहे हैं उन्हें भी नित नए अनुसंधानों के साथ और आगे बढ़ने की जरूरत है,मैं देख रहा था कि25 स्टार्टअप आपनेसूचीबद्ध किए हैं। पीछे के समय मैंने समीक्षा की थी तो उद्योग और मेरे आईआईटी के बीच में थोड़ा सा मुझे अंतर नजर आता था कि उद्योग कुछ और चाहता है तथामेरे आईआईटीकुछऔर पढा रहे हैं, अब हमने समन्वय किया है। अबआईआईटी और उद्योग दोनों मिलकर के काम करेंगे। उद्योगों को क्या जरूरत हैवो विषय-वस्तु हमारे पाठ्यक्रम में आएगी और मेरा जो छात्र है वहफिफ्टी परसेंट तक उद्योगों में जुड करके अपना काम करेगा और अपने अनुसंधान तथा अनुभव से उद्योगों को भी ऊंचा उठाएगा।मेरे छात्र-छात्राओं में यह कहना चाहता हूं कि किसी भी संस्थान की जो ताकत है उसकी क्षमता का यदि पता लगाना है तो भवनदीवारों से नहीं बल्कि संस्थान द्वारा जो चुनौतीपूर्ण समय में किए गए काम होते हैं उनकाआकलन करके उसकी क्षमता का पता चलता है। इस संस्थान से निकलने वाला छात्र देश और दुनिया में कहां पर है वेक्या रास्ता अपना रहे हें, मेरे राष्ट्र को क्या दे रहे हैं,उस संस्थान की क्षमता का उससे पता चलता है और मुझे खुशी है कि आपने इन चुनौती भरे क्षणों में एक योद्धा की तरह मेरे अध्यापकों ने और छात्रों ने भूमिका निभाई है। मुझे भरोसा होता है क्योंकि जो चीज हमारे देश में भी नहीं थी उस परहमारे आईआईटी केशोध और अनुसंधान के बल पर हमने न केवल अपने देश को बल्कि दुनिया के देशों को भी उन चीजों को सप्लाई किया है। इसलिए मुझे खुशी है कि आपने चाहे वो आपने मास्कबनाए हों, चाहे किट बनाए हों,चाहेदुनिया के देशों के का जो अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क नार्वे, स्वीडन,फ्रांस, डेनमार्क सहित छठवें रिसर्च ग्रुप के रूप में जुड़कर आप देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं इस बात की भी मुझे खुशी है।मैं आपको बधाई देना चाहता हूँ कि आपने संस्थान सामाजिक जिम्मेदारियों का भी बहुत श्रेष्ठतापूर्वक निर्वहन किया हैमेरेभारत की जो भाषाएँ हैं उनकी सर्वांगीण उन्नति एवं विकास के लिए आपने भारतीय ज्ञान परंपरा और जो प्राचीन भाषाओं के केन्द्र की स्थापना करके अत्यन्त सराहनीय कार्य किया है,कृषि,जल संसाधन प्रबंधन, धातु विज्ञान औषधि और अर्थव्यवस्था आदि क्षेत्रों में भी आपने महत्वपूर्ण किया है। हमारे देश के प्रधानमंत्री ने कहा है 2024 में हमको 5 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिकी पर जाना है और जो इक्कीसवीं सदी का आत्मनिर्भर भारत होगा, वह स्वर्णिम भारत होगा जो स्वच्छ भारत होगा, सशक्त भारत होगा,समृद्ध भारत होगा। उस भारत के लिए हम रात-दिन खपने के लिए जिस तरीके से मैदान में उतरे हुए हैं उसके लिए मैं आपको बहुत सारी शुभकामना देना चाहता हूं।मैं देख रहा हूँ कि आपने उन्नत भारत अभियान के तहत भी बहुत सारे काम किये हैं।यह बहुत जरूरी भी है क्योंकि यह समाज हमारा है, पूरी की पूरी धरती मेरी मां है और हम इसके पुत्र हैं तो फिर तो पूरा देश हमारा अपना होता है तो क्यों न हम आगे आकर के जो गांव हमारे इर्द गिर्द हैं उनका भी यदि आईआईटीइंदौर विकास करें तो वे भी बहुत शिखर पर पहुंचेंगे।इसलिए जरुरी है कि उस संस्थानके माध्यम से इसके इर्द-गिर्द रहने वाले लोगों को भी उसकी छाया उन गाँव में दिखनी चाहिए।मुझे खुशी है कि अपने 5 गांव गोद लिये हैं और इन पांचों गांवों में आपके द्वारा किये गये कार्य का मैंने विश्लेषण किया है और यह पाया है कि आप काम कर रहे हैं और मुझे भरोसा है कि इस काम को आप और तेजी से काम करेंगे। मैं देख रहा था आपने रक्त दान किया है, आप स्वच्छता अभियान चलाते हैं। पीछे के समय में हमने कहाथा ‘एक छात्र एक पेड़’ उस वृक्षारोपण के अभियान को भी आपने बहुततेजी से बढ़ाया है।गरीब छात्रों के लिए पाठ पढ़ाने का जो सिस्टम आपने किया वह बहुत अच्छाहै।मैं सोचता हूं कि मेरे देश के अन्दर 30 करोड़ लोग निरक्षर क्यों हैंअब हरछात्र यदि अपने इर्द-गिर्द किसी को भी तय करे कि वह दो लोगों को, चार लोगों को अथवा पांच लोगों को पढ़ाएगा तथासाक्षर भी करेगा और उन्हेंअपनी तरह बनाएगा।आईआईटी में आने वाला मेरा हर छात्र मॉडलहोता है। उसको देखकर के भी प्रेरणा मिलती है, वो क्या सोचता है, उसके आँखों में कितना बड़ा सपना है। हमारे कलाम साहब कहते थे कि सपने जो सोने न दें। ऐसा सपना आँखों में होना चाहिए जो तुमको एक मिनट चैन से न बैठने दे। जब तक ऐसेसपनोंको आप क्रियान्वित नहींकर देते हैं। जब भी आईआईटी से निकलने वाले छात्र बाहर जाता है तो उसकी अलग पहचान होती है। उसकी गंभीरता होती है, उसकी तात्कालिकता होती है,उसकी प्रखरता होती हैं। उसमें आप हर दृष्टि से अद्भुत क्षमता होती है, उसमें जिज्ञासा होती है,जिजीविषा होती है, वो किसी भी चीज़ कोकर सकने का सामर्थ्य रखने के लिए योद्धा की तरह खड़ा होता है। मुझे भरोसा हैकि आज आप बाहर निकल रहे हैं तो आप इस आईआईटी का नाम देश में नहीं पूरी दुनिया में आगे बढ़ाएंगे। मुझे भरोसा है और इसके लिएमैं इस संस्थान को बधाई देता हूं कि यह तमाम गतिविधियों में भाग ले रहा है तथा यह ये सर्वांगीण विकास बहुत जरूरी है। किसी एक क्षेत्र में एक व्यक्ति अथवा संस्था बहुत आगे है लेकिन दूसरे क्षेत्र में आगे नहीं है तो यह आज की परिस्थितियों में नहीं चलेगा। आज की परिस्थितियां बिल्कुल भिन्न हो गई हैं आज की परिस्थितियों में व्यावहारिक होना भी जरूरी है तथा सामाजिक होना भी।यहलोकतांत्रिक देश है और वोभीऐसादेश जो विश्व बंधुत्व की बात करता है, जो पूरी वसुधा को अपना कुटुंब मानता है, उसके लिए हर प्रकार की लीडरशिप एवं प्रखरता चाहिए।अभीहमारी नई शिक्षा नीति आई है।नई शिक्षा नीति नए फलक के साथ आई है और यह अब राष्ट्रीय नहीं अंतरराष्ट्रीय फलक पर आई है। अभी निदेशकजिस बात पर चर्चा कर रहे थे कि यह नेशनल भी होगी, यह इंटरनेशल भी होगी,यह इम्पैक्टफुल भी होगी तो यहइंटरएक्टिव एवंइन्क्लुसिवभी होगी। यह इक्विटी,क्वालिटीऔर एक्सेसके आधारशिला पर खड़ी होगी तथायह हर क्षेत्र में आगे बढ़ेगी।इसमें कंटेंट भी होगा और हम इसकापेटेन्ट भीकरेंगे। इसके तहत नेशनल फर्स्ट औरकेरेक्टर मस्ट यह रास्ता होगा क्योंकि हम चाहेंगे कि यह देश की आधारशिला है।जिस परिवार का, जिस व्यक्ति का, जिस राष्ट्र का अपना चरित्र नहीं होता वो बहुत दिनों तक खड़ा नहीं रहता क्योंकि उसकीअपनी जमीन नहीं होती है।वह तो टूटी हुई पतंग की तरह रहता है जिसकी अपनी जमीन या धरती नहीं है तो उस कटी हुई पतंग की तरह होता है जो आसमान में उड़ तो रही होती है लेकिन उसको भी पता नहीं होता है कि वो किस गर्त में गिरेगी। आपने देखा होगा कि कोई ठूंठ सा खड़ा पेड़ खड़ा रहता है जिसमें ना पत्ते, न फूल, नाफल लेकिन लंबा बहुत होता है और वो एक छोटे से हवा का झोंका आता है और उसको बहा ले जाता है, उठा ले जाता है लेकिन एक छोटा सा ही सही छोटा पेड़ होता है लेकिन उसकी जड़ें गहरी होती हैं तो उसमें पत्ते भी आते हैं और छोटी-मोटी आंधी और तूफान उसको कभी भी उखाड़कर नहीं ले जा पाते हैं।इसीलिए हम नई शिक्षा नीति को भारत केन्द्रित लायेहैं।भारत की अपनी पूरी विश्व में पहचान है। हमारी जड़ें कमजोर नहीं हैं।यहअलग बात है जब लार्ड मैकाले ने हमारी जड़हमसे दूर की है और इतने सैकड़ों वर्षों की गुलामी के थपेड़ों ने हमको ऐसी स्थिति में लाकर के खड़ा किया हैकिहम जब अपनी प्राचीन बात को कहते हैं तो लोगों की हंसी उड़ाने की कोशिश होती है।हमकों साबित करना हैइसी बात को कि मेरा जो देश था वो विश्वगुरु था। हमारे पास ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान की कमी नहीं थी। हमारे उन वैज्ञानिकों ने पूरे विश्व का मार्गदर्शन किया और आज फिर यह देश स्वाधीन हुआ है। श्रीनरेन्द्र मोदी जीजैसा देश का प्रधानमंत्री जो विजनरी और मिशनरी भी है वेदेश के लिए अपना एक तिल-तिल खपा करके आगे बढ़ रहे हैं।वेइस देश को 21वीं सदी का स्वर्णिम भारत बनाना चाहते हैं जो सारे विश्व के फलक पर उसको शिखर तक पहुंचाए। इसीलिए हमारे पास भी मैदान है, हमारे पास भी विजन है, हमारे पास भीसमय है और पूरी दुनिया हमारी ओर निहार रही है। हम टैलेंट की पहचान भी करेंगे, टैलेंट का विकास भी करेंगे और टैलेंट का विस्तार भी करेंगे। हम तीनों चीजों को करेंगे और इसलिए केवलटैलेंट की खोजे हीनहीं करेंगे बल्कि उसका विकास भीकरेंगे और उसका विस्तार भी करेंगे। इस दिशा में हम लोग आर्टिफिशल इंटेलिजेंस जोस्कूली शिक्षा से लायें हैं हम शायद दुनिया का पहला देश होंगे जो स्कूली शिक्षा से आर्टिफिशल इंटेलिजेंस पढ़ायेंगे और हमने अभी स्कूली शिक्षा से ही वोकेशनल स्ट्रीम के साथ शुरू किया है। अब मूल्यांकन का भी आधार हमने परिवर्तित किया है और अब हमारे स्कूल में भी 360 डिग्री हॉलिस्टिकमूल्यांकन होगा। छात्र अपना स्वयं मूल्यांकन करेगा, अध्यापक भी मूल्यांकन करेगा, उसका साथी भी उसका मूल्यांकन करेगा और उसका अभिभावक भी करेगा और उसको हम अब रिपोर्ट कार्ड नहीं देंगे बल्किहमउसको प्रोग्रेस कार्ड देंगे और इसलिए आमूल चूल परिवर्तन के साथ ही नयी शिक्षा नीति आई है जिसका पूरे देश ने बहुत स्वागत किया है।दुनिया के तमाम देशों ने भी कहा है कि हम भी चाहते हैं कि इसएनईपी को हम अपने देश में लागू करें तो इसीलिए मैं समझता हूं कि इसएजुकेशन पॉलिसी के माध्यम से निश्चित रूप से हम रिफॉर्म भी करेंगे, ट्रांसफॉर्म भी करेंगे और परफॉर्म भी करेंगे।इस इच्छाशक्ति के साथ हमको तेजी से काम करना है और अंतर्राष्ट्रीयकरण कीजहां तक बात है तो आप सबको मालूम है कि हमारा ‘स्टडी इन इंडिया’ अभियान एक ब्रांडबनेगा। जब पूरी दुनिया के लोग अब भारत की धरती पर पढ़ने के लिए आ रहे हैं तथाबहुत तेजी से आ रहे हैं। अभी तो 50 हजार विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन हो गया था लेकिन इस कोविडकी महामारी के कारण थोड़ा रुका। लेकिन हम‘स्टे इन इंडिया’ भी चाहते हैं क्योंकि मेरे देश का छात्र आज दुनिया में जा रहा है तथासात से आठ लाख छात्र आजविदेशों में हैं।मेरे देश का डेढ लाख करोड़ रुपया बाहर चला जाता है।मेरी प्रतिभा भी बाहर चली जाती है और मेरा पैसा भी बाहरचला जाता है और जोप्रतिभाहोतीहै फिर उसको वहां मौका मिलता वहउस देश की प्रगति में रहता है। दुनिया की बड़ी से बड़ी कंपनियों में भी मेरे आईआईटी के छात्र जा रहे हैं।चाहे गूगल हो और चाहेमाइक्रोसॉफ्ट हो,उसका सीईओ हमारे ही संस्थानों से निकले हुए विद्यार्थी हैं आपके छात्र अभी बहुत तेजी से आगे बढ रहे हैं तो हम अपने देश को पहले मजबूत करेंगे।हमारे मन में पैकेज के स्थान पर पेटेंट की बात होनी चाहिए।हमशोध तथाअनुसंधान करेंगे। हम इन चुनौतियों का मुकाबला करेंगे। हम अपने देश को पूरे विश्व में शिखर पर ले जाने की इस पवित्र मंशा से आगे बढ़ेंगे। मुझे भरोसा है और जब-जब मेरे युवाओं से बात होती है तो मुझे आशा भरी बातें सुनाई देती हैं। हमने इसीलिए इस समय ‘स्टे इन इण्डिया’कहा है छात्रों को बाहर जाने की कोई जरूरत नहीं है। जब इस देश में अच्छे संस्थान हैंतो विदेशों में जाने की जरूरत क्या है। और अब तो इस नयी शिक्षा नीति के तहत हम दुनिया के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों कोभी यहां आमंत्रित कर रहे हैंऔर जो हमारे भीशीर्ष विश्वविद्यालय अथवासंस्थान हैंवेभी दुनिया में जाएंगे। हम पारस्परिक आदान प्रदान करेंगे। अभी भी जैसे मैंने कहा कि हम ‘स्पार्क’के तहत दुनिया के अट्ठाईस देशों के श्रेष्ठ127 विश्वविद्यालयों के साथ आज भी हम लगातार अनुसंधान कर रहे हैं और हमारी प्रतिभा की कमी नहीं है।यह अलग बात है कि हमने शोध और अनुसंधान में ज्यादा ध्यान नहीं दिया है। लेकिन अब तो हम लोग उस पर पूरा ध्यान दे रहे हैं। नई शिक्षा नीति के तहत जो नेशनल रिसर्च फाउंडेशन है और जो नेशनल टेक्नोलॉजी फोरम है इन दोनों के माध्यम से बहुत अच्छावातावरण बनेगा। एक और दो वर्ष में पूरा परिवर्तनहोगा और इसमें मुझे भरोसा है कि आप लोग आगे बढ़ेंगे और तेजी से आगे जाएंगे।आप यहां से जो शिक्षा ग्रहण करके जा रहे हैं जो आपने इतने वर्षों में पाया है उसको ब्राण्ड के रूप में आप समाज के बीच खड़े हो करके कह सकेंगे, चल सकेंगे, बढ सकेंगे, ऐसा मेरा भरोसा है।वैसेभी हमारे जितने भी आईआईटी हैं और जो हमारे पूर्व छात्र हैं वे हमारे देश के ब्राण्ड एम्बेसडर होते हैं। आप चाहे देश के अंदर हों अथवा चाहे कहीं भी दुनिया के अंदर हों हमको एक टीम इंडिया की तरह काम करके अपने देश के लिए काम करना है, मिलकर के काम करना है। इसीलिए भारत को ज्ञान की महाशक्ति बनाने की दिशा में हम लोगों ने एक अभियान लिया है, संकल्प लिया है और यहं संकल्प तथाअभियान आपसे होकर गुजरता है।मुझे पूरा भरोसा है कि आप आगे बढ़ेंगे और आपके माध्यम से जो स्वर्णिम भारत है उसको भी बढाएंगे और बड़े मन के साथ तथा बड़े उद्देश्य के साथ और बड़ी मेहनत के साथ तथा बड़े धैर्य के साथ आप इसको करेंगें अटल जी बोलते थेछोटे मन वाला कभी बड़ा नहीं हो सकता तथाटूटे तनवाला कभी खड़ा नहीं हो सकता। जिसका मन ही टूटा है वह है दूर तक नहीं सोच सकता, दूर तक नहीं चल सकता तथा न ही दूर तक अपने को ले जाने इच्छाशक्ति रख सकता है।जिस व्यक्ति की छोटी सोच होगी वो बड़ा कहां से हो सकता है, जो छोटा संघर्ष करेगा वो बड़ी चीज कहां से पा सकता है। जिसमें धैर्य नहीं होगा वो कहां से सफल हो सकता है तो इसलिए बड़े बनने के लिए बड़ा संघर्ष चाहिए,बड़ा धैर्य चाहिए, बड़ा विजन चाहिए। मुझे भरोस हैजब मेरेछात्र-छात्राएं निकलते हैं तो जुनून के साथ निकलते हैं, उनमें मेहनत की कमी नहीं, उसको तब्दील करने के मिशन की कमी नहीं है। हमारे अध्यक्ष जी ने एक रचना सुनाई और बीच में उनका संदर्भ भी आया हमारे कलाम साहब का। जब मेरे अब्दुल कलाम साहब एक पेपर बेचने वाला एक बच्चा, एक छात्र, एक युवा यदि दुनिया का सबसे बड़ा वैज्ञानिक हो सकता है,यदि वो भारत रत्न हो सकता है,भारत का नंबर एक नागरिक हो सकताहै तो हमक्योंनहीं हो सकते?उन्होंने मुझे एक पुस्तक के संकलन के लिए प्रेरित किया था और उन्होंने कहा था कि मेरी देशभक्ति की रचनाएं जो 1983से आकाशवाणी तथा दूरदर्शन परप्रसारित होते थे उन सब गीतों को मैं एक जगह एकत्रित करूँ।उसका जब लोकार्पण किया तो मैं उस छोटी सी कविता सुनाना चाहता हूं जिसको गा करके कलाम साहब की आँखों से आँसू छलक आये थे। उस देशभक्ति का ज्वार मैंने तब महसूस किया था। कलाम जी सामान्य व्यक्ति नहीं थे वेइतने ही भावुकतथाइतने ही संवेदनशील व्यक्ति थे। इसी से पता लगता है कि देश के प्रति किस सीमा तक कि उनकी देशभक्ति रही होगी वह कविताउन्होंने अपने कमरे में लगाई थी और जब मेरा हाथ पकड़ कर के टहलने लगे तथा उस कविता को गुनगुनाते क्योंकि उन्हें हिन्दी कम बोलना आता था तथा फिर टूटी-फूटी हिन्दी में कहा- ‘‘अभी भी है जंग जारी, वेदना सोई नहीं है अभी भी है जंग जारी वेदना सोई नहीं है। मनुजता होगी धरा पर संवेदना खोई नहीं है।’’ और उसके आगे फिर रुके बोले नहींअभी और सुनो ‘‘कियाहै बलिदान जीवन, निर्बलता ढोई नहीं है। कह रहा हूँ ये वतन, तुझसे बड़ा कोई नहीं है तुझसे बड़ा कोई नहीं है।’’ और यह कह रहा हूँ किऐवतन तूझसे बड़ा कोई नही है, कहते-कहते उनकी आंखों से आंसू टपकते हुए मैंने देखे थे। मैं इस बात को मेरे नौजवानों आपसे इसलिए बाँटना चाहता हूंकिडॉ. कलाम साहब का सामान्य व्यक्तितत्व नहीं रहा है देश भक्ति ने उसको भारत-रत्न बना दिया, देशभक्ति ने उनको महानवैज्ञानिक बना दिया।देशभक्ति ने उनको राष्ट्पति बनाया। एक सामान्य लड़का उठकर के भारत का राष्टपति बन जाये यह उस देशभक्ति का ज्वार है,यह उस देशभक्ति का सागर है जो उनके मन मस्तिष्क में उमड़ता रहा था। हम भी तो उसश्रृंखला में आ सकते हैं। मुझे भरोसा है कि आज ऐसे क्षण में आपमैदान में जा रहे हैं जबदेश करवट ले रहा है। अब इस देश को विश्वगुरू भी बनाएंगे और इस देश को सोने की चिड़िया भी बनाएंगे, इस देश को ऐसा मजबूत बनाएंगे।हम जब संकल्प लेंगे तो क्यों नहीं देश मेरा मजबूत होगा और पूरी दुनिया के शिखर पर होगा।
एक बार फिर मैं आपके अध्यापकगण को भी,आईआईटीके निदेशक को भी, आदरणीय बीओजी के चेयरमैन साहब को, पाठक साहब को भी, अभिभावकों को भी तथा अपने छात्र-छात्राओं को भी मैं ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं देना चाहता हूं और सप्तऋषि बोस जिसने प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया गोल्ड मैडल लिया है, मैं आपको और आपके परिवार को भी ढेर सारी बधाई देना चाहता हूं।इंस्टीट्यूटसिल्वर मेडल आरुषि ने लिया है। मैंउनके पूरे परिवार को, इनकी फैकल्टी को इन सबकोभीबधाई देता हूं और इधर जो एम.टेक, एम.सी.ए. और एम.एस. में मनीष जी हैं, आँचल हैं और जड़ी-बूटी फाउंडेशन गोल्ड मैडल में सृजा हैं और वेस्ट प्रोजेक्ट में मेहता, चेतन तथा मुकेश हैं। इन सब को भी मैं बहुत बधाई देना चाहता हूं, मेरी शुभकामना कि आपने कुछअलग पहचान बनाने की कोशिश की है आप अपने जीवन में प्रगति के शिखर को चूमें।मैं एक बार फिर आप सबको इस अवसर पर बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थिति:-
- डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
- श्री संजय शामराव धोत्रे, माननीय शिक्षा राज्य मंत्री, भारत सरकार
- प्रो. निलेश कुमार जैन, कार्यवाहक निदेशक, आईआईटी इंदौर
- श्री राकेश रंजन, अपर सचिव, उच्चतर शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार
- प्रो. दीपक भास्कर पाठक, अध्यक्ष, आईआईटी परिषद्, इंदौर
- डॉ. देवेन्द्र देशमुख, डीन शैक्षणिक, आईआईटी इंदौर